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मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

पागा कलगी -22//17//मोहन कुमार निषाद

विषय - नोट बंदी (विद्या रहित)
आनी बानी के लोग हे जी , किसम किसम के गोठ !
कोनो कहिथे अब नई चलय , हजार पान सौ के नोट !!
सुनके बड़ा अचम्भा लागीस , अब कइसे जी करबोन !
नई चलही अब पईसा हा , कती डहर जी धरबोन !!
सनसो होगे सबो झन ला , चिन्ता मनला खावत हे !
का अमीर का गरीब , ये नोट बन्दी सबला जनावत हे !!
अब एके ठन रद्दा बाचे हे , चलव बैंक मा जाइन !
अपन हजार पान सौ के नोट ला , जमा करके आइन !!
बैंक मा जाबे ता , लाइन लगे हे भारी !
खड़े खड़े जी जोहत रा , कब आही मोर पारी !!
तभो मनमा संतोष हे मोर , मोर मेहनत के पईसा ये भाई !
करिया धन वाला के मुह ओथरे हे , मात गे हावय करलाई !!
नोट बन्दी के होय हावय भारी असर , कोनो नई बाचीन !
सबला हला के राख दिच , नई छोडिस कोनो कसर !!
जाबे ता धरा देवत हे , दु हजार के नोट ला !
चिल्हर कोनो नई देवत हे , सुनले रंग रंग के गोठ ला !!
साहुकर मुड़ धर रोवत हे , चरचा ओखर घरोघर होवत हे !
चिन्ता ओखर मनला खावत हे , नोट बलदे के जुगाड़ जमात हे !!
जेनला कभु पुछय नही , ओखरे मेर हाथ लमावत हे !
ददा कका भईया कइके , घेरी बेरी गोहरावत हे !!
बड़ घमण्ड रहिस चीज के अपन , आज धन ला घुना खावत हे !
पईसा बदले बर आज , पईसा मा मनखे बिसावत हे !!
रचना
मोहन कुमार निषाद
गाँव लमती भाटापारा
मो. ८३४९१६११८८

पागा कलगी -22//16//महेश मलंग

नोटबंदी करके तय करे कमाल मोदी जी ।
कालाधन रखैया के होगे काल मोदी जी ।।
बिपक्षी मन के मति मार गे हावय
करत हावय बेमतलब बवाल मोदी जी ।।
ईमानदार मनखे मन खुलके मुस्कावत हे
बेईमान मन के हावय बुराहाल मोदीजी ।।
मानत हन हम सब ल थोरकिन परेसानी हे
पर आगे चल हम सब होबो खुसहाल मोदीजी ।।
मोर भारत ह छूही फेर एक नवा ऊंचाई ल
धन धन हीरा बा के तय हीरा लाल मोदी जी ।।

