विषय-खेती किसानी के करले तइयारी
विधा-दोहा-चौपाई मा लिखे के प्रयास
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चिंता मा परगे ददा,आवत देख अषाढ़।
भिड़े हवे दिनरात जी,बूता के हे बाढ़।।
विधा-दोहा-चौपाई मा लिखे के प्रयास
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चिंता मा परगे ददा,आवत देख अषाढ़।
भिड़े हवे दिनरात जी,बूता के हे बाढ़।।
फेंकत हावै खातू कचरा।
पाटतँ हावय डिपरा डबरा।।
काँटा खूँटी बीनत हावै।
छानी परवाँ ला जी छावै।।
पाटतँ हावय डिपरा डबरा।।
काँटा खूँटी बीनत हावै।
छानी परवाँ ला जी छावै।।
नाँगर बख्खर साजत हावै।
जुड़ा नवाँ अउ डाँड़ी लावै।।
लेवत हावै नहना जोता।
सौचै आसो करहूँ बोता।।
जुड़ा नवाँ अउ डाँड़ी लावै।।
लेवत हावै नहना जोता।
सौचै आसो करहूँ बोता।।
बइला हवै एक मरखण्डा।
देखत चमके लउड़ी डण्डा।।
मुश्किल मा होथे जी काबू।
लान पकड़ के बाँधे बाबू।।
देखत चमके लउड़ी डण्डा।।
मुश्किल मा होथे जी काबू।
लान पकड़ के बाँधे बाबू।।
करिया धवरा जोड़ी साजे।
दिनभर उंखर बूता बाजे।।
पैरा भूसा काँदी खावै।
पानी पी पी खूब कमावै।।
दिनभर उंखर बूता बाजे।।
पैरा भूसा काँदी खावै।
पानी पी पी खूब कमावै।।
नाँगर बोहे खाँध मा,धरे तुतारी हाथ।
बाखा चरिहा हा दबे,बइला जावै साथ।।
बाखा चरिहा हा दबे,बइला जावै साथ।।
धान बीजहा आनी बानी।
सिटिर सिटिर जी गिरथे पानी।।
सुग्घर चलत हवै पुरवाई।
करे बाँट बूता मिल भाई।।
सिटिर सिटिर जी गिरथे पानी।।
सुग्घर चलत हवै पुरवाई।
करे बाँट बूता मिल भाई।।
कोनो नाँगर हावै फाँदे।
कोनो मेढ़पार ला चाँदे।।
कोनो सींचत हावै खातू।
धान बोय जी कका बरातू।।
कोनो मेढ़पार ला चाँदे।।
कोनो सींचत हावै खातू।
धान बोय जी कका बरातू।।
बड़े ददा के गोठ सियानी।
नइये काही के अभिमानी।।
एके लउड़ी हाँके सबला।
हाट बजार घुमावँय हमला।।
नइये काही के अभिमानी।।
एके लउड़ी हाँके सबला।
हाट बजार घुमावँय हमला।।
दाई बासी धरके जावै।
बइठ मेढ़ सब मिलके खावै।।
काकी घरके बूता करथे।
कोदो ल बड़े दाई छरथे।।
बइठ मेढ़ सब मिलके खावै।।
काकी घरके बूता करथे।
कोदो ल बड़े दाई छरथे।।
सुनता अड़बड़ हे इखर,धरे हाथ मा हाथ।
दुख पीरा रहिथे सहत,मिलके हावै साथ।।
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दुख पीरा रहिथे सहत,मिलके हावै साथ।।



ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा
चंदेनी कवर्धा
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