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मंगलवार, 15 मार्च 2016

पागा कलगी क 5//रामेश्वर शांडिल्य


काबर खेली हम गिल्ली डंडा
हमरो बर ला दो गेंद बल्ला ।
चौका छक्का हमन लगाबो
देश म अपन नाव कमाबो।
काबर खेली हम भौरा बाटी
किरकेट खेलथे सब साथी ।
नई बनान हम घरघुदिया
कम्पूटर खेलत हे दुनियां ।
खो खो कबड्डी संतुल नदागे
गांव के सब खेल माटी सनागे।
धुराॅ माटी पानी म बोहागे
तइहा के खेल सब नदागे।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

रविवार, 13 मार्च 2016

पागा कलगी क्र.5 //ओमप्रकाश चौहान

नंदागे हमर जम्मो खेल
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
बिही बारी अउ ओ डोंगरी के खेल
डंडा पचरंगा अउ ओ संगीमन के रेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
अब तो बिते बछर होगे हमर जम्मो खेल,
भौंरा बांटी अउ ओ जनउला के खेल
गाँव गली अउ ओ सुग्घर सुनता के मेल
काहाँ मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
कारी पाख बनगे हमर जम्मो खेल,
खो खो कबड्डी अउ ओ ढेलवा के खेल
नोनी बाबु अउ ये सांझर मिंझरा के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
अंधयारी रतिहा होगे हमर जम्मो खेल,
सुर रेस टीप अउ ओ खिलाचोर के खेल
संझा बिहना अउ ये मंझनिया के खेल
काहाँ मेर लुकागे काहाँ मेर छेकागे
अब तो पहुना होगे हमर जम्मो खेल,
बइला गाड़ी अउ ओ झुलना दउंरी के खेल
मया मयारू अउ पावन पिरीतिया के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
बस पुन्नी के चंदा होगे हमर जम्मो खेल,
अटकन बटकन अउ ओ जनउँला के खेल
बबा दाई अउ ओ लोरी कहानी के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
खाली सुरता बनगे हमर जम्मो खेल,
चकरबिलस अउ ओ गोंटा भटकउला के खेल
सांझर मिंझरा अउ ओ नोनी मन के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहाँ छेकागे
अब तो परदेसी होगे हमर जम्मो खेल।
" ओमप्रकाश चौहान "
" बिलासपुर "

पागा कलगी 5// सुनिल शर्मा

कतका सुग्घर रहीस नानपन 'नीम' तरी 
सकलावन
बीच चउक धर 'बांटी-भौरा'नगत सब
चिल्लावन
कबड्डी,पिट्टूल,खोखो,खेलके जब
घर आत रहेन
'मनोरंजन' तो होबे करय सुग्घर 'सेहत'
घलो पात रेहेंन
डोकरी दाई ह फोर चिचोल 'तीरी पासा'
खेलावय
लइकामन ल इही बहाना 'जिनगी के गनित'समझावय
कतका सुग्घर...........................
बीस-अमरीत,बिल्लस,परी-पत्थर
आनी-बानी खेल रहय
'उंच-नीच'के नाव नइ पातेस सुग्घर
सबके मेल रहय
काला कहीथे अनुसासन खेल इही
समझाइस हे
मया पिरित ,भाईचारा के क ख ग
ल बताइस हे
'फरीयर' रहय मन बाँटी कस जम्मों
खेल देवय 'संदेस'
नंदावत सब खेल ल देखके रोवत हे
छत्तीसगढ़ देख
कतका सुग्घर रहीस........................
बिदेसी संस्कीरति के आंच म छत्तीसगढ
अइलावत हे
नई खेलय 'गिल्ली-डंडा' कोनो सब 'किरकेट' चिल्लावत हे
मोबाइल के टिपिर टापर नानपन ल
नगावत हे
लइकामन दिखथे सियान नानपन
म तसमा चढ़ावत हे
डोकरी दाई के खेल कोनो अबके लइका
नइ भावय
तरियापार हावय सुन्ना सोर डंडा
पिचरंगा नइ सुनावय
कतका सुग्घर............................
अपन खेल तना-नना आन देस के होवत
हे परसिद्ध
दाई ददा के पुछइया नइहे अउ परोसी
लागत हे सिद्ध
चल कसबो कनिहा संगी संस्कीरति ल
अपन बचाबो
"छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी" ल ओखर
मान देवाबो
नई जगाबो जबतक मया लइकामन म संसकिरती बर
अभीरथा रइही सबो बिकास चाहे लन
कतको उन्नति कर|
कतका सुग्घर.................
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
*************************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
रचना दिनाँक-१३\०३\२०१६
CR

