सोमवार, 30 मई 2016

पागा कलगी-10//देवेन्द्र कुमारध्रुव(डी.आर)

देखव ऐ लईका हमन ला सेवा के सन्देश देवत हे
बिना बोले सुन्दर अकन हमनला उपदेश देवत हे 
अपन हाथ ले भूखे मनखे ल खाये बर देवत हे
सवाल हे कईसे अमीर ला हर सुविधा आला मिल जथे
फेर गरीब ला काबर खाये बर एक निवाला नई मिले...
हमन बड़े बड़े धरम करम के बात करथन
सबके दुःख मन के मरम के बात करथन
फेर काबर कोनो निहे गरीब के मदद करईया
अइसन फोकट कतको बोलनेवाला मिलजथे
फेर काबर गरीब के अंतस ल टटोलने वाला नई मिले.....
गरीब तरसत रहिथे एक एक कांवरा बर
जिंदगी बिताये खातिर घर अउ चावरा बर
झोपडी ल घलो तोड़थे बड़े दूकान बनायेबर
बस केहे के गांव शहर म धर्मशाला मिल जथे
फेर गरीब सुते सड़क म कोनो देखने वाला नई मिले.....
जिहां देखबे तिहा ज्ञान विज्ञान के बात करे जाथे
हरियर धरती पर्वत पठार आसमान के बात करे जाथे
बोले अउ लिखाये के हरे सब अच्छा इंसान के बात करे जाथे
जेती देखबे तेती गाँव गाँव भले पाठशाला मिल जथे
फेर कोनो जगह नेकी के पाठ पढ़ाने वाला नई मिले ......
भगत मन के भीड़ पूजा म मगन पुजारी
बाहिर म कोढ़ के पीरा सहत बइठे भिखारी
कोनो सोन के छत्र चढावत हे कोनो चादर
दान पेटी भरे जगमग मंदिर देवाला मिल जथे
फेर सीढ़िया म बईठे गरीब ल कोनो शाल ओढ़ाने वाला नई मिले......
आज जेन बेटी हमर घर म उजियारा बगरात हे
अपन हाथ ले हमन ल रांध के सुघ्घर खवात हे
जानथे सब बेटी हमर कुल के मान बढ़ाही
फेर उही ला कतको कोख में मारने वाला मिल जथे
काबर कोनो ओकर बने बने जतन करने वाला नई मिले ....
आज बने हन ता गरब गुमान हे अभिमान हे
सब पलट जथे तुरते बेरा बड़ा बलवान हे
परहित सेवा ल आज अपन धरम बना लौ
काबर बने म कतको पूछनेवाला मिल जथे
हालत बिगडिथे ते कोनो आँसु पोछनेवाला नई मिले .....

रचना
देवेन्द्र कुमारध्रुव(डी.आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद
9753524905

पागा कलगी-10 बर//पवन नेताम "सुरबईहा"

@@ तोला दस अंगरी के परनाम @@
**********************
मोला अन्न देवइया तोला दस अंगरी के परनाम।
दस अंगरी के परनाम,का करव मै तोर गुनगान,मोला अन्न देवइया तोला दस..
@ कतको आइन कतको गइन, नइ कोनो ह देखीस।
दु दिन ले मे भुखे परे हव, कोनो ह नइ परखीस।।
तै हावस कतका सुजान..
मोला अन्न देवइया तोला...
लड़की- का करथस बबा कहा रहिथस।
@ भीख मांग के करथव गुजारा,कोनो मेर रहि जाथव।
मिल जाथे त खा- पी लेथव, नइ तो भुखे मै सो जाथव।।
मै हावव डोकरा अनाथ..
मोला अन्न देवइया तोला...
@ जुग-जुग तेहा जिबे बेटी, मोर हावय आशीर्बाद।
भला ते सबके करबे बेटी,रहिबे सदा अबाद।।
तै दुनिया म कमाबे नाम..
मोला अन्न देवइया तोला दस अंगरी के परनाम।।
********************
रचना- पवन नेताम "सुरबईहा"
ग्राम- सिल्हाटी, स/ लोहारा
जिला- कबीरधाम( छग)
मोबा- 9098766347

पागा कलगी-10 बर//लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल

मनिखे मन के हिरदे म सोग नइये .....
---------------------------------------------------
मंदिर मस्जिद के रसदा म 
बैठे हे घर के सियान
रोवत हे ओ हर मने मन
आंखी के आंसू सुखा गेहे
अपन नाती बेटा के करत हे सुरता
घर के दरद ल हिरदे म बसाये हे
रसदा रेगैया मन ल निहारत हे
कोनो एक रुपया देवत हे त हाथ जोड़ के सिर झुकावत हे
अपन दरद छुपाके जीयत हावे
कोनो कभू जेवन करा देथे त
आंखी ल आंसू टपकत हावे
जिनगी के दरद ल कुलेचुप सहत हे
मंदिर मस्जिद के रसदा म
बैठे हे घर के सियान
रोवत हे ओ हर मने मन
मनिखे मन के हिरदे म सोग नइये
अपन दरद छुपाके जीयत हावे
कोनो कभू जेवन करा देथे त
आंखी ल आंसू टपकत हावे 


० लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़

रविवार, 29 मई 2016

पागा कलगी-10 //-आशा देशमुख

दोहा ...
सरग नरक इंहचे हवे ,ये मनखे तैँ मान ,
जो जइसे करनी करे ,वइसे ही फल जान |
चौपाई
बइठे हावय भीख मंगैया |हाँका पारय सुन गा भइया |
मैं आवव गा अब्बड़ दुखिया | सुन गा दाऊ ये गा मुखिया |
भूख पियास म तरफत हावय | गीत भजन मा मन बहलावय |
दाई माई रानी दानी | देवव मोला दाना पानी |
वोला सुनके नोनी आइस |थारी भर के जेवन लाइस |
सुघ्घर गोठ मया के बानी |जइसे पागय आमा चानी |
अमरित कस जेवन हा लागिस | वो दुखिया के जीव जुड़ाइस |
ये नोनी तय हीरा बेटी | धरम करम हे तुहरे पेटी |
बेटी तै अस धरमी चोला | गड़य कभू झन काँटा तोला |
जेहर हावय दुख चिन्हैया |ओकर गोठ सुने कन्हैया |

दोहा ..
.देखय नोनी के मया ,दुखिया दिए असीस ,
ये बेटी जुग जुग जिओ , बन के राज रहीस |
-आशा देशमुख

पागा कलगी-10//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

.." जय हो तोर बेटी".........
"""""""""""""""""""""""""""""""""""
जय हो तोर बेटी धन्य हे तोर दाई ददा
पाए हे तोर कस लइका खुश रहिबे सदा ।1।
जब आथे सियानी लइकन छोड़ देथे साथ
जब आथे उंखर पारी खीच लेथे अपन हाँथ ।2।
सुग्घर राखय नइ बहु बेटा रंग रंग के सुनाथे
कहि देबे कांही कुछु त मारे बर हाँथ उबाथे ।3।
लागहन एक कुरिया म पड़े रहिथन नोनी
पहिरे मइलाहा कपड़ा बइठे रहिथन नोनी ।4।
ओतकों म उनला लागत रहिथन बड़ गरु
घर ले निकाल देथे धरा के डंडा अउ चरु ।5।
अब मंदिर हमर आसरय मिटाथे हमर भूख
तुंहरे कस नोनी,मनखे मन हरथे हमर दुःख ।6।
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

शनिवार, 28 मई 2016

पागा कलगी-10 //सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

--: दार-भात :--
जय होवय तोर नोनी, 
मोला देवतहस दार भात।
मालिक के किरपा ले,
चमके तोर परताप।
भूख अउ भोजन अइसे जुरे,
जइसे आत्मा अउ परमात्मा।
पेट भर भोजन सबला पुरे,
बनिहार होवय के महात्मा।
खरे मंझनिया इही हाटकर,
बइठे बइठे गुनत रहेव।
भूंख के मारे कान के सनसन,
निमगा थोर थोर सुनत रहेव।
ततके खेवन तोर अवाज पायेंव,
एले बबा खालेवव दार भात।
जय होवय तोर बेटी,
मोला देवतहस दार भात।
बादर बरस के जुड़ोत हेवय,
धनहा कछार अउ भर्री ले।
सुरुज परकाश पुरोत हेवय,
फुलगी थांघा अउ जरी ले।
पुरवई रेंग के देखात हेवय,
सुवांस के डहर घेरी बेरी ले।
तइसने भुंख हरेक प्रानी ल सताथे,
नइ चिन्हय जात अउ पात ल।
जम्मो पेट के भुंख मिटाथे,
कोनो किन्चा नइ करय दार भात ह।
भुंखन लांघन गुनत रहेव,
मनके इही जजबात।
ततके खेवन धरके पंहुचगे,
मोर महतारी दार भात।
जय होवय तोर नोनी,
मोला देवतहस दार भात।
रचना:---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गांव- गोरखपुर,कवर्धा
९६८५२१६६०२

