शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

पागा कलगी -24 //11//विक्रमसिंह राठौर "लाला"

विषय --> गुरू घासी दास बाबा के संदेश
महंगू के लाला अऊ अमरौतिन के दुलारा अस । 
हमर सब के बाबा तही एक सहारा अस ।।
गिरौधपुरी म बाबा जनम धर के तै आय ग ।
सबो नर नारी के दुख ल तै भगाय ग ।।
जोडा जैतखाम बाबा गिरौधपुरी म गडाये ग ।
दुरिया दुरिया के नर नारी दर्शन बर आये ग ।।
चरण कुंड अमरित के धारा ।
जिहा बोहाये पांच कुंड के धारा ।।
जोक नदी अउ बड भारी छाता पहार हे ।
गिरौधपुरी म बईठे बाबा हमारे हे ।।
तोर भजन ल बाबा मै गा लेतेव ग ।
तोर दरश ल बाबा मै पा लेतेव ग ।।
मोर गुरू बाबा के संदेश हे महान ग ।
जेहा बताये हे मनखे मनखे ल एक समान ग ।।
गुरू बाबा मोर तै छूआ छुत ल मिटाये ग ।
समाज म एकता अउ भाईचारे ल बताये ग ।।
मोर गुरू बाबा के सत्य के प्रति अटूट आस्था रहीस ग ।
मोर गुरू बाबा ह बालपन म चमत्कार देखाये रहीस ग ।।
सांप चाबे बुधारु ल तै जिआय रेहे ग ।
अउ छत्तीसगढ़ म सतनाम पंथ ल चलाय रेहे ग ।।
तोर गुणगान ल गावय "लाला साहू" ग ।
एको दिन मुरता म दरश देखाहू ग ।।
तोर 18 दिसम्बर बाबा हमन मनाये हन ग ।
तोर मुरत ल बाबा मन म बसाये हन ग ।।
--> विक्रमसिंह राठौर "लाला"
मुरता नवागढ़ , बेमेतरा
7697308413, 8120957083
दिनांक - 28.12.2016
समय - 08:15 am

पागा कलगी -24//10// एस•एन•बी•"साहब"

मोर बाबा के महिमा हे अपार
रे मनखे लेले आशीष बारंबार
सत् के संदेश देवत जिनगी ह बीतिस
ज्ञान के प्रकाश चारो कोति ह बिगरिस
मन झन हो तै उदास
होही चारो कोति ह उजियार
जात-पात छुआछूत मा झन उलझव
मनखे-मनखे ला एकसमान समझव
न कोनो छोटका न कोनो बडका
संगी बनके जिनगी ला लगावव पार
माँस-मदिरा ला कभू हाँथ झन लगावव
अज्ञानता ला जिनगी ले दूर भगावव
सबो बर दया रहे
बड़ सुंदर पाए हस तै संसार
 एस•एन•बी•"साहब"
रायगढ़

मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

पागा कलगी -24//9//आशा देशमुख

विषय --गुरू घासीदास के संदेश
पंथी गीत ..
मन भाखा बोली कोंदी होगे मोरे बाबा
तन जीभिया नादान ,
कइसे करव गुणगान,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू गुणखान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
बाबा घासीदास गुरू सत के अवतारी हो ,
सत के अवतारी |
चारो कोती सत गूंजे महिमा हे भारी हो ,
महिमा हे भारी |
मोरे मति हे अज्ञान ,
कइसे करहव बखान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरु सतवान ,अंतस ज्ञान जगाई दे |
सत्य प्रेम दया मया रद्दा के रेंगइया हो ,रद्दा के रेंगइया |
छुआ छूत जाति धरम कांटा के बहर इया हो ,कांटा के बहरइया |
मैं तो दुरगुन खदान ,
कइसे करव गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोर गुरु हे महान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
तोला बाबा एक दिखय सबो जीव प्राणी हो ,
सबो जीव प्राणी |
बघवा अउ मिरगा पीये ,एक घाट पानी हो ,
एक घाट पानी |
मोरे जुच्छा गुमान ,
कइसे करय गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,बाबा सत के कमान |
अंतस ज्ञान जगाई दे |
तोरे जस बाढ़य बाबा पुन्नी कस चंदा हो ,
पुन्नी कस चंदा |
गुरू ब्रम्हा बिष्णु शिव काटय भव के फंदा हो ,
काटय भव के फंदा |
मैं अमावस शैतान ,
कइसे करव गुणगान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू दिनमान |
अंतस ज्ञान जगाई दे ,मोरे गुरू सतवान ,
अंतस ज्ञान जगाई दे |
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
24 .12.2016 शनिवार

पागा कलगी -24//8//कौशल साहू "फरहदिया"

विषय - गुरु घासीदास के संदेश
विधा - पंथी गीत
*************************************
@ गुरु के संदेश @
मोर गुरु के संदेशा, सब ला झकझोरे।
सतनाम के दीया बारके, दुनिया ल अंजोरे।
1 जनम धरे अउ तप करे
पावन गिरौद धाम म।
सतनाम के तैं पुजेरी
सादा धजा जइत खाम म ।।
मंगलू मंगलीन बेटा पाके, जोड़ा नरियर फोरे।
मोर गुरु के..................
2 रंग रूप करिया गोरिया
नजर बनाके देख झन।
नोहय कोनो खातू कचरा
घुरवा म कोनो ल फेंक झन।।
छुआछूत अउ ऊंच नीच के, भीथिया ल तैं टोरे।
मोर गुरु के.............
3 झन जा मंदिर देवाला
हिरदय म भगवान रे।
चिरई चांटी हाथी मिरगा
सबके एक परान रे।।
समरसता के घाट म, सब ला तंय चिभोरे।
मोर गुरु के...................
4 मंद मउहा पी के मत मातव
जुवा चित्ती मत खेलव।
झुठ लबारी चोरी हारी म
दुध भात मत झेलव।।
मेहनत के परसादी म, तंय खाले बासी - बोरे।
मोर गुरु के............
5 पर नारी ल बेटी माई
अपने बरोबर मानव।
सबो जीव के दुख पीरा ल
अपने बरोबर जानव।।
अरज करत हे 'कौशल' तोरे, दसो अंगुरिया जोरे ।
मोर गुरु के.................
6 सतनाम अमरीत बरोबर
सत आगी म जरय नही।
सतनाम ल तंय सुमर ले
सत पानी म सरय नहीं।।
सतनाम के हीरा छोड़ के, पथरा ल बटोरे।
मोर गुरु के.................

