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गुरुवार, 1 सितंबर 2016

पागा कलगी-16 //23//तरूण साहू "भाठीगढ़िया"

कुण्डलिया छंद
कइसे भेजव राखि
==========
भइया हे मोर दुरिहा, दुरिहा हे घर द्वार ।
भरगे नदिया नरवा ह, जांवव कइसे पार।।
जांवव कइसे पार, रद्दा म नदिया कछार ।
भेजव कइसे राखि, परब हे राखि तीहार ।।
कोन ह मइके जाहि, भइया हे भाठिगढ़िया ।।
राखि कोन ले जाहि, दुरिहा हे मोर भइया ।।
राखि ले जाबे पड़की, तै भइया के तीर ।
तै सुना देबे मैना, छुटकि बहिनि के पीर ।।
छुटकि बहिनि के पीर, रोवत हे दिन अउ रात ।
बहिनी के नयना म, सावन भादो बरसात ।।
तरूण अस करलई म, बहिनि बोहावथे आँखि ।
भइया ह कलाई म, बन्धवाही मोर राखि ।।
तरूण साहू "भाठीगढ़िया"
ग्राम भाठीगढ़
तहसील+पोस्ट मैनपुर
जिला गरियाबन्द ( छ ग )
मोबाईल नम्बर ९७५४२३६५२१ ९७५५५७०६४४

मंगलवार, 30 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//22//रामेश्वर शांडिल्य

मोर परेवा
आज राखी के तिहार तै आ जा मोर पास।
दुरिहा रहिके मोर मन ल झन कर उदास।
मै बिना भाई के तोला बलावथव।
राखी बांध के तोला भाई बनावथव।
तोर करा भाई के मया जोड़ देहेव।
गोड़ म राखी बांध के छोड़ देहेव।
जग ल सन्देश दे आ बहनी के
सब के देखभाल करो मिल के
मोर सादा परेवा शांति के ये सन्देश।
बगरा देबे पूरा देश बिदेश।
संकट म होही तोर ये बहनी जटायु कस बचा लेबे।
मोर दुःख पीरा ल पथरा कस पचा लेबे।
दाना पानी धर के अगोरत रहूँ।
खिड़की ले रस्ता निहारत रहूँ।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदी बाजार कोरबा

पागा कलगी-16//21//दिलीप वर्मा

मोर सुख दुःख के तें संगवारी, 
अब तोर हाबय सहारा । 
बिच भवर म फसे हाबय, 
तहिं लगा दे किनारा। 
आज पुनीमा सावन के ये, 
भाई जोहत रस्ता। 
मोर राखी म मया भरे हे, 
न मंहगा न सस्ता। 
जारे परेवना उड़ जा तेंहा, 
मोर भाई के देशे। 
राखी संग म लेजा भइया, 
ते मोरे संदेशे। 
कहिबे भइया तोर बहिनी ह, 
हाबय अबड़ अभागिन। 
महल अटारी भेज के मोला, 
दाई ददा ह तियागिन। 
दया मया ल राखबे भइया, 
आबे कभु मोर गांवे। 
राखी मेहा भेजत हाबव, 
बांध लेबे मोर नावे। 
जे रस्ता ले जाबे परेवना, 
उहि रस्ता ले आबे। 
जोहत खिड़की ठाढ़े रइहुं, 
भाई के सन्देसा लाबे।। 
दिलीप वर्मा 
9926170342

पागा कलगी-16//20//पी0पी0 अंचल

बहिनी के पाती ले जा रे परेवना,
भाई ल कही देबे संदेश।
बहिनी के राखी ले जा रे चिरइया,
प्रेम के देइ देबे उपदेश।।
भाई ल कहिबे परेवना,
बहिनी तोरे बने हावय।
संसो फिकर झन करही,
भांची भांचा रेंगत हावय।
कछु के फिकर न कलेश......
परेम के देही देबे उपदेश।।
अबड़ सुरता आथे तोरे,
भेंट होही त कहिबे।
दुःख के कोनो बतिया,
इहाँ के झन कहिबे।
आगू बढ़य बनय नरेश........
प्रेम के देही बे उपदेश।।
राखी मोरो बाँध लिही,
बहिनी बाँधथे समझ के।
मीठा बोली बोलिबे बने
गोथियाबे बात बने मगज के।
कड़ा गोठ म पहुँच थे ठेस.......
परेम के देहि देबे संदेश।।
अपनों खियाल रखही,
संग अपनों परिवार के।
काँटा गोड़ म झन गड़य,
पाँव रखही निमार के।
मोदक चढ़ाही उत्सव गणेश......
परेम के देहि देबे उपदेश।।
रचना:-
पी0पी0 अंचल
हरदी बाज़ार कोरबा

