पागा कलगी-11 बर रचना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
पागा कलगी-11 बर रचना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 16 जून 2016

पागा कलगी-11//सुनिल शर्मा"नील"

""""बेटी ल पढ़ाव जी""""
~विधा-घनाक्षरी~
*********************************
जिनगी के अधार बेटी,घर के बहार बेटी
आवय गंगा धार बेटी,बेटी ल बचाव जी
बेटी चिरईया आय,आँसू पोछैया आय
बेटा-बेटी बरोबर ,भेद ल मिटाव जी|
बेटी छुही अगास,लाही नवा उजास
बेटी ल ओखर अधिकार देवाव जी
समाज म पाही मान ,लाही जी नवा बिहान
देके सुग्घर संस्कार ,बेटी ल पढ़ाव जी
हिरदे म सपना के ,गठरी बंधाय हे
कहत हे का नोनी के,हिरदे सुनव जी
पिंजरा के मिट्ठू ह ,उड़ना चाहे अगास
सुवना के थोरकुन, सपना ल गुनव जी
उचहा उड़ावन दे,गीत ल गावन दे
रद्दा के ओखर काटा,खुटी ल बिनव जी
आधा अबादी बिन हे,अभिरथा बिकास
बेटी के बिकास बर ,रद्दा ल गढ़व जी
नव दिन पूजे जाथे,"बेटी" देबी कहाथे
तभो ले काबर ओहा,दुख बोलोपाथे जी
कहु होथे बलत्कार,कहु पाथे दुत्कार
काबर ओहा भोग के,चीज माने जाथे जी
बेटी-बहनी-सुवारी,अउ बन महतारी
जीवन ल अपन सेवा म बिताथे जी
बदला म कभू कुछू,बपरी मांगे नही
तभो ले काबर बेटी,"गरुच"कहाथे जी|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
copyright

बुधवार, 15 जून 2016

पागा कलगी-11//अनिल कुमार पाली

छ ग के पागा कलगी 11
""बेटी ल शिक्षा संस्कार दौ
बेटी ला अब्बड़ मया अउ दुलार दौ।
जिनगी ला जीये के थोड़कीं अधिकार दौ।
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ।
थोड़कीं तो ओखर बर अपन व्यव्हार दौ।
बेटी ला जिनगी के अपन आधार दौ।
समाज ले लड़े के ता अधिकार दौ।
बेटी ला अब्बड़ मया अउ दुलार दौ।
पैर मा खड़े होय के ओला पहिचान दौ।
बेटी ला बेटी होये के ता अधिकार दौ।
अपन मया ले ओला शिक्षा अउ संस्कार दौ।
बेटी ला बने-बने ता विचार दौ।
खुशाली ला ओखर जिनगी म डाल दौ।
बेटी ला अब्बड़ मया अउ दुलार दौ।
जिनगी ला जीये के थोड़कीं अधिकार दौ।
बेटी ला तो शिक्षा अउ संस्कार दौ।।।
रचना-
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर(छ.ग)
मो-7722906664
ईमेल-anilpali635@gmail. com

पागा कलगी-11//दुर्गा ईजारदार

बेद-पुरान के बात अाय,एला तुमन मान लौ।
बेटी के जींहा होथे मान, देवता रहिथे जान लौ।
कहाँ जाबे मथुरा काँशी,तीरथ इही ल मान लौ।
जिनगी के हर पुन मिलही,बेटी ल शिक्षा अ�उ संस्कार दौ।।
बेटी लक्ष्मी,दुर्गा,सरस्वती हे,ए बात सब जान
लौ।
सच मे सेवा होही देवी के,तुमन अोखर अधिकार दौ।
नव सिरजन होही जग के,दामन बेटी के थाम लौ।
तीनों पुर के बात बनही,बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ।।
सीता ,सावित्री, अहिल्या,राधा,रूखमणी के
अोला संस्कार दौ।
रानी दुर्गावती, लक्ष्मी बाई के ,ओला तुमन हथियार दौ ।
किरण,कल्पना, लता,ऊषा,जइसे ओला ज्ञान दौ।