-महेश मलंग पंडरिया जिला कबीरधाम

पागा कलगी -22//15//डोलनारायण पटेल

नोटबंदी (कुण्ड़लियां छंद म)
नोटबंदी होय हवय ,भारत मा भल काम।
चरचा सगरो होत हे,ले मोदी के नाम।।
ले मोदी के नाम ,बहुत कहे भल होय गा।
जेकर करिया काम, मूड़ धरे ओ रोय गा।।
जुन्ना बड़खा नोट, जमा कर देवा जल्दी।
बेरा ला पहिचान, होय हवय नोट बंदी।।
कतका बड़िहा देश बर, होय हवय कर ज्ञान।
नोटबंदी करे हवे, बनके पोठ सियान।।
बनके पोठ सियान ,भारत के परधान गा।
तहूं भरम ला छोड़ , कर ऐखर ते मान गा।।
सुनलव कहिथे डोल, होइस हवय कबअतका।
मोदी के सरकार, करिस हे बड़िया कतका।।
करिया धन जतका हवय, सबके खुलही पोल।
नकली रुपया देश ले, हो जाही अब गोल।।
हो जाही अब गोल, अब नई कोनो ठगाही।
असली पाही राज,आघू सब ला बढ़ाही।।
कहय डोल हर बोल, नोटबंदी बड़ बढ़िया।
कछु नइ आवय काम, हवय जतका धन करिया।।
कहिथे बुधिया बात ला,कछुक जाय बड़ पाय।
होय खतम तकलीफ हर , कछुक समय के जाय।।
कछुक समय के जाय ,बात सब बन जाही जी ।
नोटबंद के लाभ, देश भर हर पाही जी।।
कहय डोल तें देख, बखत हर कइसन बहिथे।
सुनलव खोले कान ,बात ला बुधिया कहिथे
देखय टिबी बहुत झन, बहुत पढ़य अखबार।
अपन अपन के सब कहय, करके सोच बिचार।।
करके सोच बिचार, कहिथे होयहे ठौका ।
गद्दार खाइन चोट, छुटगे हाथ ले मौका।।
कहय डोल सच गोठ, अपन अपन के सब कहय।
मूड़ मूड़ मति आन, अपन नजर म सब देखय ।।
नोटबंदी तोर जनम, होय नवम्बर आठ।
कालाधन गोसान हर, होगिस सुक्खा काठ ।।
होगिस सुक्खा काठ,करू खाय सही लागे।
गइस नींद भुख भाग, नोटबंदी का आगे ।ं।
कहय डोल भल आय, देश के मुखिया मोदी।
स्वागत हवय तोर, बार-बार नोटबंदी।।
डोलनारायण पटेल तारापुर
मो. 7354190923

पागा कलगी -22//14//गुमान प्रसाद साहू

विषय - नोटबंदी
विधा - दोहा म परयास
शिर्षक - नोटबंदी ग देस म
-------------------------------
नोट बंदी ग देस में,
करीस जब सरकार।
जमा खोरो के मन में,
मचीस हाहाकार।।
नोट बंदी सरकार के,
हे कारगर उपाय।
भ्रष्टाचार जेकर ले,
पुरा खतम हो जाय।।
नोटबंदी ग होय ले,
जमा खोर कउवाय।
का करबो अब नोट के,
समझ घलो नइ पाय।।
रखे रिहीन करिया धन,
घर में लोग लुकाय।
पकराय के सब डर से,
नदि म नोट बोहाय।।
भरे रिहीन हे घर में,
नोटों के अम्बार।
काला धन जमा करके,
भरे रिहिस भंडार।।
नोट बंदी के चलीस,
सरकारी अभियान।
काला धन रखईया मन,
होगे ग परेशान।।
नोट बदली करे बर,
लोगन खड़े कतार।
बैंक मुहाटी हे लगे,
लोगन के भरमार।।
नोटबंदी होये ले,
बड़े नोट बेकार।
गुल्लक ल तोड़ निकाले,
चिल्लर के भरमार।।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा(महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छ.ग.

पागा कलगी -22//13// विजेंद्र वर्मा अरमान

🙏🏻नोट बंदी🙏🏻
कोनो मांगत हे उधारी,
कतको झन देवत हे गारी,
महु खड़े हौ संगी लाइन मा
कतका जुवर आही फेर मोर बारी।
सिरतोन गोठ ये संगी,
नोहय गोठ लबारी,
नोट बंदी होय हे तबले,
करत हौ काम बेगारी।
का संझा का बिहनिया,
लगावत हौ बैंक के फेरा,
नोट भंजाय के चक्कर म,
डाले हौ इहिच मेर डेरा।
बड़का नोट ल धरे हौ,
तभो ले खिसा लागत हे सुन्ना।
जईसने पहिरे हव,
कुरता पेंठ जुन्ना जुन्ना।
पीरा समझईया कोनो नईये,
छुट्टा मारत हे उदाली,
फेर कतको झन काहत हे,
मोदी ल झन देवव जी गारी।
विजेंद्र वर्मा"अनजान
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
 विजेंद्र वर्मा अरमान
 तिल्दा जिला बलौदा बाजार
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पागा कलगी -22//12//कौशल कुमार साहू

