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शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //29//आशा देशमुख

| देश बर जीबो देश बर मरबो |
बैरी बैरी सब कथे ,असली बैरी कौन |
घर मा बइठे भेदिया ,देश ल बेचय जौंन ||
ये माटी चंदन अय भइया ,माथ म अपन लगावव |
पहली तो घर के बैरी ला ,कसके धूर चटावव |
जेन करय दाई के सौदा ,वो सपूत का होही |
मुड़ी मुड़ाके गली घुमावव ,तर बत्तर वो रोही |
ज्ञान रतन भंडार भरे हे ,ये भारत भुंइया मा |
रहना चाहे सब दुनियाँ हा , येकर गा छइहाँ मा |
आगी बर आगी बन जावव ,पानी बर गा पानी |
झन करन देवव अब बैरी ल ,अपन इहाँ मनमानी |
भारत भुइयाँ के सब लइका , सब मिल मान बढ़ावव |
एकर रक्षा के खातिर सब,सरबस अपन लुटावव |
ये धरती मा जनमे हावे ,सरग के जम्मो देवता |
जइसे लागे पाये हावे,झारा झारा नेवता |
जतका इहाँ जयचंद लुकाए,खोज खोज के मारव
इकर बंधना ले धरती ला ,सब मिल के मुक्तावव |
ये दाई झन कर तै चिंता ,तोरे सेवा करबो |
तोरे अंचरा मा हम जीबो ,तोर पँउरी म मरबो |
, जय हिन्द जय भारत,
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
छत्तीसगढ़

सोमवार, 15 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//28// ललित वर्मा,"अंतर्जश्न"

बिसय: देस बर जीबो देस बर मरबो
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
बीते बरस के जगतगुरू ल,फेर पागा पहिराबो रे
ललकारत हे पाकिस्तान,चीन खडे हे छाती तान
कस्मीर अउ अरूनाचल म, जबरन बईठे हे बेईमान
अईसन सांप-छछूंदर मन ल, कूचर-कूचर के जलाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
हुतकारत हे आज परधान, फूफकारत हे गबरू-जवान
जुरमिल देस ल टीप लेगेबर, जबर जोस संग धरे कमान
अईसन देस के अघुवा मन ल, कांध-मुडी म चढाबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो, देस ल जबर बनाबो रे
गडियाथे झंडा मंगलयान, सहराथे दुनिया के बिग्यान
ब्रम्होस हे ब्रम्हास्त्र बरोबर, बोफोर्स धरे हे अग्निबान
अईसन देस के गरब हवय त, काबर नई इतराबो रे
देस बर जीबो देस बर मरबो,देस ल जबर बनाबो रे
बीते बखत के जगतगुरू ल, फेर पागा पहिराबो रे
रचना:- ललित वर्मा,"अंतर्जश्न" 
छुरा

पागा कलगी-15//27//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

देश बर जीबो देश बर मरबो
आवव जुरमिल इही परन करबो,
देश बर जीबो देश बर मरबो।
कुकरा बासत नांगर धर जाबो,
खेती किसानी जांगर भर कमाबो।
सोनहा अन्न उपजाये खातिर,
धरती दाई के सेवा करबो।
भूंख गरीबी ल दुरिहा करे बर,
आवव संगवारी कमर कसबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
आधा दिन हम जनता कर जाबो,
जनता जनार्दन के अशिष पाबो।
जेकर वोट से मंतरी बने हन,
ओकर किरपा करजा उतारबो।
समस्या ल उंकरो हल करे बर,
जोहारे चिट्ठी थइल म धरबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
तोर उपर आंच नई आवन दन,
सरहद म मां तोर लाल खड़े हन।
दुश्मन मुड़ी टकराके फुट जही,
पहाड़ के पथरा सरिक अड़े हन।
देश के माटी के रक्षा खातिर,
बैरी के टोंटा म हाथ धरबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
राष्ट्र निर्माता के उपाधी संग,
शिक्षा के भार भरोस खांध मढ़ाय हन।
शिक्षक के आदर मान संग,
नमस्ते गुरूजी के सम्मान पाय हन।
नवा पीढ़ी के उज्जवल रद्दा बर,
ज्ञान जोरन उंकर हांथ म धरबो।
देश बर जीबो देश बर मरबो।
आवव जुरमिल इही परन करबो,
देश बर जीबो देश बर मरबो।
रचना:-- सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा

पागा कलगी-15//26//डोल नारायण पटेल

संगी जंवरिहा भाई बहिनी अउ जम्मो मितान जी,
अउ जम्मो मितान जी ।
मई बाप अउ लोगन लइका आवा सबो सियान जी,
आवा सबो सियान जी ।
बेरा हावे जुरमिल के सब, बेरा हावे जुरमिल के सब,
एक परन ला करबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
सुघ्घर सुघ्घर भारत मैय्या के अंचरा हर धानी हावे,
के अंचरा हर धानी हाव ।
अन्न पानी के एकर अमृत दुनिया के महारानी हावे,
दुनिया के महारानी हाव ।
माटी के महिमा देवतन गाईन, माटी के महिमा देवतन गाईन ।
धुर्रा मुड़ मा धरबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
भारत भुइंया के महिमा ला तुलसी बबा हर गाईन हे, तुलसी बबा हर गाईन हे ।
कोरा एखर गंगा बहथे धैन धैन एला बताइन हें, धैन धैन एला बताइन हें ।
धरम थापैया राम किशन के, धरम थापैया राम किशन के ।
कहे डगर मा चलबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इशाई जम्मो बहिनी जम्मो भाई, जम्मो बहिनी जम्मो भाई ।
भारत माता के लइका हावन एके हावे सबके माई, एके हावे सबके माई ।
रकम रकम के फुलवा होके, रकम रकम के फुलवा होक ।
हरबा एके गढ़बो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
सबो तिरंगा लेके आवा आगू बढ़ते जाना हे, आगू बढ़ते जाना हे ।
बन्दे मातरम् बन्दे मातरम्, बन्दे मातरम् गाना हे,
बन्दे मातरम् गाना हे ।
एक डोरी मा बंध के रहिबो, एक डोरी मा बंध के रहिबो ।
काकरो ले नई दरबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
धरम जात के कोनो झगरा में हमला नई परना हे, में हमला नई परना हे ।
गौतम गांधी अउ भगत के थाथी जतन ले धरना हे, थाथी जतन ले धरना हे ।
टेड़गा देखयेया के छाती मा, टेड़गा देखयेया के छाती मा ।
गोला बनके परबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
जौन देश मा जनमेंन बाढ़ेन खेलेंन् कूदेंन् खाएन जी, खेलेंन् कूदेंन् खाएन जी ।
भारतवासी कहलाएंन् अउ अड़बड़ सुख ला पायेन जी, अड़बड़ सुख ला पायेन जी ।
ओकर मान ला राखै खातिर, ओकर मान ला राखै खातिर ।
जिंदगी अर्पन करबो जी, देश बर् जीबो जी देश बर् मरबो जी ।
-
/
डोल नारायण पटेल
तारापुर - रायगढ़ छ0ग0

पागा कलगी-15//25//गुलाब सिंह कंवर "गुलाब "

तुलसी ,संत रविदास मीरा
गौतम नानक अउ कबीरा
किशन कन्हैया मथुरा म जनमीन
अवध पुरी रघुवीरा...
देवी देवता के धाम इहाँ
भीड भडक्का भारी .....
देस बर जीबो देस बर मरबो
जाऔ मैं बलहारी ......
इहाँ खेत खलिहान हे
गहू बाजरा धान हे
मेहनती मजदूर किसान इहाँ
संग संगवारी मीतान हे
कोदो कुटकी राहेर तिवरा
लगे हावय उन्हारी ........
देस बर जीबो देस बर मरबो
जाऔ मैं बल हारी .....
आनी बानी के बोली भाखा
धरम पंथ के अबड शाखा
मिलके सब रिथन इहाँ
न अड़चन ..न ..कोनो बाधा
अनेकता म एकता हमर
भारत के हावय चीन्हारी ....
देस बर जीबो देस बर मरबो
जाओ मैं बलहारी .......
******************************
गुलाब सिंह कंवर "गुलाब "
मा .शा .-नवापारा
खरसिया
जिला -रायगढ़ छ .ग .