रचना :- कौशल साहू "फरहदिया"
गांव /पोस्ट - सुहेला
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा
पिन कोड 493195 (छ ग)

पागा कलगी -24//7//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

....बबा घासी के उपदेस....
------------------------------------
मनखे-मनखे लड़त हे देख।
अतियाचार बढ़त हे देख।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
खुसरे माया के सांधा म।
फंदाय जातपात के फांदा म।
छोड़ के संजीवनी जरी,
भुलाय कोचरहा कांदा म।
छलत हस अपनेच ल,
बनाय देखावटी भेस।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
सत के अलख जगाय कोन?
गिरे - थके ल उठाय कोन?
कोन करे पर बर फिकर?
लांघन ल भला खवाय कोन?
छुआ-छूत ,उंच-नीच मानत,
तोर-मोर कहिके मसके घेंच।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
अधमी ल समझाय कोन?
अंधियार म दिया जलाय कोन?
कोन बनाय मनखे ल मनखे?
नसा दुवेस छोड़ाय कोन?
करत हे मनके कुछु भी,
लाज - सरम ल बेंच।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
सुवारथ बर लड़त हे।
जीव-जंतु ल हलाल करत हे।
सुनता के चंदन ल मेट के,
माथा म मोह धरत हे।
बोली-बचन मीठ नइ हे,
धरम-करम ल दिये लेस।
बिरथा हो जही का?
बबा घासी के उपदेस।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी -24 //6//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

पंथी गीत
~~~~~
अमरित हे बाबा के बानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-अट्ठारह दिसम्बर सतरा सौ छप्पन गिरोदपुरी के धाम ग।
महंगु अमरौतीन के घर अवतरिस लईका घासीदास नाम ग।
लईकोशी ले रहय धियानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-लईकापन ले बड़ त्यागी,तपस्वी करय रोज क़माल ग।
सतमारग के रददा रेंगे नइ आईस मोहमाया के जंजाल म।
तपस्या करत बिताये जवानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-जातीपाति,छुआछूत ल मिटाय बर भरीन बाबा हुंकार न।
मनखे मनखे ल एक बताय घुम घुम जम्मों संसार न।
कहाँ भुलाये रे मूरख अज्ञानी
संगी सुनले अमर कहानी।
- मांसमदिरा ले दुरिहा रहू झन बोलहू कभू लबारी न।
पर के तिरिया बेटी ल समझहु जइसे अपन महतारी न।
काबर बने हवस रे नदानी
संगी सुनले अमर कहानी।
-सत् के अलख जगाके बाबा हिरदे म दरस कराईन हे।
एके परमात्मा ये दुनिया म गुरु सबला बताईन हे।
कहाये गुरु घासीदास बाबा ज्ञानी
संगी सुनले अमर कहानी।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा 9993240143

पागा कलगी -24 //5//विजेंद्र वर्मा"अनजान

गुरू घासीदास के संदेश
विधा~कविता
घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान,
परमारथ बर तरिया कोड़ेच,
सुवारथ के रद्दा तै छोड़ेच,
सतनाम के अलख जगायेच,
बगरायेच चारों मुड़ा गियान।
घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
ऊंच नीच म फरक मिटायेच,
शोषित दलित के संग ते आयेच।
जाति धरम बटईयां मन ल,
सतनाम के तै पाठ पढ़ायेच।
घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
माटी के चोला माटी म समाही,
मानुष तन ह लहुट के नई आही,
बाबा तेंहा पारे हस गोहार,
अईसन हमन ल सीख देवईया,
अमरौतिन अऊ मंहगू के तै लाल।
मोर घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
पथरा पूजे ले काही नई मिलय,
बिना करम के फूलों नई खिलय।
छुवाछुत ल घुना कीरा बतायेच,
मनखे के दुख पीरा ल बिसरायेच,
सतनाम के अईसन अलख जगायेच,
मोर घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।
सतनाम भजही तेकर जिंनगी ह तरही,
मिटही दुख पीरा जेन ह नाव ल जपही।
साँस के फाँस निकल जही मनवा,
सत्य नाम के अलख जेन जगा जगही,
कतेक सुग्घर तै संदेश सुनायेच।
मोर घासी दास बाबा तोर कतका करव बखान।।2
पागा कलगी बर मोर नानकुन प्रयास
विजेंद्र वर्मा"अनजान
ग्राम~नगरगाँव
जिला~रायपुर

पागा कलगी -24 //4//तोषण कुमार चुरेन्द्र

छत्तीसगढ़ी दोहा विधा म नानकून उदिम
शीर्षक:-"गुरू घासीदास के संदेश"
गरीब घर मा पग धरे, नांव ग घासीदास।
मिल सब सोहर गात हे,दिन हे सबके खास।१॥
जिला बलौदा बाजार म ,हे गिरौदपुर धांम।
अमरौतिन माता हवय ,पिता ग महंगु नांम।।२॥
बन -बन के रस्ता चले, सत के करे तलास।
धरे तापसी बेस ला ,मन नंइ रहय हतास।।३॥
जात भेद ला मेंट के ,माने सबल समान।
दिस संदेसा शांति के ,मुख सतनाम जबान।।४॥
धरम सदन गा मानथे, पुर भंडार ल आज।
एक जगा जुरियात हे, जम्मो संत समाज।।५॥
बाजे मांदर थाप गा ,गजब लगे संगीत।
छत्तीसगढ़ी मा विधा, सुग्घर पंथी गीत।।६॥
भुल-चूक ला छमा करव,तोषण हवे नदान।
हांथ जोंड बिनती करे,किरपा करव सुजान।।७॥
© ®
तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी -24 //3//राजेश कुमार निषाद

।। गुरु घासीदास बाबा के संदेश ।।
तोर कतका करंव बखान बाबा तै सत के पुजारी ग।
जनम धरे तै बाबा महंगू के घर अमरौतीन तोर महतारी ग।
दिन रिहिस हे 18 दिसम्बर सन् सत्रह सौ छप्पन के ग।
सत के मार्ग देखाये चमत्कार देखे सब तोर बचपन के ग।
