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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//ओम प्रकाश चौहान

👣मोर अमलीडीह म जग जँवारा हे👣
नव दिन बर आए ओ मोर माँहामाई,
तोहिं ल जग पखारय ओ मोर माँहामाई।
जब डोलय पीपर पान
तोर जोत महर महर मम्हावय ओ मोर माँहामाई,
नव दिन बर आए ओ मोर माँहमाई।
कलकत कलकत घांम जरत हे,
भगतन मन तभो ले तोर दुवार चलत हे।
लगे हे अमबार,
तोर महिमा हे ओ सबले अपार।
सोवत उठत बस तोरे धियान
तोर नाव ले बड़के कोनो हे हमार।
सब जुर मिल जोत जलावन ओ माँहामाई,
देओ म देव तोला मानन ओ माँहामाई।
अउ तोर का का गुन ल मैं गावंव ओ मोर माई
जय हो मोर माँहामाई
जग दुःख हर ले ओ मोर दाई।
उतती बुड़ती चारो दिसा म बिराजे
सबे गाँव गाँव म शीतला माई कहाऐ।
जय हो
नव दिन बर आए ओ मोर माँहामाई,
तोही ल जग पखारंव ओ मोर माँहामाई।
ओम प्रकाश चौहानबिलासपुर

पागा कलगी-7//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

छत्तीसगढ़ के पागा क्र 7 बर मोर रचना
शीर्षक -जंवारा
चैत के पावन महीना म जंवारा बोवाये हे
दिखय हरियर हरियर शोभा बगराये हे
जम्मो नर नारी म भक्ति के भाव समाये हे
ऐ परब अपन देवी देवता के मनौती के .....
मंदिर देवाला अउ घर हा सरग बरोबर लागे
बईठे दुर्गा भवानी हा सोलह श्रृंगार साजे
सेवा गाये मगन सबो मांदर धुन हा बाजे
निशदिन पूजा होवत हे माता शक्ति के......
कुमकुम बंदन ध्वजा अउ नीम्बू सब चघाये
माता अपन कृपा सब ऊपर हे बरसाये
हाथ जोड़े खड़े सेउक देवता ओमा समाये
सउहत दिखय शक्ति सबला भक्ति के .....
कोनो हा साँकड़ कोनो हा नरियर मांगे
जोर के जयकारा लगावै हाथ अपन टाँगे
खप्पर धरे हाथ म कोनो बाना धरके दउडय
अइसन सुघ्घर परम्परा हमर पुरखौती के....
साल साल अउ पीढ़ी बर नियम बंधाये हे
दाई के सेवा बर भगत मन किरिया खाये हे
पंडा महराज दिनरात ध्यान लगाये हे
सब करथे जतन पूजापाठ अउ चढ़ौती के ...
सब झन आवय देबी दरश के आश म
अटल हे अपन भक्ति अउ विश्वास म
जश ला सब बखानय दुर्गा दाई के
महिमा सब गाये नौ दिन जलत ज्योति के...
अपन तनी ले जतका बनय सेवा ला बजाथे
रात दिन ला भक्ति भाव म जम्मो झन पोहाथे
बिदाई के बेरा गंगा जल म जंवारा ला बोहाथे
माँगथे आशीष अपन सुख म बढ़ौती के ....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद

बुधवार, 13 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//देवेन्द्र नायक

ऐ हो दुर्गा दाई तोरे सेवा नई जानौ हो ------------ -
 ऐ हो महमाई तोरे पुजा नई जानौ हो ------------- 
तोरे दुआरी कईसे आंव --, 
ऐ मोर दाई तोरे-------- 
1. मा के गरभ मे रहेंव मे दाई, 
किरिया खाऐं तोर नाम के. 
आके मईया ईहाँ भूलाऐव, 
धन-दौलत सुख-धाम मे. 
अपन सरत ला दाई मै हा मूकर गेंव हो, 
कोन मूहू तोला गोहरांव --. 
ऐ मोर दाई---- तोरे दुआरी कईसे आव. 

2.अपन राग म मस्त रेहेंव माँ, 
सूरता भूलाऐं तोर नाम के. 
एक डहर म तिरिया रहिस अऊ, 
दूसर डहर भरे काम हे. 
सारी जवानी मद-मस्त भूलाऐं हो, 
का-का करम ला बतांव--. 
ऐ मोर दाई---- तोरे दुआरी कईसे आंव.

