रविवार, 31 जनवरी 2016

पागा कलगी-2//दिनेश देवांगन "दिव्य"

मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
जाड़ महीना सुत बिहनिया, नहाथव ठरत पानी मा !
सुरपुट खाथव चटनी बासी, मिरचा आमा चानी मा !!
मुख इसकुल के नई देखेंव, का जानव ए बी सी डी !
पान बनाथव मस्त मगन मय, खाथे जग हैरानी मा !!
आत जात मनखे मन मोला, आँखी ला फार निहारे !
मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !!
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
घोर गरीबी घर मा हावय, नई महीनत ले डरथव !
डाहर मा कतको हे बाधा, डाहक डाहक मय बड़थव !!
अँधवा मोर दाई ददा के, मय हव एक श्रवण बेटा !
हसी खुसी दुनिया के जम्मो, ओखर गोड़ तरी धरथव !!
कतका गहला हावय पानी, नई सोचव तरीया पारे !
मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
बहिनी मोर जिगर के टुकरा, ऐखर भाग सजाना हे !
काँटा हावय जो जिनगी हा, ओमा फूल खिलाना हे !
तयबेटी अस बेटा बनके, कुल के नाव ला बढ़ाबे !
मोर भरोसा पक्का हावय, देखी काल जमाना हे !
तोर मया बर ऐ जिनगी के, जम्मो सुख ला मय वारे !!
मैय छत्तीसगढ़ के लइका अव, निकले हव भाग सँवारे !
अउ ओला देवत हव सिक्छा, जो जिनगी ले हे हारे !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ )

पागा कलगी-2// ललित टिकरिहा

""कुलुप अंधियारी रात"""
कुलुप अंधियारी रात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
सरबस मोर अभी ले लूट गे,
मन के जम्मो सपना टूट गे,
करम ह अइसन मोरो फुट गे,
दाई ददा के कोरा छुट गे,
तरसे बर दिन अउ रात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
उंच नीच के रद्दा ल बतइया,
नई हे कोनो अब संग देवइया,
कहाँ पाबो मया दुलार भइया,
नई हे कोनो अधार अइसन,
दुःख के पीरा के बरसात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
बन के मै अब पान बेचइया,
बहिनी तोर करम लिखइया,
मै दुख पीरा के सहइया,
नई होवन दव निरधार
मोर जिनगी म होगे
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
पीठ ल अपन मै पलना बनाहु,
घाम पियास भले मै पाहू,
तोर बर मै छइंहा बन जाहु,
नई परन दव थोरको आंछ
जेन मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
मेहनत हा ये दिन लहुटाहि,
बहिनी तोर सपना ल रचाहि,
मोर पान बरोबर रंग लाही,
तोर ले दुरिहा करिहंव हर बात
जेन मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
तोला सजा के सोला श्रृंगार,
मै खोज लाहु तोर राजकुमार,
जे भरहि तोर जिनगी म चमकार,
थोरको नई होवन दय अंधियार
जेन मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
कुलुप अंधियारी रात
मोर जिनगी म होगे,
झन होवय ककरो साथ
मोर जिनगी म होगे।
🌑🌑🌑🌑🌑🌑
🌑गीत रचना.....✍🌑
🌑🌑🌑🌑🌑🌑

🙏संगवारी🙏
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏
29-01-16

पागा कलगी-2//हितेश तिवारी

"इनसानियत शरमिनदा फेर उम्मीद हे जिन्दा "
करम म पाहाड़ फूट गे,फेर स्वाभिमान जिन्दा हे
खुशि अउ किस्मत के डोर छूट गय,
फेर ईमान जिन्दा हे
कोन ला काहओ जिम्मेदार,
अउ कोन ला बखानव
दुख दरद अउ मया पिरा ला काखर मेर गोठियावाव
जिनगी के बिरा उठाये बर
बिरा के धंधा हे
दु जुअर के रोटी घलो तो नई मिलय
फेर उम्मीद जिन्दा हे
लोगन देखथे ,पुछथे अउ
हास के निकल जाथे
कोनो तरस खाथे ,फेर कैईथे ये आज कल धंधा ए
कोन ल नई लागाये ,सुघर घुमे खाए के सऊख
फेर ये करम के फंदा ए
जिनगी म गाज गिर गय
फेर उम्मीद जिन्दा हे
मजबुरी के बादल ,अऊ दुख के बिछओना हे
अऊ ए छोटे आखी ला
एक ठान अगोरा हे
जम्मो पुजा पाठ मा पान लेगथे लोगन
एको ठन तो भगवान ला मिठा जय
अऊ मोरो किस्मत चमक ही ,
ए ही उम्मीद मा ठाडे मोर दुनिया हे
इन्सानियत शरमिन्दा फेर उम्मीद जिन्दा हे
हितेश तिवारी
धरोहर साहित्य समाज लोरमी (मुगेली)

सोमवार, 25 जनवरी 2016

पागा कलगी 2//मिलन मलहरिया

***जिनगी के बोझा***
नोनी बहनी नोहय ग, जिनगी के रे बोझ !
टूरा मनतो  मारथे, निकलय नही ग सोझ !!
बदला बिचार खूदके,  बेटा बड़ाहि कूल !
अबके लइका टांगथे, दाई ददा ल सूल !!
बोझ असल ओहीच हे, देत बुढ़ापा छोड़ !
भारी होथे दुख दरद, खसलत जिनगी मोड़ !!
कपूत आके मेटथे, घर कुरिया अउ खेत !
गुनले तैहा जीवन म , बने लगाके चेत !!
बड़े अमर-बेले जरी, दुसर खून चूसाय !
असल बोझ सनसारके, जेन लूट के खाय !!
तूही सोचा बोझ हे, कोन सकल संसार !
ओही जाने बोझ ला, भोगय दूख अपार !!


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

रविवार, 24 जनवरी 2016

पागा कलगी क 2// रामेश्वर शांडिल्य

जिनगी के बोझा
मासूम मुंह म गरीबी झलकत हे।
पेट के खातीर सडक म भटकत हे।
भीख नहीं कुछ करके पेट भरथे।
जिनगी पहार ये त येला चघथे।
नरी म डोरी पेट म पटरा थामे  हे।
छोटे भाई ल पीठ म बांध लादे हे।
पीठ म भार पेट  म भार
कैइसे होही जिनगी पार।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
8085426597

मंगलवार, 19 जनवरी 2016

पागा कलगी-2// देवेन्द्र ध्रुव

छत्तीसगढ के पागा "कलगी क्र..02"
छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता बर रचना.....
विषय -दे गे चित्र के भाव ला अपन शब्द मा गढना..
"मेहनत मोला मंजुर"
काम मा लगे हावव मैहर ननपन ले..
बचपना नंदागे जी मोर बचपन ले..
मोला तो अब मेहनत हावय मंजूर..
भले गरीबी मा जीये बर हावव मजबुर..
रोज दिन बेरा के मार सहिथव..
नानकुन भाई ला पोटारे रहिथव..
दुख पवई ला भाग मा लिखा के लाने हव..
सुख के छईहां ले  हावव अबडे दुर..
मोला दुनो झन के भविष्य  ला सोचना हे..
कमई करके दुनो के पेट ला पोसना हे..
कभुं तो हमरो दिन बहुरही..
ऊपरवाला प्रार्थना ला करही मंजुर..
पईसा डोला देथे सबके ईमान सुने हो..
भीख मांगे ले बढिया मैहर काम चुने हो ..
कामयाबी के सपना मैहर बुने हो..
भरोसा हे  मोला मेहनत रंग लाही जरुर..
आज ऐ दुनिया आंखी देखाथे..
रोज रोज कतको आंसु रोवाथे..
पता नही कोन कसुर के सजा पावत हो..
मैंहर अबोध लईका हावव बेकसुर..
दुनिया अइसने गरीब के मजाक उडाथे.. असल बेरा मा सब हाथ छोडाथे..
मतलब के संसार मा कोनो पुछईय्या ऩईहे..
दुसर के दुख मा हंसना हे दुनिया के दस्तुर..
लईका ला देश के भविष्य  कहवईय्या हो..
ओकर हक के बात करईय्या हो..
जब बचपन अइसने गुजरही ता काली के का..
सब ऐ बात ला ध्यान से सोचहुं जरुर.....
        रचना
----------
देवेन्द्र  कुमार ध्रुव
(फुटहा करम )बेलर (फिंगेश्वर )
जिला- गरियाबंद (छ.ग.) 9753524905

