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बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//16//चोवा राम " बादल"

मोर छत्तीसगढ़ महतारी
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जय हो जय हो तोर मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।
मैं अनाड़ी गावौ कतका,महिमा हे तोर भारी ।
गांव गांव मा गउरा चौंरा,
ठाकुर देंवता सांहड़ा देंवता ।
पीपर पेंड मं बिसनु बिराजे ,
बर पेंड मा ब्रम्हा देंवता ।
लीम तरी तरिया के पार महमाई देबी कारी ।
जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।1
अरपा पैरी महानदी ह, गंगा धार बोहाथे ।
शिवनाथ के अमरित पानी हमर पियास बुझाथे साग भाजी ह कछार के ,घातेच् जी मिठाथे ।
करिया माटी बड़ उपजाऊ चना गहूँ अर्राथे ।
परबत घाटी बसतर के जंगल सोभा हे गा न्यारी जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।2
रतनपुर महमाया मंदिर,डोंगरगढ़ बमलाई ।
तरेंगा के सीतला माता, सिंगारपुर मौली दाई ।
राँवां भांठा बंजारी धाम हे,रइपुर दुगधा धारी ।
सिरपुर अउ शिवरी नरायेन,तुरतुरिया खल्लारी
गिरौदधाम राजिम के दरसन तरथे गा नर नारी जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।3
ए धरती मं लोहा सोना हीरा के भरे खजाना
हिरमी रावन बैकुंठ मं हे सिरमिट के कारखाना
कोरबा के कोईला लोहा भेलाई बनाना
नामी कई ठन कालेज मा होथे पढ़ना पढाना ।
धान कटोरा छलकत रइथे नइये भुखमरी लचारी जय हो जय हो तोर ,मोर छत्तीसगढ़ महतारी 4
जिहाँ ददरिया दरद ल हरके मदुरस घोरै कान
करमा डंडा सुआ पंथी जग जाहिर पहिचान ।
चीला बोबरा ठेठरी खुरमी हाबय हमर पकवान
निच्चट सिधवा बड़ करमईता ईंहाँ के किसान ।
चोवा राम "बादल" के भइया खेती हे चिन्हारी ।
जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।
रचना --चोवा राम " बादल" हथबंद9926195747
07 -11-2016

पागा कलगी -21 //15//डोल नारायण पटेल

***मोर छत्तीसगढ़ महतारी***
कोरा बड़ सुघ्घर हवे, सब बर सुख के खान।
अइसन जइसन सरग हे, देख समझ पहिचान।
देख समझ पहिचान, माटी बड़ सुहावन हे।
फागुन के बरसात, झम झमाझम सावन हे।
कहिके डोल सुनाय, बुझ ले आना-सोरा।
मनवा ला हरसाय, छत्तीसगढ़ के कोरा ।।।।।
-
सुघ्घर गांव शहर जुझे, सिरजे हे ये राज।
रजधानी रायपुर हर, मुकुट बने सिरआज।।
मुकुट बने सिरआज, देख के मन ला भाथे।
दुर्ग भिलाई जोड़, अड़बड़ नाम ला पाथे।।
देख एक ले एक, बसे हे गांव शहर हर।।
दाई छत्तीसगढ़ , महरानी सही सुघ्घर।।
-
महतारी छत्तीसगढ़, सब ला बहुत सुहाय।
हाथ विधाता के रचे ,रंगोली जस भाय।।
रंगोली जस भाय, भारत के अंगना मा।।
सुघ्घर लागे रूप , आवय नही कहना मा।।
मया पिरीत देवय, हवय सबोके दुलारी ।।
कलप रूख जस मोर, छत्तीसगढ़ महतारी।।
-
महतारी छत्तीसगढ़ , धान कटोरा जान।।
दाई मोर अनपूरना, सुघ्घर सुख के खान।।
सुघ्घर सुख के खान, कोरा उपर बोहाथे।।
महानदी शिवनाथ , गंगा जमुना कहाथे।।
झरना नदी पहाड़, हवय सबबर सुखकारी।।
सब संपद के खान, छत्तीसगढ़ महतारी।।
-
तोरे परथन पांव ला, दे हमला बरदान।।
सेवा हांथे ले करी, अउ मुख ले गुनगान ।।
अउ मुख ले गुनगान, जबतक जीव हे तन मा।।
कोरा तोर सुहाय, सबो ला जनम जनम मा।।
मइया तोरे पांव, परत हन हाथे जोरे।।
रहिबो सीस नवाय, पांव मा दाई तोरे।।
डोल नारायण पटेल
तारापुर(छ. ग.)
मो. - 7354190923

