सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 04‘ के परिणाम

//छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 04‘ के परिणाम//

संगी हो जय जोहार
छत्तसगढ़ के ‘चित्र आधारित‘ विषय मा ये संगी मन के रचना प्राप्त होइस - 1. श्री आचार्य तोषण सरस्वती शिशु मंदिर डौंडीलोहारा जिला-बालोद(छ.ग.)४९१७७१ 2.श्री देव हीरा लहरी चंदखुरी फार्म मंदिर हसौद रइपुर छत्तीसगढ़ 3.श्रीराजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद(समोदा) 4.श्री सुखन जोगी डोड़की वाले 5.श्री हेमलाल साहू 6.श्री देवेन्द्र कुमार ध्रुव बेलर जिला गरियाबंद 7.श्री -आशा देशमुख 8.श्री सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.) 9.श्री चैतन्य जितेन्द्र तिवारी (थान खम्हरिया) 10.श्रीदिनेश देवांगन "दिव्य" सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़) 11.श्रीहर्षल यादव वरोरा,चंद्रपूर ,महाराष्ट्र 12.श्रीअशोक साहू, भानसोज 13.श्रीललित साहू "जख्मी" ग्राम- छुरा जिला - गरियाबंद (छ.ग.) 14.श्रीअमन चतुर्वेदी "अटल" बड़गांव डौंडी लोहारा बालोद छत्तीसगढ़ 15.श्रीसूर्यकांत गुप्ता 1009 सिंधिया नगर दुर्ग 16.श्रीललित टिकरिहा 17.श्रीललित वर्मा, छुरा जम्मो रचनाकारमन के रचना घाते सुघ्घर रहिस सबो संगी मन ला ऐखर बर बधाई अउ धन्यवाद । येदरी के सुघर विषय ‘चित्र ‘ ये दरी के मंच संचालक मिलन मलरिहा हा दे हिस लगातार 15 दिन ले सबो के रचना मा सुझााव रखिस । भाई मिलन मलरिहा ला हृदय ले आभर । पागा कलगी 04 के निर्णायक 1. कवि सुशिल भोले(रायपुर) 2. अंजनी कुमार अंकूर (रायगढ़) रहिन । आप दुनो सबो रचना ला ध्यान से मूल्यांकन करेंव अउ अपन निर्णाय देव । आप दुनो निर्णाक ला साधुवाद । निर्णायक महोदय मन दे गे के वित्र के अनुरूप भाव, शब्द चयन आदि के आधार मा अपन निर्णय रखिन । आप मन के निर्णय अनुसार ये दरी के पागा ला भाई अशोक साहू, भानसोज ला पहिराये जात हे । भाई अशोक साहू ला गाड़ा-गाड़ा बधाई -छत्तीसगढ़ी मंच, छत्तीसगढ़ी साहित्यिक समूह

‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 05 के विषय

//छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 05 के विषय//
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दिनांक-1 मार्च से 15 मार्च 2016
विषय- हमार नदावत खेल (छत्तीसगढ़ के जुन्ना खेल)
विधा - विधा रहित
मंच संचालक-श्री अशोक साहू, भानसोज (पागा 5 के विजेता)
निर्णायक-दीदी शकुंतला शर्मा अउ दीदी शकुंतला तरार
संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर
‘छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र-5‘ बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा भेज सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
3- whatsapp-9977069545
4-whatsapp-+917828927284
5-whatsapp-+919098889904
6whatsapp 9770330338
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।
-छत्तीसगढ़ी मंच,छत्तीसगढ़ी साहित्यिक समूह

पागा कलगी ४//ललित वर्मा, छुरा


🙏भोंदू-भवानी के गोठ🙏
भोंदू: ये सिढिया वाला फोटू ह का हरे ग भईया?
भवानी: ये सरगनिसईनी ताय जी भाई
भोंदू: कईसन भईया,बने फोर के बता न गा
भवानी: ले सुन त-----
बढ़िया करम ल करबे भाई,-२
सरग म तैं चढ़ जाबे
रद्दा ल चलबे मानवता के,
सरग ले उपर जाबे
करम ह तोर गिनहा रखबे त,
नरक म तैं गिर जाबे
अउ कोन जनी फेर कब भाई,
ये मानुस तन ल पाबे
रद्दा चलबे---------
सेवा कर जी दाई-ददा के,
सरवन तैं कहाबे
सत बर जीबे सत बर मरबे त,
ए सिढिया ल पाबे
रद्दा चलबे-------
दीन-दुखी के पीरा हर तैं,
असीस पिरीत कमाबे
दया-मया के बीजा ल बोके,
परमानंद फल खाबे
रद्दा चलबे---------
बढ़िया करम ल करबे भाई,-२
सरग ल तैं चढ़ जाबे,
रद्दा चलबे मानवता के,
सरग ले उपर जाबे
सरग ले उपर जाबे।।
रचना:-ललित वर्मा, छुरा
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

पागा कलगी ४ // ललित टिकरिहा

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक 4
👳🏼👳🏼👳🏼👳🏼👳🏼👳🏼👳🏼
🌈🌈🌈🌈🌈🌈🌈
           बर रचना
          🍃🍃🍃
"सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ"
    🏂🏂🏂🏂🏂        
चलव जिनगी ला अपन गढ़ लौ,
धरम के रद्दा म आगु बढ़ लौ,
दाई ददा के सेवा जतन ल करके,
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।।
जिनगी के डोंगा खोय बरोबर,
धरती मा बिजहा बोय बरोबर,
सरवन कस कांवर  म धर लौ
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।
ये जिनगी के हरय देवइया,
इहि हरय जी करम लिखईया,
दाई  ददा  के  पइया  पर लौ,
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।।
अपन लहू ल बना के पसीना,
भाग ल हमर सुग्घर सजईया,
करके सेवा भवसागर तर लौ,
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।।
संतन मन जेकर मरम बताये,
मानुष तन बड़ भाग ले पाये,
मउका ला झन बिरथा कर लौ,
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।
सरग के सीढ़िया म चढ़ लौ।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
..................✍
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏
२७-२-२०१६