पागा कलगी-15 //24//ओमप्रकाश घिवरी

देश बर जीबो देश बर मरबो ।
धन हे मोर भारत, भुईयाँ के माटी ल,
देवत हे चारा सब ला , चीर के अपन छाती ल ।
अईसन महतारी के , सेवा ल करबो ।
देश बर जीबो , देश बर मरबो ।
खाँध म खाँध जोर के ,एके संग रहना हे ।
सबो परानी ल जुर मिल के , सुमत के रस्दा गढ़ना हे ।
मोर देश के माटी पबरित, ईही माटी मा तरबो ।
देश बर जीबो , देश बर मरबो ।
रचना
ओमप्रकाश घिवरी

पागा कलगी-15//23//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

"देश बर जीबो अउ देश बर मरबो"
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गीत
------
बंदे मातरम् बंदे मातरम् गाबो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
1-भूल जावव संगी मज़हब के बात ल।
झन करव संगी मतलब के बात ल।
मनखे अव मनखे बनके रहव जी।
गीता के संग कुरान घला पढ़व जी।
हिन्दू-मुस्लिम,सिक्ख-ईसाई संग साथ रहिबो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
2-सरग ले सुघ्घर ये पावन धरा हे।
जिहा बहत तिरवेनि के अमरितधारा हे।
बैर,कपट ,राग,द्वेष ल छोड़व जी।
सबले भाईचारा के नता जोड़व जी।
ऊच-नीच, जाति-पाती के भेदभाव ल दूर करबो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
3-तोर सेवा करत कतको होंगे बलिदानी।
आज़ादी मिले हमला वीर सपूत मनके क़ुरबानी।
आवव सब जुरमिल के येखर जतन करि।
देश बर अपन जिनगी ल अरपन करि।
येखर सम्मान बर सदा लड़बो
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
4-हरदम नेक रसता म चलबो।
देशसेवा,देशहित बर काम करबो।
मातृभूमि बर सदा निछावर रहिबो।
बईरी दुश्मन ल मज़ा चखाबो।
लहर लहर तिरंगा ल लहराबो।
देश बर जीबो अउ देश बर मरबो।
बंदे मातरम् बंदे मातरम् गाबो।
देश बर जीबो अउ देश मरबो।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा
9993240143

पागा कलगी-15 //22//शुभम् वैष्णव

अपन देस बर जीबो-मरबो (चौपाई)
अपन देश बर जीबो मरबो।
जतना हिम्मत ततना करबो।।
मुड़ी घलो कटवा देबो जी।
मर के जस अमरत पाबो जी।।
एहि ह माता अउ एहि पिता।
एखर बखान ल करव कतका।।
महतारी हम मानबो अपन।
सुमरत रहिबो जी जनम जनम।।
एखर माटी जस सोना हे।
अमरत जइसे माँ गंगा हे।।
इहाँ सबो भगवान बसय जी।
जनम इहाँ बरदान हरय जी।।
सुन ले मोरो कहना भइया।
देश हरय ग साक्छात मइया।।
एखर तैं ह जतन तो करले।
अपन देश बर जीले मरले।।
खेत खार अउ बारी कोला।
माटी धरती माटी चोला।।
दुनिया भर के देव बसे हे।
सियान मन तो एहि कहे हे।।
दुसमन बइठे घात लगाए।
अपन करम ले जात बताए।।
मार नई तो मर जा तैं हा।
सहीद हो के तर जा तैं हा।।
भ्रष्टाचार ह एखर दुसमन।
बसे देस मा पापी जन-मन।।
चलव संघरावव तो भाई।
देस ल देस बनावव भाई।।
हरय संत महंत के धरती।
कइसे कोनो कबजा करही।।
सच के हिम्मत देखा देबो।
ए जिनगी अरपित कर देबो।।
-शुभम् वैष्णव
नवागढ़, बेमेतरा

