बुधवार, 30 मार्च 2016

पागा कलगी -6//दिनेश देवांगन "दिव्य"

कुलकत मातत रंग उड़ावत, होरी तिहार आथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
आसी सैली यस्सु सिवानी, अउ हे सोनू रानी !
लाल हरा अउ पीला धरके, चुपरे रंग जपानी !
कोनो भागय कोनो दौड़े, कोनो हे लूकाये !
कोनो सरसर पिचकारी मा, कोनो रंग सनाये !!
लइका मन के किलकारी ले, रंग घला शरमाथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
कोनो रावन कोनो मोदी, कोनो बनके भोला !
लइका सजके इतरावत हे, किसम किसम धर चोला !!
सबला बाँटे अपन मया ला, मलके गाल गुलाबी !
भाईचारा के तिहार हे, लगथे सबो नवाबी !!
कतको बैरी ये होली मा, सबला हाथ मिलाथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
धरती माते अंबर माते, माते सोन चिराई !
आमा माते अमरइया मा, माते गाँव तराई !!
फागुन के संदेशा लेके, आथे अउ पुरवाई !
होली के आगी मा जोरव, मन के सबो बुराई !
रंग बिरंगा बरसा करथे, मया प्रीत बोहाथे !
गली गली नंगारा बाजे, मांदर फाग सुनाथे !!
दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ )

शुक्रवार, 25 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//महेश मलंग

जतका मन के जाला हे चला ओला झार दिन 
होरी के संग मन के कचरा ला बार दिन 
छोड़ाय ले जे मत छुटय अईसन पक्का रंग 
मया औ पिरित के आपस म डार दिन 
हिरदय के टेसू खिलय मन के आमा बौर जाय
फागुन असन बीत जाय जीनगी के चार दिन
नशा नाश के जड़ आय ऐ बात जान के
छोड़के नशा पत्ती घर बार ला संवार दिन


-महेश मलंग

पागा कलगी -6//महेन्द्र देवांगन माटी

फाग गीत
****************
बाढ़गे मंहगाई के दाम जी
कइसे मनावन तिहार जी ...........2
कइसे मनावन तिहार जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के दाम जी
कइसे मनावन तिहार जी
नोनी बाबू मन पइसा मांगत हे
पइसा मांगत हे जी पइसा मांगत हे
ले दे मिठाई कहिके मुंहूं ताकत हे
मुंहूं ताकत हे जी मुंहूं ताकत हे
कहां ले पइसा हम लान जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के........................
लइका मन भर भर के पिचका मारत हे
पिचका मारत हे जी पिचका मारत हे
डोकरा ह डोकरी में रंगे डारत हे
रंगे डारत हे जी रंगे डारत हे
चढ़हे हे दारु अऊ भांग जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के .........................
दारे सिरागे अऊ चांऊर सिरागे
चांऊर सिरागे जी चांऊर सिरागे
तनखा ल जोहत माथा पिरागे
माथा पिरागे जी माथा पिरागे
कइसे चलाबो घर दुवार जी
कइसे मनावन तिहार जी
बाढ़गे मंहगाई के दाम जी
कइसे मनावन तिहार जी
होरी है
*****************************
रचना
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)

पागा कलगी -6 //सुनिल शर्मा"नील"

""होली तिहार हरय""
*********************************
होली तिहार हरय पाप ल बारे के
भीतर म बइठे घमंड ल मारे के
मया अउ प्रेम के रंग उड़ाय के
छोटे बड़े सबला गला लगाय के
सियान मनके अशीष पाय के
मीठ बोले अउ मिठ खाय के
कचरा ल बार साफ सफई के
फाग के गीत म मदमस्त नचइ के
देश अउ समाज म मिठास घोरे के
घर घर फइले नशा ल छोरे के
नोहय तिहार एहा अश्लीलता के
चिन्हारी हरे संस्कृति के बिशेषता के|
*********************************
==वन्दे मातरम्===
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
९७५५५५४४७०
रचना-२५\०३\२०१६
©®

बुधवार, 23 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//राजेश कुमार निषाद

।। तिहार होली ।।
फागुन के महीना आये हे तिहार होली।
रंग गुलाल लगा के संगी करबो हंसी ठिठोली।
लईका मन खेलय पिचकारी
संगी जहुरिया मन लगाय गुलाल।
दिन भर गली म चहल पहल राहय
गांव लागे बड़ खुशहाल।
गोठियाथे ग सब मया प्रित के बोली।
फागुन के महीना आये हे तिहार होली।
गली गली म बाजे नगाड़ा
गीत होली के गाये।
एक दूसर से बैर छोड़ के
सब ल हाथ मिलाये।
झूम झूम के नाचे सब खाये भांग के गोली।
फागुन के महीना आये हे तिहार होली।
दिन भर खेले रंग गुलाल
सांझकुन पहिने सब नवा कपड़ा।
घर घर रोटी पिठा चुरे
नई होवय कोनो झगड़ा।
आनि बानि के रोटी चुरय
महर महर ममहाय सबके घर के खोली।
फागुन के महिना आये हे तिहार होली।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी -6//- हेमलाल साहू

होली
फागुन के महिना हरे, तिहार होली आय।
होलिका दहन बाद में, तिहार ल ये मनाय।।
सच के रद्दा मे चलव, होवय नही ग हार।
याद पहलाद के करव, मना लव ये तिहार।।
तिहार होली देख ले, गाव गाव मा छाय।
लिपाय पुताय घर हवे, सुघ्घर रौनक लाय।।
होली हा आगे हवय, उड़य रंग गुलाल।
जगा जगा मा देख ले, बजे नगाड़ा ताल।।
फाग गीत ला गात हे, नाचे झुमके यार।
संगी साथी मिल बने, मनाबो चल तिहार।।
कायर कपट ल छोड़के, बने मना ले यार।
बारह बछर म आय गा, होली हवे तिहार।।
घर घर जाके चल बने, लगाबो गा रंग।
रहे बने आशीष हा, बड़े के हमर संग ।।
मया दया के भाव ले, बने हवे गुलाल।
माय दया के भाव ले, रंग लगाबो लाल।।
मया दया सबके हवे, मया रंग हे लाल ।
माटी के बेटा हमन, रंग लगाबो गाल।।
लइका मन से सीख ले, खेलत रंग गुलाल।
ककरो मेरा बैर नही, लगावय रंग गाल।।
मोरो हावय गा अरज, मानहु तुमन तिहार।
पानी ल खपत मत करहु, तुमन ह गा बेकार।
हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील- नवागढ़, जिला- बेमेतरा

पागा कलगी -6//आशा देशमुख

मोर गांव के होरी
होरी हे होरी हे होरी ,मोर गांव के होरी
संगी साथी जुल मिल खेले ,अउ खेले सब गोरी |
होरी हे होरी
महुआ परसा फूले हावे ,महकत हे अमरैया |
सरसर सरसर डारा बाजे ,चलत हवे पुरवैया |
गुत्तुर गुत्तर कोयल बोले ,मन भंवरा मतियाये ,
नावा नावा डारा पाता , सबके मन मोहाये |
मिट्ठू मन आमा अमली ला ,ठुंनक ठुनक के फोरी |
होरी हे होरी
कुहुक कुहुक के डंडा नाचे ,टोली गाये गाना ,
मथुरा गोकुल जैसे लागे ,सब्बो झन के हाना |
पखवाड़ा भर बजें नगाड़ा ,भरे रथे चौपाला ,
हाँसी ठट्ठा करथे सब झन ,ख़ुशी बतावव काला
जे पावे ते रंग लगाये ,कोन करे मुँह जोरी |
होरी हे होरी
घर घर दिखथे लीपे पोते ,मुँह ह दिखे पचरंगा ,
का जवान अउ का हे बुढ़वा| ,सब होंगे हे चंगा |
हाँसत खेलत टुरी टुरा मन , मया लुटाए गारी ,
बड़के छोटे जात धरम के ,नइ हे कछु चिन्हारी
रंग गुलाल म सब मिल गेहे , सब्बो छोरा छोरी |
होरी हे होरी हे होरी ,मोर गांव के होरी
-आशा देशमुख