शुक्रवार, 27 मई 2016

पागा कलगी-10//सुनील साहू"निर्मोही"

"तहुँ कुछु सीख़ ले भईया"
लईका मन के सबै मितान रथे,
अउ उज्जर ऊंखर ईमान रथे,
हाथ दया के देख नान्हे नान्हे।
तभे कहे लईका रूप भगवान रथे,
देख के सेवा मोर नोनी के ग....
अचरज म परे हे सबै देखईया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।-2
---------------------
धन दौलत के करथन हम गुमान,
अउ बन जाथन हम बड़े सियान,
बड़ भारी परवचन सुनाथन??
अउ रहिथन दिनभर हम हलकान।
फेर दया धरम के काम करबो.....
देखे हन हम कतका कहईया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।-2
---------------------
मनखे मनखे अपन म भुलाथे,
नोनी हमर धियान करा....थे,
बड़ सुघ्घर लगथे सेवा कर के।
आज लईका मन हमला सीखाथे,
कर दया तहुँ.....ले पीरा उधार....
फेर बिपत म बनहि तोर खेवईँया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।।
सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम-सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.8085470039

पागा कलगी-10//-हेमलाल साहू

@बेटी@
दया मया बेटी के हावे, अपना माने सबला जान।
देख बबा ला भूखा नोनी, करत हवय वो अन के दान।।
देख दया अतका नोनी के ,अंतस ले करथे परनाम।
श्रद्धा से आसूँ छलकत हे, तैय करे बड़ सुघ्घर काम।।
बेटा मोरो हावे नोनी, नइ आवय वो कुछ औ काम।
जांगर रहिते पूछिस मोला, अब करथे ओहा बदनाम।।
जिनगी भर राखेव ग पूँजी, पाई पाई मेहा जोर।
आज नई हे मोर ठिकाना, किंजरत हों मैं खोरे खोर।।
बोलिस नोनी मोर बबा गा, कउनो बेटा होय कपूत।
चल रहिबे मोरे घर मा तैं, अपन बनाहूँ तोला पूत।।
नोनी कहिस बबा झन होबे, तैहा मोर से कभु नराज।
बड़ भागी वो मानुष होथे, जेला मिलथे सेवा काज।।
बेटी बेटा सबो एक हे, कभू करव झन एमा भेद।
नर नारी से बसथे दुनियाँ, बेटी बर तब कइसे खेद।।
मान हेम के कहना संगी, सब करिहौ बेटी सम्मान।
सबके बेटी एक बरोबर, झन करहूँ एकर अपमान।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा
मो. नं.-9977831273

पागा कलगी-10//रामेश्वर शांडिल्य

बबा नातीन
=============
फूटपाथ म बैइठे बबा. 
भूखा बीमार लागथे ऩ
ओकर भूख भगाये ल.
नातिन भात सांग लानथे ऩ
"""""""""""""":""""""""""""""
सड़क म जीने वाला मन के.
ये हर कहानी हावे ऩ
अभाव गरीबी जीवन के.
भूख पियास निशानी हावे ऩ
"""""""""""""""""""""""""""""""
फोटू म तो बबा कुली के.
भेष म दिखथे ऩ
घाम म भुखाये थके.
अपन जिनगानी लिखथे ऩ
"""""""""""""""""""""""""""""""
पतरी म लाये भात सांग ल देख हाथ जोड लीस ऩ
नोनी के दया मया ल जान.
तरी ती मुंह मोड लीस ऩ
"""""""""""""""""""""""""""""
नोनी जात दया मया के.
खजाना होथे ऩ
सुख दुख सब म. खुशी
के बीज बोथे ऩ
"""""""""""""""""""""""""""
दीया नई बरस बिना बातीन के ये फोटू आये बबा नातीन के ऩ
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

बुधवार, 25 मई 2016

पागा कलगी-10//राजेश कुमार निषाद

।। पापी पेट के सवाल हे ।।
दर दर मैं भटकत हंव बेटी
देख मोर कईसन हाल हे।
मोर बर तै अतेक सुघ्घर भोजन लाने
खाहूँ मोर पापी पेट के सवाल हे।
लोग लईका ल पाल पोश के बड़े करेंव
फेर कोनो काम के नइये।
घर ले मोला बाहिर कर दिस
तभो ओमन ल चैन अराम नइये।
देवी बनके तै मोर करा आये
बेटी तोला मोर कतेक ख्याल हे।
तोर लाने भोजन ल मैं खाहूँ
मोर पापी पेट के सवाल हे।
सुघ्घर मानवता तै देखावत हस बेटी
फेर ये तो मोह माया के संसार हे।
आज तो तै मोला भोजन करावत हस
फेर मैं कहाँ जाहूँ न अब मोर घर द्वार हे।
सड़क किनारे मोर बसेरा बेटी
तन ढके बर न मोर करा चादर अऊ साल हे।
तोर लाने भोजन ल मैं खाहूँ बेटी
मोर पापी पेट के सवाल हे।
धन धन हे ओ दाई ददा
जऊन तोर जईसे बेटी ल जनम दे हे।
मोर जईसे गरीब अभागा करा
जऊन तोला भोजन धर के भेजे हे।
अईसन दाई ददा के मैं चरण पखारत हंव
जेकर तोर जईसन लाल हे।
तोर मया म मैं भोजन खाहूँ
मोर पापी पेट के सवाल हे।
रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )

पागा कलगी-10//सूर्यकांत गुप्ता

मगर नही अंधेर
सबे करमफल भोगथन, धरतिच मा जी जान।
कइसे कइसे जियत हन, धरके रोग सियान।।
जउन कोढ़ के रोग से, दुख पावत हे रोज।
सगा सहोदर हा घलो, करै न सेवा सोझ।।
घर बाहिर वो घूमथे, माँगत भरथे पेट।
किल्हर किल्हर के रेंगथे, कहुँचो जाथे लेट।।
प्रभु के घर मा देर हे, मगर नही अंधेर।
आथे कउनो भेस मा, सम्मुख देर सबेर।।
बेटा बर तरसत रथें, मारैं बेटी कोंख।
आँसू तो तकलीफ के, नोनी लेथे सोख।।
पा के नोनी आज मैं, भोजन तोर प्रसाद।
कइहौं बेटिच हा करै, सबके घर आबाद।।
जय जोहार....
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग

पागा कलगी-10 //ज्ञानु मानिकपुरी"दास"