शनिवार, 12 मार्च 2016

पागा कलगी 5//लक्ष्मी नारायण लहरे

० गली खोल होगे सुना .....
_______________________
सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
खडे मंझनिया बर -पीपर के छैन्हा म
खेलन बांटी ,मुन्दिहरा के बेरा म छु चुवौला
थके हारे घर म आके भात खाके
गली म जुरियान
का बिहिनिया का रथिया
संगवारी मन संग नदी -पहाड़ खेल खेल म आँट पसार ल मतान
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे
संगवारी मन के नाम नंदागे
जबले घर घर म हीरो -हिरोइन के छप्पा टगागे
भंवरा, बांटी रेसटिप
गुल्ली डंडा अउ फुगडी
जमो खेल के नाम मोर लईका भुलागे
अब संगवारी जमो खेल नंदागे
गीत अउ कहिनी टीबी म छागे
कम्पियूटर अउ मोबाइल म
नान-नान लईका भुलागे
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे .....
गली खोल होगे सुना
संगवारी मन नानकन के मया भुलागे
जबले गाँव म खेल नंदागे ....
सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
(छोटकुन मोर प्रयास)
लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल, कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी 5//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

( कहाँ पाबे अब अइसन खेल)
....."........"......."........"......
हमर छत्तीसगढ़ के खेल
हरय हमर नानपन के मेल
.......................................
घूमत रहन बइला भइसा कस
नदियाँ-तरियाँ के पारे पार
गिंजरत रहन खरी मझनियाँ
बहेरा कस भूत खारे खार
हाँथ में धरे गोंटी अउ गुलेल
अइसन तो रहय हमर खेल..।
घर दुवारी अउ मैदान म
बाड़ी खेत अउ दईहान म
जम्मो संगवारी जुरीयावन
पुरा गाँव भर ल मतावन
अब नंदा गए अइसन मेल
कहाँ पाबे अब अइसन खेल ।
बनके गुरु जी लगावन सोंटा
बिल्लस खेलन चालन गोंटा
डब्बा टीना के बजावन तासा
कौड़ी चिचोल के चालन पासा
बिसरा गे अब अइसन खेल
खेलन कूदन सब होवय मेल।
कूदन बितन्गी अउ छु-छुवउला
खेलन फुगड़ी अउ गीत गवऊला
अटकन बटकन दही के चटकन
बिन गाजा बाजा के सब मटकन
खेलन जम्मो मिलके पेल-ढपेल
अइसन तो रहय सब हमर खेल।
खेलन जुरमिल के डंडा पचरंगा
कोनो रहय मरहा कोनो बजरंगा
जितय तेनमन करय जोहार
हरय तेनमन पारय गोहार
नंदावत हे अब अइसन खेल
संगवारी मन ले होवय मेल ।
वाह रे हमर कांच के बांटी
दिखब में मनखे कस आंखी
हार जीत के लगे रहय बाजी
जीतन त रपोट लगावन छाती
कहाँ पाबे अब अइसन खेल
जेमा रहय बालपन के मेल ।
वाह रे हमर बिन पाँखी के भौंरा
झुमय हमर खोर गली के चौंरा
आवय हमर दांव गोदन गोदना
अगला के मात जावय रोदना
नदावत हे अब अइसन खेल
लड़न झगड़न हो जावय मेल ।
खेल हमर पित्तुल के भदउला
खोर गली में खेलन लुकउला
दउड़ दउड़ के चक्का चलावन
बइला गाड़ी ला कसे दौड़ावन
संगवारी मन से होवय मेल
नदावत हे अब अइसन खेल ।
खेलन बिस अमृत परी-पत्थर
गाके गोल गोल लगावन चक्कर
धरे रहन कठवा के पुतरी-पुतरा
मनखे कस पहिरान धोती लुगरा
कहाँ पाबे अब अइसन मेल
नदांवत हे अब अइसन खेल ।
....."......."........"......"......
हमर छत्तीसगढ़ के खेल.....
हरय हमर नानपन के मेल....
......"......."....."......".....
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