विधा - गीत
विसय - नोटबंदी
&***बने करे कका***&
**********************************
बने करे कका, तंय बने करे गा।
काला धान स्वाहा होगे धरे-धरे गा।
1 - बंद होगे बजार म,
बड़का - बड़का नोटिया।
छिन भर म रंक होगे,
धन्ना सेठ गोंटिया।
बोमफार के रोवय कोनो, तरवा धरे गा।
बने करे..............
2 - सुख्खा नरवा म पुरा,
सबके होत हे गनती।
गंगा म ठंडा करे ले,
पाप नइ होवय कमती।
कोनो भुर्री बारय, कोनो हवन करे गा।
बने करे...............
3 - परलोखिया मनखे मन,
घात उढ़ावय खिल्ली।
गच्चा मारे अइसे कका,
गिरगे सबके गिल्ली।
ढेसरा मछरी कस सब, अल्लर परे गा।
बने करे................
4 - हाट - बजार म ठाढ़े सुरसा,
रेती असन भोसकगे।
भसटाचार म फुले फुग्गा,
तुरते ताही ओसकगे ।
मही ल फुंक - फुंक पीथे, दुद के जरे गा।
बने करे..................
5 - नेता ल फिकर होगे,
कइसे जीतबो चुनाव।
घरे - घर म माते झगरा,
कोन ल कतेक मनांव।
कचरा होगे पेटी - पेटी, भरे - भरे गा।
बने करे..................
6 - एक तीर म साधे निसाना,
सिरतोन सब ला मारत हे।
नोटबंदी अइसे लगथे,
जइसे स्वच्छ भारत हे ।
हरहा गोल्लर बर टपका, बांध डरे गा।
बने करे.....................
7 - बइरी बर बाज बने तैं,
हितवा बर मितान ।
तोर हिम्मत म खड़े हे 'कौशल '
आज हिन्दुस्तान ।
दुसमन - बइरी के छाती म, दार दरे गा।
बने करे....................
रचना :- कौशल कुमार साहू (फरहदिया)
ग्राम /पोस्ट सुहेला
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा (छ ग)
पिन - 493195
मो - 99 77 562811

पागा कलगी -22//11//दिलीप पटेल

नोट बंदी
थर थर कांपत हे जीवरा मोर
कहे रहेव बाई ल कि निकलबो भिनसरहा भोर
मोर सारी के हावय टीकावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो अब होगे जी बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
अग्घ्हन के उगेना पाख म माढे हवय लगीन
आजेच मिलही काली मिलही
दिन निकलगे जी गीन गीन
रिक्शा भाडा, मोटर के किराया
का के लाडू बटासा ल मंगवावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
बाई के गुस्सा बमकत हवय
हरके बरजे ले नई मानय
कहेव कि रुपिया बंद होगे,
मोरेच ऊपर दोष ल लानय
घेरी घेरी मिस काल आवत हे साढू मन के
हम कैसे फोन ऊठावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
पारा परोसी हाल सबो के मोरेच कस सब रोवत हे
बिन पताल के साग चूरत हे ठक ठक ले करसुल म खोवत हे
चटनी मिरचा म दिन पहाके
भईगे पसिया भर ल पसावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
चार पैईसा सकलाये रहीस ऊहू बैंक म हो गे हे जमा
बदनामी ससुरार म होही मै का रौती करव जी कामा
खावत बने न ऊछरत बने
बिन जेवन के मोर अदावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
दिलीप पटेल बहतरा , बिलासपुर
मो.न. ८१२०८७९२८७