 3.आऐ बुड़हापा सब छिन होगे, 
तोला में गोहरावौं हो. 
तोर शरण में आके दाई, 
बीनती अपन चड़हावौं हो. 
मोला अपना ले दाई, शरण मे लगाले हो, 
तोरे दूआरी खटखटाँव--.ऐ मोर दाई---- 
तोरे दूआरी मेहा आँव. 

4.तोर छोड़ माँ कोन हे मोरे, 
तीही मोरे सँसार माँ.
तोला जानेंव माँ जगजननीं, 
जग के तिहीं आधार माँ. 
नायक लंगूरे तोर ,चरण पखारे माँ , 
दरश तो मोला देखाव--.
ऐ मोर दाई---- 
तोरे दूआरी मेहा आँव.
 ऐ हो दुर्गा दाई तोरे सेवा नई जानौ हो-------------- 

(रचना : देवेन्द्र नायक, गाँव-र.वेली,पाटन )

मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//लक्ष्मी नारायण लहरे

कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.....
.........................................................................
कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.....
मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म
जगर बगर जोत जलत हे
दाई के भुवन म
बैगा झुमत हे मांदर के सुर म
नाहे नाहे लईका मन
अउ सियान मन हावे अंगना म
मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म
डोकरी दाई घर राखत हावे
घर होगे हे सूना
दाई के अंगना म कैसे झुमत हे अपन रंग म
घर के दाई ल भुलागिन
अउ बिनती कहत हे कुशलाई दाई ल
सुनले मोरो मन के बात
ये बछर मोर करदे काज
जोड़ा नारियल फोडूं काल
बिनती करत हंव मै हर आज
रिसता नाता टूटत हावे
ज़माना कैसे बिगत हावे
दाई तै सुन मोर बिनती
दाई सबो ल सत ज्ञान दे दे
सुमरत हंव मै हिरदे ल
कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.....
मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म
० लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल , कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी-7//गरिमा गजेन्द्र

मोर शितला मईया
-----------------------------------------
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
तोर अंगना मा लहरावत हे दाई
जोत जवारा वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
सब के पालन करईया दाई
दुःख पीरा के दाई तही हरईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
गरिब के तै महतारी दाई
किसान के नुन बासी खवईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर.
अभागिन के भाग चिनहईया
दीदी महतारी के कोरा भरईया वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
गांव के रखवारी करईया दाई
तरिया पार मा बैइठे हस तै दाई वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
लीम के छंइहा तोला भाथे दाई
फूल मोंगरा तोला चढावत हो दाई वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर
रोवत रोवत सब आथे तोर दुवारी
हासत हासत झोली भर सब जाथे वो
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर,
सबके आंसू पोछईया दाई
सबके पीरा हरईया वो
सब बर तै सुख बरसाये मईया
मोरो बिनती सुन ले दाई
गरिमा तोर बेटी वो
मोरो झोली भर दे वो मईया
आयेव तोर दुवारी वो,
जय हो मोर शितला मैय्या
जय होवय दाई तोर
-----------------------------------------
रचना - गरिमा गजेन्द्र
सरोना रायपुर छत्तीसगढ़

पागा कलगी-7//ललित वर्मा

जसगीत
………………………………………………
जोत जवारा ओ दाई,
सजे मोर अंगना
झांझ मंजीरा मांदर, बजे मोर अंगना
महिमा तोर गावंव दाई-२,सेउक के संग मा
जोत जवारा ओ दाई......
पहली सुमरनी मां कुलदेवी तोला बलावंव ओ
मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ
भरदे भंडार ओ दाई-२, सुख से मोर अंगना
जोत जवारा ओ दाई.....
दूसर सुमरनी माता सीतला तोला बलावंव ओ
मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ मया के झूलना म तोला मैं झुलावंव ओ
भरदे भंडार ओ दाई-२, गांव हे तोर अंगना
जोत जवारा ओ दाई.....
तीसर सुमरनी सातो बहिनी ल बलावंव ओ
मया के झूलना म सब-ला झुलावंव ओ मया के झूलना म सब-ला झुलावंव ओ
अनधन भंडार ओ दाई-२, भरदे देस के अंगना
जोत जवारा ओ दाई.....
पांच भगत मिल तोरे जस गावन ओ
मया के झूलना म तोला हम झुलावन ओ मया के झूलना म तोला हम झुलावन ओ
सुनले पूकार ओ दाई-२
रहिबे हमर संग म
जोत जवारा ओ दाई सजे मोर अंगना
झांझ मंजीरा मांदर बजे मोर अंगना
महिमा तोर गावंव दाई-२
सेउक के संग मा
………………………………………………
रचना - ललित वर्मा, छुरा