-दुर्गा ईजारदार

पागा कलगी-11//कुलदीप कुमार यादव

बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।
सबिधान के ओला अधिकार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।
कोनजनि समाज के कइसन लाचारी हे,
बेटा सुख पाये के सबो ला बिमारी हे ।।
बेटी हा तो दुनिया ला आघू बढ़ावत हे,
एकरे रहे ले तोर घर दुवारी जागत हे ।।
यहू ला बेटा कस दुलार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।01।।
बेटी ला घलो पढ़े बर स्कुल मा भेजव,
समाज बिकास के रद्दा नावा गढव ।।
यहू तोर घर मा सुख-शांति लाही,
पढ़ लिख बड़े अफसर बन देखाही ।।
पढ़ा लिखा के जिनगी एकर संवार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।02।।
ससरार मा रहे वो सुग्घर गावत झूमत,
सास ससुर संग बने रहे ओकर सुमत ।।
दुख झन हो कोनो ला ओकर धियान रखय,
अपन ले बड़का के ओहर मान करय ।।
बांधे रहे परिवार ला मया के अछरा मा,
ओला अइसन ब्यवहार दौ,
बेटी ला शिक्षा अउ संस्कार दौ ।।
रचना
कुलदीप कुमार यादव
ग्राम-खिसोरा,धमतरी
9685868975

पागा कलगी-11//मिलन मलरिहा

नोनी बाबू एक हे, झिन कर संगी भेद !
रुढ़ीवादी बिचार ला, लउहा तैहा खेद !!
लउहा तैहा खेद, समाज म सुधार आही!
पढ़ही बेटी एक, दूइ घर सिक्छा लाही !!
मान मिलनके गोठ, भ्रुणहत्या कर काबू !
भेज दुनो ल एकसंग, इसकुल नोनी बाबू!!
-
पुस्तक डरेस लानदे, बिसादे अउ सिलेट !
बरतन चउका झिनकरा, पढ़ाई ल झिन मेट !!
पढ़ाई ल झिन मेट, सिक्छा के अधिकार दे!
बेटी बने पढ़ाव, अउ चरित सन्सकार दे !!
आही सिक्छा काम, दुख-दरद देही दस्तक !
मनुस छोड़थे संग, फेर नइछोड़य पुस्तक !!
-
बेटी पढ़के बाँटही, गांव गांव म गियान !
परकेधन झिन मान रे, इही देस के जान !!
इही देस के जान, पढ़लिख नवाजुग लाही !
रुकही अतियाचार, कुकरमी दूर हटाही !!
मलरिहा कहत रोज, पुस्तक धरादे बेटी !
अबतो जाग समाज, सिक्छित बनादे बेटी !!
-
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

पागा कलगी-11//रामेश्वर शांडिल्य

बेटी बचाओ बेटी पढाओ.
योजना ल सफल बनाना होगी 
बेटी बेटा एक समान. 
लोगन ल बताना होगी ऩ
==================सीता राधा दुपर्ती कतका.
पढ़े लिखे रहीन ऩ
घर के शिक्षा संस्कार पाके.
आगू बढे रहीन ऩ
==================
बेटी हर घर ले ही.
संस्कार ले के जनम लेथे ऩ
कखरो ले कछु मांगे नही.
गियान के शिक्षा सब देथे ऩ
============= =====
दाई ददा मन बेटी बेटा ल.
अपन समझाव जी ऩ
पहली पाठशाला घर होथे.
घर के संस्कार बतावव जी ऩ
==================
बेटा बेटी नाती नतनीन सब ल.
पढे बर रोज भेजव इसकूल ऩ
पुस्तक पैसा ड्रेस मिलथे.
पढे लिखे म नई हे मशकुल ऩ
===============!===
बेटी पढ लिख के समझदार हो जाही.
मइके ससुरार के मन ओकर
गुन गाही ऩ
======== = ========
बेटी शिक्षा ले ग्यान के दीया. घर घर बरही ऩ
बेटी के अनपढ रहे ले.
घर दुवार मरघट लगी ऩ
==================
अब हम करजा ले के.
नोनी लइका ल पढाबोन जी ऩ
ओला शिक्षा संस्कार दे के.
सबले आगू बढाबोन जी
==================
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी-11//राजकिशोर पाण्डेय