$मानवता के सन्देश$
~~~~~~~~~~~
धन्य-धन्य हे बेटी तोर मया,
दीन-दुःखी बर तोर दया।
अथाह परेम उमड़े दीन-दुःखी बर
दया मया छलकत हे तोर जिया।
मोर फ़ुटहा करम म अंजोर होंगे न,
गांव-गांव म बेटी तोर शोर होंगे न।
मोला पेट भर खवाके तय बेटी,
तय मोर दाई लइका मय तोर होगेव न।
देवत हे आज मानवता के सन्देश,
रहव चाहे कोनो देश-परदेश।
"जन सेवा ही प्रभु सेवा है"
मन में रहय झन झूठ,कपट,द्वैष।
वाह रे किस्मत अउ तोर खेल,
बेटा,बाप ल निकाले घरले ढकेल।
आज बेटा बर दाई-ददा गरु होंगे,
सिखौना बात उखर करु होंगे।
कहा गय समाजसेवी दान करइया मन,
बड़े बड़े बात करइया नेता भंडारा करइया मन।
"परहित सरिस धरम नही भाई" उपदेश करइया मन।
मुँह के बड़ लबार होथे करम धरम करइया मन।
दुनिया आथे दुनिया जाथे देखत खड़े तमाशा ल।
दया मया बिन जिनगी बिरथा हे कब समझहूँ ये परिभाषा ल।
बेटी,कखरो बेटी,कखरो पतनी,कखरो महतारी बन जथे।
दुःख सुख के समझइया दुलौरिन संग संगवारी बन जथे।
आओ मिलके ये संकल्प करन,
दीन दुःखी मनखे के करबो जतन।
मानव जीवन के सार इही हे"ज्ञानु"
भूखे प्यासे ल दाना पानी अउ बेटी के जतन।..... अउ बेटी के जतन।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आपके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी(कवर्धा)

पागा कलगी-10//अशोक साहू, भानसोज


मनखे जनम ल पाके संगी
मनखे के सेवा बजा ले।
नर सेवा नारायण सेवा कईथे
ईही करम अपना ले।।
पियासे ल पानी पिया दे
लांघन ल खवा दे भात।
गरीब ह घला तो मनखे ए
झन मार ओला लात।।
पईसा होय ले कोनो अमीर नई होवय
दिल ले होवय धनवान।
गिरे थके के दुख ल हरथे
उही ओकर बर भगवान।।
दुवारी म आथे कोनो गरीब
लांघन भूखन पियासा।
झन करबे निराशा ओला
तोरे ले लगाए हे आशा।।
संसकार अइसन घर घर म होय
सिखय सुघ्घर सेवा भाव।
अमीर गरीब के गड्ढा पाटय
दीन हीन बर राहय लगाव।।

अशोक साहू, भानसोज

पागा कलगी-10//ललित वर्मा

चल बहिनी मंदिर जाबो
----------------------------------------
चल बहिनी मंदिर जाबो
देवता मन के दरसन पाबो
सिढिया तीर म बईठे होही
भगत मन ल जोहत होही
लुगरा-लुहूंगी बिछाय होही
चांऊर ह छरियाय होही
दान-पुन करबो अउ मानव धरम निभाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
कपडा कंदरहा चिराय होही
चीटे-चीट मईलाय होही
दतून-मुखारी नंदाय होही
अउ तईहा के नहाय होही
कपडा सिल कांचबो अउ खलखल ले नहवाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
बीमारी म घेराय होही
खसु-खजरी छाय होही
कोढ ह कंदकंदाय होही
तन घावेघाव गोदाय होही
बईद बन ईलाज करबो दवई ल लगाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
मुंधरहा ले आय होही
पेट घलो रिताय होही
परसादे बस ल पाय होही
रतिहा के भूखाय होही
दार-भात-साग संग तस्मई ल खवाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
देवता मन के दरसन पाबो
----------------------------------------------
रचना - ललित वर्मा,
छुरा, जिला - गरियाबंद

पागा कलगी-10//संतोष फरिकार ‪मयारू‬

मोरो बेटी*
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
मोर दुख दरद ला देख बेटी
दार भात ल तय खवाए ओ
दीन भरहा होगे रहिस
कोनो नई देखीस निहार के
कोन मेर ले तोर नजर परीस
घर ले लाने दार भात धर के
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
कोन जनम म का पाप करेव
आज होगेव मय कोढ़ी ओ
गांव गली खोर मोहल्ला म
कोनो नई देखय निहार के ओ
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
दुख पीरा ला देख ओ बेटी
घर ले लाने दार भात ओ
आज हाट बजार बंद पड़े हे
कोनो नई देखत हे खड़े होके
काय दुख ल गोठीयावव बेटी
मरत रहेव भुख पीयास मे
धन्य धन्य हे तोर दाई ददा
तोर असन बेटी पा के ओ
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
तोरे असन होतीस मोरो बेटी
भटकन नई देतीस मोला ओ
करम छड़हा हव मय ओ बेटी
एक झन बेटी घलो नई पाएव ओ
रसता डहर म देख मोला
घर ले लाने दार भात ओ
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
""""""""""""""""""""""""""""
रचना .संतोष फरिकार ‪#‎मयारू‬
गांव .देवरी भाटापारा
जिला.बलौदा बजार भाटापारा
मो . 9926113995

पागा कलगी-10 //ललित साहू "जख्मी"



"एक बिता के पेट"
एक बिता के ये पेट बैरी
दुनिया भर ला नचावत हे
भगवान बन ये नोनी हा
सियान ला भात खवावत हे
जतकी समाज आघु बढत हे
ततकी भुखमरी हमावत हे
एक कांवरा के भात बर
शरीर, ईमान घलो बेचावत हे
काकरो घर के चुल्हा जुडाय
काकरो घर कलेवा फेंकावत हे
गरीब के लईका भुख मा मर गे
अमीर खा-खा के बिमारी बुलावत हे
छट्ठी,मरनी,बिहाव के बांचे भात ला
कुकुर घुरवा मा बइठ के खावत हे
कम झन परे भले फेंका जाय
कही के मनखे सान बतावत हे
ये नोनी तो सियान ला खवइस
तुमन के झन ला खवाये हव
मनखे बन के जनम धरे हो
का मनखे के फरज निभाय हो?
चलो आज सब परन करबो
भुख मा कोनहो ला नई मरन दन
हमर राहत ले कोनहो गरीब के
यमराज ला परान नई हरन दन
ललित साहू "जख्मी"
ग्राम-छुरा / जिला-गरियाबंद(छ.ग.)
9144992879

गुरुवार, 19 मई 2016

पागा कलगी-10//नवीन कुमार तिवारी

समारू गौटिया के अतलंगी टूरा,
हीरो बन घूमत जी 
गंवई समाज में नाक कटावत,
घूमत देख अलकरहा जी ,
करत रिहिस मनमानी संगी ,
कतका समझाईस गुरूजी हा जी 
भेज वोला स्कूल समारू,
बन जहि घर स्वर्ग तोर संगी ,
फेर तीन नोनी म एक टूरा,,
घर संपत्ति के रिहिस गर्मी जी,
जम्मो नोनी ल फटहा चिरहा,
टूरा ल खवातमाखन मिश्री जी ,
उमर हुए के पहिलिच समरू,
तेंह करदेस ओखर बिहाव संगी 
नवा सुवारिन पाई के जी ,
कैसे अतलंग मचायिस जी 
अपन नोनी बहिनी संग संगी ,
कइसे टोला खदियारिस जी ,
कुकुर गत बनाके तोाला संगी ,,
कटोरा धर के कोलकी में बैठा लिस जी 
जोहर होये तोर समरू गौटिया,
झेन अइसे परबुद्धिया टूरा जन्माएस जी ,
जम्मो खेत खार ल बेच संगी ,
उड़ाइस मौज मस्ती जी ,
संगी जोन्हरिया ल गुने निहिस ,
खेलत रिहिस सत्ता जुवां जी ,
बड़का मोटर साइकिल ले,,
फिरत बिन कारज जी ,
अपन सुवारिन ल छोड़ के संगी ,
घुमावत रेचकिन नचकरहिं टूरी ल जी , 
मुंह में ठूंसे पान गुटखा ,
जतर कदर थूके पिचकारी जी ,
जोहर होये तोर समरू गौटिया,
झेन अइसे परबुद्धिया टूरा जन्माएस जी ,
आज तोरे बेटी तोला खवावत खाना ,,
ऐसे दुर्दिन देख संगी ,,
बेटी नोनी के मयारू प्यार ल संगी
देख ददा के करत सुग्घर जतन ल संगी ,,
नोनी बाबू में फेर नई करहो ,
अइसन भेदभाव संगी ,,
नवीन कुमार तिवारी ,
एल आई जी १४ / २ 
नेहरू नगर पूर्व ,
भिलाई नगर ,,४९००२० 
छत्तीसगढ़ ,,,०९४७९२२७२१३,,,,,

पागा कलगी-10 //आचार्य_तोषण‬

॥मानवता॥
*****************
कहत हे समय आज के
झन रो सबला हंसाबे तै
मानवता हे धरम करम तोर
मानवता के गीत गाबे तै
फइले दुनिया म नफरत
नदी प्रेम के बोहाबे तै