पागा कलगी-7//चैतन्य जितेंद्र तिवारी

आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना.
"""""""''''''''''''''''''''''''''''''''''""""'''''''''
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत- जंवारा मोर दाई आगे ना
माता-देवाला बड़ सुग्घर पोतागे
घर दुवारी चौंरा अंगना लिपागे
भाव भगती हिरदे म छागे ना..
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत-जंवारा मोर दाई आगे ना..।।1।।
जग-जंवारा बर बिरही फिंजोबो
जोत-कलश ला दाई बर संजोबो
परकिती दाई मोर अंगना आगे ना..
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत-जंवारा मोर दाई आगे ना..।।2।।
राखे उपास दाई तोला सब मनाथे
पंडा-महराज तोर चोला ला चढ़ाथे
जग-जंवारा दाई शीतला आगे ना
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना..
चइत के महीना नवराति आगे ना
जोत- जंवारा मोर दाई आगे ना..।।3।।
जसगीत गावय मनावै दाई तोला
दुःख ला अपन हो सुनावै दाई तोला
पीरा हरे बर मोर बमलाई आगे ना
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना..
चइत के महीना नवराति आगे ना....
जोत- जंवारा मोर दाई आगे ना.।।4।।
दाई ला मनाए बर कोनो गोभे सांगा
धजा धरे हाथ म अउ धरे कोनो बाँना
भगतन के पुकार सुन दाई आगे ना..
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना
चैइत के महीना नवराति आगे ना
जोत-जंवारा मोर दाई आगे ना .।।5।।
आगे आगे आगे परकिति दाई आगे ना...
आगे आगे आगे मोर बमलाई आगे ना....
आगे आगे आगे शीतला माई आगे ना.....
आगे आगे आगे मोर दाई आगे ना.......।।
बोल हिंगलाज माई की जय
बोल बम्लेश्वरी मइयाँ की जय
बोल आदिशक्ति जगतजननी मइयाँ
की .....जय.....
चैतन्य जितेंद्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

पागा कलगी-7//रामेश्वर शांडिल्य

जेवारा के महिमा
जेवारा के महिमा सुनाथव जी 
भक्ति भावना ल जगावथव जी
जेन हर गाए जश,
तेन हर पाए यश, ।
जे करे नौव दिन सेवा,
वो पाए फल व मेवा।
जेकर घर गांव म
जेवारा बोवाथे ग।
वोकर गांव घर म,
भक्ति गंगा बोहाथे ग।
मादर ढोल झाझ मंजीरा,
हरथे सबके दुख पीरा।
झूपत झूपत देवता आए,
जोत देख भूत भाग जाए।
झूम झूम के गाथे.
जेवारा के गीत।
नता गोता सब आथे।
कोन बैरी कोन मीत।
भाईचारा एकता सेवा म.
जुड़ जाथे जी।
रसता भूलाये मनसे हर.
भक्ति भाव म मुड आथे जी ।
सब झन के मन म.
होथे ये अरमान।
जेवारा दाई देवय.
हमला सुख वरदान ।
भक्ति भाव ल जगाथव जी ।
जेवारा के महिमा सुनाथव जी।

-रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा
8085426597

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7 //मिलन मलरिहा

विषय - ‘जेवारा‘ (छत्तीसगढ़ मा नवरात्रि तिहार)
____________________________________
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जोत—जेवारा जगमग निकले, आगे नवरात चइत म
मांदर—मजीरा झांझ बोलत हे, माता के जसगीत म...
.
अमरईया म आमा झुलतहे, अऊ गंगा—अमली खार म
कोयली कुहकत संगे बनकुकरा, शितला के दरबार म
लंगुरे आए नरियर परसाद खाए, बदक—कऊवां बीच म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
.
भीड़ उमड़गे भगत सरधालु, दाई तोर रतनपुरे—मल्हारे म
पंडा नाचय बर्इ्गा गावय, जीभ छेदाएं बरछी—धारे म
भगतीन झुपय साटी झोकय, चढ़े दाई मांदरताल गीत म
जोत—जेवारा जगमग..........................................
.
तेल—घीव के जोत जलत हे, मनदिर घर—घर दुवारे म
हरियर पिवरा दिखे जेवारा, दाई के अचरा बसे रुप म
अड़बड़ हे उपास रहईया, नवदुरगा नवरात के रीत म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
.
संझाा बिहनिया भगत रमे हे, दरसन बर खड़े कतार म
सरग समागे अइसे लागे, उतरे हे चंदा—सुरुज मनदिर म
भियां नापत कई—कोस आथे, चढ़ाथे बदना पूरा होत म
जोत—जेवारा जगमग.........................................
-
-
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//अमन चतुर्वेदी *अटल*