कर्म भूमि बनाये बाबा तै ह भण्डार पूरी ग।
बईठ के तप करे बाबा तै ह अंवरा धंवरा तरी ग।
सत के अलख जगा के छुवाछुत ल दूर भगाये ग।
मनखे मनखे एक समान संदेश ले भाईचारा म रहे बर सिखाये ग।
बीच जंगल झाड़ी म बाबा तै ह जपे सतनाम ग।
तोर तीर म सांप आवय अऊ बघवा हलावय दोनों कान ग।
छाता पहाड़ तोर डेरा बाबा गिरौदपुरी धाम ग।
सत के जपईया बाबा जपे तै सतनाम ग।
तै रचना करे बाबा सात वचन सतनाम पंथ के।
मुखिया कहाये बाबा तै सतनाम गुरु ग्रंथ के।
जन्म भूमि अऊ तपो भूमि बाबा तोर गिरौदपुरी धाम ग।
सन् 1850 म तै दुनिया छोड़े बाबा अलख रखे सतनाम ग।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )
9713872983

पागा कलगी -24//2//चोवा राम "बादल"

विषय--- गुरु घासीदास के संदेस।
विधा ---दोहा छंद।
-------------------------------------------
मंच के सम्मुख मोरो छोटकुन प्रयास समर्पित हे।
--------------------------------------------------
(1)
बाबा घासीदास के, सुन लौ गा संदेस।
जप करके सतनाम के, मेटव अपन कलेस।
(2)
मनखे मनखे एक हे, अन्तस हाबय एक ।
करनी ला करके बने, मनखे बन जा नेक ।
(3)
मदिरा माँस तियाग दौ, गुरु दे हे जी ज्ञान।
रहन बसन अच्छा रहे,सब झन पाथे मान।
(4)
सादा रहय बिचार हा, छल मल ले जी दूर।
खान पान सादा रहय, सुख मिलही भरपूर।
(5)
चारी चुगरी बन भरे, परिया जिनगी खेत ।
करम कमाई कर बने, मूरख मनवा चेत।
(6)
सुग्घर तन ला पाइ के, झन कर गरब गुमान ।
आतम ला सिंगार ले, बन भाई गुनवान ।
(7)
धरती मा दाई ददा, हे सऊँहे भगवान।
चरन म चारों धाम हे, कोरा सरग समान ।
(8)
सब के भितरी मा उही, एके प्रभु ह समाय ।
काबर करथौ छुत छुआ, बोझा पाप बढ़ाय ।
(9)
माँदर बाजय तक धिना, झाँझर बोलय बोल ।
पंथी मा सतनाम के, पी लव अमरित घोल ।
(10)
ग्रंथ ह गोठियाय नहीं, चुपेचाप अभियास ।
जग मा बिन गुरु ज्ञान के,कटय नहीं जम फाँस ।
(11)
सरधा के पालो चढ़े, जैतखाम बिसवास ।
मन मंदिर में जी सदा, गुरु के होवय बास ।
(12)
सबला मरना जी हवय, आज नहीं ते काल।
पुन के धन ला जोड़ ले,झन राहव कंगाल ।
(13)
मन भितरी मैनी भरे, जगा जगा फिसलाय ।
सत भाखा मा माँज लव, जनम सफल हो जाय।
(14)
सत मा हे धरती टिके, सत मा टिके अगास ।
पन्थ चलव सतनाम के, छोड़व उदिम पचास ।
(15)
सात बिता काया हवे, जेमा दस ठन द्वार ।
तारा दव सतनाम के, होही बेंड़ा पार ।
(16)
लाल हवय सब के लहू, हंसा एके आय ।
एक हवे भगवान हा, सब घट हवय समाय।
(17)
जात पाँत के भेद ला , कोन सकय समझाय।
जात पाँत ठप्पा लगे, जग मा कोन ह आय।
(18)
सुमिरन कर सतनाम के, सत के जोत जलाय ।
सत के महिमा हे बड़े, सत मा पाप नसाय ।
चोवा राम "बादल"
हथबंद 19-12--2016

पागा कलगी -24//1//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

प्रदत्त विषय:--गुरू घासीदास के संदेश...
विधा:-- पंथी गीत।
उवत बुड़त ले,धरती सरग ले,खुशी छागे ना।
गुरू घासी के, गुरू बाबा के, जयन्ति आगे ना।।
/1/
एक दिन सतलोख म पुरुषपिता,
गुरू घासी ल बुलाये रहिन।
धरती म जायेके हंसा उबारेके,
भार भरोस बोहाये रहिन।।
१८दिसंबर सन १७५६ के,
गुरू धरती म आये रहिन।
भुले बिसरे पिछड़े मानव समाज ल,
सत के ज्ञान बताये रहिन।।
आज उही बानी,सुने गुने के, पारी आगे ना।
गुरू घासी के,सतज्ञानी के,जयन्ति आगे ना।
/2/
गिरौद के बन मा गुरू नानपन मा,
भारी महिमा देखाये रहिन।
सांप चाबे मरे परे बुधारु चरन
अमरित देके जियाये रहिन।
महुरा सही जुआ चोरी नशा,
गुरू दुरिहा रहव चेताये रहिन।
पढ़व लिखव खेलव करव बुता,
करमइता बनेबर सिखाये रहिन।
चलव जाबो कंठी,धोती पहिर के,पंथी नाचे ला।
गुरू घासी के,सतधारी के,जयन्ति आगे ना।
/3/
मनखे श्रमहीन बनगे गरियार बैला,
देके ज्ञान तुतारी रेंगाये रहिन।
एक पुरूष बर हे एके नारी,
दुसर माताबहिन बताये रहिन।
एकता समानता सत्य अहिंसा के,
जनजन ल पाठ पढ़ाये रहिन।
मनखे मनखे होथे एक बरोबर,
सत्यसार संदेश बताये रहिन।
उही संदेश,बताये धरे के,पारी आगे ना।
गुरू घासी के,गुरू बाबा के,जयन्ति आगे ना।
/4/
चुरकी भर धान ल बाहरा पुरोके,
वैज्ञानिक खेती देखाये रहिन।
भांटा के जर मिरचा कलम बांध के,
कृषि बगवानी सिखाये रहिन।
उही बिज्ञान के रद्दा छत्तीसगढ़,
धान कटोरा कहाये रहिन।
भागमानी बड़े छत्तीसगढ़िया,
अइसन सतगुरू ल पाये रहिन।
गुरू के रद्दा, धरे छत्तीसगढ़,अंजोर लागे ना।
गुरू घासी के,गुरू बाबा के,जयन्ति आगे ना।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
'शिक्षक'गोरखपुर,कवर्धा
18दिसंबर2016
9685216602

रविवार, 18 दिसंबर 2016

//पागा कलगी 23 के परिणाम//



दिसम्बर के पहिली पखवाड़ा मा ‘वाह रे आतंकवाद‘ जेखर संचालक श्री जितेन्द्र ‘खैरझिटिया‘ रहिन, म 10 रचना प्राप्त होइस । ये आयोजन के निर्णायक आदरणीय माणिक जी ‘नवरंग‘, रायगढ़ रहिन । उन्खर निर्णय उन्खरे शब्छ म-
‘‘सब्बो झन के रचना बनई सुन्दर हावय । भावपक्ष, कलापक्ष अउ भाव अभिव्यक्ति ला आधार मान के मैं कविता/गीत के आंकलन करे हंव ।
मोर विचार ले .......