*****************
दीन दुखिया के सेवा में
अपन करतब निभाबे तै
दीन दुखिया मनखे के
जतन करे लाभ उठाबे तै
खंचवा पाट भेदभाव के
सबला गला लगाबे तै
******************
पाप कपट ले मुंह ल फेरे
पुण्य के लाभ उठाबै तै
पियासे बर पानी बन जा
भूखे ल खाना खिलाबे तै
गरीब के दुख पीरा आघू
दुख ल अपन भुलाबे तै
******************
हम सब भाई भाई सफ्फे
झन कोई ल ठुकराबे तै
बगिया सबे महके सबरदिन
बन प्यार फूल मुसकाबे तै
मन सबके खिलखिला उठै
भाईचारा के मेल बढाबे तै
*******************
असहाय के सहारा बन जा
आशीष भगवान के पाबे तै
मानवता हे सार जगत में
मानवता ही लेके जाबे तै
*******************
‪#‎आचार्य_तोषण‬
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद, छत्तीसगढ़
*******************

सोमवार, 16 मई 2016

/‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-10‘ के विषय//

छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-10‘ के विषय प्रारूप ये प्रकार होही-
समय- दिनांक 16/5/16 से 31/5/16 तक
मंच संचालक-श्री महेश पांडे ‘मलंग‘ (छत्तीसगढ़ पागा कलगगी 3 के विजेता)
निर्णायक-
1. डॉ. संजय दानी, अध्यक्ष, हिन्दी साहित्य समिति, दुर्ग,
2. श्री राजकिशोर पांडे जी (अध्यक्ष माँ डीडी नेश्वरी साहित्य परिषद मल्हार)
विषय - मंच संचालक द्वारा दे गे चित्र के आधार मा विषय लेना हे
विधा- विधा कोनो बंधन नई हे, फेर रचना संक्षिप्त अउ गंभीर होय अइसे निवेदन हे ।
परिणाम घोषण 1/6/16

पागा कलगी. 9 के परिणाम


छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता छत्तीसगढ़ के पागा कलगी. 9 परिणाम
दिनांक 1/5/16 से 15/5/16 तक आयोजित प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी. 9‘ जेखर मंच संचालक.श्री देवेन्द्र ध्रुव (छत्तीसगढ़ पागा कलगगी 1 के विजेता)
निर्णायक.
1. श्री पुष्कर सिंह ष्राजष्ए वरिष्ठ साहित्यकारए बालोद
2. श्री अंजनी कुमार अंकुरए रायगढ़
रहिन । ये बार कोई विषय निर्धारित नई करे गे रहिस स्वतंत्र रूप ले रचनाकार मन अपन रचना दैइन । ये आयोजन मा ये संगी मन के रचना पा्रप्त होइस-
1. एमन दास मानिकपुरी ‘अंजोर‘
औंरी, भिलाई-3, जिला-दुरूग
मो.7828953811
2.सतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
जिला बलौदा बजार भाटापारा
रुमयारू
9926113995
3.आचार्य तोषण
गांव.धनगांव डौंडीलोहारा
जिला.बालोदए छत्तीसगढ़
पिन.४९१७७१
९६१७५८९६६७
4.दिनेश देवांगन ष्दिव्यष्
सारंगढ़ जिला . रायगढ़ ;छत्तीसगढ़
5.राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ;समोदा
6.सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुरएकवर्धा
९६८५२१६६०२
7.रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
8.मिलन मलरिहा
मल्हारए बिलासपुर
9.ललित वर्मा छुरा गरियाबंद
10.कुलदीप कुमार यादव
ग्राम.खिसोराएधमतरी
मोण्न.9685868975
11.चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया;बेमेतरा
12..आशा देशमुख
13. देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर
14.ललित साहू ष्जख्मीष्
ग्राम.छुरा
जिला.गरियाबंद
9144992879
15.सुनील साहूष्निर्मोहीष्
ग्राम .सेलर
जिला.बिलासपुर
मोण्8085470039
16.हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा
17.ज्ञानु मानिकपुरी
चंदेनी ;कवर्धाद्ध
9993240143
18.लक्ष्मी नारायण लहरे श् साहिलश्
युवा साहित्यकार पत्रकार
वर्तमान पता . बघौद एतहसील .डभरा ए जांजगीर
स्थाई पता . डा अम्बेडकर चौक कोसीर एसारंगढ़ए रायगढ़
मो० ९७५२३१९३९५
ये आयोजन के जम्मो प्रतिभागी मन ला अंतस ले आभार अउ बधाई । आज के निर्णायक मन दूबरा निर्णासक रहिन येचार पहिली पागा कलगी 5 अउ 6 के ये मन निर्णायक रहिन ।इन्खर कहिना हे तब ले अब तक रचना के गुणवत्ता मा बहुत सुधार आय हे, एखर बर सबो झन ला बधाई । केवल प्रतियोगिता के विजेता होना ही ये आयोजन के लक्ष्य नई हे, हमर लक्ष्य हे रचना मा गुणात्कम सुधार, छत्तीसगढ़ी साहित्य ला समृद्ध करना जेमा आप सबो योद्धा विजेता हंव ।
ये प्रतियोगिता के निर्णायक मन के अनुसार ये दरी के पागा ला भाई दिनेश देवांगन ‘दिव्य‘ अउ चैतन्य जितेन्द्र तिवारी के मुड़ मा धरे जात हे । आप दूनों भाई ला गाड़ा-गाड़ा बधाई ।

रविवार, 15 मई 2016

पागा कलगी 9 //लक्ष्मी नारायण लहरे ' साहिल'

लैकाई के सपना
_____________
अबड सुरता आथे, मोर अंगना
बरसा के पानी
ओरछा के पानी
सडक के पानी
तरिया के पानी
नदागे सब रुख राई
बर- पीपर नदागे
संगवारी घलो भुलागे
लैकाई के सपना
अबड सुरता आथे ,मोर अंगना
बबा के चोंगी
बैला गाडी नदागे
घर के डेकी अउ जाता लुकागे
का ज़माना आगे रे संगी
पड़ोसी ह बैरी होगे
सुख दुःख म कोनो पुछारी नीइये
संगी जहुरिया के मितानी नीइये
काला अपन लैकाई के सपना ल सुनाबो
इहाँ सच के ज़माना नीइये
लैकाई के सपना
अबड सुरता आथे, मोर अंगना
० लक्ष्मी नारायण लहरे ' साहिल'
युवा साहित्यकार पत्रकार
वर्तमान पता - बघौद ,तहसील -डभरा , जांजगीर
स्थाई पता - डा अम्बेडकर चौक कोसीर ,सारंगढ़, रायगढ़
मो० ९७५२३१९३९५

पागा कलगी 9 बर//ज्ञानु मानिकपुरी

कइसे आही सुराज
_______________
जनता फोकट के चाउर ,नून म भुलागे।
गांव -शहर ह दारू गांजा म मतागे।
आगी लगय तोर जांगर म रे जांगरचोट्टा
फोकट के खाके अपन करम ल भुलागे।
वाह रे सरकार! अउ तोर वादा।
समझ नइ आय का हे तोर इरादा।
ये करेंगे, वो करेंगे, ये सकल्प हमारा है कहिथे
कतेक ल ठगबे रे मिठलबरा ज्यादा।
सुनत रेहेव ग्राम सुराज में हमर,
मुख्यमन्त्री साहब के भाषण ल।
मन्दारी आथे त गांव वाले मन सकेला जथे,
ताली बजाके वइसने देखत हे तमाशा ल।
मुख्यमन्त्री साहब कहय 2 साल में पुरे गांव गांव में बिजली पहुँच जहि,
जनता पूछत हे 15 साल के का झकमारत हस।
बस हमने ये किया हमने वो किया,
अपन झूठा सेखी बघारत हस।
जेन मंत्री अउ अधिकारी मन ,
हमर बर योजना बनाथे।
ऎ.सी. रूम म बइठे हे अउ,
बिसलरी पानी पियथे ।
एक दिन गर्मी में निकले ले,
गरीब किसान संग बइठ के खावत हस।
सुराज कइसे आही साहेब,
चार दिन बाद का कहे हव भुलावत हस।
बाई के ईलाज बर पइसा नइये,
घर म साग भाजी नइये।
कतेक दुःख ल बताओ साहेब,
लइका बर पुस्तक कॉपी नइये।
चइत- बैशाख म उखरा पाव के रेंगई,
कांटा - खूंटी गड़थे।
उमला का पता गरीबी का होथे,
जेन हवाई जहाज म उड़थे।
अब जाग जाओ मोर भाई मन,
पर हाथ कंचन काया नइ होवय।
अपन आँखी म नींद आथे संगी हो,
अपन हाथ सुराज हे, कोखरो कहे ले कुछु नइ होय।........कोखरो कहे के कुछु नइ होय।
____________________________________
आप मनके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी
चंदेनी (कवर्धा)
9993240143

पागा कलगी 9 बर//-हेमलाल साहू

महँगाई
मँहगाई ला देख के, आज आदमी रोय।
चिंता नेता ला कहाँ, मार खराटा सोय।।
मार खराटा सोय, दोगला राज करत हे।
