शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

पागा कलगी-18//10//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

विधा:--मुक्तक
बहर-222 222 222 221 221 212
काफिया-अरत
रदिफ-हवय
(०१)
रतिहा के रिमझिम चिमनी टिमटिम तोरे अगोरा करत हवय।
चमकत बिजली गरजत बादर अड़बड़ जीवरा हर डरत हवय।।
दादू नोनी सोगे बपुरी तोरे फोटु कन गोठियात हे,
जल्दी आजा रे बेटा तै अब तो आंसु आँखी भरत हवय।।
(०२)
तोरे संसो करकर चोला हर बाती बरोबर जरत हवय।
बिन पेंदी के लोटा मन सबझन छाती म कोदो दरत हवय।।
छानी परवा बछरू गरुवा रस्ता तोर देखत रथन हमन।
जल्दी आजा रे लाला तै अब तो आंसु आँखी ढरत हवय।।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

पागा कलगी-18//9//मिलन मलरिहा

नव दिनबर आबे दाई
कलजुग ल हटाबे दाई
घर घर महिसासुर खुसरे
पापी ल भगाबे दाई ॥
/
/
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

गुरुवार, 29 सितंबर 2016

पागा कलगी-18//8//दिलीप

बहर--222 112 221
नागर जोत लगा ले धान। 
खातू डार बढ़ा ले धान।
पानी देख मुही दे छेक।
पाके जेन कटा ले धान। 1
बहर--222 212 2
बछरू कस मेछरा झन।
लइका तै ईतरा झन।
परही अब मोर झापड़।
आगू ते मटमटा झन। 2
दिलीप

पागा कलगी-18 //7//गुमान प्रसाद साहू

बहर-212 212 222 222 22
भाग मे जे लिखे हे ओ हमला मिलबे करही।
डोहरू फूल हर एकदिन संगी खिलबे करही।
पेड़ हम जब लगाबो आमा के जी संगवारी।
तब हमनला ग ओकर मीठा फल मिलबे करही।
-122 222 112 222
जभे मिहनत करबे ग तभे फल मिलथे।
कुंआ मेरा जाबे ग तभे जल मिलथे।
हवा कस उड़ जाबे न अकेला रहिबे।
सबो जुरमिल रहिबे ग तभे बल मिलथे।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा (महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी-18 //6//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

मुक्तक-1
समझ नइ आवत हे काम सरकार के।
हवे ये मात्र के नाम सरकार के।
कभू तो हमरो लेते खबर -शोर जी
करे नइ ऐहर कुछु काम फटकार के।
मुक्तक-2
का भरोसा जिनगी के कब का हो जाही न।
देख तोला मोला ऐको दिन रो वाही न।
झन कभू करबे घमन्ड तैहा जिनगी मा रे
काल ऐको दिन आके सबला ले जाही न।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा
9993240143

पागा कलगी-18 //5//देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)

मुक्तक -1
करौ दरसन भुईयाँ के भगवान के
इही भरथय कटोरा ला जी धान के
सरी जिनगी पहाहे खेती खार मा
इही चिनहा हरे जी हमर किसान के
मुक्तक - 2
जतन करथय अपनेहा खेती खलिहान के
हमर खाना परसादे ऐकर बलिदान के
हमर दाता दुरिहा हे आजो सुख चैन ले
गजब माया दिखथे,ऐ रचना भगवान के....
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)

पागा कलगी-18//4//जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"

मुक्तक(1)
मापनी-22 22 22 221 22
तन मन करिया हेवे,मांजेल पड़ही।
मन ल मया के पाग म,बांधेल पड़ही।
थूके - थूक म थोरे,चूरहि बरा जी,
महिनत करके हाँड़ी,राँधेल पड़ही।
---------------------------------------------------
मुक्तक(2)
मापनी- 22 22 221 22
अब तो आघू,आयेल लगही।
मिल-जुल तोला,खायेल लगही।
छेल्ला घुमबे त , नई बने जी,
मिलके राज , चलायेल लगही।
------------------------------------------------
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-18//3//आचार्य तोषण