पागा कलगी -22//10//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

....नोट बंदी के नफा-नुकसान..........
_______________________________
नोट बंदी के का,नफा-नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त,कतको ल पड़गे जियान।
धरे रिहिस थप्पी-थप्पी,ते छटपटात हे भारी।
घेरी - बेरी देवे गारी , धरे धन कारी।
कंहू मेर गड़त हे, त कंहू मेर बरत हे।
बोरा - बोरा नोट , पानी म सरत हे।
लाइन में लगे के आदत ,जनमजात हे।
गरीब - मंझोलन सबो ,नोट बदलात हे।
फेर कतको के,कईठन काम अटकगे।
पंऊरी के रिस घलो , तरवा म चघगे।
फेर दुनिया संग चीज बदलथे,किथे सियान।
नोट बंदी के का, नफा-नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त, कतको ल पड़गे जियान।
करिया धन;सफेद करे के,दवा खोजे कतको।
त बेफिकर होके चटनी - बासी ,बोजे कतको।
टुटगे भ्रस्टाचारी अउ घूसखोरी के हाड़ा।
त राजनीति बर बनगे हे, ये बात अखाड़ा।
धने - धन म भरे गाड़ा ल, बेंक म उतार।
हिसाब-किताब बरोबर रख,काहत हे सरकार।
धरहा तलवार चाही,अभी तो निकले हे मियान।
नोट बंदी के का, नफा - नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त, कतको ल पड़गे जियान।
नोटबंदी के नुकसान कम,नफा जादा हे।
साथ देयेल लगही,सरकार के नेक इरादा हे।
असली म मिंझरे, नकली नोट छनाही अब।
का होथे धन के मोह, तेहा जनाही अब?
भगवान के बनाय काया, तो संग छोड़ देथे,
तोर बनाय कागत,कतिक काम आही अब?
बने होही अइसने उदिम म,अवईय्या बेरा।
तभे भारत बनही , बने मनखे के डेरा।
छोड़ माया;सकेल धरम-करम अउ गियान।
नोट बंदी के का, नफा-नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त, कतको ल पड़गे जियान।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी -22//9//दिलीप कुमार वर्मा

नोट बन्दी 
कोनो खुश दिखे,कोनो दिखे हे उदास देख,
लाइन म लगे हाबे,चारो कोती गोठ हे।
कोनो कहे अच्छा होइस,कोनो माथा पिटे हाबे,
पाँच सौ हजार के तो,जबले बन्द नोट हे।
करिया धन लाये खातिर,नकली मिटाये खातिर,
आतंक ल दबाये खातिर,मार देइस चोट हे।
कतको जलाय कतको,गंगा में बोहावत हाबय,
सहीं मजा लुटे झूठ,रोवत हाबय पोठ हे।
दोहा-जब-जब करिया धन मिले,तब-तब मारय चोट।
चलत हबय गा गोठ हा,जब ले बन्दी नोट।।
नेता छाती पीटत हाबय,बड़ दुखी दिखत हाबय,
लागत हाबय जइसे धन,भरे हाबय पोठ हे।
माल ओहा पाये हाबय,बड़कन दबाये हाबय,
पाँच सौ हजार के तो,धरे हाबय नोट हे।
आनी बानी के कहानी,कहत हे ओ जुबानी,
मोदी ल झुकाये खातिर,मारे लागे चोट हे।
कतको दिखावा करे,मुड़ चाहे गोड़ धरे,
करिया धन वाला के तो,बाचे न लंगोट हे।
दोहा--हाय-हाय नेता करे,नइ देवत हे कान।
जेकर करिया धन हबै,अब नइ बाचय प्रान।।
कुछ नवा पाये खातिर,जुन्ना ल गवाये परथे,
कह गये हाबय हमर,तइहा के सियान ह।
देश बदले के बीड़ा,मोदी ह उठाये हाबय,
लाइन में खड़े होत,रोवत हे मितान ह।
आज दुःख मिलत हे त,काली सुख पाबे तेहा,
धीरज ल धर काबर,डोलत हे ईमान ह।
नवा दिन लाय खातिर,देश ल बचाये खातिर,
जब ले नोट बन्द करे,रोवय बेईमान ह।
दोहा-ओकर लुटिया डूब गे,जेकर रहिस कुबेर।
एक चोट मोदी करे,सब्बो होगे ढेर।। 

दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार

पागा कलगी -22//8//आचार्य तोषण चुरेन्द्र

(१)
नोटबंदी के होयले ,सुधरत हवय जहान ।
देखलेबो एक दिन अउ,होत भारत महान ।।
होत भारत महान,सफलता पक्ती चढके ।
बढा पग तै आघू,हांथ मशाल जी धरके ।।
सुन तोषण के बात,भरव कर जल्दी जल्दी ।
झन रख तै अपन कर,होत हे अब नोटबंदी ।।
(२)
तरवा ल बइमांन धरे,करनी करके रोय ।
बिलइ जइसे ताकत हे,जब नोटबंदी होय ।।
जब नोटबंदी होय,भ्रष्टा ल हटाय बर ।
बने रद्दा म चलव,बुझत दीया जलाय बर ।।
झन लुका रख पइसा,ते रे छानी परवा ।
हजार पांच नोट म,पोछते रहिबे तरवा ।।
© ®
आचार्य तोषण चुरेन्द्र
धनगांव डौंडी लोहारा

बुधवार, 23 नवंबर 2016

पागा कलगी -22//7//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर'अंजोर'

विषय:-- नोट बंदी
विधा:--छंद म लिखे के प्रयास।
नोट बंदी के नफा निक हे,
फैसला हे गजब निकहा।
गोरस लुटईया बिलई बर,
बढ़िया बांधे हे सिकहा।
नोट बंदी जबले होय हे,
खुश दिखे चिल्हर धरइया।
चेत कउवाय अकबकाय हे,
नोट के उप्पर सुतइया।
जमाखोरी कर गाड़े रहिन,
ढांके तोपना उघरगे।
करिया नकली सब्बोझन के,
लाहो लेवई उतरगे।
रुपिया पइसा अब सकलाके,
बेंक के कोठी म भरही।
नियत सुघ्घर रइही त रुपिया,
बिकास के रद्दा धरही।
नफा नेक सब्बो कहत फेर,
कहुं कहुं नकसान हवे।
सूई दवई बरबिहाव बर,
जम्मो झन परसान हवे।
मरनी हरनी खात खवाई,
छट्ठी संग नाम करनी।
रुपिया बिना जुच्छा परेहे,
रसोई म डब्बा बरनी।
बुता काम छोड़ माईपिला,
बेंक के आघु खड़े हवे।
नवा नोट निकलिच हे लटपट,
त छुट्टा के अकाल हवे।
नोट बंदी करइया मोदी,
चारो मुड़ा ले सोर हे।
अभी थोरहे परसानी हे,
आघु रद्दा अंजोर हे।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर'अंजोर'
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

पागा कलगी -22//6//कु. जागृति बघमार

भ्रष्टाचार के सेती
नोट बंदी चलत हे
बोरा बोरा पईसा 
अब माटी म गलत हे
नोट वाला मनखे
नोट बीन छटपटावत हे
बीन नोट के मनखे
तीन परत ले खावत हे
करिया धन सफेद करे बर
मनखे जगह जगह फिरत हे
नोट भंजाये बर संगी इहा
बनिहार घला मिलत हे
कोनो नदिया त कोनो
नरवा म पईसा सरोवत हे
हद होगे संगी अब इहा
बट्टा म नोट घला मिलत हे
आतंकी अऊ नक्शली मन
नकली नोट म चलत हे
मनखे संग अरथबेवस्था ला
दीयार अस तरी तरी घुन हे
नोट बंदी होये ले संगी अब
ये नकली नोट सिरावत हे
जम्मो करिया पईसा ह अब
सरकार के खाता म जावत हे
करिया नोट करिया नोट
गली गली गोठियावत हे
थोरक दिन के परशानी
तहान बने दिन आवत हे ....
कु. जागृति बघमार