बनिया के तो आज, तिजउरी खूब.भरत हे।।
खाली टेक्स पटाव, करे मौज नेता भाई।
तुम कतको चिल्लाव, बाढ़थे नित मँहगाई।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा

शनिवार, 14 मई 2016

पागा कलगी 9// सुनील साहू"निर्मोही"

"काय कमी हे तोर म"
राम के माया राम देखाए,
लीला ओखर निराला हे।
सबला दिए हे जिनगी जिए बर,
कहे करम के जिनगी उजाला हे।
---------------------
मनखे जेखर हाथ नई हे,
का कांही कुछु कमात नई हे,
हाथ रहईया मनखे ल घलौ।
मैं ठलहा बईठत देखे हव।
-------------------
ठट्ठा मुट्ठा मजाक करत हस,
नाम क अपन खराब करत हस,
नई हे का तोर गोड़ हाथ,
करे सकच नही गोठ बात,
गोड़ रहईया मनखे ल घलौ।
मैं आँखी म घिसलत देखे हव।
--------------------
कान रहईया मनखे ल देख,
भैरा कस अईठत देखे हव।
जेन कखरो बात ल नई टारय,
मैं अईसन भैरा देखे हव।
-------------------
मुह दिए भगवान जेला ओला,
घर म आगि लगावत देखे हव।
जेला समझे सब भोकवा मनखे,
ओला मया बगरावत देखे हव।
----------------------
जेखर मेर कमी नई हे,
ओ कमी ल गिनावत हे।
अउ जेखर मेर कमी हे,
ओहि करम के भाग जगावत हे।
---------------------
सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम -सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.8085470039

पागा कलगी 9//ललित साहू "जख्मी"

"जीव करत हे जांव-जांव"
मरघट के लकडी बेचा गे
मंहगाई मे फुल गे हांथ-पांव
चारो मुडा हाहाकार मचे हे
नेता मन करत हे खांव-खांव
एक जुआर बर रोटी नई हे
नई हे बिता भर छंईहा ठांव
सिधवा बिचारा दुबके बईठे
कोलिहा मन करत हे हांव-हांव
साधु के चोला होगे दगहा
परभु के कोन जपवाही नाव
बडे छोटे के फेर मे ये दुनिया
मईनखे करत हे कांव-कांव
भाई बैरी परोसी ढोंगी होगे
पातर होगे ममता के छांव
मया पिरीत के लजलजहा गोठ
सुने ला मिलत हे गांव-गांव
कलजुग मे लबरा दोगला हमाय
परमारथ करों ते करों के घांव
भरोसा के रद्दा पट सुन परे हे
मितान के खोर करत हे सांव-सांव
गाडी चलात हे आंखी मुंद के
हारन बजावत हे चींव-चांव
ऊपर चित्रगुप्त खाता लिखत हे
यमराज कहात हे आंव-आंव
नसा मानुस के मन भरमाये
चलत हे फड मे जुंआ के दांव
बिमारी पसरे कोंटा-कोंटा मे
जीव करत हे अब जांव-जांव
रचनाकार-
ललित साहू "जख्मी"
ग्राम-छुरा
जिला-गरियाबंद
9144992879

पागा कलगी 9//देव हीरा लहरी

गरमी मे हाहाकार
-----------------------------------------
गरमी ले जम्मो कोती
अब्बड़ मचत हे हाहाकार
जईसे सुरूज देवता ह
गुस्सा म करत हे ललकार

बहुत होगे प्रभु दिखा जा
अपन कुछू चमत्कार
अब तो हमरो ईही कहना
हे ये मउसम हे बेकार
सबो झन झांझ ले बचे
के कर लव बने धियान
घाम म घर ले झन
निकलहु लईका,सियान
अतेक कलकल गरमी
ले कब मिलही निदान
लु लग जाही घाम म
जादा झन घुमबे मितान
चिरई चुरगुन मरत हे
झन कर प्रभु अतेक आहत
भगादे प्रभु गरमी ल देजा
जिनगी म कुछू राहत
गरमी म तीप गेहे मोर
नाक मुह अऊ कान
अब कतेक ल लिखव में
होगे हव हलाकान
-------------------------------------
रचना - देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर

पागा कलगी 9//आशा देशमुख

धरती के गोहार
झन बेचव गा धरती ला
मोर किसान बेटा ,मैं बिनती करत हव
मोर सिधवा बेटा ,मैं बिनती करत हव

पुरखा मन हा संजो के राखिस
तहुँ हा मोला संजो ले
बिन भाखा के मोरो बोली
मन मा अपन भंजो ले
ये माटी चंदन अय बेटा
माथ म अपन लगा ले
डार पसीना ये माटी मा
जिनगी अपन बनाले
दाई ददा हे घन अमरैया
झन फेकव गा गरती ला
मोर किसान बेटा ,मैं बिनती करत हौ
जंगल झाड़ी खेत खार हा
मोर गहना गुरिया अय
तुंहर पसीना तुंहरे मेहनत
रहय के मोर कुरिया अय
वो दिन दूरिहा नई हे गा
रीत जाही धान कटोरा
बचाले ग कोठी डोली ला
झन कर बखत अगोरा
लालच के टंगिया मा गा
झन काटव रुख फरती ला
मोर किसान बेटा ,मैं बिनती करत हौ
तिही बता गा दू रुपिया मा
कब तक चऊर खवाही
अलग अलग राजा आही गा
कानून अलग बनाही
जांगर तोर जंग लग जाही ता
का उदीम तैँ करबे
लोग लइका के जिनगानी ला
उज्जर कइसे करबे
तोरेच घर मा बनाके बंधुआ
तोला दिही ग झरती ला
मोर किसान बेटा , मैं बिनती करत हौ
झन बेचव गा धरती ला
-आशा देशमुख

बुधवार, 11 मई 2016

पागा कलगी 9//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

"ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि"
"""""""""""""""""""""""""""""""'"""""""
सुन भाई गरीब मनखे मन ल झन सता
अपन दबंगई अउ रहिसि ल झन जता
ठग मत झन कर काखरो ले मनमाने उगाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।1।

गरीब मनखे मन गऊ कस सिधवा होथे गा
पइसा नई होय फेर उंखरो इज्जत होथे गा
ले डरे हे करजा गरीब हर धीरे बांधे छुटाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।2।
कमाए खातिर रोजगार बर तरसत रहिथे
घर परिवार ला पोसे बर बड़ भटकत रहिथे
उंखर कोनो नई हे सुनईयाँ उन कोनला सुनाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।3।
गरीब मनखे बर सरकार बनाए हे भारी योजना
चलत हे बन्दर बाँट नेता भरत हे अपन कोटना
रहिजा पांच बछर बाद फेर मुँह उठाके आहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।4।
भगवान् घर देर हे अंधेर नई हे कहे मनखे भाई
गरीब मनखे के करव मदद आवय हमरे भाई
कईथे जेन जइसे बोहि तेन तइसे फर ला पाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।5।
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

पागा कलगी 9//कुलदीप कुमार यादव

******** कँहा नंदागे********
खोजत खोजत मोर सरी उम्मर हा पहागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।

खेलत रेहेन बांटी-भौरा संग मा गुल्ली डंडा,
ऐ डारा वो डारा कुदके खेलन डंडा पचरंगा ।।
अब के लइका मन घर मा खुसरे रहिथे,
झन निकलहु घर ले बाहिर दाई-ददा हा कहिथे ।।
अउ जमाना हा तो किरकेट मा भुलागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
चउक चौराहा मा सियान मन के होवै हांसी-ठिठोली,
मंदरस सरिक मीठ लागै ओखर छत्तीसगढ़ी बोली ।।
अब ये भाखा ला बोले बर सबझिन हा शरमाथे,
एकरे खाये बर अउ ऐखरे चारी गोठियाथे ।।
सब मनखे अंगरेजी बोलके बिदेशिया ले ठगागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
भीजन ओइरछा पानी मा आये महीना सावन,
अउ डुबक-डुबक तरिया मा जाके हमन नहावन ।।
लहर-लहर लहरे पानी डोंगरी नरवा सरार मा,
सुग्घर बितय दिन हा हरियर हरियर कछार मा ।।
फेर अब पानी के दुकाल ले भुइंया हा दर्रागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
तइहा जमाना मा होवै हमर संगी मितान,
जुरमिल के रहिहो सिखावै हमर सियान ।।
कोन जनि ये छत्तीसगढ़ मा कइसन बरोड़ा आइस,
छिन भर मा सबो संसकिरिति ला लेके वो उड़ाइस ।।
अब मनखे ले मनखेपन के समंदर घलो अटागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे।
