शनिवार, 30 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//संतोष फरिकार "मयारू"

"पानी ल बचाना हे"
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पानी ल बचाना हवय
सबो ल बताना हवय
पानी बर तरसत भुंईया
बुंद बुंद पानी बर भंईया
गरमी के दिन हर आगे
सबो पानी बर फिफियागे
सब बोर ल खोदवावत हे
पानी तरी कोती जावत हे
पानी ल बचाना हवय
सबो ल बताना हवय
नरवा नदिया हर सुखा गे
जीव जानवर पानी कहां ले पाय
गांव के तरीया हर अटावत हे
पानी ल सब चिखला मतावत हे
पानी ल बचाना हवय
सबो ल जगाना हवय
पानी पीए बर खोदीच झीरीया
नहाय बर आदमी कहां कहां जाय
गरमी के दिन हर आगे हवय
गांव के तरीया हसुखा गे हवय
पानी ल बचाना हवय
सबो ल जगाना हवय
गांव के कुआ अटावत हे
पानी बर दुरीया जात हे
पानी के मोल अब समझ म आवत हवय
गरमी के आतेच सब पानी बर फिफियावत हवय
पानी ल बचाना हवय
सबो ल समझाना हवय
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रचना - संतोष फरिकार "मयारू"
देवरी भाटापारा बलौदाबाजार
मोबा,- 09926113995
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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8 //आशा देशमुख

बिन पानी नइ हे ज़िंदगानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी
तोर बिना सब सुक्खा परगे ,तड़फत हे परानी |
रुखवा राई ठाड़ सुखावय ,दहकत हावय परिया
नदिया नरवा सुख्खा रेती ,दर्रा उलगे तरिया
सूरूज घलो बरसे लागय ,जइसेआगी गोला
चिरई चुरगुन बोलत हावय ,कहाँ बचाबो चोला
बिकत हवय बाटल म पानी ,कतको करे दुकानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
जब ले आइस बोर जमाना ,पानी ह अउ अटागे
छेके नई पानी ल कउनो ,कती कती बोहागे
बून्द बून्द बस टपकत हावय ,जम्मों नल के टोटी
झगरा माते गली गली मा ,खींचे बेनी चोटी |
भसकत कुआँ ह सोचन लागय ,मोरो रिहिस जवानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
पानी के सब मोल समझही ,तभे कछू तो होही
एक बून्द पानी बर नइ तो ,ये दुनियाँ हा रोही ,
गाँव नगर शहर डगर मा ,चलिन ग हाँका पारी
छेड़े मुहीम सबो डहर मा ,मिल के नर अउ नारी |
पानी बिन नइ बाँचे जग मे ,कउनो के जिनगानी ,
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
-आशा देशमुख

पागा कलगी -8//कुलदीप कुमार यादव

******पानी******
जेकर रहे ले दुनिया मा,
सबके चलत हे सांस ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
पानी के कमी ले सुखावत तरिया-डबरी,
तरफत आनी-बानी जीव अउ मछरी ।
आवत बेंदरा भालू गांव डहर,
तरसत हे घलो अब गांव के नहर ।
चिरई मन घलो मरत हे पियास,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
हरियर पेड़ घलो सुखावत हे,
पानी के दुकाल हा अब जनावत हे ।
गिल्ला भुइंया मा दर्रा परगे,
खेत के खड़े धान हा घलो जरगे ।
ऐ सब ला देख के किसान हा होगे निराश,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रुख-राई हा पानी के आकरशक हे,
भोगत देखत मनखे ला,
परकिति बने अब दरशक हे ।
काटे के कारण ऐ सब,
करे हबन जेन घात बिस्वास ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रचना--कुलदीप कुमार यादव,खिसोरा
मो.न.--9685868975

पागा कलगी -8//नवीन कुमार तिवारी

बिहनिया के राम राम ,
आ ही , आ ही मिथ लबरा आ ही ,
दो रूपया चा वूर देके ,ग्राम सुराज लाही
लइका मन ला लेपटॉप, टेबलेट, साइकिल देके भरमात हैवे,
फेर शिक्षा के गीरत स्तर ल आ वो गिरावट हैवे ,
विकास संग सुराज के दिखावा ,अपन जय जय कर करावत हैवे,
अधिकारी ,कर्मचारी संग अपन फोटो घलो खिचववत हैवे,
विकास के संसो भुलवारे, घामे घाम कोलकी कोलकी तीपे भोमरा मेफीरवावत हैवे ,,,
पानी सीरा गए ,नदिया तरिआ झिरया घलो गो सुखागे,
संगे संग ,माई पीला जानवर पक्षी के टोटा घलो सोखा गे ,,
आई पी एल ,के नचकरहा नचकरहिं बर ,,
सट्टा जूवना खिलाए के साध ,,,
सोच कैसे कांडी ल हरियवत हैवे ,
घेरी बेरी पनि सींचत कैसे
आँखि ल मत कावट हैवे ,
पानी सिट्टा कर के पानी बचाव अभियान चलावत हैवे,,
फेर पानी के बदला में ,सस्ता दारू बोहावत हैवे ,
तेखर बर गांव गांव चौपाल चौपाल दारू दूकान खोलवावत हैवे,
निर्धन कन्या ला आशीष देबर देख कैसे मुस्कियावत हैवे,
बिहाव होते एक बेर ,,,,,फेर दहेज़ खातिर,,लक्ष्य बनाए ,
डुबेर हाथ पिवुरा करवावत हैवे,,,
फेर जोँहर हुए एक तन गोत सुनो ,
लैकोर हीं के घलो हाथ ल कैसे रंगववत हावी,,
आशीष देबर देख ऐसे मच मचावत हैवे,
लइका महतारी के स्वास्थ सुधारे ,
देख कैसे अलकरहा जतन करे हैवे
माखी भिनभिनाहट किउ रा पड़े ,
करु होवत पोषण आहार खवा वत हैवे ,,
अरहर ,बटकर,गुड शकककर संग देख शाग भाजी,
कइसे मट मटा वत भागतहैवे,
महंगाई के सांसो भुला देख कैसे ग्राम सुराज लावत हैवे,
कभु लोक सुराज , कभु ग्रामशहर नगर सुराज के झांसा ,,
कभु जनसमस्या निवारण के दिखावा ,
तो कभु करावत अपन संग अधिकारी के दर्शन जी ,
जैमा लेवत दरख्वास्त ऊपर दरख्वास्त जी ,
खाल्हे तरी ऊपर गंजए कतका दरख्वास्त जी ?
विकास के चोचला ये दरख्वास्त जी ,
का होते का होते ,,ये दरख्वास्त के जी ,,?
