मंगलवार, 30 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//22//रामेश्वर शांडिल्य

मोर परेवा
आज राखी के तिहार तै आ जा मोर पास।
दुरिहा रहिके मोर मन ल झन कर उदास।
मै बिना भाई के तोला बलावथव।
राखी बांध के तोला भाई बनावथव।
तोर करा भाई के मया जोड़ देहेव।
गोड़ म राखी बांध के छोड़ देहेव।
जग ल सन्देश दे आ बहनी के
सब के देखभाल करो मिल के
मोर सादा परेवा शांति के ये सन्देश।
बगरा देबे पूरा देश बिदेश।
संकट म होही तोर ये बहनी जटायु कस बचा लेबे।
मोर दुःख पीरा ल पथरा कस पचा लेबे।
दाना पानी धर के अगोरत रहूँ।
खिड़की ले रस्ता निहारत रहूँ।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदी बाजार कोरबा

पागा कलगी-16//21//दिलीप वर्मा

मोर सुख दुःख के तें संगवारी, 
अब तोर हाबय सहारा । 
बिच भवर म फसे हाबय, 
तहिं लगा दे किनारा। 
आज पुनीमा सावन के ये, 
भाई जोहत रस्ता। 
मोर राखी म मया भरे हे, 
न मंहगा न सस्ता। 
जारे परेवना उड़ जा तेंहा, 
मोर भाई के देशे। 
राखी संग म लेजा भइया, 
ते मोरे संदेशे। 
कहिबे भइया तोर बहिनी ह, 
हाबय अबड़ अभागिन। 
महल अटारी भेज के मोला, 
दाई ददा ह तियागिन। 
दया मया ल राखबे भइया, 
आबे कभु मोर गांवे। 
राखी मेहा भेजत हाबव, 
बांध लेबे मोर नावे। 
जे रस्ता ले जाबे परेवना, 
उहि रस्ता ले आबे। 
जोहत खिड़की ठाढ़े रइहुं, 
भाई के सन्देसा लाबे।। 
दिलीप वर्मा 
9926170342

पागा कलगी-16//20//पी0पी0 अंचल

बहिनी के पाती ले जा रे परेवना,
भाई ल कही देबे संदेश।
बहिनी के राखी ले जा रे चिरइया,
प्रेम के देइ देबे उपदेश।।
भाई ल कहिबे परेवना,
बहिनी तोरे बने हावय।
संसो फिकर झन करही,
भांची भांचा रेंगत हावय।
कछु के फिकर न कलेश......
परेम के देही देबे उपदेश।।
अबड़ सुरता आथे तोरे,
भेंट होही त कहिबे।
दुःख के कोनो बतिया,
इहाँ के झन कहिबे।
आगू बढ़य बनय नरेश........
प्रेम के देही बे उपदेश।।
राखी मोरो बाँध लिही,
बहिनी बाँधथे समझ के।
मीठा बोली बोलिबे बने
गोथियाबे बात बने मगज के।
कड़ा गोठ म पहुँच थे ठेस.......
परेम के देहि देबे संदेश।।
अपनों खियाल रखही,
संग अपनों परिवार के।
काँटा गोड़ म झन गड़य,
पाँव रखही निमार के।
मोदक चढ़ाही उत्सव गणेश......
परेम के देहि देबे उपदेश।।
रचना:-
पी0पी0 अंचल
हरदी बाज़ार कोरबा

सोमवार, 29 अगस्त 2016

पागा कलगी-16 //19//कन्हैया साहू "अमित" *

आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
नान्हेंपन बङ होयेन झगरा,
बिटोवन भारी देखा के नखरा।
घेरी बेरी रिस, हांसे फेर निक,
रोवत हांसत खेलेन संघरा।।
मया पलपलाय जबर तभो छाती म।१
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
सुख पीरा जुरमिल के बांटेन,
एक दुसर बर लबारी मारेन।
बिपत म संगी,बखत म ठेनी,
लइकापन म पदोना डारेन।
सुररत रथंव सुरता दिन राती म।२
आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।।...
सीमा म डंटे तैं बन के सिपाही,
देस सेवा तोर जिनगी सिराही।
तिहार बहार सुरता अपार,
घर आये के कब संदेसा आही।।
अगोरा म निहारत रथंव मुहांटी ल।३
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
चिट्ठी पतरी सोर न संदेस,
बङ दुरिहा भाई गे परदेस।
बांध लेबे तैं मया डोरी कलई,
भेजे हंव असीस दुवा बिसेस।।
जोरे पठोएव परेवना पांव पांखी म।४
आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।।..
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।....
********************************
*कन्हैया साहू "अमित" *
शिक्षक~भाटापारा
जिला~बलौदाबाजार छ.ग.
©®............

पागा कलगी-16//18//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

परेवना राखी देके आ
---------------------------------------
परेवना कइसे जाओं रे,
भईया तीर तंय बता?
गोला-बारूद चलत हे मेड़ो म,
तंय राखी देके आ.......|
दाई-ददा के छईंहा म राहव त,
बईठार के भईया ल मंझोत में।
बांधो राखी कुंकुंम-चंदन लगाके,
घींव के दिया के जोत में।
मोर लगगे बिहाव अउ,
भईया होगे देस के।
कइसे दिखथे मोर भईया ह,
आबे रे परेवना देख के।
सुख के मोर समाचार कहिबे,
जा भईया के संदेसा ला.....|
सावन पुन्नी आगे जोहत होही,
भईया ह मोर राखी के बाट रे।
धकर-लकर उड़ जा रे परेवना,
फईलाके दूनो पाँख रे।
चमचम-चमचम चमकत राखी,
भईया ल बड़ भाही रे।
नांव जगा के ; दाई - ददा के,
बहिनी ल दरस देखाही रे।
जुड़ाही आँखी,ले जा रे राखी,
दे जा भईया के पता........|
देखही तोला भईया ह परेवना ,
त बहिनी के सुरता करही रे।
जे हाथ म भईया के राखी बँधाही,
ते हाथ देस बर जुग-जुग लड़ही रे।
थर-थर कापही बईरी मन ह,
भईया के गोली के बऊछार ले,
रक्छा करही राखी मोर भईया के,
बईरी अउ जर - बोखार ले।
जनम - जनम ले अम्मर रहे रे,
भाई - बहिनी के नता.............|
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-16 //17//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

जा रे कबूतर जा राखी के सन्देसा देके आ
मयारू भाई ला ए बहिनी के खबर देके आ
गजब दिन होंगे भाई तै आए काबर नई
तै मोला अपन खबर भेजवाय काबर नई
जा रे चिरइया भाई ला मोर पाती देके आ
जा रे कबूतर जा राखी के सन्देसा देके आ ।1।
रक्षा बंधन तिहार भाई मैं कईसे तोला भुलाहु
साल के रहिथे अगोरा मोर पीरा तोला सुनाहु
मोर भाई मोला भुलाहि झन पाती देके आ
जा रे कबूतर जा राखी के सन्देसा देके आ ।2।
मोर मन के पीरा अंतस के पता भेजे हौं
राखी संग मोर हिरदे के व्यथा भेजे हौं
बइठे हौं रद्दा जोहत जा मोर पाती देके आ
जा रे कबूतर जा राखी के सन्देशा देके आ ।3।
CR
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