*****रचना*****
कुलदीप कुमार यादव
ग्राम-खिसोरा,धमतरी
मो.न-9685868975

पागा कलगी 9//ललित वर्मा

💐💐भोंदू-भवानी के गोठ💐💐
----------------------------------------------------------------
भवानी:का सोंचतहस भोंदू?
भोंदू:भईया,ये कोई विषय नही ह का हरे गा?
भवानी:काबर पूछथस भाई?
भोंदू:ए पागा कलगी वाले मन उही कोई बिसय नही ल बिसय बनाके रचना पोहे बर कहे हे गा
भवानी:अच्छा,अइसन बात हे,त सुन-कोई बिसय नही माने-निर्विषय,निमगा कोरा कागज,या दरपन या एकदम फरियाय पानी
भोंदू:नई समझ आते भईया,बने फोर के बता न गा?
भवानी:ले,सुन त

निमगा कोरा कागज,जेमा कांही लिखाय नई राहय
दरपन अइसन,जेमा कोनो आकार नई राहय
फरियाय पानी,जेमा भीतर के सबकुछ दिखय
अंतस अइसन राहय जी,जेला कहिथे निर्विषय
भोंदू:अभो नई समझेंव भईया,अउ फोर न गा
भवानी:ले,बने धियान देके सुन
जीव अउ ईश्वर बीच भाई, माया के हे खेल
राग-द्वेष ईर्ष्या-तृष्णा के,मचे हे रेलमपेल
अंतस होगेहे काजरे-काजर, घस-घस एला मिटाबोन
छल-कपट के घपटेेहे बादर, जेला फूक-फूक भगाबोन
अच्छा करम ल करबोन संगी, सत के संग हम जाबोन
मानवता के रद्दा चलबोन, अंतस ल फरियाबोन
कोरा अंतस म भक्ती के, सादा लकीर बनाबोन
ढाई-अक्छर परेम के लिखबोन,पढबोन अउ पढाबोन
दरपन जईसे निरमल अंतस के, ब्यवहार होथे निसानी
सूर-तुलसी घलो गाये हाबय, निरमल-अंतस बानी
नानक-कबीर-सहजो-मीरा, सबके इही कहानी
समझे भोंदू?
भोंदू:हां भवानी,जय हो भवानी
-----------------------------------------------------------------
रचना - ललित वर्मा छुरा गरियाबंद

पागा कलगी 9//मिलन मलरिहा

**आखरी बेरा**
"""""""""""""""""""
काबर मति छरियाथच बबा
तोरगोठ कोनो नइ मानय जी
उमर खसलगे झीन गुन तैहा
बिगड़य चाहे बनय जी
दिन उंकरे हे मानले तय
संसो टार चुप देखव जी
करेनधक सियानी नवाजूग हे
कलेचुप किस्सा सुनव जी
तोर बनाए नइ बनय कछु
फेर का बात के मोह तोला
का बात के मया जी
का बात के गरभ हे सियान
मोला तय बताना जी......
.
कतेक रुपिया कतेक पईसा
कतेक साईकिल गाड़ा भईसा
ए जिनगी के ठुड़गा बमरी
एकदिन चुल्हा म जोराही
जाए के बेरा अकेल्ला जाबे
कोनो संग म नई जाही
जिनगी के आखरी बेरा
सब्बो दूरिहा हट जाही
दूई दिन रो-गा के ओमन
महानदि म तोला फेक आही
दसनहावन म जम्मो जुरके
तोर बरा सोहारी ल चाबही
फेर का बात....................
.
तय ह सिधवा गियानी बने
लईका होगे आने- ताने
चारो कोती तय मान कमाएँ
नाती-पोती सब धूम मचाएँ
बनी-भूति, कमा-कोड़ के
खेत बारी-भाठा ल सकेले
टूरा-टूरी फटफटी खातिर
छिनभर म ओला ढकेले
तोर खुन-पसीना के कमाई
किम्मत दूसर का जानय जी
फेर का बात....................
.
गाँव गाँव तोर गियान फइले
घरो-घर तोर बात म चले
अपन घर-छानही धूर्रा मईले
जइसे दिया तरी मुंधियार पेले
अब कब आही तोर घर अंजोर
बइठके डेहरी करत सोंच
अंगाकर रोटी ल टोर-टोर
चार कोरी बेरा जिनगी पहागे
नाती छंती के दिन आगे
अब बनावय चाहे बिगाड़य जी
फेर का बात....................

)
मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर

पागा कलगी 9//रामेश्वर शांडिल्य

नवा बहुरिया
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
छुटगे संग भाई बहिनी के.
दाई ददा के कोरा ऩ
छुटगे संग सखी सहेली के.
घर अंगना गाव के खोरा ऩ
ससुरार म मुड ढाके लजात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
मइके म फूल कस महमहावत रहे.
पारा पारा म तितली कस मडरावत रहे ऩ
ससुरार म आके समझदार होगे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
सास ननद करा मइके के.
गोठ गोठियात रहे.
अपन गांव के कुकूर ल.
सहरात रहे.
तेार गोठ ल सुन ननद खिसियात रहे ओ ऩ
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी 9//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

--: परचे देवत रूख :--
...गीत....
मोर नाव हे बीरवा रुखवा ..
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे।
मोर संग पिरित के गठरी ल जोरके,
जिनगी के बछर बिताना हे,जिनगी के बछर बिताना हे।
मोर नांव हे बीरवा रूखवा ,
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे।
'१' उवत सूरुज संग भोजन बनाथव,
जीव जन्तु ल खवाथव...।
कुहरा धुआं ल पियत रहिथव,
सुघर हवा बगराथव...।
हरियर-हरियर गीत मै गाथव...
हरियर-हरियर गीत मै गाथव,
मोर संग सबो ल गाना हे,मोर संग सबो ल गाना हे।
मोर नांव हे .........
'२' मोर सुघ्घर फूल मोर गुरतुर फल,
लकड़ी घलो ल बउरत हव...।
कागज कपड़ा अवषधि तरकारी,
चटनी घलो ल संउरत हव...।
पर उपकार के मोर करतब ल..
पर उपकार के मोर करतब ल,
जम्मो झन ल बताना हे,जम्मो झन ल बताना हे।
मोर नांव हे........
'३' भुमि ल बांध अपरदन रोकव,
पानी घलो बलाथव...।
जल थल अउ वायु परदुषन ल,
दूर भगाथव...।
माटि म मिलके संगवारी...
माटि म मिलके संगवारी,
तुंहरेच काम मे आना हे,तुंहरेच काम मे आना हे।
मोर नांव हे बीरवा रूखवा,
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे...।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
९६८५२१६६०२

शनिवार, 7 मई 2016

पागा कलगी 9//राजेश कुमार निषाद

मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
तै हावस ओ एति ओति
मैं तोला खोजंव कति कति।
नौ महीना ले अपन कोख म
रखे ओ मोला जतन के।
पांच बरस के होवत ले
दूध पिलाये अपन तन के।
कोख ले अपन जनम दे हस मोला
लाख लाख पीड़ा ल सहिके।
किसम किसम के मोला भोजन कराये हस
अपन लांघन भूखन रहिके।
कतेक तै दुख सहे ओ मोर सति
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
नान्हे पन ले मैं तोर दुलरवा रेहेंव
नई जानेंव तोर दुलार ओ।
कतेक मैं रोवंव चिल्लावंव
पर देवस तै भुलार ओ।
तोर मया के कतेक करंव बखान
पांव पखारंव तोर कोटि कोटि
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
अंगरी धर के चले बर मोला
दाई तहीं हर सिखाये हस।
मैं तोर लईका दुलरवा दाई
गली खोर म घुमाये हस।
महिमा तोर निराली दाई
तोर गुण ल गावंव सबो कोति
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।

रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद (समोदा )

शुक्रवार, 6 मई 2016

पागा कलगी 9//दिनेश देवांगन "दिव्य"

रोवत हे परियावरण, रोथँय नदी पहाड़ !
मनखें तज इंसानियत, करत हवय खिलवाड़!!
करत हवय खिलवाड़, काँटथें जंगल झाड़ी!
धुआँ करिस आकास, कारखाना अउ गाड़ी !!
सुनव दिव्य के गोंठ, मनखें जहर बोवत हे!
लेवन कइसे साँस, परानी सब रोवत हे !!


काॅटव रुख राई नहीं, हो जाही जंजाल !
शुद्ध हवा पाहव कहाँ, होही जी के काल !!
होही जी के काल, बरसही बादर कइसे !
उजर जही संसार,बिना जल मछरी जइसे !!
देत दिव्य संदेस, भलाई सबके छाॅटव !
सबो रही खुसहाल, नही रुख राई काॅटव !!