पागा कलगी-2//असकरन दास

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्र.2 बर रचना
करम मोला गढ़ना हे
गढ़िस बिधाता मोर भाग ल,
करम मोला गढ़ना हे !
मोला पढ़े लिखे ल नई मिलत हे ,
मोर बहिनी ल तो पढ़ाना हे !!
ददा निकले मंदहा ,
ओकर नईहे कोनो ठिकाना !
छत्तीसगढ़ मंद म मोहाये , 
सरकार ल कोनो तव बताना !!
पढ़बो त आघु बढ़ो ,
इसकुल के भिथिया म लिखाये !
कतको जगा अभी ले छत्तीसगढ़ म ,
बाल मजदूरी के महुरा घोराये !
फेर मोला नईहे संसो ,
बिन हिचके ये अढ़वा करना हे !
गढ़िस बिधाता मोर भाग ल ,
करम मोला गढ़ना हे !!१!!
चोरी करे नक्सली बने ले ,
बढ़िया पान बेंचाई !
मया के ददरिया गा के ,
होथे सबके मुंह रंगाई !!
आ जाथे दू पईसा पापी पेट ल भरे बर !
भुड़भुड़िया घलो म डारथौं , मोर बहिनी के पढ़े बर !!
कोनो तव बतावव सरकार ले ,
नक्सली बने छाती के अघौना !
हमर धान कटोरा भुंईया के  ,
जगा जगा निमस होत हे येहू ल तो जनना !!
एकर आघु म मोर पिरा नानकुन ,
करेजा मोर छटपटात हे !
गढ़िस बिधाता मोर भाग ल ,
करम मोला गढ़ना हे !!२!!
संगी जहुंरिया जाथें पढ़े ल ,
मैं आथवं अपन भभिस गढ़े ल !
दाई के दुलार बर तरसथन ,
खावत खानी भात ल हिचकथन !!
जाड़ म ओढ़थन सुरता के ओढ़ना !
बादर के छानी बने गली घोर  म होथे रहना !!
काबर नई आ जवय हमर महतारी सरग घलो ल फांद के !
मोर बहिनी दूध पिये बर लुलवाथे चुलुक के गठरी ल बांध के !!
आँखी के धार नई रूकय ,
तभो मोला धिरज नई छोड़ना हे !
गढ़िस बिधाता मोर भाग ल ,
करम मोला गढ़ना हे !!३!!
टुटहा चप्पल मईलहा कुरथा बनगे मोर निशानी !
करियागे देंह नई होवय अबिरथा
हमर ये जिनगानी !!
चारो मुड़ा रिक्सा के ठिनिन- ठानन ,
गाड़ी मोटर के पोंप पोंप !
आरो परदूसन म जियत हन ,
कान म कपसा ल डार के तोप !!
बड़े-बड़े महल अटारी नईहे दया धरम ग !
मुंह ल देख के अईंठ लेथैं नईहे एको मया मरम ग !!
हमला ककरो सोक पिरा नई चाही ,
हमला अपन बल म जिना हे !
गढ़िस बिधाता मोर भाग ल ,
करम मोला गढ़ना हे !!४!!
नानकुन जीव ल पिठ म लादे ,
फेरी मारत गिंजरत रईथवं पान ल बिसाले !
कथ्था कपुरी बंगला पान लऊंग लईची डरवाले ,
तैं नई खावच त बाबू ,
अपन गड़ी ल खवादे !!
बड़ मयारू हमर छत्तीसगढ़ ,
पागा कलगी ल बंधवाले !
समरपन करे नकसली के बिहाव करिन पुलिस ,
अर ओहू म नचवाले !!
हम छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ,
सब जगा मया के संदेस फईलाना हे !
गढ़िस बिधाता मोर भाग ल ,
करम मोला गढ़ना हे !!५!!
( जय जोहार , जय छत्तीसगढ़ )
✍असकरन दास " अतनुजोगी "
ग्राम : डोंड़की ( बिल्हा ) बिलासपुर ( छग )
मो.नं. : 9770591174
Gmail : atnujogi@gmail.com

सोमवार, 18 जनवरी 2016

पागा कलगी-2\\ श्री सुखन जोगी

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्र. २  बर मिले रचना
"इच्छा हे मोरो पढ़हे के "-श्री सुखन जोगी
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
इच्छा हे मोरो पढ़हे के ,
सिच्छा के रद्दा म चले के !
ददा गय सरग सिधार ,
दाई हे घर म बिमार !
ठाने हंव करम करे बर ,
नानचुन दु कंवरा के पेट भरे बर....१
इच्छा हे मोरो पढ़हे के ,
पिठ म बस्ता धरे के !
तेखरे सेति पान बेंचथंव ,
ननपन के अपन जान बेंचथंव !
कुसियार कस तन ल पेरथंव ,
जांगर के रसा हेरथंव...............२
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
जुता, मोजा, कुरता पहिरे के ,
संगी संग जाये के ,
पढ़ के इस्कूल ले आये के ,
फेर , गरीबी ह मार डारथे !
त मन ह काम डहर जाथे .............३
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
पढ़के गुरूजी बने के !
बरबाद झन होय कोनो लईकन ,
अईसन जीवन गढ़हे के !
सपना हे मोरो ,
जीवन म आगु बढ़हे के................४
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
इस्कूल के होमबर्क करे के !
गिनती ल लिखे के ,
पहाड़ा ल सिखे के !
फेर कुरता बर तरसथंव ,
एक रूपिया बर भटकथंव............५
इच्छा हे मोरो पढ़हे के ,
सिढ़ही नवा चढ़हे के !
नोनी ल पीठ म धरे हंव ,
घर के बोझा ल बोहे हंव !
फेर कर सकहूं के नही सोंचे हंव ,
करबेच्च करहूं जांघ ल ठोके हंव.....६
इच्छा हे मोरो पढहे के ,
सिच्छा के रद्दा चले के ...........
       " सुखन जोगी "
ग्राम - डोड़की (बिल्हा) जिला - बिलासपुर मो. 8717918364

रविवार, 17 जनवरी 2016

देख देख ये फोटु ला-- रमेश चौहान

देख देख ये फोटु ला, पारत हे गोहार ।
बीता भर लइका इहां, गढ़त हवय संसार ।।

लादे अपने पीठ मा, नान्हे भाई छांध ।
राखे दूनो हाथ मा, पाने ठेला बांध।।
दूनो झन के पेट बर, बोहे जम्मा भार । देख देख ये फोटु ला...

अइसन का पीरा हवय, ओखर आंखी देख ।
कहां ददा दाई हवय, दिखे भाग के लेख ।।
आंसु धरे अनाथ मनन, होय आज लाचार । देख देख ये फोटु ला...

मात देत हे काल ला, लइका के ये सोच ।
करम बड़े अधिकार ले, दूसर ला झन नोच ।।
भीख कटोरा ना धरय, जांगर लय सम्हार । देख देख ये फोटु ला...

लइका के तजबीज ला, कोरा अपन उठाव ।
बनके अब दाई ददा, लव बचपना बचाव ।।
धरम करम के देश मा, होही बड़ उपकार । देख देख ये फोटु ला...

-रमेश चौहान
9977069545

शनिवार, 16 जनवरी 2016

बदलाव नवासाल मा....रमेश चौहान

बदलाव नवासाल मा, हमला करना एक ।
मनखे हा मनखे लगय, मनखे जइसे नेक ।

मनखे मनखे मारथे, धर जन्नत के चाह ।
वाह वाह ओमन करय, भरय जगत हा आह ।।
कोनो काबर कोखरो, राखे रद्दा छेक । बदलाव नवासाल मा....

गली खोर अउ कोलकी, करबो चाकर साफ ।
बेजाकब्जा ला इहां, करन नहीं अब माफ ।।
आत जात सब ला बनय, रहय न कोनो घेक । बदलाव नवासाल मा....

कोनो किसान मरय मत, चाहे परय दुकाल ।
बूंद बूंद पानी रखब, फसल होय हर हाल ।।
करजा बोड़ी छूटबो, कमा कमा के फेक । बदलाव नवासाल मा....

गोठ सोनहा काल के, कोठी भर भर राख ।
नवा नवा सब गोठ ले, गढ़बो अपने साख ।।
नवासाल मा फेर हम, काटब गुरतुर केक । बदलाव नवासाल मा....

""छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र -1"" के परिणाम



संगी हो,
जय जोहार,

छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता "छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र-1" आप सब के सहयोग ले पूरा होइस, ये आयोजन मा पूरा छत्तीसगढ के प्रतिनिधित्व दिखथे चारो कोंटा ले रचना आइस, ये आयोजन मा जतका रचाधर्मी मन के रचना आइस सबो ला ये आयोजन मा हिस्सा ले बर दिल ले आभार । सबो रचना एक ले बढ के एक रहिस "बदलाव नवा साल मा"-ये शीर्षक मंच संचालक श्री सूर्यकांत गुप्ताजी दे रहिन, प्रतियोगिता मा आये रचना के मूल्यांकन हमर मंच निर्णायक मंडल 1-प्रो चंद्रशेखर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार मुंगेली अउ 2 श्री राजकमल राजपूत, वरिष्ठ साहित्यकार, थानखम्हरिया रहिस । रचना के विविध पक्ष विषय के समावेश, छत्तीसगढी संस्कृति भाखा, नवा उदिम सब ला ध्यान मा रखे गिस । केवल रचना के गुणवता ला महत्व दे गीस । अइसे तो सबो रचनाकार के रचना बहुत सुघ्घर रहिस ऐखर बर सबो संगी मन गाडा-गाडा बधाई ।

ये आयोजन के उदृदेश्य कलम के धार ला तेज करना, रचना ला एक नवा दिशा देना, एक दूसर के सहयोग ले सिखना हे । ऐमा जम्मो नवा-जुन्ना साहित्यकार के सहयोग आर्शिवाद मिलत हे, ऐखर बर जम्माझन के आभार ।