पागा कलगी -6//सोनु नेताम

!!होली तिहार आगे!!
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फागुन मस्त महिना संगी
होली तिहार आवत हे
जुर मिलके होली मनाबो
नंगाड़ा थाप बाजत हे
लकड़ी छेना होलिका जलाय बर
सबो कोई सकेलबो
हरा पिंवरी लाल गुलाबी
मया के होली खेलबो
आनी बानी के तेलहा फुलहा
घरो घर म चुरहि
बरा सोंहारी ठेठरी खुरमी
बांट बिराज के पुरहि
संगी जहुंरिया संगवारी मन
होली खेले बर आहि
ठेठरी खुरमी बरा सोंहारी
हमर घर म खाहि
भांग दारु महुंआ पीके
जवनहा मन बईहाय
कोनो दिखय चितका कबरा
चिन्हे म नजर नी आय
मया पिरित अउ भाईचारा के
होली ल सुग्हर मनाबो
आनी बानी किसिम किसिम के
रंग गुलाल ल लगाबो
गांव के गउंरा गुड़ी म
ड़हकि नंगारा बजाबो
सरा ररा होली हे
फागुन गीत ल गाबो
गांव के पुरखा सियान मन के
सुग्हर आसिरबाद ल पाबो
गांव गलि बिरिजबन कस लागहि
होली परब ल मनाबो!!
सोनु नेताम गोंड़ ठाकुर
(मयारुक छत्तीसगढ़िया)
रुद्री नवागांव,धमतरी

पागा कलगी -6//ललित साहू"जख्मी"

"लईकई होली"
कोनहो उदीम बतातेव 
ता महु लईका बन जातेंव
बिन चिन्हे कोई मईनखे
सबके मुहु मा गुलाल लगातेंव
बारतेंव अंतस के राक्षस ला
अंगरा मे सरपट दंउड लगातेंव
ताहन अलकरहा माततेंव- मतातेंव
अऊ मया पिरित के होरी मनातेंव
बाजत नगाडा के कुदतेंव मे आघु
राहस बर लुगरा पहीर राधा बन जातेंव
ना लालच होतिस ना बैर काकरो ले
सुग्घर भक्त प्रहलाद मै बन जातेंव
नई जानतेंव मेहा ऊंच नीच के भाखा
एकता के जोरदरहा भोंपु बजातेंव
गातेंव फाग संस्कृति, परंपरा के
लगा के खोपडा बैरी बर बघवा बन जातेंव
रंग आनी बानी ये दुनिया के
चारो मुडा मेहा बगरातेंव
मितानी के किरया भांग मे डारके
संगवारी ला जबरहीया खवातेंव
पिचका मे भरतेंव रंग लाली परसा के
अरसा सही बोली मा मिठ पिरोतेंव
होतिस सोनहा नकली चुंदी खिनवा
पारस ब्यवहार सोनहा बर मै बन जातेंव
तिहरहा खजानी खिसा मे भर लातेंव
आधा खातेंव आधा दुसर ला खवातेंव
कोन्हो नई लगातिस ता खुदे रंग लगातेंव
उद्दे नहातेंव उद्दे होरी मा रम जातेंव
लाली, हरियर, पिंयर, कारी, मसयानी
हर रंग खुशियाली के उडीयातेंव
कन्हो मे फेर लईका हो जातेंव
होरी के बहाना तुंहर कोरा ला पातेंव
रचनाकार - ललित साहू"जख्मी"
ग्राम-छुरा / जिला- गरियाबंद(छ.ग.)
9144992879

पागा कलगी -6//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

"ऐशो के होरी "
लईका मन तो हरय जी देश के आधार 
देवव ओमन ला बने शिक्षा अउ संस्कार
ऐशो के होरी ला सुघ्घर बनावव जी
लईका मन ऊपर अच्छाई के रंग लगावव जी
ए मन झन गिरय कलंक के दलदल मा
झन फ़ंसय कभु अपराध के कलकल मा
नवा सीख देवव नेकी के पाठ पढ़ावव जी
ऐशो अपन बुराई के होलिका जलावव जी
हरियर बनके धरती ला एमन हरियाही
बनके पिंवरा रंग मया पिरीत बगराही
लाली ताकत चिन्हा भगवा मान बढ़हाही
शांति बर इकर ऊपर सादा रंग लगावव जी
राम लखन कस भाई भीम कस बलशाली
अर्जुन कस कभु निशाना झन जावय खाली
किशन कन्हैया कस मया प्रेम बगरैय्या
लईका मन ला भक्त प्रहलाद बनावव जी
भारत माँ के लाल बन चलय सीना तान के
 बिपत मा रक्षा करेओकरआन बान शान के
हाँसत हाँसत जान लुटा दे जेन देश सेवा बर
लईका मन ला अइसन देशभक्त बनावव जी
अपन सुख जेन हा सबके नाम करय
दूसरा के दुःख मा मिलजुल के काम करय
गले लगा के सबके पीरा ला हर लेवय
सबके मन मा भाईचारा भाव जगावव जी
सिरतोन सबो अपन भाग लिखा के आये हे
मेहनत करके कतकोअपन भाग जगाये हे
सबके काम आये अइसे काम करावव जी
लईका मन ला भला इंसान बनावव जी
लईका मन अपन डगर ले भटकय झन
गलती कर ककरो आँखी मा खटकय झन
उकर जिनगी मा सुघ्घर अंजोर बगरावव
ईमानदारी के सबला रद्दा देखावव जी
लईका मन के सुख के आधार बनव
सपना ला उकर मन के साकार करव
धरके अंगरी ओमनला बने रेंगावव
सबला तरक्की के सीढिया चढ़ावव जी
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (फुटहा करम )
बेलर (फिंगेश्वर)
जिला गरियाबंद 9753524905

//छत्तीसगढ़ी मंच के ये बोली हे, बुरा ना मानो होली हे//

मया रंग भेजत हवे, छत्तीसगढ़ी मंच ।
सब ला हे शुभकामना, धरव रंग के पंच ।
खूब बधाई झोक लव, सबो संगी यार ।
रंग खुशी के रंग लव, छोड़ छाड़ तकरार ।
छत्तीसगढ़ी मंच के, ये होली के रंग ।
चढ़े खुमारी खूब हे, संगी मन के संग ।
अड़बड़ रचनाकार मन, अपने रंग सजाय ।
पढ़ पढ़ पाठक मन घला, होली खूब मनाय ।
नशा रंग के देख तो, अनिल तिवारी पार ।
संग सुनिल शर्मा दिखय, करिया करिया झार ।।
बइठे हाट नवीन हा,संगी मन ला छोड़ ।
कहय अरूण संजीव हा, अउ जादा मत घोर ।।
हेमलाल, यादव सुशील, सूर्य कांत ला देख ।
पता नही का हे करत, कोन कहय मिन मेख ।।
झूमत हीरा, देव, हा, मिलन संग तो आय ।
माटी, जोगी, दिव्य, ला, संगे अपन मिलाय ।।
लक्ष्मी नारायण कहय, कती हवय घर मोर ।
‘निर्मोही‘ ओखर ले कहय, ओखर चिंता छोर ।।
रामेश्वर, सुखदेव हा, बइठे हवय अशोक ।
अमन, सुनिल साहू दुनो, पढ़त हवया गा श्लोक ।।
सोनु नेताम, के संग मा, तोषण गटकत भंग ।
आशा फरिकर शालिनी, लागे हे बड़ दंग ।।
हर्षल, ओम, मनोज हा, भागे रद्दा छोड़ ।
‘जख्मी‘, देवेन्द्र ध्रुव, बइठे हे मुॅह मोड़ ।।
संगी मन के झुण्ड़ मा, कोनो ना चिन्हाय ।
गाल गाल गुलाल मलंव, सबके तीर म जाय ।।
-रमेश चौहान

