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रविवार, 1 जनवरी 2017

पागा कलगी -24//12//आर्या प्रजापति

विषय - बाबा गुरुघासी दास बाबा के संदेश
****** पंथी गीत ******
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
1) तोर आय ले धन्य होइस जम्मो गिरौदपुरी,
जम्मो भगत मन दरस बर आये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
सब के मन म खुशी छाये,
18 दिसम्बर के पारी आये।
शवेत झंडा लहराये,
सुघ्घर पंथी गीत हर भाये।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
2) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
जाति अउ धरम ल समझाये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
जाति भेदभाव समझाये,
सत के पुजारी तै कहलाये।
नषा मुक्ति के गियान बताये,
छुआ छुत ल भगाये।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
3) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
तै ह दुनिया म अलख जगाये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
छाये रिहीस छुआ छुत के षोर,
जमाना रिहीस नीच जात के घोर।
लाईस बाबा सत के अंजोर,
गुंजय सबो गली खोर।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
4) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
तै हर अमरौतिन के कोरा म आये।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
तोर आय ले धन्य होइस जम्मो गिरौदपुरी।।
ग बाबा जम्मो भक्तन दरस बर आये।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।।
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
"'''''''''''"'""""""""""""""""'""'''''"'''''''''''
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
ग्राम - लमती (सिंगारपुर )
जिला - भाठापारा(बलोदाबजार)

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

पागा कलगी -24 //11//विक्रमसिंह राठौर "लाला"

विषय --> गुरू घासी दास बाबा के संदेश
महंगू के लाला अऊ अमरौतिन के दुलारा अस । 
हमर सब के बाबा तही एक सहारा अस ।।
गिरौधपुरी म बाबा जनम धर के तै आय ग ।
सबो नर नारी के दुख ल तै भगाय ग ।।
जोडा जैतखाम बाबा गिरौधपुरी म गडाये ग ।
दुरिया दुरिया के नर नारी दर्शन बर आये ग ।।
चरण कुंड अमरित के धारा ।
जिहा बोहाये पांच कुंड के धारा ।।
जोक नदी अउ बड भारी छाता पहार हे ।
गिरौधपुरी म बईठे बाबा हमारे हे ।।
तोर भजन ल बाबा मै गा लेतेव ग ।
तोर दरश ल बाबा मै पा लेतेव ग ।।
मोर गुरू बाबा के संदेश हे महान ग ।
जेहा बताये हे मनखे मनखे ल एक समान ग ।।
गुरू बाबा मोर तै छूआ छुत ल मिटाये ग ।
समाज म एकता अउ भाईचारे ल बताये ग ।।
मोर गुरू बाबा के सत्य के प्रति अटूट आस्था रहीस ग ।
मोर गुरू बाबा ह बालपन म चमत्कार देखाये रहीस ग ।।
सांप चाबे बुधारु ल तै जिआय रेहे ग ।
अउ छत्तीसगढ़ म सतनाम पंथ ल चलाय रेहे ग ।।
तोर गुणगान ल गावय "लाला साहू" ग ।
एको दिन मुरता म दरश देखाहू ग ।।
तोर 18 दिसम्बर बाबा हमन मनाये हन ग ।
तोर मुरत ल बाबा मन म बसाये हन ग ।।
--> विक्रमसिंह राठौर "लाला"
मुरता नवागढ़ , बेमेतरा
7697308413, 8120957083
दिनांक - 28.12.2016
समय - 08:15 am

पागा कलगी -24//10// एस•एन•बी•"साहब"

मोर बाबा के महिमा हे अपार
रे मनखे लेले आशीष बारंबार
सत् के संदेश देवत जिनगी ह बीतिस
ज्ञान के प्रकाश चारो कोति ह बिगरिस
मन झन हो तै उदास
होही चारो कोति ह उजियार
जात-पात छुआछूत मा झन उलझव
मनखे-मनखे ला एकसमान समझव
न कोनो छोटका न कोनो बडका
संगी बनके जिनगी ला लगावव पार
माँस-मदिरा ला कभू हाँथ झन लगावव
अज्ञानता ला जिनगी ले दूर भगावव
सबो बर दया रहे
बड़ सुंदर पाए हस तै संसार
 एस•एन•बी•"साहब"
रायगढ़

मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

पागा कलगी -24//9//आशा देशमुख

विषय --गुरू घासीदास के संदेश
पंथी गीत ..
मन भाखा बोली कोंदी होगे मोरे बाबा
तन जीभिया नादान ,
कइसे करव गुणगान,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू गुणखान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
बाबा घासीदास गुरू सत के अवतारी हो ,
सत के अवतारी |
चारो कोती सत गूंजे महिमा हे भारी हो ,
महिमा हे भारी |
मोरे मति हे अज्ञान ,
कइसे करहव बखान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरु सतवान ,अंतस ज्ञान जगाई दे |
सत्य प्रेम दया मया रद्दा के रेंगइया हो ,रद्दा के रेंगइया |
छुआ छूत जाति धरम कांटा के बहर इया हो ,कांटा के बहरइया |
मैं तो दुरगुन खदान ,
कइसे करव गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोर गुरु हे महान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
तोला बाबा एक दिखय सबो जीव प्राणी हो ,
सबो जीव प्राणी |
बघवा अउ मिरगा पीये ,एक घाट पानी हो ,
एक घाट पानी |
मोरे जुच्छा गुमान ,
कइसे करय गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,बाबा सत के कमान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
तोरे जस बाढ़य बाबा पुन्नी कस चंदा हो ,
पुन्नी कस चंदा |
गुरू ब्रम्हा बिष्णु शिव काटय भव के फंदा हो ,
काटय भव के फंदा |
मैं अमावस शैतान ,
कइसे करव गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू दिनमान |
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू सतवान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे |
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
24 .12.2016 शनिवार

पागा कलगी -24//8//कौशल साहू "फरहदिया"

विषय - गुरु घासीदास के संदेश
विधा - पंथी गीत
*************************************
@ गुरु के संदेश @
मोर गुरु के संदेशा, सब ला झकझोरे।
सतनाम के दीया बारके, दुनिया ल अंजोरे।
1 जनम धरे अउ तप करे
पावन गिरौद धाम म।
सतनाम के तैं पुजेरी
सादा धजा जइत खाम म ।।
मंगलू मंगलीन बेटा पाके, जोड़ा नरियर फोरे।
मोर गुरु के..................
2 रंग रूप करिया गोरिया
नजर बनाके देख झन।
नोहय कोनो खातू कचरा
घुरवा म कोनो ल फेंक झन।।
छुआछूत अउ ऊंच नीच के, भीथिया ल तैं टोरे।
मोर गुरु के.............
3 झन जा मंदिर देवाला
हिरदय म भगवान रे।
चिरई चांटी हाथी मिरगा
सबके एक परान रे।।
समरसता के घाट म, सब ला तंय चिभोरे।
मोर गुरु के...................
4 मंद मउहा पी के मत मातव
जुवा चित्ती मत खेलव।
झुठ लबारी चोरी हारी म
दुध भात मत झेलव।।
मेहनत के परसादी म, तंय खाले बासी - बोरे।
मोर गुरु के............
5 पर नारी ल बेटी माई
अपने बरोबर मानव।
सबो जीव के दुख पीरा ल
अपने बरोबर जानव।।
अरज करत हे 'कौशल' तोरे, दसो अंगुरिया जोरे ।
मोर गुरु के.................
6 सतनाम अमरीत बरोबर
सत आगी म जरय नही।
सतनाम ल तंय सुमर ले
सत पानी म सरय नहीं।।
सतनाम के हीरा छोड़ के, पथरा ल बटोरे।
मोर गुरु के.................

