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शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

पागा कलगी-17 //17// मिलन मलरिहा

कष्ट ला हरदे मोर लम्बोदर
करत.हँव पूजा तोर लम्बोदर
विघन बाधा ला मेट दे गणपति
खड़े.हँव हाथ जोर लम्बोदर ।

मिलन मलरिहा
मल्हार बिलासपुर

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

पागा कलगी-17 //16//ईश्वर लाल साहू

1. आके हमरो लाज बचादे जय जय श्री गणेशा ।
बिगडे जम्मो काज बनादे जय जय श्री गणेशा ।
डोंगा हा मझदार बुड़त हे जिनगी के समुंदर
आके बेडा पार लगादे जय जय श्री गणेशा ।

2. सुख ला भरदे हमरो जिनगी मा जय जय श्री गणेशा ।
पबरित करदे हम सबके मन ला जय जय श्री गणेशा ।
तोरे भगती कर पावन, अतका शक्ति दे दे
तोरे किरपा अमरित जइसे गा जय जय श्री गणेशा ।

ईश्वर लाल साहू
ठेलका, थानखम्हरिया

बुधवार, 14 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//15//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

मुक्तक(1)
सुवारथ के घोड़ा ला, झन दंऊड़न दे गनपति।
समुंदर में माया के , झन तंऊरन दे गनपति।
चुने मुसवा माया के, ओढ़े कपड़ा-लत्ता ला,
भगति के पाना-डारा ला, मंऊरन गनपति।
-------------------------------------
मुक्तक(2)
तोर आंसू नई बोहाय,
दूसर के आंसू पोंछबे त।
तोर तनमन नई मइलाय,
निक बात बिचार ल सोंचबे त।
तोर करनी ल “गनपति“
सरेखत हेवे ग,
नीम कइसे निकलही बीरवा,
केरा के खोंचबे त?

-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-17//14//सुनिल शर्मा"नील"

1)मुक्तक-----""कर बैरी के नाश""""
*********************************************
अमन चैन के देश ह लहू मा बूड़गे आज
चिथत हे ग दाई ल बन बेटामन ह बाज
करव पाप के नाश सत के होवय ग अंजोर
हवय प्राथना बस इहि सुनलव हे गणराज
***†****************************************
2) मुक्तक----"गिरिजानंदन"
********************************
सबले बड़का "दाई-ददा" हे जग ला जेन
सिखाए हे
दाई-ददा के सेवा ल कर "पहली पूजन"
पाए हे
पूजाच भर सुक्खा झन करन गुन ओखर
अंतस मा धरलन
संकट हरेबर, मंगल करेबर
"गिरिजानंदन"आए हे|
*********************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
copyright
14/09/2016
7828927284

पागा कलगी-17//13//-चोवा राम वर्मा " बादल "

मुक्तक 1(222 2222 2222 122)
जोईधा हच बड़भारी ,जै हो जै हो गणेशा ।
चकरित होगे भंडारी ,जै हो जै हो गणेशा ।
महतारी के आज्ञा माने तैं तो प्रण ल ठाने
मोहाटी छेके भोला ,जै हो जै हो गणेशा ।

मुक्तक 2 (222 2221 2211 22 )
जय जय हो गनपति तोर, आ लाज बचा दे
जगतारन बंदी छोर , बिपदा ल हटा दे ।
डोंगा बूड़त हे बीच भंवर म परे हे
सुन ले बिनती ला मोर, आ पार लगा दे ।

रचना -------चोवा राम वर्मा " बादल "
हथबंद

पागा कलगी-17 //12//हेमलाल साहू

जय जय हो गजानन मोरे गनेसा, जय गणराज।
दाई हे उमा अउ बापे महेसा, हे गणराज।
अरजी सुन परभु तैं, भगतन करत हें बड़ गोहार।
दुख पीरा हरव जगत के  मेटव कलेसा जय गणराज।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
(छत्तीसगढ़) मो.9977831273

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//11//महेश मलंग

अगियान मेटा के ते गियान हमला दे ।
हर त्रास औ संकट ले निदान हमला दे ।।
गणनाथ महराजा जीव जोर बिनती हे
बल बुद्धि बिद्या के बिधान हमला दे ।। 


महेश मलंग पंडरिया कबीरधाम

पागा कलगी-17//3//गुमान प्रसाद साहू


जय जय श्री गणेश जय होवय ग गजानन,
दिल में काकरो न भय होवय ग गजानन।
सबके तै गणेश कर अरदास ल पूरा,
मन सबके गणेश मय होवय ग गजानन।
करथस मूसवा ग तै सवारी गणेशा,
गणपति तै ग एकदन्त धारी गणेशा।
बिगड़ी काम तै हमार सबके बनाथस,
आथन जब ग तोर हम दआरी गणेशा।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी )
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी-17//10//आचार्य तोषण

जय जय श्री गणेशा शंकर सुतवारी
माता पार्वती तोरे तो महतारी
भगतन मन खड़े हे तोरे दर मा प्रभु
विनती सुन भगत के भगतन हितकारी ।

गणपति तोर देवा करथन गणेशा
सुमरन हाथ जोड़े करथन गणेशा
भगतन माथ टेके मांगय भीख गा
तोर पाव ला हम परथन गणेशा