पागा क्र 5//- हेमलाल साहू

हमार जुन्ना खेल नदागे।
हमार जुन्ना खेल ला, चल संगी लाबोन।
तन के कमजोरी भगे, ताजगी जगाबोन।।
हमार जुन्ना खेल नदागे।
देख कइसन जवाना आगे।।
नानपन के खेल हा नदागे।
सुरता बन आखी म समागे।।
गांव म गिल्लि डण्डा नदागे।
मनखे बीच गोला लुकागे।।
जुन्ना रेसटीप हा सिरागे।
पतरगरहि के खेल नदागे।।
देख बाटी भौरा लुकागे।
खो- खो, फुगड़ी कहा गवागे।।
तरिया के छु छुवाल सिरागे।
पुतरि पुतरा बिहाव नदागे।।
तीरी पासा कहा गवागे।
पासा के खेलिया नदागे।।
नदी पहाड़ खेल ह लुकागे।
अखमुंदा के खेल नदागे।।
अटकन बटकन कहा गवागे।
धुर्रा फुतकी खेल ह नदागे।।
देख आज मो. के गेम आगे।
सबो आज टी.बी. म भुलागे।।
पहली असन तन नई हावे।
खेल बिना कमजोर हावे।।
चल न जी जुन्ना खेल लाबो।
अपन खेल ला हमन बचाबो।।
परयास हवे मोर गा, देहु बने तुम ध्यान।
लिखे हाव मैहा बने, कमी ढूँढ दे ज्ञान।।
- हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा ,पोस्ट- नगधा
तहसील - नवागढ़ , बेमेतरा

गुरुवार, 10 मार्च 2016

पागा कलगी-5//ललित वर्मा, छुरा

आज विकास के सुरूज म-२,अईलावथे जुन्ना खेल
नंदावत हाबय जी-२,मोर गांव-गवंई के खेल
गली-खोर म भौरा-बांटी, रेसटीप अउ जनउला
परछी-चौरा म पुतरा-पुतरी,भोटकुल चुरी लुकउला
फुगड़ी बिल्लस फोदा पिट्ठूल-२,म सिखय तन-मन मेल
नंदावत हाबय जी--------
घरघुंधिया म सगा अउ पहुना, खेलय बहिनी-भईया
चूलहा-चुकिया म जेवन बनई म, बनय जी नोनी मईया
संग चोर-पुलिस के खेल म संगी-२,सिखय रीत-नीत मेल
नंदावत हाबय जी--------
लंगड़ी टिटंगी बोरा रस्सी- दौड़ म तन हरियावय
खड़खड़िया तीरी-पासा गोटा म,मन-मति बड़ फरियावय
छू-छूवउल अटकन-बटकन म,-२हे गियान-धियान के मेल
नंदावत हाबय जी-------
ए खेल हे तन-मन मिंजनी माटी, छत्तीसगढ़ के थाती
पुरखा के जी दिया अउ बाती, बरत रहे दिन-राती
जुन्ना खेल म दिखथे संगी,-२ पुरखा-लईका के मेल
नंदावत हाबय जी--------
आज विकास के सुरूज म-२,अईलावथे जुन्ना खेल
नंदावत हाबय जी, मोर गांव-गवंई के खेल
नंदावत हाबय गा,मोर छत्तीसगढिया खेल ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सिरजईया:-ललित वर्मा, छुरा

पागा कलगी 5//राजेश कुमार निषाद

। खेल हमर नंदागे ।।
जब ले सिनेमा आगे ग
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
बड़े बिहनिया गली खोर म खेलन भऊरां बाटी।
रेस्टिप अऊ छू छुऔल खेलन सब संगी साथी।
कहाँ पाबे अब ओ खेल ल
सब क्रिकेट म झपागे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
कतेक सुघ्घर लागे दीदी बहिनी मन के खेलई फुगड़ी गोटा अऊ बिल्लस।
हमन खेलन तिरीपसा तिग्गा अऊ राहन बिंदास।
पर आज के महिला सीरियल में मोहागे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
गुल्ली डंडा के बात निराला
डंडा पचरंगा खेलन धूप म।
भरे मंझनिया तरीया म डुबकन कुदन चढ़ के रुख म।
पर ओ दिन ल अब कहाँ ले लाबे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
पिट्ठूल खेलन खपरा सकेल के।
छुक छुक रेलगाड़ी खेलन एक दूसर ल ढकेल के।
गिरत पानी म कागज के डोंगा चलान।
पानी ल छेक के पीपर पान के तुरतुरी लगान।
अईसन खेल अब कहाँ पाबे ग
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
निम फर अऊ बमरी काँटा के ढेलवा झूला बनान।
बर पत्ता के फिलफिलि बना के उड़ान।
कच्चा माटी के दिया बना के फोड़न।
चौरा म खड़ा होके नदी पहाड़ खेलन।
खो खो कबड्डी खेले बर नाम अपन बताबे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी 5//ललित टिकरिहा