पागा कलगी -6//शालिनी साहू

फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
-------
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
संगी जहुंरिया मन मारय पिचकारी
छोटे बड़े लईका मन देवय किलकारी
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
ले चल रे सैंया बनारस के खोर में
कुछ भेद नइये रे तोर अउ मोर में
मन के बात ल में कहे नइ सकों
तोर बिना साहू मैं रहे नइ सकों
मन के पीरा मोला हाबय बड़ा भारी
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
आज हंसा के मोला झन जाबे छोड़ के
चले आहूं तोर घर लुगरा-ला ओढ़ के
रंग के मारे बैरी राधा बोथागे
लुगरा अउ पोलखर नि-रंग हा बोहागे
तैं बने कान्हा मे-हर बने राधा मतवारी
फागुन तिहार आगे रंगो संगवारी
शालिनी साहू
साजा बेमेतरा

सोमवार, 21 मार्च 2016

पागा कलगी -6//देव साहू

होली हे संगी
जम्मो संगी मिलजूल के होली खेलबो
आनी बानी के रंग गुलाल मन ल मिलाबो
येदे फागुन के महिना आगे, तिहार मनाबो
नानपन के संगी संगवारी ल भांग खबाबो
मया के भाखा रंग रंग के बोली गोठियाबो
आगे होरी तिहार रे संगी परसा संहरावत हे
नवा बाई लायेव होरी म घर जाय बर जोजियावत हे
दाई बहिनी किसम किसम के रोटी पिठा बनावत हे
डोकरा बबा रंग रंग के पिचका ल सजावत हे
आमा पान मउरे हे चल संगी तिहार आवत हे
जगा जगा टुरा मन डोरी लमाय होली छेकत हे
अवईया जवईया मन ल होरी टिका लगावत हे
कोनो दुतकारत कोनो रुपिया भर मया ल बगरावत हे
देखव देखव संगी आगे फागुन तिहार
पिचका भर भर मारे नोनी रंग गुलाल
जाड के सिराती, आगे आगे सुग्घर महिना
नाचत गावत हाबय देखव रूख म नवा पिका
डारा पाना उल्हागे हरयागे भुंईया के अचरा
जाड घलो भूलागे अपन जुन्ना रद्दा ल
गरमी ह गोड लमावत जरत हे भोम्भरा
मया के गीत गुनगनाय हबय भोंगर्रा
चलव नाचव संगी बनके बनके गुवाल
झन पिहू संगी पउवा होथे ग बवाल
डारा पाना म रुख लदागे लगे दुल्हिन कस बारी
घर कुरिया चुकचुक ले लगय लिपाय हे दुवारी
पहाती पहाती सुकवा के चेत हरागे गा भैया
जय होवय जय होवय तोर छत्तीसगढ मैया
मंदरस म माछी मगन होके रिझागे गा भैया
आनी के बानी पाटी पारय रिसागे गा सईया
झन मार पिचका भैया दीदी ह डरावत हे
अईठत किंदरत हे कतको पिये भांग के गोला
दीदी बहिनी कहत हे झन रंग गा भैया मोला
एककन के मजा बर बेच झन सांस ला
मछरी कस फसे हे जिनगी लिल झन फास ला
होरी तिहार आवत हे आवत हे रंग अउ गुलाल
कोनो अलहन झन कर झन होवय कोनो मलाल
------------------------------------
देव साहू
गवंईहा संगवारी
कपसदा धरसीवा
9770763599

पागा कलगी -6 //लक्ष्मी नारायण लहरे

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आ रंग लगाहूँ रे पीला -नीला 
______________________
सखी आ खेबोंन होरी 
रंग धरेंहंव पीला नीला
मया के रंग लगाले
मोर संगवारी
काबर मुहु ल फेरत हस
पिचकारी म रंग नइये
काबर डरावत हस
काब्या , तन्नु नाचत हावे
ईशा देख भागत हावे
चल आ
आ रंग लगाहूँ रे पीला -नीला
होरी के हे तिहार
रंग म हावे मोर मया अउ पियार
आ मोर संगवारी
रंग धरेंहंव पीला नीला
मया के रंग लगाले
खुसी के आज दिन आय
छोटे बड़े के भेद ल मिटादी
गले मिलके मन ल मिलाली
आ संगवारी
अपन मया के संदेशा भाई ल बता दी
दाई -ददा के आसिरवाद ले ली
गाँव गली म संगवारी
होरी के बहाना
दुसमनी ल भुलादी
आ रंग लगाहूँ रे पीला -नीला
सखी आ खेबोंन होरी
रंग धरेंहंव पीला नीला
मया के रंग लगाले
मोर संगवारी
० लक्ष्मी नारायण लहरे , 

साहिल, कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी -6//मिलन मलरिहा

**अटकू-बटकू, छोटकी-नोनी जऊहर धूम मचाएँ**
""""""""""""""""""""""""""""''''''''''""""""""""""""""""
होली के रंगोली म, हुड़दंग मचे हे भारी
छोटकी-नोनी धरे गुलाल, पोतत संगी-संगवारी
अटकू-बटकू घरले निकले, तानके रे पिचकारी
एकेच पिचका म रंग सिरागे, फेर भागे दूवारी
रंग गवागे बाल्टी ले जईसे कुँआ ले अटागे पानी
पानी के होवत बरबादी, समझगे छोटकी-नोनी
पिचकारी ल फेंक सबोझन, थइली म भरे रंगोली
नांक-गाल म पोत गुलाल, खेलत हे सुक्खा-होली
छिन-छिन बटकू घर म जाके खुर्मी-ठैठरी ल लाएँ
संगे बतासा भजिया सोहारी अऊ पेड़ा ल खाए
अटकू-बटकू, छोटकी-नोनी जऊहर धूम मचाएँ......
-
नंगाड़ा नइ थिरके थोरकुन, बेरा पहागे झटकुन
डनाडन बाजय गमकय, सबके कनिहा मचकुन
मंगलू कहे सुन भाई कोदू, दारु लादे-ग चिटकुन
दूनोंके तमकीक-तमका म सिन्न परगे थोरकुन
झुमा-झटकी म झगरा होगे, पुलिस-दरोगा आगे
दारु-नसा के चक्कर म, किलिल-किल्ला ह छागे
मंगलू, कोदू पुलिस देख, गिरत-हपटत ले भागे
थिरकत नंगाड़ा ह फेर अपन मया-ताल गमकाएँ
अटकू-बटकू, छोटकी-नोनी जऊहर धूम मचाएँ......
-
बादर होगे रंग-गुलाली, सबोजघा हे लाली-लाली
हरियर-लाली रंग पेड़के, जइसे तिरंगा हर डाली
सरग-बरोबर लगे हमर छत्तीसगढ़ अंगना-दूवारी
नसा-तिहार झीन बनावा, मया-परेम बगरावा
छोटकी-छोटकू, नोनी-बाबू ल नसा झिन बतावा
नवा-पीढ़ी ल गोली-भांग, फूहड़ीपन मत सिखावा
भरभर-भरभर जरतहे होली, सत के रद्दा देखाएँ
भगत पहलाद के होलिका फूफू आगी म समाएँ
लईकामन भगवान रुप हे, कपट-छल नई भाएँ
दिनभर दउड़त-नाचत-खेलत जऊहर धूम मचाएँ।


रचना- मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर
9098889904

पागा कलगी -6//सुनील साहू"निर्मोही"