सोमवार, 29 अगस्त 2016

पागा कलगी-16 //19//कन्हैया साहू "अमित" *

आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
नान्हेंपन बङ होयेन झगरा,
बिटोवन भारी देखा के नखरा।
घेरी बेरी रिस, हांसे फेर निक,
रोवत हांसत खेलेन संघरा।।
मया पलपलाय जबर तभो छाती म।१
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
सुख पीरा जुरमिल के बांटेन,
एक दुसर बर लबारी मारेन।
बिपत म संगी,बखत म ठेनी,
लइकापन म पदोना डारेन।
सुररत रथंव सुरता दिन राती म।२
आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।।...
सीमा म डंटे तैं बन के सिपाही,
देस सेवा तोर जिनगी सिराही।
तिहार बहार सुरता अपार,
घर आये के कब संदेसा आही।।
अगोरा म निहारत रथंव मुहांटी ल।३
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।...
चिट्ठी पतरी सोर न संदेस,
बङ दुरिहा भाई गे परदेस।
बांध लेबे तैं मया डोरी कलई,
भेजे हंव असीस दुवा बिसेस।।
जोरे पठोएव परेवना पांव पांखी म।४
आंसू बन अमावत हच भाई आंखी म।।..
सावन के झङी झरय सुरता राखी म।।....
********************************
*कन्हैया साहू "अमित" *
शिक्षक~भाटापारा
जिला~बलौदाबाजार छ.ग.
©®............

पागा कलगी-16//18//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

परेवना राखी देके आ
---------------------------------------
परेवना कइसे जाओं रे,
भईया तीर तंय बता?
गोला-बारूद चलत हे मेड़ो म,
तंय राखी देके आ.......|
दाई-ददा के छईंहा म राहव त,
बईठार के भईया ल मंझोत में।
बांधो राखी कुंकुंम-चंदन लगाके,
घींव के दिया के जोत में।
मोर लगगे बिहाव अउ,
भईया होगे देस के।
कइसे दिखथे मोर भईया ह,
आबे रे परेवना देख के।
सुख के मोर समाचार कहिबे,
जा भईया के संदेसा ला.....|
सावन पुन्नी आगे जोहत होही,
भईया ह मोर राखी के बाट रे।
धकर-लकर उड़ जा रे परेवना,
फईलाके दूनो पाँख रे।
चमचम-चमचम चमकत राखी,
भईया ल बड़ भाही रे।
नांव जगा के ; दाई - ददा के,
बहिनी ल दरस देखाही रे।
जुड़ाही आँखी,ले जा रे राखी,
दे जा भईया के पता........|
देखही तोला भईया ह परेवना ,
त बहिनी के सुरता करही रे।
जे हाथ म भईया के राखी बँधाही,
ते हाथ देस बर जुग-जुग लड़ही रे।
थर-थर कापही बईरी मन ह,
भईया के गोली के बऊछार ले,
रक्छा करही राखी मोर भईया के,
बईरी अउ जर - बोखार ले।
जनम - जनम ले अम्मर रहे रे,
भाई - बहिनी के नता.............|
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-16 //17//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

जा रे कबूतर जा राखी के सन्देसा देके आ
मयारू भाई ला ए बहिनी के खबर देके आ
गजब दिन होंगे भाई तै आए काबर नई
तै मोला अपन खबर भेजवाय काबर नई
जा रे चिरइया भाई ला मोर पाती देके आ
जा रे कबूतर जा राखी के सन्देसा देके आ ।1।
रक्षा बंधन तिहार भाई मैं कईसे तोला भुलाहु
साल के रहिथे अगोरा मोर पीरा तोला सुनाहु
मोर भाई मोला भुलाहि झन पाती देके आ
जा रे कबूतर जा राखी के सन्देसा देके आ ।2।
मोर मन के पीरा अंतस के पता भेजे हौं
राखी संग मोर हिरदे के व्यथा भेजे हौं
बइठे हौं रद्दा जोहत जा मोर पाती देके आ
जा रे कबूतर जा राखी के सन्देशा देके आ ।3।
CR
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

