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रविवार, 15 मई 2016

पागा कलगी 9 //लक्ष्मी नारायण लहरे ' साहिल'

लैकाई के सपना
_____________
अबड सुरता आथे, मोर अंगना
बरसा के पानी
ओरछा के पानी
सडक के पानी
तरिया के पानी
नदागे सब रुख राई
बर- पीपर नदागे
संगवारी घलो भुलागे
लैकाई के सपना
अबड सुरता आथे ,मोर अंगना
बबा के चोंगी
बैला गाडी नदागे
घर के डेकी अउ जाता लुकागे
का ज़माना आगे रे संगी
पड़ोसी ह बैरी होगे
सुख दुःख म कोनो पुछारी नीइये
संगी जहुरिया के मितानी नीइये
काला अपन लैकाई के सपना ल सुनाबो
इहाँ सच के ज़माना नीइये
लैकाई के सपना
अबड सुरता आथे, मोर अंगना
० लक्ष्मी नारायण लहरे ' साहिल'
युवा साहित्यकार पत्रकार
वर्तमान पता - बघौद ,तहसील -डभरा , जांजगीर
स्थाई पता - डा अम्बेडकर चौक कोसीर ,सारंगढ़, रायगढ़
मो० ९७५२३१९३९५

पागा कलगी 9 बर//ज्ञानु मानिकपुरी

कइसे आही सुराज
_______________
जनता फोकट के चाउर ,नून म भुलागे।
गांव -शहर ह दारू गांजा म मतागे।
आगी लगय तोर जांगर म रे जांगरचोट्टा
फोकट के खाके अपन करम ल भुलागे।
वाह रे सरकार! अउ तोर वादा।
समझ नइ आय का हे तोर इरादा।
ये करेंगे, वो करेंगे, ये सकल्प हमारा है कहिथे
कतेक ल ठगबे रे मिठलबरा ज्यादा।
सुनत रेहेव ग्राम सुराज में हमर,
मुख्यमन्त्री साहब के भाषण ल।
मन्दारी आथे त गांव वाले मन सकेला जथे,
ताली बजाके वइसने देखत हे तमाशा ल।
मुख्यमन्त्री साहब कहय 2 साल में पुरे गांव गांव में बिजली पहुँच जहि,
जनता पूछत हे 15 साल के का झकमारत हस।
बस हमने ये किया हमने वो किया,
अपन झूठा सेखी बघारत हस।
जेन मंत्री अउ अधिकारी मन ,
हमर बर योजना बनाथे।
ऎ.सी. रूम म बइठे हे अउ,
बिसलरी पानी पियथे ।
एक दिन गर्मी में निकले ले,
गरीब किसान संग बइठ के खावत हस।
सुराज कइसे आही साहेब,
चार दिन बाद का कहे हव भुलावत हस।
बाई के ईलाज बर पइसा नइये,
घर म साग भाजी नइये।
कतेक दुःख ल बताओ साहेब,
लइका बर पुस्तक कॉपी नइये।
चइत- बैशाख म उखरा पाव के रेंगई,
कांटा - खूंटी गड़थे।
उमला का पता गरीबी का होथे,
जेन हवाई जहाज म उड़थे।
अब जाग जाओ मोर भाई मन,
पर हाथ कंचन काया नइ होवय।
अपन आँखी म नींद आथे संगी हो,
अपन हाथ सुराज हे, कोखरो कहे ले कुछु नइ होय।........कोखरो कहे के कुछु नइ होय।
____________________________________
आप मनके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी
चंदेनी (कवर्धा)
9993240143

पागा कलगी 9 बर//-हेमलाल साहू

महँगाई
मँहगाई ला देख के, आज आदमी रोय।
चिंता नेता ला कहाँ, मार खराटा सोय।।
मार खराटा सोय, दोगला राज करत हे।
बनिया के तो आज, तिजउरी खूब.भरत हे।।
खाली टेक्स पटाव, करे मौज नेता भाई।
तुम कतको चिल्लाव, बाढ़थे नित मँहगाई।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा

शनिवार, 14 मई 2016

पागा कलगी 9// सुनील साहू"निर्मोही"