अइसने आप सब के सहयोग मिलत रहिही अइसे कामना हे ।

निर्णायक मंडल के निर्णय के अनुसार "छत्तीसगढ के पागा कलगी-1" के पागा ला भाई
श्री देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम)
बेलर (फिंगेश्वर )
जिला गरियाबंद
9753524905
ला दे जात हे ।

भाई देवेन्द्र ध्रुव ला गाडा-गाडा बधाई

-::छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र-2 के विषय::-

//छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता//
-::छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र-2 के विषय ::-

प्रतियोगिता के समय- 16 जनवरी 2016 ले 31 जनवरी 2016
विषय- "दे गे चित्र के भाव ला अपन शब्द मा गढना"


चित्र देख के आपके मन मा जउन भाव उपजय ओखर ले एक शीर्षक गढ के अपना रचना ला करना हे ।
विधा- विधा रहित
मंच संचालक- श्री सुनिल शर्मा, "छत्तीसगढ के पागा" क्र-2 के विजेता
निर्णायक मण्डल-
1-श्री अरूण निगम, वरिष्ठ साहित्यकार एवं छंदविद
2- श्री संजीव तिवारी, गुरतुर गोठ वेब पत्रिका
संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर "छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र-2" बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा मेल कर सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
या
whatsapp के "छत्तीसगढी मंच" समूह मा पोस्ट कर सकत हंव ।
या
नीचे whatsapp नम्बर मा भेज सकत हॅव -
9977069545
9098889904
7828927284
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।
संचालक मण्डल
छत्तीसगढी मंच

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// ललित टिकरिहा

"छत्तीसगढ़ के पागा - कलगी क्र. 1"
✏बर मिले रचना✏
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
"बदलाव नवा साल मा"
💬💬💬💬💬💬💬💬-ललित टिकरिहा
लइका सियान जम्मों डीजे
म अमा गे,
मांदर अउ ढोलक हा अब
कहाँ नंदा गे,
मोहरी अउ झुमका ल सुरता
म समा के,
भुला गेन संगी सब सुवा
कर्मा के ताल ला,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
गाँव हां घलो देख के शहर
ला लूहा गे
हाय बाय के चक्कर म राम
राम ला भुला गे,
मया पिरीत हा जम्मो दारू
मउहा संग बोहा गे,
मुड़ धर के रोवत हन सब
आज अपन हाल मा,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
भूख अउ गरीबी म भुंइया
हा बेचा गे,
छत्तीसगढ़ राज ले
छत्तीसगढ़िया सिरा गे,
अपनेच घर ले भागे के दिन
अइसन आगे,
नई देवय कोनो संग इहाँ
गँवइहा के बदहाल मा,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
ये बछर बिन बरसा के चेत
हा परा गे,
किसमत हा हमर ठाढ़े दनगरा
म समा गे,
लदलद ले करजा मा किसान
मन लदा के,
परान ल अपन रोज गँवावत
हे दुकाल मा ,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
अउ का मै बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
💬💬💬💬💬💬
✏लिखइया ✏
🙏तुँहर संगवारी🙏
ललित टिकरिहा
सिलघट (भिंभौरी)
बेरला ब्लाक
जिला बेमेतरा (छ.ग.)
7354412700
8103603171
दि. 11-01-2016

बुधवार, 13 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// महेश पांडेय मनु

//बदलाव नवा साल मा//

परबुधिया संगी मन ला जगाबो हर हाल म ।
मिलजुल के लाके रहिबो बदलाव नवा साल म ।।
सुम्मत सुनता के डोर म सब बंध जाबो
नइ फंसन अकारथ सुवारथ के जाल म ।।
माटी के लाल हम कर दब जब्बर गोहार
हमर हक छिनैया ह पड़ जही बवाल। म। ।।
नास नसा के करबो रद्दा हम नवा गढ़बो
जगमग होही छत्तीसगढ़ एकता के मसाल म ।।
अपन भाखा औ बोली के मान ला बढ़ाबो हम
नइ आवन मिठलबरा परदेसिया मन के चाल म ।।

-महेश पांडेय मनु

पागा-कलगी-1// देवहीरा लहरी

नवा बछर ---------------------------------- नवा बछर म करव अईसन काम गलत रददा ल छोड़व हो जाही उंचा नाम कई परवार लुटगे जिनगी होगे खराब बात हमर मानव एसो छोड़ देव सराब दारू मऊहा पी के झन करव लड़ाई सुग्घर जिनगी जियव लईका ल करवाव पढ़ाई दाई-ददा के सेवा करके करव अईसे चमत्कार अब कोनो नोनी बहिनी के झन होवय बलात्कार मेहनत मजदूरी करके जांगर टोर कमाबो एसो नवा बछर म सुग्घर जिनगी ल सजाबो महतारी उपर नजर गड़ाही मारबो करबो ओला बेइज्ज काकरो बेटी बहिनी महतारी के अब झन लुटय इज्जत जुरमिल के संग चलव अऊ छोड़व जातिवाद ल माटी के बईरी ल मारव खतम करव आतंकवाद ल नवा बछर म नवा सोच गाड़ी सही रद्दा म चलाव दुख दरद भाग जाही जिनगी म आही बदलाव ------------------------------------------ रचना - देव हीरा लहरी चंदखुरी फार्म रायपुर मोबा :- 9770330338

पागा-कलगी-1// विजय साहू अंजान

बदलाव नवा साल मा

दिन रात जांगर पेरत हे तबले,
थोरको सुख नई जाने,
गरीब के दुख पीरा ल काबर ईहा,
कोनो नई पहिचाने|
कइसे चलही इंकर जिनगी,
अइसन परे दुकाल मा,
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा....
घाम पियास ल तापत रहिथे,
अन्न दाई ल ऊपजाए बर,
जाड़ शीत मा काँपत रहिथे,
हमर कांवरा बिसाय बर...|
अलकरहा फंस गेहे संगी,
मछरी कस गरीबी के जाल मा...
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
रोज दिन के हर-,हर कट-कट मे,
जी हर घलो कऊवा जाथे,
नान -नान लइका के भूख हा,
अंतस ला रोवा जाथे|
चर्रस ले टूट जाथे सपना,
जियत हे बेहाल मा..
ऊचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा....बदलव नवा साल मा|
धान के कटोरा ह घलो अब उना परगे,
संसो मा कतको संगवारी जियत-जियत मरगे|
एसो के अंकाल-दुकाल मा,
इंकर भाग ह संऊहत जरगे..|
बतर किरा कस भुंजा जाही,
बिना काल के काल मा...
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
खुरसी ले उतरे बर परही,
जिनगी मा इंकर झाँके बर.,
सोंच हमर बदले बर परही,
दुख ला इंकर नापे बर.|
जुरमिल के खोजे मे मिलही,
सुख होही चाहे पाताल मा...
गरब अभिमान ला छोड़के संगी..
थोरकिन बदलव नवा साल मा...बदलव नवा साल मा..|
गिरे परे ल उठाये ल परही भेद -भाव ला मिटाके,
सच ला अंतस मा उतारे ल लागही लालच ल भुलाके|
जिनगी सबके सँवर जाही 'विजय'..
बंधना मे बंधा के एकता के ढाल मा..
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन..
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
रचनाकार
विजय साहू'अनजान'
करसा भिलाई
जिला दुर्ग

पागा-कलगी- 1// हितेश तिवारी

"नवा बछर म आस ''
छोड़ के चल दिस रे भैईआ,पुराना पहर...
अऊ देखते देखत आगे
नवा बछर...
नवा बछर म करबो का-का प्रयास
आवऔ मै बतावत हव ,नवा बछर म आस
फ़सल ल लेके परेसान हे ईहा के किसान
अऊ हमला ले परेसान हे फौजि मितान
कुछ नै हो सकय,फेर मन मा हे द्रिड़ विस्वास
नवा बछर म आस
साल भर मेहनत के बाद
विद्याथी मन ला परिणाम के अगोरा हे
मिसावत हे धान पान,बनिहार के अगोरा हे
नवा साल म,पड़बो लिख बो आघू बड़बो,अउ छत्तिसगर्ही ल बचाये बर कर्बो प्रयास
नवा बछर म आस
जुर्बो मिल्बो अऊ ,साबित क्र्रबो,छत्तिसगरिहा के हित म लड़आई लड़बो
डर अऊ संसय से ऊपर उठ के जागे हे विश्वास
''नवा बछर म आस''
हितेश तिवारी
धरोहर साहित्य समाज
लोरमी जिला (मुगेली)

पागी-कलगी//ओमप्रकाश चंदेल

अकाल परगे ,
गिनती नई हे
कतना झन मरगे।
बिचारा किसान मन के
सबो चेत-बुध हरगे।
का ये सबो बदल पाही
नवां साल मा?
विकाश के रुप धरके
महंगाई डायन ह
घर-घर के
रंधनी खोली मा उतर गे।
कइसे झुठ मुठ कहवं
सबो के हालत सुधरगे।
का ये गरीबी भाग जही
नवां साल मा?
सपना आंखी के
आंखींच मा रहीगे।
अपने बोली भाखा संग
होवत रीहीस अनियाव।
सबो छत्तीसगढ़ीया मनखे
चुपेचाप सहीगे।
कभू कुछू कही पाही
नवा साल मा?
गली-गली मा दारु के
दुकान खुलगे।
नसा के धून मा
नानेच-नान
लईका मन झूलगे।
सरकार ह
दारु के धनधा से
अउ कतका कमाही
नवां साल मा?
बीते बछर मा
जम्मो खोटा सिकका चलगे।
सत के सिपाही मन
सरहद मा मरगे।
कब, कईसे शांति के
पूरवईया बोहाही
नवा साल मा?
कोनो-कोती, कोनो डाहर
का कुछू बदलही
नवां साल मा?
ओमप्रकाश चंदेल अवसर
पाटन दुर्ग "छत्तीसगढ़ "