पागा कलगी-15//21//लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल,

बिषय---देश बर जीबो, देश बर मरबो .....
----------------------------------------
देश बर जीबो ,देश बर मरबो ....
सुन ले ग संगवारी मोर मितान
हमर भारत देश हे महान
हमन छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया
जय जवान -जय किसान
हमर भारत देश हे महान
वीर सपूत सुभाष - आजाद के हे हमर देश
गांधी - अम्बेडकर अउ खुदीराम बोस के अमर हे कहानी
लक्ष्मी बाई , सरोजनी जी ल देश के पहचान
हमर तिरंगा झंडा देश म हे महान
आजादी के लड़ाई म वीर सपूत मन दे दिन बलिदान
हांसत -हांसत फांसी म झूल गिन भारत माता के लाल
ऐसे हे हमर भारत के पहचान
हमर भारत देश हे महान
मया प्रीत के सन्देश भेजत हंव
सुन ले ग संगवारी मोर मितान
हमर भारत देश हे महान
हमन छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया
जय जवान -जय किसान
हमर भारत देश हे महान
देश बर जीबो ,देश बर मरबो ....
सुन ले ग संगवारी मोर मितान
हमर भारत देश हे महान
जब - जब देश म बिपति आही
हांसत - हांसत देबो जान
भारत माता के हमन लाल
जय - जवान, जय किसान
अमर शहीद के राख़ु ग मान
जिनगी म जब मिलही मौका
हांसत -हांसत देदुहू अपन प्रान
भारत माता के करहु ग मान
हमर भारत देश हे महान
हमन छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया
जय जवान -जय किसान
० लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़
मो० ९७५२३१९३९५

पागा कलगी-15 //20//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

देस बर जीबो,देस बर मरबो।
------------------------------------------
चल माटी के काया ल,हीरा करबो।
देस बर जीबो , देस बर मरबो।
सिंगार करबों,सोन चिरंईया के।
गुन गाबोंन , भारत मईया के।
सुवारथ के सुरता ले, दुरिहाके।
धुर्रा चुपर के माथा म,भुईंया के।
घपटे अंधियारी भगाय बर,भभका धरबो।
देस बर जीबो , देस बर मरबो।
उंच - नीच ल , पाटबोन।
रखवार बन देस ल,राखबोन।
हवा म मया , घोरबोन।
हिरदे ल हिरदे ले , जोड़बोन।
चल दुख-पीरा ल , मिल हरबो।
देस बर जीबों , देस बर मरबो।
मोला गरब-गुमान हे,
ए भुईंया ल पाके।
खड़े रहूं मेड़ो म ,
जबर छाती फईलाके।
फोड़ दुहुं वो आँखी ल,
जेन मोर भुईंया बर गड़ही।
लड़हु-मरहु देस बर ,
तभे काया के करजा उतरही।
तंउरबों बुड़ती समुंद म,उक्ती पहाड़ चढ़बो।
देस बर जीबो , देस बर मरबो।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-15//19// लोकेन्द्र"आलोक"

शीर्षक- देश बर जीबो देश बर मरबो
-------------------------------------------
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।
सीमा मा पहरा देवत हम हर
चल संगी देश के सेवा करबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
ये भुईहा ला हरियाये बर
हम हाथ मा नांगर धरबो ।
धान जगा हम हर जम्मो
देशवासी के पेट भरबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
बनके सैनिक हम सीमा में
बईरी के छाती मा गोली भरबो ।
बन मजदुर ये भुईहा मा
नवा कामबुता ला करबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
बन महाराणा के जोश हम
आतंकी मन ले लड़बो ।
सुबाषचंद्रबोश के क्रांति बोली
बन , जन में क्रांति भरबो ।।
भारत दाई के संतान हम हर
देश बर जीबो देश बर मरबो ।।
××××××××××××××××××××
कवि - लोकेन्द्र"आलोक"
ग्राम+पोष्ट - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद
पिन कोड - 491222
मो. - 9522663949