पागा कलगी -21//14//दिलीप कुमार वर्मा

विषय--मोर छत्तीसगढ़ महतारी
गीत
मोर छत्तीसगढ़ महतारी 
तोर महिमा हे बड़ भारी,
सब दुखियन के दुःख हरे 2
फेर हाबच बड़ दुखियारी
मोर.....
तोर कोरा ल खन के माता
बड़ गड्ढ़ा कर डारे हे,
हरियर -हरियर पेड़ काट के
तोरो मांग उजारे हे।
जम्मो झन मन पोट्ठा गे 2
फेर नइये तोर पुछारी
मोर.......
कतको तोला बेच-बेच के
करिस कमाई बड़ भारी,
उकर घर म हीरा चमके
तोर गली हे अंधियारी।
कइथे तोला धान कटोरा 2
फेर हाबय बहुत उधारी
मोर.........
तोरे देये खाके जम्मो
देख तो बड़ अटियावत हे,
तोर छाती म नाच-नाच
अंगरेजी गाना गावत हे।
अइसन मन ला ले जा जल्दी 2
करथे बड़ होसियारी
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
तोर महिमा हे बड़ भारी,
सब दुखियन के दुःख हरे 2
फेर हाबच बड़ दुखियारी
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार
9926170342

पागा कलगी -21//13//दुर्गेश सिन्हा " दुलरवा "

विषय - "मोर छत्तीसगढ़ महतारी'
महानदी शिवनाथ के बंदन
पावन पबरित मोर छत्तीसगढ़ महतारी के धुररा माटी हे बंदन
जिंहा नर अऊ नारी के रूप म बसे सीता राम हे
अईसन छत्तीसगढ़ महतारी ल मोर सादर परनाम हे .
मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म २७ जिला हे
२७ जिला म ३६ ठन गढ़ हे
झलमला के गंगा मईया अऊ आमागढ
अम्बेगढ़ हे
दंतेवाड़ा के दंतेस्वरी मईया अऊ बम्लेस्वरी डोंगरगढ़ हे
भोरमदेव के तीर म बसे मोर सुघ्घर खैरागढ
हे
सुवा अऊ करमा ददरिया के जिंहा संऊहत गंगा बोहावत हे
जिंहा के नाचा गम्मत भारत के धरोहर म गिनावत हे .
दल्लीराजहरा अऊ बईलाडिला के निकले लोहा पथरा भिलाई स्पात संयंत्र ले जापान तक म जावत हे
कोरबा के कोईला अऊ देवभोग के हीरा सरी दुनिया म अंजोर बगरावत हे .
धान के कटोरा ले ऊपजे चाऊंर ह जन - जन के भुख ल मिटावत हे
ये भुईयां के वीर बली जिंहा जनमिस वीर नरायन हे
राजिम लोचन अऊ बम्लाई जिंहा संऊहत देवता माढ़हे हे .
अइसन छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म रहईया अनेक जाति अऊ अनेक नाम हे
कुल मिला के मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कन - कन ल दुर्गेश सिन्हा दुलरवा के डाहर ले सादर परनाम हे ......
दुर्गेश सिन्हा " दुलरवा "
दुर्रे बंजारी ( छुरिया) राजनांदगाँव
मो. ९६३०७८०५१७

पागा कलगी -21//12//देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)