"दाई के कहिनी बेटा बर"
-------------------------------
चिमनी ममता के बुताबे झन
दाई के अछरा भुलाबे झन
जोहत हे रसदा अगोरा मा
परदेसी बन बेटा गंवाबे झन
२२२ २२२ १२२ २
भाये बड़ मोला तोर बाला पन
देखत बदरा छावय निराला पन
अघुवन पछुवन किंजरै टुरा सेना
देखाबे तै झन कभु ग हाला पन
----------------------------------
-आचार्य तोषण

पागा कलगी-18//2//जगदीश "हीरा" साहू

बहर- 212221122111221122
तोर आँखी के कजरा मा, अटक गेहे मन मोरे ।
तोर झुल-झुल के रेंगना मा, भटक गेहे मन मोरे।।
मोला कतका तै अउ तरसाबे, अब इहाँ वो सुन रानी,
तोर हाँ के देखत रसता, झटक गेहे मन मोरे ।।
(रेंगना- रें मा अउ मोला -ला मा भार गिराये गेहे )
बहर- 21212221212
तोर मीठ बोली, मोर जान हे।
तोर ये ठिठोली, मोर जान हे।।
तोर छोड़ के जाते बिरान हे,
आज एक होंली, मोर जान हे।।
जगदीश "हीरा" साहू (२७९१६)

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

पागा कलगी-18//1//चोवा राम ‘बादल‘

बहर---2122 2122 2122 2122
राम जप ले ,राम जप ले, राम जप ले ,राम जप ले
आहि जम हा, बाँध तोला,ले जही गा,मार झप ले 
ओनटा में, कोनटा में , कोन कोती ,तैं लुकाबे 
काल के हे, दांत धरहा , चाब देही , देख चप ले ।

चोवा राम ‘बादल‘

सोमवार, 19 सितंबर 2016

//पागा कलगी-17 के परिणाम//



//पागा कलगी-17 के परिणाम//
अवधि- 1 सितम्बर 16 से 16 सितम्बर तक
विषय. जय जय श्री गणेशा
विधा-मुक्तक
संचालक- श्री चैतन्य जितेन्द्र तिवारी (पागा कलगी.7 के विजेता)
निर्णायक-परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशल, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
ये आयोजन पहिली बार विधा आधारित रहिस, विधा म होय के बाद घला कुल 17 रचनाकार संगीमन के रचना प्राप्त होइस, ये हमर कवि भाई मन के विधा के प्रति सीखे के भाव ला बतावत हे । सबो संगी मन के हृदय ले आभार ।
ये अंक के निर्णायक परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशलजी, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
हा जम्मो रचना के तारिफ करत ये आयोजन के प्रशंसा करत सबो रचनाकार ला बधाई कहे हे अउ अवइया अंक बर सबो रचनाकार ला शुभकामना पठोय हे ।
छत्तीसगढ़ मंच डहर ले आदरणीय कौशलजी के बहुत बहुत आभार ।
पागा कलगी 17 के पागा निर्णायक के अनुसार ये प्रकार पहिराये जात हे -
पहिली विजेता-श्रीमती आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
दूसर विजेता-देवन ध्रुव
तीसर विजेता-सुनिल शर्मा ‘नील’
थानखम्हरिया, बेमेतरा, छ.ग.
सबो विजेता संगीमन ला अंतस ले बधाई