पागा कलगी-16//16/सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

संगी मोर परेवना आबे।
आतो तै मोर मइके जाबे।
उहां हे मोर सुरता के कुरिया।
रहिथे जिहां दुलरुवा भैया।
पहुंच कपाट के कुंडी अइठबे।
पांयलगी कर कलाई म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर बहिनी के राखी ल...
उहां ले उड़बे सुरता के बारी।
जिहां मिलही मोर महतारी।
ओंढ़ के ओकर अंचरा लुकाबे।
चेत लगाके सुन झन भुलाबे।
गर पोटार के कोरा म बइठबे।
बइठ गुटर गू कहिबे देबे।
ए..ले तोर दुलौरीन के पाती ल...
उहां ले उड़ जाबे बहरा खार म।
बइठे होही मोर ददा पार म।
मयारू ददा के पांव ल छूबे।
पांव छुवत झन आंसू बहाबे।
संउहे खड़े हो पांख फइलाबे।
पांख फइलाय गुटर गू कहिबे बताबे।
कतर गे तोर चिड़िया के पांखी ह...
भेजे मोला पहुंचाये बर राखी ल...
झन गिराबे आंसू ददा आंखी ल...
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा

शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

पागा कलगी-16 //15//लक्ष्मी करियारे

तर्ज -- सुवा गीत
* अँचरा ल चीरी-चीरी चिट्ठियाँ भेजत हव रे परेवना के
लेजा मोर भइया बर सोर..
न रे परेवना के लेजा मोर भइया बर सोर...
* भाई - बहिनी के मया ये बंधना राखी अमरादे रे परेवना के जिंवरा अमर होइ जाए तोर..
न रे परेवना के जिंवरा अमर होइ जाए तोर...
* बहिनी के मया चिनहा सूत हे कच्चा न रे परेवना के बाँधी लेबे रेशमी डोर..
मोर भइया ग बाँधी लेबे रेशमी डोर...
* राखी तिहार मइके गजब हे दुरिहा रे परेवना के सुरता आँसु भीजे अंचरा छोर..
न रे परेवना के सुरता आँसु भीजे अंचरा छोर...
* चंदा कस उज्जर मोर भइया के मुख लागे न रे परेवना के माथे चंदन तिलक अंजोर..
न रे परेवना के माथे चंदन तिलक अंजोर...
* नंजर झन लागे मोर भइया ल ककरो रे परेवना के लेजा काजर आंखी के कोर..
न रे परेवना के लेजा काजर आंखी के कोर...
* सुख - सुख बितय मोर भइया के जिनगानी न रे परेवना के देबे आशीष करव विनती कर जोर..
न रे परेवना न के देबे आशीष करव विनती कर जोर...
लक्ष्मी करियारे 

पागा कलगी-16//14//निशा रानी

सावन के महीना आगे 
सावन म होते राखी
परदेश म तै रथस भइया
कैसे भेजो तोर ब राखी
1 चिट्ठी पतरी लिखे नई जानव
कैसे लिखव चिठिया
बड़ दिन तोला देखे होगे
आँखि म झुलत हे तोर सुरतिया
सावन के .......
2 परेवना करा भेजत हव
मैं ह तोर बर राखी
येला तै पहिर ले भइया
मोर जुड़ाही छाती
सावन के.......
3 परदेस म तै खुश रहिबे
ये मन के विश्वास ये
कच्चा सूत झन समझ
ये हमर मन के मिठास ये
सावन के......
4भाई - बहिनी के मया पिरित के
सावन महीना खास हे
जम्मो बहिनी भाई मन ल
सावन के रहिथे आस हे
सावन के.......
निशा रानी 
जाँजगीर
छत्तीसगढ़