छत्तीसगढ़ महतारी....
ऐ छत्तीसगढ़ के भुईयॉ हमर महतारी हे,
सबो बर दया अऊ मया,ऐकर चिन्हारी हे
इही धरती मा रही के,कतको पुरखा तरगे
अऊ इही मा नवा जनम के किलकारी हे...
भागमानी हन,ऐ भुईयॉ मा जनम ला पायेन
अपन आँखी ले एकर सोभा देखे ला पायेन
जीयत ले जस गाबो,फेर इही मा मर जाबो
हमर जिनगी,इही भुईयॉ के दिये उधारी हे...
सबो मिलगे इहाँ सबला,रेहेबरअऊ खायेबर
संगे संग रहिके,अपन जिनगी ला बिताये बर
सबो ऊपर मया,अपन किरपा बरसावत हे
अइसे लागे पबरित माटी हमर संगवारी हे...
ऐ सोनहा धरती सबो तनी हरियाये हे
आसीस के अछरा सबो बर फरियाये हे
सुघ्घर खेत खलिहान,अऊ मेहनती किसान
साग पान उपजईयाँ,हरियर बखरी बारी हे..
कोनो जगा नइये अइसन दूसरा,दुनिया मा
घुम ले परदेस,लहुटबे अपने घर कुरिया मा
गुरतुर गोठ गोठियईया,आय छत्तीसगढ़िया
संघरे संगी मन ताहन,रोज होरी,देवारी हे..
इहाँ चलथे मीत मितानी,चले बात गियान के
जुरमिल आघू बढ़े,देखाये रद्दा मा सियान के
इहाँ तो सुख दुःख के दुखनियाँ मा अरझे
टँगाय हावय सबके जिनगी के झिपारी हे...
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)

पागा कलगी -21 //11//ज्ञानु मानिकपुरी"दास"

"छत्तीसगढ़ महतारी"
________________
हमर "छतीसगढ़ महतारी" हे।
हम छत्तीसगढ़िया के चिनहारी हे।
छत्तीसगढ़ी गुरतुर सुघ्घर बोली हे
ऐहर साकक्षात् देवी के अवतारी हे।
ऐला कहिथें भैया 'धान के कटोरा'
संगे संग होथे घला ओनहारी हे।
हरियर हरियर सोनहा भुईया अंग हे
रुखराई,नदी नरवा सिंगार डोंगरी पहाड़ी हे।
जेखर बेटा मेहनती मजदूर अउ किसान हे
सेवा करत दिनरात बड़ भारी हे।
भाजी,सुकसा,रखियाबरी,कोंचई,जिमिकांदा
भाटा,खोईला,मुनगा,पताल चटनी तरकारी हे।
ईहा के पकवान ला का बतावव संगी
अईरसा,ठेठरी,खुरमी,बरा-सोहारी हे।
करमा,ददरिया,सुआ,जसगीत पहिचान हे
तिहार हरेली,तिजापोरा,होली,देवारी हे।
सुआ,मैना,कोयली सुघ्घर महिमा गावत हे
चरन् पखारत अरपा,पैरी,महानदी के अमरित धारी हे।
कोरबा के बिजली दुनिया भर बगरे हे
सोनाखान के सोना विकास मा हिस्सादारी हे।
कोइला,लोहा,अयस्क के भरे हे खदान
जड़ी-बूटी ,वनस्पत्ति के ईहा भरे भंडारी हे।
डोंगरगढ़ बमलाई अउ रतनपुर महामाई हे
दरसन पावत जम्मो सुघ्घर नरनारी हे।
राजिम परयाग जिहा खजुराहों भोरमदेव
कतेक ला बतावव संगी महिमा भारी हे।
गिरोदधाम ले बाबा घासीदास सत् के अलख जगईन
दामाखेड़ा मा सद्गुरु साहेब कबीर के अवतारी हे।
ये भुईया के पावन कोरा मा संगी
अवतरिन कतको रिषी मुनि ज्ञानी हे।
बिलासपुर मा सबले बड़े नियालय हे
सत्ताईस जिला हे अउ रयपुर राजधानी हे।
इही मया के मीत हे,इही मया के गीत हे
बन जाथे जिनगी भरके संग संगवारी हे।
हमर "छतीसगढ़ महतारी" हे।
हम छत्तीसगढ़िया के चीनहारी हे।
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी -21//10//गुमान प्रसाद साहू