"काय कमी हे तोर म"
राम के माया राम देखाए,
लीला ओखर निराला हे।
सबला दिए हे जिनगी जिए बर,
कहे करम के जिनगी उजाला हे।
---------------------
मनखे जेखर हाथ नई हे,
का कांही कुछु कमात नई हे,
हाथ रहईया मनखे ल घलौ।
मैं ठलहा बईठत देखे हव।
-------------------
ठट्ठा मुट्ठा मजाक करत हस,
नाम क अपन खराब करत हस,
नई हे का तोर गोड़ हाथ,
करे सकच नही गोठ बात,
गोड़ रहईया मनखे ल घलौ।
मैं आँखी म घिसलत देखे हव।
--------------------
कान रहईया मनखे ल देख,
भैरा कस अईठत देखे हव।
जेन कखरो बात ल नई टारय,
मैं अईसन भैरा देखे हव।
-------------------
मुह दिए भगवान जेला ओला,
घर म आगि लगावत देखे हव।
जेला समझे सब भोकवा मनखे,
ओला मया बगरावत देखे हव।
----------------------
जेखर मेर कमी नई हे,
ओ कमी ल गिनावत हे।
अउ जेखर मेर कमी हे,
ओहि करम के भाग जगावत हे।
---------------------
सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम -सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.8085470039

पागा कलगी 9//ललित साहू "जख्मी"

"जीव करत हे जांव-जांव"
मरघट के लकडी बेचा गे
मंहगाई मे फुल गे हांथ-पांव
चारो मुडा हाहाकार मचे हे
नेता मन करत हे खांव-खांव
एक जुआर बर रोटी नई हे
नई हे बिता भर छंईहा ठांव
सिधवा बिचारा दुबके बईठे
कोलिहा मन करत हे हांव-हांव
साधु के चोला होगे दगहा
परभु के कोन जपवाही नाव
बडे छोटे के फेर मे ये दुनिया
मईनखे करत हे कांव-कांव
भाई बैरी परोसी ढोंगी होगे
पातर होगे ममता के छांव
मया पिरीत के लजलजहा गोठ
सुने ला मिलत हे गांव-गांव
कलजुग मे लबरा दोगला हमाय
परमारथ करों ते करों के घांव
भरोसा के रद्दा पट सुन परे हे
मितान के खोर करत हे सांव-सांव
गाडी चलात हे आंखी मुंद के
हारन बजावत हे चींव-चांव
ऊपर चित्रगुप्त खाता लिखत हे
यमराज कहात हे आंव-आंव
नसा मानुस के मन भरमाये
चलत हे फड मे जुंआ के दांव
बिमारी पसरे कोंटा-कोंटा मे
जीव करत हे अब जांव-जांव
रचनाकार-
ललित साहू "जख्मी"
ग्राम-छुरा
जिला-गरियाबंद
9144992879

पागा कलगी 9//देव हीरा लहरी

गरमी मे हाहाकार
-----------------------------------------
गरमी ले जम्मो कोती
अब्बड़ मचत हे हाहाकार
जईसे सुरूज देवता ह
गुस्सा म करत हे ललकार

बहुत होगे प्रभु दिखा जा
अपन कुछू चमत्कार
अब तो हमरो ईही कहना
हे ये मउसम हे बेकार
सबो झन झांझ ले बचे
के कर लव बने धियान
घाम म घर ले झन
निकलहु लईका,सियान
अतेक कलकल गरमी
ले कब मिलही निदान
लु लग जाही घाम म
जादा झन घुमबे मितान
चिरई चुरगुन मरत हे
झन कर प्रभु अतेक आहत
भगादे प्रभु गरमी ल देजा
जिनगी म कुछू राहत
गरमी म तीप गेहे मोर
नाक मुह अऊ कान
अब कतेक ल लिखव में
होगे हव हलाकान
-------------------------------------
रचना - देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर

पागा कलगी 9//आशा देशमुख

धरती के गोहार
झन बेचव गा धरती ला
मोर किसान बेटा ,मैं बिनती करत हव
मोर सिधवा बेटा ,मैं बिनती करत हव