पहिली नं म श्री कौशल साहू ‘फरहदिया‘
दूसर नं. म श्रीमती आशा देशमुख
के कविता हवय ।
दूनों विजेता ला गाड़ा-गाड़ा बधाई, मोला ये अवसर दे बर ‘छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के बहुत-बहुत धन्यवाद ।‘‘
छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के डहर ले सबो रचनाकार के संगे-संग विजेता मन ल अंतस ले बधाई

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23 //10//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

प्रदत्त पंक्ति:-//वाह रे आतंकवाद//
वाह रे 
आतंकवाद,
लांघ डरे मरजाद।
मानवता के हत्या करके,कइसन फल तय पाबे।
अंधरा टमड़ के बता दिही,रौरव नरख म जाबे।
मरन बाद
भी नि मिटही,
अन्तर्मन अवसाद।
जस करनी तस भरनी हे मुहु म केरवस पोतागे।
चारो मुड़ा थुआ थुआ करे,नाक कान झोरागे।
मुहु के
भार पाय तभो,
भागत नइहे साद।
अंचित करई सुहावय नही,देख तरुवा पिराथे।
जादा के अति करइया घला,भुईया ले सिराथे।
भरभरा
के ढही जथे,
अंचितहा जयजाद।
नाहक करतहस अतियाचार,ढिलथस करकस बोली।
निरपराध मनखे के छाती,मारत फिरथस गोली।
मुहु हे
जुच्छा सांप के,
मनुष डसे के बाद।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

पागा कलगी -23 //9//चन्द्रप्रकाश साहू

वाह रे आतंकवाद
वाह रे आतंकवाद तोर काय अवकात.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
आंखी दिखाबे त आंखी तोर फूटही.
लगही गोली अउ तोर कन्हिया ह टूटही.
मान ज बात ल झन कर काकरो से लड़ई.
जांगर ह टूटही नइ मिलय मूते बर परई.
आगी म जल के होबे तै एक दिन राख.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
बारुद के ढेर म अब हमन तोला सुताबो.
कतना इतराथस ओला अब हमन देखाबो.
अब मत इतरा तोर मरे के पारी आगे हे.
शेर देख जैसे कोलिहिया ह खारे-खार भागे हे.
नइ राहय तोर रेहे बर जगा जाबे शमशान घाट.
कोलिया होके शेर ल ते दिखाये ऑख.
चन्द्रप्रकाश साहू
रायपुर (छ.ग.)
९६१७२४७५५०

पागा कलगी -23//8//आर्या प्रजापति

विषय - वाह रे आतंकवाद
विधा - तुकांत
मानुस के तै भैस धरइया,
सैनिक ल धोखा देके मरइया।
सबके आखी म आंसु डरइया,
तुहर नई हे का ददा अउ भईया।
रही-रही वार करे पल्लोखिया,
तै का जानबे दर्द ल परदेसिया।
पर के बुध के बात मनइया,
नई हे तुहर घर म पीये बर पसइया।
रोक ले अपन आप ल जिनगी संवर जाही,
रोआ के तुमन ल का मिलही।
संभल जा नही त जान नई बचही,
जमीन त जमीन कफन घलो नई मिलही।
कउआ अउ चिल के नाश्ता हरव,
थोकन तो भगवान ल डरव।
कभुं तो अपन फर्ज ल जानव,
धर्म अउ जात-पात ल झन बाटव।
भाई- भाई हरन सबो झन ल मत लडा़व,
लफ ले टांग ल झन अडा़व।
हाथ ल कखरो खुन ले मत रंगव,
जादा झन करव तुहर साख उखाड़ डरव।
का तै बाटबे हमन ल जात-पात म,
खड़े हे सबो झन हमर साथ म।
झन तै उड़ अतेक आसमान म,
परबे हमरो सपेटा आ जब औकात म।
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव - लमती (सिंगारपुर)
जिला - बलोदाबजार

पागा कलगी -23//7//तेरस कैवर्त्य (आँसू )

* वाह रे आतंकवाद *
देश दुनिया ल तय बैरी , नंगत काबर डरवाथस।
चिटकन पीरा नइ लागे , नइ रंच भर पछताथस।
तहूंच मनखे हावस फेर , मनखे ल काबर लुकाथस।
काय मिलथे कसई बनके , अउ करले शरम लाज।
वाह रे आतंकवाद !
बंदूक बारुद ल खेल बनाके , जगा -जगा बम फटोथस।
छाती ल कठवा पथरा बनाके , जनऊर बानी गुर्राथस।
कतेक निकता मनखे के , अब्बड़ लहू बोहाथस।
निरदोष परिवार के घर , गिराये करलई के गाज।
वाह रे आतंकवाद !
काकर बर तैं बूता ल करे , का तोर लइका के बन जाही।
गुनथस का तय जिंदा रबे , एक दिन पंछी तोर उड़ जाही।
फउजी के चपेटा म परबे , तोर तो कुटी - कुटी हो जाही।
गती नइ रहय मरे म तोर , खाही कुकुर कौआ तोर लाश।
वाह रे आतंकवाद !
