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शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// ललित टिकरिहा

"छत्तीसगढ़ के पागा - कलगी क्र. 1"
✏बर मिले रचना✏
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
"बदलाव नवा साल मा"
💬💬💬💬💬💬💬💬-ललित टिकरिहा
लइका सियान जम्मों डीजे
म अमा गे,
मांदर अउ ढोलक हा अब
कहाँ नंदा गे,
मोहरी अउ झुमका ल सुरता
म समा के,
भुला गेन संगी सब सुवा
कर्मा के ताल ला,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
गाँव हां घलो देख के शहर
ला लूहा गे
हाय बाय के चक्कर म राम
राम ला भुला गे,
मया पिरीत हा जम्मो दारू
मउहा संग बोहा गे,
मुड़ धर के रोवत हन सब
आज अपन हाल मा,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
भूख अउ गरीबी म भुंइया
हा बेचा गे,
छत्तीसगढ़ राज ले
छत्तीसगढ़िया सिरा गे,
अपनेच घर ले भागे के दिन
अइसन आगे,
नई देवय कोनो संग इहाँ
गँवइहा के बदहाल मा,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
ये बछर बिन बरसा के चेत
हा परा गे,
किसमत हा हमर ठाढ़े दनगरा
म समा गे,
लदलद ले करजा मा किसान
मन लदा के,
परान ल अपन रोज गँवावत
हे दुकाल मा ,
अउ मै का बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
अउ का मै बतांव संगी
बदलाव नवा साल मा।
💬💬💬💬💬💬
✏लिखइया ✏
🙏तुँहर संगवारी🙏
ललित टिकरिहा
सिलघट (भिंभौरी)
बेरला ब्लाक
जिला बेमेतरा (छ.ग.)
7354412700
8103603171
दि. 11-01-2016

बुधवार, 13 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// महेश पांडेय मनु

//बदलाव नवा साल मा//

परबुधिया संगी मन ला जगाबो हर हाल म ।
मिलजुल के लाके रहिबो बदलाव नवा साल म ।।
सुम्मत सुनता के डोर म सब बंध जाबो
नइ फंसन अकारथ सुवारथ के जाल म ।।
माटी के लाल हम कर दब जब्बर गोहार
हमर हक छिनैया ह पड़ जही बवाल। म। ।।
नास नसा के करबो रद्दा हम नवा गढ़बो
जगमग होही छत्तीसगढ़ एकता के मसाल म ।।
अपन भाखा औ बोली के मान ला बढ़ाबो हम
नइ आवन मिठलबरा परदेसिया मन के चाल म ।।

-महेश पांडेय मनु

पागा-कलगी-1// देवहीरा लहरी

नवा बछर ---------------------------------- नवा बछर म करव अईसन काम गलत रददा ल छोड़व हो जाही उंचा नाम कई परवार लुटगे जिनगी होगे खराब बात हमर मानव एसो छोड़ देव सराब दारू मऊहा पी के झन करव लड़ाई सुग्घर जिनगी जियव लईका ल करवाव पढ़ाई दाई-ददा के सेवा करके करव अईसे चमत्कार अब कोनो नोनी बहिनी के झन होवय बलात्कार मेहनत मजदूरी करके जांगर टोर कमाबो एसो नवा बछर म सुग्घर जिनगी ल सजाबो महतारी उपर नजर गड़ाही मारबो करबो ओला बेइज्ज काकरो बेटी बहिनी महतारी के अब झन लुटय इज्जत जुरमिल के संग चलव अऊ छोड़व जातिवाद ल माटी के बईरी ल मारव खतम करव आतंकवाद ल नवा बछर म नवा सोच गाड़ी सही रद्दा म चलाव दुख दरद भाग जाही जिनगी म आही बदलाव ------------------------------------------ रचना - देव हीरा लहरी चंदखुरी फार्म रायपुर मोबा :- 9770330338

