पागा कलगी -31 बर रचना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
पागा कलगी -31 बर रचना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 17 अप्रैल 2017

पागा कलगी -31 //7//जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"

डॉक्टर झोला छाप(दोहा गीत)
देख घूम के गांव मा,पोटा जाही कॉप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
कहिके अँगठा छाप तैं,जेला दिये भगाय।
ओखर कोनो अउ नहीं,उही सहारा आय।
रहिके हमरे साथ मा,करथे हमर इलाज।
सहै उधारी ला घलो,होय सहुलियत काज।
कलपे रात बिकाल के,घर मा माई बाप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
जाने दवई देय बर,सूजी पानी आय।
ठीक करै बोखार ला,ओहर डॉक्टर ताय।
सर्दी जर बोखार मा,सहर जाय गा कोन।
बड़ मँहगा हाबय जहाँ,फीसे हा सिरतोन।
सोजबाय बतियाय नइ, बोले आने बोल।
तेहर पीरा ला हमर,कइसे लिही टटोल।
देखब हमला लोटथे,ओखर तन मा साँप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
झन कोनो ला लूट तैं,हरस तँहू भगवान।
राख मान पद के अपन,गाही सबझन गान।
चलथे टोना टोटका, बइगा हे बर छाँव।
जाही झोला छाप हा,डॉक्टर भेजव गाँव।
फँसे सहर के मोह मा,डॉक्टर नइ तो आय।
सुविधा सब खोजत फिरै,गाँव देख लुलवाय।
कौड़ी कौड़ी हे कीमती ,लूटे लगही पाप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)

पागा कलगी -31 //6//लाला साहू .(विक्रमसिंह)

विषय - डाॅ झोला छाप
वाह रे सरकार तै
बंद कर देस डाक्टर झोला छाप । 
गांव के गरिब किसान मन
नई करे तोला माफ ।।
गांव मा झोला छाप डाक्टर रहे ले
जल्दी हो जाये ईलाज ।
अब तो सरकारी अस्पताल म
लाईन लगाबे तभो नई होये ईलाज ।।
हाँ ये बात सच हे
झोला छाप डाक्टर फिस ज्यादा लेवत रहीस हे ।
फेर ज्यादा फीस म
डाक्टर ह दवाई अच्छा देवत रहीस हे ।।
लइका ल जाँच करीस ना देखीस
का का दवाई लिख डारिस ।
सरकारी अस्पताल के डाक्टर ह निमोनिया हे
कहिके 3 साल के लइका ल मार डारिस ।।
दाई ह वोला श्राप देवत हे
देवत हावे गारी ।
लइका मोर बाच गे रतिस
कहूँ लाये नई रतेव आस्पताल सरकारी ।।
नानकुन सर्दी खासी बर
दू घंटा लाईन लगाये ल पडथे ।
कहूँ थोकन बीमारी बडे होगे
रोज अस्पताल के चक्कर लगाये ल पडथे ।।
फुके ल आय नहीं आके ल बइठे हे
झोला छाप डाक्टर बिना डिग्री के ।
छोटे छोटे बुखार मा देथे दवाई बड
कहिथे बुखार हे तोला 105 डिग्री के ।।
झोला छाप डाक्टर करत रहीस हे अपन मनमानी ।
साधारण सर्दी जुकाम म गोली देवय आनीबानी ।।
गोली देवय आनीबानी , लेवय मरत ले पईसा ।
छोटे मोटे बुखार म घलो , लगाथे सुजी बइसा ।।
लगाथे सुजी बइसा
पइसा लुटे बाटल ग्लुकोस मा ।
गरिब मन के मेहनत के पईसा
ल डाक्टर भरथे धन कोष मा ।।
डाक्टर भरथे धनकोष मा
बनाये बर पांच तल्ला मकान ।
झोला छाप डाक्टर पईसा पाये बर
जगह जगह खोले हे दुकान ।।
जगह जगह खोले हे दुकान
लुटे बर जनता ला ।
ये झोला छाप डाक्टर ह संगी
भोगा देथे मनता ला ।।
रचना - लाला साहू .(विक्रमसिंह)
ग्राम -मुरता , तहसील -नवागढ ,
जिला बेमेतरा , छत्तीसगढ़
वाट्सअप - 7697308413

पागा कलगी -31//5//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"