पागा कलगी-15//18//पी0 पी0 अंचल

"देश बर जीबो देश बर मरबो"

सरबस जिनगी इहि देश बर,
जियत भर सेवा करबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
सबो बने करनी इहि देश बर,
दया धरम करम इहि देश बर।
फूंक फूंक के पाँव धरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
नारी के सनमान के खातिर,
नोनी के अधिकार के खातिर।
रोटी कपड़ा मकान के खातिर,
सबो के उत्थान के खातिर।
चलव अईसन कछु करबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
आज ले देश में जात पात हे,
दिनमान घलो इन्हा रात हे।
आंखी बाला घलो हें अंधरा,
मंडरावत हे देश म खतरा।
आवव जुरमिल के हरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
कश्मीर ले कन्याकुमारी तक,
लइका सियान आउ महतारी तक।
अपन करनी कमाई के अन्न,
सबो के बटकी आउ थारी तक।
चला आवा जेवन ल रखबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
बिजली, शिक्षा, सडक आउ पानी,
सबो के कंठ में विकास के कहानी।
चारो डहर रहय साफ सफाई,
सबो के चलय देश म सियानी।
आवव स्कुल डहर पाँव धरबो।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
इहि देश म उपजेन इहि बाढ़ेन,
जब तक रही जान म जान गुंइय्यां।
दुबारा जनम लेहे बर हदरबो।
बिकास दिन दूना रात चौगुना
होय इहि हम रात दिन सुमरबो
कोनो दुर्जन घात मढ़ाय मिलही
ईमान से ओला भारी थुथरबो।।
देश बर जिबो देश बर मरबो।।
जय हिन्द
रचना:- पी0 पी0 अंचल
हरदीबाज़ार कोरबा

पागा कलगी-15//17//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

देश बर सबके योगदान जरुरी हे
इही मा टिके हमर जिनगी के धुरी हे
ऐकर हित मा,अपन सब कुछ वार के 
शुरू फेर बलिदान के कहानी ,देश बर करबो...
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
सबके अन्तस मा मया के बीजहा बोबोन
अऊ मया पिरीत के फसल काटबोंन
सबके मन मा प्रेम के धनहा उपजय
चलव अइसन किसानी ,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
हमर जिनगी ऐ धरती के दे उधारी
अब ओ कर्जा ला छुटे के हे पारी
बचपना ला तो खेल मा,अबिरथा गवांगे
चलव अपन जवानी, देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो....
खतम करना हे समाज के कुरीति ला
मनखे मनखे ला लड़ाये के नीति ला
मिलजुल सबला एकता के सन्देश देबोन
चलव सब संग मितानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
अन्धबिस्वास अशिक्षा ले जिनगी नरक
नई जानें असल अऊ छलावा मा फरक
गियान के दीया जलाके करबो उजियारा
चलव अब सबला ज्ञानी,देश बर करबो...
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
देखव कोन बैरी आँखी देखावत हे
हमर घर अंगना मा बम गिरावत हे
घर के भेदी ला घलो चिन्हे ला लागही
चलव बैरी ला चानी चानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो .....
अन्न धन भरे, फेर सोन चिरईया कहाय
देशभक्ति के भाव सबके मन मा समाय
शोभा सुघ्घर ,दुनिया देखत रही जाय
उदीम तरक्की के आनी बानी,देश बर करबो..
देश बर जीबो अऊ देश बर मरबो.....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डीआर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद(छ ग)

