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सोमवार, 30 मई 2016

पागा कलगी-10//देवेन्द्र कुमारध्रुव(डी.आर)

देखव ऐ लईका हमन ला सेवा के सन्देश देवत हे
बिना बोले सुन्दर अकन हमनला उपदेश देवत हे 
अपन हाथ ले भूखे मनखे ल खाये बर देवत हे
सवाल हे कईसे अमीर ला हर सुविधा आला मिल जथे
फेर गरीब ला काबर खाये बर एक निवाला नई मिले...
हमन बड़े बड़े धरम करम के बात करथन
सबके दुःख मन के मरम के बात करथन
फेर काबर कोनो निहे गरीब के मदद करईया
अइसन फोकट कतको बोलनेवाला मिलजथे
फेर काबर गरीब के अंतस ल टटोलने वाला नई मिले.....
गरीब तरसत रहिथे एक एक कांवरा बर
जिंदगी बिताये खातिर घर अउ चावरा बर
झोपडी ल घलो तोड़थे बड़े दूकान बनायेबर
बस केहे के गांव शहर म धर्मशाला मिल जथे
फेर गरीब सुते सड़क म कोनो देखने वाला नई मिले.....
जिहां देखबे तिहा ज्ञान विज्ञान के बात करे जाथे
हरियर धरती पर्वत पठार आसमान के बात करे जाथे
बोले अउ लिखाये के हरे सब अच्छा इंसान के बात करे जाथे
जेती देखबे तेती गाँव गाँव भले पाठशाला मिल जथे
फेर कोनो जगह नेकी के पाठ पढ़ाने वाला नई मिले ......
भगत मन के भीड़ पूजा म मगन पुजारी
बाहिर म कोढ़ के पीरा सहत बइठे भिखारी
कोनो सोन के छत्र चढावत हे कोनो चादर
दान पेटी भरे जगमग मंदिर देवाला मिल जथे
फेर सीढ़िया म बईठे गरीब ल कोनो शाल ओढ़ाने वाला नई मिले......
आज जेन बेटी हमर घर म उजियारा बगरात हे
अपन हाथ ले हमन ल रांध के सुघ्घर खवात हे
जानथे सब बेटी हमर कुल के मान बढ़ाही
फेर उही ला कतको कोख में मारने वाला मिल जथे
काबर कोनो ओकर बने बने जतन करने वाला नई मिले ....
आज बने हन ता गरब गुमान हे अभिमान हे
सब पलट जथे तुरते बेरा बड़ा बलवान हे
परहित सेवा ल आज अपन धरम बना लौ
काबर बने म कतको पूछनेवाला मिल जथे
हालत बिगडिथे ते कोनो आँसु पोछनेवाला नई मिले .....

रचना
देवेन्द्र कुमारध्रुव(डी.आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद
9753524905

पागा कलगी-10 बर//पवन नेताम "सुरबईहा"

@@ तोला दस अंगरी के परनाम @@
**********************
मोला अन्न देवइया तोला दस अंगरी के परनाम।
दस अंगरी के परनाम,का करव मै तोर गुनगान,मोला अन्न देवइया तोला दस..
@ कतको आइन कतको गइन, नइ कोनो ह देखीस।
दु दिन ले मे भुखे परे हव, कोनो ह नइ परखीस।।
तै हावस कतका सुजान..
मोला अन्न देवइया तोला...
लड़की- का करथस बबा कहा रहिथस।
@ भीख मांग के करथव गुजारा,कोनो मेर रहि जाथव।
मिल जाथे त खा- पी लेथव, नइ तो भुखे मै सो जाथव।।
मै हावव डोकरा अनाथ..
मोला अन्न देवइया तोला...
@ जुग-जुग तेहा जिबे बेटी, मोर हावय आशीर्बाद।
भला ते सबके करबे बेटी,रहिबे सदा अबाद।।
तै दुनिया म कमाबे नाम..
मोला अन्न देवइया तोला दस अंगरी के परनाम।।
********************
रचना- पवन नेताम "सुरबईहा"
ग्राम- सिल्हाटी, स/ लोहारा
जिला- कबीरधाम( छग)
मोबा- 9098766347