पुरखा मन के जमो गलती सुधार लौ,
बेटी मन ला सिकछा अउ संस्कार दौ ।
इज्जत मरजाद के ओडहर म
अब मत फाँदव,
जुग ले धँधात आइन घर म
अब मत धाँधव ।
सुग्घर सपना ल इंकरो दुलार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
फरक ल बिसारौ अब बेटा
अउ बेटी के,
जनम ल अकरथा झन जाए
दव बेटी के ।
रहैं अबला झन एतका अधिकार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
जेतका सख होवय ओतका
उड़ाय दौ इनला,
जुग ले खुखुवावत हावय
जुड़ाय दौ इनला ।
हीन भावना ले सफ़्फ़ा उबार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
मुंडी के बोझा नौहै अइसन
बिसवास भरव,
दाईज देके इंकर कभु झन
बिहाव करव ।
इंकर हिस्सा म मया के पहार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
जेतका कन पढ़हत हें ओतके
कड़हन देवव,
सूरूज अउ चंदा के जात ले
चढ़हन देवव ।
जुन्ना रूढ़ही ले इनला उबार दौ ।
बेटी मन ला सिक्छा अउ संस्कार दौ ॥
🌷🌹राजकिशोर पाण्डेय 🌹🌷
नगर पंचायत मल्हार
जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़
मों नम्बर 9981713645
🌸🌷🌹🌻🌻🌻🌻🌻🌹🌷🌸

मंगलवार, 14 जून 2016

पागा कलगी-11//श्रीमती बसन्ती वर्मा

पागा कलगी 11 बर रचना-
कतका सुघर ये गोड़ हाथ
कमल फूल कस आंखी ।
जुग जुग जुगनी पुन्नी के चंदा
बेटी मोर आंखी के पुतरी ।।1।।
सबो संवागा रूप ल देके
बुद्धि ल काबर हर लेहे ।
मां ! आधा बुद्धि मोर ले लेते
अउ बेटी ला थोकिुन दे देते ।।2।।
महूं जी लेतेंव धरती मा
ओहू जी लेतीस धरती मा
हे मां सरस्वती रखबे मान
बेटी ल दे दे बुद्धि के दान ।।3।।
कोनो कइथे थेथेी ओला
कोनो पगली जोजलही
आन बर नून-समुंदर बेटी
फेर इस्कूल कइसे जाही ।।4।।
कोनो जहुंरिया चुंदी नोच के
कोनो कोथ के भागे
जोजहली ए झन खेलव
परोसी के बात सुनाथे ।।5।।
सात बच्छर के मोर दुलौरिन
आंखी म ढारत आसू ।
मोर लक्ठा मा आके बेटी
आंखी म आंखी मिलाथे ।।6।।
अपन भाग के कथा कुंतली
वो बिना कहे कहि जाथे ।
मोर मया आंसू अकरासी
टप-टप टप-टप टपटपाथे ।।7।।
कनी खोरी लूली हकली
इस्कूल सब्बो जाथे ।
गियान के गंगा लहर लहर
लक्ठा म लहर के आथे।।8।।
मोर बेटी बर काबर बैरी
गंगा ह लुकाए हे
कहाॅ खोजंव भागीरथी
जिहा ज्ञान के जोत जलाये हे ।।9।।
जेन दिन बेटी इस्कूल जाही
सब्बो पढ़ाई ल पढ़ लेही
क ख ग ले क्ष त्र ज्ञ तक
1, 2,3 ले 98, 99, 100 तक ।।10।।
त हे मां! मेला बुला लेबे
चाहे धरती ले उठा लेबे
नई तो मोला रहन देबे
बेटी के संग म जियन देबे ।।11।।
मैं हौं रक्षा कवच ओखर
मोर बिना नई जी पाही ।
अतेक बड़े दुनिया मा ओकर
पीरा ल कोन हरही ।।12।।
-श्रीमती बसन्ती वर्मा
एम.आई.जी. 59
नेहरू नगर, बिलासपुर
मो. 9826237370