अधिकारी कर्मचारी मन के करम जाग जथे,
दरखास्त के टोकना हा रद्दी के भाव बिक जाथे,
दारु संग चखना के घलो जुगाड़ हो जथे,
आ वु सबो समस्या ,
समस्या बने गरियावत रहिथे
कागज में विकास नजर आते ,
अधिकारी कर्मचारी के प्रमोशन हो जाथे
धुर्रा खाये के सेती ,,
गोल्ड मैडल ले सम्मान घलो करावा लेते
नवीन कुमार तिवारी ,,,,२८.४.२०१६

गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8 //चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

"जल हे त कल हे"
"""""""""""""""""""""""
पानी हर अटावत हे
भुंइया हर सुखावत हे
बिन पानी तरसत हे किसान
मनखे घूमत हे होके परिसान ।1।
भुंइया हर रिसावत हे
रुख राई हर सुखावत हे
जीव जंतु मरत हे पियास
न जतन हे न कुछु परियास ।2।
सरकार कुछु करय नई
सुध काखरो लेवय नई
खुद कुछ करन नई देवन नई धियान
आँखि मूँदें बइठे हन बनके अनजान।3।
नल चलत हे बिन टोटी के
बोर दउड़त हे बिन खेती के
मनखे सुते हे गोड़ हाँथ लादे तान...
दांव में लगे हे सब जीव के परान ।4।
जल हे त कल हे
नभ हे अउ थल हे
बड़ सुग्घर कहे हमर मनखे सियान
जल बिन सब सुन ए बात ला जान।5।
चलो पेड़ लगाबोन
पानी ला बचाबोन
मनखे किसान के सुसि ला बुतान
जीव-जंतु हमर भुंइया ला बचान...।6।
-चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

सोमवार, 25 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//आचार्य तोषण

"जल-जीवन":::::::
:::::::~~~~~~~::::::::
चइत बइसाख महिना मा
भुंइया ह तिपत जात हे।
चिरई-चिरगून रूखराई संग
मनखे तन हा अइलात हे।
****************
भरे घाम के दिन ह आगे
टोटा घलोक सुखात हे।
कुंआ बावली बोरिंग नल ले
पानी थोरकुन नइ आत हे।
****************
नरवा ढोरगा तरिया डबरा
नल के पानी सिरात हे।
बिन पानी सुन्ना जिनगानी
काबर समझ नइ पात हे।
***************
एकेक बुंद पानी बर हम
संचय गुन ल भरबो गा।
पानी ल बचाय बर हममन
कलयुगी भगीरथ बनबो गा ।
****************
जमदरहा पानी बरस ही
पेंड़ जगाबे जब भुंइया म।
पानी जतके बरस ही संगी
ओतकी रिसाही भुंइया म।
****************
भुंइया के पानी गंगा असन
निकले कुंआ बोरिंग नल ले।
गाय गरूवा नारी परानी सब
पियास बुझाय खल खल ले।
*****************
सब्बे कहिथे जल जीवन हे
कोलिहा सही हुंआ कहिथे।
एला बचाए बर भैय्या मोर
कतको सबले पाछू रहिथे ।
****************
कहिथे आचार्य तोषण ह
सबझन पानी बचाईंगे।
पानी बांचही जिनगी नांचही
अपन भाग संहराईंगे।
~~~~~~~~~~~~~~~~
आचार्य तोषण
गांव -धनगांव
डौंडीलोहारा
बालोद(छ. ग.)

पागा कलगी -8//लक्ष्मी नारायण लहरे

पानी जीवन के रंग आय .....
----------------------------
पानी तरिया नरवा के सुखा जाथे
कुँआ बावली के पानी बससा जाथे
जब गाँव सहर म नल जल बिछा जाथे
मीठा पानी तो सबो हर आय
महानदी , इन्द्रावती के पानी
कहाँ लुकावत हे
बस्तर म झरिया के पानी मिठावत हे
पानी जीवन के रंग आय
पानी ल मंगलू कुआं बावली म भर
तरिया -नरवा के कर मान
नदी -नाला ह जीवन के आधार आय
बरसा के पानी ल सकेलव् जी
जीवन ल पानी कस जियव् जी
पानी हे गुरु बानी
पानी बिना जीवन अबिरथा
पानी के मान ल जानव जी
पानी जीवन के रंग आय ..... 


०लक्ष्मी नारायण लहरे ,

साहिल, कोसीर सारंगढ़ रायगढ़

पागा कलगी -8//महेन्द्र देवांगन माटी

पानी ल बचावव
*****************
दिनों दिन गरमी ह बाढ़त, तरिया नदियां सुखावत हे
कुंवा बोरिंग सुक्खा परगे, पानी घलो लुकावत हे
बूंद बूंद अनमोल होगे , अब समझ में आवत हे
एक कोस में पानी भरे बर, नवा बहुरिया जावत हे
चिरई चिरगुन के मरना होगे, पियास में फड़फड़ावत हे
गाय गरुवा मन भूख पियास में, भारी हड़बड़ावत हे
पेड़ पौधा के पत्ता झरगे, खड़े ठाड़ सुखावत हे
धरती दाई पियासे हाबे, पानी कहां लुकावत हे ।
जल हाबे त जीवन हाबे, एला तुम बचावव
बिना पेड़ के पानी नइ गिरे, एला सब समझावव ।
पानी बिना जग हे सुना , बात ल तुमन मानव
एक एक पेड़ लगाके संगी, सबके जीव बचावव ।
रचना
महेन्द्र देवांगन माटी
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला - कबीरधाम ( छ. ग. )

पागा कलगी -8//मिलन मलरिहा

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 8 बर मोर रचना--
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मोर बहरा खार म, रोवत हे रुख-राई
पानी-पानी कहिके, कलपत हे सबोचिराई
जंगल-झाड़ी जरत हे, माते हे करलाई
पड़की कहे मैना ले, काला दुख सुनाई
नान नान नोनी-बाबू कहाँ घर बसाई
आगी बरसत, ए घाम म कहाँमेर जाई
मनखे जंगल उजारके, गरमी ल परघाई
कुंआ, नरवा-तरिया के अधाधून हे अटाई
मोर बहरा खार म...................................
-
मैना कहे सुन दीदी पड़की, चला सबो गोहार लगाई
हे भगवान! मनखे ले परे एक अलगे जग बनाई
जिहा नान-नान जीव-जनतु पियास बुझाई
नदिया नरवा कलकल छलछल मया बरसाई
अमृत-जलधार बसय जिहा,अइसे जग पिरोई
सुना गोहार कलपत जीवके, कहूँतो जुगत मढ़ाई
मोर बहरा खार म........................................
-
भगवान कहिच, हे मैना ! दुनिया भोजन-सृंखला हे
मौसम आना जाना हे, जीनगी म जिना-मरना हे
सबजीव एके संग करमबद्ध-सृन्खला म रहना हे
मनखे सरेस्ट जीव संसारके, ओला ए समझना हे
पानी हे अनमोल रतन, बिन पानी सब सुन्ना हे
प्रकरिति ल बिगाड़ीच ओहा, सनसार होगे दुखदाई
अपन घर बसाए बर, मनखे करत हे जंगल कटाई
मोर बहरा खार म..........................................
-
पानी ले जीवन बने अउ उपजे पेड़-पवन-पुरवाई
बचावा संगी परियावरण, पानी सोरोत गहिलाई
थोरकन पानी बाचे कुआँ म, कई बाल्टी होत डुमाई
पेलिक-पेला, झूमा-झटकी ले मार-काट मच जाई
मनखे तरिया पाटके जघा-जघा घर-खेत सजाई
सब ओखरे परिनाम हे, पानी खसलत दूरिहाई
मनखे तो भोगत करनी, गहूँ संग कीरा दूसर रगड़ाई
मोर बहरा खार म..........................................