सोमवार, 11 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल मा-दिनेश देवागंन "दिव्य"

मुखड़ा ल 16,14 के मात्रा मा लिखेव हव अउ ऐकर अंतरा हा सार छंद मा लिखाय हे ! आप मन पढ़ के प्रतिक्रिया जरूर दिहू पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा मा लिखय हव ...!!!
नवा सुरुज हे नवा बिहनिया, जागव रे नवा साल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
खेती बारी करबो हरियर, हरियर घलो किसानी !
खार मा घलो फूल उगाबो, आज हमन ये ठानी !!
महानदी बन आही गंगा, चिर परबत अउ घाटी !
धान कटोरा फेर कहाई, छत्तीसगढ़ी माटी !!
मरय नही अब कोनो हलधर, कर्जा सूखा अकाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
जुर मिल रहिबो संगी साथी, सबले हाथ मिलाबो !
भेदभाव ला छोड़ भुलाबो, सबला संग बढ़ाबो !!
खून खून के रिसता मा अब, झन होवय बटवारा !
रिसता नाता गुरतुर होही , नई सिनधु कस खारा !!
सरग बनाबो पावन भुईया, हावय जोन बदहाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
निसा नही करबो गा संगी, किरिया जम्मो खाबो !
निसा नाश के जड़ हे भाई, सत ये बात बताबो !!
ठगबो काबर हम कोनो ला, घटिया बेईमानी !
मार भगाबो भ्रष्टाचारी , पिया पिया के पानी !!
मनखे मन मा जोश जगाबो, पारा गली चौपाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
कोख मा नई बेटी मरही, मान बड़ाई पाही !
लता,सानिया,अउ आशा कस, दुनिया मा छा जाही !!
बेटी चंदा सूरुज बनही, बेटी बनही तारा !
बेटी हे अँगना के तुलसी, अउ गंगा के धारा !!
बहु ला बेटी समझव भाई, नई मारव ससुराल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
नवा सुरुज हे नवा बिहनिया, जागव रे नवा साल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
कवि दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
9827123316, 8109482552

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// रामेश्वर शांडिल्य

रचनाकार-रामेश्वर शांडिल्य
----------
बदलाव नवा साल मां
नवा साल म नवा रसता गढ़े ल परही।
जुन्ना साल के चलन छोड़ें ल परही।
असत अत्याचार अन्याय ल
मन ले हटाया जाए।
धीरज धर के ताकत ल
सत करम म लगाया जाए ।
नवा तरीका जीवन म जोडे ल परही।
जुन्ना साल के..........
धरम के रसता म रेंग के
आगू आगू बढ़ना होही।
करम कर के संकल्प के
पहार म चढ़ना होही ।
नवा साल म नवा सोचे ल परही।
जुन्ना साल के.............
गरीबन के सेवा जतन म
अपन हाथ बढ़ाये जावा ।
अंधवा खोरवा मन ल
अपन छाती म लगाये जावा ।
ऊंच नीच के भेदभाव तोड़े ल परही।
जुन्ना साल के चलन छोड़े ल परही।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा-कलगी-1//बदलाव नवा साल मा-ओमप्रकाश चौहान

" बदलाव नवा साल मा "
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
=====================
मनखे ल मनखे नई जानेन
बड़न के कहना कभु नई मानेन,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
मोह माया के लफड़ा म पड़के
जग मुआ ल अईसे मताएंन ग
भाई ल बईरी जानके
कुछु अईसे घला बताएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
नशा के फांदा म पड़के
डउकी-लईका तक हम भुलाएंन ग
बेमतलब के चिहुर गली खोर म हम मताएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
दुसर के बड़ना म जर कुकड़के
अपन जिनगी म आगी लगाएंन ग
हम बेमतलब के का महुरा 'पी' आएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
चारी चुगरी करके
बड़ ऐखर ओखर घर उजाड़ेन ग
बेमतलब के रंज हम लगाएंन ग,
होगे जेन होगे ये अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
अब नवा डगर अउ नवा सरग बर
जुर मिल सबे हांथ बढ़ाव ग
ये जिनगी ल बने सुग्घर
अउ सुग्घराव ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के ओ अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
मनखे ल मनखे नई जानेन
बड़न के कहना ल नई मानेन ..................।
🌻 ओमप्रकाश चौहान 🌻
🌻बिलासपुर🌻

गुरुवार, 7 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल के-मिलन मलहरिया

छत्तीसगढ़ के पागा-कलगी क्रमांक-1
बिसय- ""बदलाव नवा साल के"" के बिसय ले जूड़े रचना---
----------------------------
**नवा बछर म का चरित्तर आगे **
"""""""""""""""""""""""""""""
2015 म लईका अउ जवान
सबो बेरा मोबाइल के धियान
इन्टरनेटवा बनगे सबके परान
अब 2016 म थीरी-जी छागे
जेमा डोकरा मन घलो झोरसागे
नवा बछर म का चरित्तर आगे ?
नवा जूगके इही भगवान बनगे
इनटरनेट के नदिया बोहागे
गाँव गलिखोल सबो समागे
वाट्सेफ धून घरोघर मतागे
दूनियाभर ह इही म बोजागे
नवा बछर म.......................
डोकरा लईका सियान भाए
दाई-ददा ह घलो मूड़ी नवाए
मोर बबा घलो गुरुफ बनाए
गुरुफ म एडमिन नाव रखागे
नवानवा दोस्ती-यारी छागे
नवा बछर म.......................
कापी पेस्ट ल रोज पेलत हे
एति के ओति ओहर ढिलत हे
महिना म कई हजार फूकत हे
गुरुफ गुरुफ म नाव बड़त हे
मुड़ी म ओखर इन्टरनेट जागे
नवा बछर म.......................
आनिबानी के सनिमा देखत हे
फोन ल दिनभर लाॅक करत हे
डर म मोर लुकावत चपकत हे
उमर के ओला फिकर नई हे
धान बेच मोबाईल खरिदागे
नवा बछर म.......................
पोरफाईल म तो जवान देखात हे
वाट्सेप संगे फेसबूक चलात हे
दूनियाभर ल लाईक मारत हे
बने-बने ल जी सेयर चपकत हे
संगी-यारी के फाईल टैग पेलागे
नवा बछर म...........................
गांव भर के फेसबूक पेज बनाए
मोबाईल संगे लेपटाॅप बिसाए
बबा गाँव म ब्राडबेन्ड लगवाए
वाई-फाई ल पूरा गाँव बगराए
नेट चलवईया जागरुक होगे
गाॅवभर बबा ल सरपंच जितागे
नवा बछर म...........................


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

बुधवार, 6 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल म-राजेश कुमार निषाद

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक 1 बर मोर ये रचना
।। बदलाव नवा साल म ।।
जगह जगह म घटना घटत हे
देखव कईसन हाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
दिनो दिन मंहगाई बढ़त हे।
भाई भाई एक दूसर से लड़त हे।
गरीब मनखे मन बर करलई होगे।
अब के सरकार निरदई होगे।
मंहगाई बढ़ा दिस दाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
पढ़े लिखे मन बेगारी करत हे।
अनपढ़ मन हिस्सेदारी बर लड़त हे।
जगह जगह म भुइंया के बटवारा होवत हे।
अईसन भरे दलाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
गली गली म पानी बोहावत हे
चिखला माते हे भारी।
घर घर म नल लगावत हे
एक दूसर ल देवत हे गारी।
आरा पारा सबो पारा रमे हे सब बवाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
दाई ददा ल संसो नई हे
बेटा घुमक्कड़ होगे।
काम बुता के फिकर नई हे
ददा पियक्कड़ होगे।
जिनगी कटत हे येकर बुरा हाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल मा-देवेन्द्र ध्रुव