पेड़ लगावँव रोज गा, पेड़ हमर हे जान !
हाँसी जब परियावरण, संग हमूँ मुसकान !!
संग हमूँ मुसकान, नाचही चारों मउसम!
सावन अउ आषाढ़, बरसही पानी झमझम!!
सुनव दिव्य के गोंठ, प्रकृति ले मया बढावँव!
इही हमर वरदान, जतन के पेड़ लगावँव!

दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

मंगलवार, 3 मई 2016

पागा कलगी 9 //आचार्य तोषण

॥छत्तीसगढ़ के तिहार॥
////////////////////
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
झुमै नाचै सब नर नारी
मया के होवै बउछार गा।
हरेली मनाबो सावन मा
नांगर चढाबो रोटी चीला।
हरिहर दिखै धनहा भुंइया
झुमरय माई अउ पीला।।
बरखा रानी झिमिर झिमिर
पानी देवय फुहार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
बांधय राखी बहिनी हर
अपन भाई के कलाई मा।
भाई देवय बचन बहिनी ल
जान देहूं तोर भलाई मा।।
भाई बहिनी के मया देखे
उतारे नजर संसार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
आगे भादो जांता पोरा
समारू नंदिया दउडाय।
दाई बहिनी के तीज तिहार
गौरा शंखर ल मनाय।।
आनी बानी के रोटी पीठा
रांधे करे फरहार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
आगे नवरात कुंआर मा
चल ना जोत जलाबो।
दशेरा संग कातिक मा
घर-घर दीया जलाबो।
खाबो नवा जुरमिल संगी
पाबो मया दुलार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
पूस पुन्नी के बेरा सुघ्घर
छेरछेराय घर-घर जाबो।
बइठाबो टुकना म मिट्ठू
मिल गीत सुआ के गाबो।।
घर कुरिया सबके खुले
अन्नकुंवर के भंडार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
फागून मस्त महीना संगी
उड़ावय रंग गुलाल जी।
लइका सियान जवान मितवा
दिखय सबे लाले लाल जी।।
भर पिचकारी मारत हावय
एक दुसर ला बउछार गा ।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
/////////////////////
////जय छत्तीसगढ़////
////////////////////
रचना:-आचार्य तोषण
गांव-धनगांव डौंडीलोहारा
जिला-बालोद, छत्तीसगढ़
पिन-४९१७७१
९६१७५८९६६७

सोमवार, 2 मई 2016

पागा कलगी 9 बर//सतोष फरिकार

मोला काही नई आय
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दाई कहे बेटी ला
चाऊर निमार दे बेटी
बेटी कहत हे दाई ला
नई आय मोला निमारे ला
बेटी के फेशन देख
दाई हर लजावत हे
काम बुता काही नई करय
दिन भर चेहरा सजावत हे
दाई बर गुर्रावत हे
अईसन दिन धलो आगे
बेटी कहत हे दाई ला
छेरकीन टुरी हर दाई
जिन्श अऊ टाप पहिन
छेरी चराय बर जावत हे
ओखर ले का कम हव दाई
मय तो करत हव पढ़ाई
पढ़े बर जात हे बेटी
आनी बानी किरीम लगात हे
मसमोटी देख बेटी के
दाई चिन्ता म दुबरावय हे
अईसन दिन धलो आगे
स्कुल ले आके टीवी ल देखत
अपन फेशन ल बढ़ावत हे
दिन रात दाई सोचत
स्कुल म जाके न जाने
बेटी का पढ़ाई करत हे
ददा हर दिन रात
कमाई भर करत हे
बेटी काय करत हवय
सुध घलो नई लेवत हे
अईसन दिन घलो आगे
कुछू काम सीखे ल कहिबे
मोला नई आय कहिके चिल्लावत हे
""""""""""""""""""""'""""'''
सतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
जिला बलौदा बजार भाटापारा
‪#‎मयारू‬
9926113995

छत्तीसगढ़ी मंच के चर्चा गोष्ठी

 1 मई 2016 के बेमेतरा जिला के थानखम्हरिया मा स्थानीय निराला साहित्य समिति के सहयोग ले एक चर्चा सह काव्य गोष्ठी के आयोजन करे गिस । आयोजन के मुख्य अतिथि रहिन हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग के अध्यक्ष डां संजय दानी, विशिष्ठ अतिथि गुरतुर गोठ के संपादक श्री संजीव तिवारी, निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया के अध्यक्ष श्री राजकमल राजपूत ।  कार्यक्रम के अध्यक्षता करिन स्थानीय विप्र समाज के प्रमुख श्री राजेन्द्र प्रसाद तिवारी । कार्यक्रम के भाई अनिल तिवारी के संचालन मा सबले पहिली मा षारद के पूजा अर्चन दीप प्रज्वलन के पश्चात अतिथि अउ कार्यक्रम मा पधारे सबो साहित्यकार भाई मन तिलक लगा के अउ श्रीफल भेट करके स्वागत करे गीस ।

स्वागत परम्परा के बाद उद्बोधन के पहिली कड़ी मा श्री योगेश्‍ा तिवारी जी अपन बात रखत कहिन के केवल हमर षब्द ला छत्तीसगढ़ी नई होना चाही बल्कि हमर व्यवहार ला घला छत्तीसगढि़या होना चाही । हमर साहित्य मा छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति-लोकव्यवहार ला श्‍ाामिल होना चाही ।

छत्तीसगढ़ी मंच के संयोजक मंच ले परिचय करात बताइन के अइसे तो छत्तीसगढ़ी मंच विगत 2 बछर ले अस्तित्व मा रहिस फेर ये बछर के देवारी के संग ‘छत्तीसगढ के पागा‘ नाम ले छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता षुरू करे गीस  । जेन मा नव रचनाकार मन संग दिन अउ आज ‘छत्तीसगढ़ के पागा‘ के 7 सफल आयोजन के बाद ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी के 8 सफल आयोजन के 9वां आयोजन आज ले श्‍ाुरू  होगे हे ।  वास्तव मा ये आयोजन के पाछू ये मंश्‍ाा रहिस जइसे बहुत अकन हिन्दी साहित्यिक समूह हा कई इन मा प्रतियोगता करवत हे, ओइसन छत्तीसगढ़ी मा नई रहिस ये कमी ला पूरा करे के नानकुन प्रयास चलत हे ।  छत्तीसगढ़ी मंच हा लगातार प्रयास करत हे के हमर छत्तीसगढि़या रचनाकार मन अपन रचना ला कोनो विधा मा बांधय ।  कविता के छिदिर-बिदिर बरे विधा तुकांत, गजल, हाइकू, छंद, ददरिया, कर्मा लोकगीत आदि के विधान ला जानय अउ विधान मा रचना करंय ।  ये प्रयास ले उम्मीद जागे हे नवा रचनाकार मन ये विधा ले परिचित होंही ये विधा मन मा लिखही ।

 अंतरजाल के छत्तीसगढि़या सिरमौर गुरतुर गोठ के संपादक श्री संजीव तिवारी अपन बात रखत इंटरनेट के महत्ता ला बतवत कहिन- हमर सियान वरिष्ठ साहित्यकार मन के जमाना अउ आज के जमाना बहुत अंतर आगे हे । पहिली रचनाकार के रचना कोनो पेपर मा छप जतीस ता लोगन मन जानतीन के ओखर पुस्तक छप जतीस ता लोगन मन जानतीन । कहू पुस्तके छप जय ता कतका पुस्तक छपही 1000, 2000, के 5000 ये पुस्तक ला कतका झन पढि़न ता 5000 के 10000 फेर आज के रचनाकार के रचना जब इंटरनेट मा पोष्ट करे जावत हे ता कतका झन पढ़त होही अंदाजा लगावव एके दिन मा अतका कन हो सकत हे । दूसर बात ये रचना मन ला कोनो भी, कोनो दिन, कतको जुहर, कहू ले पढ़ सकत हे । अब पुस्तक पढ़ईयां मन रोज के रोज कम होवत हें । जुन्ना साहित्यकार मन के बात रखत कहिन के हमर सियान मन कहिथे के नवा लइका मन छत्तीसगढ़ी मा केवल छत्तीसगढ़ी के वंदना, भाखा के गान जइसे कुछ एक विष्‍ाय मा सिमट गे हें ।  कोनो रचनात्मक काम नई होत हे । सियान मन के पिरा मा अपन पिरा जोरत आदरणीय संजीव भैया कहिन के हमर आज के साहित्यकार नवरचनाकार के सबले बड़े कमी ये हे के हम न आज के न पाछू काल के रचनाकार मन हम नई पढ़न केवल अपने ला देखत रहिथन येही पाय के हमर विचार हा प्रगतिवादी नई लगत हे ।  नवरचनाकार अख्खड़ गांव ले आथें जिहां प्रकृति के बिम्ब भरे पडे हे तभो ले नवारचनाकार मन अपन बात ला सोज-सोज कहत जात हे कोनो बिम्ब के कोनो प्रतिक के सहारा नई लेवत हे ।  सोज-सोज तो कोनो मनखे अपन बोल चाल मा अपन भाव ला बगरावत रहिथे फेर हमर कवि होय ले का फायदा । अपन रचना मा बिम्ब के प्रयोग करे बर हमला छत्तीसगढ़ी साहित्य के संगे-संग हिन्दी साहित्य ला घला खूब पढ़ना चाही, गुनना चाही फेर अपन रचना गढ़ना चाही ।