पागा कलगी - 4//सूर्यकांत गुप्ता

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी - 4
छत्तीसगढ़ के पागा कलगी चार
गुनत हौं मने मन, कइसे पांव मड़ाई
सरग के पहिलिच सिढ़िया मा यार
रग रग मा मोर भरे सुवारथ
कंहा लुकागे तैं परमारथ
कइसे भुलागे जिनगी के दिन चार
गुनत हौं मने मन कइसे पांव मड़ाई
सरग के पहिलिच सिढ़िया मा यार
ददा दाई ला संग नई राखन
बने असन तको नई भाखन
काबर लागैं बपुरा बपुरी बेटा बहू बर भार
गुनत हौं मने मन कइसे पांव मड़ाई
सरग के पहिलिच सिढ़िया मा यार
कलजुग के परताप ये भाई
छोड़ अपन दूसर बर धाई
रात दिन सुख खोजत रहिथन
पाप के तरिया मा खाली डुबकी मार
गुनत हौं मने मन कइसे पांव मड़ाई
सरग के पहिलिच सिढ़िया मा यार
जय जोहारर।।
सूर्यकांत गुप्ता
1009 सिंधिया नगर दुर्ग 

पागा कलगी 4//अमन चतुर्वेदी "अटल"

विषय - चित्र अधारित 
"सरग निसइनी"
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जिनगी के मोर लगे हे दांव
कइसे बढ़ावंव मोर पापी पांव
झूठ लबारी रग रग म बस गेहे
कइसे मिलही मया के छांव
सरग निसइनी के लगे हे आस
फेर कोनो गुन नइ हे मोर पास
दाई ददा ला कभु मानेंव नही
कोनो ला अपन जानेंव नहीं
ये स्वारथ के दुनिया हे
महु भुला गेंव स्वारथ में
दान धरम कभु जानेंव
मर गेंव सकल पदारत में
सरग निसइनी के दिखत हे छांव
फेर माड़ नइ पावत हे मोरो पांव
मैं मुरख हौं अग्य़ानी हौं
जिनगी के मोर लगे हे दांव
-----------------------------------------
रचना -अमन चतुर्वेदी "अटल"
बड़गांव डौंडी लोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
मोबा :- 0973045839

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

पागा कलगी 4// ललित साहू "जख्मी"



सरग की सीढीया

सीढीया देखाय सरग के
हर बखत सबला भगवान
तोर मोर मे सब फंदा गे
भुला गे एकता के ज्ञान

जोरिया के धरती आकाश ला
देखाय हे अपन कला विज्ञान
वोकर सिरजाय कन - कन हरे
मईनखे, माटी अऊ ये जहान

सबके गोड मया के डोर बंधाय
मोहाय हे मितानिन बर मितान
हो जाही माटी के चोला माटी
अबुझ मईनखे हे गा अनजान

भटकत जीव खोजत रद्दा सरग के
करत हे पूजा घोलण्ड के उतान
करो बिन स्वारथ जीव सेवा
सरग के सीढीया इही तै जान

जे चढ जात हे दु सीढीया कनहो
समझत हे खुद ला बड. महान
कतको तै जेवर गहना लाद ले
संगवारी हे फकत जात ले समसान

अपन करनी कई जुग ले भोगबो
जेन करबो दाई ददा ला हलाकान
कहां खोजत हस रे मईनखे तेहा
इही तो हरे धरती के भगवान ।।

रचनाकार - ललित साहू "जख्मी"
ग्राम- छुरा जिला - गरियाबंद (छ.ग.)
मों. नं - 9144992879

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

पागा कलगी 4//अशोक साहू


।सरग पाये बर सिढिया।

कतको कूद ले भूंईया म
ऊंच आगास छुवावय नहीं।
करम सच्चा करे बिना
सरग ह टमरावय नहीं।
जाना हे ऊंचहा जगा तोला
सीढिहा चढहेच ल परही।
मन म राख भरोसा संगी
रसता गढहेच ला परही।।
फूंक फूंक के पांव मढहा ले
एकक सिढिहा चढहत जा।
लहुट झन देख पाछू डाहर
आगु डाहर बढहत जा।।
सरग चढहे के सिढिहा तौर बर
दया धरम अउ सत ईमान।
ईही करम अपनाबे संगी
पाबे सरग अऊ बनबे महान।।


अशोक साहू, भानसोज

पागा कलगी -4//हर्षल यादव

छत्तीसगढ़ी कविता प्रतियोगिता
छत्तीसगढ़ के पागा कलगी भाग - ०४
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सरग निसईनी
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जिहा नीलगगन मिलाफ होवाथे
सागर अमृत जल बरसावाथे।
चंदाके अंजोरी रात मा
मोर छत्तिसगढिया दाइ
सरग नीशयनी बनावाथे
भाखा के गूरतुर बोलि
पवनराज सुनावाथे
देख अपरिचित बेला
रात भि मुस्कावाथे
करम करम के पयडगरी मा
चमन बहार बिछावाथे
आज अपन लइक ला
सरग के राह दिखावाथे
धन्य हे मोर छत्तीसगढिया महतारी
माथ हमन नमावाथन
तोर मया के अंजोरीला
जम्मो मे बगरावाथन
----------------------------------------
रचना - हर्षल यादव
वरोरा,चंद्रपूर ,महाराष्ट्र

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

पागा कलगी - 4 //दिनेश देवांगन "दिव्य"