छत्तीसगढ के पागा.. "कलगी"क्र.01 बर मिले रचना
....................
छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता बर रचना
विषय -बदलाव नवा साल मा.. रचनाकार-देवेन्द्र ध्रुव
--------------
धान के कटोरा उन्ना होवत हे
धरती दाई के कोरा सुन्ना होवत हे
आज अन्नदाता मुडधर के रोवत हे
अपने हाथ अपन जान लेवत हे
फोकट समा जावत हे काल के गाल मा
अब तो सुधार होना चाही इकर हाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा...
का करबे किसनहा ला कोनो नई पुछय
कर्जा मा जीयय, कर्जा मा ओखर प्राण छुटय
अब हर योजना किसान के नाम होना चाही
टाल मटोल नही अब तो बस काम होना चाही
अब ककरो फसल झन बोहावय बाढ मा
अऊ कोन्हो झन मरय ऐ दारी अकाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा"......
सिघवापन के फायदा उठाथे दुसरा मन
भाई ले भाई ला लडाथे दुसरा मन
नई समझय अबडे मीठ आखिर कडहा होथे
सब ला अपन समझथे गवंईहां अडहा होथे
अब जागव झन फंसव कोनो जाल मा
दुश्मन झन होवय कामयाब अपन चाल मा...
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा "...
पता नही काबर सब संग दुरिहाये हौ
पता नही काकर बुध मा आये हौ
परिवार सुघ्घर पेड ऐला झन काटव
अपन अऊ पराया मा कोनो ला झन छांटव
जुरमिल के रहव जी घर ला झन बांटव
घर ला छोडे के बात झन लानव ख्याल मा..
बहुत जरुरी हे" बदलाव नवा साल मा"...
दुख परगे ता उदास झन बईठौ
जीत घलो मिलही हताश झन बईठौ
चुनौती दिही गा बेरा रही रही के
आघुं बढना हे सबो पीरा ला सहिके
सब मुश्किल के हल अऊ मुंहतोड जवाब
झन पडे रहव दुनियादारी के सवाल मा...
बहुत जरुरी हे"बदलाव नवा साल मा"...
जान लो परदेशिया ला राजा नई बनाना हे
दुसर के बात मान परबुधिया नई कहाना हे
सब ला उन्नति के नवा रद्दा बताना हे
अपन मेहनत ले तरक्की ला पाना हे
फेर महकही फुलवारी, सुख आही दुवारी
कोयली फेर गीत सुनाही बईठ आमा के डाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा"...
रचना
---------------
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम)
बेलर (फिंगेश्वर )
जिला गरियाबंद
9753524905

रविवार, 3 जनवरी 2016

पागा-कलगी" क्र-1/। बदलाव नवा साल मा -श्री ललित कुमार साहू

"छत्तीसगढ के पागा-कलगी" क्र-1 बर प्राप्त रचना
" बदलाव नवा साल मा "-रचनाकार -श्री ललित कुमार साहू
-------------------------------------------------------------
" बदलाव नवा साल मा "
पहली बछर मे बछवा मर गे
दुसर बछर बित गे बछिया
आंसू तर-तर बोहात ग्वाल के
नई हे कोटना मे पानी पसिया
कुकुर बिलई के दिन हरिया गे
गरहन धरे हे गौ साल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा
नवा बछर मे सब माते हावे
का जापान का चीन रसिया
किसान रोवत हे मुड धर के
बिन पानी खेत परे हे परिया
अलकरहा गाना मे बेसुध नाचे
चौसर बिछे हे चौपाल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा
लईका पढाय बर सियान दबे हे
जेवर गहना धर कर्ज उधार मा
फेर लईका परबुधिया भुलाय हे
पुस्तक छोंड मया संसार मा
उघरा तन परगट देखात हे
मुहु बांधे हे फरिया रुमाल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा
कुकरी पोसत हे तिंवरा बोय कस
फंदोत हे मछरी गरी जाल मा
अपन संस्कृति ला छोंड सब
मोहा गेहे पश्चिम के चाल मा
सिधवा सब छत्तीसगढ़ीया मईनखे
परदेशी कोलिहा हे शेर खाल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा ।।
रचना - ललित कुमार साहू
छुरा / जिला - गरियाबंद ( छ.ग.)
मो.नं.- 9993841525

"छत्तीसगढ के पागा-कलगी" क्र-1, छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगता के विषय

"छत्तीसगढ के पागा-कलगी" क्र-1, छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगता के विषय
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प्रतियोगिता के समय- 1 जनवरी 2016 ले 15 जनवरी 2016
विषय- "बदलाव नवा साल माँ"
विधा- विधा रहित
मंच संचालक- श्री सूर्यकांत गुप्ता, "छत्तीसगढ के पागा" क्र-1 के विजेता
निर्णायक मण्डल-
1- प्रो. चंद्रशेखर सिंह, मुंगेली
2- श्री राजकमल राजपूत, थानखम्हरिया
संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर  "छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र-1" बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा भेज सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
3- whatsapp-9977069545
4-whatsapp-+917828927284
5-whatsapp-+919098889904
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।
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"छत्तीसगढ के पागा-कलगी"/छत्तीसगढी कविता प्रतियोगिता के नियम


संगी हो,
जय जोहार
छत्तीसगढ़ी के साहित्य ला समृद्ध करे बर, छत्तीसगढ़ी साहित्य मा गुणवत्ता लाय बर, छत्तीसगढ़ी साहित्य ला जन जन तक पहुचाये बर ये ‘छत्तीसगढ़ी मंच‘ के स्थापना करे गे हे । ये मंच के प्रयास हे छत्तीसगढ़ी काव्य, विधा सम्मत होय । अजरा तुकबदी भर मत करंय, तुकांत कविता घला सुगढ़ होय । गद्य मा छत्तीसगढ़ी बोलचाल सम्मिलित होय ।


ये उद्देश्य ला पाय बर एक कदम आघू बाढ़त छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता कराये के विचार आइस, जइसे हिन्दी के बहुत समूह ये काम करत हे । येही विचार ले -‘पागा कलगी‘ नाम ले छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता चालू करे गे हे, जेखर नियम-प्रारूप ये प्रकार तय करे गे हे-
प्रारूप :-

1- प्रतियोगिता महिना मा दू बार होही- अर्थात प्रतियोगिता हा पख्खी (पक्षीय) होही ।
एक पाख मा सीधा-सीधा विषय या शीर्षक दे जाही अउ दूसर पाख मा कोई चित्र या कोनो कविता/काव्य के दू-चार पंक्ति जेखर आधार मा कविता करना होही ।
2- प्रतियोगिता के नाम "छत्तीसगढ के पागा कलगी" होही  ।
3- हर महिना के 1 तारीख ले 15 तारीख के प्रतियोगिता बर कोनो विषय दे जाही, रचनाकार मन ला ये विषय मा अपन रचना लिखना होही । 16 तारीख ले 30/31 तारीख तक प्रतियोगिता बर चित्र या कविता के दू-चार लाइन दे जाही, ऐखर भाव ला आत्म सात करके कविता लिखे जाही ।
4-सर्वश्रेष्ठ रचना के रचनाकार ला "छत्तीसगढ के पागा-कलगी" के नाम ले प्रमाण-पत्र फसबुक के ‘छत्तीसगढ़ी मंच‘ अउ ब्लाग-‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी‘  मा परकासित करे जाही । बीच-बीच मा कोनो मंचीय कार्यक्रम मा जम्मो विजेता मन ला छत्तीसगढ के वरिष्ठ साहित्यकार के हाथ ले प्रमाण-पत्र दे जाही ।
5-प्रत्येक आयोजन/प्रतियोगिता के एक संचालक नामित करे जाही । ये व्यक्ति हा एडमिन समूह ले अलग कोनो ना कोनो "छत्तीसगढ के पागा" या "छत्तीसगढ के कलगी"  के विजेता होही । मंच संचालक के दारा ही ‍विषय/चित्र/काव्यांश दे जाही ।
6-जेन मंच संचालक होही ओ हा प्रतियोगिता मा भाग नई ले सकय, लेकिन जेन आयोजन मा ओ हा मंच संचालक नई होही ओमा ओ भाग ले सकत हे ।
7- हर आयोजन बर एक अलग से निर्णायक दल बनाये जाही, जेमा हमर छत्तीगढ के वरिष्ठ साहित्यकार मन ला नामित करे जाही । ये निर्णायक मन के नाम आयोजन के घोषणा के संगे-संग करे जाही ।
8- ये प्रतियोगिता मा आये जम्मो रचना ला "छत्तीसगढी मंच"  के संगे-संग "छत्तीसगढ के पागा-कलगी" ब्लाग  <ahref="http://chhatishgarhkepagakalagi.blogspot.com/">छत्तीसगढ के पागा-कलगी</a  मा घला परकासित करे जाही ।
9-प्रतियोगिता के विजेता के रचना ला कोनो एक समाचार-पत्र अउ कोनो एक वेब पत्रिका मा परकासित कराय जाही ।

नियम-
1-विश्व के कोनो व्यक्ति जउन छत्तीसगढी मा रचना करथे । जेन अपन छत्तीसगढी रचना ला देवनागरी लिपि मा लिखथे । ये प्रतियोगिता मा भाग ले सकत हे, ऐमा कोनो परकार उम्र, लिग, के बंधन नई होय ।
2- प्रत्येक रचनाकार दूनो आयोजन मा भग ले सकत हे । दूनो आयोजन मा एक रचनाकार केवल एक रचना दे सकत हे ।
3- रचनाकार अपना रचना ला सीधा फेसबुक के "छत्तीसगढी मंच" मा पोस्ट कर सकत हे, नही ता एडमिन समूह के email-  मा मेल कर सकत हे ।
4-हर रचनाकार हर आयोजन मा भाग ले सकत हे चाहे ओ प्रतियोगिता के विजेता काबर न हो जय, ऐखर मतलब हे एके रचनाकार प्रत्येक आयोजन के विजेता हो सकत हे, ओखर बर कोनो रोक टोक नई होवय ।
5-प्रत्येक प्रतिभागी बर दू नियम बंधनकारी होही- पहिली आयोजन के चलत ले अपन ये रचना ला अंते परकासित नई कराही अउ दूसर- आयोजन मा आने कम से कम 5 प्रतिभागी मन के रचना मा टिप्पणी करहीं । ये दूनो नियम के पालन नई होय मा ओखर रचना ला आयोजन ले बाहिर माने जाही ।
6- प्रतिभागी के रचना दे गे विषय/भाव के अनुरूप होना चाही, रचना केवल अउ केवल छत्तीसगढी मा देवनागरी लिपि मा मा होवय ।
7- रचना के उपर मा "छत्तीसगढ के पागा-कलगी" क्र ----" बर रचना" लिखे होय होना चाही ।