 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदरणीय डां संजय दानी, संजीवजी के बात के समर्थन करत कहिन के परम्परागत विष्‍ाय के अलावा हमला नवा विष्‍ाय मा कलम चलाना चाही । जेन विष्‍ाय मा हम आज लिखत हन ओ दूसर के विष्‍ाय हे जेमा ओखर पहिचान हे ।  हमला अपन पहिचान बनाये बर अपन विष्‍ाय देना होही ।  अपन बात ला प्रतिक मा बिम्ब मा व्यक्त करना चाही ।
 अंत अध्यक्षी बात कहत श्री राजेन्द्र प्रसाद तिवारीजी छत्तीसगढ़ी मा बाढ़त अश्लीलता के चिंता व्यक्त करत अनुरोध करिन के ये बिमारी ला केवल नव रचनाकार मन रोक सकत हे ।  आप मन आघू आव अउ येखर इलाज करव ।

 चर्चा गोष्ठी के बाद ‘छत्तीसगढ़ के पागा‘ अउ ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी‘ के विजेता संगी मन ला प्रषस्ति पत्र अउ जम्मो प्रतियोगिता के विजेता रचना मन के संग्रह ‘अउवल‘ ले सम्मानित करे गीस ।

 येखर बाद काव्य गोष्ठी प्रारंभ होइस जेमा दूरिहा-दूरिहा ले आय संगी मन अपन कविता के पाठ करिन । भाई राजेष निशाद, भाई संतोष्‍ा फारिकर, भाई ज्ञानु, भाई हेमलाल साहू, भाई मिलन मलरिहा, भाई दिनेष देवांगन दिव्य, भैया सूर्यकांत गुप्ता, भैया नवीन तिवारी, डां अषोक आकाष बालोद, बेमेतरा, रायपुर ले पधारे संगी मन के संगे-संग स्थानीय राजकमल राजपूत, अनिल तिवारी चैतन्य जितेन्द्र, सुनिल शर्मा के काव्य पाठ के बाद दूनो अतिथि श्री संजीव तिवारी अउ डां संजय दानीजी के काव्य पाठ होइस । काव्य गोष्ठी के संचालन रमेश चौहान द्वारा करे गीस ।  भाई सुनिल शर्मा  के आभार के साथ कार्यक्रम संपन्न होइस ।

 कार्यक्रम मा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग बर सबो संगी मन ला छत्तीसगढ़ी मंच धन्यवाद सहित आभार कहत हे ।  कार्यक्रम के अतिथि डां संजय दानी, श्री संजीव तिवारी के मया अइसने मिलत रहय के कामना करत  हे ।  हम आभारी हंवन भैया अरूण निगम के जेन पारिवारिक दायित्व के कारण तन ले ना सही मन ले हमर संग जुड़े रहिन ।  छत्तीसगढ़ी मंच आभारी हे स्थनीय निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया के जेखर सहयोग ले ये कार्यक्रम संपन्न होइस ।

पागा कलगी 9 बर//एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'

विषय/शिर्षक- 'कभू आही मोरो पारी'
विधा- गीत

बंदन के चंदन कनेर के फुल,
गुलैची के माला टोटा तरी झुल।

पर के भोभस बर बलिदान होगेंव,
हांसी होगे मोर मय चंडाल होगेंव।

मौत मयारूक मय मौत के दीवाना,
मौत मंजिल बर बिरथा हे बौराना।

पर खातिर जिये मरे उही जुझारू,
बिन खोजे दरस देहे तौने मयारू।

हिरदे के भितरी म कुलुप अंधियार,
कलप कलप खोजेंव देखेंव दिया बार।

अंतस म ठाह पायेंव बगरे अंजोर,
चुहत आंसू दरस पायेंव दुनों कर जोर।

बिन पानी तरिया सुरूज न चंदा,
भरम न भुत उंहा सुखे सुख म बंदा।

तैसे देस मोर जिहा ले मय आयेंव,
कबीर परेमी कबीर गीत गायेंव।

टारे नई टरे बाबू करम गति भारी,
छुट जाही दाग कभू आही मोरो पारी।

गीतकार 
एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
औंरी, भिलाई—3, जिला—दुरूग
मो.7828953811

रविवार, 1 मई 2016

//‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-9‘ के विषय//

छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-8‘ के विषय प्रारूप ये प्रकार होही-
समय- दिनांक 1/5/16 से 15/5/16 तक

मंच संचालक-श्री देवेन्द्र ध्रुव (छत्तीसगढ़ पागा कलगगी 1 के विजेता)
निर्णायक-
1. श्री पुष्कर सिंह ‘राज‘, वरिष्ठ साहित्यकार, बालोद
2. श्री अंजनी कुमार अंकुर, रायगढ़

विषय - ये बार कोई विषय निर्धारित नई करे जात हे आप स्वतंत्र रूप से कोना भी विषय मा अपन रचना दे सकत हंव । ।

विधा- विधा कोनो बंधन नई हे, फेर रचना संक्षिप्त अउ गंभीर होय अइसे निवेदन हे ।
परिणाम घोषण 16/5/16

आप 
छत्तीसगढ़ के पागा कलगल 9 बर रचना-
विषय/शिर्षक-
विघा-
लिख के रचना पोष्ट करना हे ।

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 8 के परिणाम


छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता् छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 8 के
विषय-चित्र ला ये दरी के प्रतियोगिता के संचालक भाई दिनेश देवांगन ‘दिव्य‘ हा दे रहिस । ये विषय मा हमर पूरा छत्तीसगढ़ ले रचना आहिस ये 15 दिन के आयोजन मा 19 रचना प्राप्त होहिसए इंखर रचनाकार हें-

1-ज्ञानु मानिकपुरी 9993240143
चंदेनी कवर्धा (छः ग)

2-महेश पांडेय मलंग
पंडरिया जिला कबीरधाम

3-ललित साहू "जख्मी"
ग्राम - छुरा
जिला - गरियाबंद (छ.ग.)
मो. नं. - 9144992879

4-सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम -सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.न. 8085470039

5-सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
रचना-18/04/2016

6-रामेशवर शांडिलय
हरदीबाजार कोरबा

7--हेमलाल साहू

8-राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद

9-हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

10-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गांव-गोरखपुर,कवर्धा

11-मिलन मलरिहा
मल्हार-बिलासपुर
छत्तीसगढ़

12-महेन्द्र देवांगन माटी
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला - कबीरधाम ( छ. ग. )

13-लक्ष्मी नारायण लहरे ,
साहिल, कोसीर सारंगढ़ रायगढ़

14-आचार्य तोषण
गांव -धनगांव
डौंडीलोहारा
बालोद(छ. ग.)

15--चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

16-नवीन कुमार तिवारी ,,,

17-कुलदीप कुमार यादव,खिसोरा
मो.न.--9685868975

18--आशा देशमुख

ये दरी निर्ण के जिम्मेदारी भइया सूर्यकांत गुप्ता अउ मोर (रमेश चैहान) ऊपर रहिस । हम अनुभ करे जइसे जइसे प्रतियोगिता आघू बढ़त जात प्रतियोगिता एकदम कड़़ होत जात सबके रचना 19-20 हे । अब कोनो निर्णायक होही ओखरे परीक्षा होय लग गे हे । 19ऋ20 रचना कोनो रचना अलग करना कोनो आसान काम नो हय । मैं सबले पलिी सबो प्रतिभागी भाई बहिनी ला ये प्रतियोगिता मा भाग ले बर बधाई अउ आाभार देवत हंव । हमार दूनों निर्णायक के विवेक ले ये दरी भाई रामेश्वर शांडिल्य अउ दीदी आशा देशमुख के रचना हा 20 रहिस । पागा कलगी-8 के पागा कलगी भाई रामेश्वर शंडिल्य अउ दीदी आशा देशमुख के मुड़ी मा बढ़ाय जात है ।

दूनो झन ला मंच के डहर ले गाड़ा-गाड़ा बधाई