"मया के सतरंगिया होली"
रंग मया के लगा ले संगी,
झन छुटय मया के बंधना।
सात रंग ल बनाके दुलरवा,
तै रंग जा पिरित के रंग मा।
लाल गुलाबी हरा रंग नीला,
जिनगी हरियर हरियर लागे।
सात रंग ह छठा बगराये,
होली सब के मन ल भागे।
फ़ाग गीत अउ नगारा बाजे,
सुनके हिरदय ल बड़ निक लागे।
रंग उड़ावत गले मिल जाथे,
बैरी दुश्मनी सबे भूल जाथे।
पिचकारी अउ मुख़ौटा लगाके,
झूमत हांसत होरी खेलय।
घोर के रंग बाल्टी गंज म,
संगी साथी ल धर के चिभोरे।
भारत भुइयां म रंग बगरे हे,
जइसन,इंद्र धनुष जनगण म।
होली मनके के मिलन बढ़ाते,
अउ मया जगाथे तनमन म।
कका भईया अउ घर के सियान,
हाथ जोड़ मैं रंग लगावव।
दे आशिस सुखी रखे भगवान,
अईसन सुघ्घर होली मनावव।
सुनील साहू"निर्मोही"बिलासपुर
ग्राम- सेलर
जिला- बिलासपुर
मो न.-8085470039

रविवार, 20 मार्च 2016

पागा कलगी -6 बर//जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

"मया पिरीत सुग्घर के होरी"
होरी हे होरी हे होरी,
जम्मो कोती हे होरी,
गोरी खेलत हे होरी,
संगी खेलत हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
दया मया के सुग्घर होरी,
संगी जम्मो नाचत हे होरी,
जम्मो कोती माते हे होरी,
रंग रंगोली म छाये हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
संगी जहुरिया मन मारे पिचकारी,
होली खेलत हन जम्मो संगवारी,
डंडा नाचत हन घर अंगना दुआरी,
होरी के मजा हर आवत हे बड़ भारी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
लईका मन खेलत हे होरी
जम्मो झन सनायें हे रंगोली,
चिरहा फटहा कुरता पहिरे,
जम्मो संगी मचावत हे होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
मन म सबके मया। पिरीत हे,
बैरी दुश्मन साथ खेलत हे होरी,
गीत गावत हे सबो आनंद म माथे,
संगी सहेली गोरी जम्मो खेले होरी,
मया पिरीत के सुग्घर होरी।
संगी जम्मो खेलत हे होरी।।।
जयवीर रात्रे बेनीपलिहा
थाना- डभरा,जांजगीर चाम्पा,
(छत्तीसगढ़)
Mo. No. 8349323652

पागा कलगी -6 बर//नवीन कुमार तिवारी

लाइकोरी हो या हो कखरो सुुवारिन,
रंगत में छाये केसरिया रंग ,
परसा के फूल हा मचाये हवे बहार ,
संगे झूमत अमुवा के मऊ रा ,
कई से लजावत हमर संगनिया ,
सब्बो डाहर हवे रंगेच्च के बौ छार 
फागुन तिहार आगे संगी ,
रास रंग के बहार आगे संगी ,
नवा नवा कलेवा ले ,
मद मस्त मन के तिहार आगे संगी ,
जहां लुका बे तेन्ह ,
पहुंच जाहि रंग है 
तन बदन हो जाहि ,
रंग ले सराबोर ,
बस मुख दिक्ला जा संगी ,

नवीन कुमार तिवारी

पागा कलगी -6//गरिमा गजेन्द्र

"ये बार होली चल न ऐसने खेलबो"
………………………………………………
ये रंग मे एकन रंग खुशी के ले आवव
सबे के जिनगी म रंग खुशी के घोलव
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
गलती ले कोनो ल दुःख पीरा देय होबो
अपन हर गलती के माफी मांग लेबे हम
नाता मा रंग ऐसन घोलन
सब नाता ल एके धागा म बांध लेबो हम
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
कोन्हो छुट गे होही वहु ल संग म मिला लेबो
कोन्हो रूठ गे होही वहू ल मना लेबो
सब रंग ल अपन रंग म मिला लेबो
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
हर छन बितात हे जे पल ओला अपन
मुट्ठी मा बांध लेबो
नई भुलन ये होली ल
ये पल म जी भर के जी लेबो
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
आतंक के प्रहार ले कांपत हे भुंइया डोली
मया के रंग गुलाल ले चल न खेलबो होली
कम होगे हे धरम करम
कम होवत हे मानवता
अब धरती के कोरा म पलत हे पापी
गवा गे हे हासी ठीठोली
वो ल सहेजबो
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
बिश्वास के भरबो झोली
मिलजुल के खेलबो होली
झन होवय घर कोन्हो बीरान
होवय झन कोन्हो बहिनी के अपमान
झन होवय काकरो मांग सुना
होवय झन कोन्हो लइका अनाथ
गांव गांव होये रंग रोली
ये बार होली चल न ऐसने खेलबो
………………………………………………
रचना - गरिमा गजेन्द्र
सरोना जिला - रायपुर

पागा कलगी -6//सुखन जोगी

……………………………………………
कहत जोगीरा सा रा रा रा....रा...
…………………………………………
ऋतु आइस ऋतुराज आइस
संग फगुनवा होरी लाइस
दुनो परकिति संग होरी रचाई
इक सेमर दुसर टेसु अरग लगाई
गमके लगे फगुनवा जउने रंग बगराये
बारह मासन इक मास होरी मनाये
एक होरी बिरज म दुसर होरी ३६गढ़
खेले कनहइया सब रंग लगाये चढ़ बढ़
तब की होरी पक्का अरग लगाइ
अब की होरी बस तन गमकाइ
अमुना घाट कनहइया खेले
गोपियन संग अबीर गुलाल ले ले
देत हाना -
सब के सजनिया रिंगी चिंगी मोर
सजनिया गोरी राधा रे ..
तन मोर सांवर मन करवं काहे आधा रे...
कहत जोगीरा सारा रा रा रा....
अब के होरी कर ले जतन
अबीर गुलाल ले ले मलन
झन करहू भाई बात अचरज
कर लव ग पानी के बचत
चाही कउनो भेद होय चाही मनमेट
लगावव रंग गर मिल हिरदे टेक
का के भरम का के भेद
ये होरी म सब देवव मेट
कहत जोगी आज मया भाखा ले
सब संगवारी ल होरी मुबारक हे...
हाना- सब के होली भंग मतंगी मोर होली सादा रे
कहे जोगी अबीर गुलाल लेवव मन भर जादा रे....
जोगीरा सा रा रा रा...रा.....
………………………………………………
रचना - सुखन जोगी
ग्राम - डोड़की, बिल्हा (छ. ग.)

पागा कलगी -6//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

"सूरता नान्हेपन के होरी के"
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के रंग गुलाल,अउ संगी के गुरतूर गारी।
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के होरी,
मोला सूरता आथे---
सूरता आथे मोला गांव के गली के,
खांध जोरे हमर टोली चलई।
मीतानी रंग लगायेला बल्ला अउ बल्ली के,
हांका पार-पार हमजोली बलई।
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के निच्छल परेम अउ मया के दुवारी--।
मोला सूरता आथे---
सूरता आथे मोला कुआं के पार,
चार हांथ म पानी लउहा बाल्टी ल डार।
छलकत बाल्टी के पानी ल उतार,
अऊंहा-झऊंहा पुड़िया के रंग ल मतार।
मोला सूरता आथे संगवारी,
बचपन के उज्जर रंग अउ बांस के पिचकारी--।
मोला सूरता आथे---
सूरता आथे मोला गुरूजी के बोली,
दूनी के पाहड़ा अउ एके ठन खोली।
चामटी के भाखा अउ मांड़ी तरी गोली,
मनखे बनाये बर फेर आवथे होली।
मोला सूरता आथे संगवारी,
बचपन के सादामन अउ सपना के रखवारी--।
मोला सूरता आथे---
मोला सूरता आथे संगवारी,
नान्हेपन के होरी मोला सूरता आथे-----
रचना :---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गांव - गोरखपुर पोस्ट- पिपरिया
कवर्धा,जिला-कबीरधाम(छग)
मो, 9685216602