पागा कलगी-10 बर//लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल

मनिखे मन के हिरदे म सोग नइये .....
---------------------------------------------------
मंदिर मस्जिद के रसदा म 
बैठे हे घर के सियान
रोवत हे ओ हर मने मन
आंखी के आंसू सुखा गेहे
अपन नाती बेटा के करत हे सुरता
घर के दरद ल हिरदे म बसाये हे
रसदा रेगैया मन ल निहारत हे
कोनो एक रुपया देवत हे त हाथ जोड़ के सिर झुकावत हे
अपन दरद छुपाके जीयत हावे
कोनो कभू जेवन करा देथे त
आंखी ल आंसू टपकत हावे
जिनगी के दरद ल कुलेचुप सहत हे
मंदिर मस्जिद के रसदा म
बैठे हे घर के सियान
रोवत हे ओ हर मने मन
मनिखे मन के हिरदे म सोग नइये
अपन दरद छुपाके जीयत हावे
कोनो कभू जेवन करा देथे त
आंखी ल आंसू टपकत हावे 


० लक्ष्मी नारायण लहरे , साहिल,
युवा साहित्यकार पत्रकार कोसीर रायगढ़

रविवार, 29 मई 2016

पागा कलगी-10 //-आशा देशमुख

दोहा ...
सरग नरक इंहचे हवे ,ये मनखे तैँ मान ,
जो जइसे करनी करे ,वइसे ही फल जान |
चौपाई
बइठे हावय भीख मंगैया |हाँका पारय सुन गा भइया |
मैं आवव गा अब्बड़ दुखिया | सुन गा दाऊ ये गा मुखिया |
भूख पियास म तरफत हावय | गीत भजन मा मन बहलावय |
दाई माई रानी दानी | देवव मोला दाना पानी |
वोला सुनके नोनी आइस |थारी भर के जेवन लाइस |
सुघ्घर गोठ मया के बानी |जइसे पागय आमा चानी |
अमरित कस जेवन हा लागिस | वो दुखिया के जीव जुड़ाइस |
ये नोनी तय हीरा बेटी | धरम करम हे तुहरे पेटी |
बेटी तै अस धरमी चोला | गड़य कभू झन काँटा तोला |
जेहर हावय दुख चिन्हैया |ओकर गोठ सुने कन्हैया |

दोहा ..
.देखय नोनी के मया ,दुखिया दिए असीस ,
ये बेटी जुग जुग जिओ , बन के राज रहीस |
-आशा देशमुख

पागा कलगी-10//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

.." जय हो तोर बेटी".........
"""""""""""""""""""""""""""""""""""
जय हो तोर बेटी धन्य हे तोर दाई ददा
पाए हे तोर कस लइका खुश रहिबे सदा ।1।
जब आथे सियानी लइकन छोड़ देथे साथ
जब आथे उंखर पारी खीच लेथे अपन हाँथ ।2।
सुग्घर राखय नइ बहु बेटा रंग रंग के सुनाथे
कहि देबे कांही कुछु त मारे बर हाँथ उबाथे ।3।
लागहन एक कुरिया म पड़े रहिथन नोनी
पहिरे मइलाहा कपड़ा बइठे रहिथन नोनी ।4।
ओतकों म उनला लागत रहिथन बड़ गरु
घर ले निकाल देथे धरा के डंडा अउ चरु ।5।
अब मंदिर हमर आसरय मिटाथे हमर भूख
तुंहरे कस नोनी,मनखे मन हरथे हमर दुःख ।6।
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

शनिवार, 28 मई 2016

पागा कलगी-10 //सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

--: दार-भात :--
जय होवय तोर नोनी, 
मोला देवतहस दार भात।
मालिक के किरपा ले,
चमके तोर परताप।
भूख अउ भोजन अइसे जुरे,
जइसे आत्मा अउ परमात्मा।
पेट भर भोजन सबला पुरे,
बनिहार होवय के महात्मा।
खरे मंझनिया इही हाटकर,
बइठे बइठे गुनत रहेव।
भूंख के मारे कान के सनसन,
निमगा थोर थोर सुनत रहेव।
ततके खेवन तोर अवाज पायेंव,
एले बबा खालेवव दार भात।
जय होवय तोर बेटी,
मोला देवतहस दार भात।
बादर बरस के जुड़ोत हेवय,
धनहा कछार अउ भर्री ले।
सुरुज परकाश पुरोत हेवय,
फुलगी थांघा अउ जरी ले।
पुरवई रेंग के देखात हेवय,
सुवांस के डहर घेरी बेरी ले।
तइसने भुंख हरेक प्रानी ल सताथे,
नइ चिन्हय जात अउ पात ल।
जम्मो पेट के भुंख मिटाथे,
कोनो किन्चा नइ करय दार भात ह।
भुंखन लांघन गुनत रहेव,
मनके इही जजबात।
ततके खेवन धरके पंहुचगे,
मोर महतारी दार भात।
जय होवय तोर नोनी,
मोला देवतहस दार भात।
रचना:---सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गांव- गोरखपुर,कवर्धा
९६८५२१६६०२