पागा कलगी-16//16/सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

संगी मोर परेवना आबे।
आतो तै मोर मइके जाबे।
उहां हे मोर सुरता के कुरिया।
रहिथे जिहां दुलरुवा भैया।
पहुंच कपाट के कुंडी अइठबे।
पांयलगी कर कलाई म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर बहिनी के राखी ल...
उहां ले उड़बे सुरता के बारी।
जिहां मिलही मोर महतारी।
ओंढ़ के ओकर अंचरा लुकाबे।
चेत लगाके सुन झन भुलाबे।
गर पोटार के कोरा म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर दुलौरीन के पाती ल...
उहां ले उड़ जाबे बहरा खार म।
बइठे होही मोर ददा पार म।
मयारू ददा के पांव ल छूबे।
पांव छुवत झन आंसू बहाबे।
संउहे खड़े हो पांख फइलाबे।
पांख फइलाय गुटर गू कहिबे बताबे।
कतर गे तोर चिड़िया के पांखी ह...
भेजे मोला पहुंचाये बर राखी ल...
झन गिराबे आंसू ददा आंखी ल...
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा

शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

पागा कलगी-16 //15//लक्ष्मी करियारे

तर्ज -- सुवा गीत
* अँचरा ल चीरी-चीरी चिट्ठियाँ भेजत हव रे परेवना के
लेजा मोर भइया बर सोर..
न रे परेवना के लेजा मोर भइया बर सोर...
* भाई - बहिनी के मया ये बंधना राखी अमरादे रे परेवना के जिंवरा अमर होइ जाए तोर..
न रे परेवना के जिंवरा अमर होइ जाए तोर...
* बहिनी के मया चिनहा सूत हे कच्चा न रे परेवना के बाँधी लेबे रेशमी डोर..
मोर भइया ग बाँधी लेबे रेशमी डोर...
* राखी तिहार मइके गजब हे दुरिहा रे परेवना के सुरता आँसु भीजे अंचरा छोर..
न रे परेवना के सुरता आँसु भीजे अंचरा छोर...
* चंदा कस उज्जर मोर भइया के मुख लागे न रे परेवना के माथे चंदन तिलक अंजोर..
न रे परेवना के माथे चंदन तिलक अंजोर...
* नंजर झन लागे मोर भइया ल ककरो रे परेवना के लेजा काजर आंखी के कोर..
न रे परेवना के लेजा काजर आंखी के कोर...
* सुख - सुख बितय मोर भइया के जिनगानी न रे परेवना के देबे आशीष करव विनती कर जोर..
न रे परेवना न के देबे आशीष करव विनती कर जोर...
लक्ष्मी करियारे 

पागा कलगी-16//14//निशा रानी

सावन के महीना आगे 
सावन म होते राखी
परदेश म तै रथस भइया
कैसे भेजो तोर ब राखी
1 चिट्ठी पतरी लिखे नई जानव
कैसे लिखव चिठिया
बड़ दिन तोला देखे होगे
आँखि म झुलत हे तोर सुरतिया
सावन के .......
2 परेवना करा भेजत हव
मैं ह तोर बर राखी
येला तै पहिर ले भइया
मोर जुड़ाही छाती
सावन के.......
3 परदेस म तै खुश रहिबे
ये मन के विश्वास ये
कच्चा सूत झन समझ
ये हमर मन के मिठास ये
सावन के......
4भाई - बहिनी के मया पिरित के
सावन महीना खास हे
जम्मो बहिनी भाई मन ल
सावन के रहिथे आस हे
सावन के.......
निशा रानी 
जाँजगीर
छत्तीसगढ़

गुरुवार, 25 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//13// गुमान प्रसाद साहू


लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
पहूचा देबे मोर भइया अंगना,बन जाबे मया के तै साखी।
राखी संग तै लेजा परेवना,
भइया बर मोर मया चिनहारी।
ले के संदेशा उतर तै जाबे,
भइया के मोर अंगना दूआरी।
रसता ल तोरे जोहत हे कहिबे..
बहिनी तोर गड़ाये आंखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
कहि देबे संदेशा भईया ल,
बने बने हावय बहिनी तोर।
नइ आ पावे बहिनी तोर आसो,
बांध लिही भइया राखी ल मोर।
सोर संदेश मोर मइके के लाबे,
फैलाके परेवना तै ह पाँखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
दाई ददा के मोर सूध ले लेबे,
ले लेबे सूध भऊजाई के।
करत रथे कहिबे तुहरे सुरता,
बचपन के सूध ल लमाई के।
पहूचा संदेशा तै लहूट आबे परेवना,
लकठीया गे हे तिहार राखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी ) मो.9977313968
आरंग जिला-रायपुर

पागा कलगी-16 //12//नवीन कुमार तिवारी,


रद्दा देखत हवे रे,,
रद्दादेखत हवे,
अमरो्तींन भोजी हा,
अपन छुटकुन भय्या के,
रद्दा देखत हवे,,
आँखी ले झिमिर झिमिर ,,
धारा बोहावत हवे रे,
आँखी ले,,
फेर कहां लुकाये हवे,छुटकुन हा
नदिया डोंगरी छान डारिस भोजी हा,,
अपन छुटकुन भय्या के,
रद्दा देखत हवे,,
आँखी ले झिमिर झिमिर ,,
धारा बोहावत हवे रे,
आँखी ले,,
कोन बताही संगी वीर सैनिक के बात,
नायक बनके गे रिहिस कश्मीरके घाट
वीर छुटकुन लड़ीस आतंकी संग
भारी पढगे आतंकी के घात
अलकरहा होगेरे घाटी कशमीर माँ
शहीद होगे रे छुटकुनभय्या घाटी कश्मीर मा,
कोन बताही संगी वीर सैनिक के बात,
रद्दा देखत हवे रे,,
रद्दादेखत हवे,
अमरो्तींन भोजी हा,
अपन छुटकुन भय्या के,
रद्दा देखत हवे,,
नवीन कुमार तिवारी,,,,

पागा कलगी-16//11//ज्ञानु मानिकपुरी"दास"


काबर फरकत हे गज़ब आज मोर आँखी
भाई बहिनी के मया के तिहार आवत हे राखी।
जा जा रे सुवना जल्दी उड़ावत दोनों पाखी
पहुँचा दे रे सुवना मोर सन्देशा के पाती।
झन बिलम जाबे रे सुवना कोनो तिरा
देखत होही भाई रद्दा धधकत हे मोर छाती।
बलम परदेशिया सास ससुर बीमार हे
दाई ददा के शोर कर लेबे कहि देबे नइ आवत हे तोर बेटी।
जल्दी जा रे मोर बिपत के हरइया संगी
सुरता आवत हे मइके के जा रे मोर सेती।
संगी सहेली अउ गांव बस्ती के शोर ले लेबे
सबके कर लेबे हाथ जोड़के बिनती।
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी-16//10// राजेश कुमार निषाद


