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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23 //10//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

प्रदत्त पंक्ति:-//वाह रे आतंकवाद//
वाह रे 
आतंकवाद,
लांघ डरे मरजाद।
मानवता के हत्या करके,कइसन फल तय पाबे।
अंधरा टमड़ के बता दिही,रौरव नरख म जाबे।
मरन बाद
भी नि मिटही,
अन्तर्मन अवसाद।
जस करनी तस भरनी हे मुहु म केरवस पोतागे।
चारो मुड़ा थुआ थुआ करे,नाक कान झोरागे।
मुहु के
भार पाय तभो,
भागत नइहे साद।
अंचित करई सुहावय नही,देख तरुवा पिराथे।
जादा के अति करइया घला,भुईया ले सिराथे।
भरभरा
के ढही जथे,
अंचितहा जयजाद।
नाहक करतहस अतियाचार,ढिलथस करकस बोली।
निरपराध मनखे के छाती,मारत फिरथस गोली।
मुहु हे
जुच्छा सांप के,
मनुष डसे के बाद।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

पागा कलगी -23 //9//चन्द्रप्रकाश साहू

वाह रे आतंकवाद
वाह रे आतंकवाद तोर काय अवकात.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
आंखी दिखाबे त आंखी तोर फूटही.
लगही गोली अउ तोर कन्हिया ह टूटही.
मान ज बात ल झन कर काकरो से लड़ई.
जांगर ह टूटही नइ मिलय मूते बर परई.
आगी म जल के होबे तै एक दिन राख.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
बारुद के ढेर म अब हमन तोला सुताबो.
कतना इतराथस ओला अब हमन देखाबो.
अब मत इतरा तोर मरे के पारी आगे हे.
शेर देख जैसे कोलिहिया ह खारे-खार भागे हे.
नइ राहय तोर रेहे बर जगा जाबे शमशान घाट.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
चन्द्रप्रकाश साहू
रायपुर (छ.ग.)
९६१७२४७५५०

पागा कलगी -23//8//आर्या प्रजापति

विषय - वाह रे आतंकवाद
विधा - तुकांत
मानुस के तै भैस धरइया,
सैनिक ल धोखा देके मरइया।
सबके आखी म आंसु डरइया,
तुहर नई हे का ददा अउ भईया।
रही-रही वार करे पल्लोखिया,
तै का जानबे दर्द ल परदेसिया।
पर के बुध के बात मनइया,
नई हे तुहर घर म पीये बर पसइया।
रोक ले अपन आप ल जिनगी संवर जाही,
रोआ के तुमन ल का मिलही।
संभल जा नही त जान नई बचही,
जमीन त जमीन कफन घलो नई मिलही।
कउआ अउ चिल के नाश्ता हरव,
थोकन तो भगवान ल डरव।
कभुं तो अपन फर्ज ल जानव,
धर्म अउ जात-पात ल झन बाटव।
भाई- भाई हरन सबो झन ल मत लडा़व,
लफ ले टांग ल झन अडा़व।
हाथ ल कखरो खुन ले मत रंगव,
जादा झन करव तुहर साख उखाड़ डरव।
का तै बाटबे हमन ल जात-पात म,
खड़े हे सबो झन हमर साथ म।
झन तै उड़ अतेक आसमान म,
परबे हमरो सपेटा आ जब औकात म।
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव - लमती (सिंगारपुर)
जिला - बलोदाबजार

पागा कलगी -23//7//तेरस कैवर्त्य (आँसू )

* वाह रे आतंकवाद *
देश दुनिया ल तय बैरी , नंगत काबर डरवाथस।
चिटकन पीरा नइ लागे , नइ रंच भर पछताथस।
तहूंच मनखे हावस फेर , मनखे ल काबर लुकाथस।
काय मिलथे कसई बनके , अउ करले शरम लाज।
वाह रे आतंकवाद !
बंदूक बारुद ल खेल बनाके , जगा -जगा बम फटोथस।
छाती ल कठवा पथरा बनाके , जनऊर बानी गुर्राथस।
कतेक निकता मनखे के , अब्बड़ लहू बोहाथस।
निरदोष परिवार के घर , गिराये करलई के गाज।
वाह रे आतंकवाद !
काकर बर तैं बूता ल करे , का तोर लइका के बन जाही।
गुनथस का तय जिंदा रबे , एक दिन पंछी तोर उड़ जाही।
फउजी के चपेटा म परबे , तोर तो कुटी - कुटी हो जाही।
गती नइ रहय मरे म तोर , खाही कुकुर कौआ तोर लाश।
वाह रे आतंकवाद !
रचना - तेरस कैवर्त्य (आँसू )
सोनाडुला , (बिलाईगढ़)
जिला - बलौदाबाजार - भा.पा. (छ. ग.) पिन - ४९३३३८
मोबाइल - 9165720460
Date - 15/12/2016