शुक्रवार, 27 मई 2016

पागा कलगी-10//सुनील साहू"निर्मोही"

"तहुँ कुछु सीख़ ले भईया"
लईका मन के सबै मितान रथे,
अउ उज्जर ऊंखर ईमान रथे,
हाथ दया के देख नान्हे नान्हे।
तभे कहे लईका रूप भगवान रथे,
देख के सेवा मोर नोनी के ग....
अचरज म परे हे सबै देखईया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।-2
---------------------
धन दौलत के करथन हम गुमान,
अउ बन जाथन हम बड़े सियान,
बड़ भारी परवचन सुनाथन??
अउ रहिथन दिनभर हम हलकान।
फेर दया धरम के काम करबो.....
देखे हन हम कतका कहईया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।-2
---------------------
मनखे मनखे अपन म भुलाथे,
नोनी हमर धियान करा....थे,
बड़ सुघ्घर लगथे सेवा कर के।
आज लईका मन हमला सीखाथे,
कर दया तहुँ.....ले पीरा उधार....
फेर बिपत म बनहि तोर खेवईँया।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।
तव तहुँ कुछु सीख़ ले भईया।।।
सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम-सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.8085470039

पागा कलगी-10//-हेमलाल साहू

@बेटी@
दया मया बेटी के हावे, अपना माने सबला जान।
देख बबा ला भूखा नोनी, करत हवय वो अन के दान।।
देख दया अतका नोनी के ,अंतस ले करथे परनाम।
श्रद्धा से आसूँ छलकत हे, तैय करे बड़ सुघ्घर काम।।
बेटा मोरो हावे नोनी, नइ आवय वो कुछ औ काम।
जांगर रहिते पूछिस मोला, अब करथे ओहा बदनाम।।
जिनगी भर राखेव ग पूँजी, पाई पाई मेहा जोर।
आज नई हे मोर ठिकाना, किंजरत हों मैं खोरे खोर।।
बोलिस नोनी मोर बबा गा, कउनो बेटा होय कपूत।
चल रहिबे मोरे घर मा तैं, अपन बनाहूँ तोला पूत।।
नोनी कहिस बबा झन होबे, तैहा मोर से कभु नराज।
बड़ भागी वो मानुष होथे, जेला मिलथे सेवा काज।।
बेटी बेटा सबो एक हे, कभू करव झन एमा भेद।
नर नारी से बसथे दुनियाँ, बेटी बर तब कइसे खेद।।
मान हेम के कहना संगी, सब करिहौ बेटी सम्मान।
सबके बेटी एक बरोबर, झन करहूँ एकर अपमान।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा
मो. नं.-9977831273

पागा कलगी-10//रामेश्वर शांडिल्य

बबा नातीन
=============
फूटपाथ म बैइठे बबा. 
भूखा बीमार लागथे ऩ
ओकर भूख भगाये ल.
नातिन भात सांग लानथे ऩ
"""""""""""""":""""""""""""""
सड़क म जीने वाला मन के.
ये हर कहानी हावे ऩ
अभाव गरीबी जीवन के.
भूख पियास निशानी हावे ऩ
"""""""""""""""""""""""""""""""
फोटू म तो बबा कुली के.
भेष म दिखथे ऩ
घाम म भुखाये थके.
अपन जिनगानी लिखथे ऩ
"""""""""""""""""""""""""""""""
पतरी म लाये भात सांग ल देख हाथ जोड लीस ऩ
नोनी के दया मया ल जान.
तरी ती मुंह मोड लीस ऩ
"""""""""""""""""""""""""""""
नोनी जात दया मया के.
खजाना होथे ऩ
सुख दुख सब म. खुशी
के बीज बोथे ऩ
"""""""""""""""""""""""""""
दीया नई बरस बिना बातीन के ये फोटू आये बबा नातीन के ऩ
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