🎯हमर नंदावत खेल🎯
🎭🎭🎭🎭🎭
जुरे राहय संगी जंउरिहा,
अब नई हे थोरको मेल,
गांव गली हर सुन्ना होगे,
अउ हे हमर नंदावत खेल।
फुगड़ी भुला गे नोनी मन,
अउ बाबू मन भुला गे सुर,
भंवरा बांटी के पुछइया नई हे,
जम्मो कारटून म होगे चूर।
पिठ्ठुल के रचई नंदागे,
अउ रेस टीप के लुकई,
सुरता आथेअड़बड़ मोला,
संगी हो गेंड़ि के दउड़ई।
घांदीमुंदी ,बीस अमृत नंदागे,
चुकिया पोरा अउ घरघुन्धिया,
बिल्लस संग सुरता म समागे,
खोरलंगडी अउ अँखमूंदिया।
छुक छुक रेलगाड़ी नंदागे,
नंदागे संगी डंडा पिचरंगा,
घाम राहय लकलकावत तभो,
चलय झमाझम गिल्ली डंडा।
भोटकुल तिग्गा मन हरय,
गोंटी अउ काड़ी के खेल,
संगी जउरिहा मन के होवय,
तिरिपासाअउ चौसर म मेल।
खो,कबड्डी,कुश्ती नंदावत हे,
जम्मो हमर नंदावत हे खेल,
अब तो पाबे भीड़ बजबजावत,
किरकेट म माते रेलमपेल।
हमन गंवईहा,आनिबानी के,
पहिली खेलन सुग्घर खेल,
नाव गिनायेव् ते मन ला,
सुरता म रख लौ जी सकेल।
जुरे राहय संगी जंउरिहा,
अब नई हे थोरको मेल,
गांव गली ह सुन्ना होगे,
अउ हे हमर नंदावत खेल।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
लिखना..................✍
९-३-२०१६ 📖
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏

बुधवार, 9 मार्च 2016

पागा कलगी 5//नवीन कुमार तिवारी

गवई के खेल नंदागे हवे,,
भोरा बांटी, कंची पन्दोलनि ,
तू तू कहत साँस हा भरौनी ,
लंगड़ी कूदत गड़ौनी खेलत
डंडा पचरंगा ,गोबर गिल्ला ,
गिल्ली डंडा फूल गेंदवा भुलागे
पुक ले मारे पथरा छरियागे
खेले नोनी बिल्लस फुगड़ी,
खो खो कहत दिन पोहागे
गोल गोल रानी इत्ता इत्ता पानी
पहाड़ नदिया बनाके कूदत गली मचान ,
घेरा म बैठे तेंहा काबर भुलागे ,
सोंटा पढ़ीस तभो भुलागे
नव गोटिया घलो नंदागे
पुतरा पुतरी के बिहाव कराये
फेर दहेज़ देबर तेन्ह भुलागे,
रुख राई चढ़े चिरई जाम तोड़े के उदीन
फेर बोइर घलो झर्रागे ,
झांझ चलत तरिया नहाये
भैँसा पुंछी धरे नदिया सुखागे
पूछत संगी ले जनवूला के पाती
धुंवा उड़ावत माई चले
पाछू पाछू लइका दौड़े
वोहू दिन बिसरागे ,,,,,
सोज्झे कहत हवस संगी ,
हमर छत्तीसगढ़िया के जम्मो खेल बिसरागे,,,