//पागा कलगी-17 के परिणाम//



//पागा कलगी-17 के परिणाम//
अवधि- 1 सितम्बर 16 से 16 सितम्बर तक
विषय. जय जय श्री गणेशा
विधा-मुक्तक
संचालक- श्री चैतन्य जितेन्द्र तिवारी (पागा कलगी.7 के विजेता)
निर्णायक-परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशल, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
ये आयोजन पहिली बार विधा आधारित रहिस, विधा म होय के बाद घला कुल 17 रचनाकार संगीमन के रचना प्राप्त होइस, ये हमर कवि भाई मन के विधा के प्रति सीखे के भाव ला बतावत हे । सबो संगी मन के हृदय ले आभार ।
ये अंक के निर्णायक परम आदरणीय, श्री मुकुन्द कौशलजी, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार, गीतकार, दुर्ग
हा जम्मो रचना के तारिफ करत ये आयोजन के प्रशंसा करत सबो रचनाकार ला बधाई कहे हे अउ अवइया अंक बर सबो रचनाकार ला शुभकामना पठोय हे ।
छत्तीसगढ़ मंच डहर ले आदरणीय कौशलजी के बहुत बहुत आभार ।
पागा कलगी 17 के पागा निर्णायक के अनुसार ये प्रकार पहिराये जात हे -
पहिली विजेता-श्रीमती आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
दूसर विजेता-देवन ध्रुव
तीसर विजेता-सुनिल शर्मा ‘नील’
थानखम्हरिया, बेमेतरा, छ.ग.
सबो विजेता संगीमन ला अंतस ले बधाई

शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

पागा कलगी-17 //17// मिलन मलरिहा

कष्ट ला हरदे मोर लम्बोदर
करत.हँव पूजा तोर लम्बोदर
विघन बाधा ला मेट दे गणपति
खड़े.हँव हाथ जोर लम्बोदर ।

मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

पागा कलगी-17 //16//ईश्वर लाल साहू

1. आके हमरो लाज बचादे जय जय श्री गणेशा ।
बिगडे जम्मो काज बनादे जय जय श्री गणेशा ।
डोंगा हा मझदार बुड़त हे जिनगी के समुंदर
आके बेडा पार लगादे जय जय श्री गणेशा ।

2. सुख ला भरदे हमरो जिनगी मा जय जय श्री गणेशा ।
पबरित करदे हम सबके मन ला जय जय श्री गणेशा ।
तोरे भगती कर पावन, अतका शक्ति दे दे
तोरे किरपा अमरित जइसे गा जय जय श्री गणेशा ।

ईश्वर लाल साहू
ठेलका, थानखम्हरिया

बुधवार, 14 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//15//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

मुक्तक(1)
सुवारथ के घोड़ा ला, झन दंऊड़न दे गनपति।
समुंदर में माया के , झन तंऊरन दे गनपति।
चुने मुसवा माया के, ओढ़े कपड़ा-लत्ता ला,
भगति के पाना-डारा ला, मंऊरन गनपति।
-------------------------------------
मुक्तक(2)
तोर आंसू नई बोहाय,
दूसर के आंसू पोंछबे त।
तोर तनमन नई मइलाय,
निक बात बिचार ल सोंचबे त।
तोर करनी ल “गनपति“
सरेखत हेवे ग,
नीम कइसे निकलही बीरवा,
केरा के खोंचबे त?

-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-17//14//सुनिल शर्मा"नील"

1)मुक्तक-----""कर बैरी के नाश""""
*********************************************
अमन चैन के देश ह लहू मा बूड़गे आज
चिथत हे ग दाई ल बन बेटामन ह बाज
करव पाप के नाश सत के होवय ग अंजोर
हवय प्राथना बस इहि सुनलव हे गणराज
***†****************************************
2) मुक्तक----"गिरिजानंदन"
********************************
सबले बड़का "दाई-ददा" हे जग ला जेन
सिखाए हे
दाई-ददा के सेवा ल कर "पहली पूजन"
पाए हे
पूजाच भर सुक्खा झन करन गुन ओखर
अंतस मा धरलन
संकट हरेबर, मंगल करेबर
"गिरिजानंदन"आए हे|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
copyright
14/09/2016
7828927284

पागा कलगी-17//13//-चोवा राम वर्मा " बादल "

मुक्तक 1(222 2222 2222 122)
जोईधा हच बड़भारी ,जै हो जै हो गणेशा ।
चकरित होगे भंडारी ,जै हो जै हो गणेशा ।
महतारी के आज्ञा माने तैं तो प्रण ल ठाने
मोहाटी छेके भोला ,जै हो जै हो गणेशा ।

मुक्तक 2 (222 2221 2211 22 )
जय जय हो गनपति तोर, आ लाज बचा दे
जगतारन बंदी छोर , बिपदा ल हटा दे ।
डोंगा बूड़त हे बीच भंवर म परे हे
सुन ले बिनती ला मोर, आ पार लगा दे ।