रचना - तेरस कैवर्त्य (आँसू )
सोनाडुला , (बिलाईगढ़)
जिला - बलौदाबाजार - भा.पा. (छ. ग.) पिन - ४९३३३८
मोबाइल - 9165720460
Date - 15/12/2016

पागा कलगी -23 //6//तोषण कुमार चुरेन्द्र

लुकाके करथस वार तै,छातीम धमक के बात निंही ।
वाह रे ! आतंकवादी तोर ,आघूम आय के औकात निंही ।।

बेंदरा बरोबर कुदत रहिथस, भरे कपट छल आदत तोर ।
आंखील जादा नंटेर झन, छितिहौ पानी मिरचा झोर ।

लोग लइका तोर का बिगाड़े, घेरी बेरी डरवात रथस ।
जात धरम के नांव मा, मनखे मनखे लड़वात रथस ।

चेत चढे निंही काबर तोला, कुकुर कस छुछुवात रथस ।
परथे चमेटा मोर भारत के, पुछी झर्रात लुकात रथस ।

देख सपना झन डरवाय के, रखके बंदूक खांद मा।
हुआँ हुआँ कहि कोलिहा कस, चिल्ला झन सेर के मांद मा ।।

हमर भारत बिंदिया हरे, काबर तोला कसमीर देबो ।
अतलंग जादा झनले बैरी, फांकी दू ठाढ़े चीर देबो ।।
***************************
© ®
तोषण कुमार चुरेन्द्र
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी -23 बर//5//गुमान प्रसाद साहू

विषय - वाह रे आतंकवाद
विधा- हरिगितीका छंद-------------------------------------
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।
महामारी कस फैलत हवे, दुनिया म जे रोग हे।।
हमरे घर आके ये बैरी, आतंक भारी करे।
जेन मंदिर मस्जिद के घलो, चिनहारी नही करे।।
रोजे ये मन फैलावत हवे, आतंक के रोग हे।
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।।1।।
जेन पतरी म खाये बैरी, उहीला छेदा करे।
आतंक के खंजर घोंपके, छाती म बेधा करे।।
येमन रोज ग लगावत हवे, आतंक के जोग हे।
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।।2।।
हमला करे छूपके बैरी, सीमा के जवान पे।
खेलथे रोज ये मन कतको, निरदोस के जान पे।।
तभो ले सबो जी चुप बइठे, भारी ग संजोग हे।
वाह रे आतंकवाद कहे, दुनिया म सब लोग हे।।3।।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा (महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी -23//4//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

काबर मनखे हर मनखे बर दुश्मन हे।
काबर बिरथा करे मनखे जनम हे।
-भूलके दया मया के बोली ल।
हाथ म धरे हे बन्दूक गोली ल।
सुवारथ म डुबके करे अत्याचार।
दुनिया म मचे हवे हाहाकार।
मनखे के भेष म करे शैतानी करम हे। काबर...
-का फायदा हे तेनला बतादे।
का नफा हे तेनला देखादे।
आगी हर आगी ले नइ बुझय
कोन का बिगाड़े हे तेनला बतादे।
बता का बात के तोला भरम हे। काबर.....
-बिनती हे फेकदे हथियार तय।
हमरो पियार ल करले स्वीकार तय।
वरना एकदिन अपन करनी के फल पाबे रे।
फोकट म अपन परान ल गवाबे रे।
मिटाके रहिबो आंतक हमर कसम हे।काबर...
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी -23//3//मोहन कुमार निषाद


अब्बड़ सहेन चुप रहिके मार !
हमरे गढ़ मा आके बैरी ,
हमिला देखाये तय हर आँख !!
जम्मो डहर मा तोरेच चरचा !
घरोघर हावय नाव के परचा !!
शोर उड़त हे गली खोर मा !
निकले नही कोनो तोर डर मा !!
दाई बहिनी लईका महतारी !
छाये हावय भारी लाचारी !!
करे तय घातेच अत्याचार !
उजाड़े कतको घर परिवार !!
समझे नही कखरो दुःख दरद ला !
जाने नही जी काही मरम ला !!
गाँव गरीब किसान ला सताये !
बेगुना जवान ला तय मारे !!
देश के जवान ला ललकारे !
शेर के मांद मा कोलिहा चिल्लाये !!
बेच खाये तय अपन ईमान !
थोकन तो डर रे बईमान !!
देश द्रोही बनके तय हर !
खोखला करदे पूरा समाज !!
माटी मा मिलाके रख देच !
भारत माँ के तय लाज !!
जागत हे देश के नवजवान !
देवत तोला हे मुंहतोड़ जुवाब !!
भाग जा लेके तय हर बैरी !
बचाके अपन परान रे !!
जागगे हावय देश के बेटा !
बनगे हावय तोर काल रे !!
वाह रे आतंकवाद , वाह रे आतंकवाद
रचना
मोहन कुमार निषाद
गाँव लमती भाटापारा
मो. ८३४९१६११८८

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बुधवार, 14 दिसंबर 2016

पागा कलगी -23//2//कौशल साहू 'फरहदिया'

विसय :- आतंकी, विधा - गीत
& आतंकी &
@@@@@@@@@@@@@@@@
खुन खराबा करके तुमन, आतंकी का पाथव रे।
कुकुर सही येक दिन तुमन, आखिर म मर जाथव रे।।
1 पर भभकी अउ लालच म,
सत इमान ल बेंच डरे।
पथरा असन छाती तुंहर,
मानवता ल रेत डरे।
चलय नहीं खोंटहा सिक्का, बरपेली चलाथव रे।
कुकुर सही............
2 इसवर अल्ला जात धरम म,
भाई - भाई ल भेद करे।
चन्नी बरोबर महतारी के,
छाती ल तंय छेद डरे।
चोरहा कपटी असन तुमन, बइरी नजर लगाथव रे।
कुकुर सही..........
3 सुख शांति हमर तरक्की,
तुंहर आँखी म नइ सहावय रे।
अपन डीह ल अंजोर करे बर,
पर घर आगी नइ लगावय रे।
लाहो लेथव जर-जरके, छेना कस खप जाथव रे।
कुकुर सही.............
4 राम - रहीम ल मानव नही,
काकर गुन ल गाथव रे।
दया - मया ल जानव नहीं,
सब लोगन ल भरमाथव रे।
छेदा करथव उही पतरी ल,जेन पतरी म खाथव रे।
कुकुर सही...........
5 बिखहर आतंकी सांप ल,
दुद पियाके मत पोंस रे।
झन कर ताका - झांकी पापी,
अपन देस बर सोच रे।
जेहाद के नाम म हुंआ - हुंआ, कोलिहा कस नरियाथव रे।
कुकुर सही...........
6 आतंकी अइसे छछलगे,
रूख म अमरबेल रे।
जर समेत सब टोरव पुदकव,
घात होगे खुनी खेल रे।
पनाह देके बइरी ल 'कौशल', दाई के दुद लजाथव रे।
कुकुर सही.............