पागा कलगी -6//रामेश्वर शांडिल्य

//जूरमिल के खेलत हे होली//
लइका लइका के ये हर टोली
जूरमिल के खेलत हे होली।
हरियर पिउरा लाल चेहरा वाला।
रंग म रंगे हावय टेहराॅ वाला।
रंग गुलाल म पोताएं हे पूरा।
कोन हा टूरी कोन आये टूरा।
हांसत कूदत करत हे ठिठोली ।
लइका लइका खेलत हे होली।
लूका लूका के मारे पिचकारी
रंग गुलाल बर होवे मारामारी।
एक दुसर म जब रंग लगाथे
लइका के खुशी देखत भाथे।
नान नान लइका के मिठ बोली
मिलजूल के खेलत हावे होली।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी क्र.6//अशोक साहू

।।मया पिरीत के होली।।

बैर कपट सब ईरसा छोड़
गोठियाबो मया के बोली।
हुडदंग करे के तिहार नोहय
मया पिरीत के होली।।
आनी बानी के रंग गुलाल
रंग बिरंगी पिचकारी।
नानहे लईका ल का कहिबे
सबो के हे तियारी।।
मांदर थाप म राहस नचईया
निकले हाबय गली गांव।
कोनो राधा कान्हा के रूप धरे
थिरकत हाबय सुग्घर पांव।।
बाजे नंगाडा के बोल धनाधन
चौक म सब जुरियाय।
बड नीक लागे होली गीत
फागुनवा रंग जमाय।।
लईका सियान सबो निकल गे
संगी साथी संग टोली मे।
गला मिल गुलाल लगावय
शोर परगे आज होली हे।।


अशोक साहू , भानसोज

पागा कलगी - 6//सूर्यकांत गुप्ता

लइकन रंग मा हें रंगे ( दोहा)
………………………………………
भारत दाई तोर तो महिमा हवै अपार।
लइकन बर अब्बड़ हवै, मया दया अउ प्यार।।
हँसी खुसी बर तैं भरे, हर दिन अलग तिहार।
कातिक माँ तो रोसनी, होरी माँ रंग डार।।
फागुन मा बाढ़े रथे, ऋतु बसंत के जोस।
बइठे गावत फाग हें, खोवत हें जी होस।।
लइकइ ले प्रहलाद के, बाढ़िस प्रभु संग प्रीत।
ददा फुफू ला तार दिस, धरम के होइस जीत।।
लइकन रंग मा हें रंगे, हरियर पिंवरा रा लाल।
छलकत चेहरा ले खुसी, खेलत रंग गुलाल।।
किल्लत पानी के रथे, एकरो हवै खियाल।
पिचकारी ला छोड़ के, धरे अबीर गुलाल।।
आवैं इन लइका भले, काटैं सबके कान।
लइकन से कुछ सीख लइ, आवन भले सियान।।
होली के गाड़ा गाड़ा बधाई सहित....
जय जोहार....।।
रचनाकार - सूर्यकांत गुप्ता
1009, वार्ड नं. 21 सिंधिया नगर
दुर्ग (छ. ग.)

शुक्रवार, 18 मार्च 2016

पागा कलगी -6//संतोष फरिकार

"आज होरी तीहार ए"
…………………………………………
आज होरी तीहार हरय
पीचकारी म रंग भरय
संगी संग गुलाल खेलय
ईही म मया बाढ़य
आज होरी तीहार ए
सबो के सुरता आथे
सबके मथा म टीका लगाथे
संगी के मया बाढ़य
ईही होरी के चिन्हा हरय
आज होरी तीहार ए
रात भर होरी जलावत
दिन म सबो नहावत
मया के गोठ गोठीयावत
सबो झन मजा ऊड़़ावत
आज होरी तीहार ए
नानपन म होरी खेलत
एक दुसर म रंग लगावत
सबो सुख ल पावत
जमो संगी संग मिलत
आज होरी तीहार ए
…………………………………………
रचना - संतोष फरिकार (मयारू)
ग्राम - देवरी भाटापारा
जिला - बलौदाबाजार

पागा कलगी -6 //आचार्य तोषण

"होरी"
होरी आए होरी आए
तन मन घलो हरसाए।
होरी तिहार बड़ अलबेला
जम्मो जगा सुख सकलाए।।
प्रेम भाव ले गुझिया खाए
सबला अबीर गुलाल लगाए।
नाचय गावय सब मस्ती मा,
छै छै जोड़ी नंगारा बजाए।।
घर-घर देखव घूमत हावय
गावत फाग बजावत टोली।
लगाय गुलाल कहे प्रेम से,
बुरा झन मानौ आज हे होली।।
होरी मा धंधाय कृष्ण हा
रंगन के बउछार परत हे।
धरे भर-भर पिचका हाथ
एक दुसर के पाछु दउड़त हे।
दुनिया देख कतिक गजब
रंग ले भरे हावय पिचकारी।
हरिहर पिंयर कंहूकर नीला
जइसे दिखय सुघर फुलवारी।।
भुइंय्या मा फाग बरसगे
भंउरा के गुनगान हे होरी।
ढोल नंगारा के सरगम जागय,
सरसों के मुसकान हे होरी।।
जात पात सबला भुलावय
होरी देवय सबला सममान।
भाईचारा के भाव जगावय
देवय जिनगी के पहिचान।।
-आचार्य तोषण

पागा कलगी -6//अमन चतुर्वेदी

----------------------------------------
मया के होरी
-----------------------------------------
आगे हवय फागुन
घर दुवार सजा लेबो
दुख पीरा बिसरा के
होरी ला मना लेबो
ननपन के सुरता आथे
रहि रहि मन उहें भागे
गुरतुरिहा गोठिया लेबो
होरी ला मना लेबो
प्रेम रंग अबीर हे
मया रंग गुलाल हे
इही म दुख बिसरा लेबो
होरी ला मना लेबो
घर दुवार तो अपनेच हरय
पर के पीरा तान लेबो
भेद भाव ला छोड़ संगी
होरी ला मना लेबो
कचरा होवत हे हमर घर मे
बिपदा आवत हे छत्तीसगढ़ मे
जुरमिल सोरिया लेबो
होरी ला मना लेबो
काबर रुख राई ला कांटन
धरती के सिंगार ला छांटन
उदीम कोनो लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
दुनिया भर के घुरवा होगे
हमर राज म बिघन होगे
संगी मन ला बला लेबो
होरी ला मना लेबो
अटल बुद्धी के पटल कहे
काबर कोनो दुख ला सहे
जम्मो कचरा ला जला देबो
होरी ला मना लेबो
मन के मुटाव बिसरावव
सबोच ला अपन मानव
सब ला गला लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
पानी बर दुनिया तरसत हे
जीव जंतु सबो तड़फत हे
चलव आज पानी बचा लेबो
होरी ला मना लेबो
सबके हम मित बनन
जग म नवा नांव गढ़न
काज अइसन कर देबो
होरी ला मना लेबो
बइरी मन के पांव पसरगे
हमर धान कटोरा म
ये बइरी ला उठा देबो
होरी ला मना लेबो
सुघ्घर हरियर हमर राज
राज दुलारी के लगे हे ताज
उही ताज म कलगी लगा लेबो
होरी ला मना लेबो
मिट जाबो दाई तोर आन बर
लहु बोहा देबो ये सम्मान बर
बइरी ला बता देबो
होरी ला मना लेबो
होरी ला मना लेबो
………………………………………………
रचना - अमन चतुर्वेदी (अटल)
ग्राम - बड़गांव डौंडी लोहारा
जिला - बालोद, छत्तीसगढ़

बुधवार, 16 मार्च 2016

//‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-6‘ के विषय//

//‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-6‘ के विषय//
दिनांक 16/3/16 से 31/3/16 तक
छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-6‘ के विषय प्रारूप ये प्रकार होही-
मंच संचालक-श्री देवलहरी (पागा कलगी प्रतियोगिता के मिडि़या प्रभारी)
निर्णायक-
1. डाॅ. जे. आर. सोनी, वरिष्ठ साहित्यकार, रायपुर
2. श्री पुष्कर सिंह ‘राज‘, वरिष्ठ साहित्यकार, बालोद
विषय - दे गे चित्र के भाव ले शीर्षक तय करके अपन रचना लिखना हे ।
विधा- विधा कोनो बंधन नई हे, फेर रचना संक्षिप्त अउ गंभीर होय अइसे निवेदन हे ।