-
आवा संगी पेड़ जगाके, कुआँ-तरिया घलो बनवाई
मिलजुल सब परन करके, भबिस्य बर पानी बचाई
मोर बहरा खार म, रोवत हे रुख-राई
पानी-पानी कहिके, कलपत हे सबो चिराई
जंगल-झाड़ी जरत हे, माते हे करलाई ।।
-
मिलन मलरिहा
मल्हार-बिलासपुर
छत्तीसगढ़

रविवार, 24 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

बड़ किमती ये पानी हे।
एकरे ले जिनगानी हे।
पानी ले बिहान होवत हे।
पानी ले स्नान होवत हे।
पानी ले तोर धियान होवत हे।
पानी ले बिज्ञान होवत हे।
पानी ले तइयार तोर,
खाय पीये के समान होवत हे।
पानी ल बरबाद कहुं करबे,
तंय रोबे तोर परान रोहि।
लइकन संग म सियान रोहि।
सरहद ले बीर जवान रोहि।
खेती के तीर किसान रोहि।
गांव के चतुरा कंतरी रोहि।
घुम-घुम के मंतरी रोहि।
माते गंजहा दरुहा रोहि।
कोठा ले गाय गरुवा रोहि।
उड़त-उड़त पुरवाई रोहि।
खड़े-खड़े रूखराई रोहि।
मंदीर ले पुजारी रोहि।
बिन लिपाय घरद्वारी रोहि।
कांदा मुराई संग बारी रोहि।
चपरासी संग करमचारी रोहि।
पानी बंचाय बर करिहो लाचारी।
एक-दुसर संग ईसगापारी।
नंदा जहि सब दुनियादारी।
फेर काकर करिहो रखवारी।
पानी के बरबादी ल रोकव।
जतेक जरूरत ओतकेच झोंकव।
बिछा जहि तोर सपना हीरा।
उघर जहि अंतस के पीरा।
जब रिसाजहि जलदेवति नीरा।
बोहा जहि कहुं भाग ले पानी।
हांथ ले बिहांथ होजहि जिनगानी।
किरिया खावन पानी बचायके,
पानी बचायबर उदीम रचायके।
बड़ किमती ये पानी हे।
एकरे ले जिनगानी हे।
रचना:---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गांव-गोरखपुर,कवर्धा

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8 //हेमंतकुमार मानिकपुरी

पानी बूंद अमोल हे.....
विधा-------दोहा
पानी बूंद अमोल हे, राखव एखरे मान।
बूंद बूंद बचावव जल, बात समझलव जान॥
खरचा कर देव पानी, जनम जनम भरमान।
अब धरती ले पानी ह, कति ले आवय जान॥
पानी रहत खूब करे ,छकल छकल तंय जान।
भर भर लोटा नहाये, अब अंजली असनान॥
कपड़ा लत्ता बरतन ल,छिन छिन मांजय सान।
पानी बऊरे अइसे, जइसे पर घर जान॥
टेड़ा नल झुख्खा हवय,नल बन गे हे बांझ।
माथा धर पछतात हे,गुनव ज्ञानी सुजान॥
सब रूख रई काटेव, आंखी मूंद नदान।
जीव जंगल नंदागे हे, तब फरकत हे कान॥
रूख लगावव कोरि त हे, तभे धरा के जान।
अभी ले समझव बात ल, झन बनव ग नादान॥
रचना
हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

पागा कलगी -8//राजेश कुमार निषाद

 पानी हे जिनगानी ।।
 पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग। 
पानी के जब होहि किल्लत बड़ तै पछताबे ग। 
पानी म तै कपड़ा धोबे अऊ पानी म ही नहाबे ग। 
पानी ल सकेल संगी फोक्कट झन बोहाबे ग। 
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।। 
पानी बिन सोच ले संगी बड़ दुख तै पाबे ग। 
जगह जगह म झगड़ा होही झगड़ालू तै कहाबे ग। 
पानी म हे जिनगानी भईया जीवन के आधार बनाबे ग। 
पानी ल बचा के भईया सबके भाग जगाबे ग। 
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग। 
पानी बचाय बर बनाव सुघ्घर योजना बाद में ओकर लाभ उठाबे ग। 
पानी ल तै सकेल ले भईया बड़ नाम तै एक दिन कमाबे ग। 
पानी हे अनमोल भईया फोक्कट म झन गंवाबे ग।

 रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद

पागा कलगी -8//-हेमलाल साहू

‪#‎पानी‬ #
एक एक बूँद जल बर, तरसत हावे लोग।
देखव पानी के बिना, जिनगी भोगत भोग।।

चिरई जल खोजत हवे, लगे हवे गा प्यास।
कोनो मेरन जल नही, जीये के न आस।।

जगह जगह तंगी हवे, खाये जल बर मार।
एक एक बून्द जल बर, मचगे हाहाकार।।

तरिया नदिया सूखगे, कुँआ दे हवे पाट।
रुख रई ला काटके, सहर बनत इसमाट।।

अबूझ मनखे तैय हा, रखले जल के मान।
एक एक बूँद जल मा, जिनगी हावे जान।।

राखव जल संयोज के, जल के बोली बोल।
जल चिंतन करव गा, जल हावे अनमोल।।
जगह जगह मा जल रहे, लगाबोन चल रुख।
धरती हा गिल्ला रहे, झन जावय गा सूख।।
-हेमलाल साहू

पागा कलगी -8//रामेशवर शांडिलय

पानी बचाई
नल के टोटी ले बूंद बूंद
पानी टपकत हे।
टूरा मुहं लगा के एक एक
बूंद गटकत हे।
= = = =
शहर के तलाव कुआं पटागे
गांव के तलाव कुआं अटागे
तरिया नदिया म नहाई नदागे
सरकार के पानी टंकी नठागे
= = = =
पथरा पथरा के सुनदर शहर होगे।
साफ पानी के नाली डगर होगे।
भूइया कइसे सोखे गटर होगे
पानी बर हाहाकार नगर होगे।
= = = =
मनसे के देखा बाढत अबादी,
पानी के देखा इहां बरबादी।
तीसरा युध होही पानी बर,
पानी बचाई जिनगानी बर।
= = = =
चला हम सब कसम खाई,
बुंद बुंद पानी बचाबो।
जेतका जरूरत होही,
ओतके म काम चलाबो।
= = = =
रामेशवर शांडिलय
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी -8//सुनिल शर्मा"नील"

"पानी जिनगानी हरय"
(मनहर घनाक्षरी)
*********************************
बूँद-बूँद पानी बर होवत हे मारामारी
कहना हे मोर अब तो चेत जावव जी
तड़फत सबो जीव देवत हे तालाबेली
पानी जिनगानी हरय एला बचाव जी|
पाटव झन कभू रे कुआँ अउ तरिया ल
तहुमन पुरखा कस पेड़ लगाव जी
रहीके पियासी खुद तोला कहा दय पानी
जुरमिल भुइयां के पियास बुताव जी
कई कोस रेंग पानी एक गुंडी पाथे जेन
थोकुन उखरोबर सोग तो देखाव जी
दुए घूंट पीना अउ गिलास भर फेकना
बेवकूफी कर तुम झन इतराव जी|
ताक झन मुहु पहली खुद ला सुधाररे
नाननान बात ले बदलाव लावव जी
बउरव वतके कि जतका जरूरत हो
सदउपयोग के आदत ल डारव जी|
परकिरती हे तब तक मनखे घलो हे
जीयो-जीयन दव के मंत्र अपनाव जी
दयाबिन मनखे के जीना तो अभिरथा हे
रहवास कखरो झन तो उजारव जी
करनी के फल ले तो सुनामी-भूकम होथे
परकिरती देबी ल झन रिसवावव जी