जंवारा नेवता
_________________________
देवत हंव मैं नेवता
दाई ये पारा वो पारा
तोर नांव के मोर दाई
बोवत हंव जंवारा
चइत कुंवार के सुघ्घर बेला
धर के मैं नरियर के भेला
पान सुपारी बंदन चंदन
तोला मनावंव करके वंदन
तोर नांव के बिरही फिजोयेंव
मन भक्ति के आस संजोयेंव
तोला बंदंव मैं देबी मइया
करदे भक्ति के दाई छंईहा
एक्कम के मैं जोत जलायेंव
चारो मुड़ा जंवारा बोवायेंव
जस जंवारा के गीत ला गावंव
संझा बिहनिया तोला मनावंव
गांव के डिही डोंगर के देवता
सुमर के मैं देवत हंव नेवता
हुम धुप धर तुंहला गोहरावंव
पाके नेवता अंगना बिराजव
गस्ती मे बइठे मोर ठाकुर देव दाई
सुमर के ओला मनावंव मोर माई
आन बिराजो देवता गस्ती के
करिहव सहाय देवता बस्ती के
जइसे जइसे दिन हर बाढे़
जंवारा हर सुघ्घर लहराये
बइगा पंडा रोज सेवा बजाये
संझा बिहनिया जस ला गाये
चौंसठ जोगिनी तोला चढ़ायेंव
तीन रंग के ध्वजा लगायेंव
पंचमी के दाई पंच भोग लगावंव
दण्डाशरण तोर पंइया लागंव
तरिया के तीर मोर शीतला दाई
शीतल कर देबे मोर गांव
दया के तोरे छंईहा राहय दाई
रोज रोज पखारन तोर पांव
देखते देखत दिन हर नहाकगे
सेवा बजावत अष्टमी हर आगे
छप्पन कोटी देंवता ला सुमिरंव
हुमन मे सब दुख ला झपावंव
नम्मी आगे होवत हे तियारी
जंवारा के लगे हे कियारी
गंगा अस्नान बर चलव मोर दाई
सगुरिया म डुबकी लगावव माई
दया मया ला राखे रहिबे दाई
सुमिरत हंवव तोला महामाई
दुख बिपदा झन गांव म आये
चइत कुंवार तोर जंवारा लहराये
__________________________
✍�अमन चतुर्वेदी *अटल*
ग्राम बड़गांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
09730458396

पागा कलगी-7//आचार्य तोषण

@@@@@@@@@
॥ॐॐ॥जंवारा॥ॐॐ॥
@@@@@@@@@
मन हमरो झुमय नाचय
मिलके करव जयकारा।
आगे तिहार नवरात के
रिग बिग जोत जंवारा।।
&&&&&&&&&&&
आगे नवरात दाई के
चलना दीया जलाबो।
चइत महीना दाई ल
नरिहर धरके मनाबो।।
%%%%%%%%%
पबरित मांटी लान के
सुघर फुलवरिया बनाबो।
पोक्खा गंहू छान के
दाई बर बिरही भिंगाबो।।
₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹
एक्कम ले शुरू होवय
दुरगा दाई के नवरात।
अंधियारा मन दूर करय
जोत जलय दिनरात।।
@@@@@@@@@
गऊ माता के गोबर लानय
खुंट धर अंगना लिपाय।
अगरी चंऊर बगरी पिसान
सुगहर चंऊक पुराय।।
%%%%%%%%%
सोने सोन कलसा साजे
आमा पान संहराय।
दीया जलय रिगबिग
चंहूदिश अंजोर बगराय।।
%%%%%%%%%%
पंडा लानय करसा पानी
रहे फुलवरिया सिंचाय।
दुरगा दाई के बाढ़य जंवारा
लहर लहर लहराय।।
%%%%%%%%%
मांदर ढोल नंगारा बाजय
सब देंवता ह नाचत हे।
देखै दाई अपन फूलवरिया
मुचमुचले हांसत हे।।
@@@@@@@@@
पंडा नाचय बइगा नाचय
नांचय गांव अउ पारा।
नयना भरगे खुसी हंमागे
देख देख जोत जंवारा।।
$$$$$$$$$$$$$$$
अईस पंचमी धरिन नरिहर
दाई दुवरिया तीर आगे।
सेऊक भक्तन हांथ जोंडके
मन के मनउती सब मांगे।।
ππππππππππππππ
हरियागे माता के जंवारा
छप्पन कोटि देंवता आगे।
हवन पूजन होय आठे मा
हुंम धूप ल सब पागे।।
^^^^^^^^^^^^^^
नवम दिन बिदागरी के
झूमय नाचय सब संसारा।
बिसरजन बर जावय सुघर
मोर दुरगा दाई के जंवारा।।
@@@@@@@@@@@
आचार्य तोषण
@@@@@@@@@@@
गांव -धनगांव ,डौंडीलोहारा
जिला-बालोद, छत्तीसगढ़
@@@@@@@@@@@