बुधवार, 25 मई 2016

पागा कलगी-10//राजेश कुमार निषाद

।। पापी पेट के सवाल हे ।।
दर दर मैं भटकत हंव बेटी
देख मोर कईसन हाल हे।
मोर बर तै अतेक सुघ्घर भोजन लाने
खाहूँ मोर पापी पेट के सवाल हे।
लोग लईका ल पाल पोश के बड़े करेंव
फेर कोनो काम के नइये।
घर ले मोला बाहिर कर दिस
तभो ओमन ल चैन अराम नइये।
देवी बनके तै मोर करा आये
बेटी तोला मोर कतेक ख्याल हे।
तोर लाने भोजन ल मैं खाहूँ
मोर पापी पेट के सवाल हे।
सुघ्घर मानवता तै देखावत हस बेटी
फेर ये तो मोह माया के संसार हे।
आज तो तै मोला भोजन करावत हस
फेर मैं कहाँ जाहूँ न अब मोर घर द्वार हे।
सड़क किनारे मोर बसेरा बेटी
तन ढके बर न मोर करा चादर अऊ साल हे।
तोर लाने भोजन ल मैं खाहूँ बेटी
मोर पापी पेट के सवाल हे।
धन धन हे ओ दाई ददा
जऊन तोर जईसे बेटी ल जनम दे हे।
मोर जईसे गरीब अभागा करा
जऊन तोला भोजन धर के भेजे हे।
अईसन दाई ददा के मैं चरण पखारत हंव
जेकर तोर जईसन लाल हे।
तोर मया म मैं भोजन खाहूँ
मोर पापी पेट के सवाल हे।
रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )

पागा कलगी-10//सूर्यकांत गुप्ता

मगर नही अंधेर
सबे करमफल भोगथन, धरतिच मा जी जान।
कइसे कइसे जियत हन, धरके रोग सियान।।
जउन कोढ़ के रोग से, दुख पावत हे रोज।
सगा सहोदर हा घलो, करै न सेवा सोझ।।
घर बाहिर वो घूमथे, माँगत भरथे पेट।
किल्हर किल्हर के रेंगथे, कहुँचो जाथे लेट।।
प्रभु के घर मा देर हे, मगर नही अंधेर।
आथे कउनो भेस मा, सम्मुख देर सबेर।।
बेटा बर तरसत रथें, मारैं बेटी कोंख।
आँसू तो तकलीफ के, नोनी लेथे सोख।।
पा के नोनी आज मैं, भोजन तोर प्रसाद।
कइहौं बेटिच हा करै, सबके घर आबाद।।
जय जोहार....
सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग

पागा कलगी-10 //ज्ञानु मानिकपुरी"दास"