रचना :- कौशल साहू "फरहदिया"
गांव /पोस्ट - सुहेला
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा
पिन कोड 493195 (छ ग)

पागा कलगी -24//7//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

....बबा घासी के उपदेस....
------------------------------------
मनखे-मनखे लड़त हे देख।
अतियाचार बढ़त हे देख।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
खुसरे माया के सांधा म।
फंदाय जातपात के फांदा म।
छोड़ के संजीवनी जरी,
भुलाय कोचरहा कांदा म।
छलत हस अपनेच ल,
बनाय देखावटी भेस।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
सत के अलख जगाय कोन?
गिरे - थके ल उठाय कोन?
कोन करे पर बर फिकर?
लांघन ल भला खवाय कोन?
छुआ-छूत ,उंच-नीच मानत,
तोर-मोर कहिके मसके घेंच।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
अधमी ल समझाय कोन?
अंधियार म दिया जलाय कोन?
कोन बनाय मनखे ल मनखे?
नसा दुवेस छोड़ाय कोन?
करत हे मनके कुछु भी,
लाज - सरम ल बेंच।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
सुवारथ बर लड़त हे।
जीव-जंतु ल हलाल करत हे।
सुनता के चंदन ल मेट के,
माथा म मोह धरत हे।
बोली-बचन मीठ नइ हे,
धरम-करम ल दिये लेस।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी -24 //6//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