//छत्तीसगढ़ के पागा कलगी- 5 के परिणाम//



छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 5‘ के विषय रहिस हे ‘हमर जुन्ना खेल‘ ये विषय ला ये मंच संचालक आदरणीय अशोक साहू जी दे रहिन । ये विषय मा हमर छत्तीसगढ़ के संगे संग महाराष्ट्र ले घला रचना आहिस ये 15 दिन के आयोजन मा सबले जादा 20 रचना प्राप्त होहिस, इंखर रचनाकार हें -
1-संतोष फरिकर
2-आचार्य तोषण
3-आशा देशमुख
4-सुखन जोगी
5-महेन्द्र देवांगन‘माटी‘
6-देवेन्द्र कुमार ध्रुव
7-ललित साहू ‘जख्मी‘
8-जयवीर रात्रे बेनीपलिहा
9-हर्षल कुमार यादव
10-मिलन मलरिहा
11-नवीन कुमार तिवारी
12-ललित टिकरिहा
13-राजेश कुमार निषाद
14-ललित वर्मा,
15-हेमलाल साहू
16-चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
17-लक्ष्मी नारायण लहरे
18-सुनिल शर्मा‘नील‘
19-ओमप्रकाश चैहान
20-रामेश्वर शांडिल्य
ये सबो रचनाकार मन के ये आयोजन मा भाग ले बर हृदय ले आभार ।
ये आयोजन के निर्णायक रहिन हमर छत्तीसगढ़ के विदुषी दीदी शकुंतला शर्मा अउ दीदी शकुंतला तरार ये दूनो दीदी सबो रचना के दिल ले तारीफ करीन अउ सबो रचनाकार ला बधाई कहिन हे । रचना के गुणवत्ता अउ दे गे विषय के अनुरूप रचना के आंकलन करे बर करे गे मंथन ले दू-दी ठन अमृत कलश पाईन । निर्णायक मन के निर्णय के अनुसार छत्तीसगढ़ के पागा कलगी -5 के पागा ला -
श्री संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
अउ
श्री ललित टिकरिहा
भाई मन के मुड़ी मा पहिराये जाथ हे । दूनो भाई ला गाड़-गाड़ा बधाई
सबो रचनाकार ले निवेदन अइसने आधू घला संग देवत रहिहव
धन्यवाद
छत्तीसगढ़ मंच

मंगलवार, 15 मार्च 2016

पागा कलगी क 5//रामेश्वर शांडिल्य


काबर खेली हम गिल्ली डंडा
हमरो बर ला दो गेंद बल्ला ।
चौका छक्का हमन लगाबो
देश म अपन नाव कमाबो।
काबर खेली हम भौरा बाटी
किरकेट खेलथे सब साथी ।
नई बनान हम घरघुदिया
कम्पूटर खेलत हे दुनियां ।
खो खो कबड्डी संतुल नदागे
गांव के सब खेल माटी सनागे।
धुराॅ माटी पानी म बोहागे
तइहा के खेल सब नदागे।
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

रविवार, 13 मार्च 2016

पागा कलगी क्र.5 //ओमप्रकाश चौहान

नंदागे हमर जम्मो खेल
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
बिही बारी अउ ओ डोंगरी के खेल
डंडा पचरंगा अउ ओ संगीमन के रेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
अब तो बिते बछर होगे हमर जम्मो खेल,
भौंरा बांटी अउ ओ जनउला के खेल
गाँव गली अउ ओ सुग्घर सुनता के मेल
काहाँ मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
कारी पाख बनगे हमर जम्मो खेल,
खो खो कबड्डी अउ ओ ढेलवा के खेल
नोनी बाबु अउ ये सांझर मिंझरा के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
अंधयारी रतिहा होगे हमर जम्मो खेल,
सुर रेस टीप अउ ओ खिलाचोर के खेल
संझा बिहना अउ ये मंझनिया के खेल
काहाँ मेर लुकागे काहाँ मेर छेकागे
अब तो पहुना होगे हमर जम्मो खेल,
बइला गाड़ी अउ ओ झुलना दउंरी के खेल
मया मयारू अउ पावन पिरीतिया के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
बस पुन्नी के चंदा होगे हमर जम्मो खेल,
अटकन बटकन अउ ओ जनउँला के खेल
बबा दाई अउ ओ लोरी कहानी के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहां मेर छेकागे
खाली सुरता बनगे हमर जम्मो खेल,
चकरबिलस अउ ओ गोंटा भटकउला के खेल
सांझर मिंझरा अउ ओ नोनी मन के मेल
काहां मेर लुकागे अउ काहाँ छेकागे
अब तो परदेसी होगे हमर जम्मो खेल।
" ओमप्रकाश चौहान "
" बिलासपुर "

पागा कलगी 5// सुनिल शर्मा

कतका सुग्घर रहीस नानपन 'नीम' तरी 
सकलावन
बीच चउक धर 'बांटी-भौरा'नगत सब
चिल्लावन
कबड्डी,पिट्टूल,खोखो,खेलके जब
घर आत रहेन
'मनोरंजन' तो होबे करय सुग्घर 'सेहत'
घलो पात रेहेंन
डोकरी दाई ह फोर चिचोल 'तीरी पासा'
खेलावय
लइकामन ल इही बहाना 'जिनगी के गनित'समझावय
कतका सुग्घर...........................
बीस-अमरीत,बिल्लस,परी-पत्थर
आनी-बानी खेल रहय
'उंच-नीच'के नाव नइ पातेस सुग्घर
सबके मेल रहय
काला कहीथे अनुसासन खेल इही
समझाइस हे
मया पिरित ,भाईचारा के क ख ग
ल बताइस हे
'फरीयर' रहय मन बाँटी कस जम्मों
खेल देवय 'संदेस'
नंदावत सब खेल ल देखके रोवत हे
छत्तीसगढ़ देख
कतका सुग्घर रहीस........................
बिदेसी संस्कीरति के आंच म छत्तीसगढ
अइलावत हे
नई खेलय 'गिल्ली-डंडा' कोनो सब 'किरकेट' चिल्लावत हे
मोबाइल के टिपिर टापर नानपन ल
नगावत हे
लइकामन दिखथे सियान नानपन
म तसमा चढ़ावत हे
डोकरी दाई के खेल कोनो अबके लइका
नइ भावय
तरियापार हावय सुन्ना सोर डंडा
पिचरंगा नइ सुनावय
कतका सुग्घर............................
अपन खेल तना-नना आन देस के होवत
हे परसिद्ध
दाई ददा के पुछइया नइहे अउ परोसी
लागत हे सिद्ध
चल कसबो कनिहा संगी संस्कीरति ल
अपन बचाबो
"छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी" ल ओखर
मान देवाबो
नई जगाबो जबतक मया लइकामन म संसकिरती बर
अभीरथा रइही सबो बिकास चाहे लन
कतको उन्नति कर|
कतका सुग्घर.................
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
*************************************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
रचना दिनाँक-१३\०३\२०१६
CR

शनिवार, 12 मार्च 2016

पागा कलगी 5//लक्ष्मी नारायण लहरे

० गली खोल होगे सुना .....
_______________________
सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
खडे मंझनिया बर -पीपर के छैन्हा म
खेलन बांटी ,मुन्दिहरा के बेरा म छु चुवौला
थके हारे घर म आके भात खाके
गली म जुरियान
का बिहिनिया का रथिया
संगवारी मन संग नदी -पहाड़ खेल खेल म आँट पसार ल मतान
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे
संगवारी मन के नाम नंदागे
जबले घर घर म हीरो -हिरोइन के छप्पा टगागे
भंवरा, बांटी रेसटिप
गुल्ली डंडा अउ फुगडी
जमो खेल के नाम मोर लईका भुलागे
अब संगवारी जमो खेल नंदागे
गीत अउ कहिनी टीबी म छागे
कम्पियूटर अउ मोबाइल म
नान-नान लईका भुलागे
का जुग आगे रे संगी
गाँव के सबो खेल नंदागे .....
गली खोल होगे सुना
संगवारी मन नानकन के मया भुलागे
जबले गाँव म खेल नंदागे ....
सुरता करथो मोर नानपन के संगवारी मन ल
भुला जाथो मै अपन सुध बुध ल
(छोटकुन मोर प्रयास)
लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल, कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी 5//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