पागा कलगी-11//सुनीता "नीतू "

बेटी ह लछमी आय
🌹🌹🌹🌹🌹
बेटी जनम होय हे
सुनके अब झन रो ।
बेटा ले सुग्घर हे बेटी
हिरदे ले महसूस करो ।
फुरफुनंदी कस
खेलहि अंगना म ।
अधिकार ये ओखर,
बेटी ल जीयन दौ ।
बेटा खेलय गुल्ली डंडा
बेटी ल झन रोको ।
फुगड़ी, बिल्लस,
बेटी ल खेलन दौ ।
मानत हँव संगी
जमाना खराब हे,
फेर हर बात म
अतका झन टोको ।
मन मार के
जिहि कइसे ,
अपन मन के ओला,
ओढ़ना पहिनन दौ ।
हाड़ मांस के
पुतरी नोहय ।
कभू तो ,
मन के तोह लौ ।
बेटी हरे घर के
मान सम्मान ।
बेटी ला घला
शिक्षा संस्कार दौ ।
नीतू के सीख हे
बेटी ल मया दौ ।
पीरा हरैया बेटी ल
घर के लछमी समझौ ।
सुनीता "नीतू "

पागा कलगी-11//दिनेश देवांगन "दिव्य"

विषय - बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ
विधान - घनाक्षरी छंद
तुलसी ये आँगन के, बदरा ये सावन के
बगराही हरियाली, बरखा बहार दौ !
गंगा सही पावन हे, रुप मनभावन हे
मन झन मैल भरौ, पावन विचार दौ !
सुरुज किरण बने, जग ला अंजोर करे
काली घटा बन जम्मो, नहीं अंधियार दौ !
रुपया के चाह नहीं, मया बस मांगथें जी
अपने लुटाके मया, सुघ्घर संसार दौ !
बेटी ला बेटा से कम, कभूँ मत जानिहौ जी
नाम तोरो बगराही, वैसे अधिकार दौ !
गोड मा तो अपनेच, खड़े होके दिखलाही
जीत जाही दुनियाँ ला, ज्ञान के आधार दौ !
आटो रिक्शा ट्रेन बस, सबला चलावत हे
देश ला चलाही ऐसे, शिक्षा संसकार दौ !
दुर्गा काली सीता लक्ष्मी, सबके हे रुप धरे
देखन दौ दुनिया ला, कोख में ना मार दौ !
बेटी ले जहान हावैं, बेटी हा महान हावैं
बेटी ला तो गारी नहीं, मया व दुलार दौ !
कन्यादान ददा दाई, भाई से राखी कलाई
माँगे अधिकार बेटी, ओला अधिकार दौ !
एक बेटी तहूँ दाई, फेर काके करलाई
नाच गाही संग तोरे, खुशियाँ हजार दौ !
खेल अऊ राजनीति, सब मा बढ़े हे बेटी
तोरो बेटी बने तारा, हौसला अपार दौ !
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
9617880643

