रविवार, 3 जनवरी 2016

"छत्तीसगढ के पागा " क्र 7/विषय - "गुरू घासीदास के संदेश"

 के एकजाई रचना
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"छत्तीसगढ के पागा" क्र-7 छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता के विषय हे- "गुरू घासीदास के संदेश" ये विषय मा  आये रचना अइसन हे -
1- ।। जय सतनाम ।।
सतनाम के बाबा मोर
करत हावंव पूजा तोर।
18 दिसंबर के बाबा
मनाथन तोर जयंती ल।
करत हावंव पूजा तोर
सुन ले मोर विनती ल।
सादा के धोती बाबा
सादा के डंडा।
सादा के खंभा बाबा
सादा के झंडा।
ये दे जग म नाम चले तोर।
सतनाम के बाबा मोर
करत हावंव पूजा तोर।
महंगू के बेटा अमरौतिन लाला।
फैलाये जग म तै सत के प्रकाश ल।
छाता पहाड़ म तै ह विराजे
अमृत कुण्ड म नहाये।
सत के रद्दा देखइया बाबा
सफरा माता ल तै ह जियाये।
भक्त मन जाये बाबा दरस बर तोर।
सतनाम के बाबा मोर
करत हावंव पूजा तोर
-राजेश निषाद
2-॥रचना-मिलन मलरिहा॥
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सत्रहवि सदि आये बबा, बन महगू के लाल।
गिरौदपुरि के माटि मा, बसाए सत के ढाल।।
हे सतपुरुस गुरू बबा, धराए तय सतनाम।
मूरख रहि चोला हमर, बसाये सत गियान।।
सतखोजन करे तय तप, छोड़के मोह-काम।
छाता-पहड़ रमाय धुनि, गिरौदपुरि के धाम।।
सबो मनखे कहे एके, सब जिव कहे समान।
परनारी माता सही, नारी घर के मान।।
घरघर फइले चीखला, नसा-दारु हे भाइ।
मदिरा-माँस ल छोड़के , कर सतबीज बुआइ।।
जूवा तास हे अपजस , ओ धन काम न आय।
चोरी-लुट ले दूर रइ, पुरही तोर कमाय।।
देव रहिथे सबोजघा , त काबर कहू जाय।
अपन घर सुमरले ग तै, उहेच दरसन पाय।।
सब धरम एक बरोबर ग, माता पिता समान।
ककरो चुगली झिन कर ग, इही गुरु के गियान।।
जैत खम्भा मान हमर, झन्डा हे अभिमान।
सादा-सत के चीनहा , सत के हे परमान।।
छुवाछूत जग रोवत ल, करे बबा सनहार।
सबगलि हहाकार रहिच, कर देहे परहार।।
धरति रोए कापे सुरज , रहीच मनुबीचार।
सतनामे परकास रख, करदेहे उजियार।।
आसिस दे महुला बबा, जयजय हे सतनाम।
मलरिहा परनाम करय , बाबा के परमान।।

-मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
3-बाबा जी ल परनाम हे
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सत के जेहा रसता देखाइस
मानव मानव ल एक बताइस
छुआछूत के भेद मेटाइस
पूरा जीवन तप में लगाइस
गिरौदपुरी जेकर धाम हे
अइसन बाबा ल माटी के परनाम हे।
छाता पहाड़ में धुनी रमाइस
दुनिया भर में गियान बगराइस
मांस मदिरा अऊ नशा छोड़ाइस
सादा जीवन जीना सीखाइस
दुनिया भर में जेकर नाम हे
अइसन बाबा ल माटी के परनाम हे।
सत के सादा झंडा फहराइस
लहर लहर जग में लहराइस
जीवन अपन सफल बनाइस
जग में अपन नाम कमाइस
घासीदास बाबा जेकर नाम हे
अइसन बाबा ल माटी के परनाम हे।
-महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया
4-नानमुन दोहा:
भारत दाई तोर वो, नइ कर सकन बखान।
ज्ञानी ध्यानी संत जन, जनमे तैं संतान।।
कबिरा राम रहीम अउ, किसन भगत रसखान।
बाढ़िस इंखर काम ले, मोर दाइ के मान।।
जात पात के भेद मा, माचिस खींचातान।
छुआ छूत के जाल मा, फंद के मरिन मितान।।
माह दिसंबर ताय जी, अट्ठारा तारीख।
सन सतरा सौ छप्पने, दे बर आइन सीख।।
होय कुरीत के खात्मा, जागिस मन मा आस।
अमरउतिन के कोंख ले जन्मिन घांसीदास।।
मंतर उंखर सात ठन, जीवन राह देखाय।
मनखे मनखे एक के, सुंदर भाव जगाय।।
महिमा तो सतनाम के, सुघ्घर करिन बखान।
पर मनखे के सोच हा बदलिस नही सियान।।
संत सबो के मंत्र ह, होथे एक समान।
बाबा घासीदास ला, बारंबार प्रनाम।।
जय जोहार....
-सूर्यकांत गुप्ता
1009, सिंधिया नगर
दुर्ग.....
5-।।बाबा के संदेशा।।
घासीदास बाबा मोरे
जग म महान हे।
छत्तीसगढ म जनम धरे
गिरौदपुरी धाम हे।।
सत के संदेशा बाबा
तोरे अमरीत बानी।
संदेशा तौर गठियाके
धरबो सबो परानी।।
मास मदिरा ले दुरिहा रहू
रसता ल बताये हँस।
सत अउ अहिंसा के मारग
छुआ छूत मिटाये हस।।
जीव हत्या बंद करव
दुनिया ल सिखाए हस।
मनखे मनखे एक समान
नारा ल गुंजाए हस।।
जब तक सुरुज चंदा रही
अमर रही तोरे नाम।
अमरौतीन मंहगू के लाला
घेरी बैरी तोला परनाम।।
-अशोक साहु, भानसोज
6-बाबा गुरु घासीदास जी ल नमन , रचना
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बबा के मिले असीस ,
बबा देदे हमु ल सिख ,
सत संग में मिले सीस ,
सत रहे जीवन परान,
छाता पहाड़ के पटौनी,
सत खम्ब बतावत एक कहानी ,
देवत सिख सब्बो मितान ल ,
मानव धरम में सत मिले सब्बो मितान ल ,
मिल के बांटो सब्बो मनखे ,
जीवन के दुख दर्द ल ,
मेहनत के सुफल मिलते ,
सत के रद्दा में सुफल मिलते ,
बनावो अइसन रद्दा के,
न मिले कोनो मानुस ल
दुःख के कांटा कूची ,
अमरौतीन माता के मिले असीस ,
सत्य के मिले सिख ,
धवल वसन धवल श्वेत काया ,
ये हवे गुरुघासी दास बबा के माया ,
मेहनत झेखर भगवान रिहिस
वहीच्चा हा सत के पुजारी रिहिस
सदा सत के गुन गाये
सदा सत के रद्दा बताये
सदा कथन सत के ,
सदा वचन सत के ,
-नवीन कुमार तिवारी ,
एल आई जी ,१४/२
नेहरू नगर भिलाई
7-छ.ग. के महान संत हवे जी, ये बबा गुरूघासीदास।
ये माता अमरौतिन हावे, ददा हावे गा महगूॅ दास।।
घासीदास जनम लिये हवे, गिरौदपुरी गॉव ला जान।
सन् सतरा सौ छप्पन हावे, अठारह दिसम्बर ला मान।।
छ.ग. भुईयॉ ह पावन होगे, गिरौदपुरी बनगे ग धाम।
बबा सत्य के पुजारी रहे, बोले गा जय हो सतनाम।।
अड़हा बईला ल सिखाये, बबा गुणकारी हवे मान।
सॉप कॉटे बुधारू जीये, बबा चमत्कारी हे जान।।
छाता पहाड़ म ये बइठके, बबा तैय धुनी ला रमाय।
सत्य रद्दा मा तैय चलके, जग म सत्य नाम ल फैलाय।।
अवरा धवरा पेड़ बइठके, बबा तैय ज्ञान ला पाय।
मानव मानव समान हावे, कहीके छुवा छुत ला मिटाय।।
जैतखाम हा प्रतीक हावे, सादा झण्डा ल फहराय।
अठारह दिसम्बर हा आगे, बबा के जयंती ल मनाय।।
-हेमलाल साहू

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