पागा कलगी-7 //दुर्गाशंकर ईजारदार

जेवारा जगाएँ हँव ,जोत जलाएँ हँव,
पाँव पखारे बर दाई ,गंगा जल हँव ।
रद्दा देखत हँव दाई,आँखी बिछाके,
जल्दी आबे दाई,नवरात आगे ।,
जेवारा जगाँए...........
सुरहीन गईय्या के दाई,गोबर मँगा के,
चारखूँट ओ दाई,चौक पुराएँ,
जेवार जगाएँ ............
माटी के कलश में, दियना जला के,
मँय हर लाहूँ दाई, तोला परिघाकें,
जेवार जगाएँ.................
मया के अँचरा में, मोला गठिया के,
लईका समझके दाई,राखबे लुकाके।
जेवारा जगाएँ....................
आप सबो संगवारी मन ला नवरात के गाड़ा गाड़ा बधाई हे ।।।
जय जोहार।।।।
दुर्गाशंकर ईजारदार
ग्राम- मौहापाली (सारंगढ़)
मो.नं.-9617457142

गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

"जेवारा"
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
जेवारा म रचे बसे,
महामाई तोर मया दुलार।
मनउती मन के थारी लगायेव,
तन कर माटि धरायेव ओ।
पिरित के दाई बीजा बोवायेव,
सरद्धा के पानी छिचायेव ओ।
तोर आसिस के छईहा ल पाके,
बाढ़े मोर संसार...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
चइत शुक्ल के महिना आगे,
बोंआगे जेवारा ओ।
खूशी बगरगे चारो कोति,
घर अंगना अउ पारा ओ।
तोर सुवागत करे के खातिर,
फूलगेहे लिमवा के डार...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
तोर किरपा अइसे होय दाई,
हंसत गुजर जय साल ओ।
किसान के संसो दूर हो जावय,
जउहर परे दुकाल ओ।
मन म ओकर खूशी अमाजय,
घर अंगना उजियार ...
जेवारा म रचे बसे,
मोर दाई तोर मया दुलार।
जेवारा म रचे बसे,
महामाई तोर मया दुलार।
रचना:---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गोरखपुर,कवर्धा
मोबा. ९६८५२१६६०२

शनिवार, 2 अप्रैल 2016

पागा कलगी-7//महेतरु मधुकर

******बोहाए हे जंवारा*******
""""""""""""""""'"""""""""""""""
मोर गांव के माता चौरा म
बोहाए हे जंवारा
पार गोहार जस गीत गाये
बाजत हे मांदर चिकारा
मोर गांव के माता चौरा म
बोहाए हे जंवारा..................
गांव भर के नर नारी आवय
थारी म आरती सजाए
मन माफिक बरदान मांगे
जम्मो झन माथा नवाए
कतको झन उपास राखे हे
कतको करय जगराता....................
जगमग जगमग जोत जलत हे
पंडा हर करे रखवारी
सुघर सुघर गली चौरा दिखत हे
झराय लिपाय घर दुआरी
गांव भर भकती म डुबे हे
नेवताय झारा झारा...................
महेतरु मधुकर
पचपेडी, मस्तूरी, बिलासपु