पागा कलगी -22//5//अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

कालाधन लाये बर सरकार मुहीम चलाइच
1000 अऊ 500 रु नोट पर रोक लगाइच
हाहाकर मचे गे हवय सहर म अति
देहतवाले मनके का होही?
देहातवाले मन ल तो पता नही होही
4घण्टे बाकि रहिस दिन डूबे बर त बताइस
एटीएम बैंक पेट्रोल पम्म म बड़का जन लाइन रहिस
देखते देखत म अब्बड़ पैसा निक्लीच।
येति ओती चारो कोती 2000 अऊ 500 के नोट
बैंक अऊ डाकघर म हवय अति भीड़
पुरना नोट रखे हवय मचत बवाल
चिल्हर के परसानी हो गे हवय चारो कोती।
मोदी जी के एक ठन फैसला ह
ब्लैक ला व्हाइट बना के दिखाही
जेन बेरा म बन्द होहिच अफरा तफरी म
गजब होंगे हवय सहर गांव म।
नया नोट बैंक म आगे हवय
नकली बरोबर दिखथ हवय
आईच नवा बेरा सुघ्घर मोड़
नवा नोट बर लगे हवय भीड़।
2000 के नवा नोट आगे हवय
रिजर्व बैंक ह 100रु,200रु के सिक्का निकल दिच
चारों कोती छागे हवय नोट
भीड़ बड़गे हवय बैंक के दुवारी म।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर, कवर्धा जिला-कबीरधाम
छत्तीसगढ़ मो.-8085686829

पागा कलगी -22//4//संतोष फरिकार

नोट बंदी नोट बंदी हे
सबके मन म समाए हे
सब डाहन सजे बजार हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
बजार म देख दुकान म देख
गांव म देख शहर म देख
सबो डाहन नोट बंदी हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
बैंक म लाईन लगा के देख
दुकानदार कना मांग के देख
बस म चढ़ के देख नोट बंदी हे
नोट के मंदी नोट के मंदी हे
घर चलाय बर राशन
नोट बदले बर शासन
खाली होगे हवय कीचन
नोट बंदी नोट बंदी हे
जमो डाहन नोट मंदी हे
**********************
# मयारू
संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
9926113995

पागा कलगी -22//3//आर्या प्रजापति

विषय - नोट बंदी के नफा-नुकसान
गांव के मन ल होगे बनेच संसो,
छोड़ देहे खेत के काम बुता एसो।
मोदी जी एलान करिस परसो,
एदर के बदल जाही हजार अउ पांच सो।
आज कल बस इही चलथे गोठ,
बंद हो जही हजार अउ पांच सो के नोट।
मोदी जी के एलान लागिस हमला पोठ,
बैंक म लाइन लगे हे पहिने धोती अउ कोट।
बैंक म जावा पैसा बदल जाही,
उहा जांहु फार्म भरे ल पड़ही।
थोड़ा सा हलाकानी जरुर होही,
मगर तुहर मेहनत के पल जरुर मिलही।
बदल ले नोट कागज बन जाही,
नई बदल बे त पैसा नई चल पाही।
संसो झन कर पच्चास दिन म बदल सकही,
लगथे ये सोच ह बनेच गदर - फदर मचाही।
हजार के नोट म अतेक काला बजारी समाय,
जेन ल देखबे तेन अपन जेब गरमाय।
गरीब मन ल सबो लुट - खसोट मचाय,
सबे डाहर ले दुख के बादर मंडराय।
सबो कोती भ्रष्टाचार अउ घुसखोरी हमाय,
हमन ल जेन पाय तेन झरराय।
जेती जाबे तेती हमला सताय,
फेर अतेक करें के पाछु हमर हक म का आय।
हजार के चिल्हर नई होवय हमर करा,
भटकत रइथन सबो पारा।
सोचे ल पड़थे भंजाव काखर तिरा,
अब काखर ले सुनाव अपन पिरा।
दु हजार के नोट आय ले बड़ परेशानी पड़ही,
समझ नई आय ये काखर कर भंजही।
ये बदलाव ह हमी मन ल जनाही,
एखर चिल्हर ह कोन जनी काखर कर मिलही।
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव -लमती (सिंगारपुर )
जिला - बलोदाबजार

पागा कलगी -22//2//देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डी आर )