नवीन कुमार तिवारी
9479227213

रविवार, 6 मार्च 2016

पागा कलगी 5//मिलन मलरिहा


........"बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय"..........
.
ओरवाती के चुहत अटकन बटकन म सब जुरियाय
बादर के तिरयाती बेरा फुगड़ी-कितकित मन भाय
होवत मझनिया नोनी-बहनी अट्ठी खेले सकलाय
गलि-गलि म तीन पग्गा चाल-चिचोला फोड़ जमाय
टीबी सनिमा गोठ देखसिख, बिदेसी, अब अपनाय
किरकेट म झपाके टींकू , गुल्ली-डण्डा छोड़ भुलाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
-
अलसिहा होगे नोनी-बाबु, पटरपीटिर भर दबाय
मोबाईल म गेम खेतल बइठे घन्टो आखी गड़ाय
लुका-छिपा, छू-छूवाऊल, म गोड़ ल नई उसलाय
भागा-दउड़ा म कसरत होय, कोन ओला समझाय
मिहनत ले डरईया जूग आगे, सबो हे पेट बड़हाय
डनडा-पचरंगा, पथरा-छुवाऊल जाने कति नंदाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
-
धर- पकड़ -कबड्डी खेलइया जाने कहां गवाय
अबके पहलवान दिखेभरके, तन ल हवय फूलाय
धरय, कुदारी-गैती कभू झिनभर म हफर-जाय
कूलर के रहइया लईका, घाम देख माथा चकराय
जिन्स पहिरके खो-खो म कइसे , दऊड़ लगाय
परी-पथरा खेल ल पुछबे, त सोन-परी ल बताय
छत्तीसगढ़ी रिति-खेल भूलाके बिमारी ल परघाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
.
.
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
9098889904

पाग कलगि ५//-हर्षल कुमार यादव

माटी के मैदान आज सुन्ना होगे रे।
खेल खेलीय्या लइका मन हिरा पन्ना होगे रे।
छोटकन बाटी हा कैसन नेम लगाय।
डंडा के मारमा गील्लि भाइ भगजाय।
अभि मोर मुन्ना चौकन्ना होगेरे्
डंडा गील्ली के नही,रैना के फॅन होगे रे।
मोर माटी के मैदान सुन्ना होगे रे।
खेल खेलइया लइका मन हीरा पन्ना होगे रे।
उठत बिहीनीया धरत लाठी गोल गोल घुमाय ।
अखाडा के मैदान गजब करतब दिखाय।
अभही मोर गोलु जवान होगे रे।
लाठी काठी के नही खली के फँन होगे रे।।
मोर माटी के मैदान सुन्ना होगे रे।
खेल खेलयीया लइकामन हीरा पन्ना होगे रे।
बैठ महतारी,बैठ जवान दिमाक अब्बड चलाय।
तिरी पासा के अजब गणित लगाय।
मोर मोनु हा संतरंज के खिलाडी होगेरे।
पासा के नही विश्वासनाथ आनंद के फॅन होगेरे।
मोर माटी के मैदान सुन्ना होगेरे।
खेल खेलइया लइकामन हीरा पन्ना होगेरे।
हर्षलकुमार यादव
वरोरा
चंद्रपूर
महाराष्ट्र ७२६४०६४९७४

पागा कलगी क्र.5//जयवीर रात्रे बेनीपलिहा


हमार नंदावत खेल
---------------------------------
(मयारू)
हमर खेल नंदावत हे
हमर खेल फुगड़ी फु ल,
सबो कोई भुलावत हे,
हमर खेल गुल्ली डंडा हर,
देखतो कैसे लुकावत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
बचपन में हमन टायर चलान,
आज खेलइया नजर नई आवत हे,
अउ खेलन हम भौरा बाटी,
आज सबो सुरता आवत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
स्कुल ल आके खो कबड्डी खेलन,
आज ओ दिन ल सब झन भुलावथे,
संझा होतिस तहन रेस्टिप खेलन,
बोरा दौड़ रस्सी खीच ल भुलावत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
नानकुन म गुड्डी गुड़िया खेलन,
गुड्डी गुड़िया के भावर ल भुलात हे,
गर्मी में आमा तरी अटकन बटकन,
अब कोन्हों ल सूरता नई आवत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
************************
जयवीर रात्रे बेनीपलिहा
(मयारू)

पागा कलगी ५//ललित साहू "जख्मी"