रचना :-
कौशल साहू 'फरहदिया'
निवास गांव - पोस्ट :- सुहेला
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा (छ ग)
पिन 493195
मो. 9977562811

पागा कलगी -23//1//आशा देशमुख

विषय ...वाह रे आतंकवाद
विधा ......नवगीत
डूबगे भुइयाँ लहू मा राम अउ रहमान के |
कोन बाँटे जात ला अउ
कोन बैठे बाट मा ,
क़ोन तउले हे तराजू
कोन आवय हाट मा ,
खेल सब मनखे करे अउ नाव ले भगवान के |
बाढ़गे हावय सुवारथ
पाप मारय प्रीत ला ,
नैन मा पानी नही
बानी कहे का गीत ला ,
लोभ इरखा मन सबो बैरी मया के प्रान के |
वाह रे आतंक तोरे
राज सब कोती हवे ,
साँच ला करथस लबारी
माथ हा डर से नवे ,
झूठ लाखों मा बिके कौड़ी नही कुरबान के |
का मिले आंतक से
अपराध बिन मनखे मरे ,
अब भुलावव द्वेष ला
तब सुख सबो कोती भरे ,
का कहे गीता पढ़व पन्ना पढ़व कुरआन के ||
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
14 .12.2016 बुधवार

//पागा कलगी 22 के परिणाम//



पागा कलगी 22 जेखर विषय रहिस ‘नोटब्रदी के नफानुकसान‘ म कुल 17 रचना आइस ।  खुशी के बात हे ये दरी अधिकांश रचनाकार मन कोनो शिल्प म कलम चलाये के सुग्घर प्रयास करे हंवय ।  कोनो दोहा, कोना कुण्डलियां, कोनो सार छंद, त कोनो कुकुभ छंद म तको रचना करे के प्रयास करें हें । जम्मो रचनाकार मन ये सद्प्रयास बर बधाई ।  अइसने प्रयास ह हमर ‘छत्तिसगढ़ी साहित्य मंच‘ के उद्देश्य ल पूरा करही ।

ये दरी के परिणाम ये प्रकार हे-
पहिली विजेता-श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर‘अंजोर‘
दूसर विजेता-श्री डोलनारायण पटेल तारापुर
तीसर विजेता-श्री जीतेन्द्र वर्मा ‘खैरझिटिया‘
सबो विजेता संगी मन ल बधाई



मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

पागा कलगी -22//17//मोहन कुमार निषाद

विषय - नोट बंदी (विद्या रहित)
आनी बानी के लोग हे जी , किसम किसम के गोठ !
कोनो कहिथे अब नई चलय , हजार पान सौ के नोट !!
सुनके बड़ा अचम्भा लागीस , अब कइसे जी करबोन !
नई चलही अब पईसा हा , कती डहर जी धरबोन !!
सनसो होगे सबो झन ला , चिन्ता मनला खावत हे !
का अमीर का गरीब , ये नोट बन्दी सबला जनावत हे !!
अब एके ठन रद्दा बाचे हे , चलव बैंक मा जाइन !
अपन हजार पान सौ के नोट ला , जमा करके आइन !!
बैंक मा जाबे ता , लाइन लगे हे भारी !
खड़े खड़े जी जोहत रा , कब आही मोर पारी !!
तभो मनमा संतोष हे मोर , मोर मेहनत के पईसा ये भाई !
करिया धन वाला के मुह ओथरे हे , मात गे हावय करलाई !!
नोट बन्दी के होय हावय भारी असर , कोनो नई बाचीन !
सबला हला के राख दिच , नई छोडिस कोनो कसर !!
जाबे ता धरा देवत हे , दु हजार के नोट ला !
चिल्हर कोनो नई देवत हे , सुनले रंग रंग के गोठ ला !!
साहुकर मुड़ धर रोवत हे , चरचा ओखर घरोघर होवत हे !
चिन्ता ओखर मनला खावत हे , नोट बलदे के जुगाड़ जमात हे !!
जेनला कभु पुछय नही , ओखरे मेर हाथ लमावत हे !
ददा कका भईया कइके , घेरी बेरी गोहरावत हे !!
बड़ घमण्ड रहिस चीज के अपन , आज धन ला घुना खावत हे !
पईसा बदले बर आज , पईसा मा मनखे बिसावत हे !!
रचना
मोहन कुमार निषाद
गाँव लमती भाटापारा
मो. ८३४९१६११८८

पागा कलगी -22//16//महेश मलंग

नोटबंदी करके तय करे कमाल मोदी जी ।
कालाधन रखैया के होगे काल मोदी जी ।।
बिपक्षी मन के मति मार गे हावय
करत हावय बेमतलब बवाल मोदी जी ।।
ईमानदार मनखे मन खुलके मुस्कावत हे
बेईमान मन के हावय बुराहाल मोदीजी ।।
मानत हन हम सब ल थोरकिन परेसानी हे
पर आगे चल हम सब होबो खुसहाल मोदीजी ।।
मोर भारत ह छूही फेर एक नवा ऊंचाई ल
धन धन हीरा बा के तय हीरा लाल मोदी जी ।।

-महेश मलंग पंडरिया जिला कबीरधाम

पागा कलगी -22//15//डोलनारायण पटेल

नोटबंदी (कुण्ड़लियां छंद म)
नोटबंदी होय हवय ,भारत मा भल काम।
चरचा सगरो होत हे,ले मोदी के नाम।।
ले मोदी के नाम ,बहुत कहे भल होय गा।
जेकर करिया काम, मूड़ धरे ओ रोय गा।।
जुन्ना बड़खा नोट, जमा कर देवा जल्दी।
बेरा ला पहिचान, होय हवय नोट बंदी।।
कतका बड़िहा देश बर, होय हवय कर ज्ञान।
नोटबंदी करे हवे, बनके पोठ सियान।।
बनके पोठ सियान ,भारत के परधान गा।
तहूं भरम ला छोड़ , कर ऐखर ते मान गा।।
सुनलव कहिथे डोल, होइस हवय कबअतका।
मोदी के सरकार, करिस हे बड़िया कतका।।
करिया धन जतका हवय, सबके खुलही पोल।