पागा-कलगी-1// विजय साहू अंजान

बदलाव नवा साल मा

दिन रात जांगर पेरत हे तबले,
थोरको सुख नई जाने,
गरीब के दुख पीरा ल काबर ईहा,
कोनो नई पहिचाने|
कइसे चलही इंकर जिनगी,
अइसन परे दुकाल मा,
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा....
घाम पियास ल तापत रहिथे,
अन्न दाई ल ऊपजाए बर,
जाड़ शीत मा काँपत रहिथे,
हमर कांवरा बिसाय बर...|
अलकरहा फंस गेहे संगी,
मछरी कस गरीबी के जाल मा...
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
रोज दिन के हर-,हर कट-कट मे,
जी हर घलो कऊवा जाथे,
नान -नान लइका के भूख हा,
अंतस ला रोवा जाथे|
चर्रस ले टूट जाथे सपना,
जियत हे बेहाल मा..
ऊचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा....बदलव नवा साल मा|
धान के कटोरा ह घलो अब उना परगे,
संसो मा कतको संगवारी जियत-जियत मरगे|
एसो के अंकाल-दुकाल मा,
इंकर भाग ह संऊहत जरगे..|
बतर किरा कस भुंजा जाही,
बिना काल के काल मा...
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन,
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
खुरसी ले उतरे बर परही,
जिनगी मा इंकर झाँके बर.,
सोंच हमर बदले बर परही,
दुख ला इंकर नापे बर.|
जुरमिल के खोजे मे मिलही,
सुख होही चाहे पाताल मा...
गरब अभिमान ला छोड़के संगी..
थोरकिन बदलव नवा साल मा...बदलव नवा साल मा..|
गिरे परे ल उठाये ल परही भेद -भाव ला मिटाके,
सच ला अंतस मा उतारे ल लागही लालच ल भुलाके|
जिनगी सबके सँवर जाही 'विजय'..
बंधना मे बंधा के एकता के ढाल मा..
ऊंचहा खुरसी के बइठइया मन..
थोरकिन बदलव नवा साल मा..बदलव नवा साल मा..|
रचनाकार
विजय साहू'अनजान'
करसा भिलाई
जिला दुर्ग

पागा-कलगी- 1// हितेश तिवारी

"नवा बछर म आस ''
छोड़ के चल दिस रे भैईआ,पुराना पहर...
अऊ देखते देखत आगे
नवा बछर...
नवा बछर म करबो का-का प्रयास
आवऔ मै बतावत हव ,नवा बछर म आस
फ़सल ल लेके परेसान हे ईहा के किसान
अऊ हमला ले परेसान हे फौजि मितान
कुछ नै हो सकय,फेर मन मा हे द्रिड़ विस्वास
नवा बछर म आस
साल भर मेहनत के बाद
विद्याथी मन ला परिणाम के अगोरा हे
मिसावत हे धान पान,बनिहार के अगोरा हे
नवा साल म,पड़बो लिख बो आघू बड़बो,अउ छत्तिसगर्ही ल बचाये बर कर्बो प्रयास
नवा बछर म आस
जुर्बो मिल्बो अऊ ,साबित क्र्रबो,छत्तिसगरिहा के हित म लड़आई लड़बो
डर अऊ संसय से ऊपर उठ के जागे हे विश्वास
''नवा बछर म आस''
हितेश तिवारी
धरोहर साहित्य समाज
लोरमी जिला (मुगेली)

पागी-कलगी//ओमप्रकाश चंदेल

अकाल परगे ,
गिनती नई हे
कतना झन मरगे।
बिचारा किसान मन के
सबो चेत-बुध हरगे।
का ये सबो बदल पाही
नवां साल मा?
विकाश के रुप धरके
महंगाई डायन ह
घर-घर के
रंधनी खोली मा उतर गे।
कइसे झुठ मुठ कहवं
सबो के हालत सुधरगे।
का ये गरीबी भाग जही
नवां साल मा?
सपना आंखी के
आंखींच मा रहीगे।
अपने बोली भाखा संग
होवत रीहीस अनियाव।
सबो छत्तीसगढ़ीया मनखे
चुपेचाप सहीगे।
कभू कुछू कही पाही
नवा साल मा?
गली-गली मा दारु के
दुकान खुलगे।
नसा के धून मा
नानेच-नान
लईका मन झूलगे।
सरकार ह
दारु के धनधा से
अउ कतका कमाही
नवां साल मा?
बीते बछर मा
जम्मो खोटा सिकका चलगे।
सत के सिपाही मन
सरहद मा मरगे।
कब, कईसे शांति के
पूरवईया बोहाही
नवा साल मा?
कोनो-कोती, कोनो डाहर
का कुछू बदलही
नवां साल मा?
ओमप्रकाश चंदेल अवसर
पाटन दुर्ग "छत्तीसगढ़ "