विषय- मोर छत्तीसगढ़ महतारी
शिर्षक- मोर छत्तीसगढ़ महतारी, 
करँव तोर बखान ओ।
विधा- हरिगितीका छंद --------------------------
बोहावत हे अरपा पइरी,
महानदी ह साथ हे।
पाँव धोये सोंढूर हसदो ,
लिलाधर सिवनाथ हे।।
दक्षिण कोसल तैं ह कहाये,
माटी हे महान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।1।।
हरियर हरियर जंगल झाड़ी,
हरियर खेत खार हे।
बंजर में सोना उपजइया,
मजदुर खेतहार हे।।
सोन चिरईया तैं ह कहाये,
धान के खलिहान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।2।।
तोर कोरा म राजिम लोचन,
महामाया दाई हे।
दन्तेसरी,चण्डी,सीतला,
बम्लेसरी माई हे।।
जनम धरिन हे ऋषिमुनि गियानि,
अऊ मजदुर किसान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ ।।3।।
सुत उठके सब बड़े बिहनियाँ,
पग ल परथे तोर ओ।
दुख पीड़ा के हरईया हवस,
सबके दाई मोर ओ।।
बड़ मयारू मया के सबरी,
ममता के खदान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।4।।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा(महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी -21//9//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

"छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 21बर रचना"
विषय:---मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'रचना ल दोहा म लिखे के छोटकन प्रयास'
तोरे सुत उठ पैया लागव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
दक्षिण कौशल ओ दाई,तोरे जुन्ना नाव।
हमर कौशिल्या मां के,अंचरा सरिक छांव।।
दशरथ के ससुरार जे,राम के ममा गांव।
राम इही माटी तभे,आय हे कई घांव।।
बड़ भाग शबरी जेकर,बोइर खाये राम।
देख शिवरीनारायण,बनगे शबरी धाम।।
तोर पबरीत चरण मनावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
गुरू घासीदास लिये,गिरौदपुर अवतार।
सतनाम अलख जगाये,सत संदेश अपार।।
दामाखेड़ा ले बहे,कबीर बानी धार।
मनके मइल उजरा ले,भटकत हंसा तार।।
सतधरम के पालन कर,धर जीवन बर सार।
सत अहिंसा के रद्दा,खुश रइही संसार।।
मै घेरी बेरी गुन गावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
एक नवंबर दु हजार,पहिल पहर मुँधियार।
नवा छत्तीसगढ़ राज,बन होगिस तैयार।।
कोइला चुना टिन सोन,हीरा लोहा खान।
जमीन जरब दबे हवे,छत्तीसगढ़ खदान।।
साजा सरई साल हे, हे बीजा सैगोन।
तेंदू परसा पान हे,छोंड़ कहां जैबोन।।
मै कर जोरे माथ नवावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'धान के कटोरा'हरे,भरे घरो घर अन्न।
रीति नीति संस्कृति धरे,हे धरती संपन्न।
सिरपुर राजिम रतनपुर,अद्भुत भोरमदेव।
श्रद्धा भक्ति भरे हिया,परम नाम जप लेव।।
घोख घोख लिखेव करहु,लेखनी म 'अंजोर'।
छत्तीसगढ़ महतारी,कृपाशिष मिलय तोर।।
संझा बिहिनिया गोहरावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//8//अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

मोर छत्तीसगढ़ महतारी....
रंग रंग के गोठ ल गड़थे 
जमो संगवारी मन बड़थे
छत्तीसगढ़ के रहिया बने रहथे,
अंगरा के रोटी पीठा खाते रहथे।
दुसर के दुख म ख़ुद ह जागथे,
मोर छत्तीसगढ़ बने दिखथे।।
मिलजुल के सबो काम ल करथे,
बारी कोती ल दिन मन निन्दथे।
गाय मन बर पैरा भुसा बोरथे,
बारी म जोंधरी खीरा सुघ्घर बोथे।।
'धान के कटोरा' बर बड़े प्रसिद्ध हवय,
हीरा के खान लदे हवय देवभोग म।
गन्ना लगाथे गुड़ शक्कर बनाये बर,
धान के 'अमित' किस्म पाथे ईहा।।
छत्तीसगढ़ म नदिया है अरपा पैरी,
तांदुला गंगरेल डेम हवय बड़े बड़े।
मोबाइल के जमाना आगे हवय ईहा,
कोनो नई रहय मोबाइल के बिना।।
भोरमदेव हवय खुजराहो बर प्रसिद्ध,
लक्ष्मण मन्दिर हवय एकठन सिरपुर म।
छत्तीसगढ़ के प्रयाग हवय राजिम म,
मोर छत्तीसगढ़ सुघ्घर दिखथे हवय।।
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा जिला-कबीरधाम
छत्तीसगढ़ मो.-8085686829