।। ले जा मोर राखी के संदेसा ।।
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
राखी तिहार आगे हे लकठा
अब तै मोला झन अगोर।
बड़ दुरिहा म रहिथे मोर भईया
ओ हर मोला सोरियावत होही।
बहिनी के मया ल भुलाही कईसे
संगी जहुरिया करा अपन गोठियावत होही।
धीरे धीरे जाबे झन करबे तै सोर
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
खेलई कुदई कईसे भुलावंव मैं लईका पन के।
भईया मोर राहय संगवारी बरोबर बचपन के।
तीर म राहंव त मया दुलार ल पावंव।
राखी के तिहार म हाथ म राखी बांधव।
जाके भईया ल मोर कहिबे
बड़ सुरता करत रहिथे बहिनी तोर।
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
राखी तिहार साल म एकेच बार आथे
पर भाई बहिनी के मया ल कोनो कहाँ भुलाथे।
दाई ददा ले तो जनम पाये हन
बहिनी के रक्छा करे के वचन भाई ह निभाथे।
अइसे लगत हे मोला देख आतेंव भईया ल मोर
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
राखी तिहार आगे हे लकठा
अब तै मोला झन अगोर।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी-16//9//टीकाराम देशमुख "करिया"


मुड़ी---"जा रे ,जारे परेवना"
जा रे जारे परेवना,उड़ी जाबे भइय्या के देश
बांध देबे राखी ला.... तैंहा परेवना
कहि देबे "मया के संदेस".......
जा रे जारे.......
१.भाई ह रहिथे, मोर देश के चउहद्दी मा
करथे सब के रखवारी
जुड़ अउ घाम ला नई चिन्हय परेवना
नई जानय....होरी अउ देवारी
राखी के डोरी ला ,देख के हरषाही
करम-धरम के ओला सुरता देवाही
सिरतों कहत हौं , ...तैंहा देख
जा रे जारे परेवना..........
२. भइय्या ह रहिथे रे ,दुरिहा नंगर ले
गाँव मा करथे रे.....किसानी
माटी करम ओखर, माटी धरम हे
माटी ले हाबे रे... मितानी
हरियर डोरी ला , देख के गदकही
सोनहा गोंटी जस अन्न जब मटकही
बहिनी के मया ला... झन छेंक
जा रे जारे.........
३. एक ,दू नही तीन ,चार रे परेवना
भइय्या हाबे मोर हज़ार
डॉक्टर,बिज्ञानिक,पुलुस हे कोनो हा
गुरुजी ,कोनो बनिहार
मिलके सबोझन हा, देश ला चलाथे
मया हे सबबर अपार
दाई केहे हे झन मान तैंहा ऊंच-नीच
सबो ला एक मा सरेख...
जा रे जारे परेवना, उड़ी जाबे भइय्या के देश
बाँध देबे राखी ला , तैंहा परेवना
कहि देबे ....मया के संदेस
जा रे जारे..............
© टीकाराम देशमुख "करिया"
स्टेशन चउक कुम्हारी, जिला -दुरुग (छ.ग.)
मोबा.-९४०६३ २४०९६

पागा कलगी-16//8//ओमप्रकाश घिवरी*


*राखी*
ले जा रे परेवना ...,
राखी ला मोर भईया बर ।
मोर जीनगी मा ...,
सुख दुख के सोर करईया बर ।
मोर भईया मोर आँखी दुनो ,
जीनगी के रस्दा देखाथे ।
मन के राखे मोर सपना ला ,
भईया हा सिरजाथे ।
सुख दुख मा आगू पाँछू ,
मोर भईया हा आथे ।
भाई बहिनी के मया का होथे ,
तेला सब ला बताथे ।
नान पन मा मोर संग ,
हँस हँस के खेल खेलईया बर ।
ले जा रे परेवना ......,
खेल खेलत मा भाई बहिनी संग,
गुँजय जम्मो पारा हा ।
खो-खो फुगड़ी डंडा पचरंगा मा ,
झूलय बर के डारा हा ।
सुरता करत बात ओ दिन के ,
गुनत हे मन के भाखा हा ।
छलकत रहिथे मोर आँखी ले ,
मया के असुवन धारा हा ।
झन बिलम परेवना जल्दी जा ,
मोर खबर के लेवईया बर ।
ले जा रे परेवना ...,
राखी ला मोर भईया बर ।
मोर जीनगी मा .....,
सुख दुख के सोर करईया बर ।
*✍🏻रचना*
*ओमप्रकाश घिवरी*

पागा कलगी-16//7//जगदीश "हीरा" साहू


@ राखी @
भाई बहिनी के मया जोरे बर, आगे राखी तिहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
तोर गोड़ मा मोर मया के, चिन्हा आज बंधाये हे ।
तोर रंग कस सुघ्घर सादा, राखी तिहार आये हे ।।
जाके बताबे भइया ला मोर, नई आये सकौं ये बार।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
मोर भइया ला जाके तै, मोर मन के बात बताबे ।
दाई ददा ला खुस हौ मैंहा, इही संदेसा सुनाबे ।।
खिड़की ले देखत रइहौं मैंहा, रस्ता तोर निहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
धनी गे हे परदेस जे मोरे, जिनगी के आधार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
जगदीश "हीरा" साहू , कड़ार (भाटापारा)
9009128538, (२१८१६)

पागा कलगी-16//6//ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

उड़ ले जा संदेशा परेवना, बांध मया के पाखी।
दूर बसे हे दुलरवा भाई, कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
गोदी तोर खेलेंव कुदेंव, महकेंव फूल अंगना,
साथ रोयेन साथ हसेन, झुलेन मया के झूलना,
पाये बर ममता दुलार,आंसू बहथे दुनो आंखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
एक पेड़ के दु डाली बन,उलहोयेन अलग पान,
तै बढ़ाये शान पीढ़ी के,मैं रखेंव माइके के मान,
रक्षा करबे देश,बहन के,कसम हे वर्दी खाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
नइ मांगव मैं सोना चांदी, नइ मांगव कुछु गहना,
माँ बाप के सहारा बनबे,गोहरावथे हे तोर बहना,
थेगहा बनबे बुढ़ापा के, झन पकड़ाबे बैसाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
बहन सबके अभिमान हे,बहन हे सबके शान,
बहन से ही आगे देश हमर, देख लव परमान,
नमन!नमन!प्यारी बहना,पी वी सिंधु अउ साक्षी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
💍✍रचना-ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"
बिलासपुर(छ.ग.)
मो.नं.-८८८९७४७८८८