 चित्राधारित मोर गीत
"कइसे उतरे तोर देउता"
सड़क सूना सरग के हावय, सूना हावय द्वार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
राम भरत कस नइये भाई, नई सुदामा मीत !
नइये बेटा अब सरवन कस, होगे अइसे रीत !!
घर घर रावण बइठे हावय, नई राम अवतार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
मनखे मनखे होगे दुसमन, पइसा के बस मोल !
हालत देखँव जब धरती के, हिरदय जाथे डोल !!
पेट भरे बर नारी करथे, अपने देह बयापार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
लछमी माता गऊँ मात ला, मानय पहिली लोग !
माँस चीर के ओखर तन ले, करथे अब तो भोग !!
माँस खवइया दानव ले अब, भरगे ये सनसार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
बेटी बोझ ददा बर होगे, कोख उजारे आज !
पनही समझे पग के ओला, कइसे तोर समाज !!
दाई तोर घलव इक बेटी, मानँव गा उपकार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
काट काट के पेट ला अपन, देथें अन्न किसान !
तीपत गरमी अउ जाड़ा मा, करथे कर्म महान !!
आज झूलथे वो हर फाँसी, बना घेंच के हार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
सड़क सूना सरग के हावय, सूना हावय द्वार !
कइसे उतरे तोर देउता, बढ़गे पापाचार !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
9827123316
9617880643

पागा-कलगी क्रमांक 4//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी


(भुईयाँ ला सरग बनाबो गा)
......."....."....."......"......
चलव हो संगी जुर-मिल के
भुईयाँ ला सरग बनाबो गा...
भुईयाँ लगय ये सरग कस
चल अइसन रद्दा बनाबो गा.....
नरक हे जीवन बिन शिक्षा के
शिक्षा के मरम ला बताबो गा...
बिद्या ला कइथे मनखे के गहना
चल शिक्षाके अलख जगाबो गा..
चलव हो संगी जुर-मिल के.....
बेटी ला पढ़ाबो बेटी ला बचाबो
पढ़ाके आत्मनिरभर बनाबो गा...
बेटी हमर दोनों कुल ला तारहि
चल नारी ला साक्षर बनाबो गा...
चलव हो संगी जुर-मिल के.......
भुईयां हमर मरत हे पियास
भुईयॉ के पियास बुझाबो गा..
खूब बरसहि बरसा के पानी
चलव जुर-मिल पेड़ लगाबो गा..
चलव हो संगी जुर-मिल के
भुईयां ला सरग बनाबो गा...
भुईयाँ लगय ये सरग कस
चल अइसन रद्दा बनाबो गा..
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
(थान खम्हरिया)
CR...............

पागा-कलगी क्र.4 //सुनिल शर्मा"नील"

"""चलव बनाबो अइसन दुनिया"""
*********************************
जिहां बेटी ल जीए के अधिकार मिलय
दहेज खातिर कोनो बलि झन चढ़य
झन होवय आत्महत्या किसान के
जुरमिल खावय सब रोटी ईमान के
गिरय अमीरी अउ गरीबी के भीतिया
झन सोवय कोनो भूखे पेट रतिहा
साफ-सफई रहय गाँव,गली,खोर
शिक्षा के फइलय घर-घर अंजोर
चलव बनाबो अइसन ..............
झन रहय कपट अउ जलन के खाई
मिलय राम ल भरतलाल कस भाई
न नसा रहय,न रहय नास के जर
बोली मया-पिरित के होवय घर-घर
भारत म बिकास के गोंदा फुलय
धन के गरब म कोनो झन झूलय
आतंकवाद कभू मुड़ी झन उठाय
सीमा म बेटा परान झन गवाय
चलव बनाबो अइसन ...............
भ्रष्टाचार के हो जावय देश ले नाश
सुवारथ के कोनो झन बनय दास
झन घुमय लइका पढ़ लिख निरास
पूरा होवय सबके रोजगार के आस
सियान ल मिलय अतका सनमान
खोजे मत मिलय वृद्धाश्रम के नाम
भुइयां बचाय बर होय जागरूकता
लहरावय "तिरंगा" होवय अइसन बुता|
चलव बनाबो अइसन .............
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
दिनाँक-24/02/2016
CR

पागाकलगी 4//आशा देशमुख


इही सरग के रद्दा असन
इही सरग के रद्दा आसन
धरती म रद्दा बनाबो ग
ऊँच नीच के भेद मिटाके
मया के रीत चलाबो ग
अपन करम म भाग छुपे हे
मेहनत से चमकाबो ग
सुणता से सब हाथ मिलाके
पथरा म गंगा बोहाबो ग
दया धरम रखबो थारी म
सच के चंदना लगाबो ग
हमर देवी धरती दाई ल
लहर लहर लहराबो ग
-आशा देशमुख

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

पागा कलगी 4//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

 //का सरग का नरक मैहर नई जानव// 

काहे दुनो के फरक मैहर नई जानव
हा जिहा सबला मया अउ दुलार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे...
सब अपन तरक्की के सीढ़ी बनावत हे
सभ्यता संस्कृति ला नवा पीढ़ी भुलावतहे
जेन घर में पहुना ला सत्कार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
परिवार सुग्घर जिहा मिलके रहिथे
दुःख पीरा ला जिहा सबो मिलके सहीथे
बुजुर्ग सियान ला जिहा आदर मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
सब बर सम्मान जिकर अंतस मा
सबके मदद करे जेन मन संकट मा
जेन मन सब बर मददगार रहिथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
खाली हाथ कभु नई जावन दे कोन्हों ला
तकलीफ कभु नई पावन दे कोन्हो ला
जिहा ले सबला ख़ुशी के उपहार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे..
जिहा हर कोई देश के सम्मान करथे
अपन संस्कृति के गुणगान करथे
जिहा हर झन बलिदान बर तैयार मिलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे ..
मीठ बोली सुग्घर मया के भाखा
नई रहय जिहा कोनो कोती निराशा
सुख शांति के जिहा हरदम बयार चलथे
सरग के दरवाजा उही घर ले खुलथे..
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव
बेलर जिला गरियाबंद 9753524905