पागा कलगी -21//7//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

..........मोर छत्तीसगढ़ महतारी..............
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लोहा धरे हे, कोइला धरे हे ,हीरा धरे हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
हंरियर लुगरा लाल होगे।
जंगल - झाड़ी काल होगे।
बैरी लुकाय हे ,पेड़ ओधा म,
ये का महतारी के हाल होगे?
होगे धान के , कटोरा रीता।
डोली-डंगरी बेंचागे,बिता-बिता।
घर - घर म, महाभारत माते हे,
रोवत होही देख,सबरी - सीता।
महानदी, अरपा ,पइरी म, आंसू भरे हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बम्लाई , महामाई , का करे?
बाल्मिकी , सृंगी,नइ अवतरे।
नइ मिले अब,धनी-धरमदास,
कोन बीर नारायन,बन लड़े?
कोन संत बने , घासी कस?
कोन राज बनाय,कासी कस?
कोन करे ,सिंगार महतारी के?
कोन सोहे , शुभ रासी कस?
सेवा-सत्कार भूलाके,तोर-मोर म पड़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म,पीरा धरे हे रे।
बर बुचवा होगे ,सईगोन-सरई सिरात हे।
पीपर-लीम-आमा तरी,अब कोन थिरात हे?
गाँव के नांव भर हे, गंवागे हे सबो गुन रे।
बरा - भजिया भूलागे, भूलागे बासी-नून रे।
महतारी के गोरिया अंग म,
करिया-करिया केरवस जमगे।
कुंदरा उझरगे, खेत परिया परगे,
उधोग,महल ,लाज,टावर लमगे।
छेद के छाती महतारी के,
लहू ल घलो डुमत हे।
करमा - ददरिया म नइ नाचे,
मंद - मऊहा म झूमत हे।
जतन करे बर दाई ह तोला,छ.ग.म गढ़े हे रे।
मोर छ.ग. महतारी,जिया म पीरा धरे हे रे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी -21//6//संतोष फरिकार

मय किसान अव हा मय ही अन्नदाता अव,
सब के पेट भराइया मय पालन कराइया अव,
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
दुख पीरा के चिनहाइया
गरीबी के पहचान अव,
बनिहार के संगी मजदूर कि मितान अव.
मय किसान अव.
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
भूखे पेट मय सुत जाथव.
कोनो भूख म कलपन नई दव.
सब के थारी म रोटी के देवाइया अव,
अमीर गरीब सब बर मही तो अन्न उगाइया अव.
मय किसान अव.
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
घाम छइहा पानी बरसा जाड म कमाइया अव.
धरती के सिंगार कराइया अव.
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
सब के सुनथो मय मोर कोनो सुनाइया नई हे.
अपन पीरा ल आंसू म पी लेथव,
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
बेटी के बिहाव म अपन आप ल बेचत हव.
बेटा के पढाई म पेट ल कटात हव,
दाई ददा के सहारा अव
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
नून बासी मोला सुहाथे.
मीठ बोली छत्तीसगढी के बोलाइया अव.
धरती महतारी के मान कराइया अव
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
जागर तोड मेहनत कराइया अव,
सबे जीव के पालन कराइया अव,
मय किसान अव हा मय अन्नदाता अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
*********************