पंथी गीत
~~~~~
अमरित हे बाबा के बानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-अट्ठारह दिसम्बर सतरा सौ छप्पन गिरोदपुरी के धाम ग।
महंगु अमरौतीन के घर अवतरिस लईका घासीदास नाम ग।
लईकोशी ले रहय धियानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-लईकापन ले बड़ त्यागी,तपस्वी करय रोज क़माल ग।
सतमारग के रददा रेंगे नइ आईस मोहमाया के जंजाल म।
तपस्या करत बिताये जवानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-जातीपाति,छुआछूत ल मिटाय बर भरीन बाबा हुंकार न।
मनखे मनखे ल एक बताय घुम घुम जम्मों संसार न।
कहाँ भुलाये रे मूरख अज्ञानी
संगी सुनले अमर कहानी।
- मांसमदिरा ले दुरिहा रहू झन बोलहू कभू लबारी न।
पर के तिरिया बेटी ल समझहु जइसे अपन महतारी न।
काबर बने हवस रे नदानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-सत् के अलख जगाके बाबा हिरदे म दरस कराईन हे।
एके परमात्मा ये दुनिया म गुरु सबला बताईन हे।
कहाये गुरु घासीदास बाबा ज्ञानी
संगी सुनले अमर कहानी।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा 9993240143

पागा कलगी -24 //5//विजेंद्र वर्मा"अनजान

गुरू घासीदास के संदेश
विधा~कविता
घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान,
परमारथ बर तरिया कोड़ेच,
सुवारथ के रद्दा तै छोड़ेच,
सतनाम के अलख जगायेच,
बगरायेच चारों मुड़ा गियान।
घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
ऊंच नीच म फरक मिटायेच,
शोषित दलित के संग ते आयेच।
जाति धरम बटईयां मन ल,
सतनाम के तै पाठ पढ़ायेच।
घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
माटी के चोला माटी म समाही,
मानुष तन ह लहुट के नई आही,
बाबा तेंहा पारे हस गोहार,
अईसन हमन ल सीख देवईया,
अमरौतिन अऊ मंहगू के तै लाल।
मोर घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
पथरा पूजे ले काही नई मिलय,
बिना करम के फूलों नई खिलय।
छुवाछुत ल घुना कीरा बतायेच,
मनखे के दुख पीरा ल बिसरायेच,
सतनाम के अईसन अलख जगायेच,
मोर घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
सतनाम भजही तेकर जिंनगी ह तरही,
मिटही दुख पीरा जेन ह नाव ल जपही।
साँस के फाँस निकल जही मनवा,
सत्य नाम के अलख जेन जगा जगही,
कतेक सुग्घर तै संदेश सुनायेच।
मोर घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।।2
पागा कलगी बर मोर नानकुन प्रयास
विजेंद्र वर्मा"अनजान
ग्राम~नगरगाँव
जिला~रायपुर

पागा कलगी -24 //4//तोषण कुमार चुरेन्द्र

छत्तीसगढ़ी दोहा विधा म नानकून उदिम
शीर्षक:-"गुरू घासीदास के संदेश"
गरीब घर मा पग धरे, नांव ग घासीदास।
मिल सब सोहर गात हे,दिन हे सबके खास।१॥
जिला बलौदा बाजार म ,हे गिरौदपुर धांम।
अमरौतिन माता हवय ,पिता ग महंगु नांम।।२॥
बन -बन के रस्ता चले, सत के करे तलास।
धरे तापसी बेस ला ,मन नंइ रहय हतास।।३॥
जात भेद ला मेंट के ,माने सबल समान।
दिस संदेसा शांति के ,मुख सतनाम जबान।।४॥
धरम सदन गा मानथे, पुर भंडार ल आज।
एक जगा जुरियात हे, जम्मो संत समाज।।५॥
बाजे मांदर थाप गा ,गजब लगे संगीत।
छत्तीसगढ़ी मा विधा, सुग्घर पंथी गीत।।६॥
भुल-चूक ला छमा करव,तोषण हवे नदान।
हांथ जोंड बिनती करे,किरपा करव सुजान।।७॥
© ®
तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी -24 //3//राजेश कुमार निषाद

।। गुरु घासीदास बाबा के संदेश ।।
तोर कतका करंव बखान बाबा तै सत के पुजारी ग।
जनम धरे तै बाबा महंगू के घर अमरौतीन तोर महतारी ग।
दिन रिहिस हे 18 दिसम्बर सन् सत्रह सौ छप्पन के ग।
सत के मार्ग देखाये चमत्कार देखे सब तोर बचपन के ग।
कर्म भूमि बनाये बाबा तै ह भण्डार पूरी ग।
बईठ के तप करे बाबा तै ह अंवरा धंवरा तरी ग।
सत के अलख जगा के छुवाछुत ल दूर भगाये ग।
मनखे मनखे एक समान संदेश ले भाईचारा म रहे बर सिखाये ग।
बीच जंगल झाड़ी म बाबा तै ह जपे सतनाम ग।
तोर तीर म सांप आवय अऊ बघवा हलावय दोनों कान ग।
छाता पहाड़ तोर डेरा बाबा गिरौदपुरी धाम ग।
सत के जपईया बाबा जपे तै सतनाम ग।