पागा कलगी-11//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

कतिक दिन ले सुते रहू,
अब तो आँखी उघार देव।।
बेटी ल घलो बेटा कस,
सिक्छा संस्कार देव.......।।
भले देस-राज,घर-दुवार,
खेत-खार जतने हे ।
तभो ओखर सपना,
आज घलो सपने हे ।
नई कहि सके मन के गोठ,
आंसू ल अपन पीये हे ।
दबे-दबे आज तक,
बेटी महतारी जीये हे ।।
बिगड़े परिपाटि ल,
झटकुन सुधार देव..........।।
बेटी ल घलो बेटा कस,
सिक्छा संस्कार देव..........।।
बेटी के हाल आज,
खेती कस होगे हे।
भाय नही कोनो,
बेंच-भांज के सोगे हे।
बिधाता बर सबो,
मनखे बरोबर हे ।
तभो बेटा के आस अतीक,
काबर घरोघर हे?
भेदभाव के गघरी ल,
धरके कचार देव...........||
बेटी ल घलो बेटा कस,
सिक्छा संस्कार देव........||
लिखहि-पढ़ही ,
तभे आघू बढ़ही ।
त बेटी घलो अपन,
मन के कुछु करही।
लड़ही बिपत अउ,
समाज के बुराई ले।
पढ़ाये बेटी ल,
बिनती हे ददा-दाई ले।
पढाके बेटी ल,
अपन संसो-फिकर ल मार देव.....||
बेटी ल घलो बेटा कस,
सिक्छा संस्कार देव.................||

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795
पसंद करेंऔर प्रतिक्रियाएँ दिखाएँ

सोमवार, 13 जून 2016

पागा कलगी-11//हेमलाल साहू

कल्पना, किरण बेदी कस, नोनी ला उड़ान दौ।
पढ़ा लिखा के अब नोनी ला, सुघ्घर संस्कार दौ।।
लछमी होथे नोनी घर के, ओला अपन मान दौ।
बाबू कस नोनी ला संगी, समाज म अधिकार दौ।।
नोनी बाबू एक हवे जी, सबला जगत आन दौ।
अपन दुवा भेदी ल मिटा के, सबला ग सम्मान दौ।।
रानी लछ्मी बाई कस अब, नोनी ल तलवार दौ।।
दुर्गा काली चण्डी कस अब, नोनी ला हुंकार दौ।।
हेम करत गोहार हवे, नोनी ला बने दुलार दौ।
सुघ्घर समाज ला लाये बर, ज्ञान ला भरमार दौ।।
पढ़े लिखे हमार समाज हा, नवा अपन बिचार दौ।
पढ़ा लिखा के अब नोनी ला, सुघ्घर संवार दौ।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा
मो. नम्बर 9977831273

पागा कलगी-11 बर//अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

स्कूल हवय तीरे तीर मा गुरूजी हवय सबे जगहा ,
स्कूल के आदि है सबे मनखे मन के गोठ ले पगहा ।
नरक तो भगवान मेरान होथे कहते हवय मनखे मन ,
बिटिया के नरक तो बिन पढ़ई बिहाव से होत हवय ।।
बेटियां की जिन्दगी गुजरत हवय बड़े दुःख अउ संघर्ष मा ,
ना तो स्कूल जाये बर बोलते कोई ना ही संस्कार देथे ।
बेटी के उमर होते 18साल तहले स्कूल नाही भेजता हवय ,
बड़के मन ओला कुछु सीखे के बेरा मा कर देथे ओखर बिहाव ।।
बेटी में जतका संस्कार होथे ओहा पूरा गढ़ते हावय ,
नही ता आज अबड़ मनखे मन बिन संस्कार के होतीन ।
दूत बनके आथे बेटी मन हा दुनिया ला गढ़े बर ,
बिटिया के बिन तो दुनिया अजनबी हवय बरोबर हे।।
बेटी मनके पढ़ाई मा जोर देना हवय ,
तभे दुनिया मा पढ़ाई बरोबर रहाई ।
संस्कार ले घर परिवार सुघ्घर बसथे ,
दुनिया मा संस्कार अउ पढ़ाई बने हे ।।
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
"बेटी की भविष्य अब हमारे पक्ष से बढ़कर हैं अनमोल हीरे की तरह बेटी की पढ़ाई और संस्कार बेटी की गरिमा बनाये रखते हैं। संस्कार की सबसे बड़ी जीत की पैगाम हैं बेटी की मान सम्मान बनाये रखना और बेटी को हमेशा समाज के हित को ध्यान में रखकर ऊँचे बुलंदियो शिखर का रास्ते उड़ान भरना चाहिए।"
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
"एक बेटी शिक्षित तो समाज शिक्षित हो जाता हैं और एक बेटा शिक्षित तो सिर्फ वहि बस शिक्षित समाज शिक्षित होता नही है।"
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