$मानवता के सन्देश$
~~~~~~~~~~~
धन्य-धन्य हे बेटी तोर मया,
दीन-दुःखी बर तोर दया।
अथाह परेम उमड़े दीन-दुःखी बर
दया मया छलकत हे तोर जिया।
मोर फ़ुटहा करम म अंजोर होंगे न,
गांव-गांव म बेटी तोर शोर होंगे न।
मोला पेट भर खवाके तय बेटी,
तय मोर दाई लइका मय तोर होगेव न।
देवत हे आज मानवता के सन्देश,
रहव चाहे कोनो देश-परदेश।
"जन सेवा ही प्रभु सेवा है"
मन में रहय झन झूठ,कपट,द्वैष।
वाह रे किस्मत अउ तोर खेल,
बेटा,बाप ल निकाले घरले ढकेल।
आज बेटा बर दाई-ददा गरु होंगे,
सिखौना बात उखर करु होंगे।
कहा गय समाजसेवी दान करइया मन,
बड़े बड़े बात करइया नेता भंडारा करइया मन।
"परहित सरिस धरम नही भाई" उपदेश करइया मन।
मुँह के बड़ लबार होथे करम धरम करइया मन।
दुनिया आथे दुनिया जाथे देखत खड़े तमाशा ल।
दया मया बिन जिनगी बिरथा हे कब समझहूँ ये परिभाषा ल।
बेटी,कखरो बेटी,कखरो पतनी,कखरो महतारी बन जथे।
दुःख सुख के समझइया दुलौरिन संग संगवारी बन जथे।
आओ मिलके ये संकल्प करन,
दीन दुःखी मनखे के करबो जतन।
मानव जीवन के सार इही हे"ज्ञानु"
भूखे प्यासे ल दाना पानी अउ बेटी के जतन।..... अउ बेटी के जतन।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आपके छोटे भाई
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी(कवर्धा)

पागा कलगी-10//अशोक साहू, भानसोज


मनखे जनम ल पाके संगी
मनखे के सेवा बजा ले।
नर सेवा नारायण सेवा कईथे
ईही करम अपना ले।।
पियासे ल पानी पिया दे
लांघन ल खवा दे भात।
गरीब ह घला तो मनखे ए
झन मार ओला लात।।
पईसा होय ले कोनो अमीर नई होवय
दिल ले होवय धनवान।
गिरे थके के दुख ल हरथे
उही ओकर बर भगवान।।
दुवारी म आथे कोनो गरीब
लांघन भूखन पियासा।
झन करबे निराशा ओला
तोरे ले लगाए हे आशा।।
संसकार अइसन घर घर म होय
सिखय सुघ्घर सेवा भाव।
अमीर गरीब के गड्ढा पाटय
दीन हीन बर राहय लगाव।।

अशोक साहू, भानसोज

पागा कलगी-10//ललित वर्मा

चल बहिनी मंदिर जाबो
----------------------------------------
चल बहिनी मंदिर जाबो
देवता मन के दरसन पाबो
सिढिया तीर म बईठे होही
भगत मन ल जोहत होही
लुगरा-लुहूंगी बिछाय होही
चांऊर ह छरियाय होही
दान-पुन करबो अउ मानव धरम निभाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
कपडा कंदरहा चिराय होही
चीटे-चीट मईलाय होही
दतून-मुखारी नंदाय होही
अउ तईहा के नहाय होही
कपडा सिल कांचबो अउ खलखल ले नहवाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
बीमारी म घेराय होही
खसु-खजरी छाय होही
कोढ ह कंदकंदाय होही
तन घावेघाव गोदाय होही
बईद बन ईलाज करबो दवई ल लगाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
मुंधरहा ले आय होही
पेट घलो रिताय होही
परसादे बस ल पाय होही
रतिहा के भूखाय होही
दार-भात-साग संग तस्मई ल खवाबो
चल बहिनी मंदिर जाबो
देवता मन के दरसन पाबो
----------------------------------------------
रचना - ललित वर्मा,
छुरा, जिला - गरियाबंद

पागा कलगी-10//संतोष फरिकार ‪मयारू‬

मोरो बेटी*
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
मोर दुख दरद ला देख बेटी
दार भात ल तय खवाए ओ
दीन भरहा होगे रहिस
कोनो नई देखीस निहार के
कोन मेर ले तोर नजर परीस
घर ले लाने दार भात धर के
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
कोन जनम म का पाप करेव
आज होगेव मय कोढ़ी ओ
गांव गली खोर मोहल्ला म
कोनो नई देखय निहार के ओ
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
दुख पीरा ला देख ओ बेटी
घर ले लाने दार भात ओ
आज हाट बजार बंद पड़े हे
कोनो नई देखत हे खड़े होके
काय दुख ल गोठीयावव बेटी
मरत रहेव भुख पीयास मे
धन्य धन्य हे तोर दाई ददा
तोर असन बेटी पा के ओ
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
तोरे असन होतीस मोरो बेटी
भटकन नई देतीस मोला ओ