नकली रुपया देश ले, हो जाही अब गोल।।
हो जाही अब गोल, अब नई कोनो ठगाही।
असली पाही राज,आघू सब ला बढ़ाही।।
कहय डोल हर बोल, नोटबंदी बड़ बढ़िया।
कछु नइ आवय काम, हवय जतका धन करिया।।
कहिथे बुधिया बात ला,कछुक जाय बड़ पाय।
होय खतम तकलीफ हर , कछुक समय के जाय।।
कछुक समय के जाय ,बात सब बन जाही जी ।
नोटबंद के लाभ, देश भर हर पाही जी।।
कहय डोल तें देख, बखत हर कइसन बहिथे।
सुनलव खोले कान ,बात ला बुधिया कहिथे
देखय टिबी बहुत झन, बहुत पढ़य अखबार।
अपन अपन के सब कहय, करके सोच बिचार।।
करके सोच बिचार, कहिथे होयहे ठौका ।
गद्दार खाइन चोट, छुटगे हाथ ले मौका।।
कहय डोल सच गोठ, अपन अपन के सब कहय।
मूड़ मूड़ मति आन, अपन नजर म सब देखय ।।
नोटबंदी तोर जनम, होय नवम्बर आठ।
कालाधन गोसान हर, होगिस सुक्खा काठ ।।
होगिस सुक्खा काठ,करू खाय सही लागे।
गइस नींद भुख भाग, नोटबंदी का आगे ।ं।
कहय डोल भल आय, देश के मुखिया मोदी।
स्वागत हवय तोर, बार-बार नोटबंदी।।
डोलनारायण पटेल तारापुर
मो. 7354190923

पागा कलगी -22//14//गुमान प्रसाद साहू

विषय - नोटबंदी
विधा - दोहा म परयास
शिर्षक - नोटबंदी ग देस म
-------------------------------
नोट बंदी ग देस में,
करीस जब सरकार।
जमा खोरो के मन में,
मचीस हाहाकार।।
नोट बंदी सरकार के,
हे कारगर उपाय।
भ्रष्टाचार जेकर ले,
पुरा खतम हो जाय।।
नोटबंदी ग होय ले,
जमा खोर कउवाय।
का करबो अब नोट के,
समझ घलो नइ पाय।।
रखे रिहीन करिया धन,
घर में लोग लुकाय।
पकराय के सब डर से,
नदि म नोट बोहाय।।
भरे रिहीन हे घर में,
नोटों के अम्बार।
काला धन जमा करके,
भरे रिहिस भंडार।।
नोट बंदी के चलीस,
सरकारी अभियान।
काला धन रखईया मन,
होगे ग परेशान।।
नोट बदली करे बर,
लोगन खड़े कतार।
बैंक मुहाटी हे लगे,
लोगन के भरमार।।
नोटबंदी होये ले,
बड़े नोट बेकार।
गुल्लक ल तोड़ निकाले,
चिल्लर के भरमार।।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा(महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छ.ग.

पागा कलगी -22//13// विजेंद्र वर्मा अरमान

🙏🏻नोट बंदी🙏🏻
कोनो मांगत हे उधारी,
कतको झन देवत हे गारी,
महु खड़े हौ संगी लाइन मा
कतका जुवर आही फेर मोर बारी।
सिरतोन गोठ ये संगी,
नोहय गोठ लबारी,
नोट बंदी होय हे तबले,
करत हौ काम बेगारी।
का संझा का बिहनिया,
लगावत हौ बैंक के फेरा,
नोट भंजाय के चक्कर म,
डाले हौ इहिच मेर डेरा।
बड़का नोट ल धरे हौ,
तभो ले खिसा लागत हे सुन्ना।
जईसने पहिरे हव,
कुरता पेंठ जुन्ना जुन्ना।
पीरा समझईया कोनो नईये,
छुट्टा मारत हे उदाली,
फेर कतको झन काहत हे,
मोदी ल झन देवव जी गारी।
विजेंद्र वर्मा"अनजान
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
 विजेंद्र वर्मा अरमान
 तिल्दा जिला बलौदा बाजार
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पागा कलगी -22//12//कौशल कुमार साहू

विधा - गीत
विसय - नोटबंदी
&***बने करे कका***&
**********************************
बने करे कका, तंय बने करे गा।
काला धान स्वाहा होगे धरे-धरे गा।
1 - बंद होगे बजार म,
बड़का - बड़का नोटिया।
छिन भर म रंक होगे,
धन्ना सेठ गोंटिया।
बोमफार के रोवय कोनो, तरवा धरे गा।
बने करे..............
2 - सुख्खा नरवा म पुरा,
सबके होत हे गनती।
गंगा म ठंडा करे ले,
पाप नइ होवय कमती।
कोनो भुर्री बारय, कोनो हवन करे गा।
बने करे...............
3 - परलोखिया मनखे मन,
घात उढ़ावय खिल्ली।
गच्चा मारे अइसे कका,
गिरगे सबके गिल्ली।
ढेसरा मछरी कस सब, अल्लर परे गा।
बने करे................
4 - हाट - बजार म ठाढ़े सुरसा,
रेती असन भोसकगे।
भसटाचार म फुले फुग्गा,
तुरते ताही ओसकगे ।
मही ल फुंक - फुंक पीथे, दुद के जरे गा।
बने करे..................
5 - नेता ल फिकर होगे,
कइसे जीतबो चुनाव।
घरे - घर म माते झगरा,
कोन ल कतेक मनांव।
कचरा होगे पेटी - पेटी, भरे - भरे गा।
बने करे..................
6 - एक तीर म साधे निसाना,
सिरतोन सब ला मारत हे।
नोटबंदी अइसे लगथे,
जइसे स्वच्छ भारत हे ।
हरहा गोल्लर बर टपका, बांध डरे गा।
बने करे.....................
7 - बइरी बर बाज बने तैं,
हितवा बर मितान ।
तोर हिम्मत म खड़े हे 'कौशल '
आज हिन्दुस्तान ।
दुसमन - बइरी के छाती म, दार दरे गा।
बने करे....................