पागा कलगी-11//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

पढ़े लिखे हवे दुनिया, संस्कार ल भुलाय।
बिना संस्कार मनखे, मान कहा ले पाय।
दू अक्षर का पढ़ लेथे, छूटगे शरम लाज।
भुल जथे अपन बिरान, नइये लोक लिहाज।
पढ़े लिखे के संगमा, संस्कार हे जरूरी।
बेटी जग के आधार, बेटी जग क धुरी।
बेटा बेटी मा भेद, अलग अलग हे मान।
आँखी खोलके देखव, दुनो हे एक समान।
बेटा सही ग जानके, दव मोला अधिकार।
महू पढ़ लिखके पावव, शिक्षा अउ संस्कार।
फइले समाज में ब्यार, दूर करी सब आज।
आवव मिलके सब गढ़ी, भेदभाव मुक्त समाज।
पढ़व लिखव आगू बढ़व, जगमा होवय नाम।
संस्कार हर झन भुले, मतकर अइसन काम।
पढ़े लिखे फेर बेटी, रीति ल झन भुलाबे।
सबके तय मान करबे, नीति ल गोठियाबे।
बेटी महतारी पत्नी, हावे अनेक रूप।
सबके तय मान राखे, रिश्ता के अनूरूप।
संस्कार ल झन भूलाय, कतको पाके शिक्षा।
दे दव बेटी ल अइसन, संस्कार के दिक्षा।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी (कवर्धा)
9993240143

पागा कलगी-11 //आशा देशमुख

मोर सुन रे मैंना 
एक बात बतावंव
पिंजड़ा ले निकल तो
एक भेद बतावंव
रचिस विधाता जब दुनियाँ ला
माटी लाय कुँवारी
अइसन गढहव मनखे ला जे
होवय सबले भारी
माटी के लोंदा ला सानय
रंग रूप ला डारय
गुण धरम अन्तस् मा राखय
छिनी हथौड़ी मारय
भेजय मनखे ला धरती मा
रूप दिए नर नारी |
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
अब्बड़ सोचंव् गुनंव सुनंवमैं
तब मन मा ये मानंव
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
माला कस मैं जानंव
सूत अलग हे फूल अलग हे
जुलमिल संग गुहाये
निरमल करम धरम के गुन मा
देवन गला सुहाए
अइसे तोरो गुण ममहाये
खोर डहर घर दुवारी
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
मोरो मन के हंसा हा तो
धरती अकास घूमय
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
रूप तराजू देखय
एक तराजू के दू पल्ला
दूनो बरोबर राखव
आखर आखर भर लौ बोरी
लाज ल अँचरा ढाँकव
लोहा के छुट जाय पसीना
अइसन रखव तुतारी
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
अब्बड़ खोजव अब्बड़ देखव
तब मन मा ये मानंव
शिक्षा अउ संस्कार ला मैना
दियना कस मैं जानंव
तेल दिया अउ बाती मिलके
जगमग ज्योत जलाये
अँधियारी अउ उजियारी के
जग ला भेद बताये
अइसन दिया दिखावव जग ला
मिटै अमावस कारी |
मोर सुन रे मैना
एक बात बतावंव
पिंजड़ा ले निकल तो
एक भेद बतावंव |
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
नर्मदा विहार बी . 1983