सोमवार, 11 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल मा-दिनेश देवागंन "दिव्य"

मुखड़ा ल 16,14 के मात्रा मा लिखेव हव अउ ऐकर अंतरा हा सार छंद मा लिखाय हे ! आप मन पढ़ के प्रतिक्रिया जरूर दिहू पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा मा लिखय हव ...!!!
नवा सुरुज हे नवा बिहनिया, जागव रे नवा साल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
खेती बारी करबो हरियर, हरियर घलो किसानी !
खार मा घलो फूल उगाबो, आज हमन ये ठानी !!
महानदी बन आही गंगा, चिर परबत अउ घाटी !
धान कटोरा फेर कहाई, छत्तीसगढ़ी माटी !!
मरय नही अब कोनो हलधर, कर्जा सूखा अकाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
जुर मिल रहिबो संगी साथी, सबले हाथ मिलाबो !
भेदभाव ला छोड़ भुलाबो, सबला संग बढ़ाबो !!
खून खून के रिसता मा अब, झन होवय बटवारा !
रिसता नाता गुरतुर होही , नई सिनधु कस खारा !!
सरग बनाबो पावन भुईया, हावय जोन बदहाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
निसा नही करबो गा संगी, किरिया जम्मो खाबो !
निसा नाश के जड़ हे भाई, सत ये बात बताबो !!
ठगबो काबर हम कोनो ला, घटिया बेईमानी !
मार भगाबो भ्रष्टाचारी , पिया पिया के पानी !!
मनखे मन मा जोश जगाबो, पारा गली चौपाल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
कोख मा नई बेटी मरही, मान बड़ाई पाही !
लता,सानिया,अउ आशा कस, दुनिया मा छा जाही !!
बेटी चंदा सूरुज बनही, बेटी बनही तारा !
बेटी हे अँगना के तुलसी, अउ गंगा के धारा !!
बहु ला बेटी समझव भाई, नई मारव ससुराल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
नवा सुरुज हे नवा बिहनिया, जागव रे नवा साल मा !
देश बचालव आगू बढ़के, फँसे हावय जंजाल मा !!
कवि दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
9827123316, 8109482552

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// रामेश्वर शांडिल्य

रचनाकार-रामेश्वर शांडिल्य
----------
बदलाव नवा साल मां
नवा साल म नवा रसता गढ़े ल परही।
जुन्ना साल के चलन छोड़ें ल परही।
असत अत्याचार अन्याय ल
मन ले हटाया जाए।
धीरज धर के ताकत ल
सत करम म लगाया जाए ।
नवा तरीका जीवन म जोडे ल परही।
जुन्ना साल के..........
धरम के रसता म रेंग के
आगू आगू बढ़ना होही।
करम कर के संकल्प के
पहार म चढ़ना होही ।
नवा साल म नवा सोचे ल परही।
जुन्ना साल के.............
गरीबन के सेवा जतन म
अपन हाथ बढ़ाये जावा ।
अंधवा खोरवा मन ल
अपन छाती म लगाये जावा ।
ऊंच नीच के भेदभाव तोड़े ल परही।
जुन्ना साल के चलन छोड़े ल परही।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा-कलगी-1//बदलाव नवा साल मा-ओमप्रकाश चौहान

" बदलाव नवा साल मा "
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
=====================
मनखे ल मनखे नई जानेन
बड़न के कहना कभु नई मानेन,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
मोह माया के लफड़ा म पड़के
जग मुआ ल अईसे मताएंन ग
भाई ल बईरी जानके
कुछु अईसे घला बताएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
नशा के फांदा म पड़के
डउकी-लईका तक हम भुलाएंन ग
बेमतलब के चिहुर गली खोर म हम मताएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
दुसर के बड़ना म जर कुकड़के
अपन जिनगी म आगी लगाएंन ग
हम बेमतलब के का महुरा 'पी' आएंन ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
चारी चुगरी करके
बड़ ऐखर ओखर घर उजाड़ेन ग
बेमतलब के रंज हम लगाएंन ग,
होगे जेन होगे ये अज्ञानता के अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
अब नवा डगर अउ नवा सरग बर
जुर मिल सबे हांथ बढ़ाव ग
ये जिनगी ल बने सुग्घर
अउ सुग्घराव ग,
होगे जेन होगे अज्ञानता के ओ अंधियार माँ
चलव नवा संकल्प लेके
करव बदलाव नवा साल माँ।
मनखे ल मनखे नई जानेन
बड़न के कहना ल नई मानेन ..................।
🌻 ओमप्रकाश चौहान 🌻
🌻बिलासपुर🌻