चयनित विषय नंदावत खेल
प्रतियोगिता बर भाई ललित साहू जी"जख्मी" के रचना
नंदावत ननपन के खेल
अडबड होगे जिनगी के हरर हरर
नंदावत खेल अऊ ननपन के आवत हे सुरता
नहावन, डुबकन तरिया मे एक जुआर ले
कुदन उल्टा पुल्टा हेर अपन चइनस कुरता
खपरा ला रच के पिट्ठुल खेलन
आमा चानन दाई संग धर के सरोता
चिन्हा पार भुंईया मे डुब्बुल खोदन
सकलन फोटो अऊ बांटी खिसा भरता
बहिनी मन संग खेलन फुगडी, बिल्लस
लकडी पान मे कोचक के उडावन फिलफिली
आदा पादा किसने पादा कहिके हमन
पकडन चोर अऊ उडावन बिक्कट खिल्ली
बोहात पानी के मुंही रद्दा छेंकन
बनावन कागज के जहाज अऊ डोंगा
बजावन शंख समझ के सब झन
बिनन तरिया खाल्हे के बडे घोंघा
लुका के खावन मुंहभरहा अम्ली आमा
दाई गोठियावय ता बन जावन कोंदा
बडे पान ला पोंगा बना के चिल्लावन
अऊ बेलबेलान छोटे ला बना के चोंगा
उल्ला-उल्ला खेलन गिरन कई पईत
टेडगा लकडी ला बना के झुन्ना
जनउला, कुदउला, लुकउला खेलन
खोजन लुकाय बर कुरिया सुन्ना
गोंटा, गच्चा अऊ दिनभर लंगडची खेलन
आंखी मे बांध के फरीया खेलन घांदी मुंदी
टायर चलावन, बईला चरावन डंडा धर के
पैराट मे चढके कुदन एक मइ हो जाय चुंदी
सुतली छंदाय टिकीया चलावन हमन चकरी
अंगरखा राहय माडी भर चड्डी राहय अखरी
चुरोना सुतई मे करो के घी लेवना खावन
मुंह टेंका के दुध पियन भागे कतको चाहे छेरी
कागज ला पईसा कचरा ला सामान बनावन
ढकना ला तराजु बना के बनिया हम बन जावन
रील फटाका के गोली भर बन्दूक टेंकावन
होली बर खुदे मुह मा गुलाल लगावन
बेंदरा मारे बर गोली गुलेल बनावन
अऊ फोलन चिचोल खेले बर तिरीपासा
सांपसिढी, डंडा पचरंगा, अटकन मटकन
सोंचथों ता जी हो जात हे बड रुंआसा
अडबड नंदा गे अडबड नंदा जही
आनी बानी के खेल अऊ प्राचीन भाषा
देख के मोर अंतस मा छाला पर गे
का इही हरे हमर तरक्की के परिभाषा ।।
रचनाकार - ललित साहू "जख्मी"
ग्राम - छुरा जिला - गरियाबंद(छ.ग.)

शुक्रवार, 4 मार्च 2016

पागा कलगी 5// देवेन्द्र कुमार ध्रुव

शीर्षक -नंदावत जुन्ना खेल
जुन्ना खेल हरे छत्तीसगढ़ के पहिचान
जेन हा बढाथे हमर भुईयॉ के मान
सियान मन करय जेकर गुणगान
छत्तीसगढ़ के शान हरय जेन खेल
आज नंदावत हे हमर ओ जुन्ना खेल
सुने नई मिले अटकन बटकन दही चटाका
सब आजकल वीडियो गेम खेलथे फर्राटा
अब मजा निहे जेन आवव भंवरा बांटी मा
अब कोन्हों खेलेबर नई निकले मोहाटी मा
घर अंगना तक सिमट गे हे जम्मो खेल
आज नंदावत हे .......
सुन्ना परगे मैदान खाली खाली लागथे
जीत के ख़ुशी म अब कहाँ ताली बाजथे भाग दौड़ खेलकूद के बेरा जइसे थम गेहे
नईहे संगी साथी न मित मितानी हावे
चारदीवारी लईका बर होंगे जइसे जेल
आज नंदावत हे .......
बिल्लस,फल्ली,छूवउला ला भुलागे
तिग्गा,तीरीपाशा,जनाउला ला भुलागे
सगापहुना, पुतरापुतरी बर मया सिरागे
घर मा खुसरथे तुरते,जेन कुरता सनाथे
अब नई सोचे संगी मन ला लेतेव सकेल
आज नंदावत हे......
रेसटीप,फुगड़ी,चोरपुलिस,गुल्ली डंडा नंदावत हे
नंदियाबैला ,गेड़ी ला घलो कोनो नई चलावत हे
नदीपहाड़,विषअमृत,परीपत्थर ला भुलावत हे
लांगडि,गोटाबिनउल,पिटटुल ला बिसरावत हे
बाहरीमुठिया,गच्चा,डंडापचरंगा ,नई जानय का हरे बूटरेल
आज नंदावत हे ........
नूनपकउल,चुडीलुकउल गिरावत गड्ढा म गोंटी ला रेंगय
घोडाकुदउल,डंडासलगउल,कलमजीत मा दांवपेंच ला देखय
खसखस ले गोंदा,संकरीजोड़ी मा अब कोनो ध्यान नई देवय
गोल गोल रानी इत्ता इत्ता पानी के खतम होवत कहानी
भूलागे सब पोसमपार कहत बन जावत रिहिस रेल
आज नंदावत हे ........
रेती रेती के महल अटारी करके तैयारी
बईठे जम्मो झन सगा के अगोरा मा
गाड़ी भुर्र ले पीठ म बइठारे लाने दूर ले
रंग रंग के साग भात चुरय चुकीपोरा मा
ठट्ठा मट्ठा के डारय कराही म तेल
आज नंदावत हे ........
जब हमर खेल संस्कृति के विनाश होही
ता कहाँ ले लईका मन के विकास होही
पेड़ चढ़े ला नई जाने न तउरे हे तरिया म
शरीर बने रही कइसे खुसरे हे कुरिया म
मिलही नहीं सब संग ता कइसे होही मेल
आज नंदावत हे ........
रचना
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देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम)
बेलर फिंगेश्वर जिला गरियाबंद
9753524905