पुरखा मन हा संजो के राखिस
तहुँ हा मोला संजो ले
बिन भाखा के मोरो बोली
मन मा अपन भंजो ले
ये माटी चंदन अय बेटा
माथ म अपन लगा ले
डार पसीना ये माटी मा
जिनगी अपन बनाले
दाई ददा हे घन अमरैया
झन फेकव गा गरती ला
मोर किसान बेटा ,मैं बिनती करत हौ
जंगल झाड़ी खेत खार हा
मोर गहना गुरिया अय
तुंहर पसीना तुंहरे मेहनत
रहय के मोर कुरिया अय
वो दिन दूरिहा नई हे गा
रीत जाही धान कटोरा
बचाले ग कोठी डोली ला
झन कर बखत अगोरा
लालच के टंगिया मा गा
झन काटव रुख फरती ला
मोर किसान बेटा ,मैं बिनती करत हौ
तिही बता गा दू रुपिया मा
कब तक चऊर खवाही
अलग अलग राजा आही गा
कानून अलग बनाही
जांगर तोर जंग लग जाही ता
का उदीम तैँ करबे
लोग लइका के जिनगानी ला
उज्जर कइसे करबे
तोरेच घर मा बनाके बंधुआ
तोला दिही ग झरती ला
मोर किसान बेटा , मैं बिनती करत हौ
झन बेचव गा धरती ला
-आशा देशमुख

बुधवार, 11 मई 2016

पागा कलगी 9//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

"ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि"
"""""""""""""""""""""""""""""""'"""""""
सुन भाई गरीब मनखे मन ल झन सता
अपन दबंगई अउ रहिसि ल झन जता
ठग मत झन कर काखरो ले मनमाने उगाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।1।

गरीब मनखे मन गऊ कस सिधवा होथे गा
पइसा नई होय फेर उंखरो इज्जत होथे गा
ले डरे हे करजा गरीब हर धीरे बांधे छुटाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।2।
कमाए खातिर रोजगार बर तरसत रहिथे
घर परिवार ला पोसे बर बड़ भटकत रहिथे
उंखर कोनो नई हे सुनईयाँ उन कोनला सुनाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।3।
गरीब मनखे बर सरकार बनाए हे भारी योजना
चलत हे बन्दर बाँट नेता भरत हे अपन कोटना
रहिजा पांच बछर बाद फेर मुँह उठाके आहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।4।
भगवान् घर देर हे अंधेर नई हे कहे मनखे भाई
गरीब मनखे के करव मदद आवय हमरे भाई
कईथे जेन जइसे बोहि तेन तइसे फर ला पाहि
ज्यादा झन इतरा एक दिन तोरो पारी आहि।5।
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

पागा कलगी 9//कुलदीप कुमार यादव

******** कँहा नंदागे********
खोजत खोजत मोर सरी उम्मर हा पहागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।

खेलत रेहेन बांटी-भौरा संग मा गुल्ली डंडा,
ऐ डारा वो डारा कुदके खेलन डंडा पचरंगा ।।
अब के लइका मन घर मा खुसरे रहिथे,
झन निकलहु घर ले बाहिर दाई-ददा हा कहिथे ।।
अउ जमाना हा तो किरकेट मा भुलागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
चउक चौराहा मा सियान मन के होवै हांसी-ठिठोली,
मंदरस सरिक मीठ लागै ओखर छत्तीसगढ़ी बोली ।।
अब ये भाखा ला बोले बर सबझिन हा शरमाथे,
एकरे खाये बर अउ ऐखरे चारी गोठियाथे ।।
सब मनखे अंगरेजी बोलके बिदेशिया ले ठगागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
भीजन ओइरछा पानी मा आये महीना सावन,
अउ डुबक-डुबक तरिया मा जाके हमन नहावन ।।
लहर-लहर लहरे पानी डोंगरी नरवा सरार मा,
सुग्घर बितय दिन हा हरियर हरियर कछार मा ।।
फेर अब पानी के दुकाल ले भुइंया हा दर्रागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
तइहा जमाना मा होवै हमर संगी मितान,
जुरमिल के रहिहो सिखावै हमर सियान ।।
कोन जनि ये छत्तीसगढ़ मा कइसन बरोड़ा आइस,
छिन भर मा सबो संसकिरिति ला लेके वो उड़ाइस ।।
अब मनखे ले मनखेपन के समंदर घलो अटागे,
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे ।।
कोन जनी वो दिन हा अब कँहा नंदागे।
*****रचना*****
कुलदीप कुमार यादव
ग्राम-खिसोरा,धमतरी
मो.न-9685868975

पागा कलगी 9//ललित वर्मा

💐💐भोंदू-भवानी के गोठ💐💐
----------------------------------------------------------------
भवानी:का सोंचतहस भोंदू?
भोंदू:भईया,ये कोई विषय नही ह का हरे गा?
भवानी:काबर पूछथस भाई?
भोंदू:ए पागा कलगी वाले मन उही कोई बिसय नही ल बिसय बनाके रचना पोहे बर कहे हे गा
भवानी:अच्छा,अइसन बात हे,त सुन-कोई बिसय नही माने-निर्विषय,निमगा कोरा कागज,या दरपन या एकदम फरियाय पानी
भोंदू:नई समझ आते भईया,बने फोर के बता न गा?
भवानी:ले,सुन त