कल के सुराज बर छोरबो सुवारथ ल
गाँव-गाँव ए संदेशा ल बगरावव जी|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
रचना-18/04/2016
copyright

पागा कलगी -8//सुनील साहू"निर्मोही"

"बस एक बूंद के आस हे"
पियास पानी के नहीं आस के हे।
हमर भरोसा अउ बिस्वास के हे।
कोनो पियास म मर जाथे।
तव कोनो पी के तर जाथे।
तरसत इंहा एक बूंद पानी बर।
तव आखी म आंसू के धार भर जाथे।
दुनिया उलझे बिकास करे म।
फेर का फायदा बिस्वास करे म।
नीत बनईया मीत भुलागे।
एती गरीब मनके टोटा सुखागे।
रुख राई इंहा सोझ्झे झर जाथे।
नेता पारटी अपन म लड़ जाथे।
भूख ले बांचे तव पियास म मरगे।
बइठे बइठे एती आस म मरगे।
अब काला सियान बनावव जी।
मैं कोन भागीरथी ल बलावव जी।
सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम -सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.न. 8085470039

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//ललित साहू "जख्मी"

"कोनहो जुगत लगाव"
पानी बर सब तरसत हे
घाम मे थरथरावत हे
कोनहो कोनटा मे छंईहा नई हे
झांझ मे अलकरहा लेसावत हे
कांक्रीट के जंगल बर
कांच्चा रूख ला काटे हे
पम्प मे गरभ ला चुहक के
कुंआ बावली ला पाटे हे
अब नल मे मुहु टेंका के
एक-एक बुंद ला चांटत हे
अऊ थोकन मछरी के लालच मे
तरीया डबरी ला आंटत हे
एक ठोमा महुआ अऊ तेंदु पान बर
सफ्फा जंगल ला सुलगावत हे
कभु खेल कभु कातिक नहाय बर
बांधा के पानी ला उरकावत हे
रद्दा तिरन के फुहारा मे
हांस के फोटु तिरवावत हे
अऊ भटके चिरई चिरगुन ला
दाना पानी बर तरसावत हे
जंगल उजार के घर सजाथन
अऊ गाना हरियाली के गावत हे
गरीबहा तरसे पीये के पानी बर
हमन स्वीमिंग पुल मे नहावत हे
गाडी धोत हन पाईप लगा के
कुकुर ला रगड के नवहावत हे
अऊ मोहाटी के गाय भंईस ला
डंडा मार के हकालत हे
भुंईया सोखे रुख संजोये पानी
बरखा के नियम ला भुलावत हे
सोंखता बोर खनाय बर जियान परथे
सिरमिट मे सरबस ला बरंडावत हे
कईसे सोखही पानी ये भुंईया
का कोनो जुगत लगावत हे
मोला तो लागथे संगवारी हो
सब अपने घमंड मे मर जावत हे
हमर पानी के बोहई ला देख के
भगवान घलो हा थर्रावत हे
सतयुग ले बोहात नरवा झरना मन
आज कलियुग मे सुखावत हे
रचनाकार - ललित साहू "जख्मी"
ग्राम - छुरा
जिला - गरियाबंद (छ.ग.)
मो. नं. - 9144992879

पागा कलगी -8//महेश पांडेय मलंग

तरिया सुखा गे कुंवा भठा गे नदिया के सब सिरागे पानी .
पानी बिन करलई होवत हे ; का मनखे का पसु परानी l
सावन भादो के बादर ह घलो ए बछर लबरा हो गे .
करम छाड़ गय सब किसान के ; ना जाने काय दोखहा हो गे l
रुख राइ ला काट काट के जंगल ला नंगरा कर डारेन ,
एखरे खातिर मउसम घलो ह ;
अनठेरहा अलकरहा हो गे l
अपन गोड़ म पथरा कचार के
हमन करत हवन नदानी l1l
मरे पियास के तरुवा सुखागे ;
बुंद बुंद बर सब तरसत हे l
चिरई चुरगुन मन तलफत हे
गाय गोरु मन लहकत हे l
बिन पानी के फाटत हावय
धरती महतारी के छाती l
जल जीवन ए सिरतोन संगी
ये नारा मोला सच लागत हे l
जल संरछन करबो अब औ
रोक के रखबो बरखा के पानी l2एल
महेश पांडेय मलंग
पंडरिया जिला कबीरधाम

रविवार, 17 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//ज्ञानु मानिकपुरी

~छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-8 बर रचना~
- पानी बिना नइये जिन्दगानी
झन करना तै नादानी
फोकट म बोहके पानी। रे संगवारी....
1 तेल बिना दिया बाती,पानी बिना जिनगी।
चारो कोती दिखय अंधियारी।
इहि सही ऐ नइ कहत हव लबारी।
झन करना तै बेईमानी।
फोकट म बोहाके पानी। रे संगवारी....
2 एक-एक बूँद अमृत आय, इहि मया के गीत आय।
तै सुन लेना बनवाली।
बिन पानी नइ होवय खेती-किसानी।
फोकट म बोहाके पानी।रे संगवारी. .
3 नदी,नरवा,तरिया ह अटागे।
कुआँ, बोरिंग घला सुखागे।
पानी बिन चिरई-चिरगुन् तरसत हे।
गाय-गरवा खार-खार भटकत हे।
जल हे त कल हे, पानी अनमोल हे।
झनकर मानुष तै मनमानी
फोकट म बोहाके पानी।रे संगवारी....
4 जिनगी के तै आधार पानी।
सगा-सोगर बर मया-दुलार पानी।
मनखे- मनखे बर घर परिवार पानी।
पानी के पीरा ल सुन लइका, बूढ़वा जवानी।
तै झन कर न अभिमानी ।
फोकट म बोहाके पानी ।रे संगवारी....
नानकुन प्रयाश करे हव
आप मनके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी 9993240143
चंदेनी कवर्धा (छः ग)

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

//‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-8‘ के विषय//


छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-8‘ के विषय प्रारूप ये प्रकार होही-
समय- दिनांक 16/4/16 से 30/4/16 तक
मंच संचालक-श्री दिनेश देवांगन ‘दिव्य‘ 
(छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 1,2 अउ 3 के विजेता)
निर्णायक-
निर्णायक-
1. श्री सूर्यकांत गुप्ता
2. श्री रमेश चौहान
विषय - दे गे चित्र के भाव ले शीर्षक तय करके अपन रचना लिखना हे ।
विधा- विधा कोनो बंधन नई हे, फेर रचना संक्षिप्त अउ गंभीर होय अइसे निवेदन हे ।
परिणाम घोषण 1/5/16

//छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता् छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 7 केपरिणाम//



छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता् छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 7 के विषय-जेवारा ला ये दरी के प्रतियोगिता के संचालक भाई हेमलाल साहू हा दे रहिस । ये विषय मा हमर पूरा छत्तीसगढ़ ले रचना आहिस ये 15 दिन के आयोजन मा 14 रचना प्राप्त होहिसए इंखर रचनाकार हें .