गुरुवार, 25 अगस्त 2016

पागा कलगी-16//13// गुमान प्रसाद साहू


लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
पहूचा देबे मोर भइया अंगना,बन जाबे मया के तै साखी।
राखी संग तै लेजा परेवना,
भइया बर मोर मया चिनहारी।
ले के संदेशा उतर तै जाबे,
भइया के मोर अंगना दूआरी।
रसता ल तोरे जोहत हे कहिबे..
बहिनी तोर गड़ाये आंखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
कहि देबे संदेशा भईया ल,
बने बने हावय बहिनी तोर।
नइ आ पावे बहिनी तोर आसो,
बांध लिही भइया राखी ल मोर।
सोर संदेश मोर मइके के लाबे,
फैलाके परेवना तै ह पाँखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
दाई ददा के मोर सूध ले लेबे,
ले लेबे सूध भऊजाई के।
करत रथे कहिबे तुहरे सुरता,
बचपन के सूध ल लमाई के।
पहूचा संदेशा तै लहूट आबे परेवना,
लकठीया गे हे तिहार राखी।
लेजा रे परेवना..लेगी जा मोर भइया बर तै राखी।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी ) मो.9977313968
आरंग जिला-रायपुर

पागा कलगी-16 //12//नवीन कुमार तिवारी,


रद्दा देखत हवे रे,,
रद्दादेखत हवे,
अमरो्तींन भोजी हा,
अपन छुटकुन भय्या के,
रद्दा देखत हवे,,
आँखी ले झिमिर झिमिर ,,
धारा बोहावत हवे रे,
आँखी ले,,
फेर कहां लुकाये हवे,छुटकुन हा
नदिया डोंगरी छान डारिस भोजी हा,,
अपन छुटकुन भय्या के,
रद्दा देखत हवे,,
आँखी ले झिमिर झिमिर ,,
धारा बोहावत हवे रे,
आँखी ले,,
कोन बताही संगी वीर सैनिक के बात,
नायक बनके गे रिहिस कश्मीरके घाट
वीर छुटकुन लड़ीस आतंकी संग
भारी पढगे आतंकी के घात
अलकरहा होगेरे घाटी कशमीर माँ
शहीद होगे रे छुटकुनभय्या घाटी कश्मीर मा,
कोन बताही संगी वीर सैनिक के बात,
रद्दा देखत हवे रे,,
रद्दादेखत हवे,
अमरो्तींन भोजी हा,
अपन छुटकुन भय्या के,
रद्दा देखत हवे,,
नवीन कुमार तिवारी,,,,

पागा कलगी-16//11//ज्ञानु मानिकपुरी"दास"


काबर फरकत हे गज़ब आज मोर आँखी
भाई बहिनी के मया के तिहार आवत हे राखी।
जा जा रे सुवना जल्दी उड़ावत दोनों पाखी
पहुँचा दे रे सुवना मोर सन्देशा के पाती।
झन बिलम जाबे रे सुवना कोनो तिरा
देखत होही भाई रद्दा धधकत हे मोर छाती।
बलम परदेशिया सास ससुर बीमार हे
दाई ददा के शोर कर लेबे कहि देबे नइ आवत हे तोर बेटी।
जल्दी जा रे मोर बिपत के हरइया संगी
सुरता आवत हे मइके के जा रे मोर सेती।
संगी सहेली अउ गांव बस्ती के शोर ले लेबे
सबके कर लेबे हाथ जोड़के बिनती।
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी-16//10// राजेश कुमार निषाद


।। ले जा मोर राखी के संदेसा ।।
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
राखी तिहार आगे हे लकठा
अब तै मोला झन अगोर।
बड़ दुरिहा म रहिथे मोर भईया
ओ हर मोला सोरियावत होही।
बहिनी के मया ल भुलाही कईसे
संगी जहुरिया करा अपन गोठियावत होही।
धीरे धीरे जाबे झन करबे तै सोर
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
खेलई कुदई कईसे भुलावंव मैं लईका पन के।
भईया मोर राहय संगवारी बरोबर बचपन के।
तीर म राहंव त मया दुलार ल पावंव।
राखी के तिहार म हाथ म राखी बांधव।
जाके भईया ल मोर कहिबे
बड़ सुरता करत रहिथे बहिनी तोर।
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
राखी तिहार साल म एकेच बार आथे
पर भाई बहिनी के मया ल कोनो कहाँ भुलाथे।
दाई ददा ले तो जनम पाये हन
बहिनी के रक्छा करे के वचन भाई ह निभाथे।
अइसे लगत हे मोला देख आतेंव भईया ल मोर
ले जा मोर राखी के संदेसा
ये मयारू मैना मोर।
राखी तिहार आगे हे लकठा
अब तै मोला झन अगोर।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी-16//9//टीकाराम देशमुख "करिया"