पागा कलगी -23 //6//तोषण कुमार चुरेन्द्र

लुकाके करथस वार तै,छातीम धमक के बात निंही ।
वाह रे ! आतंकवादी तोर ,आघूम आय के औकात निंही ।।

बेंदरा बरोबर कुदत रहिथस, भरे कपट छल आदत तोर ।
आंखील जादा नंटेर झन, छितिहौ पानी मिरचा झोर ।

लोग लइका तोर का बिगाड़े, घेरी बेरी डरवात रथस ।
जात धरम के नांव मा, मनखे मनखे लड़वात रथस ।

चेत चढे निंही काबर तोला, कुकुर कस छुछुवात रथस ।
परथे चमेटा मोर भारत के, पुछी झर्रात लुकात रथस ।

देख सपना झन डरवाय के, रखके बंदूक खांद मा।
हुआँ हुआँ कहि कोलिहा कस, चिल्ला झन सेर के मांद मा ।।

हमर भारत बिंदिया हरे, काबर तोला कसमीर देबो ।
अतलंग जादा झनले बैरी, फांकी दू ठाढ़े चीर देबो ।।
***************************
© ®
तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी -23 बर//5//गुमान प्रसाद साहू

विषय - वाह रे आतंकवाद
विधा- हरिगितीका छंद-------------------------------------
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।
महामारी कस फैलत हवे, दुनिया म जे रोग हे।।
हमरे घर आके ये बैरी, आतंक भारी करे।
जेन मंदिर मस्जिद के घलो, चिनहारी नही करे।।
रोजे ये मन फैलावत हवे, आतंक के रोग हे।
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।।1।।
जेन पतरी म खाये बैरी, उहीला छेदा करे।
आतंक के खंजर घोंपके, छाती म बेधा करे।।
येमन रोज ग लगावत हवे, आतंक के जोग हे।
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।।2।।
हमला करे छूपके बैरी, सीमा के जवान पे।
खेलथे रोज ये मन कतको, निरदोस के जान पे।।
तभो ले सबो जी चुप बइठे, भारी ग संजोग हे।
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।।3।।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा (महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी -23//4//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

काबर मनखे हर मनखे बर दुश्मन हे।
काबर बिरथा करे मनखे जनम हे।
-भूलके दया मया के बोली ल।
हाथ म धरे हे बन्दूक गोली ल।
सुवारथ म डुबके करे अत्याचार।
दुनिया म मचे हवे हाहाकार।
मनखे के भेष म करे शैतानी करम हे। काबर...
-का फायदा हे तेनला बतादे।
का नफा हे तेनला देखादे।
आगी हर आगी ले नइ बुझय
कोन का बिगाड़े हे तेनला बतादे।
बता का बात के तोला भरम हे। काबर.....
-बिनती हे फेकदे हथियार तय।
हमरो पियार ल करले स्वीकार तय।
वरना एकदिन अपन करनी के फल पाबे रे।
फोकट म अपन परान ल गवाबे रे।
मिटाके रहिबो आंतक हमर कसम हे।काबर...
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी -23//3//मोहन कुमार निषाद