1.महेतरु मधुकर
पचपेडीए मस्तूरीए बिलासपुर
2.सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गोरखपुरएकवर्धा
मोबा ९६८५२१६६०२
3.दुर्गाशंकर ईजारदार
ग्राम. मौहापाली ;सारंगढ़द्ध
मोण्नंण्.9617457142
4.आचार्य तोषण
गांव .धनगांव एडौंडीलोहारा
जिला.बालोदए छत्तीसगढ़
5.अमन चतुर्वेदी ’अटल’
ग्राम बड़गांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
09730458396
6.मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
7..रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
8085426597
8.चैतन्य जितेंद्र तिवारी
थान खम्हरिया;बेमेतराद्ध
9.ललित वर्माए छुरा
10.गरिमा गजेन्द्र
सरोना रायपुर छत्तीसगढ़
11.लक्ष्मी नारायण लहरे ए
साहिल ए कोसीर सारंगढ़
12.देवेन्द्र नायकए
गाँव.रण्वेलीएपाटन
13.देवेन्द्र कुमार ध्रुव
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद
14.ओम प्रकाश चौहान
बिलासपुर
ये सबो रचनाकार मन के ये आयोजन मा भाग ले बर हृदय ले आभार ।
ये आयोजन के निर्णायक रहिन हमर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार 1ण्श्री भरत मस्तुरिया़ए वरिष्ठ साहित्यकार मस्तुरी बिलासपुर छण्गण्2ण् श्री कौशल साहू ष्लक्ष्यष् वरिष्ठ साहित्यकार कवर्धा। ये दूनो आदरणीय मन सबो रचना के दिल ले तारीफ करीन अउ सबो रचनाकार ला बधाई कहिन हे । रचना के गुणवत्ता अउ दे गे विषय के अनुरूप रचना के आंकलन करत निर्णायक मन अपन निर्णय देइन जेखर अनुसार छत्तीसगढ़ के पागा कलगी .7 के पागा ला .
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया;बेमेतराद्ध
अउ
आचार्य तोषन जी
गांव .धनगांव एडौंडीलोहारा
जिला.बालोदए छत्तीसगढ़
भाई मन के मुड़ी मा पहिराये जाथ हे । दूनों भाई ला गाड़.गाड़ा बधाई
सबो रचनाकार ले निवेदन अइसने आघू घला संग देवत रहिहव
धन्यवाद
छत्तीसगढ़ मंच

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//ओम प्रकाश चौहान

👣मोर अमलीडीह म जग जँवारा हे👣
नव दिन बर आए ओ मोर माँहामाई,
तोहिं ल जग पखारय ओ मोर माँहामाई।
जब डोलय पीपर पान
तोर जोत महर महर मम्हावय ओ मोर माँहामाई,
नव दिन बर आए ओ मोर माँहमाई।
कलकत कलकत घांम जरत हे,
भगतन मन तभो ले तोर दुवार चलत हे।
लगे हे अमबार,
तोर महिमा हे ओ सबले अपार।
सोवत उठत बस तोरे धियान
तोर नाव ले बड़के कोनो हे हमार।
सब जुर मिल जोत जलावन ओ माँहामाई,
देओ म देव तोला मानन ओ माँहामाई।
अउ तोर का का गुन ल मैं गावंव ओ मोर माई
जय हो मोर माँहामाई
जग दुःख हर ले ओ मोर दाई।
उतती बुड़ती चारो दिसा म बिराजे
सबे गाँव गाँव म शीतला माई कहाऐ।
जय हो
नव दिन बर आए ओ मोर माँहामाई,
तोही ल जग पखारंव ओ मोर माँहामाई।
ओम प्रकाश चौहानबिलासपुर

पागा कलगी-7//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

छत्तीसगढ़ के पागा क्र 7 बर मोर रचना
शीर्षक -जंवारा
चैत के पावन महीना म जंवारा बोवाये हे
दिखय हरियर हरियर शोभा बगराये हे
जम्मो नर नारी म भक्ति के भाव समाये हे
ऐ परब अपन देवी देवता के मनौती के .....
मंदिर देवाला अउ घर हा सरग बरोबर लागे
बईठे दुर्गा भवानी हा सोलह श्रृंगार साजे
सेवा गाये मगन सबो मांदर धुन हा बाजे
निशदिन पूजा होवत हे माता शक्ति के......
कुमकुम बंदन ध्वजा अउ नीम्बू सब चघाये
माता अपन कृपा सब ऊपर हे बरसाये
हाथ जोड़े खड़े सेउक देवता ओमा समाये
सउहत दिखय शक्ति सबला भक्ति के .....
कोनो हा साँकड़ कोनो हा नरियर मांगे
जोर के जयकारा लगावै हाथ अपन टाँगे
खप्पर धरे हाथ म कोनो बाना धरके दउडय
अइसन सुघ्घर परम्परा हमर पुरखौती के....
साल साल अउ पीढ़ी बर नियम बंधाये हे
दाई के सेवा बर भगत मन किरिया खाये हे
पंडा महराज दिनरात ध्यान लगाये हे
सब करथे जतन पूजापाठ अउ चढ़ौती के ...
सब झन आवय देबी दरश के आश म
अटल हे अपन भक्ति अउ विश्वास म
जश ला सब बखानय दुर्गा दाई के
महिमा सब गाये नौ दिन जलत ज्योति के...
अपन तनी ले जतका बनय सेवा ला बजाथे
रात दिन ला भक्ति भाव म जम्मो झन पोहाथे
बिदाई के बेरा गंगा जल म जंवारा ला बोहाथे
माँगथे आशीष अपन सुख म बढ़ौती के ....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद

बुधवार, 13 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//देवेन्द्र नायक

ऐ हो दुर्गा दाई तोरे सेवा नई जानौ हो ------------ -
 ऐ हो महमाई तोरे पुजा नई जानौ हो ------------- 
तोरे दुआरी कईसे आंव --, 
ऐ मोर दाई तोरे-------- 
1. मा के गरभ मे रहेंव मे दाई, 
किरिया खाऐं तोर नाम के. 
आके मईया ईहाँ भूलाऐव, 
धन-दौलत सुख-धाम मे. 
अपन सरत ला दाई मै हा मूकर गेंव हो, 
कोन मूहू तोला गोहरांव --. 
ऐ मोर दाई---- तोरे दुआरी कईसे आव. 

2.अपन राग म मस्त रेहेंव माँ, 
सूरता भूलाऐं तोर नाम के. 
एक डहर म तिरिया रहिस अऊ, 
दूसर डहर भरे काम हे. 
सारी जवानी मद-मस्त भूलाऐं हो, 
का-का करम ला बतांव--. 