-ग्रुप एडमिन
छत्तीसगढी मंच

जेन संगी ये नियम मा संशेधन चाहत हव अपन विचार रख सकत हव आप के हर सुझाव के स्वागत हे ।
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संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर "छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र----" बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा मेल कर सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
या
whatsapp के "छत्तीसगढी मंच" समूह मा पोस्ट कर सकत हंव ।
या
नीचे whatsapp नम्बर मा भेज सकत हॅव -
9977069545
9098889904
7828927284
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।

संचालक मण्डल छत्तीसगढी मंच-
मार्गदर्शक-श्री अरूण निगम, श्री संजीव तिवारी, श्री चंद्रशेखर सिंह, श्री राजकमल राजपूत, श्री नंदराम निशांत ।
प्रबंधन सहायक-श्री सूर्यकांत गुप्ता, श्री सुनिल शर्मा अउ श्री मिलन मलहरिया, श्रीमती आशा देशमुख
मिडिया प्रभरी-श्री देवहीरा लहरी, लक्ष्मीनारायण लहरे
मुख्या प्रबंधक- रमेश कुमार  चौहान

"छत्तीसगढ के पागा " क्र 7/विषय - "गुरू घासीदास के संदेश"

 के एकजाई रचना
--------------------------------------------
"छत्तीसगढ के पागा" क्र-7 छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता के विषय हे- "गुरू घासीदास के संदेश" ये विषय मा  आये रचना अइसन हे -
1- ।। जय सतनाम ।।
सतनाम के बाबा मोर
करत हावंव पूजा तोर।
18 दिसंबर के बाबा
मनाथन तोर जयंती ल।
करत हावंव पूजा तोर
सुन ले मोर विनती ल।
सादा के धोती बाबा
सादा के डंडा।
सादा के खंभा बाबा
सादा के झंडा।
ये दे जग म नाम चले तोर।
सतनाम के बाबा मोर
करत हावंव पूजा तोर।
महंगू के बेटा अमरौतिन लाला।
फैलाये जग म तै सत के प्रकाश ल।
छाता पहाड़ म तै ह विराजे
अमृत कुण्ड म नहाये।
सत के रद्दा देखइया बाबा
सफरा माता ल तै ह जियाये।
भक्त मन जाये बाबा दरस बर तोर।
सतनाम के बाबा मोर
करत हावंव पूजा तोर
-राजेश निषाद
2-॥रचना-मिलन मलरिहा॥
************************************
सत्रहवि सदि आये बबा, बन महगू के लाल।
गिरौदपुरि के माटि मा, बसाए सत के ढाल।।
हे सतपुरुस गुरू बबा, धराए तय सतनाम।
मूरख रहि चोला हमर, बसाये सत गियान।।
सतखोजन करे तय तप, छोड़के मोह-काम।
छाता-पहड़ रमाय धुनि, गिरौदपुरि के धाम।।
सबो मनखे कहे एके, सब जिव कहे समान।
परनारी माता सही, नारी घर के मान।।
घरघर फइले चीखला, नसा-दारु हे भाइ।
मदिरा-माँस ल छोड़के , कर सतबीज बुआइ।।
जूवा तास हे अपजस , ओ धन काम न आय।
चोरी-लुट ले दूर रइ, पुरही तोर कमाय।।
देव रहिथे सबोजघा , त काबर कहू जाय।
अपन घर सुमरले ग तै, उहेच दरसन पाय।।
सब धरम एक बरोबर ग, माता पिता समान।
ककरो चुगली झिन कर ग, इही गुरु के गियान।।
जैत खम्भा मान हमर, झन्डा हे अभिमान।
सादा-सत के चीनहा , सत के हे परमान।।
छुवाछूत जग रोवत ल, करे बबा सनहार।
सबगलि हहाकार रहिच, कर देहे परहार।।
धरति रोए कापे सुरज , रहीच मनुबीचार।
सतनामे परकास रख, करदेहे उजियार।।
आसिस दे महुला बबा, जयजय हे सतनाम।
मलरिहा परनाम करय , बाबा के परमान।।

-मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
3-बाबा जी ल परनाम हे
********************
सत के जेहा रसता देखाइस
मानव मानव ल एक बताइस
छुआछूत के भेद मेटाइस
पूरा जीवन तप में लगाइस
गिरौदपुरी जेकर धाम हे
अइसन बाबा ल माटी के परनाम हे।
छाता पहाड़ में धुनी रमाइस
दुनिया भर में गियान बगराइस
मांस मदिरा अऊ नशा छोड़ाइस
सादा जीवन जीना सीखाइस
दुनिया भर में जेकर नाम हे
अइसन बाबा ल माटी के परनाम हे।
सत के सादा झंडा फहराइस
लहर लहर जग में लहराइस
जीवन अपन सफल बनाइस
जग में अपन नाम कमाइस
घासीदास बाबा जेकर नाम हे
अइसन बाबा ल माटी के परनाम हे।
-महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया
4-नानमुन दोहा:
भारत दाई तोर वो, नइ कर सकन बखान।
ज्ञानी ध्यानी संत जन, जनमे तैं संतान।।
कबिरा राम रहीम अउ, किसन भगत रसखान।
बाढ़िस इंखर काम ले, मोर दाइ के मान।।
जात पात के भेद मा, माचिस खींचातान।
छुआ छूत के जाल मा, फंद के मरिन मितान।।
माह दिसंबर ताय जी, अट्ठारा तारीख।
सन सतरा सौ छप्पने, दे बर आइन सीख।।
होय कुरीत के खात्मा, जागिस मन मा आस।
अमरउतिन के कोंख ले जन्मिन घांसीदास।।
मंतर उंखर सात ठन, जीवन राह देखाय।
मनखे मनखे एक के, सुंदर भाव जगाय।।
महिमा तो सतनाम के, सुघ्घर करिन बखान।
पर मनखे के सोच हा बदलिस नही सियान।।
संत सबो के मंत्र ह, होथे एक समान।
बाबा घासीदास ला, बारंबार प्रनाम।।
जय जोहार....
-सूर्यकांत गुप्ता
1009, सिंधिया नगर
दुर्ग.....
5-।।बाबा के संदेशा।।
घासीदास बाबा मोरे
जग म महान हे।
छत्तीसगढ म जनम धरे
गिरौदपुरी धाम हे।।
सत के संदेशा बाबा
तोरे अमरीत बानी।
संदेशा तौर गठियाके
धरबो सबो परानी।।
मास मदिरा ले दुरिहा रहू
रसता ल बताये हँस।
सत अउ अहिंसा के मारग
छुआ छूत मिटाये हस।।
जीव हत्या बंद करव
दुनिया ल सिखाए हस।
मनखे मनखे एक समान
नारा ल गुंजाए हस।।
जब तक सुरुज चंदा रही
अमर रही तोरे नाम।
अमरौतीन मंहगू के लाला
घेरी बैरी तोला परनाम।।
-अशोक साहु, भानसोज
6-बाबा गुरु घासीदास जी ल नमन , रचना
--------------------------------------------
बबा के मिले असीस ,
बबा देदे हमु ल सिख ,
सत संग में मिले सीस ,
सत रहे जीवन परान,
छाता पहाड़ के पटौनी,
सत खम्ब बतावत एक कहानी ,
देवत सिख सब्बो मितान ल ,
मानव धरम में सत मिले सब्बो मितान ल ,
मिल के बांटो सब्बो मनखे ,
जीवन के दुख दर्द ल ,
मेहनत के सुफल मिलते ,
सत के रद्दा में सुफल मिलते ,
बनावो अइसन रद्दा के,
न मिले कोनो मानुस ल
दुःख के कांटा कूची ,
अमरौतीन माता के मिले असीस ,
सत्य के मिले सिख ,
धवल वसन धवल श्वेत काया ,
ये हवे गुरुघासी दास बबा के माया ,
मेहनत झेखर भगवान रिहिस
वहीच्चा हा सत के पुजारी रिहिस
सदा सत के गुन गाये
सदा सत के रद्दा बताये
सदा कथन सत के ,
सदा वचन सत के ,
-नवीन कुमार तिवारी ,
एल आई जी ,१४/२
नेहरू नगर भिलाई
7-छ.ग. के महान संत हवे जी, ये बबा गुरूघासीदास।
ये माता अमरौतिन हावे, ददा हावे गा महगूॅ दास।।
घासीदास जनम लिये हवे, गिरौदपुरी गॉव ला जान।
सन् सतरा सौ छप्पन हावे, अठारह दिसम्बर ला मान।।
छ.ग. भुईयॉ ह पावन होगे, गिरौदपुरी बनगे ग धाम।
बबा सत्य के पुजारी रहे, बोले गा जय हो सतनाम।।
अड़हा बईला ल सिखाये, बबा गुणकारी हवे मान।
सॉप कॉटे बुधारू जीये, बबा चमत्कारी हे जान।।
छाता पहाड़ म ये बइठके, बबा तैय धुनी ला रमाय।
सत्य रद्दा मा तैय चलके, जग म सत्य नाम ल फैलाय।।
अवरा धवरा पेड़ बइठके, बबा तैय ज्ञान ला पाय।
मानव मानव समान हावे, कहीके छुवा छुत ला मिटाय।।
जैतखाम हा प्रतीक हावे, सादा झण्डा ल फहराय।
अठारह दिसम्बर हा आगे, बबा के जयंती ल मनाय।।
-हेमलाल साहू

छत्तीसगढ के पागा क्र -6/ काव्यांश आधारित




ये दोहा के आधार मा कविता लिखना रहिस-

मुखिया मुख सो चाहिये, खान पान को एक ।
पालय पोषय सकल अंग, तुलसी सहित विवेक ।।
-गोस्वामी तुलसीदास
विधा- तुकांत कविता
------------------------------------------------------------
 प्राप्त रचना अइसन हे -

 1-श्री सूर्यकांत गुप्ता


छत्तीसगढ़ के पागा क्रमांक - 6 बर चार आखर....