पागा कलगी-16 //5//लक्ष्मी नारायण लहरे, साहिल

जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल 
-------------------------------------------
जा उड़ जा नीला गगन म 
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
भाई के आखी ले बहत होही आंसू
अबड देर होगे जा जा उड़ जा रे नीला गगन म
जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल
नानकुन म एके संग खेलें -कूदेंन
अब बचपन आथे सुरता
दाई के कोरा ,बाबू के मया
भाई के दुलार
आज राखी के हे तिहार मोर भाई करत होही मोर सुरता
मने मन रोवत होही
आंखी ले आंसू बोहत होही
कई बछर होगे मिले भाई ल
आज अबड सुरता आवत हे
कोन जानी भाई ह का सोचत होही
मने मन रोवत होही
हाथ ल घेरी बेरी देखत होही
मोर सुरता म बहिन ल खोजत होही
जा जा रे उड़ जा परेवना
जा उड़ जा नीला गगन म
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
भाई के आखी ले बहत होही आंसू
अबड देर होगे जा जा उड़ जा रे नीला गगन म
जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल
बहिनी के मया ल झन भुलाही
पुराना राखी ल हाथ म बांधे होही
मोर भाई मोर आये के आस म
रसदा ल झांकत होही ....
जा जा रे उड़ जा परेवना
जा उड़ जा नीला गगन म
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
० लक्ष्मी नारायण लहरे, साहिल ,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़

पागा कलगी-16//4// लक्ष्मी गोपी मनहरे


अंतरा- जाना रे परेवना कहिदे संदेश
बछर भर होगे भाई गेहे परदेश

पर(1) अखियन ले आसु बोहाये सुरता म तोर
तरसत हे बइरी नैना भाई कर लेते मोरो सोर
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(2) राखी मया के डोरी हरय पबरीत धागा
जूग जुग ले भाई बहिनी अमर रहि नाता
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(3) आगे पावन राखी भाई हवय तोर अगोरा
घेरी बेरी झाकव दुवारी हवय तोर निहोरा
हिरदे मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
रचना लक्ष्मी गोपी मनहरे
गांव पथरपूंजी बेरला
जिला बेमेतरा

//पागा कलगी- 15 के परिणाम //





संगी हो जय जोहार
पागा कलगी 15 के मंच संचालक भाई मिलन मलरिहा द्वारा देगे विषय ‘देश बर जीबो देश बर मरबो‘ मा 30 रचना आइस । ये प्रतियोगिता के निर्णायक
श्री तुकाराम कंसारी, संपादक राजिम टाइम्स
श्री देवेन्द्र परिहार, प्रख्यात राष्ट्रवादी, राष्ट्रीय कवि रहिन।
ये दरी परिणाम देवब मा थोकिन देरी होगे येखर बर क्षमा चाहत हंव । कारण ये रहिस के हमर दू निर्णायक म के एक झन के निर्णय कल आईस, दूनों निणायक के गहन अध्ययन अउ भाव शब्द के आंकलन ले जेन निर्णय देईन ओ अनुसार
ये प्रतियोगिता के विजेता हे-
पहिली-श्रीचोवा राम वर्मा " बादल"
हथबंद
9926195747
दूसर-श्री गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी )
थाना-आरंग ,जिला-रायपुर छ.ग.
9977213968
तीसर- श्री राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983
प्रशंसा के लइक- श्री दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार
अउ मनमोहन सिंह ठाकुर
हनुमान चौक ,खरसिया .
सबो विजेता संगी मन ला करेजा के अंतस ले बधाई

शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

पागा कलगी-16 //3//संतोष फरिकार

जा जा रे मोर पडकी परेवना
""""""""""""""""""""""""
जा जा रे मोर पड़की परेवना
तय मोर मंईके बर ऊड़ जा ना
मोर भैया बर राखी छोड़ आ ना
जा जा रे मोर पड़की परेवना
मोर दाई ददा के संदेसा ले आबे
काय काय बुता करत हे पुछ लेबे
मोर संगी सहेली के सोर ले लेबे
भैया भंऊजी संग मील के आबे
जा जा रे मोर पड़की परेवना
मोर संदेस पुछही त दाई ल बताबे
तोर बेटी बेटी ह बने बने हवय
दाई ददा के सुरता करत रहिथे
भैया भंऊजी के नाव लेवत रहिथे
जा जा रे मोर पड़की परेवना
मोर दाई ददा कन बंईठ के आबे
बने हाल चाल पुछ के ही आबे
मोर मंईके के खेत खार घुम आबे
भैया के संग दीन भर बिता लेबे
जा जा रे मोर पड़की परेवना
****************************
रचनाकार
संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
# मयारू
९९२६११३९९५

पागा कलगी-16 //2//चोवा राम वर्मा" बादल "

उड़ जा रे परेवना,भईया बर राखी पहुंचाबे ।
काली हे राखी के तिहार, झन कोनो मेर बिलमाबे ।
नानपन म दाई-ददा सिरागे,
पालिन भउजी भईया ।
दुःख के घाम कभू नई पाएवं,
राखिन अंचरा छंईया ।
बड़ दिन होगे देखे नई अवं,झटकुन आहीं बलाबे ।
उड़ी जा रे परेवना,भईया बर राखी पहुंचाबे ।1
ददा के पाछू ददा बरोबर,
बड़का भईया ह होथे ।
छोटे भाई ह दीदी कहिके ,
घातेच्च मया ल पुरोथे ।
बड़ पबरित ए पिरित के धागा,झन कहूँ तैँ गिराबे ।
उड़ी जा रे परेवना , भईया बर राखी पहुंचाबे ।2।
मोर धनी परदेस गेहे ,
कब आही नइये संदेसा ।
सास-ससुर के सेवा में हौं ,
हाबय मोरे भरोसा ।
मै जातेवं फेर का करवं,फोर फोर के बने समझाबे ।
उडी जा रे परेवना , भईया बर राखी पहुंचाबे ।3 ।
सुभ मुहुरुत म भईया पहिनहि,
बहिनी के भेजे राखी ।
पन करही मोर रक्छा करे के,
सुरुज देंवता ल देके साखी ।
कतका फभही भईया ल राखी,आके मोला बताबे ।
उड़ी जा रे परेवना,भईया बर राखी पहुंचाबे। ।4।
आबे तहाँ ले तोला रे भाई,
जेन खाबे मैं खवाहूँ ।
तोर थकासी फुर्र हो जाही,
नंहँवा , डेना सहलाहूँ ।
पाछू बछर कस तीजा पोरा म, मोर संग मइके जाबे ।
उड़ी जा रे परेवना , भईया बर राखी पहुंचाबे ।
काली हे राखी के तिहार, झन कोनो मेर बिलमाबे ।5।
(रचनाकार --चोवा राम वर्मा" बादल ")
हथबंद
दिनांक----17 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//1//बंटी छतिसगढिया

ऐ रे परेवना जा
मोर भैया के देश रे
भैया हाबे आन देश
बहिनी मै आन रे
ले जा ले जा रे परेवना
मोर भैया बर संदेश रे
रदॣदा जोहत हाबे बताबे
बहिनी ससुरे देश मे
राखी के तिहार म भाई
ले वा के ले जा अपन देश रे
ऐ रै परेवना जा
मोर भैया के देश रे ।।।।
दाई ददा तिही रे भाई
तोर आश म आहू ग
तोर छोरे लहू के मै
तोला कईसे भूलाहू ग
मोर भरोसा तिही भैया
राखी के फरज निभाबे
हाबे अगोरा ऐ ग भैया
मोला अपन देश
ले वा के ले जाबे
ऐ रे परेवना जा
मोर भैया के देश रे
भैया ल कहि दे बे संदेश ।।।
तोर बहिनी बेटी हो भाई
तिही मोर महतारी ग
तोर कोरा म खेले बाढे
तिही पराये भावर
मोर घर दुवारी बसाये भाई
मोला ले वा के जा भाई
तोर अगोरा हाबे मोला
तिही मोर ददा दाई
ऐ रे परेवना जा
मोर भैया के देश
भैया ल दे देबे संदेश ।।।।
++++++++++++++++++++++
गलती होही क्षमा करहू ग
मै नवसिखिया नादान
क्षमा करे जे भगवान बरोबर
क्षमा करे ते महान ।।।।