ऐ मोर दाई---- तोरे दुआरी कईसे आंव.

 3.आऐ बुड़हापा सब छिन होगे, 
तोला में गोहरावौं हो. 
तोर शरण में आके दाई, 
बीनती अपन चड़हावौं हो. 
मोला अपना ले दाई, शरण मे लगाले हो, 
तोरे दूआरी खटखटाँव--.ऐ मोर दाई---- 
तोरे दूआरी मेहा आँव. 

4.तोर छोड़ माँ कोन हे मोरे, 
तीही मोरे सँसार माँ.
तोला जानेंव माँ जगजननीं, 
जग के तिहीं आधार माँ. 
नायक लंगूरे तोर ,चरण पखारे माँ , 
दरश तो मोला देखाव--.
ऐ मोर दाई---- 
तोरे दूआरी मेहा आँव.
 ऐ हो दुर्गा दाई तोरे सेवा नई जानौ हो-------------- 

(रचना : देवेन्द्र नायक, गाँव-र.वेली,पाटन )

मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//लक्ष्मी नारायण लहरे

कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.....
.........................................................................
कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.....
मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म
जगर बगर जोत जलत हे
दाई के भुवन म
बैगा झुमत हे मांदर के सुर म
नाहे नाहे लईका मन
अउ सियान मन हावे अंगना म
मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म
डोकरी दाई घर राखत हावे
घर होगे हे सूना
दाई के अंगना म कैसे झुमत हे अपन रंग म
घर के दाई ल भुलागिन
अउ बिनती कहत हे कुशलाई दाई ल
सुनले मोरो मन के बात
ये बछर मोर करदे काज
जोड़ा नारियल फोडूं काल
बिनती करत हंव मै हर आज
रिसता नाता टूटत हावे
ज़माना कैसे बिगत हावे
दाई तै सुन मोर बिनती
दाई सबो ल सत ज्ञान दे दे
सुमरत हंव मै हिरदे ल
कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.....
मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म
० लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल , कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी-7//गरिमा गजेन्द्र

मोर शितला मईया
-----------------------------------------
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
तोर अंगना मा लहरावत हे दाई
जोत जवारा वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
सब के पालन करईया दाई
दुःख पीरा के दाई तही हरईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
गरिब के तै महतारी दाई
किसान के नुन बासी खवईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर.
अभागिन के भाग चिनहईया
दीदी महतारी के कोरा भरईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
गांव के रखवारी करईया दाई
तरिया पार मा बैइठे हस तै दाई वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
लीम के छंइहा तोला भाथे दाई
फूल मोंगरा तोला चढावत हो दाई वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर
रोवत रोवत सब आथे तोर दुवारी
हासत हासत झोली भर सब जाथे वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
सबके आंसू पोछईया दाई
सबके पीरा हरईया वो
सब बर तै सुख बरसाये मईया
मोरो बिनती सुन ले दाई
गरिमा तोर बेटी वो
मोरो झोली भर दे वो मईया
आयेव तोर दुवारी वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर
-----------------------------------------
रचना - गरिमा गजेन्द्र
सरोना रायपुर छत्तीसगढ़

पागा कलगी-7//ललित वर्मा

जसगीत
………………………………………………
जोत जवारा ओ दाई,
सजे मोर अंगना
झांझ मंजीरा मांदर, बजे मोर अंगना
महिमा तोर गावंव दाई-२,सेउक के संग मा
जोत जवारा ओ दाई......
पहली सुमरनी मां कुलदेवी तोला बलावंव ओ
मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ
भरदे भंडार ओ दाई-२, सुख से मोर अंगना
जोत जवारा ओ दाई.....
दूसर सुमरनी माता सीतला तोला बलावंव ओ
मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ
भरदे भंडार ओ दाई-२, गांव हे तोर अंगना
जोत जवारा ओ दाई.....
तीसर सुमरनी सातो बहिनी ल बलावंव ओ
मया के झूलना म सब-ला झुलावंव ओ मया के झूलना म सब-ला झुलावंव ओ
अनधन भंडार ओ दाई-२, भरदे देस के अंगना
जोत जवारा ओ दाई.....
पांच भगत मिल तोरे जस गावन ओ
मया के झूलना म तोला हम झुलावन ओ मया के झूलना म तोला हम झुलावन ओ
सुनले पूकार ओ दाई-२
रहिबे हमर संग म
जोत जवारा ओ दाई सजे मोर अंगना
झांझ मंजीरा मांदर बजे मोर अंगना
महिमा तोर गावंव दाई-२
सेउक के संग मा
………………………………………………
रचना - ललित वर्मा, छुरा

पागा कलगी-7//चैतन्य जितेंद्र तिवारी

आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना.
"""""""''''''''''''''''''''''''''''''''''""""'''''''''
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत- जंवारा मोर दाई आगे ना
माता-देवाला बड़ सुग्घर पोतागे
घर दुवारी चौंरा अंगना लिपागे
भाव भगती हिरदे म छागे ना..
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत-जंवारा मोर दाई आगे ना..।।1।।
जग-जंवारा बर बिरही फिंजोबो
जोत-कलश ला दाई बर संजोबो
परकिती दाई मोर अंगना आगे ना..
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत-जंवारा मोर दाई आगे ना..।।2।।
राखे उपास दाई तोला सब मनाथे
पंडा-महराज तोर चोला ला चढ़ाथे
जग-जंवारा दाई शीतला आगे ना
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना..
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत- जंवारा मोर दाई आगे ना..।।3।।
जसगीत गावय मनावै दाई तोला
दुःख ला अपन हो सुनावै दाई तोला
पीरा हरे बर मोर बमलाई आगे ना
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना..
चइत के महीना नवराति आगे ना....
जोत- जंवारा मोर दाई आगे ना.।।4।।
दाई ला मनाए बर कोनो गोभे सांगा
धजा धरे हाथ म अउ धरे कोनो बाँना
भगतन के पुकार सुन दाई आगे ना..
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना
चैइत के महीना नवराति आगे ना
जोत-जंवारा मोर दाई आगे ना .।।5।।
आगे आगे आगे परकिति दाई आगे ना...
आगे आगे आगे मोर बमलाई आगे ना....
आगे आगे आगे शीतला माई आगे ना.....
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना.......।।
बोल हिंगलाज माई की जय
बोल बम्लेश्वरी मइयाँ की जय
बोल आदिशक्ति जगतजननी मइयाँ
की .....जय.....
चैतन्य जितेंद्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

पागा कलगी-7//रामेश्वर शांडिल्य

जेवारा के महिमा
जेवारा के महिमा सुनाथव जी 
भक्ति भावना ल जगावथव जी
जेन हर गाए जश,
तेन हर पाए यश, ।
जे करे नौव दिन सेवा,
वो पाए फल व मेवा।
जेकर घर गांव म
जेवारा बोवाथे ग।
वोकर गांव घर म,
भक्ति गंगा बोहाथे ग।
मादर ढोल झाझ मंजीरा,
हरथे सबके दुख पीरा।
झूपत झूपत देवता आए,
जोत देख भूत भाग जाए।
झूम झूम के गाथे.