पागा कलगी -5//महेन्द्र देवांगन "माटी"


विषय - हमर नंदावत खेल
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जब ले आहे किरकेट ह, गुल्ली डंडा नंदागे
लइकापन के बांटी भंउरा, जाने कहां गंवागे
पारा भर के लइका मन ह, हटरी म सकलाये
खेलन छू छुवउला संगी, अब्बड़ मजा आये
बेंदरा सही पेड़ में कूदन, खेलन डंडा पचरंगा
पटकीक पटका कुसती खेलन, कोनों राहे बजरंगा
तुक तुक के बांटी खेलन, अऊ चलावन भंऊरा
रेसटीप अऊ नदी पहाड़ ल, खेलन चंऊरा चंऊरा
बदलगे जमाना संगी, जम्मो खेल नंदागे
तइहा के बात ल बइहा लेगे, संसकिरती ल भुलागे
टीवी अऊ मोबाइल में, सबो आदमी भुलाये हे
सुन्ना परगे खोर गली, कुरिया में दुनिया समाये हे
रचना
महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया

गुरुवार, 3 मार्च 2016

पागा कलगी 5//सुखन जोगी

" छ.ग. के . बर रचना
मन करथे फेर लइका हो जातेंव
सब लइकन संग खेले ल पातेंव
गिल्ली डण्डा , पचगण्डा अउ डण्डाकोलाल
फेर का पुछथस रेसटीप , नदी पहाड़ संग छु छुवाल
मन मोर तभो भरे निही नोनी संग खेल परथंव इत्तुल बित्तुल चाम चटिया गुरजी मरगे उठा खटिया
तिरिचउक , सांप सिढ़ही अउ गोटा बिनाल
परगे पारी अटकन चटकन दही चटाका
नवा नवा सिखेन रे भइया मार पिट्ठूल कुदउला
खेल खेल म पोसंम पा , घानी मुनि अउ लंगडी
थक हार के घर जातेन घर म दाई खेलावय लाखडी, तिवरा राहेर चना दार टारबे डोकरी राहटा ल गाड़ा आवथे
थोकुन बड़ का होगेन रे भइया खेलेन भंवरा बांटी चिभ्भी तुकाल
अतको म नइ त ढेलवा रहचुल , घर घुंदिया त कभु खेलन दस गोटिया , नव गोटिया अउ बघवा घेराल
गली गली घुम घुम के खेलेन फोटो , चक्का चलइ , त पथरा फेकाल
सुरता आथे कका दाई के किसा डारा पतेरा त मखना तुमा
फेर का कहंव ग कइसन जुग ह आवत हे
देखते देखत संगवारी जम्मो जिनिस ह नदावत हे
अब के लइकन के बात निराला
बिडियो गेम कम्पोटर यहा मोबाइल वाला
खेल नदागे गुडडी गुडडा
आगे नवा जमाना म टेडी संग डोरेमान अउ छोटा भीम
छोटकुन लइका के टु हु नदागे
का य करन संगी छोटकन तन गंवागे
देखते देखत सब खेल नदागे
मन के बात मन रहि जाथे
काबर बड़ तन पागेन |
सुखन जोगी
डोड़की ,बिल्हा
मो. ८७१७९१८३६४