गुरुवार, 7 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल के-मिलन मलहरिया

छत्तीसगढ़ के पागा-कलगी क्रमांक-1
बिसय- ""बदलाव नवा साल के"" के बिसय ले जूड़े रचना---
----------------------------
**नवा बछर म का चरित्तर आगे **
"""""""""""""""""""""""""""""
2015 म लईका अउ जवान
सबो बेरा मोबाइल के धियान
इन्टरनेटवा बनगे सबके परान
अब 2016 म थीरी-जी छागे
जेमा डोकरा मन घलो झोरसागे
नवा बछर म का चरित्तर आगे ?
नवा जूगके इही भगवान बनगे
इनटरनेट के नदिया बोहागे
गाँव गलिखोल सबो समागे
वाट्सेफ धून घरोघर मतागे
दूनियाभर ह इही म बोजागे
नवा बछर म.......................
डोकरा लईका सियान भाए
दाई-ददा ह घलो मूड़ी नवाए
मोर बबा घलो गुरुफ बनाए
गुरुफ म एडमिन नाव रखागे
नवानवा दोस्ती-यारी छागे
नवा बछर म.......................
कापी पेस्ट ल रोज पेलत हे
एति के ओति ओहर ढिलत हे
महिना म कई हजार फूकत हे
गुरुफ गुरुफ म नाव बड़त हे
मुड़ी म ओखर इन्टरनेट जागे
नवा बछर म.......................
आनिबानी के सनिमा देखत हे
फोन ल दिनभर लाॅक करत हे
डर म मोर लुकावत चपकत हे
उमर के ओला फिकर नई हे
धान बेच मोबाईल खरिदागे
नवा बछर म.......................
पोरफाईल म तो जवान देखात हे
वाट्सेप संगे फेसबूक चलात हे
दूनियाभर ल लाईक मारत हे
बने-बने ल जी सेयर चपकत हे
संगी-यारी के फाईल टैग पेलागे
नवा बछर म...........................
गांव भर के फेसबूक पेज बनाए
मोबाईल संगे लेपटाॅप बिसाए
बबा गाँव म ब्राडबेन्ड लगवाए
वाई-फाई ल पूरा गाँव बगराए
नेट चलवईया जागरुक होगे
गाॅवभर बबा ल सरपंच जितागे
नवा बछर म...........................


मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

बुधवार, 6 जनवरी 2016

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल म-राजेश कुमार निषाद

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक 1 बर मोर ये रचना
।। बदलाव नवा साल म ।।
जगह जगह म घटना घटत हे
देखव कईसन हाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
दिनो दिन मंहगाई बढ़त हे।
भाई भाई एक दूसर से लड़त हे।
गरीब मनखे मन बर करलई होगे।
अब के सरकार निरदई होगे।
मंहगाई बढ़ा दिस दाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
पढ़े लिखे मन बेगारी करत हे।
अनपढ़ मन हिस्सेदारी बर लड़त हे।
जगह जगह म भुइंया के बटवारा होवत हे।
अईसन भरे दलाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
गली गली म पानी बोहावत हे
चिखला माते हे भारी।
घर घर म नल लगावत हे
एक दूसर ल देवत हे गारी।
आरा पारा सबो पारा रमे हे सब बवाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
दाई ददा ल संसो नई हे
बेटा घुमक्कड़ होगे।
काम बुता के फिकर नई हे
ददा पियक्कड़ होगे।
जिनगी कटत हे येकर बुरा हाल म।
सोचव सब कुछ विचार
लाबोन बदलाव नवा साल म।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा-कलगी-1// बदलाव नवा साल मा-देवेन्द्र ध्रुव