पागा कलगी-11//अमन चतुर्वेदी *अटल*

मोर दुलउरिन बेटी
==============================
सुघ्घर राग सुनावत हे
महर महर महकावत हे
मोर मुड़ के पागा बनगे
मोर दुलउरिन आवत हे
जनम धरिस मोर घर मे
अंगना मे खुशी छागे
मोर गोदी मे खेल कुद के
घर ला मोर महकादिस
मोर दुलउरिन बेटी ला मैं
पढायेंव लिखायेंव सिखा के
अपन संग मोला संगी बनाके
मोर घर अंजोर बगरावत हे
मोर मान ला बढाइस बेटी ह
जग म नाम कमावत हे
मोर कुटुम्ब ला तारिस संगी
आज दुसर कुल ला तारत हे
मोर मयारु बेटी आवत हे
गांव ला आज महकावत हे
बेटी के आये ले आज संगी
जग मे खुशी बगरावत हे
उही पाय के काहत हंव संगी
बेटी ला पढ़ाव बेटी ला बचाव
सिक्छा अउ संस्कार देवव
सबके मान ला आज बढा़वत हे
मोर घर अंगना ला तार दिस
अब कोनो के कुल ला तारत हे
मोर दुलउरिन मयारु बेटी ह
आज महर महर महकावत हे
बेटी बनगे बहिनी बनगे नोनी ह
कोनो घर के बनत हे बहुरिया
मया म हम बंधागेन नोनी के
बनादिस सब ला संगी जहुंरिया
अपन घर के मान बढ़ावव
बेटी पढ़ावव बेटी बचावव
आज मया.के गीत सुनावत हे
मोर दुलउरिन बेटी आवत हे
मोर दुलउरिन बेटी आवत हे
�अमन चतुर्वेदी *अटल*
बड़गांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
09730458396

पागा कलगी-11//चोवाराम वर्मा "बादल"

बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
बेटा कस मया दुलार दौ।
बेटी फुलकैना ,कोयली मैना
जिनगी म रस भर देथे।
दाई ददा के बन दुलौरिन
हिरदे के दरद हर लेथे।
बेचारी झन बनै,उबार दौ। ।
मइके ससुरे दुनो मुहाटी,
बेटी अंजोर बगराथे।
एक जगा कन्या रतन त,
उँहा धन लछमी कहाथे।
जग के जगतारण ल,सिंगार दौ
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
गऊ माता कस निच्चट सरु,
सब जोर जुलुम सहि लेथे।
मुंह फुटकार कभु नई कहय
बस चुपे चाप रो देथे ।
ए गंगा ल धरती म उतार दौ।
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
जेन कथे पर धन बेटी,
बड़ मुरख अज्ञानी हे ।
कन्यादान महादान जेन,
समझिच तेन बड़ गियानी हे।
बहु घलो बेटी ए,सम्मान दौ ।
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दौ
(रचनाकार--चोवाराम वर्मा "बादल")

रविवार, 12 जून 2016

पागा कलगी-11//ललित टिकरिहा

बेटी ला कमती झन जानव,
बेटा ले अलगे झन मानव,
नवा सुरुज जुर मिल के लानव
जिनगी म उजियारा लाय बर
भाग ल इंखर संवार दव
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
दाई ददा के दुनिया म जगमग,
कतको नाम करत हे बेटी मन,
नई घुँचत हे पाछु थोरको अब
सब काम करत हे बेटी मन,
अब हिम्मत ल इंखर जान लव
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
बेटी दया मया के सागर हे,
परेम के छलकत गागर हे,
दू ठन कुल के मान खातिर,
जिनगी जेकर निवछावर हे,
दुर्गा , लछमी जस मान दव,
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।
घर अंगना के सम्मान बेटी,
दाई ददा के पहिचान बेटी,
किरन , कल्पना ,नीरजा सुनीता,
सरग छुवइया महान हे बेटी,
महानता ल इंखर सम्मान दव,
बेटी ल शिक्षा अउ संस्कार दव।।
🙏
रचना...............
11-06-2016 📖
🙏ललित टिकरिहा🙏
सिलघट(भिंभौरी)