पागा कलगी .5//आशा देशमुख


शीर्षक ..अब तो सबो नंदावत हे

गॉंव शहर के लोग लइका मन
कम्प्यूटर में फंदावत हे ,
अपन खेल ल हम खोजन कैसे
अब तो सबो नंदावत हे |
नई दिखे अब गिल्ली डंडा ,
दिखे नई बाटी भौरा
सुन्ना सुन्ना गली ह दिखथे ,
अउ सुन्ना पीपल चौरा |
नानकुन बड़कुन जेला देखिन
किरकेट के बल्ला घुमावत हे |
अपन खेल ल हम खोजन कैसे
अब तो सबो नंदावत हे। |
खो खो फुगड़ी गोटा बाटी
अब के नोनी मन नई जाने ,
सांप सीढ़ी अउ लुडो ल खेले ,
तिरी पासा खेल ल नइ जाने |
तरिया के तैरई नई जाने
स्वीमिंग पुल में नहावत हे |
अपन खेल ल खोजन कैसे ,
अब तो सबो नंदावत हे |
रेस टीप अउ रिच रिच गेड़ी ,
लागत हावे सपना के गोठ ,
माटी धुर्रा के घर बुंदियाँ ल
लील डारिस ग सिरमिट के कोठ |
खैरखा के फुदकी ल भुलागे
फ़ुटबाल में चिखला मतावत हे |
अपन खेल ल खोजन कैसे ,
अब तो सबो नंदावत हे |
रचनाकार
आशा देशमुख
एन टी पी सी जमनीपाली कोरबा
छत्तीसगढ़

मंगलवार, 1 मार्च 2016

पागा-कलगी क्र.०५//-आचार्य तोषण


"कहां नंदागे जुन्ना खेल "

गांव-गांव खोर गली मा
सुन्ना होगे मइदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।
अटकन बटकन दही चटाकन
खुडुवा कबड्ड़ी सब खेलन।
आए मजा बड़ ठेल ठेलई मा
पचड़ंगा मा डंडा ल पेलन।।
रेस टिरीप मा रेस करे
पल्ला हमू कुदान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।१॥
चुरी लुकउल दाढ़ी चिमकउल
नंदी पहाड के गुनइय्या नइहे।
चायपत्ती चायपत्ती पोसन पाय
गुल्ली डंडा के पूछइय्या नइहे।।
शेर नोहे रे कोलिहा हरे
हमू पहिली चिल्लान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।२॥
बिसरत हावै फुगडी फल्ली
तिरी पासा अउ गेडी चढ़ई।
खेल-खेल मा मान मनउवा
खेल खेल मा होवन लड़ई।।
खेल खेलई मा तन हा बढ़िहा
एखर महत्ता पहिचान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।३॥
आज हमन खेलत हन
खेल देख बिदेशी खेल।
बाल बेंट के पाछू मा सब
भागत हावन रेलमपेल।।
मिलना जुलना काहीं नइहे
काबर समय गंवान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।४॥
परन करौ जुरमिल संगी
पुरखौती ल बचाना हे।
छत्तीसगढ़ महतारी के
कोरा सुघ्घर सजाना हे।।
दिया आरती धुप सजाके
करबो सब गुनगान गा।
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।५॥
कहां नंदागे जुन्ना खेल
अउ खेलइय्या नदान गा।।

-आचार्य तोषण

पागा कलगी ५//संतोष फरिकर

"हमर नदावत खेल"
हमर नदावत खेल
बिहनिया के बाटी भौरा
स्कुल के खो खो कबड्डी
भाठा के गील्ली डंन्डा
गुडी के रयचुली
हमर नदावत खेल
संझा के बेरा घोड़ा कुदंऊल
रात कुन के रेशटीप
खेलन संगी संगवारी
रहिस हवय हमर चिन्हारी
हमर चिमनी के पढ़ंई
नदावत हमर खेल
मझनिया के भटकुल खेलंई
अऊ खेलंई तीरी पासा
काय करन संगवारी
नई हेवय अब ए खेल के आसा
हमार नदावत खेल
कैची फांक सयकिल चलंई
बरसात म बेलन दौड़ंई
टीप टीप गरमी म आमा तोडंई
आज होगे कुलर म रहंई
संझा के बेरा पतंग ऊडंई
हमार नदावत खेल
नदावत हवय रस्सी दौऊड़
अऊ बोरा के दौऊडं
गली के चकरबिल्लस
बहिनी मन के फुगड़ी
हमार नदावद खेल
बहीनी मन के गोटा खेलंई
अऊ घोर घोर रानी
संगवारी मन के अटकन बटकन
नानकून के टायर दौड़ंई
फोदा के मरंई
हमार नदावत खेल
बहीनी संग अटकन बटकन
संझा कन आखी मुन्दा
रात कुन छु छुवाल
हमर संगवारी के अखाड़ा
हमार नदावत खेल
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संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
#मयारू
9926113995