निमगा कोरा कागज,जेमा कांही लिखाय नई राहय
दरपन अइसन,जेमा कोनो आकार नई राहय
फरियाय पानी,जेमा भीतर के सबकुछ दिखय
अंतस अइसन राहय जी,जेला कहिथे निर्विषय
भोंदू:अभो नई समझेंव भईया,अउ फोर न गा
भवानी:ले,बने धियान देके सुन
जीव अउ ईश्वर बीच भाई, माया के हे खेल
राग-द्वेष ईर्ष्या-तृष्णा के,मचे हे रेलमपेल
अंतस होगेहे काजरे-काजर, घस-घस एला मिटाबोन
छल-कपट के घपटेेहे बादर, जेला फूक-फूक भगाबोन
अच्छा करम ल करबोन संगी, सत के संग हम जाबोन
मानवता के रद्दा चलबोन, अंतस ल फरियाबोन
कोरा अंतस म भक्ती के, सादा लकीर बनाबोन
ढाई-अक्छर परेम के लिखबोन,पढबोन अउ पढाबोन
दरपन जईसे निरमल अंतस के, ब्यवहार होथे निसानी
सूर-तुलसी घलो गाये हाबय, निरमल-अंतस बानी
नानक-कबीर-सहजो-मीरा, सबके इही कहानी
समझे भोंदू?
भोंदू:हां भवानी,जय हो भवानी
-----------------------------------------------------------------
रचना - ललित वर्मा छुरा गरियाबंद

पागा कलगी 9//मिलन मलरिहा

**आखरी बेरा**
"""""""""""""""""""
काबर मति छरियाथच बबा
तोरगोठ कोनो नइ मानय जी
उमर खसलगे झीन गुन तैहा
बिगड़य चाहे बनय जी
दिन उंकरे हे मानले तय
संसो टार चुप देखव जी
करेनधक सियानी नवाजूग हे
कलेचुप किस्सा सुनव जी
तोर बनाए नइ बनय कछु
फेर का बात के मोह तोला
का बात के मया जी
का बात के गरभ हे सियान
मोला तय बताना जी......
.
कतेक रुपिया कतेक पईसा
कतेक साईकिल गाड़ा भईसा
ए जिनगी के ठुड़गा बमरी
एकदिन चुल्हा म जोराही
जाए के बेरा अकेल्ला जाबे
कोनो संग म नई जाही
जिनगी के आखरी बेरा
सब्बो दूरिहा हट जाही
दूई दिन रो-गा के ओमन
महानदि म तोला फेक आही
दसनहावन म जम्मो जुरके
तोर बरा सोहारी ल चाबही
फेर का बात....................
.
तय ह सिधवा गियानी बने
लईका होगे आने- ताने
चारो कोती तय मान कमाएँ
नाती-पोती सब धूम मचाएँ
बनी-भूति, कमा-कोड़ के
खेत बारी-भाठा ल सकेले
टूरा-टूरी फटफटी खातिर
छिनभर म ओला ढकेले
तोर खुन-पसीना के कमाई
किम्मत दूसर का जानय जी
फेर का बात....................
.
गाँव गाँव तोर गियान फइले
घरो-घर तोर बात म चले
अपन घर-छानही धूर्रा मईले
जइसे दिया तरी मुंधियार पेले
अब कब आही तोर घर अंजोर
बइठके डेहरी करत सोंच
अंगाकर रोटी ल टोर-टोर
चार कोरी बेरा जिनगी पहागे
नाती छंती के दिन आगे
अब बनावय चाहे बिगाड़य जी
फेर का बात....................