//पागा कलगी 16 के रूपरेखा//

//पागा कलगी 16 के रूपरेखा//

अवधि-16 अगस्त16 से 31 अगस्त तक

विषय- दे गे चित्र के अनुसार
संचालक- श्री आचार्य तोषण चुरेन्द (पागा कलगी-7 के विजेता)

निर्णायक-श्री दीनदयाल साहू, सहायक संपादक चौपाल, हरिभूमि
श्री राजकमल राजपूत वरिष्ठ साहित्यकार, थानखम्हरिया बेमेतरा

नियम-छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता पागा कलगी 15 के रचना सीधा छत्तीसगढ़ी मंच मा पोष्ट करना हे । जेन रचनाकार छत्तीसगढ़ी मंच के सदस्य नई हे, ओ एडमिन मन के व्यक्तिगत वाटशॅंप म भेज सकत हंे । कानो सार्वजनिक वाटशाॅप/फेसबुक समूह से रचना नई देना हे । प्रतियोगिता अवधि तक प्रतियोगिता के रचना केवल फेसबुक समूह छत्तीसगढ़ी मंच अउ ब्लाग पागा कलगी भर म होही । यदि रचना अंते तंते पाये जाही त रचना ला प्रतियोगिता से बाहिर कर दे जाही ।

विधा - अइसे विधा के बंधन नई हे, फेर काव्य के कोनो विधा मा रचना दैं त विधा के संक्षिप्त जानकारी रचना के पहिली दू डांड म देवंय त जादा अच्छा रहिही । जेखर ले नवा रचनाकार मन ओ विधा ला आत्मसात कर सकय । विधा के ज्ञान नई होय त विधा के नाम मत देवंय ।
विशेष- रचना हर स्थिति म चित्र ला शब्द देवत होय, विषय ले भटके रचना ला अमान्य कर दे जाही ।
प्रतिभागी रचना छत्तीसगढ़ी मंच ला छोड़ के अंते पोष्ट नई करना हे ।

पागा कलगी-15 //29//आशा देशमुख

| देश बर जीबो देश बर मरबो |
बैरी बैरी सब कथे ,असली बैरी कौन |
घर मा बइठे भेदिया ,देश ल बेचय जौंन ||
ये माटी चंदन अय भइया ,माथ म अपन लगावव |
पहली तो घर के बैरी ला ,कसके धूर चटावव |
जेन करय दाई के सौदा ,वो सपूत का होही |
मुड़ी मुड़ाके गली घुमावव ,तर बत्तर वो रोही |
ज्ञान रतन भंडार भरे हे ,ये भारत भुंइया मा |
रहना चाहे सब दुनियाँ हा , येकर गा छइहाँ मा |
आगी बर आगी बन जावव ,पानी बर गा पानी |
झन करन देवव अब बैरी ल ,अपन इहाँ मनमानी |
भारत भुइयाँ के सब लइका , सब मिल मान बढ़ावव |
एकर रक्षा के खातिर सब,सरबस अपन लुटावव |
ये धरती मा जनमे हावे ,सरग के जम्मो देवता |
जइसे लागे पाये हावे,झारा झारा नेवता |
जतका इहाँ जयचंद लुकाए,खोज खोज के मारव
इकर बंधना ले धरती ला ,सब मिल के मुक्तावव |
ये दाई झन कर तै चिंता ,तोरे सेवा करबो |
तोरे अंचरा मा हम जीबो ,तोर पँउरी म मरबो |
, जय हिन्द जय भारत,
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
छत्तीसगढ़

सोमवार, 15 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//28// ललित वर्मा,"अंतर्जश्न"

बिसय: देस बर जीबो देस बर मरबो
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
बीते बरस के जगतगुरू ल,फेर पागा पहिराबो रे
ललकारत हे पाकिस्तान,चीन खडे हे छाती तान
कस्मीर अउ अरूनाचल म, जबरन बईठे हे बेईमान
अईसन सांप-छछूंदर मन ल, कूचर-कूचर के जलाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
हुतकारत हे आज परधान, फूफकारत हे गबरू-जवान
जुरमिल देस ल टीप लेगेबर, जबर जोस संग धरे कमान
अईसन देस के अघुवा मन ल, कांध-मुडी म चढाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
गडियाथे झंडा मंगलयान, सहराथे दुनिया के बिग्यान
ब्रम्होस हे ब्रम्हास्त्र बरोबर, बोफोर्स धरे हे अग्निबान
अईसन देस के गरब हवय त, काबर नई इतराबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो,देस ल जबर बनाबो रे
बीते बखत के जगतगुरू ल, फेर पागा पहिराबो रे
रचना:- ललित वर्मा,"अंतर्जश्न" 
छुरा

पागा कलगी-15//27//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

देश बर जीबो देश बर मरबो
आवव जुरमिल इही परन करबो,
देश बर जीबो देश बर मरबो।
कुकरा बासत नांगर धर जाबो,
खेती किसानी जांगर भर कमाबो।
सोनहा अन्न उपजाये खातिर,
धरती दाई के सेवा करबो।
भूंख गरीबी ल दुरिहा करे बर,
आवव संगवारी कमर कसबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
आधा दिन हम जनता कर जाबो,
जनता जनार्दन के अशिष पाबो।
जेकर वोट से मंतरी बने हन,
ओकर किरपा करजा उतारबो।
समस्या ल उंकरो हल करे बर,
जोहारे चिट्ठी थइल म धरबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
तोर उपर आंच नई आवन दन,
सरहद म मां तोर लाल खड़े हन।
दुश्मन मुड़ी टकराके फुट जही,
पहाड़ के पथरा सरिक अड़े हन।
देश के माटी के रक्षा खातिर,
बैरी के टोंटा म हाथ धरबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
राष्ट्र निर्माता के उपाधी संग,
शिक्षा के भार भरोस खांध मढ़ाय हन।
शिक्षक के आदर मान संग,
नमस्ते गुरूजी के सम्मान पाय हन।
नवा पीढ़ी के उज्जवल रद्दा बर,
ज्ञान जोरन उंकर हांथ म धरबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
आवव जुरमिल इही परन करबो,
देश बर जीबो देश बर मरबो।
रचना:-- सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा

पागा कलगी-15//26//डोल नारायण पटेल

संगी जंवरिहा भाई बहिनी अउ जम्मो मितान जी,
अउ जम्मो मितान जी ।
मई बाप अउ लोगन लइका आवा सबो सियान जी,
आवा सबो सियान जी ।
बेरा हावे जुरमिल के सब, बेरा हावे जुरमिल के सब,
एक परन ला करबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
सुघ्घर सुघ्घर भारत मैय्या के अंचरा हर धानी हावे,
के अंचरा हर धानी हाव ।
अन्न पानी के एकर अमृत दुनिया के महारानी हावे,
दुनिया के महारानी हाव ।
माटी के महिमा देवतन गाईन, माटी के महिमा देवतन गाईन ।
धुर्रा मुड़ मा धरबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
भारत भुइंया के महिमा ला तुलसी बबा हर गाईन हे, तुलसी बबा हर गाईन हे ।
कोरा एखर गंगा बहथे धैन धैन एला बताइन हें, धैन धैन एला बताइन हें ।
धरम थापैया राम किशन के, धरम थापैया राम किशन के ।
कहे डगर मा चलबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इशाई जम्मो बहिनी जम्मो भाई, जम्मो बहिनी जम्मो भाई ।
भारत माता के लइका हावन एके हावे सबके माई, एके हावे सबके माई ।
रकम रकम के फुलवा होके, रकम रकम के फुलवा होक ।
हरबा एके गढ़बो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
सबो तिरंगा लेके आवा आगू बढ़ते जाना हे, आगू बढ़ते जाना हे ।
बन्दे मातरम् बन्दे मातरम्, बन्दे मातरम् गाना हे,
बन्दे मातरम् गाना हे ।
एक डोरी मा बंध के रहिबो, एक डोरी मा बंध के रहिबो ।
काकरो ले नई दरबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
धरम जात के कोनो झगरा में हमला नई परना हे, में हमला नई परना हे ।
गौतम गांधी अउ भगत के थाथी जतन ले धरना हे, थाथी जतन ले धरना हे ।
टेड़गा देखयेया के छाती मा, टेड़गा देखयेया के छाती मा ।
गोला बनके परबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
जौन देश मा जनमेंन बाढ़ेन खेलेंन् कूदेंन् खाएन जी, खेलेंन् कूदेंन् खाएन जी ।
भारतवासी कहलाएंन् अउ अड़बड़ सुख ला पायेन जी, अड़बड़ सुख ला पायेन जी ।
ओकर मान ला राखै खातिर, ओकर मान ला राखै खातिर ।
जिंदगी अर्पन करबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
-
/
डोल नारायण पटेल
तारापुर - रायगढ़ छ0ग0

पागा कलगी-15//25//गुलाब सिंह कंवर "गुलाब "

तुलसी ,संत रविदास मीरा
गौतम नानक अउ कबीरा
किशन कन्हैया मथुरा म जनमीन
अवध पुरी रघुवीरा...
देवी देवता के धाम इहाँ
भीड भडक्का भारी .....
देस बर जीबो देस बर मरबो
जाऔ मैं बलहारी ......
इहाँ खेत खलिहान हे
गहू बाजरा धान हे
मेहनती मजदूर किसान इहाँ
संग संगवारी मीतान हे
कोदो कुटकी राहेर तिवरा
लगे हावय उन्हारी ........
देस बर जीबो देस बर मरबो
जाऔ मैं बल हारी .....
आनी बानी के बोली भाखा
धरम पंथ के अबड शाखा
मिलके सब रिथन इहाँ
न अड़चन ..न ..कोनो बाधा
अनेकता म एकता हमर
भारत के हावय चीन्हारी ....
देस बर जीबो देस बर मरबो
जाओ मैं बलहारी .......
******************************
गुलाब सिंह कंवर "गुलाब "
मा .शा .-नवापारा
खरसिया
जिला -रायगढ़ छ .ग .

पागा कलगी-15 //24//ओमप्रकाश घिवरी

देश बर जीबो देश बर मरबो ।
धन हे मोर भारत, भुईयाँ के माटी ल,
देवत हे चारा सब ला , चीर के अपन छाती ल ।
अईसन महतारी के , सेवा ल करबो ।
देश बर जीबो , देश बर मरबो ।
खाँध म खाँध जोर के ,एके संग रहना हे ।
सबो परानी ल जुर मिल के , सुमत के रस्दा गढ़ना हे ।
मोर देश के माटी पबरित, ईही माटी मा तरबो ।
देश बर जीबो , देश बर मरबो ।
रचना
ओमप्रकाश घिवरी

पागा कलगी-15//23//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

"देश बर जीबो अउ देश बर मरबो"
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गीत
------
बंदे मातरम् बंदे मातरम् गाबो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
1-भूल जावव संगी मज़हब के बात ल।
झन करव संगी मतलब के बात ल।
मनखे अव मनखे बनके रहव जी।
गीता के संग कुरान घला पढ़व जी।
हिन्दू-मुस्लिम,सिक्ख-ईसाई संग साथ रहिबो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
2-सरग ले सुघ्घर ये पावन धरा हे।
जिहा बहत तिरवेनि के अमरितधारा हे।
बैर,कपट ,राग,द्वेष ल छोड़व जी।
सबले भाईचारा के नता जोड़व जी।
ऊच-नीच, जाति-पाती के भेदभाव ल दूर करबो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
3-तोर सेवा करत कतको होंगे बलिदानी।
आज़ादी मिले हमला वीर सपूत मनके क़ुरबानी।
आवव सब जुरमिल के येखर जतन करि।
देश बर अपन जिनगी ल अरपन करि।
येखर सम्मान बर सदा लड़बो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
4-हरदम नेक रसता म चलबो।
देशसेवा,देशहित बर काम करबो।
मातृभूमि बर सदा निछावर रहिबो।
बईरी दुश्मन ल मज़ा चखाबो।
लहर लहर तिरंगा ल लहराबो।
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
बंदे मातरम् बंदे मातरम् गाबो।
देश बर जीबो अउ देश मरबो।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा
9993240143

पागा कलगी-15 //22//शुभम् वैष्णव

अपन देस बर जीबो-मरबो (चौपाई)
अपन देश बर जीबो मरबो।
जतना हिम्मत ततना करबो।।
मुड़ी घलो कटवा देबो जी।
मर के जस अमरत पाबो जी।।
एहि ह माता अउ एहि पिता।
एखर बखान ल करव कतका।।
महतारी हम मानबो अपन।
सुमरत रहिबो जी जनम जनम।।
एखर माटी जस सोना हे।
अमरत जइसे माँ गंगा हे।।
इहाँ सबो भगवान बसय जी।
जनम इहाँ बरदान हरय जी।।
सुन ले मोरो कहना भइया।
देश हरय ग साक्छात मइया।।
एखर तैं ह जतन तो करले।
अपन देश बर जीले मरले।।
खेत खार अउ बारी कोला।
माटी धरती माटी चोला।।
दुनिया भर के देव बसे हे।
सियान मन तो एहि कहे हे।।
दुसमन बइठे घात लगाए।
अपन करम ले जात बताए।।
मार नई तो मर जा तैं हा।
सहीद हो के तर जा तैं हा।।
भ्रष्टाचार ह एखर दुसमन।
बसे देस मा पापी जन-मन।।
चलव संघरावव तो भाई।
देस ल देस बनावव भाई।।
हरय संत महंत के धरती।
कइसे कोनो कबजा करही।।
सच के हिम्मत देखा देबो।
ए जिनगी अरपित कर देबो।।
-शुभम् वैष्णव
नवागढ़, बेमेतरा