संतोष फरिकार

पागा कलगी -21 //5//आर्या प्रजापति

( "मोर छत्तीसगढ़ महतारी " )
जिहाँ बड़ सुघ्घर बिहनिया ले बजे बंसरी,
बच्छर भर बोथे धान अउ बारी।
रात कन घलो करत रईथे जी रखवारी,
बासी चटनी लाथे मंझनिया सुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
महिमा हे तोरेच भारी,
नारी के तैं अवतारी।
जिहाँ बोहाय शिवनाथ के धारी,
जेखर कोरा म रूख अउ जंगल झारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
किसान के ईहा मोल हे भारी,
जेन हा धरे बाँस के डंडा अउ तुतारी।
जिहा पुजथे हॅसिया, कलारी,
माटी हावय मटासी अउ कन्हारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
बित जाय जिनगी जम्मो सरी,
तोरेच पांव के तरी।
जिहाँ के मनखे राहय संग के संगवारी,
मया रईथे बनेच भारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
जिहाँ तीज तिहारी,
हाॅवय इंहा मया के चिन्हारी।
वैसे अग्हन, पुस के जाड़ भारी,
गोबर म लिपाय घर-दुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
मनाथन खुश होके देवारी,
शंकर पारवती जी आथे बन के गौरा-गौरी।
जिहाँ के फटाका टिकली, अनार अउ सुरसुरी,
असनहे छाये रईथे गंजहा, दरुहा अउ जुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव - लमती ( सिंगारपुर )
जिला - बलोदाबजार ( भाटापारा )

पागा कलगी -21 //4//बी के चतुर्वेदी

"मोर छत्तीसगढ़ महतारी "
------- - -------- --------
"मोर छत्तीसगढ़ महतारी कहा
पन लुकवा आमा कस लुकागे
पता नही कोन वपहार हे ठीहा
कोन भीथिया भारा मा टंगागे"
महतारी के कोरा धान कटोरा
सगरो पेट भरे इतरावत हे
पांव के तरी मा नदिया उपका
तन मन सगरो फरियावत हे
भाठा भूर्रा के बात कहव का
धनहा --धनहा कस खेत बेचागे
सुवा , रहस ,गम्मत पंडवानी
सोहरबिहागीत ददरिया मरत हे
एठ मुरेरा कभु -कभार सुनाथे
लोक-- बाजा कहुं न बजत हे
अब लिखैया के बात कहौं का
छत्तीसगढ़ी भाखा कहां समागे
अंवतरगे कतका बोली बतरस
जौन चाहत बोली बोलत हे
कोनो नइ बोले इहां के भाखा
हजार के बीच अपने बोलत हे
तिहार उहार के बात कहौं का
भरे चउमास म तरीया सुखागे
जीये खाये बर आइन मनसे
अब उंखरे जमीदारी चलत हे
इहां के सीधवा सीधवा मनखे
बनिहारी बर दउड़ फिरत हे
बढ़िया के बात. कहौं का
जीयत उल्टा खटिया लटकागे
रयपुर तउलागे बनिया तराजू
बेलासपुर मींझरा मेछरावत हे
नांद गांव लगे गरबा के खेती
कैसनहा संसकार देखावत हे
रैगढ़ पखाल के बात कहौं का
कोरबा अंबिका छठ म बंधागे
आतंकी के रखवारी बरकस
बस्तर माटी म सेंध परत हे
कोन काय बिगाड़ही इंखर
चारो मुड़ा अंधियारी रेकत हे
गांवन गांव के बात कहौं का
जीयत मरत ले संग धरागे
ममहतारी कहे मा काय धरे
न बखान न आरती करत. हे
छींही बाती वअचरा के होवत
कहुं कारखाना अटारी बनत हे
अब नदिया के बात कहौं का
रेती निकलाई म पानी कहांगे
मोर महतारी के हरियर का्ति
सुरुज लाली गुलाल उडा़वत हे
चंदा अंजोरत फरहर फरहर
चिरइ चिरबुन तरीयाउडा़वत हे
अब बघवा के बात कहौं का
जम्मो जंगल गये फरियागे
सुनै न बोलै नही देखत कोनो
आज पीरा काला जनावत हे
देखे किसान बनिहार नौकरिहा
चांटी कस पाही रेंगत.जावत हे
ऐसनहा के का बात कहौ का
कोलिहा कस दिन मा डेरागे
बी के चतुर्वेदी
८८१५९६३३५