मुड़ी---"जा रे ,जारे परेवना"
जा रे जारे परेवना,उड़ी जाबे भइय्या के देश
बांध देबे राखी ला.... तैंहा परेवना
कहि देबे "मया के संदेस".......
जा रे जारे.......
१.भाई ह रहिथे, मोर देश के चउहद्दी मा
करथे सब के रखवारी
जुड़ अउ घाम ला नई चिन्हय परेवना
नई जानय....होरी अउ देवारी
राखी के डोरी ला ,देख के हरषाही
करम-धरम के ओला सुरता देवाही
सिरतों कहत हौं , ...तैंहा देख
जा रे जारे परेवना..........
२. भइय्या ह रहिथे रे ,दुरिहा नंगर ले
गाँव मा करथे रे.....किसानी
माटी करम ओखर, माटी धरम हे
माटी ले हाबे रे... मितानी
हरियर डोरी ला , देख के गदकही
सोनहा गोंटी जस अन्न जब मटकही
बहिनी के मया ला... झन छेंक
जा रे जारे.........
३. एक ,दू नही तीन ,चार रे परेवना
भइय्या हाबे मोर हज़ार
डॉक्टर,बिज्ञानिक,पुलुस हे कोनो हा
गुरुजी ,कोनो बनिहार
मिलके सबोझन हा, देश ला चलाथे
मया हे सबबर अपार
दाई केहे हे झन मान तैंहा ऊंच-नीच
सबो ला एक मा सरेख...
जा रे जारे परेवना, उड़ी जाबे भइय्या के देश
बाँध देबे राखी ला , तैंहा परेवना
कहि देबे ....मया के संदेस
जा रे जारे..............
© टीकाराम देशमुख "करिया"
स्टेशन चउक कुम्हारी, जिला -दुरुग (छ.ग.)
मोबा.-९४०६३ २४०९६

पागा कलगी-16//8//ओमप्रकाश घिवरी*


*राखी*
ले जा रे परेवना ...,
राखी ला मोर भईया बर ।
मोर जीनगी मा ...,
सुख दुख के सोर करईया बर ।
मोर भईया मोर आँखी दुनो ,
जीनगी के रस्दा देखाथे ।
मन के राखे मोर सपना ला ,
भईया हा सिरजाथे ।
सुख दुख मा आगू पाँछू ,
मोर भईया हा आथे ।
भाई बहिनी के मया का होथे ,
तेला सब ला बताथे ।
नान पन मा मोर संग ,
हँस हँस के खेल खेलईया बर ।
ले जा रे परेवना ......,
खेल खेलत मा भाई बहिनी संग,
गुँजय जम्मो पारा हा ।
खो-खो फुगड़ी डंडा पचरंगा मा ,
झूलय बर के डारा हा ।
सुरता करत बात ओ दिन के ,
गुनत हे मन के भाखा हा ।
छलकत रहिथे मोर आँखी ले ,
मया के असुवन धारा हा ।
झन बिलम परेवना जल्दी जा ,
मोर खबर के लेवईया बर ।
ले जा रे परेवना ...,
राखी ला मोर भईया बर ।
मोर जीनगी मा .....,
सुख दुख के सोर करईया बर ।
*✍🏻रचना*
*ओमप्रकाश घिवरी*

पागा कलगी-16//7//जगदीश "हीरा" साहू


@ राखी @
भाई बहिनी के मया जोरे बर, आगे राखी तिहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
तोर गोड़ मा मोर मया के, चिन्हा आज बंधाये हे ।
तोर रंग कस सुघ्घर सादा, राखी तिहार आये हे ।।
जाके बताबे भइया ला मोर, नई आये सकौं ये बार।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार ।।
मोर भइया ला जाके तै, मोर मन के बात बताबे ।
दाई ददा ला खुस हौ मैंहा, इही संदेसा सुनाबे ।।
खिड़की ले देखत रइहौं मैंहा, रस्ता तोर निहार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
धनी गे हे परदेस जे मोरे, जिनगी के आधार ।
उड़ जा रे परेवना भइया ला, दे आबे राखी हमार।।
जगदीश "हीरा" साहू , कड़ार (भाटापारा)
9009128538, (२१८१६)