आचार्य तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी-17 //9//लक्ष्मी नारायण लहरे

हे गणेशा मोर अँगना म जबले आये, जनम मोरे सफल होगे ।
हे गणेशा मोर सपना म जबले आये, दरद मोरे सरल होगे ।
हे प्रभुजी मोर अरजी ल सुनके, तैहा सफल करदे मोर पूरा
हे गणेशा मोर भुवना म जबले आये, बिपति मोरे तरल होगे।
-----------------
दुखिया के तै दुख हरैया जय हो तोर गणराज।
सबके बिगड़ी के बनैया जय हो तोर गणराज।
भुवना मा बाजे नगाड़ा कस के होय जयकार।
पापी के नासे करैया जय हो तोर गणराज।

० लक्ष्मी नारायण लहरे,साहिल कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी-17//8//लोकेन्द्र "आलोक"

गणपति तोर महिमा हवय बड़ भारी 
जय जय जय गणेशा कहत नर नारी 
लाडु भोग तोला सुहाथे भगवन
मुसवा के सवारी हवय गा भारी

बुद्धि सुद्धि सिरजईया तही गजानन
रिद्धि सिद्धि देवईया तही गजानन
हांथ जोर प्रार्थना “आलोक“ करत हे
काम-धाम अब बना दे तही गजानन
कवि - लोकेन्द्र "आलोक"
ग्राम - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद

पागा कलगी-17 //7//राजेश कुमार निषाद

पहिली पूजा के तै अधिकारी गणेशा
तोला भाथे लाड़ू हा भारी गणेशा
करथस सबके आशा ला पूरा गजानन
तोला कहिथे सब मंगलकारी गणेशा।।

मोरो पीरा ल तै हरबे गजानन
मोरो रक्षा ल तै करबे गजानन
सबले पहिली ग तोला गोहराथन
दुनिया मा सुख ल तै भरबे गजानन
रचनाकार - राजेश कुमार निषाद 
ग्राम चपरीद
(समोदा )

पागा कलगी-17 //6//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

मुक्तक
~~~
जय हो जय हो गजानन पहली मनावव तोला।
लड्डू मेवा मिठाई भोगे चढ़ावव तोला।
आखर के देवता तय मेटव नदानी मोरो
किरपा के तोर आसा माथा नवावव तोला।
मुक्तक
~~~
लूला के पार लगईया देवा।
रोगी के रोग मिटईया देवा।
बन जाथस तय अनधरा के आखी
सबके तय लाज बचईया देवा।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा
9993240143

पागा कलगी-17//5//आशा देशमुख

जय जय श्री गणेशा
1 ....पहिली पूजा के अधिकारी ,मोर गजानन लाला ,
सेवा मा दुनियां बइठे हे ,तोर गजानन लाला |
सब गण चलथे आघू पाछू , तै मुसवा मा बइठे ,
चारो कोती गूँजत हावय ,शोर गजानन लाला |
******************************************
2.....जगत के डोंगा ,खेवइया गजानन ,
करम के दुख ला ,मेटइया गजानन |
मया के छल मा गा मनखे बँधाए ,
सकल जीनिस के, देवइया गजानन |
***************************************
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
12 .9.2016 सोमवार

रविवार, 11 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//4//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

बहर--222 222 122 122
काफिया-- अव।
रदीफ-- गा।
मुक्तक(01)
भैया मन जय जय श्री गणेशा भजव गा।
जुरमिल के गणनायक गजानन कहव गा।।
दाई गौरी के लाल गणपति दुलारा,
नावे ला ओकर रोज सुत उठ भजव गा।
मुक्तक(02)
हे लम्बोदर महराज अरजी करव गा।
मनखे मन मा सद्भाव मनभर भरव गा।।
भाई-चारा के संग सबझन कमावय,
उंकर जांगर ला पोठ समरथ करव गा।
रचना:- सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

रविवार, 4 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//2//दिलीप वर्मा

रसता जोहत बइठे हाबन,जय जय श्री गणेशा।
हमरो घर मा कब ते आबे,जय जय श्री गणेशा।
तोरे पूजन खातिर भगवन,फुल माला धरे हन। 
मोदक तोला अड़बड़ भाथे,जय जय श्री गणेशा। ।।1।।
भोले के तै लाल गणेशा।
तन हे बड़ बिकराल गणेशा।
मूसक के तै करच सवारी।
टारच तै जन जाल गणेशा। ।।2।।
दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार

शनिवार, 3 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//1//देवन ध्रुव

मुक्तक 1
ऐहर जग मा पहली पूजा के अधिकारी हे।
दाई ऐकर गौरी, बाबू हा त्रिपुरारी हे।।
शोभा बरनत हावव मैहर तो गणनायक के।
वाहन ऐकर मूसक,काया हा अतिभारी हे।।
मुक्तक 2
मानय तोला सब झन,भगतन बर हितकारी हे।
ऐ जग के सब मनखे,तोरे बर बलिहारी हे।।
करथस मंगल सब बर,जनमानस तरईया तै।
किरपा के तै सागर,अधरे ले चिनहारी हे।।
-देवन ध्रुव