पागा कलगी-15//21//लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल,

बिषय---देश बर जीबो, देश बर मरबो .....
----------------------------------------
देश बर जीबो ,देश बर मरबो ....
सुन ले ग संगवारी मोर मितान
हमर भारत देश हे महान
हमन छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया
जय जवान -जय किसान
हमर भारत देश हे महान
वीर सपूत सुभाष - आजाद के हे हमर देश
गांधी - अम्बेडकर अउ खुदीराम बोस के अमर हे कहानी
लक्ष्मी बाई , सरोजनी जी ल देश के पहचान
हमर तिरंगा झंडा देश म हे महान
आजादी के लड़ाई म वीर सपूत मन दे दिन बलिदान
हांसत -हांसत फांसी म झूल गिन भारत माता के लाल
ऐसे हे हमर भारत के पहचान
हमर भारत देश हे महान
मया प्रीत के सन्देश भेजत हंव
सुन ले ग संगवारी मोर मितान
हमर भारत देश हे महान
हमन छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया
जय जवान -जय किसान
हमर भारत देश हे महान
देश बर जीबो ,देश बर मरबो ....
सुन ले ग संगवारी मोर मितान
हमर भारत देश हे महान
जब - जब देश म बिपति आही
हांसत - हांसत देबो जान
भारत माता के हमन लाल
जय - जवान, जय किसान
अमर शहीद के राख़ु ग मान
जिनगी म जब मिलही मौका
हांसत -हांसत देदुहू अपन प्रान
भारत माता के करहु ग मान
हमर भारत देश हे महान
हमन छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया
जय जवान -जय किसान
० लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़
मो० ९७५२३१९३९५

पागा कलगी-15 //20//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

देस बर जीबो,देस बर मरबो।
------------------------------------------
चल माटी के काया ल,हीरा करबो।
देस बर जीबो , देस बर मरबो।
सिंगार करबों,सोन चिरंईया के।
गुन गाबोंन , भारत मईया के।
सुवारथ के सुरता ले, दुरिहाके।
धुर्रा चुपर के माथा म,भुईंया के।
घपटे अंधियारी भगाय बर,भभका धरबो।
देस बर जीबो , देस बर मरबो।
उंच - नीच ल , पाटबोन।
रखवार बन देस ल,राखबोन।
हवा म मया , घोरबोन।
हिरदे ल हिरदे ले , जोड़बोन।
चल दुख-पीरा ल , मिल हरबो।
देस बर जीबों , देस बर मरबो।
मोला गरब-गुमान हे,
ए भुईंया ल पाके।
खड़े रहूं मेड़ो म ,
जबर छाती फईलाके।
फोड़ दुहुं वो आँखी ल,
जेन मोर भुईंया बर गड़ही।
लड़हु-मरहु देस बर ,
तभे काया के करजा उतरही।
तंउरबों बुड़ती समुंद म,उक्ती पहाड़ चढ़बो।
देस बर जीबो , देस बर मरबो।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-15//19// लोकेन्द्र"आलोक"

शीर्षक- देश बर जीबो देश बर मरबो
-------------------------------------------
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।
सीमा मा पहरा देवत हम हर
चल संगी देश के सेवा करबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
ये भुईहा ला हरियाये बर
हम हाथ मा नांगर धरबो ।
धान जगा हम हर जम्मो
देशवासी के पेट भरबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
बनके सैनिक हम सीमा में
बईरी के छाती मा गोली भरबो ।
बन मजदुर ये भुईहा मा
नवा कामबुता ला करबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
बन महाराणा के जोश हम
आतंकी मन ले लड़बो ।
सुबाषचंद्रबोश के क्रांति बोली
बन , जन में क्रांति भरबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
××××××××××××××××××××
कवि - लोकेन्द्र"आलोक"
ग्राम+पोष्ट - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद
पिन कोड - 491222
मो. - 9522663949

पागा कलगी-15//18//पी0 पी0 अंचल

"देश बर जीबो देश बर मरबो"

सरबस जिनगी इहि देश बर,
जियत भर सेवा करबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
सबो बने करनी इहि देश बर,
दया धरम करम इहि देश बर।
फूंक फूंक के पाँव धरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
नारी के सनमान के खातिर,
नोनी के अधिकार के खातिर।
रोटी कपड़ा मकान के खातिर,
सबो के उत्थान के खातिर।
चलव अईसन कछु करबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
आज ले देश में जात पात हे,
दिनमान घलो इन्हा रात हे।
आंखी बाला घलो हें अंधरा,
मंडरावत हे देश म खतरा।
आवव जुरमिल के हरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
कश्मीर ले कन्याकुमारी तक,
लइका सियान आउ महतारी तक।
अपन करनी कमाई के अन्न,
सबो के बटकी आउ थारी तक।
चला आवा जेवन ल रखबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
बिजली, शिक्षा, सडक आउ पानी,
सबो के कंठ में विकास के कहानी।
चारो डहर रहय साफ सफाई,
सबो के चलय देश म सियानी।
आवव स्कुल डहर पाँव धरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
इहि देश म उपजेन इहि बाढ़ेन,
जब तक रही जान म जान गुंइय्यां।
दुबारा जनम लेहे बर हदरबो।
बिकास दिन दूना रात चौगुना
होय इहि हम रात दिन सुमरबो
कोनो दुर्जन घात मढ़ाय मिलही
ईमान से ओला भारी थुथरबो।।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
जय हिन्द
रचना:- पी0 पी0 अंचल
हरदीबाज़ार कोरबा

पागा कलगी-15//17//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

देश बर सबके योगदान जरुरी हे
इही मा टिके हमर जिनगी के धुरी हे
ऐकर हित मा,अपन सब कुछ वार के 
शुरू फेर बलिदान के कहानी ,देश बर करबो...
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
सबके अन्तस मा मया के बीजहा बोबोन
अऊ मया पिरीत के फसल काटबोंन
सबके मन मा प्रेम के धनहा उपजय
चलव अइसन किसानी ,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
हमर जिनगी ऐ धरती के दे उधारी
अब ओ कर्जा ला छुटे के हे पारी
बचपना ला तो खेल मा,अबिरथा गवांगे
चलव अपन जवानी, देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
खतम करना हे समाज के कुरीति ला
मनखे मनखे ला लड़ाये के नीति ला
मिलजुल सबला एकता के सन्देश देबोन
चलव सब संग मितानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
अन्धबिस्वास अशिक्षा ले जिनगी नरक
नई जानें असल अऊ छलावा मा फरक
गियान के दीया जलाके करबो उजियारा
चलव अब सबला ज्ञानी,देश बर करबो...
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
देखव कोन बैरी आँखी देखावत हे
हमर घर अंगना मा बम गिरावत हे
घर के भेदी ला घलो चिन्हे ला लागही
चलव बैरी ला चानी चानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो .....
अन्न धन भरे, फेर सोन चिरईया कहाय
देशभक्ति के भाव सबके मन मा समाय
शोभा सुघ्घर ,दुनिया देखत रही जाय
उदीम तरक्की के आनी बानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डीआर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद(छ ग)