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

पागा कलगी भाग-- ४//हेमलाल साहू

पागा रचना 04 बेर मोरो थोकुन परयास
ये सरग के रद्दा ल खोलव
अपन करम मा जीनगी गढ़व।
ये सरग के रद्दा ल खोलव।।
चल रे संगी मोरे चलव।
सच के ये रद्दा ला धरव।।
दाई ददा के जतन ल करव।
गुरु के बताये रद्दा चलव।।
सच के रद्दा टेडगा हवय।
करम करइया बर सरल हवय ।।
सच के रद्दा सरग दिखावय।
पाप के रद्दा नरक ले जावय।।
करम म लेखा जोखा हावय।
जे सरग नरग रद्दा हावय।।
सच बोले अड़बड़ सुख हावय।
जइसन जगा सरग के हावय।।
सच के अंजोर जगमगावय।
तोर सच ला जान गुन गावय।।
देख भगवन तोला भुलावय।
सरग के दुवारी दिखावय।।
अपन करम मा जीनगी गढ़व।
ये सरग के रद्दा ल खोलव।।
हेमलाल साहू

पागा कलगी भाग-- ४//सुखन जोगी


* सरग के सिढ़ही बनाबो *
चलव चलव संगी
जुरमिल के चलव
सरग के सिढ़ही बनाबो
मनखे मनखे ल जोर के
बांध सुनता के डोर मे
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
जाति पाति ल टोर के
छुआ छूत के मटकी ल फोर के
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
कोनो मेर रहा हुत करबो जोरसे
मया के तरिया म नहाबो मुड़गोड़ ले
सुनता रइही त बिकास करही
बिकास करहू त देस बढ़ही
हम आज खुद ल आघु बढ़ाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
फंसे हन धरम के गोठबात म
झगरा होथन जात पात म
भारत मां के बेटा आन
भारत वासी कहाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
जिनगी अपन हाथ म हे
करम करके सजाबो
सुवारथ ल तियागके
सिच्छा के जोत जलाबो
एक बनो नेक बनो
लइकन ल पढ़हाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
काबर बइठेंन दुसर के आस म
करबोन सुरू आपन बिसवास म
जेन कइही तेला संगी
कहिके हमन सुनाबो
नइ देखे हे तेला
नइ करें हे जेला
करके हमन बताबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
दिखावा म नइ जावन
बहकावा म नइ आवन
कतको खवा किरिया
हम तो नइ खावन
गलत रद्दा म संगी
हम तो नइ जावन
चला अइसन करबो
नवा सरग सिरजाबो
चलव चलव संगी
सरग के सिढ़ही बनाबो
सुखन जोगी
डोड़की वाले
मो. 8717918364

पागा कलगी क्रमांक 4 //राजेश कुमार निषाद


।। मिलही सरग के द्वार ।।

जावव चाहे मथुरा कांसी
अऊ करलव ग तीरथ हजार।
धक्का मिलही झगड़ा मिलही
अऊ मिलही ग फटकार।
भटकत फिरत तै झिन रह
येला करलव ग इकरार।
सब ले बढ़के दुनिया म ग
हावय दाई ददा के प्यार।
जतन करो दाई ददा के
मिलही ग सरग के द्वार।
कोख ले अपन जनम दिस हमला
लाख लाख पीड़ा ल सहिके।
किसम किसम के भोजन कराईस
अपन लांघन भुखन रहिके।
दाई ददा हावे ग चारो धाम
अऊ इहि ह हमर जीवन के आधार।
जतन करो दाई ददा के
मिलही ग सरग के द्वार।
पालन करिस पोषण करिस
बचा के भूख प्यास ले।
जम्मो दुःख ल दुरिहा रखिस
करकट बिजली चम्मास ले।
अईसन ईश्वर के जे सेवा नई करिस
ओकर जीना हावय ग धिक्कार।
जतन करो दाई ददा के
मिलही ग सरग के द्वार।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद(समोदा)
9713872983

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

पागा कलगी भाग - ०४// देव हीरा लहरी


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सरग के दूआरी "दाई - ददा"
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दाई-ददा ले मिलय आसिर्बाद
अऊ सियान ले मिले गियान
जिनगी म झन आवय दुख
देवव तुमन ये बात के धियान
हमर बर दुख पीरा सहईया
सब करव मान अऊ सम्मान
येकर मन के मया दुलार
मेहनत तियाग समरपन ल जान
सरग के दूआरी हे दाई-ददा
दुनो के चरण ल पखारंव
बुढ़ापा म सहारा बन के
सुख अऊ सांति ले संवारव
झन जा मथुरा कासी तीरथ
इंकर चरन म हे चारो धाम
दुनो के असिस आसिरबाद ले
बनथे सब के बिगड़े काम
दुनिया म कतको देवता ल मान
धरती के इही मन हे भगवान
वेद पुरान रामायण गीता सास्त्र
सबो जगा हवय येकर परमान
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रचना - देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म मंदिर हसौद
रइपुर छत्तीसगढ़
मोबा :- 9770330338
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बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