जेवारा के गीत।
नता गोता सब आथे।
कोन बैरी कोन मीत।
भाईचारा एकता सेवा म.
जुड़ जाथे जी।
रसता भूलाये मनसे हर.
भक्ति भाव म मुड आथे जी ।
सब झन के मन म.
होथे ये अरमान।
जेवारा दाई देवय.
हमला सुख वरदान ।
भक्ति भाव ल जगाथव जी ।
जेवारा के महिमा सुनाथव जी।

-रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
8085426597

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7 //मिलन मलरिहा

विषय - ‘जेवारा‘ (छत्तीसगढ़ मा नवरात्रि तिहार)
____________________________________
-----------------------------------------------------------------
जोत—जेवारा जगमग निकले, आगे नवरात चइत म
मांदर—मजीरा झांझ बोलत हे, माता के जसगीत म...
.
अमरईया म आमा झुलतहे, अऊ गंगा—अमली खार म
कोयली कुहकत संगे बनकुकरा, शितला के दरबार म
लंगुरे आए नरियर परसाद खाए, बदक—कऊवां बीच म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
.
भीड़ उमड़गे भगत सरधालु, दाई तोर रतनपुरे—मल्हारे म
पंडा नाचय बर्इ्गा गावय, जीभ छेदाएं बरछी—धारे म
भगतीन झुपय साटी झोकय, चढ़े दाई मांदरताल गीत म
जोत—जेवारा जगमग..........................................
.
तेल—घीव के जोत जलत हे, मनदिर घर—घर दुवारे म
हरियर पिवरा दिखे जेवारा, दाई के अचरा बसे रुप म
अड़बड़ हे उपास रहईया, नवदुरगा नवरात के रीत म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
.
संझाा बिहनिया भगत रमे हे, दरसन बर खड़े कतार म
सरग समागे अइसे लागे, उतरे हे चंदा—सुरुज मनदिर म
भियां नापत कई—कोस आथे, चढ़ाथे बदना पूरा होत म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
-
-
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//अमन चतुर्वेदी *अटल*

जंवारा नेवता
_________________________
देवत हंव मैं नेवता
दाई ये पारा वो पारा
तोर नांव के मोर दाई
बोवत हंव जंवारा
चइत कुंवार के सुघ्घर बेला
धर के मैं नरियर के भेला
पान सुपारी बंदन चंदन
तोला मनावंव करके वंदन
तोर नांव के बिरही फिजोयेंव
मन भक्ति के आस संजोयेंव
तोला बंदंव मैं देबी मइया
करदे भक्ति के दाई छंईहा
एक्कम के मैं जोत जलायेंव
चारो मुड़ा जंवारा बोवायेंव
जस जंवारा के गीत ला गावंव
संझा बिहनिया तोला मनावंव
गांव के डिही डोंगर के देवता
सुमर के मैं देवत हंव नेवता
हुम धुप धर तुंहला गोहरावंव
पाके नेवता अंगना बिराजव
गस्ती मे बइठे मोर ठाकुर देव दाई
सुमर के ओला मनावंव मोर माई
आन बिराजो देवता गस्ती के
करिहव सहाय देवता बस्ती के
जइसे जइसे दिन हर बाढे़
जंवारा हर सुघ्घर लहराये
बइगा पंडा रोज सेवा बजाये
संझा बिहनिया जस ला गाये
चौंसठ जोगिनी तोला चढ़ायेंव
तीन रंग के ध्वजा लगायेंव
पंचमी के दाई पंच भोग लगावंव
दण्डाशरण तोर पंइया लागंव
तरिया के तीर मोर शीतला दाई
शीतल कर देबे मोर गांव
दया के तोरे छंईहा राहय दाई
रोज रोज पखारन तोर पांव
देखते देखत दिन हर नहाकगे
सेवा बजावत अष्टमी हर आगे
छप्पन कोटी देंवता ला सुमिरंव
हुमन मे सब दुख ला झपावंव
नम्मी आगे होवत हे तियारी
जंवारा के लगे हे कियारी
गंगा अस्नान बर चलव मोर दाई
सगुरिया म डुबकी लगावव माई
दया मया ला राखे रहिबे दाई
सुमिरत हंवव तोला महामाई
दुख बिपदा झन गांव म आये
चइत कुंवार तोर जंवारा लहराये
__________________________
✍�अमन चतुर्वेदी *अटल*
ग्राम बड़गांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
09730458396

पागा कलगी-7//आचार्य तोषण

@@@@@@@@@
॥ॐॐ॥जंवारा॥ॐॐ॥
@@@@@@@@@
मन हमरो झुमय नाचय
मिलके करव जयकारा।
आगे तिहार नवरात के
रिग बिग जोत जंवारा।।
&&&&&&&&&&&
आगे नवरात दाई के
चलना दीया जलाबो।
चइत महीना दाई ल
नरिहर धरके मनाबो।।
%%%%%%%%%
पबरित मांटी लान के
सुघर फुलवरिया बनाबो।
पोक्खा गंहू छान के
दाई बर बिरही भिंगाबो।।
₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹
एक्कम ले शुरू होवय
दुरगा दाई के नवरात।
अंधियारा मन दूर करय
जोत जलय दिनरात।।
@@@@@@@@@
गऊ माता के गोबर लानय
खुंट धर अंगना लिपाय।
अगरी चंऊर बगरी पिसान
सुगहर चंऊक पुराय।।
%%%%%%%%%
सोने सोन कलसा साजे
आमा पान संहराय।
दीया जलय रिगबिग
चंहूदिश अंजोर बगराय।।
%%%%%%%%%%
पंडा लानय करसा पानी
रहे फुलवरिया सिंचाय।
दुरगा दाई के बाढ़य जंवारा
लहर लहर लहराय।।
%%%%%%%%%
मांदर ढोल नंगारा बाजय
सब देंवता ह नाचत हे।
देखै दाई अपन फूलवरिया
मुचमुचले हांसत हे।।
@@@@@@@@@
पंडा नाचय बइगा नाचय
नांचय गांव अउ पारा।
नयना भरगे खुसी हंमागे
देख देख जोत जंवारा।।
$$$$$$$$$$$$$$$
अईस पंचमी धरिन नरिहर
दाई दुवरिया तीर आगे।
सेऊक भक्तन हांथ जोंडके
मन के मनउती सब मांगे।।
ππππππππππππππ
हरियागे माता के जंवारा
छप्पन कोटि देंवता आगे।
हवन पूजन होय आठे मा
हुंम धूप ल सब पागे।।
^^^^^^^^^^^^^^
नवम दिन बिदागरी के
झूमय नाचय सब संसारा।
बिसरजन बर जावय सुघर
मोर दुरगा दाई के जंवारा।।
@@@@@@@@@@@
आचार्य तोषण
@@@@@@@@@@@
गांव -धनगांव ,डौंडीलोहारा
जिला-बालोद, छत्तीसगढ़
@@@@@@@@@@@

पागा कलगी-7 //दुर्गाशंकर ईजारदार

जेवारा जगाएँ हँव ,जोत जलाएँ हँव,
पाँव पखारे बर दाई ,गंगा जल हँव ।
रद्दा देखत हँव दाई,आँखी बिछाके,
जल्दी आबे दाई,नवरात आगे ।,
जेवारा जगाँए...........