रचना :- कौशल कुमार साहू (फरहदिया)
ग्राम /पोस्ट सुहेला
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा (छ ग)
पिन - 493195
मो - 99 77 562811

पागा कलगी -22//11//दिलीप पटेल

नोट बंदी
थर थर कांपत हे जीवरा मोर
कहे रहेव बाई ल कि निकलबो भिनसरहा भोर
मोर सारी के हावय टीकावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो अब होगे जी बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
अग्घ्हन के उगेना पाख म माढे हवय लगीन
आजेच मिलही काली मिलही
दिन निकलगे जी गीन गीन
रिक्शा भाडा, मोटर के किराया
का के लाडू बटासा ल मंगवावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
बाई के गुस्सा बमकत हवय
हरके बरजे ले नई मानय
कहेव कि रुपिया बंद होगे,
मोरेच ऊपर दोष ल लानय
घेरी घेरी मिस काल आवत हे साढू मन के
हम कैसे फोन ऊठावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
पारा परोसी हाल सबो के मोरेच कस सब रोवत हे
बिन पताल के साग चूरत हे ठक ठक ले करसुल म खोवत हे
चटनी मिरचा म दिन पहाके
भईगे पसिया भर ल पसावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
चार पैईसा सकलाये रहीस ऊहू बैंक म हो गे हे जमा
बदनामी ससुरार म होही मै का रौती करव जी कामा
खावत बने न ऊछरत बने
बिन जेवन के मोर अदावन
मोर होगे ग लजलजावन,
रुपिया घर के जम्मो होगे अब बेकार
काला धन ले बाहचे बर नवा ऊदीम करीन सरकार !
दिलीप पटेल बहतरा , बिलासपुर
मो.न. ८१२०८७९२८७

पागा कलगी -22//10//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

....नोट बंदी के नफा-नुकसान..........
_______________________________
नोट बंदी के का,नफा-नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त,कतको ल पड़गे जियान।
धरे रिहिस थप्पी-थप्पी,ते छटपटात हे भारी।
घेरी - बेरी देवे गारी , धरे धन कारी।
कंहू मेर गड़त हे, त कंहू मेर बरत हे।
बोरा - बोरा नोट , पानी म सरत हे।
लाइन में लगे के आदत ,जनमजात हे।
गरीब - मंझोलन सबो ,नोट बदलात हे।
फेर कतको के,कईठन काम अटकगे।
पंऊरी के रिस घलो , तरवा म चघगे।
फेर दुनिया संग चीज बदलथे,किथे सियान।
नोट बंदी के का, नफा-नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त, कतको ल पड़गे जियान।
करिया धन;सफेद करे के,दवा खोजे कतको।
त बेफिकर होके चटनी - बासी ,बोजे कतको।
टुटगे भ्रस्टाचारी अउ घूसखोरी के हाड़ा।
त राजनीति बर बनगे हे, ये बात अखाड़ा।
धने - धन म भरे गाड़ा ल, बेंक म उतार।
हिसाब-किताब बरोबर रख,काहत हे सरकार।
धरहा तलवार चाही,अभी तो निकले हे मियान।
नोट बंदी के का, नफा - नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त, कतको ल पड़गे जियान।
नोटबंदी के नुकसान कम,नफा जादा हे।
साथ देयेल लगही,सरकार के नेक इरादा हे।
असली म मिंझरे, नकली नोट छनाही अब।
का होथे धन के मोह, तेहा जनाही अब?
भगवान के बनाय काया, तो संग छोड़ देथे,
तोर बनाय कागत,कतिक काम आही अब?
बने होही अइसने उदिम म,अवईय्या बेरा।
तभे भारत बनही , बने मनखे के डेरा।
छोड़ माया;सकेल धरम-करम अउ गियान।
नोट बंदी के का, नफा-नुकसान ल गिनान?
कतको नाचे त, कतको ल पड़गे जियान।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी -22//9//दिलीप कुमार वर्मा

नोट बन्दी 
कोनो खुश दिखे,कोनो दिखे हे उदास देख,
लाइन म लगे हाबे,चारो कोती गोठ हे।
कोनो कहे अच्छा होइस,कोनो माथा पिटे हाबे,
पाँच सौ हजार के तो,जबले बन्द नोट हे।
करिया धन लाये खातिर,नकली मिटाये खातिर,
आतंक ल दबाये खातिर,मार देइस चोट हे।
कतको जलाय कतको,गंगा में बोहावत हाबय,
सहीं मजा लुटे झूठ,रोवत हाबय पोठ हे।
दोहा-जब-जब करिया धन मिले,तब-तब मारय चोट।
चलत हबय गा गोठ हा,जब ले बन्दी नोट।।
नेता छाती पीटत हाबय,बड़ दुखी दिखत हाबय,
लागत हाबय जइसे धन,भरे हाबय पोठ हे।
माल ओहा पाये हाबय,बड़कन दबाये हाबय,
पाँच सौ हजार के तो,धरे हाबय नोट हे।
आनी बानी के कहानी,कहत हे ओ जुबानी,
मोदी ल झुकाये खातिर,मारे लागे चोट हे।
कतको दिखावा करे,मुड़ चाहे गोड़ धरे,
करिया धन वाला के तो,बाचे न लंगोट हे।
दोहा--हाय-हाय नेता करे,नइ देवत हे कान।
जेकर करिया धन हबै,अब नइ बाचय प्रान।।
कुछ नवा पाये खातिर,जुन्ना ल गवाये परथे,
कह गये हाबय हमर,तइहा के सियान ह।
देश बदले के बीड़ा,मोदी ह उठाये हाबय,
लाइन में खड़े होत,रोवत हे मितान ह।
आज दुःख मिलत हे त,काली सुख पाबे तेहा,
धीरज ल धर काबर,डोलत हे ईमान ह।
नवा दिन लाय खातिर,देश ल बचाये खातिर,
जब ले नोट बन्द करे,रोवय बेईमान ह।
दोहा-ओकर लुटिया डूब गे,जेकर रहिस कुबेर।
एक चोट मोदी करे,सब्बो होगे ढेर।। 

दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार

पागा कलगी -22//8//आचार्य तोषण चुरेन्द्र

(१)
नोटबंदी के होयले ,सुधरत हवय जहान ।
देखलेबो एक दिन अउ,होत भारत महान ।।
होत भारत महान,सफलता पक्ती चढके ।
बढा पग तै आघू,हांथ मशाल जी धरके ।।
सुन तोषण के बात,भरव कर जल्दी जल्दी ।
झन रख तै अपन कर,होत हे अब नोटबंदी ।।
(२)
तरवा ल बइमांन धरे,करनी करके रोय ।
बिलइ जइसे ताकत हे,जब नोटबंदी होय ।।
जब नोटबंदी होय,भ्रष्टा ल हटाय बर ।
बने रद्दा म चलव,बुझत दीया जलाय बर ।।
झन लुका रख पइसा,ते रे छानी परवा ।
हजार पांच नोट म,पोछते रहिबे तरवा ।।
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आचार्य तोषण चुरेन्द्र
धनगांव डौंडी लोहारा