पागा कलगी ४// आचार्य तोषण

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी ०४
रचना:- सरग के दुवार
दाई ददा के सेवा जतन कर,होही तोर उद्धार जी।
तभे ते पाबे जाये बर, सुघर सरग के दुवार जी॥
अढ़हा केंवट भक्ति करके, राम ल पार लगाइस हे।
अपन संगे संग जम्मो पुरखा, ल रस्दा देखाइस हे।।
करले जोरा मुक्ति पाये के ,झन तै सोच बिचार जी।।
दाई ददा के सेवा जतन कर, होही तोर उद्धार जी।।
रस्दा बनाइसे शबरी दाई ह, मतंग मुनि ल मान के।
सुख्खा बोईर सकेले रिहिस, राम ल कुटिया मा आही जानके।
डोंगा हावे रेटहा परेटहा, अब यहु ल बने संवार जी।।
दाई ददा के सेवा जतन कर, होही तोर उद्धार जी।
तभे ते पाबे जाये बर सुघर, सरग के दुवार जी।।
आचार्य तोषण
सरस्वती शिशु मंदिर
डौंडीलोहारा जिला-बालोद(छ.ग.)४९१७७१
दूरभाष ९६१७५८९६६७

सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 04 के विषय



छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 04 के विषय
 दिनांक-16 फरवरी से 29 फरवरी 2016
विषय- दे गे चित्र के भाव ले विषय लेना हे
विधा - विधा रहित
मंच संचचालक-श्री मिलन मलहरिया (पागा 4 के विजेता)
निर्णायक-श्री सुशिल भोले, रायपुर
एवं श्री  अंजनी कुमार अंकुर, रायगढ़
संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर "छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र-4" बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा भेज सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
3- whatsapp-9977069545
4-whatsapp-+917828927284
5-whatsapp-+919098889904
6whatsapp 9770330338
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।

‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 03‘ के परिणाम

छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 03‘ के परिणाम
..........................................................
संगी हो
जय जोहार
छत्तसगढ़ के ‘कलेवा‘ विषय मा ये संगी मन के रचना प्राप्त होइस -
1. श्री नवीन कुमार तिवारी
2.श्री महेश पांडेय मनु
3.श्रीओमप्रकाश चौहान
4.श्री दिनेश देवांगन ष्दिव्यष्
5.श्री देवेन्द्र कुमार ध्रुव
6.श्री अशोक साहू
7.श्री राजेश कुमार निषाद
8.श्री मिलन मलरिहा
9.श्री ललित टिकरिहा
10.श्रीसूर्यकांत गुप्ता

जम्मो रचनाकारमन के रचना घाते सुघ्घर रहिस सबो संगी मन ला ऐखर बर बधाई अउ धन्यवाद ।
येदरी के सुघर विषय ‘कलेवा‘ ये दरी के मंच संचालक महेन्द्र देवांगन माटी हा दे रहिस लगातार 15 दिन ले सबो के रचना मा सुझााव रखिस । भाई माटी ला हृदय ले आभर ।
पागा कलगी 03 के निर्णायक श्री नंदराम यादव निशांत मुंगेली अउ श्रीमती सुनिता शर्मा नितु रायपुर रहिन । आप दुनो सबो रचना ला ध्यान से मूल्यांकन करेंव अउ अपन निर्णाय देव । आप दुनो निर्णाक ला साधुवाद ।
सबो रचनाकार के कलेवा अतका गुरतुर रहिस के पाठक, संचालक निर्णायक सबो ला गजब मिठाइस । अउ दूदी ठन कलेवा जादे गजब लगिस ये कलेवा बर ये दरी के पागा कलगी संयुक्त रूप ले श्री महेश पांडे मनु अउ दिनेश देवांगन ‘दिव्य ला दे जात हे ।
आप दुनों रचनाकार ला कोरी-कोरी गाडा-गाडा बधाई

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

पागा कलगी क्रमांक-3//ललित टिकरिहा

(छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक-3 बर रचना💐💐)
🍱🍪कलेवा छत्तीसगढ़ के🍪🍱
गुरतुर गुरतुर बोली हमर,
बड़ गुरतुर हमर करेजा,
छत्तीसगढ़िहा मन के बढ़िहा,
नई हन जी हमन अड़हा।
सिधवा होथन हमन संगी,
बड़ मानथन मीत मितनवा,
डेहरी म पहुना के रद्दा देखत,
बइठथन संझा बिहनवा।
नेवता नेवतत हंव झारा झारा,
कर लेतेव कहि के सेवा,
तुंहरेच खातिर मोर मयारू,
छानत हे किसम किसम के कलेवा।
बड़ सुहाथे हमर इंहां के कलेवा,
गुरतुर गुरतुर जइसन मेवा,
किसम किसम के पाबे संगी
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
ठेठरी, खुरमी गजब सुहाथे,
सुहाथे गोंदली बेसन के भजिया,
किसम किसम के पाबे संगी
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
बिड़िया पोपचि अउ डेहरौरी,
हेबय गजब येमन मोहलेवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
चिला फरा अउ अंगाकर रोटी,
चलथे जी हमर रोजे जोरदरहा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
चौसेला, सोंहारी चेम्मर होथे,
बोबरा होथे जी बड़ गुलगुलवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ में कलेवा।
अइरसा के तो बाते झन पूछ,
खाबे सुग्घर मन भर लसलसवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
लाडु बरा ला चाब के खाबे,
तिरबे सप सप तसमई के सुरवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
मीठ म बालुसायअउ रसगुल्ला,
पाबे नुनछुर म अड़बड़ कटेवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
मिरचा भजिया गजब मिठाथे,
संग मिलथे अमटाहा सुरवा,
किसम किसम के पाबे संगी,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
मया पिरित ल घोर के बनाथन,
पहुना बर पूजथन जइसे देवा,
हिरदय के भाव मिले तय पाबे ,
मोर छत्तीसगढ़ म कलेवा।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
रचना रचइया.........✍
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏
१४-०२-२०१६