( कहाँ पाबे अब अइसन खेल)
....."........"......."........"......
हमर छत्तीसगढ़ के खेल
हरय हमर नानपन के मेल
.......................................
घूमत रहन बइला भइसा कस
नदियाँ-तरियाँ के पारे पार
गिंजरत रहन खरी मझनियाँ
बहेरा कस भूत खारे खार
हाँथ में धरे गोंटी अउ गुलेल
अइसन तो रहय हमर खेल..।
घर दुवारी अउ मैदान म
बाड़ी खेत अउ दईहान म
जम्मो संगवारी जुरीयावन
पुरा गाँव भर ल मतावन
अब नंदा गए अइसन मेल
कहाँ पाबे अब अइसन खेल ।
बनके गुरु जी लगावन सोंटा
बिल्लस खेलन चालन गोंटा
डब्बा टीना के बजावन तासा
कौड़ी चिचोल के चालन पासा
बिसरा गे अब अइसन खेल
खेलन कूदन सब होवय मेल।
कूदन बितन्गी अउ छु-छुवउला
खेलन फुगड़ी अउ गीत गवऊला
अटकन बटकन दही के चटकन
बिन गाजा बाजा के सब मटकन
खेलन जम्मो मिलके पेल-ढपेल
अइसन तो रहय सब हमर खेल।
खेलन जुरमिल के डंडा पचरंगा
कोनो रहय मरहा कोनो बजरंगा
जितय तेनमन करय जोहार
हरय तेनमन पारय गोहार
नंदावत हे अब अइसन खेल
संगवारी मन ले होवय मेल ।
वाह रे हमर कांच के बांटी
दिखब में मनखे कस आंखी
हार जीत के लगे रहय बाजी
जीतन त रपोट लगावन छाती
कहाँ पाबे अब अइसन खेल
जेमा रहय बालपन के मेल ।
वाह रे हमर बिन पाँखी के भौंरा
झुमय हमर खोर गली के चौंरा
आवय हमर दांव गोदन गोदना
अगला के मात जावय रोदना
नदावत हे अब अइसन खेल
लड़न झगड़न हो जावय मेल ।
खेल हमर पित्तुल के भदउला
खोर गली में खेलन लुकउला
दउड़ दउड़ के चक्का चलावन
बइला गाड़ी ला कसे दौड़ावन
संगवारी मन से होवय मेल
नदावत हे अब अइसन खेल ।
खेलन बिस अमृत परी-पत्थर
गाके गोल गोल लगावन चक्कर
धरे रहन कठवा के पुतरी-पुतरा
मनखे कस पहिरान धोती लुगरा
कहाँ पाबे अब अइसन मेल
नदांवत हे अब अइसन खेल ।
....."......."........"......"......
हमर छत्तीसगढ़ के खेल.....
हरय हमर नानपन के मेल....
......"......."....."......".....
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

पागा क्र 5//- हेमलाल साहू

हमार जुन्ना खेल नदागे।
हमार जुन्ना खेल ला, चल संगी लाबोन।
तन के कमजोरी भगे, ताजगी जगाबोन।।
हमार जुन्ना खेल नदागे।
देख कइसन जवाना आगे।।
नानपन के खेल हा नदागे।
सुरता बन आखी म समागे।।
गांव म गिल्लि डण्डा नदागे।
मनखे बीच गोला लुकागे।।
जुन्ना रेसटीप हा सिरागे।
पतरगरहि के खेल नदागे।।
देख बाटी भौरा लुकागे।
खो- खो, फुगड़ी कहा गवागे।।
तरिया के छु छुवाल सिरागे।
पुतरि पुतरा बिहाव नदागे।।
तीरी पासा कहा गवागे।
पासा के खेलिया नदागे।।
नदी पहाड़ खेल ह लुकागे।
अखमुंदा के खेल नदागे।।
अटकन बटकन कहा गवागे।
धुर्रा फुतकी खेल ह नदागे।।
देख आज मो. के गेम आगे।
सबो आज टी.बी. म भुलागे।।
पहली असन तन नई हावे।
खेल बिना कमजोर हावे।।
चल न जी जुन्ना खेल लाबो।
अपन खेल ला हमन बचाबो।।
परयास हवे मोर गा, देहु बने तुम ध्यान।
लिखे हाव मैहा बने, कमी ढूँढ दे ज्ञान।।
- हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा ,पोस्ट- नगधा
तहसील - नवागढ़ , बेमेतरा

गुरुवार, 10 मार्च 2016

पागा कलगी-5//ललित वर्मा, छुरा

आज विकास के सुरूज म-२,अईलावथे जुन्ना खेल
नंदावत हाबय जी-२,मोर गांव-गवंई के खेल
गली-खोर म भौरा-बांटी, रेसटीप अउ जनउला
परछी-चौरा म पुतरा-पुतरी,भोटकुल चुरी लुकउला
फुगड़ी बिल्लस फोदा पिट्ठूल-२,म सिखय तन-मन मेल
नंदावत हाबय जी--------
घरघुंधिया म सगा अउ पहुना, खेलय बहिनी-भईया
चूलहा-चुकिया म जेवन बनई म, बनय जी नोनी मईया
संग चोर-पुलिस के खेल म संगी-२,सिखय रीत-नीत मेल
नंदावत हाबय जी--------
लंगड़ी टिटंगी बोरा रस्सी- दौड़ म तन हरियावय
खड़खड़िया तीरी-पासा गोटा म,मन-मति बड़ फरियावय
छू-छूवउल अटकन-बटकन म,-२हे गियान-धियान के मेल
नंदावत हाबय जी-------
ए खेल हे तन-मन मिंजनी माटी, छत्तीसगढ़ के थाती
पुरखा के जी दिया अउ बाती, बरत रहे दिन-राती
जुन्ना खेल म दिखथे संगी,-२ पुरखा-लईका के मेल
नंदावत हाबय जी--------
आज विकास के सुरूज म-२,अईलावथे जुन्ना खेल
नंदावत हाबय जी, मोर गांव-गवंई के खेल
नंदावत हाबय गा,मोर छत्तीसगढिया खेल ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सिरजईया:-ललित वर्मा, छुरा

पागा कलगी 5//राजेश कुमार निषाद

। खेल हमर नंदागे ।।
जब ले सिनेमा आगे ग
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
बड़े बिहनिया गली खोर म खेलन भऊरां बाटी।
रेस्टिप अऊ छू छुऔल खेलन सब संगी साथी।
कहाँ पाबे अब ओ खेल ल
सब क्रिकेट म झपागे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
कतेक सुघ्घर लागे दीदी बहिनी मन के खेलई फुगड़ी गोटा अऊ बिल्लस।
हमन खेलन तिरीपसा तिग्गा अऊ राहन बिंदास।
पर आज के महिला सीरियल में मोहागे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
गुल्ली डंडा के बात निराला
डंडा पचरंगा खेलन धूप म।
भरे मंझनिया तरीया म डुबकन कुदन चढ़ के रुख म।
पर ओ दिन ल अब कहाँ ले लाबे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
पिट्ठूल खेलन खपरा सकेल के।
छुक छुक रेलगाड़ी खेलन एक दूसर ल ढकेल के।
गिरत पानी म कागज के डोंगा चलान।
पानी ल छेक के पीपर पान के तुरतुरी लगान।
अईसन खेल अब कहाँ पाबे ग
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
निम फर अऊ बमरी काँटा के ढेलवा झूला बनान।
बर पत्ता के फिलफिलि बना के उड़ान।
कच्चा माटी के दिया बना के फोड़न।
चौरा म खड़ा होके नदी पहाड़ खेलन।
खो खो कबड्डी खेले बर नाम अपन बताबे ग।
जुन्ना खेल हमर नंदागे ग।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी 5//ललित टिकरिहा