करम छड़हा हव मय ओ बेटी
एक झन बेटी घलो नई पाएव ओ
रसता डहर म देख मोला
घर ले लाने दार भात ओ
कोनो जनम के ओ बेटी
होबे बेटी मोरो ओ
""""""""""""""""""""""""""""
रचना .संतोष फरिकार ‪#‎मयारू‬
गांव .देवरी भाटापारा
जिला.बलौदा बजार भाटापारा
मो . 9926113995

पागा कलगी-10 //ललित साहू "जख्मी"



"एक बिता के पेट"
एक बिता के ये पेट बैरी
दुनिया भर ला नचावत हे
भगवान बन ये नोनी हा
सियान ला भात खवावत हे
जतकी समाज आघु बढत हे
ततकी भुखमरी हमावत हे
एक कांवरा के भात बर
शरीर, ईमान घलो बेचावत हे
काकरो घर के चुल्हा जुडाय
काकरो घर कलेवा फेंकावत हे
गरीब के लईका भुख मा मर गे
अमीर खा-खा के बिमारी बुलावत हे
छट्ठी,मरनी,बिहाव के बांचे भात ला
कुकुर घुरवा मा बइठ के खावत हे
कम झन परे भले फेंका जाय
कही के मनखे सान बतावत हे
ये नोनी तो सियान ला खवइस
तुमन के झन ला खवाये हव
मनखे बन के जनम धरे हो
का मनखे के फरज निभाय हो?
चलो आज सब परन करबो
भुख मा कोनहो ला नई मरन दन
हमर राहत ले कोनहो गरीब के
यमराज ला परान नई हरन दन
ललित साहू "जख्मी"
ग्राम-छुरा / जिला-गरियाबंद(छ.ग.)
9144992879

गुरुवार, 19 मई 2016

पागा कलगी-10//नवीन कुमार तिवारी

समारू गौटिया के अतलंगी टूरा,
हीरो बन घूमत जी 
गंवई समाज में नाक कटावत,
घूमत देख अलकरहा जी ,
करत रिहिस मनमानी संगी ,
कतका समझाईस गुरूजी हा जी 
भेज वोला स्कूल समारू,
बन जहि घर स्वर्ग तोर संगी ,
फेर तीन नोनी म एक टूरा,,
घर संपत्ति के रिहिस गर्मी जी,
जम्मो नोनी ल फटहा चिरहा,
टूरा ल खवातमाखन मिश्री जी ,
उमर हुए के पहिलिच समरू,
तेंह करदेस ओखर बिहाव संगी 
नवा सुवारिन पाई के जी ,
कैसे अतलंग मचायिस जी 
अपन नोनी बहिनी संग संगी ,
कइसे टोला खदियारिस जी ,
कुकुर गत बनाके तोाला संगी ,,
कटोरा धर के कोलकी में बैठा लिस जी 
जोहर होये तोर समरू गौटिया,
झेन अइसे परबुद्धिया टूरा जन्माएस जी ,
जम्मो खेत खार ल बेच संगी ,
उड़ाइस मौज मस्ती जी ,
संगी जोन्हरिया ल गुने निहिस ,
खेलत रिहिस सत्ता जुवां जी ,
बड़का मोटर साइकिल ले,,
फिरत बिन कारज जी ,
अपन सुवारिन ल छोड़ के संगी ,
घुमावत रेचकिन नचकरहिं टूरी ल जी , 
मुंह में ठूंसे पान गुटखा ,
जतर कदर थूके पिचकारी जी ,
जोहर होये तोर समरू गौटिया,
झेन अइसे परबुद्धिया टूरा जन्माएस जी ,
आज तोरे बेटी तोला खवावत खाना ,,
ऐसे दुर्दिन देख संगी ,,
बेटी नोनी के मयारू प्यार ल संगी
देख ददा के करत सुग्घर जतन ल संगी ,,
नोनी बाबू में फेर नई करहो ,
अइसन भेदभाव संगी ,,
नवीन कुमार तिवारी ,
एल आई जी १४ / २ 
नेहरू नगर पूर्व ,
भिलाई नगर ,,४९००२० 
छत्तीसगढ़ ,,,०९४७९२२७२१३,,,,,

पागा कलगी-10 //आचार्य_तोषण‬

॥मानवता॥
*****************
कहत हे समय आज के
झन रो सबला हंसाबे तै
मानवता हे धरम करम तोर
मानवता के गीत गाबे तै
फइले दुनिया म नफरत
नदी प्रेम के बोहाबे तै
*****************
दीन दुखिया के सेवा में
अपन करतब निभाबे तै
दीन दुखिया मनखे के
जतन करे लाभ उठाबे तै
खंचवा पाट भेदभाव के
सबला गला लगाबे तै
******************
पाप कपट ले मुंह ल फेरे
पुण्य के लाभ उठाबै तै
पियासे बर पानी बन जा
भूखे ल खाना खिलाबे तै
गरीब के दुख पीरा आघू
दुख ल अपन भुलाबे तै
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हम सब भाई भाई सफ्फे
झन कोई ल ठुकराबे तै
बगिया सबे महके सबरदिन
बन प्यार फूल मुसकाबे तै
मन सबके खिलखिला उठै
भाईचारा के मेल बढाबे तै
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असहाय के सहारा बन जा
आशीष भगवान के पाबे तै
मानवता हे सार जगत में
मानवता ही लेके जाबे तै
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‪#‎आचार्य_तोषण‬
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद, छत्तीसगढ़
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