पागाकलगी -3 //सूर्यकांत गुप्ता

छत्तीसगढ़ पागाकलगी -3 "कलेवा"
(अलवा जलवा दू चार लाइन)
पागा कलगी खोंच लौ, संउर कलेवा 'राज'।
ममादाइ सुरता करौं, रहि रहि के मैं आज।।
खुसी गमी दूनो जघा, बनै कलेवा जान।
खवा खवा पहुना सगा, राखन उंखर मान।।
बिना कलेवा जान लौ, मानन नही तिहार।
चढ़ै प्रेम के चासनी, नेउतौ झारा झार।।
नाव कलेवा देत हौं, देस काल अनुकूल।
कुछ बारो महिना बनै, सदा सोहागी फूल।।
सुख दुख दूनो के संगवारी।
बरा उरिद के अउ सोंहारी।।
मिठ मिठ चीज ल कहैं कलेवा।
कहैं सियानिन संग पतेवा।।
(पहिली हम अपन ममा दाइ ल कहत सुने हन के नई बनावत हौ का ओ कलेवा पतेवा...)
किसिम कसिम चीला चंउसेला।
दोसा के भाई सउतेला।।
बोबरा ठेठरी खुर्मी जान।
सावन भादो के पहिचान।।
बरा उरिद के पितर पाख के।
लौ सुवाद कोंहड़ा साग के।।
मनै दसहरा राँधौ रोंठ।
हनुमत भोग लगावौ पोठ।।
खाजा पपची खाव अनरसा।
करी लाड़ु बर झन मन तरसा।।
बर बिहाव पकवान जरूरी।
जोरैं संग संग बरी बिजउरी।।
होरी देवारी देहरउरी।
संग भांटा जी बरी अदउरी।।
छूटत हे बूंदी करी, बिरिया पिड़िया नाव।
सुरता अतके आत हे, मैं तो अड़हा आँव।।
हमर राज छत्तीसगढ़, खान पान के खान।
पहुना के सन्मान बर, आगू रथे सियान।।
जय जोहार.....
सूर्यकांत गुप्ता
1009 सिंधियानगर दुर्ग (छ. ग

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

पागा कलगी--3//मिलन मलरिहा



छत्तीसगढ के पागा कलगी"--3 "छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता"
विषय--------// '''कलेवा'''//-------------
.
.
सतजूग म रहीच धरम, बहुते पहुना आय।
मानय ओला देव सहि, कलेवा ओहि खाय।।
.
दूध खीर मेवा छनय, घर—घर भोज खवाय।
हिरदय गदगद हो जयव, भरभर थारी पाय।।
.
कलजुग मनखे नव करम, पहुना बन ललचाय।
दारु मुरगा मारबे, तभेच तो गुन गाय।।
.
बीही आमा कलिन्दर, असल मेवा कहाय।
सतके रद्दा नइ धरय, नसा म सब पोताय।।
.
गुटका पाउच अब हवय, अटल भोग चटुकार।
आजके 'कलेवा' एहि ल, मानत हे सनसार।।
.
.
मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

पागा कलगी 3//राजेश कुमार निषाद

।।कलेवा।।

छत्तीसगढ़ के कलेवा बढ़ सुघ्घर लागथे ग।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे ग।
खीर पुड़ी बड़ा सुहारी।
घर म बनाये दीदी बहिनी अऊ महतारी।
पड़ोसी घलो येकर गोठ गोठियाथे ग।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे ग।
ठेठरी खुरमी अऊ नमकीन के बात निराला हे।
महर महर महके जे भजिया गुलगुला हे।
ये भजिया ल देख बबा के मुंह म पानी आथे ग।
आनि बानी पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे ग।
होवत बिहनिया घर म बनय मुठिया रोटी अऊ चीला।
दतवन मुखारी करके खाये सब माईपीला।
रसगुल्ला अऊ बालुसाय के का कहना हे।
जलेबी ल देख के सबके लार टपकना हे।
अइरसा रोटी अऊ चउसेला मिरचा भजिया सब ल भाथे।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे।
परसा पान म बने अंगाकर रोटी सबके मन भाये।
टमाटर चटनी संग दबा के येला खाये।
ये हमर कलेवा खाये बर सब एक दूसर ल बलाथे।
छत्तीसगढ़ के कलेवा बढ़ सुघ्घर लागथे।
आनि बानी के पकवान बने हे गजब के स्वाद आथे।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

पागा कलगी क्र.3// अशोक साहू

।कलेवा छत्तीसगढ के।
मोर छत्तीसगढ के रोटी कलेवा
सुहावय मोला बढ़िया।
बड सुवाद ले ले के खाथन
हमन छत्तीसगढिया।।
अंगाकर रोटी के नाव सुन के
मुंह मे लार टपकथे।
फरा रोटी पताल चटनी संग
खाये खाये के मन करथे।।
गंहू पिसान के गुलगुल भजिया
के गोठ ल झन पूछ।
डोकरा बबा अउ डोकरी दाईं
लीलय गुट गुट।।
तिज तिहार के बेरा आथे
ठेठरी खुरमी के पारी।
ग़ज़ब सुहाथे चांऊर चौसेला
गंहूँ पिसान के सोंहारी।।
नवा चांउर के मुठिया रोटी
अबड मन ल भाथे।
माघ पुस म घरो घर
एकरेच गुण ल गाथे।।
बिडिया पपची खोजंव तोला
हाय रे मोर रोटी चीला।
अईरसा रोटी के काय कहना
मीठे मीठ खाथन माईपीला।।