पागा कलगी -21//3//राजेश कुमार निषाद

।। मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
ये परदेशिया मन कतका राज करही अऊ कतेक जुलुम साहिबो येकर अत्याचारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
खाली हाथ आय रहिन बस हाथ में धर के झोरा।
लूट लूट के लेगत हे ये मन अब बोरा बोरा।
देखव परदेशिया के चाल कईसे हमन ल मुरख बनावत हे।
हमर महतारी के कोरा म आके हमी ल टुंहु देखावत हे।
अईसन मउका झन आवय सुध रखव राज दुलारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
छत्तीसगढ़ महतारी के लाज बचाये बर गोली खा लेबोन छाती म।
नवजवान लईका सियान सब हाँसत झूल जाबो फासी म।
अईसन लड़ाई लड़बो हमन जप के नाम बलिहारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
भाई चारा के पाठ ल मिलजुल के सब ल पढ़ाना हे।
मन म एक ही बात ठानव छत्तीसगढ़ महतारी के लाज बचाना हे।
मिलजुल के तुमन रहे बर सिखव फेर देखव का हाल होही ये मालगुजारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
कतेक सुघ्घर हावय छत्तीसगढ़िया मनखे मन
फेर देखव शासन हावय काकर ग।
दया मया येकर मन कस अऊ कहूँ नई मिलय
चाहे दुनिया म देखव तुमन जाकर ग।
दुरिहा राहव ये परदेशिया मन ले
नइये ये मन हमर चिन्हारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद( समोदा )
9713872983

पागा कलगी -21 //2//मनीराम साहू 'मितान'

@@मोर छत्तीसगढ़ महतारी@@
सुत उठ के तोला जोहारवँ,
दिन-रात करवँ तोर चारी।
जय होवय तोर, जय होवय,
मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
भारत माँ के दुलौरिन अस तैं,
तोला कइथे कटोरा धान के।
तोर मया म दुलराइस दाई,
बीर नारायन सोना खान के।
धन भाग हमु जनम पायेन,
पायेन तोर दुलार वो भारी।
जय होवय....................
रुखराई,खेत-खार दिखे तैं,
जीव,चिरई-चिरगुन,चाँटी म।
तोर दरस ल रोजे पाथवँ,
मोर गाँव के धुर्रा-माटी म।
सुग्घर तोर रूप हवय वो,
दिखथस कोदो-साँवर कारी।
जय होवय....................
खरतरिहा हे तोर लइका मन,
कर देथे पथरा ल पिसान वो।
उवत-बुड़त कमावत रइथे,
जेन मन ल कइथे किसान वो।
संगी उँकर नाँगर-बइला,
'तुलसी दल' हे उँकर तुतारी।
जय होवय.....................
तोर सेवा म जिनगी बीतय,
दे सकन समे म सीस वो।
सच के रद्दा ल झन छोड़िन,
दे अइसन हमला असीस वो।
जुर-मिल सुनता म राहन,
अइसने पटय सबो के तारी।
जय होवय..................
मनीराम साहू 'मितान'
कचलोन(सिमगा)बलौदाबाजार
(छ.ग.)493101
मो. 9826154608

पागा कलगी -21//1//श्रवण साहू

।।जय मोर छत्तीसगढ़ महतारी।।
जय जय हे छत्तीसगढ़ महतारी।
तोर महिमा जग मा बड़ भारी।।
ऋषि मुनि अऊ तपसी के डेरा।
सबो जीव जंतु के तैंहा बसेरा।।
हरियर हावय मा तोर कोरा।
रूप तोर मोहय चंद्र चकोरा।।
तीरथ तंही, तंही चारो धाम।
पांव रखे जिंहा मोर प्रभु राम।।
बड़ निक लागे धनहा डोली।
हवे सुग्घर तोर गुरतुर बोली।।
धान पान के तैंहा उपजईया।
सबो प्राणी के प्रान बचईया।।
बड़े बिहना कोयली गुन गाये।
चिरई चिरगुन महिमा बताये।।
नाचय रूखवा झुमरय खेती।
भारत मां के तैं दूलौरिन बेटी।।
नरवा, डोंगरी मन ला भाये।
परबत मुकुट शोभा बढ़हाये।।
तोर चरण मा माथ नवांवय।
तोर 'दुलरवा',गुन तोर गावय।।
रचना- श्रवण साहू
गांव-बरगा जि. बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा. - +918085104647