सोमवार, 12 जून 2017

पागा कलगी -34//1//बालक "निर्मोही

*घनक्छरी छ्न्द*
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जाग न रे बेटा जाग भाग न रे बेरा संग,
करे बर तोर बेटा अबड़ बियारी हे।
नांगर बाखर ल तो सुघर जतन कर,
मन म सरेख ले न कति ब तूतारी हे।
खातू माटी बिजहा के कर ले जुगाड़ बेटा,
खेती अउ किसानी के करना तियारी हे।
पाछु झन रबे तैहा, बादर निहोरै नहीं,
आघू बरकत बेटा पाछु सँगवारी हे।
🌴 *बालक "निर्मोही"*🌴
🌷🌷बिलासपुर🌷🌷

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