अशोक साहू, भानसोज
तह. आरंग , जि. रायपुर

पागा कलगी 03//देवेन्द्र कुमार ध्रुव


**** कलेवा छत्तीसगढ के *****
जेन भी खाथे छत्तीसगढ़ के कलेवा ला
ओ भुला जथे मिठाई मिश्री अउ मेवा ला
पहुना के सत्कार बर परब तिहार बर
बनथे छत्तीसगढ़ में आनी बानी पकवान
जेन दिलाथे छतीसगढ़ ला अलगे पहिचान
चाउर पिसान सन मया घोरे बनथे चीला
पताल चटनी संग अंगाकर खावै माई पीला
बटकी मा बासी संग मा आमा के अथान
लहसुन मिर्चा पिसाये सील लोढहा मा
कोदोअउ मडिया पेज के सब करे गुणगान
गुलगुल भजिया अउ बरा सोहारी
मुठिया रोटी संग मा सबके चिन्हारी
करईया हरदम ख़ुशी अउ मया के बरसा
ठेठरी खुरमी कटवारोटी अरसा
लाई चना मुर्रा,करी लाडू ला नई भुलान
जब जब कोनो तिहार के बेरा आही
जुरमिल सबो एके जगा सकलाही
पागे कतरा थारी मा सज जाही
दुधफरा के स्वाद ला कोन भुलाही
मन गदगद होथे जब जाथे ओती धियान

रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव बेलर
(फुटहा करम)
9753524905

पागा कलगी 03 //दिनेश देवांगन "दिव्य"


छत्तीसगढ़ के पागा कलगी क्रमांक - 03 बर गीत
विषय - कलेवा (छत्तीसगढ़ के)
विधा - आल्हा छंद
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी, 
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
घारी चीला अउ चौसेला,
बबरा खाजा कुसली रोंठ !
छतीसगढ़िया सबले बढ़िया,
नई लबारी सत ये गोंठ !!
दाई खाथय ददा खवाथय,
खुरमा कतरा के मिसठान !
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
गर्भ सातवां बेटी के ता,
कुसली पपची माँ भिजवाय !
तीजा पोरा अउ तिहार मा,
ठेठरि खुरमी सब ला भाय !
खाथे बाबू अउ अधिकारी,
डार मया जब देत किसान !
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
दूध फरा सावन मा बनथे,
भादों मा ईढर के चाप !
जाड़ महीना चाउंर चीला,
खा चटनी मा आगी ताप !!
बनय छींट के लाडू संगी,
होथे जब जब कन्यादान !!
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
बरा कहाथे सुख दुख साथी,
छादी या मरनी के भोज !
पितर पाक मा घर घर बनथे,
सरलग बरा पनदरा रोज !!
इही हमर सनसकरिति हावय,
इही हमर हावय पहचान !
सुनव सुनाथँव छत्तीसगढ़ी,
किसम किसम के मय पकवान !
धान कटोरा जेखर भुँइया,
घर घर चांउर सोभयमान !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

पागा के कलगी क्र.3/ओमप्रकाश चौहान

🌻बड़ गुरतुर रस के हमर पकुवा हे 🌻
🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾
" किसान अउ पकरिती के जम्मो भरे दुलार हे,
बड़ गुरतुर रस के बनत हमर पकुवा हे।
किसम किसम के कलेवा हम खाएन,
फेर हमर पकुवा के जोड़ कभु नई पाएन।
बाबु खुसियार के हे गुरतुर बने रस,
थोड़िक चाउंरे पिसान ल डारे दे बस।
दुध खोपरा संग मा बने इलाइची मिला देबे,
रस ल बने अउंटत ले अउ खऊला लेबे।
तात तात मा येहर कम मिठाय,
रात रात भर साधे ले मिठास अउ भर आय।
संझा ले रात भर रस के पकुवा बनाएंन,
बिहनिया "कतरा" नाव ऐखर नवा धराएंन।
सुग्घर कोपरा म येला जमा लव,
बिहना सुरपुट सुरपुट तिहाँ 'खा' लव।
खात ले तुंहर दाँत भलेच किनकिना जाहि,
छत्तीसगढ़िया कलेवा तभेच सुरता आहि।
येमा जम्मो हमर मया पिरित ह अउंटे हे,
कतकोमन गुरतुर खाके आज ले नुन ल धरे हे।
ये सब म भुईयाँ के किरपा समोय हे
रस के रंग तभे ले सुग्घर मट मइला हे।
बड़ गुरतुर रस के बनत अइसन हमर कतरा हे,
मोहनी मया कस हमर कलेवा हे।
" बड़ गुरतुर रस के हमर येहर पकुवा हे।"
🌻ओमप्रकाश चौहान🌻
🌻बिलासपुर🌻

पागा क्रमांक -3/महेश पांडेय मनु

 बर मोर कबिता
मोर छत्तीसगढ के कलेवा ह अब्बड़ मिठाथे .
हर तिहार औ हर मउसम म नवा नवा आथे .
गुड़हा चीला हरेली के औ पितरपाख के बोबरा .
ठेठरी खुरमी के मजा उडाथे का लइका का डोकरा .
देवारी म घर म बनथे खाजा पिडिया मिठाई .
मां लक्ष्मि म भोग लगाथन लाडू बतासा लाई
होरी के कलेवा घलो मन खूब रंग जमाथे
अरसा देहरौरी ह मुंह म जातेच ही घुर जाथे .
चीला चौसेला के सुवाद इडली सांभर ले बढकर
हथफोड़वा औ फरा के आगे का पिज्जा का बरगर
गोरसी म बने अंगाकर जाने कहां नंदागय
पपची लडुवा बिहाव के घलो कहु बिला गय .
दूधफरा औ रसकतरा के बात कहौ का संगी
ये दुनो ह मोला सिरतोन म तसमई असन
मिठाथे .
मोर छत्तीसगढ के कलेवा ह अब्बड़ मिठाथे
हर तिहार म हर मउसम म नवा नवा आथे 