रचना -------चोवा राम वर्मा " बादल "
हथबंद

पागा कलगी-17 //12//हेमलाल साहू

जय जय हो गजानन मोरे गनेसा, जय गणराज।
दाई हे उमा अउ बापे महेसा, हे गणराज।
अरजी सुन परभु तैं, भगतन करत हें बड़ गोहार।
दुख पीरा हरव जगत के  मेटव कलेसा जय गणराज।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
(छत्तीसगढ़) मो.9977831273

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//11//महेश मलंग

अगियान मेटा के ते गियान हमला दे ।
हर त्रास औ संकट ले निदान हमला दे ।।
गणनाथ महराजा जीव जोर बिनती हे
बल बुद्धि बिद्या के बिधान हमला दे ।। 


महेश मलंग पंडरिया कबीरधाम

पागा कलगी-17//3//गुमान प्रसाद साहू


जय जय श्री गणेश जय होवय ग गजानन,
दिल में काकरो न भय होवय ग गजानन।
सबके तै गणेश कर अरदास ल पूरा,
मन सबके गणेश मय होवय ग गजानन।
करथस मूसवा ग तै सवारी गणेशा,
गणपति तै ग एकदन्त धारी गणेशा।
बिगड़ी काम तै हमार सबके बनाथस,
आथन जब ग तोर हम दआरी गणेशा।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी )
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी-17//10//आचार्य तोषण

जय जय श्री गणेशा शंकर सुतवारी
माता पार्वती तोरे तो महतारी
भगतन मन खड़े हे तोरे दर मा प्रभु
विनती सुन भगत के भगतन हितकारी ।

गणपति तोर देवा करथन गणेशा
सुमरन हाथ जोड़े करथन गणेशा
भगतन माथ टेके मांगय भीख गा
तोर पाव ला हम परथन गणेशा

आचार्य तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी-17 //9//लक्ष्मी नारायण लहरे

हे गणेशा मोर अँगना म जबले आये, जनम मोरे सफल होगे ।
हे गणेशा मोर सपना म जबले आये, दरद मोरे सरल होगे ।
हे प्रभुजी मोर अरजी ल सुनके, तैहा सफल करदे मोर पूरा
हे गणेशा मोर भुवना म जबले आये, बिपति मोरे तरल होगे।
-----------------
दुखिया के तै दुख हरैया जय हो तोर गणराज।
सबके बिगड़ी के बनैया जय हो तोर गणराज।
भुवना मा बाजे नगाड़ा कस के होय जयकार।
पापी के नासे करैया जय हो तोर गणराज।

० लक्ष्मी नारायण लहरे,साहिल कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी-17//8//लोकेन्द्र "आलोक"

गणपति तोर महिमा हवय बड़ भारी 
जय जय जय गणेशा कहत नर नारी 
लाडु भोग तोला सुहाथे भगवन
मुसवा के सवारी हवय गा भारी

बुद्धि सुद्धि सिरजईया तही गजानन
रिद्धि सिद्धि देवईया तही गजानन
हांथ जोर प्रार्थना “आलोक“ करत हे
काम-धाम अब बना दे तही गजानन
कवि - लोकेन्द्र "आलोक"
ग्राम - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद

पागा कलगी-17 //7//राजेश कुमार निषाद

पहिली पूजा के तै अधिकारी गणेशा
तोला भाथे लाड़ू हा भारी गणेशा
करथस सबके आशा ला पूरा गजानन
तोला कहिथे सब मंगलकारी गणेशा।।

मोरो पीरा ल तै हरबे गजानन
मोरो रक्षा ल तै करबे गजानन
सबले पहिली ग तोला गोहराथन
दुनिया मा सुख ल तै भरबे गजानन
रचनाकार - राजेश कुमार निषाद 
ग्राम चपरीद
(समोदा )