मुखिया जानौ आज के, अपने मुख के दास।
खा खा जानै स्वाद के, मरम बियंजन खास।।
मुखिया काया मान लौ, परजा ओकर अंग।
मुख समान पोसै नही, करत रथे अतलंग।।
मर मर हाड़ा टोर के, जउन उपजावै अन्न।
खुद ल करजा म बोर के, कइसे रहय प्रसन्न।।
चिंता हाल अकाल के, वाजिब आय मितान।
जिनगी ले जी हार के, मरते जात किसान।।
काबर मुखिया मौन हे, देख दुरदसा आज।
बखत म काकर कौन हे, जानै देस समाज।।
पीरा परजा के हरै, बन मुखिया भगवान।
बनै सरग दुनिया जहां, बाढ़ै सबके सान।।
जय जोहार....
सूर्यकांत गुप्ता
1009, "लता प्रकाश"
वार्ड नं 21 सिंधिया नगर
दुर्ग (छ. ग.)
9977356340



2-सुनीता शर्मा "नीतू "



विषय - तुलसीदास जी का दोहा " मुखिया " पर आधारित ।

मुखिया के गोड़ म , परे हे छाला ।
लइका मन बर , जुगाड़य निवाला ।
लतियावत हे ,दूर दूर कहिके लइका
कइसे रिसावय , जनम देने वाला ।।
अपन लांघन रहिके ददा ह ,
लईका के जिनगी संवारथे ।
छाती पथरा हो जथे संगी जब
बाढ़ के उही लईका ह दूतकारथे ।।
काल तक रिहिस मुखिया फेर
आज देहरी के बन गे हे कुकुर ।
एक मुठा खाय बर दुनो जुआर
निहारत हे डोकरा, टुकुर टुकुर ।।
दिन बदलिस, बदल गे मुखिया ।
तइहा के मुखिया बर, टूटहा खटिया ।
खोख खोख खोखी खखारत हे
जागत रहिथे बपरा अधरतिहा ।।
सुनीता शर्मा "नीतू "
डंगनिया रायपुर
छत्तीसगढ़

3-श्री महेन्द्र देवांगन "माटी"

 मुखिया
************
मुखिया जइसे होथे घर के
वइसने घर ह चलथे
मुखिया ह कोई बने नइहे त
घर भर ल रोना परथे ।
सब ल देखथे एक समान
भेदभाव नइ करय
घर के ईज्जत बचाय खातिर
कतको दुख ल सहय।
चलथे घर ह सुनता से
जब मुखिया बने राहय
नइ होवे कभू लड़ई झगरा
जब परेम के भाखा काहय ।
आथे घर में लछमी ह
मिलजुल के जब रहिबे
होत बिनास देर नई लागे
लड़ई झगरा जब करबे ।
मुखिया के ये काम हरे
सब ल देखत रहिथे
जेकर जइसे मांग रथे
देख के पूरा करथे ।
महेन्द्र देवांगन "माटी"

4- रोशन पैकरा "मयारू"

जतन करौ मुखिया के
ये जतन करौ जी
जतन करौ सियन्हा के
ये जतन करौ जी
घर के जम्मो मनखे बर
करथे मुखिया काम
छोटे बड़े ला वो नई जानय
सबो झन एक समान
मुखिया हा भूखा रहिके
घर के पेट ला भरथे
मुखिया के बलिदान से
घर के मनखे सवरथे
जब घर में परेशानी आथे
होथे सब परेशान
तब मुखिया के अनुभव से
बन जाथे सब काम
जे घर में मुखिया रइथे
वो घर स्वर्ग समान
जे घर में मुखिया नई हे
उहाँके मनखे हलाकान
=================================
रचनाकार
रोशन पैकरा "मयारू"



"छत्तीसगढ के पागा" क्र 5 / विषय-डोकरा


1- डोकरा के बने जतन करो ग -श्री नवीन कुमार तिवारी

डोकरा के बने जतन करो ग ,,
डोकरा के सन्मान करो ग ,
डोकरा होते विरासत समाज के ,
डोकरा होते सियनहा गवई समाज के ,
डोकरा के घु डकना बिदकना
अलहन बद्दी ले बचाये के रद्दा
डोकरा के खुसुर खासर में
होते कारन कुछु समझाये के
डोकरा होते बुढुवा सियान गांव घर के ,
जइसे होवतगोठन के बुदुवारुख राई के ,
बरगद पीपर आम नीम के ,
झेखर छाहिन्या में खेलत जम्मो लइका गवाई के ,
पोसवाते सब्बो समाज गवाई के
डोकरा होते इतिहास पुरुष समाज के
पोटट होवत नियाय ओखर
जानत रहिथे नीति नियम समाज के
नाव होवत गांव सियनहा के
डोकरा के बताये गियान ले सीखो ग,
डोकरा के बताये नियाय ल परखो ग,
डोकरा के बताये रद्दा ल जानो ग,
डोकरा के बताये अपन इतिहास ल जानो ग,
अपन समाज ,गवई, देश के,
पहिचान ल बगराना हवे तो ,
दिन दुनिया समाज ले ,
अपन बानी ल मनवाना हवे तो ,
जम्मो परदेश में अपन बयार बहाना हवे तो ,
जम्मो डोकरा सियान के
करना है सन्मान जी ,
उहिच्च ले मांगना हवे ,
अग्घु जाये के रद्दा बातही,
दिही विकास बर बुधि अवु गियान ,

-नवीन कुमार तिवारी ,
एल आई जी १४/२
नेहरू नगर पूर्व
भिलाई नगर जिला दुर्ग
छत्तीसगढ़ ४९००२०
९४७९२२७२१३। .

2-नवीन कुमार तिवारी

डोकरा ददा के रवानी बने हवे,,
सब्बो झन भरत पानी हवे,,
सियान के झोखा मढ़ाले संगी ,
डोकरा ददा के सिरतोन खियाल कर ले संगी ,
,बिसराहु तो होही जी अलहन ,,
हमर गवाईमेनि चले वृद्धाश्रम संगी \
सियान सियनिन के करबों सुग्घर जतन संगी
उंखर मिलहि आशिस संगी ,
ये बेईमानी के गोठ नई ये संगी
सियान मनखे के शराफ़े ले होते,
अब्बर कल्लई संगी ,
जैसे देवता धानी के शराफ हा संगी
अपन सियान डोकरा के करो जतन
बुड़वा मनखे के हालत होते
चुटकुन नानकुन लइका समान
छुटकुन में जैसे धरते रोग राई जियादा
वइसने डोकरा कम्जोरिह के भी होते सजा
ठंड के झोखा , लइका बुढवा दुनू बार सजा
बारिश पानी हा दुनू बर मजा
जैसे छुटकुन में दाई ददा हा ,
हमनल पाले पोस के सुग्घर बनायिस संगी ,
अपन हिस्सा के साग रोटी
बचा के खवाइस संगी
तभभेबने हावन पोटट संगी
अपन अध पेट खाके करइस हमर जतन संगी
\तेखर करजा कइसे उतरही संगी ,

नवीन कुमार तिवारी ,,,,८.१२.१५

3- देखहू उपर बईठे हे भगवान-शालिनी साहू

अपने जमाना के गोठ ल गोठियाही
नाती पंतो कहिके मया के बात बताही
सही करम ल करे बर चार आखर ल सिखाही
सुग्घर जिनगी नियाव के पाठ ल बताही
कतको हसी ठिठोली करले नतनिन कहिके बलाही
राजा रानी दुनिया दारी के कहानी सबला सुनाही
चार आना बचाय बर बताही
अपने जमाना के गोठ ल गोठियाही
संझा बिहनिया खोख खोख खासत हे
चोंगी पीयत गोरसी ल तापत हे
एको बिजा दात नईये चना मुर्रा ल सोरियावत हे
नाती नतनिन बहू सब डोकरा ल खिसयावत हे
जब ले आईस बुढापा कोनो नई भावत हे
अब खटिया म बईठे प्रभु के आस लगावत हे
काम बुता बनि भुती म जीनगी पहागे
आखी कान नई दिखत धरसा म बोजागे
सबके करनी ल देखत हे उपर बईठे हे भगवान
आज ओकर पारी हे कल हमरो ओसरी हे मितान
जम्मो लईका माई पिला ल देवय सही परख के गियान
सुमरन करव अपन बढापा ल, कर लव अतित के धियान
सब झन ल लेगही देखहू उपर बईठे हे भगवान
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
शालिनी साहू
कुरुद साजा
बेमेतरा छत्तीसगढ