अब्बड़ सहेन चुप रहिके मार !
हमरे गढ़ मा आके बैरी ,
हमिला देखाये तय हर आँख !!
जम्मो डहर मा तोरेच चरचा !
घरोघर हावय नाव के परचा !!
शोर उड़त हे गली खोर मा !
निकले नही कोनो तोर डर मा !!
दाई बहिनी लईका महतारी !
छाये हावय भारी लाचारी !!
करे तय घातेच अत्याचार !
उजाड़े कतको घर परिवार !!
समझे नही कखरो दुःख दरद ला !
जाने नही जी काही मरम ला !!
गाँव गरीब किसान ला सताये !
बेगुना जवान ला तय मारे !!
देश के जवान ला ललकारे !
शेर के मांद मा कोलिहा चिल्लाये !!
बेच खाये तय अपन ईमान !
थोकन तो डर रे बईमान !!
देश द्रोही बनके तय हर !
खोखला करदे पूरा समाज !!
माटी मा मिलाके रख देच !
भारत माँ के तय लाज !!
जागत हे देश के नवजवान !
देवत तोला हे मुंहतोड़ जुवाब !!
भाग जा लेके तय हर बैरी !
बचाके अपन परान रे !!
जागगे हावय देश के बेटा !
बनगे हावय तोर काल रे !!
वाह रे आतंकवाद , वाह रे आतंकवाद
रचना
मोहन कुमार निषाद
गाँव लमती भाटापारा
मो. ८३४९१६११८८

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बुधवार, 14 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23//2//कौशल साहू 'फरहदिया'

विसय :- आतंकी, विधा - गीत
& आतंकी &
@@@@@@@@@@@@@@@@
खुन खराबा करके तुमन, आतंकी का पाथव रे।
कुकुर सही येक दिन तुमन, आखिर म मर जाथव रे।।
1 पर भभकी अउ लालच म,
सत इमान ल बेंच डरे।
पथरा असन छाती तुंहर,
मानवता ल रेत डरे।
चलय नहीं खोंटहा सिक्का, बरपेली चलाथव रे।
कुकुर सही............
2 इसवर अल्ला जात धरम म,
भाई - भाई ल भेद करे।
चन्नी बरोबर महतारी के,
छाती ल तंय छेद डरे।
चोरहा कपटी असन तुमन, बइरी नजर लगाथव रे।
कुकुर सही..........
3 सुख शांति हमर तरक्की,
तुंहर आँखी म नइ सहावय रे।
अपन डीह ल अंजोर करे बर,
पर घर आगी नइ लगावय रे।
लाहो लेथव जर-जरके, छेना कस खप जाथव रे।
कुकुर सही.............
4 राम - रहीम ल मानव नही,
काकर गुन ल गाथव रे।
दया - मया ल जानव नहीं,
सब लोगन ल भरमाथव रे।
छेदा करथव उही पतरी ल,जेन पतरी म खाथव रे।
कुकुर सही...........
5 बिखहर आतंकी सांप ल,
दुद पियाके मत पोंस रे।
झन कर ताका - झांकी पापी,
अपन देस बर सोच रे।
जेहाद के नाम म हुंआ - हुंआ, कोलिहा कस नरियाथव रे।
कुकुर सही...........
6 आतंकी अइसे छछलगे,
रूख म अमरबेल रे।
जर समेत सब टोरव पुदकव,
घात होगे खुनी खेल रे।
पनाह देके बइरी ल 'कौशल', दाई के दुद लजाथव रे।
कुकुर सही.............
रचना :-
कौशल साहू 'फरहदिया'
निवास गांव - पोस्ट :- सुहेला
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा (छ ग)
पिन 493195
मो. 9977562811

पागा कलगी -23//1//आशा देशमुख

विषय ...वाह रे आतंकवाद
विधा ......नवगीत
डूबगे भुइयाँ लहू मा राम अउ रहमान के |
कोन बाँटे जात ला अउ
कोन बैठे बाट मा ,
क़ोन तउले हे तराजू
कोन आवय हाट मा ,
खेल सब मनखे करे अउ नाव ले भगवान के |
बाढ़गे हावय सुवारथ
पाप मारय प्रीत ला ,
नैन मा पानी नही
बानी कहे का गीत ला ,
लोभ इरखा मन सबो बैरी मया के प्रान के |
वाह रे आतंक तोरे
राज सब कोती हवे ,
साँच ला करथस लबारी
माथ हा डर से नवे ,
झूठ लाखों मा बिके कौड़ी नही कुरबान के |
का मिले आंतक से
अपराध बिन मनखे मरे ,
अब भुलावव द्वेष ला
तब सुख सबो कोती भरे ,
का कहे गीता पढ़व पन्ना पढ़व कुरआन के ||
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
14 .12.2016 बुधवार