शनिवार, 11 जून 2016

पागा कलगी-11//सूर्यकांत गुप्ता

बेटी ला शिक्षा अउ सन्सकार दौ
बिन शिक्षा सँसकार के, जिनगी बिरथा जान।
मानुस तन हम पाय हन, बन के रहन सुजान।।
बेटा अउ बेटी घलो, शिक्षा के हकदार।
संस्कार के आज हे, दूनो ला दरकार।।
नर नारी बिन जगत के, रचना कइसे होय।
कोख म बेटी जान के, मनखे काबर रोय।।
दाई देवी मान के, पूजौ पथरा चित्र।
घर मा ओकर प्रान के, काबर भूखे मित्र।।
मन के मैला ला घुरुवा मा डार दौ।
बेटी ला शिक्षा सँसकार दौ।।
देखौ बेटी मन बढ़ चढ़ के कइसे आघू आइन।
जीवन के हर क्षेत्र मा देखौ कइसे नाव कमाइन।।
रानी लछमी के कुरबानी कइसे कउनो भुलाही।
मदर टेरेसा के ममता के सबला सुरता आही।।
अंतरिक्ष के सैर करइया कल्पना भर नोहै।
बेटी कल्पना चावला नाव जगत मा सोहै।।
खेल जगत मा चमकिन बेटी, सानिया सायना जानौ।
मेरी कॉम के बॉक्सिंग क्षमता काबर नइ पहिचानौ।।
शासन के तो सबो महकमा, बिटिया मने सम्हालैं।
मऩोरंजन के छेत्र मा देखौ, डंका अपन बजालैं।।
कतका कतका नाँव गनावौं, लंबा हावै सूची।
मानैं इँखर जीवन शैली, सफल होय के कूची।
फेसन संग मरजादा अउ सालीनता अपनालौ।
दुराचार व्यभिचार ले भाई, बेटी मन ल बचा लौ।।
अलग अलग कर्तव्य निभाथे, मइके ससुरे बेटी।
सबके सुख दुख मा तो आखिर कामेच आथे बेटी।।
मन ले दाई ददा सबो झन, बेटी के अवतार दौ।
ओकर सदा सुखी जीवन बर शिक्षा अउ संस्कार दौ।।
जय जोहार...
सूर्यकांत गुप्ता
1009 लता प्रकाश,
वार्ड नं. 21, सिंधिया नगर
दुर्ग (छ. ग.)

पागा कलगी-11//सुधा देवांगन

बेटी बर सिक्छा अऊ
संस्कार
--------------------------------------
विकसित होथे दुनिया देश समाज,
बेटा ले बंस बेल बाढ़थे किथें
दुनिया के अजब होगे रिवाज।
बेटी ददा के दुलारी,दाई के संगवारी ए ,
भाई बर मया,सनेह के छलकत
गंगार ए।
बेटा ले कम झन समझव,नो है
धरती के भार
बेटी हे धरती के आधार।
दु आखर पढ़ लिख लिही नई
जावय बेकार,
ओ हर कोयली ए बोहावत रसधार,
ओकय ले हावय जिनगी मेरी झनकार।
दु कुल के मान बढ़ाथे दूर होथे
अंधियार,
बेटी ह थामहे हावय संसकीरिती
अऊ संसकार।।
-----------####-------------
सुधा देवांगन
क्वा. नं.--99/B/1
बालको नगर कोरबा
(छ. ग.)