-
महेश पांडेय मनु

पागा कलगी-३ / नवीन कुमार तिवारी

कलेवा में ख़वाहु चपरा के चटनी 
,हाहाहा
परोसहु मै हा परसापान में महाराज ,
लागही तोला नुनछुर नुनछुर अमटहा महाराज ,
तोर दांत हा करहि किन किन
बने असन मुखारी धर के आबे महाराज
चापरा चटनी बने खाबे महाराज ,
ये हवे हमर बस्तर के कलेवा ,
भूले आबे दंडकारण्य के मड़ई मेला
रीती रिवाज जा भुलवार के ,
खाल्हे राज के चटनी खवाये के
गरीबः भूतवा के कलेवा ,
चपरा बर खोजहु
लाल लाल माटरा,
घामे घाम फुदकहु ,
तपे भोमरा में उछलहुँ
खेत खार खलिहान ,
गौठान,में फिर के
बन बन भटकहु ,
आमा के रुख राई में चढ़ के
फेर चटनी बर
बटोरहू लाल लाल माटा
चपरा के चटनी
गरीबहा के हवे मेवा ,,
तोर बर कलेवा ,
हमर बरमेवा ,
फिर ले बनगवां के हाट में ,
देख ले कैसे माई पिल्ला खावत,
चपरा के लाल लाल चटनी ,
झेन हा खाही चपरा चटनी ,
वहीच्चा हा पतियाही संगी
नवीन कुमार तिवारी ,,,06.02.2016
9479227213,

सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

//पागा कलगी ३ के विषय//

//पागा कलगी ३ के विषय//
दिनांक- १ फरवरी से १५ फरवरी २०१६
विषय- कलेवा (छत्तीसगढ़ के)
विधा - विधा रहित
मंच संचचालक-श्री महेन्द्र देवांगन 'माटी'
निर्णायक-श्रीमती सुनिता शर्मा 'नितू',रायपुर
एवं श्री नंदराम यादव 'निशांत', मुंगेली
संगी हो दे गे विषय मा आप अपन रचना लिख के ओखर उपर  "छत्तीसगढ के पागा-कलगी क्र-3" बर रचना लिख के ये मंच मा पोस्ट कर सकत हंव या नीचे पता मा भेज सकत हव-
1- rkdevendra4@gmail.com
2-suneelsharma52.ss@gmail.com
3- whatsapp-9977069545
4-whatsapp-+917828927284
5-whatsapp-+919098889904
आशा हे ये नवा प्रारूप मा आप मन के सहयोग मिलत रहिही अउ पहिली ले जादा रचना आही ।

""छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र -2"" के परिणाम

संगी हो,
जय जोहार,
छत्तीसगढी कविता के प्रतियोगिता "छत्तीसगढ के पागा कलगी क्र-2" चित्र आधारित, आप सब के सहयोग ले पूरा होइस, ये आयोजन मा पूरा छत्तीसगढ के प्रतिनिधित्व दिखथे चारो कोंटा ले रचना आइस, ये आयोजन मा जतका रचाधर्मी मन के रचना आइस सबो ला ये आयोजन मा हिस्सा ले बर दिल ले आभार । सबो रचना एक ले बढ के एक रहिस "-ये चित्र  मंच संचालक श्रीसुनिल शर्मा दे रहिन, प्रतियोगिता मा आये रचना के मूल्यांकन हमर मंच निर्णायक मंडल 1-श्री अरूण निगम, वरिष्ठ साहित्यकार अउ श्री संजीव तिवारी, गुरतुर गोठ संपादक रहिस । रचना के विविध पक्ष विषय के समावेश, छत्तीसगढी संस्कृति भाखा, नवा उदिम सब ला ध्यान मा रखे गिस । केवल रचना के गुणवता ला महत्व दे गीस । अइसे तो सबो रचनाकार के रचना बहुत सुघ्घर रहिस ऐखर बर सबो संगी मन गाडा-गाडा बधाई ।
ये आयोजन के उदृदेश्य कलम के धार ला तेज करना, रचना ला एक नवा दिशा देना, एक दूसर के सहयोग ले सिखना हे । ऐमा जम्मो नवा-जुन्ना साहित्यकार के सहयोग आर्शिवाद मिलत हे, ऐखर बर जम्माझन के आभार ।
अइसने आप सब के सहयोग मिलत रहिही अइसे कामना हे ।
निर्णायक मंडल के निर्णय के अनुसार "छत्तीसगढ के पागा कलगी-1" के पागा ला भाई
श्री दिनेश देवागन ‘दीव्य‘
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ )
ला दे जात हे ।
भाई दिनेश देवागन ‘दीव्य‘ गाडा-गाडा बधाई

पागा कलगी.2// ओम प्रकाश चैहान

🌻 बड़ अभागा हे मोर जिनगी🌻
करम म अईसे लिखे का ओ बिधाता मोर
तमासा होगे नानहेपन के सुग्घर जिनगी मोर
नाता ये जम्मो हमर पराया होगे,
जेन मया सकलावय कभू काबर कोसो दुर होगे।
मेहनत हमर संगी अउ बुता बनय हमर खेल
बचपन के ये पावन बेला लागय कस जेल ।
ममता बर तरस गेंव,
जम्मो मया बर अइसे तरस गेंव।
काखर बर जोरबो , अब सकेलबो काखर बर,
मिले हे ये जिनगी जब दिन चार बर।
मया के गोठ गोठियालव कुछु हमरो ले,
निचट अभागा आंन हम जनम ले।
सब बादर कस अइसे बदर गे,
सुग्घर खोंदरा कस ये जिनगी उजड़ गे।
महूं निकलगे ये जिनगी ल सुग्घर संवारे बर,
ये पापी पेट के आगी ल थोरीक जाने बर।
करम ल अइसे लिखे का बिधाता मोर,
तमासा होगे नानहेपन के.........................।

🌻 ओम 🌻
🌻🌻बिलासपुर🌻🌻