सुरहीन गईय्या के दाई,गोबर मँगा के,
चारखूँट ओ दाई,चौक पुराएँ,
जेवार जगाएँ ............
माटी के कलश में, दियना जला के,
मँय हर लाहूँ दाई, तोला परिघाकें,
जेवार जगाएँ.................
मया के अँचरा में, मोला गठिया के,
लईका समझके दाई,राखबे लुकाके।
जेवारा जगाएँ....................
आप सबो संगवारी मन ला नवरात के गाड़ा गाड़ा बधाई हे ।।।
जय जोहार।।।।
दुर्गाशंकर ईजारदार
ग्राम- मौहापाली (सारंगढ़)
मो.नं.-9617457142

गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

"जेवारा"
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
जेवारा म रचे बसे,
महामाई तोर मया दुलार।
मनउती मन के थारी लगायेव,
तन कर माटि धरायेव ओ।
पिरित के दाई बीजा बोवायेव,
सरद्धा के पानी छिचायेव ओ।
तोर आसिस के छईहा ल पाके,
बाढ़े मोर संसार...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
चइत शुक्ल के महिना आगे,
बोंआगे जेवारा ओ।
खूशी बगरगे चारो कोति,
घर अंगना अउ पारा ओ।
तोर सुवागत करे के खातिर,
फूलगेहे लिमवा के डार...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
तोर किरपा अइसे होय दाई,
हंसत गुजर जय साल ओ।
किसान के संसो दूर हो जावय,
जउहर परे दुकाल ओ।
मन म ओकर खूशी अमाजय,
घर अंगना उजियार ...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
जेवारा म रचे बसे,
महामाई तोर मया दुलार।
रचना:---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गोरखपुर,कवर्धा
मोबा. ९६८५२१६६०२

शनिवार, 2 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//महेतरु मधुकर

******बोहाए हे जंवारा*******
""""""""""""""""'"""""""""""""""
मोर गांव के माता चौरा म
बोहाए हे जंवारा
पार गोहार जस गीत गाये
बाजत हे मांदर चिकारा
मोर गांव के माता चौरा म
बोहाए हे जंवारा..................
गांव भर के नर नारी आवय
थारी म आरती सजाए
मन माफिक बरदान मांगे
जम्मो झन माथा नवाए
कतको झन उपास राखे हे
कतको करय जगराता....................
जगमग जगमग जोत जलत हे
पंडा हर करे रखवारी
सुघर सुघर गली चौरा दिखत हे
झराय लिपाय घर दुआरी
गांव भर भकती म डुबे हे
नेवताय झारा झारा...................
महेतरु मधुकर
पचपेडी, मस्तूरी, बिलासपु

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

//‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-7‘ के विषय//

छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-7‘ के विषय प्रारूप ये प्रकार होही-
दिनांक 1/4/16 से 15/4/16 तक
विषय - ‘जेवारा‘ (छत्तीसगढ़ मा नवरात्रि तिहार)
मंच संचालक-श्री हेमलाल साहू (छत्तीसगढ के पागा 7 के विजेता)
निर्णायक-
1.श्री भरत मस्तुरिया़, वरिष्ठ साहित्यकार मस्तुरी बिलासपुर छ.ग.
2. श्री कौशल साहू ‘लक्ष्य‘ वरिष्ठ साहित्यकार कवर्धा
विधा- विधा के कोनो बंधन नई हे, फेर रचना संक्षिप्त अउ गंभीर होय अइसे निवेदन हे । जसगीत के आपेक्षा हे बंधनकारी नई हे ।
परिणाम घोषण- 16 अप्रैल 2016

//छत्तीसगढ़ के पागा कलगी- 6 के परिणाम//



छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 6‘ मा दे गे चित्र के अनुरूप कविता करना रहिस ये चित्र ला ये दरी के प्रतियोगिता के संचालक भाई देवलहरी हा दे रहिस । ये विषय मा हमर पूरा छत्तीसगढ़ ले रचना आहिस ये 15 दिन के आयोजन मा सबले जादा 26 रचना प्राप्त होहिस, इंखर रचनाकार हें -
1-अमन चतुर्वेदी (अटल)
ग्राम - बड़गांव डौंडी लोहारा
जिला - बालोद, छत्तीसगढ़
2--आचार्य तोषण
3-संतोष फरिकार (मयारू)
ग्राम - देवरी भाटापारा
जिला - बलौदाबाजार
4- सूर्यकांत गुप्ता
1009, वार्ड नं. 21 सिंधिया नगर
दुर्ग (छ. ग.)
5-अशोक साहू , भानसोज
6-रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
7-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गांव - गोरखपुर पोस्ट- पिपरिया
कवर्धा,जिला-कबीरधाम(छग)
मो, 9685216602
8-सुखन जोगी
ग्राम - डोड़की, बिल्हा (छ. ग.)
9-गरिमा गजेन्द्र
सरोना जिला - रायपुर
10-नवीन कुमार तिवारी
11-जयवीर रात्रे बेनीपलिहा
थाना- डभरा,जांजगीर चाम्पा,
(छत्तीसगढ़)
Mo. No. 8349323652
12-सुनील साहू"निर्मोही"बिलासपुर
ग्राम- सेलर
जिला- बिलासपुर
मो न.-8085470039
13-मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर
9098889904
14-लक्ष्मी नारायण लहरे ,
साहिल, कोसीर सारंगढ़
15-देव साहू
गवंईहा संगवारी
कपसदा धरसीवा
9770763599
16-शालिनी साहू
साजा बेमेतरा
17-देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम )
बेलर (फिंगेश्वर)
जिला गरियाबंद 9753524905
18-रचनाकार - ललित साहू"जख्मी"
ग्राम-छुरा / जिला- गरियाबंद(छ.ग.)
9144992879
19-सोनु नेताम गोंड़ ठाकुर
(मयारुक छत्तीसगढ़िया)
रुद्री नवागांव,धमतरी
20--आशा देशमुख
21-- हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील- नवागढ़, जिला- बेमेतरा
22-राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983
23-सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
९७५५५५४४७०
24-महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)
25--महेश मलंग
26-श्रीदिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
ये सबो रचनाकार मन के ये आयोजन मा भाग ले बर हृदय ले आभार ।
ये आयोजन के निर्णायक रहिन हमर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार श्री जे. आर. सोनी, रायपुर अउ श्री पुष्कर राज बालोद । ये दूनो आदरणीय मन सबो रचना के दिल ले तारीफ करीन अउ सबो रचनाकार ला बधाई कहिन हे । रचना के गुणवत्ता अउ दे गे विषय के अनुरूप रचना के आंकलन करत निर्णायक मन अपन निर्णय देइन जेखर अनुसार छत्तीसगढ़ के पागा कलगी -6 के पागा ला -
मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर
भाई के मुड़ी मा पहिराये जाथ हे । मिलन भाई ला गाड़-गाड़ा बधाई
सबो रचनाकार ले निवेदन अइसने आघू घला संग देवत रहिहव
धन्यवाद
छत्तीसगढ़ मंच