जब ले नोटबन्दी के बात ला सुनत हे,
सबो झन मुड़ धरे मने मन गुनत हे,
चार पईसा दाई मन गठियाये अछरा मा,
फेके के लईक होगे आज ओ कचरा मा....
सुतके उठगे बड़े फजर बड़े बिहान,
दिनभर बैंक के चक्कर काटत हे सियान,
बिगन खाये पीये होवत हे हलाकान,
ऐती होवत हे काम बूता के नकसान....
का बतान जेवन कइसे भिड़त हे दू जून के,
कइसे होवत हे बेवस्था तेल,गुड़,नुन के,
अरे पीरा हे, जब ले नोट बन्दी होगे हे,
घर मा राखे जम्मो बड़े नोट रद्दी होगे हे ....
बड़ा दुखदाई हे बीमार मनखे के कहानी,
पईसा नइहे एकठन,बिसाय बर दवई पानी,
बिगन ईलाज कतको के जीव छूट जात हे,
जीनिस मन मांहगी,सस्ता होगे जिनगानी...
कोनो उबर नई पावत हे ऐकर चोट ले,
काही बिसाय नई सकय,हाथ धरे नोट ले,
बांचे हे बुता,लईका के छट्ठी नामकरनी के,
काकरो घर खात खवई नई होहे,मरनी के...
नोनी के बाबू मुड़ ला धरे हे
बिहाव के लगन इही समे परे हे
फिकर हे कइसे उठही बेटी के डोली
काला देके पठोहु खाली हे मोर झोली.....
नफा....
जभे होही ऐ कालाधन के नास ,
तभे होही देस के सुघ्घर विकास,
नोट बन्दी के फरमान ले जागिस आस,
हमरे हित के काम सबो करत हे बिसवास...
बईठे बईठे देस के गद्दार बर पईसा पहुँचे,
गोला बारूद हथियार बर पईसा पहुँचे,
अब पूरा जर हाल जाही आतंकवाद के,
नास हो जाही देस मा नक्सलवाद के....
फलत फुलत रिहिस बैपार नकली पईसा के,
पता नई चल पाये असल अऊ खइता के,
हमनला नचवावय देखाके खेल कागज़ के,
अब कागजे रही ओ नकली पईसा कागज के.
जगा जगा सबो हमनला रिसवत मांगे,
बिगन दे काम नई होवय हाथ ला टाँगे,
अब रिसवत के गोठ ले सबो कंपकपाही
ऊपर डाहर के कमई ला कते डाहर खपाही..
खेल बन्द हो जाही कालाबाजारी के,
ढंग बदल जाही घटिया कारोबारी के,
चपक के राखे राहय तेला अब आघू लाही
कचरा मा फेकही नईते आगी मा धराही....
करचोरी करे देस ला खोखला करे,
अपन झोली ला ओ दोगला भरे,
नवा सबक हरे ऐहा गद्दार मन बर,
सबो अच्छा हे वफादार मन बर.....

रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव(डी आर )
'फुटहा करम' बेलर
जिला गरियाबंद

पागा कलगी -22//1//कन्हैया साहू "अमित" *.

*नोटबन्दी के गोठ *
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बङ सुग्घर सरकार के गोठ,
कर दीन बन्द बङे-बङे नोट।1
करिया मन अउ करिया धन,
इंखर उपर मारीन हे चोट। 2
लात के भूत बातेच नइ माने,
बइगा "मोदी" तैं कोर्रा-कोर्रा सोंट।3
संइता मा सकल सुख हे संगी,
सात पुरखा बर झन रपोट। 4
बङहर बङ बहादुर बने,
काँपय भीतर पोटा पोट-पोट। 5
नइ हे संसो सतवंता मन ला,
थर्राय जिंखर नियत मा खोट।6
लंगोटी ला लंगटा झन समझ,
मत सँहरा उज्जर पेन्ट कोट।7
दुब्बर बर इहां दु असाढ हे,
पइसा पातर ता खरचा मोठ।8
मुसकुल हे *अमित * चारों खुँट,
धीर मा खीर मिलही फेर पोठ।9
भागही भसटाचार भारत ले,
कभु नइ मातही लुट खसोट।10
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*कन्हैया साहू "अमित" *.
*शिक्षक * हथनीपारा~भाटापारा (छ.ग)
संपर्क ~ 9200252055
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©opy®ight.......
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