)
मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर

पागा कलगी 9//रामेश्वर शांडिल्य

नवा बहुरिया
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
छुटगे संग भाई बहिनी के.
दाई ददा के कोरा ऩ
छुटगे संग सखी सहेली के.
घर अंगना गाव के खोरा ऩ
ससुरार म मुड ढाके लजात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
मइके म फूल कस महमहावत रहे.
पारा पारा म तितली कस मडरावत रहे ऩ
ससुरार म आके समझदार होगे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
सास ननद करा मइके के.
गोठ गोठियात रहे.
अपन गांव के कुकूर ल.
सहरात रहे.
तेार गोठ ल सुन ननद खिसियात रहे ओ ऩ
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी 9//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

--: परचे देवत रूख :--
...गीत....
मोर नाव हे बीरवा रुखवा ..
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे।
मोर संग पिरित के गठरी ल जोरके,
जिनगी के बछर बिताना हे,जिनगी के बछर बिताना हे।
मोर नांव हे बीरवा रूखवा ,
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे।
'१' उवत सूरुज संग भोजन बनाथव,
जीव जन्तु ल खवाथव...।
कुहरा धुआं ल पियत रहिथव,
सुघर हवा बगराथव...।
हरियर-हरियर गीत मै गाथव...
हरियर-हरियर गीत मै गाथव,
मोर संग सबो ल गाना हे,मोर संग सबो ल गाना हे।
मोर नांव हे .........
'२' मोर सुघ्घर फूल मोर गुरतुर फल,
लकड़ी घलो ल बउरत हव...।
कागज कपड़ा अवषधि तरकारी,
चटनी घलो ल संउरत हव...।
पर उपकार के मोर करतब ल..
पर उपकार के मोर करतब ल,
जम्मो झन ल बताना हे,जम्मो झन ल बताना हे।
मोर नांव हे........
'३' भुमि ल बांध अपरदन रोकव,
पानी घलो बलाथव...।
जल थल अउ वायु परदुषन ल,
दूर भगाथव...।
माटि म मिलके संगवारी...
माटि म मिलके संगवारी,
तुंहरेच काम मे आना हे,तुंहरेच काम मे आना हे।
मोर नांव हे बीरवा रूखवा,
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे...।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
९६८५२१६६०२

शनिवार, 7 मई 2016

पागा कलगी 9//राजेश कुमार निषाद

मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
तै हावस ओ एति ओति
मैं तोला खोजंव कति कति।
नौ महीना ले अपन कोख म
रखे ओ मोला जतन के।
पांच बरस के होवत ले
दूध पिलाये अपन तन के।
कोख ले अपन जनम दे हस मोला
लाख लाख पीड़ा ल सहिके।
किसम किसम के मोला भोजन कराये हस
अपन लांघन भूखन रहिके।
कतेक तै दुख सहे ओ मोर सति
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
नान्हे पन ले मैं तोर दुलरवा रेहेंव
नई जानेंव तोर दुलार ओ।
कतेक मैं रोवंव चिल्लावंव
पर देवस तै भुलार ओ।
तोर मया के कतेक करंव बखान
पांव पखारंव तोर कोटि कोटि
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
अंगरी धर के चले बर मोला
दाई तहीं हर सिखाये हस।
मैं तोर लईका दुलरवा दाई
गली खोर म घुमाये हस।
महिमा तोर निराली दाई
तोर गुण ल गावंव सबो कोति
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।

रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद (समोदा )

शुक्रवार, 6 मई 2016

पागा कलगी 9//दिनेश देवांगन "दिव्य"

रोवत हे परियावरण, रोथँय नदी पहाड़ !
मनखें तज इंसानियत, करत हवय खिलवाड़!!
करत हवय खिलवाड़, काँटथें जंगल झाड़ी!
धुआँ करिस आकास, कारखाना अउ गाड़ी !!
सुनव दिव्य के गोंठ, मनखें जहर बोवत हे!
लेवन कइसे साँस, परानी सब रोवत हे !!


काॅटव रुख राई नहीं, हो जाही जंजाल !
शुद्ध हवा पाहव कहाँ, होही जी के काल !!
होही जी के काल, बरसही बादर कइसे !
उजर जही संसार,बिना जल मछरी जइसे !!
देत दिव्य संदेस, भलाई सबके छाॅटव !
सबो रही खुसहाल, नही रुख राई काॅटव !!

पेड़ लगावँव रोज गा, पेड़ हमर हे जान !
हाँसी जब परियावरण, संग हमूँ मुसकान !!
संग हमूँ मुसकान, नाचही चारों मउसम!
सावन अउ आषाढ़, बरसही पानी झमझम!!
सुनव दिव्य के गोंठ, प्रकृति ले मया बढावँव!
इही हमर वरदान, जतन के पेड़ लगावँव!

दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

मंगलवार, 3 मई 2016

पागा कलगी 9 //आचार्य तोषण

॥छत्तीसगढ़ के तिहार॥
////////////////////
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
झुमै नाचै सब नर नारी
मया के होवै बउछार गा।
हरेली मनाबो सावन मा
नांगर चढाबो रोटी चीला।
हरिहर दिखै धनहा भुंइया
झुमरय माई अउ पीला।।
बरखा रानी झिमिर झिमिर
पानी देवय फुहार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
बांधय राखी बहिनी हर
अपन भाई के कलाई मा।
भाई देवय बचन बहिनी ल
जान देहूं तोर भलाई मा।।
भाई बहिनी के मया देखे
उतारे नजर संसार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
आगे भादो जांता पोरा
समारू नंदिया दउडाय।
दाई बहिनी के तीज तिहार
गौरा शंखर ल मनाय।।
आनी बानी के रोटी पीठा
रांधे करे फरहार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
आगे नवरात कुंआर मा
चल ना जोत जलाबो।
दशेरा संग कातिक मा
घर-घर दीया जलाबो।
खाबो नवा जुरमिल संगी
पाबो मया दुलार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
पूस पुन्नी के बेरा सुघ्घर
छेरछेराय घर-घर जाबो।
बइठाबो टुकना म मिट्ठू
मिल गीत सुआ के गाबो।।
घर कुरिया सबके खुले
अन्नकुंवर के भंडार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
फागून मस्त महीना संगी
उड़ावय रंग गुलाल जी।
लइका सियान जवान मितवा
दिखय सबे लाले लाल जी।।
भर पिचकारी मारत हावय
एक दुसर ला बउछार गा ।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
/////////////////////
////जय छत्तीसगढ़////
////////////////////
रचना:-आचार्य तोषण
गांव-धनगांव डौंडीलोहारा
जिला-बालोद, छत्तीसगढ़
पिन-४९१७७१
९६१७५८९६६७

सोमवार, 2 मई 2016

पागा कलगी 9 बर//सतोष फरिकार

मोला काही नई आय
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दाई कहे बेटी ला
चाऊर निमार दे बेटी
बेटी कहत हे दाई ला
नई आय मोला निमारे ला
बेटी के फेशन देख
दाई हर लजावत हे
काम बुता काही नई करय
दिन भर चेहरा सजावत हे
दाई बर गुर्रावत हे
अईसन दिन धलो आगे
बेटी कहत हे दाई ला
छेरकीन टुरी हर दाई
जिन्श अऊ टाप पहिन
छेरी चराय बर जावत हे
ओखर ले का कम हव दाई
मय तो करत हव पढ़ाई
पढ़े बर जात हे बेटी
आनी बानी किरीम लगात हे
मसमोटी देख बेटी के
दाई चिन्ता म दुबरावय हे
अईसन दिन धलो आगे
स्कुल ले आके टीवी ल देखत
अपन फेशन ल बढ़ावत हे
दिन रात दाई सोचत
स्कुल म जाके न जाने
बेटी का पढ़ाई करत हे
ददा हर दिन रात
कमाई भर करत हे
बेटी काय करत हवय
सुध घलो नई लेवत हे
अईसन दिन घलो आगे
कुछू काम सीखे ल कहिबे
मोला नई आय कहिके चिल्लावत हे
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सतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
जिला बलौदा बजार भाटापारा
‪#‎मयारू‬
9926113995

पागा कलगी 9 बर//एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'

विषय/शिर्षक- 'कभू आही मोरो पारी'
विधा- गीत

बंदन के चंदन कनेर के फुल,
गुलैची के माला टोटा तरी झुल।

पर के भोभस बर बलिदान होगेंव,
हांसी होगे मोर मय चंडाल होगेंव।

मौत मयारूक मय मौत के दीवाना,
मौत मंजिल बर बिरथा हे बौराना।

पर खातिर जिये मरे उही जुझारू,
बिन खोजे दरस देहे तौने मयारू।

हिरदे के भितरी म कुलुप अंधियार,
कलप कलप खोजेंव देखेंव दिया बार।

अंतस म ठाह पायेंव बगरे अंजोर,
चुहत आंसू दरस पायेंव दुनों कर जोर।

बिन पानी तरिया सुरूज न चंदा,
भरम न भुत उंहा सुखे सुख म बंदा।

तैसे देस मोर जिहा ले मय आयेंव,
कबीर परेमी कबीर गीत गायेंव।

टारे नई टरे बाबू करम गति भारी,
छुट जाही दाग कभू आही मोरो पारी।

गीतकार 
एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
औंरी, भिलाई—3, जिला—दुरूग
मो.7828953811