तै रचना करे बाबा सात वचन सतनाम पंथ के।
मुखिया कहाये बाबा तै सतनाम गुरु ग्रंथ के।
जन्म भूमि अऊ तपो भूमि बाबा तोर गिरौदपुरी धाम ग।
सन् 1850 म तै दुनिया छोड़े बाबा अलख रखे सतनाम ग।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी -24//2//चोवा राम "बादल"

विषय--- गुरु घासीदास के संदेस।
विधा ---दोहा छंद।
-------------------------------------------
मंच के सम्मुख मोरो छोटकुन प्रयास समर्पित हे।
--------------------------------------------------
(1)
बाबा घासीदास के, सुन लौ गा संदेस।
जप करके सतनाम के, मेटव अपन कलेस।
(2)
मनखे मनखे एक हे, अन्तस हाबय एक ।
करनी ला करके बने, मनखे बन जा नेक ।
(3)
मदिरा माँस तियाग दौ, गुरु दे हे जी ज्ञान।
रहन बसन अच्छा रहे,सब झन पाथे मान।
(4)
सादा रहय बिचार हा, छल मल ले जी दूर।
खान पान सादा रहय, सुख मिलही भरपूर।
(5)
चारी चुगरी बन भरे, परिया जिनगी खेत ।
करम कमाई कर बने, मूरख मनवा चेत।
(6)
सुग्घर तन ला पाइ के, झन कर गरब गुमान ।
आतम ला सिंगार ले, बन भाई गुनवान ।
(7)
धरती मा दाई ददा, हे सऊँहे भगवान।
चरन म चारों धाम हे, कोरा सरग समान ।
(8)
सब के भितरी मा उही, एके प्रभु ह समाय ।
काबर करथौ छुत छुआ, बोझा पाप बढ़ाय ।
(9)
माँदर बाजय तक धिना, झाँझर बोलय बोल ।
पंथी मा सतनाम के, पी लव अमरित घोल ।
(10)
ग्रंथ ह गोठियाय नहीं, चुपेचाप अभियास ।
जग मा बिन गुरु ज्ञान के,कटय नहीं जम फाँस ।
(11)
सरधा के पालो चढ़े, जैतखाम बिसवास ।
मन मंदिर में जी सदा, गुरु के होवय बास ।
(12)
सबला मरना जी हवय, आज नहीं ते काल।
पुन के धन ला जोड़ ले,झन राहव कंगाल ।
(13)
मन भितरी मैनी भरे, जगा जगा फिसलाय ।
सत भाखा मा माँज लव, जनम सफल हो जाय।
(14)
सत मा हे धरती टिके, सत मा टिके अगास ।
पन्थ चलव सतनाम के, छोड़व उदिम पचास ।
(15)
सात बिता काया हवे, जेमा दस ठन द्वार ।
तारा दव सतनाम के, होही बेंड़ा पार ।
(16)
लाल हवय सब के लहू, हंसा एके आय ।
एक हवे भगवान हा, सब घट हवय समाय।
(17)
जात पाँत के भेद ला , कोन सकय समझाय।
जात पाँत ठप्पा लगे, जग मा कोन ह आय।
(18)
सुमिरन कर सतनाम के, सत के जोत जलाय ।
सत के महिमा हे बड़े, सत मा पाप नसाय ।
चोवा राम "बादल"
हथबंद 19-12--2016

पागा कलगी -24//1//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

प्रदत्त विषय:--गुरू घासीदास के संदेश...
विधा:-- पंथी गीत।
उवत बुड़त ले,धरती सरग ले,खुशी छागे ना।
गुरू घासी के, गुरू बाबा के, जयन्ति आगे ना।।
/1/
एक दिन सतलोख म पुरुषपिता,
गुरू घासी ल बुलाये रहिन।
धरती म जायेके हंसा उबारेके,
भार भरोस बोहाये रहिन।।
१८दिसंबर सन १७५६ के,
गुरू धरती म आये रहिन।
भुले बिसरे पिछड़े मानव समाज ल,
सत के ज्ञान बताये रहिन।।
आज उही बानी,सुने गुने के, पारी आगे ना।
गुरू घासी के,सतज्ञानी के,जयन्ति आगे ना।
/2/
गिरौद के बन मा गुरू नानपन मा,
भारी महिमा देखाये रहिन।
सांप चाबे मरे परे बुधारु चरन
अमरित देके जियाये रहिन।
महुरा सही जुआ चोरी नशा,
गुरू दुरिहा रहव चेताये रहिन।
पढ़व लिखव खेलव करव बुता,
करमइता बनेबर सिखाये रहिन।
चलव जाबो कंठी,धोती पहिर के,पंथी नाचे ला।
गुरू घासी के,सतधारी के,जयन्ति आगे ना।
/3/
मनखे श्रमहीन बनगे गरियार बैला,
देके ज्ञान तुतारी रेंगाये रहिन।
एक पुरूष बर हे एके नारी,
दुसर माताबहिन बताये रहिन।
एकता समानता सत्य अहिंसा के,
जनजन ल पाठ पढ़ाये रहिन।
मनखे मनखे होथे एक बरोबर,
सत्यसार संदेश बताये रहिन।
उही संदेश,बताये धरे के,पारी आगे ना।
गुरू घासी के,गुरू बाबा के,जयन्ति आगे ना।
/4/
चुरकी भर धान ल बाहरा पुरोके,
वैज्ञानिक खेती देखाये रहिन।
भांटा के जर मिरचा कलम बांध के,
कृषि बगवानी सिखाये रहिन।
उही बिज्ञान के रद्दा छत्तीसगढ़,
धान कटोरा कहाये रहिन।
भागमानी बड़े छत्तीसगढ़िया,
अइसन सतगुरू ल पाये रहिन।
गुरू के रद्दा, धरे छत्तीसगढ़,अंजोर लागे ना।
गुरू घासी के,गुरू बाबा के,जयन्ति आगे ना।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
'शिक्षक'गोरखपुर,कवर्धा
18दिसंबर2016
9685216602