छत्तीसगढ के पागा.. "कलगी"क्र.01 बर मिले रचना
....................
छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता बर रचना
विषय -बदलाव नवा साल मा.. रचनाकार-देवेन्द्र ध्रुव
--------------
धान के कटोरा उन्ना होवत हे
धरती दाई के कोरा सुन्ना होवत हे
आज अन्नदाता मुडधर के रोवत हे
अपने हाथ अपन जान लेवत हे
फोकट समा जावत हे काल के गाल मा
अब तो सुधार होना चाही इकर हाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा...
का करबे किसनहा ला कोनो नई पुछय
कर्जा मा जीयय, कर्जा मा ओखर प्राण छुटय
अब हर योजना किसान के नाम होना चाही
टाल मटोल नही अब तो बस काम होना चाही
अब ककरो फसल झन बोहावय बाढ मा
अऊ कोन्हो झन मरय ऐ दारी अकाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा"......
सिघवापन के फायदा उठाथे दुसरा मन
भाई ले भाई ला लडाथे दुसरा मन
नई समझय अबडे मीठ आखिर कडहा होथे
सब ला अपन समझथे गवंईहां अडहा होथे
अब जागव झन फंसव कोनो जाल मा
दुश्मन झन होवय कामयाब अपन चाल मा...
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा "...
पता नही काबर सब संग दुरिहाये हौ
पता नही काकर बुध मा आये हौ
परिवार सुघ्घर पेड ऐला झन काटव
अपन अऊ पराया मा कोनो ला झन छांटव
जुरमिल के रहव जी घर ला झन बांटव
घर ला छोडे के बात झन लानव ख्याल मा..
बहुत जरुरी हे" बदलाव नवा साल मा"...
दुख परगे ता उदास झन बईठौ
जीत घलो मिलही हताश झन बईठौ
चुनौती दिही गा बेरा रही रही के
आघुं बढना हे सबो पीरा ला सहिके
सब मुश्किल के हल अऊ मुंहतोड जवाब
झन पडे रहव दुनियादारी के सवाल मा...
बहुत जरुरी हे"बदलाव नवा साल मा"...
जान लो परदेशिया ला राजा नई बनाना हे
दुसर के बात मान परबुधिया नई कहाना हे
सब ला उन्नति के नवा रद्दा बताना हे
अपन मेहनत ले तरक्की ला पाना हे
फेर महकही फुलवारी, सुख आही दुवारी
कोयली फेर गीत सुनाही बईठ आमा के डाल मा
बहुत जरुरी हे "बदलाव नवा साल मा"...
रचना
---------------
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम)
बेलर (फिंगेश्वर )
जिला गरियाबंद
9753524905

रविवार, 3 जनवरी 2016

पागा-कलगी" क्र-1/। बदलाव नवा साल मा -श्री ललित कुमार साहू

"छत्तीसगढ के पागा-कलगी" क्र-1 बर प्राप्त रचना
" बदलाव नवा साल मा "-रचनाकार -श्री ललित कुमार साहू
-------------------------------------------------------------
" बदलाव नवा साल मा "
पहली बछर मे बछवा मर गे
दुसर बछर बित गे बछिया
आंसू तर-तर बोहात ग्वाल के
नई हे कोटना मे पानी पसिया
कुकुर बिलई के दिन हरिया गे
गरहन धरे हे गौ साल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा
नवा बछर मे सब माते हावे
का जापान का चीन रसिया
किसान रोवत हे मुड धर के
बिन पानी खेत परे हे परिया
अलकरहा गाना मे बेसुध नाचे
चौसर बिछे हे चौपाल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा
लईका पढाय बर सियान दबे हे
जेवर गहना धर कर्ज उधार मा
फेर लईका परबुधिया भुलाय हे
पुस्तक छोंड मया संसार मा
उघरा तन परगट देखात हे
मुहु बांधे हे फरिया रुमाल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा
कुकरी पोसत हे तिंवरा बोय कस
फंदोत हे मछरी गरी जाल मा
अपन संस्कृति ला छोंड सब
मोहा गेहे पश्चिम के चाल मा
सिधवा सब छत्तीसगढ़ीया मईनखे
परदेशी कोलिहा हे शेर खाल मा
तिही बता गिरधर गोपाल
का बदलंव नवा साल मा ।।
रचना - ललित कुमार साहू
छुरा / जिला - गरियाबंद ( छ.ग.)
मो.नं.- 9993841525