पागा कलगी-15 //16//सूर्यकांत गुप्ता

देस बर जीबो देस बर मरबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सिरतों बचन निभाबो
आजादी के अतलँगहा ला सीधा सरग देखाबो
भारतदाई ला कलकुत ले मिलजुल जउन उबारिन
उंखर कुरबानी के नेता हालत का कर डारिन
सहन नही अन्याय ल इंखर अब तो सबक सिखाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
कहाँ गँवागै अब वो ज़ज्बा मानन तोला दाई
दरथें छाती मा अब कोदो काट काट रुख राई
नई सहावय अब ये करनी पापी ला भुगताबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
खादी खाकी के डरेस मा देस प्रेम दरसाथें
गाँधी नेहरू अउ पटेल के गुन एके दिन गाथें
राजनीति के दल हे बाढ़े दल दल मा ओला धँसाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो सीधा सरग देखाबो
आजादी ला पाके सबझन दाइ के दरद भुलागैं
मुखिया के चक्कर मा भाई देस घलो ह बँटागै
फल भोगत हें जनता ओकर कइयों होम देवाके
घड़ियाली आँसू बोहवावत उन रहत मस्त हें फाँके
अइसन मनखे मन ला जुरके मुख कालिख पोतवाबो
देस बर जीबो देस बर मरबो देस ला सरग बनाबो
जय हिंद ..जय भारत..
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छ. ग.)

गुरुवार, 11 अगस्त 2016

पागा कलगी-15 //15//दिलीप वर्मा

देश बर जीबो देश बर मरबो।
जनम लेये हन जे भुईया मा,
ओकर नाव हम करबो। 
देश बर जीबो जीबो,देश बर मरबो।
हमन किसनहा दाई के बेटा,
मेहनत हमर भगवान ये।
कोनो भूखा झन राहय ग,
इहि हमर अरमान हे।
मेहनत कस हम अन्न उगा के 2
दाई के कोरा भरबो।
देश बर जीबो---------------------
कोनो दुश्मन पाँव धरय झन,
पहरा देबो चारो कोती।
देश के दीदी ,भाई बहिनी मन,
चैन से सुते हमर सेती।
चाहे जान भले चल देवय 2
देश के रक्षा करबो।
देश बर जीबो---------------
हमिमन ह नेता बनबो,
अउ बनबो हम अधिकारी।
देश ल आगू बढ़ाये खातिर,
जान लड़ाबो संगवारी।
सुनता मा मिलजुल के जम्मो2
हर तकलीफ ल हरबो।
देश बर जीबो----------------
हमर देश ह मिले हे हमला,
बड़ विपदा ला झेल के।
देश आजादी पाये हाबन,
अपन जान ले खेल के।
अइसन दुबारा झन होवय गा2
तइसन चेत हम करबो।
देश बर जीबो -----------------
दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार

पागा कलगी-15 //14//मनमोहन सिंह ठाकुर

माटी के दियाना कस संगी देस के खातिर जरबो 
देस बर जीबो देस बर मरबो देसबर सब कुछ करबो ....

छाए हे अँधियारी घुप घुप 
घुघुवा के इहाँ राज हे 
साव.के हाथ पाँव बँधागे 
चोर के मुड़ म ताज हे 
आओ संगी चोर जमों ल 
चना बरोबर दरबो ....
देस बर जीबो ...........

लात के भूत माने नी ही 
तू कतकॊ कर ल बात 
बात समझ म ओला आथे 
जब पर थे ओला लात 
गद्दार जमों ल धान ब रो बर 
ढेकी मा अब दरबो .........
देस बर जीबो ...........

जर गिन शिवा सुभाष लक्ष्मी 
वीर नारायण जर गिन 
राज़ गुरु शुकदेव भगत सिंह 
हँसत फाँसी चढ़ गिन 
भारत माँ के पीराजमों ल 
जुर मिल के हरबो ...........
देस बर जीबो देस बर .मरबो .............

मनमोहन सिंह ठाकुर 
हनुमान चौक ,खरसिया .

बुधवार, 10 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//13//नन्द वर्मा

देश बर जीबो, देश बर मरबो।
देश बर जीबो, देश बर मरबो के सिद्धांत ले,
आजाद होइस हे हमर ए हिंदुस्तान।
उहि दिन ले आज तक झंडा फहरावत हे,
लईका सियान अउ सबो जवान।
याद करव ओ दिन ल, जेन दिन म,
हजारो लाखो मन होइस हे कुर्बान।
कतका गंभीर रहिस हे ओ पल ह,
जीहां बोहाइस, होली कस लहू के निसान।
1945 के हत्याकांड दिल बहला देते अउ,
उड़ा देथे चेहरा के हंसी-मुस्कान।
तेने दिन ले आए तिरंगा म,
हमर ए अशोक चक्र के निसान।
थोकन सहीद मन बर घलो पराथना कर लव,
देस के जियत जागत नवजवान।
नवजवान एखर सेती कहिथव काबर की,
पढ़ई के बाद सब भुला जाथे जवान।
नन्द वर्मा,
नवागांव, नवागढ़,
मो. 9713208662