पागा कलगी-16//6//ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

उड़ ले जा संदेशा परेवना, बांध मया के पाखी।
दूर बसे हे दुलरवा भाई, कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
गोदी तोर खेलेंव कुदेंव, महकेंव फूल अंगना,
साथ रोयेन साथ हसेन, झुलेन मया के झूलना,
पाये बर ममता दुलार,आंसू बहथे दुनो आंखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
एक पेड़ के दु डाली बन,उलहोयेन अलग पान,
तै बढ़ाये शान पीढ़ी के,मैं रखेंव माइके के मान,
रक्षा करबे देश,बहन के,कसम हे वर्दी खाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
नइ मांगव मैं सोना चांदी, नइ मांगव कुछु गहना,
माँ बाप के सहारा बनबे,गोहरावथे हे तोर बहना,
थेगहा बनबे बुढ़ापा के, झन पकड़ाबे बैसाखी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
बहन सबके अभिमान हे,बहन हे सबके शान,
बहन से ही आगे देश हमर, देख लव परमान,
नमन!नमन!प्यारी बहना,पी वी सिंधु अउ साक्षी।
उड़ ले जा संदेशा परेवना,बांध मया के पाखी।।
दूर बसे हे दुलरवा भाई,कइसेके बांधव राखी।।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍
💍✍रचना-ईंजी.गजानंद पात्रे"सत्यबोध"
बिलासपुर(छ.ग.)
मो.नं.-८८८९७४७८८८

पागा कलगी-16 //5//लक्ष्मी नारायण लहरे, साहिल

जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल 
-------------------------------------------
जा उड़ जा नीला गगन म 
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
भाई के आखी ले बहत होही आंसू
अबड देर होगे जा जा उड़ जा रे नीला गगन म
जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल
नानकुन म एके संग खेलें -कूदेंन
अब बचपन आथे सुरता
दाई के कोरा ,बाबू के मया
भाई के दुलार
आज राखी के हे तिहार मोर भाई करत होही मोर सुरता
मने मन रोवत होही
आंखी ले आंसू बोहत होही
कई बछर होगे मिले भाई ल
आज अबड सुरता आवत हे
कोन जानी भाई ह का सोचत होही
मने मन रोवत होही
हाथ ल घेरी बेरी देखत होही
मोर सुरता म बहिन ल खोजत होही
जा जा रे उड़ जा परेवना
जा उड़ जा नीला गगन म
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
भाई के आखी ले बहत होही आंसू
अबड देर होगे जा जा उड़ जा रे नीला गगन म
जा जा रे मोर परेवना संदेस हे मोर पहुचादे संदेस ल
बहिनी के मया ल झन भुलाही
पुराना राखी ल हाथ म बांधे होही
मोर भाई मोर आये के आस म
रसदा ल झांकत होही ....
जा जा रे उड़ जा परेवना
जा उड़ जा नीला गगन म
जा जा उड़ जा
आज मोर राख लाज
भाई देखत होही रसदा मोर आज
० लक्ष्मी नारायण लहरे, साहिल ,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़

पागा कलगी-16//4// लक्ष्मी गोपी मनहरे


अंतरा- जाना रे परेवना कहिदे संदेश
बछर भर होगे भाई गेहे परदेश

पर(1) अखियन ले आसु बोहाये सुरता म तोर
तरसत हे बइरी नैना भाई कर लेते मोरो सोर
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(2) राखी मया के डोरी हरय पबरीत धागा
जूग जुग ले भाई बहिनी अमर रहि नाता
हिरदय मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
पद(3) आगे पावन राखी भाई हवय तोर अगोरा
घेरी बेरी झाकव दुवारी हवय तोर निहोरा
हिरदे मोर रोवत रहिथे देखे बर भेष
जाना रे परेवना कहिदे संदेश
रचना लक्ष्मी गोपी मनहरे
गांव पथरपूंजी बेरला
जिला बेमेतरा