4-  डोकरा सियान के सममान करव -श्रीअशोक साहू

पेड़ ह चाहे कतको बुढावय
फेर देथे छांव ल सुग्घर।
सियान ह कतको डोकरा हो जाय
फेर बड संसो घर परवार बर।।
जियत भर ले बेटा नाती बर
दरर दरर के कमाथे।
उमर खसलिस ताहन बेटा बहु ह
डोकरा ल तिरियाथे।।
डोकरा के हर गोठ म
ओकर जीनगी के अनुभव समाय हे
ओकरे गियान के गोठ ल धरबो
हमला दुनिया उही देखाय हे।।
ओकरे पांव के चिनहा म चलके
जिनगी अपन संवारबो।
नई तरसावन डोकरा के मन ल
मान ल एकर बढाबो।।
सियान बिना गियान नई मिलय
बने नई चलय परवार के गाड़ी।
डोकरा सियान के सममान करव
झन बनावव ओला कबाडी।।
अशोक साहु , भानसोज

5-डोकरा ......श्रीलक्ष्मीनारायण लहरे

घर के टूटहा परछी ल धुरीहा ल देख के मुचमुचावत गुनत हावे
नोनी बाबु के किलकारी ल धुरीहा ल सुनत हावे
मन म अबड पीरा भरे हे लाठी म टूटहा परछी ल सुधारत हावे
जांगर रहिस त डोकरा झुझुलहा ल सबो काम करके सुसतावे
अब चिंता धरेहे मन म नोनी बाबु के किलकारी ल धुरीहा ल सुनत हावे
बेटा मोबाईल वाला बहु ल काम ल फुरसत निये
सबो ल सोच के डोकरा मने मन गुनत हावे
कोनो नी सुनत समझत हावे डोकरा के मन के गोठ
बेटा ल खोजत हावे ओखर संगवारी
डोकरा सबो ल समझ के मने मन मुचमुचावत गुनत हावे ....
#लक्ष्मी नारायण लहरे

6-श्री मिलन मलरिहा

1-  
उठ बिहनिया कोंघरे कनिहा
खोखोर खोखोर खासत हे
संझा बिहनिया डोकरा बबा
खटिया तरी गोरसी ल तापत हे
ठेठरी खुर्मी सोहारी बरा भजिया
मुह म नई चबावत हे
मन के साग भाजी नइ चूरय
त दिनभर चिल्लावत हे
बेटा बेटी नाती पत्तो साबों
ओला देख तिरयावत हे
अब का करय डोकरा बबा
कोनोच नइ ओला भावत हे
जब ले आइच बुढ़ापा भईया
घर के बईला न घाट के
जग हसाई ओकर होगे
प्रभु के होगे ओला आस
कुकर बिलाई कस जिनगी होगे
जल्दी बुलाले मोला अपन पास
आखी हर झुकझुकावत हे
अउ कान ह बोजागे
काम बुता बनि भूति
करत करत जिनगी ह पहागे
अब का करही डोकरा बबा
कोनोच नइ ओला भावत हे
अब कारर मेर लगाही गोहार
सबझन ओला बिदारत हे
दाई—ददा ल झन तरसावा संगी
सबके करनी ल देखत हे भगवान
पारी आज डोकरा बबा के हावय
पाछू तोर हेवय मितान
जम्मो लईका जवान,डोकरा सियान
सबला ले जाही एकदिन भगवान


मिलन मलरिहा मल्हार बिलासपुर
7-

# डोकरा#@दोहा@गीत
"""""""""""""''''""""""""""""""""""""""""
रचना-मिलन मलरिहा
///////////////////////////////////
जेन आथे इहा भाइ, एकदिन माटि समाय।
नसवर हे सनसार जी, डोकरा बनत जाय।।
छोड़के जाना सबला, काहे गरभ दिखाय।
तन हे ठूड़गा बमरी, चुल्हा ले जोराय।।
सबला जाना इहा ले, खालि हाथ सकलाय।
नसवर हे ..........................................।।
फेर का बात के मोह, का बात के दुखाय।
का बात गरभ डोकरा, मोला नई बताय।।
पारी तोर हवय आज, पाछु मोला बलाय।
नसवर हे ..........................................।।
जावत बेरा अकेल्ला, कोनो संग न आय।
बने बने म सब तोला, चूस चूस के खाय।।
घिलरगे जेनदीन तन, ओदिन जी फेकाय।
नसवर हे ..........................................।।
दात सब झरगे ओकर, अब कछु नई चबाय।
दुख होगे बड़ बबा के, सुमरय जलदि उठाय।।
फेसन म बेटा-पत्तो, सब दुरिहा हट जाय।
नसवर हे ............................................।।

।।
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर


8-
~~~~~~~~~~ डोकरा ~~~~~~रोशन पैकरा "मयारू"
लइका पन मा खेले कूदे
मया म भुलाये जवानी
अब जिन्दगी पहा गे डोकरा
धर डरे हस गोटानि
बड़े बिहिनिया उठ के डोकरा
खोरोर खोरोर ते ख़ासे
बीड़ी ला पियत हस फुकुर फुकुर
बाद में कुकरा बांके
चहा बर जी ललचाये हे
बहू आगी नई बारे हे
खटर-पटर करत हे डोकरा ह
चूल्हा में मुँहू ताके हे
नहाये बर देखो डोकरा ह
तिपोय पानी ला मांगत हे
अब बड़बड़ाये तोर बहु ह
पानी बर गारी खाये हे
साग में मिर्चा जादा होंगे
डोकरा ल नई मिठाये हे
जम्मो दांत पहली के गिरगे
अब दिन पानी पी के पहाये हे
सुरता करत हाबय डोकरा
अपन डोकरी के मया ला
मया लगा के खवावय डोकरी
खीर सोहारी अउ बरा ला
घर ले निकलिस घुमे बर डोकरा
संगी मन सो बतियावत हे
छोड़ के जम्मो दुःख पीरा ला
संगवारी करा सुख पावत हे
संझिया कुन घर आ के डोकरा
अपन कुरिया म बइठे हे
नाती नतरा मन टीवी देखत हे
अउ बहू के मुँह ह अइठे हे
रतिहा कुन खा पी के डोकरा
सोये दसना म सुते हे
अउ अपन मन में सोचत हे
मोर दिन कब पुरे हे मोर दिन कब पुरे हे
================================
रचनाकार
रोशन पैकरा "मयारू"

9- श्री राजेश कुमार निषाद
।। बुढ़वा होगे जवान रे ।।
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
नान नान टुरा मन के चुंदि पाक गे
देवव सब ध्यान रे।
घर के मुखिया डोकरा बने हे
देवय सब ल ताना रे।
घर अईसन बनाय हे संगी
जइसे लगत हे रजघराना रे।
जिन्स शर्ट पहिर के गली गली घुमय
देवय सब ल ज्ञान रे।
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
बीड़ी पिये बर छोड़त नई हे
खेसेर खेसेर खाँसत हे।
एकर टेस मरई ल देख के
गाँव के टुरा मन हाँसत हे।
मिठ बोले बर तो आय नही
निकले हमेशा कड़वा जुबान रे।
आज के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
बहू बेटा ल नई समझत हे
अपन बुढ़ापा के सहारा।
अईसन टेसिया तो डोकरा हे
अपन आप ल मानत हे कुंवारा।
एकर चरित्तर ल देख के
बहू बेटा होगे परेशान रे।
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।
धोती बंगाली ह नदागे
जीन्स शर्ट के जमाना आगे।
पाके चुंदि म करिया डाई लगाय
अईसन ये बहाना आगे।
फेर ये डोकरा नई माने अपन आप ल सियान रे।
एकरे सतिन काहत हव संगी
आज कल के लईका बुढ़वा होगे
अऊ बुढ़वा होगे जवान रे।

रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )

10-हेमलाल साहू
दात ला देख हालत हावे।
चुॅदी, मेछा डाड़ही पाके।।
लउठी ल धरके बबा रेगे।
देखले कनिहा नवे हावे।।
आॅखी ह कमजोरहा होगे।
देखव बबा डोकरा होगे।।
जाड़ के दिन गोरसी तापे।
गरमी म घाम अड़बड़ लागे।।
आनी बानी गोठ बताथे।
बबा के गोठ सुघ्घर लागे।।
चोगी पीयत रद्दा रेगे।
होत बिहनीया गाव जावे।।
पहीरे पाव भदई हावे।
रेगय डोकरा लउठी धरके।।
दसरू बबा नाव के हावे।
देख बबा ह डोकरा होगे।।

हेमलाल साहू
ग्राम गिधवापो. नगधा,
तह.नवागढ़ जिला बेमेतरा छ.ग.