मंगलवार, 9 अगस्त 2016

पागा कलगी-15//11//बंटी छतिसगढिया

मै भारत के बेटा
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मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू
मोर देश के बैरी मन ल
कुटुकुटा करके छरियाहू
भारत एक देश नही हे
हमर त महतारी हे
मोर महतारी ल आखी
देखाईया के
आखी फोर के लाहू
मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू ।।।।।।
भारत देश जनम भूमि हे
मै महतारी के गून गाहू
देश सेवा बर जान हे हाजिर
धेरी बेरी मै महतारी कोरा
म आहू
जब जब दाई मागही भैया
मै अपन जान लगाहू
मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू ।।।।।
वीर शहीद के ये धरती हे
ईहा मनखे वीर जनमे हे
छाती म हम खाबो गोली
काबर पीठ देखाहू
महतारी के किरिया हाबे
हम माथ ल उच कराबो
भारत म सब वीर बेटा
मै वीर भगत बन जाहू
मै भारत के बेटा हो
देश बर लड जाहू ।।।।
******************
वीर शहीद मन ल शत शत नमन
पागा कलगी 15 बर मोर नानचूक परयास
बंटी छतिसगढिया
पिथौरा 493551
9826114786

पागा कलगी-15//10//निशा रानी

सुना -सुना जी संग संगवारी
सुन लेवा तुमन सबो जी ।
देश के आन बचाये खातिर 
देश बा जीबो मरबो जी।।
1.हमर देश हे सोन चिरैया जेकर मान बढाबो जी ।
सुना -सुना जी ......
.
2.जात -पांत आऊ भेदभाव ल,
जुर मिल समता करबो जी।।
सुना-सुना जी....
.
3.धन-दौलत के ऊँच-नीच के ।
खाई घलो ल भरबो जी ।।
सुना-सुना जी .....
.
4.शान्ति अउ अमन बर यही परन ल करबो जी ।
प्राण घलो देहे ब परही प्राण न्यौछावर करबो जी।।
सुना-सुना जी.....
निशा रानी 
जाँजगीर
छत्तीसगढ़

पागा कलगी-15 //9//लक्ष्मी करियारे

सोन चिरईय्या भारत भुईया रक्छा एकर करबो जी..
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी...
* चंदन माटी ये धुर्रा के माथ मं तिलक लगाबो जी
चढ़ा के शीश सिंगार करव माता रानी ल सजावव जी
करकें सँघार पापी दुश्मन के भारत महतारी के पीरा हरबो जी..
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी...
* मऊँर मुकुट हिमाला सोहे अमरीत नंदिया पाव पखारय जी
चंदा सुरूज कस टिकुली चमके बोली जस मयना लागय जी
देके लहू के रंग मईया तोर सोन धरी अंचरा रिग - बिग करबो जी...
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी....
* संगी मन के हितवा संगी अऊ बैरी बर बड़ बैरी अन
जान के सिधवा हमला एमा देखव आँखी कोनों गड़ाही झन
जेन बैरी आँखी देखाही ढेकी कस कुटबो छरबो जी...
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी.....
* एही माटी म जनमे राम रहीम नानक कृष्ण की मुरली तान जी
गांधी सुभाष नेहरू के जनम भूमि ये माटी महतारी महान जी
ऋषि मुनि ग्यानी सब तरगिन ये धरती म हमू इंही म तरबो जी...
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी....
सोन चिरईय्या भारत भुईया रक्छा एकर करबो जी..
परन आज ये कर लंव संगी देश बर जीबो मरबो जी......
लक्ष्मी करियारे 
जाँजगीर
छत्तीसगढ़