पागा कलगी-15 //16//सूर्यकांत गुप्ता

देस बर जीबो देस बर मरबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सिरतों बचन निभाबो
आजादी के अतलँगहा ला सीधा सरग देखाबो
भारतदाई ला कलकुत ले मिलजुल जउन उबारिन
उंखर कुरबानी के नेता हालत का कर डारिन
सहन नही अन्याय ल इंखर अब तो सबक सिखाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
कहाँ गँवागै अब वो ज़ज्बा मानन तोला दाई
दरथें छाती मा अब कोदो काट काट रुख राई
नई सहावय अब ये करनी पापी ला भुगताबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
खादी खाकी के डरेस मा देस प्रेम दरसाथें
गाँधी नेहरू अउ पटेल के गुन एके दिन गाथें
राजनीति के दल हे बाढ़े दल दल मा ओला धँसाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
आजादी ला पाके सबझन दाइ के दरद भुलागैं
मुखिया के चक्कर मा भाई देस घलो ह बँटागै
फल भोगत हें जनता ओकर कइयों होम देवाके
घड़ियाली आँसू बोहवावत उन रहत मस्त हें फाँके
अइसन मनखे मन ला जुरके मुख कालिख पोतवाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो देस ला सरग बनाबो
जय हिंद ..जय भारत..
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)

गुरुवार, 11 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //15//दिलीप वर्मा

देश बर जीबो देश बर मरबो।
जनम लेये हन जे भुईया मा,
ओकर नाव हम करबो। 
देश बर जीबो जीबो,देश बर मरबो।
हमन किसनहा दाई के बेटा,
मेहनत हमर भगवान ये।
कोनो भूखा झन राहय ग,
इहि हमर अरमान हे।
मेहनत कस हम अन्न उगा के 2
दाई के कोरा भरबो।
देश बर जीबो---------------------
कोनो दुश्मन पाँव धरय झन,
पहरा देबो चारो कोती।
देश के दीदी ,भाई बहिनी मन,
चैन से सुते हमर सेती।
चाहे जान भले चल देवय 2
देश के रक्षा करबो।
देश बर जीबो---------------
हमिमन ह नेता बनबो,
अउ बनबो हम अधिकारी।
देश ल आगू बढ़ाये खातिर,
जान लड़ाबो संगवारी।
सुनता मा मिलजुल के जम्मो2
हर तकलीफ ल हरबो।
देश बर जीबो----------------
हमर देश ह मिले हे हमला,
बड़ विपदा ला झेल के।
देश आजादी पाये हाबन,
अपन जान ले खेल के।
अइसन दुबारा झन होवय गा2
तइसन चेत हम करबो।
देश बर जीबो -----------------
दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार

पागा कलगी-15 //14//मनमोहन सिंह ठाकुर

माटी के दियाना कस संगी देस के खातिर जरबो 
देस बर जीबो देस बर मरबो देसबर सब कुछ करबो ....

छाए हे अँधियारी घुप घुप 
घुघुवा के इहाँ राज हे 
साव.के हाथ पाँव बँधागे 
चोर के मुड़ म ताज हे 
आओ संगी चोर जमों ल 
चना बरोबर दरबो ....
देस बर जीबो ...........

लात के भूत माने नी ही 
तू कतकॊ कर ल बात 
बात समझ म ओला आथे 
जब पर थे ओला लात 
गद्दार जमों ल धान ब रो बर 
ढेकी मा अब दरबो .........
देस बर जीबो ...........

जर गिन शिवा सुभाष लक्ष्मी 
वीर नारायण जर गिन 
राज़ गुरु शुकदेव भगत सिंह 
हँसत फाँसी चढ़ गिन 
भारत माँ के पीराजमों ल 
जुर मिल के हरबो ...........
देस बर जीबो देस बर .मरबो .............

मनमोहन सिंह ठाकुर 
हनुमान चौक ,खरसिया .

बुधवार, 10 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//13//नन्द वर्मा

देश बर जीबो, देश बर मरबो।
देश बर जीबो, देश बर मरबो के सिद्धांत ले,
आजाद होइस हे हमर ए हिंदुस्तान।
उहि दिन ले आज तक झंडा फहरावत हे,
लईका सियान अउ सबो जवान।
याद करव ओ दिन ल, जेन दिन म,
हजारो लाखो मन होइस हे कुर्बान।
कतका गंभीर रहिस हे ओ पल ह,
जीहां बोहाइस, होली कस लहू के निसान।
1945 के हत्याकांड दिल बहला देते अउ,
उड़ा देथे चेहरा के हंसी-मुस्कान।
तेने दिन ले आए तिरंगा म,
हमर ए अशोक चक्र के निसान।
थोकन सहीद मन बर घलो पराथना कर लव,
देस के जियत जागत नवजवान।
नवजवान एखर सेती कहिथव काबर की,
पढ़ई के बाद सब भुला जाथे जवान।
नन्द वर्मा,
नवागांव, नवागढ़,
मो. 9713208662

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//11//बंटी छतिसगढिया

मै भारत के बेटा
‪#‎ऽ‬#ऽ#ऽ#ऽ#ऽ#ऽ#
मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू
मोर देश के बैरी मन ल
कुटुकुटा करके छरियाहू
भारत एक देश नही हे
हमर त महतारी हे
मोर महतारी ल आखी
देखाईया के
आखी फोर के लाहू
मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू ।।।।।।
भारत देश जनम भूमि हे
मै महतारी के गून गाहू
देश सेवा बर जान हे हाजिर
धेरी बेरी मै महतारी कोरा
म आहू
जब जब दाई मागही भैया
मै अपन जान लगाहू
मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू ।।।।।
वीर शहीद के ये धरती हे
ईहा मनखे वीर जनमे हे
छाती म हम खाबो गोली
काबर पीठ देखाहू
महतारी के किरिया हाबे
हम माथ ल उच कराबो
भारत म सब वीर बेटा
मै वीर भगत बन जाहू
मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू ।।।।
******************
वीर शहीद मन ल शत शत नमन
पागा कलगी 15 बर मोर नानचूक परयास
बंटी छतिसगढिया
पिथौरा 493551
9826114786

पागा कलगी-15//10//निशा रानी

सुना -सुना जी संग संगवारी
सुन लेवा तुमन सबो जी ।
देश के आन बचाये खातिर 
देश बा जीबो मरबो जी।।
1.हमर देश हे सोन चिरैया जेकर मान बढाबो जी ।
सुना -सुना जी ......
.
2.जात -पांत आऊ भेदभाव ल,
जुर मिल समता करबो जी।।
सुना-सुना जी....
.
3.धन-दौलत के ऊँच-नीच के ।
खाई घलो ल भरबो जी ।।
सुना-सुना जी .....
.
4.शान्ति अउ अमन बर यही परन ल करबो जी ।
प्राण घलो देहे ब परही प्राण न्यौछावर करबो जी।।
सुना-सुना जी.....
निशा रानी 
जाँजगीर
छत्तीसगढ़