🎯हमर नंदावत खेल🎯
🎭🎭🎭🎭🎭
जुरे राहय संगी जंउरिहा,
अब नई हे थोरको मेल,
गांव गली हर सुन्ना होगे,
अउ हे हमर नंदावत खेल।
फुगड़ी भुला गे नोनी मन,
अउ बाबू मन भुला गे सुर,
भंवरा बांटी के पुछइया नई हे,
जम्मो कारटून म होगे चूर।
पिठ्ठुल के रचई नंदागे,
अउ रेस टीप के लुकई,
सुरता आथेअड़बड़ मोला,
संगी हो गेंड़ि के दउड़ई।
घांदीमुंदी ,बीस अमृत नंदागे,
चुकिया पोरा अउ घरघुन्धिया,
बिल्लस संग सुरता म समागे,
खोरलंगडी अउ अँखमूंदिया।
छुक छुक रेलगाड़ी नंदागे,
नंदागे संगी डंडा पिचरंगा,
घाम राहय लकलकावत तभो,
चलय झमाझम गिल्ली डंडा।
भोटकुल तिग्गा मन हरय,
गोंटी अउ काड़ी के खेल,
संगी जउरिहा मन के होवय,
तिरिपासाअउ चौसर म मेल।
खो,कबड्डी,कुश्ती नंदावत हे,
जम्मो हमर नंदावत हे खेल,
अब तो पाबे भीड़ बजबजावत,
किरकेट म माते रेलमपेल।
हमन गंवईहा,आनिबानी के,
पहिली खेलन सुग्घर खेल,
नाव गिनायेव् ते मन ला,
सुरता म रख लौ जी सकेल।
जुरे राहय संगी जंउरिहा,
अब नई हे थोरको मेल,
गांव गली ह सुन्ना होगे,
अउ हे हमर नंदावत खेल।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
लिखना..................✍
९-३-२०१६ 📖
🙏✏ललित टिकरिहा✏🙏

बुधवार, 9 मार्च 2016

पागा कलगी 5//नवीन कुमार तिवारी

गवई के खेल नंदागे हवे,,
भोरा बांटी, कंची पन्दोलनि ,
तू तू कहत साँस हा भरौनी ,
लंगड़ी कूदत गड़ौनी खेलत
डंडा पचरंगा ,गोबर गिल्ला ,
गिल्ली डंडा फूल गेंदवा भुलागे
पुक ले मारे पथरा छरियागे
खेले नोनी बिल्लस फुगड़ी,
खो खो कहत दिन पोहागे
गोल गोल रानी इत्ता इत्ता पानी
पहाड़ नदिया बनाके कूदत गली मचान ,
घेरा म बैठे तेंहा काबर भुलागे ,
सोंटा पढ़ीस तभो भुलागे
नव गोटिया घलो नंदागे
पुतरा पुतरी के बिहाव कराये
फेर दहेज़ देबर तेन्ह भुलागे,
रुख राई चढ़े चिरई जाम तोड़े के उदीन
फेर बोइर घलो झर्रागे ,
झांझ चलत तरिया नहाये
भैँसा पुंछी धरे नदिया सुखागे
पूछत संगी ले जनवूला के पाती
धुंवा उड़ावत माई चले
पाछू पाछू लइका दौड़े
वोहू दिन बिसरागे ,,,,,
सोज्झे कहत हवस संगी ,
हमर छत्तीसगढ़िया के जम्मो खेल बिसरागे,,,


नवीन कुमार तिवारी
9479227213

रविवार, 6 मार्च 2016

पागा कलगी 5//मिलन मलरिहा


........"बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय"..........
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ओरवाती के चुहत अटकन बटकन म सब जुरियाय
बादर के तिरयाती बेरा फुगड़ी-कितकित मन भाय
होवत मझनिया नोनी-बहनी अट्ठी खेले सकलाय
गलि-गलि म तीन पग्गा चाल-चिचोला फोड़ जमाय
टीबी सनिमा गोठ देखसिख, बिदेसी, अब अपनाय
किरकेट म झपाके टींकू , गुल्ली-डण्डा छोड़ भुलाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
-
अलसिहा होगे नोनी-बाबु, पटरपीटिर भर दबाय
मोबाईल म गेम खेतल बइठे घन्टो आखी गड़ाय
लुका-छिपा, छू-छूवाऊल, म गोड़ ल नई उसलाय
भागा-दउड़ा म कसरत होय, कोन ओला समझाय
मिहनत ले डरईया जूग आगे, सबो हे पेट बड़हाय
डनडा-पचरंगा, पथरा-छुवाऊल जाने कति नंदाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
-
धर- पकड़ -कबड्डी खेलइया जाने कहां गवाय
अबके पहलवान दिखेभरके, तन ल हवय फूलाय
धरय, कुदारी-गैती कभू झिनभर म हफर-जाय
कूलर के रहइया लईका, घाम देख माथा चकराय
जिन्स पहिरके खो-खो म कइसे , दऊड़ लगाय
परी-पथरा खेल ल पुछबे, त सोन-परी ल बताय
छत्तीसगढ़ी रिति-खेल भूलाके बिमारी ल परघाय
तईहा के खेल बाटी-भँवरा-फल्ली ले सब दूरिहाय
.
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मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर
9098889904

पाग कलगि ५//-हर्षल कुमार यादव

माटी के मैदान आज सुन्ना होगे रे।
खेल खेलीय्या लइका मन हिरा पन्ना होगे रे।
छोटकन बाटी हा कैसन नेम लगाय।
डंडा के मारमा गील्लि भाइ भगजाय।
अभि मोर मुन्ना चौकन्ना होगेरे्
डंडा गील्ली के नही,रैना के फॅन होगे रे।
मोर माटी के मैदान सुन्ना होगे रे।
खेल खेलइया लइका मन हीरा पन्ना होगे रे।
उठत बिहीनीया धरत लाठी गोल गोल घुमाय ।
अखाडा के मैदान गजब करतब दिखाय।
अभही मोर गोलु जवान होगे रे।
लाठी काठी के नही खली के फँन होगे रे।।
मोर माटी के मैदान सुन्ना होगे रे।
खेल खेलयीया लइकामन हीरा पन्ना होगे रे।
बैठ महतारी,बैठ जवान दिमाक अब्बड चलाय।
तिरी पासा के अजब गणित लगाय।
मोर मोनु हा संतरंज के खिलाडी होगेरे।
पासा के नही विश्वासनाथ आनंद के फॅन होगेरे।
मोर माटी के मैदान सुन्ना होगेरे।
खेल खेलइया लइकामन हीरा पन्ना होगेरे।
हर्षलकुमार यादव
वरोरा
चंद्रपूर
महाराष्ट्र ७२६४०६४९७४

पागा कलगी क्र.5//जयवीर रात्रे बेनीपलिहा


हमार नंदावत खेल
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(मयारू)
हमर खेल नंदावत हे
हमर खेल फुगड़ी फु ल,
सबो कोई भुलावत हे,
हमर खेल गुल्ली डंडा हर,
देखतो कैसे लुकावत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
बचपन में हमन टायर चलान,
आज खेलइया नजर नई आवत हे,
अउ खेलन हम भौरा बाटी,
आज सबो सुरता आवत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
स्कुल ल आके खो कबड्डी खेलन,
आज ओ दिन ल सब झन भुलावथे,
संझा होतिस तहन रेस्टिप खेलन,
बोरा दौड़ रस्सी खीच ल भुलावत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
नानकुन म गुड्डी गुड़िया खेलन,
गुड्डी गुड़िया के भावर ल भुलात हे,
गर्मी में आमा तरी अटकन बटकन,
अब कोन्हों ल सूरता नई आवत हे,
देखतो हमर खेल नंदावत हे।
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जयवीर रात्रे बेनीपलिहा
(मयारू)