पागा कलगी-17 //6//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

मुक्तक
~~~
जय हो जय हो गजानन पहली मनावव तोला।
लड्डू मेवा मिठाई भोगे चढ़ावव तोला।
आखर के देवता तय मेटव नदानी मोरो
किरपा के तोर आसा माथा नवावव तोला।
मुक्तक
~~~
लूला के पार लगईया देवा।
रोगी के रोग मिटईया देवा।
बन जाथस तय अनधरा के आखी
सबके तय लाज बचईया देवा।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा
9993240143

पागा कलगी-17//5//आशा देशमुख

जय जय श्री गणेशा
1 ....पहिली पूजा के अधिकारी ,मोर गजानन लाला ,
सेवा मा दुनियां बइठे हे ,तोर गजानन लाला |
सब गण चलथे आघू पाछू , तै मुसवा मा बइठे ,
चारो कोती गूँजत हावय ,शोर गजानन लाला |
******************************************
2.....जगत के डोंगा ,खेवइया गजानन ,
करम के दुख ला ,मेटइया गजानन |
मया के छल मा गा मनखे बँधाए ,
सकल जीनिस के, देवइया गजानन |
***************************************
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
12 .9.2016 सोमवार

रविवार, 11 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//4//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

बहर--222 222 122 122
काफिया-- अव।
रदीफ-- गा।
मुक्तक(01)
भैया मन जय जय श्री गणेशा भजव गा।
जुरमिल के गणनायक गजानन कहव गा।।
दाई गौरी के लाल गणपति दुलारा,
नावे ला ओकर रोज सुत उठ भजव गा।
मुक्तक(02)
हे लम्बोदर महराज अरजी करव गा।
मनखे मन मा सद्भाव मनभर भरव गा।।
भाई-चारा के संग सबझन कमावय,
उंकर जांगर ला पोठ समरथ करव गा।
रचना:- सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

सोमवार, 5 सितंबर 2016

//पागा कलगी 16 के परिणाम //



अवधि-16 अगस्त16 से 31 अगस्त तक
विषय- दे गे चित्र के अनुसार
संचालक- श्री आचार्य तोषण चुरेन्द (पागा कलगी-7 के विजेता)
निर्णायक-श्री दीनदयाल साहू, सहायक संपादक चौपाल, हरिभूमि

ये आयोजन कुल 23 रचनाकार संगीमन के रचना प्राप्त होइस, सबो संगी मन हृदय ले आभार ।
ये अंक के निर्णायक श्री दीनदयाल साहू, सहायक संपादक चौपाल हरिभूमि हा जम्मो रचना के तारिफ करत ये आयोजन के प्रशंसा करत सबो रचनाकार ला बधाई कहे हे अउ अवइया अंक बर सबो रचनाकार ला शुभकामना पठोय हे ।
छत्तीसगढ़ मंच डहर ले आदरणीय साहूजी के बहुत बहुत आभार ।
पागा कलगी 16 के पागा निर्णायक के अनुसार ये प्रकार पहिराये जात हे -

पहिली विजेता-जीतेन्द्र वर्मा ‘खैरझिटिया‘
बालको;कोरबा
9981441795
दूसर विजेता-राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ; समोदा द्ध
9713872983

तीसर विजेता-निशा रानी
जाँजगीर
छत्तीसगढ़

प्रशंसा के योग्य-
सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
अउ
टीकाराम देशमुख ‘करिया‘
स्टेशन चउक कुम्हारी, जिला .दुरुग ;छण्गण्द्ध
मोबा.९४०६३ २४०९६

छत्तीसगढ़ मंच डहर जम्मो विजेता संगी मन ला अंतस ले बधाई , इंखर संगे संग बाकी सबो रचनाकार मन के ये आयोजन मा भाग ले बर आभार अउ विश्वास के अवइया अंक मा अइसने बढ़-चढ़ के हिस्सा लेहव ।
धन्यवाद

रविवार, 4 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//2//दिलीप वर्मा

रसता जोहत बइठे हाबन,जय जय श्री गणेशा।
हमरो घर मा कब ते आबे,जय जय श्री गणेशा।
तोरे पूजन खातिर भगवन,फुल माला धरे हन। 
मोदक तोला अड़बड़ भाथे,जय जय श्री गणेशा। ।।1।।
भोले के तै लाल गणेशा।
तन हे बड़ बिकराल गणेशा।
मूसक के तै करच सवारी।
टारच तै जन जाल गणेशा। ।।2।।
दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार

शनिवार, 3 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//1//देवन ध्रुव

मुक्तक 1
ऐहर जग मा पहली पूजा के अधिकारी हे।
दाई ऐकर गौरी, बाबू हा त्रिपुरारी हे।।
शोभा बरनत हावव मैहर तो गणनायक के।
वाहन ऐकर मूसक,काया हा अतिभारी हे।।
मुक्तक 2
मानय तोला सब झन,भगतन बर हितकारी हे।
ऐ जग के सब मनखे,तोरे बर बलिहारी हे।।
करथस मंगल सब बर,जनमानस तरईया तै।
किरपा के तै सागर,अधरे ले चिनहारी हे।।
-देवन ध्रुव

पागा कलगी 17 के विषय

//पागा कलगी 17 के रूपरेखा//
अवधि-1 सितम्बर 16 से 15 सितम्बर तक
विषय- ‘जय जय श्री गणेशा‘
संचालक- श्री चैतन्य जितेन्द्र तिवारी (पागा कलगी-7 के विजेता)
निर्णायक-परम आदरणीय मुकुन्द कौशल, वरिष्ठ साहित्यकार, गजलकार
नियम-छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता पागा कलगी 17 के रचना सीधा छत्तीसगढ़ी मंच मा पोष्ट करना हे । जेन रचनाकार छत्तीसगढ़ी मंच के सदस्य नई हे, ओ एडमिन मन के व्यक्तिगत वाटशॅंप म भेज सकत हंे । कानो सार्वजनिक वाटशाॅपध्फेसबुक समूह से रचना नई देना हे । प्रतियोगिता अवधि तक प्रतियोगिता के रचना केवल फेसबुक समूह छत्तीसगढ़ी मंच अउ ब्लाग पागा कलगी भर म होही । यदि रचना अंते तंते पाये जाही त रचना ला प्रतियोगिता से बाहिर कर दे जाही ।
विधा - मुक्तक, प्रत्येक रचनाकार केवल दू मुक्तक एक साथ पोस्ट कर सकत हे, अलग-अलग नही । यने कि एक साथ दू मुक्तक दे गे विषय मा । मुक्तक मापनी (बहर) मा होना चाही । बेबहर, रदिफ काफिया रहित मुक्तक प्रतियोगिता मा शामिल नई करे जा सकय ।
विशेष- मुक्तक आधारित 4 भाग मा लेख प्रकाशित करे गे हे, मुक्तक लिखे के पहिली चारों भाग ला एक बार जरूर पढ लेवंय । नीचे के लिंक ल चपक के मुक्तक के बारे मा पढ़ सकत हंव

गुरुवार, 1 सितंबर 2016

पागा कलगी-16 //23//तरूण साहू "भाठीगढ़िया"

कुण्डलिया छंद
कइसे भेजव राखि
==========
भइया हे मोर दुरिहा, दुरिहा हे घर द्वार ।
भरगे नदिया नरवा ह, जांवव कइसे पार।।
जांवव कइसे पार, रद्दा म नदिया कछार ।
भेजव कइसे राखि, परब हे राखि तीहार ।।
कोन ह मइके जाहि, भइया हे भाठिगढ़िया ।।
राखि कोन ले जाहि, दुरिहा हे मोर भइया ।।
राखि ले जाबे पड़की, तै भइया के तीर ।
तै सुना देबे मैना, छुटकि बहिनि के पीर ।।
छुटकि बहिनि के पीर, रोवत हे दिन अउ रात ।
बहिनी के नयना म, सावन भादो बरसात ।।
तरूण अस करलई म, बहिनि बोहावथे आँखि ।
भइया ह कलाई म, बन्धवाही मोर राखि ।।
तरूण साहू "भाठीगढ़िया"
ग्राम भाठीगढ़
तहसील+पोस्ट मैनपुर
जिला गरियाबन्द ( छ ग )
मोबाईल नम्बर ९७५४२३६५२१ ९७५५५७०६४४