विषय:-झोला छाप डाँक्टर
विधा:-रोला छंद
डाँक्टर झोला छाप,दिनो दिन बाढ़त हावय।
शहर नगर अउ गाँव,समस्या ठाढ़त हावय।
कइसे होय इलाज,हवय गंभीर बिमारी।
करय निवारण जेन,दिखै ना जिम्मेवारी।
डिगरी धारी तीर,होय पहुँचे मा देरी।
आथे झोला छाप,गाँव मा घेरी बेरी।
डिगरी वाले खास,ऊँट के मुँह मा जीरा।
कइसे गा दुरिहाय,हमर जनता के पीरा।
कइसे करय मरीज,फीस के चक्कर मारै।
सस्ता महँगा बीच,जान जोखिम मा डारै।
हे बूता के जोर,करत हे लापरवाही।
उल्टा सीधा होय,तहाँ बइठे पछताही।
झोला वाले तीर,सुई पानी लगवावै।
तुक्का मार इलाज,जान के धोखा खावै।
करही कोन सचेत,कोन समझावै ओला।
सस्ता मा झन मार,तोर महँगा हे चोला।
डाँक्टर झोला छाप,कहाँ ले हिम्मत पाथे।
दिलउज्जर गा रोज,घूम के सुई लगाथे।
नइहे बूता काम,बताथे रोना रोथे।
मजबूरी के नाम,इही ला करना होथे।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602
11/04/2017

पागा कलगी -31//4//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

विषय-झोला झाप डॉक्टर
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला छाप।
-थोड़ा बहुत महूँ हा पढ़े लिखे हँव्
एक दू साल बड़े अस्पताल मा काम सीखे हँव्।
धीरे धीरे सूजी पानी लगावत हँव्
अपन बुद्धि अनुसार करत हँव् ईलाज।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
-सर्दी खाँसी बुखार के करथवँ ईलाज
बीस तीस रुपिया मा करथवँ ईलाज।
उधारी बाढ़ही घला लगावत हँव्
भगवान के करत रहिथवँ जाप।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
मौका परे मा बड़े अस्पताल घला लेगथवँ
बरषा जाड़ा घाम मा कइसे रहिथे मनखे देखथवँ।
नइ आवय गुस्सा पैसा बर नइ तँगावव
मनखे के स्थिति ला लेथवँ गा मैं भाप।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
येला मोर गलती कहवँ या हुशियारी
जहाँ तक बन सके दूर करथवँ बिमारी।
देखत हे ऊपरवाले मोर नोहे कलाकारी
कतको देथे मोला गारी अनाप शनाप।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी -31//3//कुलदीप कुमार यादव

वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
बिन डिग्री के इलाज करै,
लगा दवाखाना के पोस्टर ,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
गरीब मरीज के तहि हरस देवता,
बीमराह मन देथे घर आये के नेवता ।
मरत मईनखे ला तहि बचाथस,
झोला में दवई धर दउड़त आथस ।
तोर कर आथे इंजीनियर अउ मास्टर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
तोर बर नई लागे बेरा ना कुबेरा,
मरीज मन के लगे तोर कर डेरा ।
समारू के होवै जब पेट पिरई,
आधारतिया देवस तै ओला दवई ।
पकड़ाये के हावे अब तोला डर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
पढ़े नई हे कहिके डाक्टरी बंद करावत हे,
गंवहिया मन ला पीरा भोगवावत हे ।
उपर वाले भगवान हा तो नई दिए दरश,
फेर तहि हमर बर साक्षात् हरश ।।
बुखार धरे ले अब जाये बर परथे शहर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
रचना
कुलदीप कुमार यादव
ग्राम-खिसोरा,धमतरी
9685868975

पागा कलगी -31 //2//कन्हैया साहू *"अमित"*

🙏�*ताटंक छन्द* मा प्रयास🙏🙏
16-14 मात्रा,अंत मा 3 गुरु अनिवार्य
डाँक्टर भगवन रुप हे जग मा,
देव दूत कस लागे जी।
देख तीर मा डाँक्टर बाबू,
रोग दोस सब भागे जी।1
बिदिया बल ले पाके मउका,
करँय खूब रोगी सेवा।
मिले दुआ बङ सुग्घर सिरतो,
अउ पावँय पइसा मेवा।2
लिख पढ़ सिख के बनथें डाँक्टर,
बिकट पछीना बोहाथें।
जग मा कतको काम परे हे,
सेवा धरम ला जी भाथें।3
जतका जग मा हावय सुबिधा,
संगे संग बिमारी हे।
मानुस तन धर डाँक्टर आए,
दुनिया बर उपकारी हे।4
कोनो डिगरीधारी डाँक्टर,
कखरो छप्पा झोला जी।
डाँक्टर हा डाँक्टर होथे सब,
सब मा सेवा चोला जी।5
सबो सहर मा अस्पताल जी,
बेवसथा बङ चोखा हे।
डाँक्टर झोला छाप गाँव मा,
अब्बङ सुग्घर जोखा हे।6
अस्पताल के फीस जबर हे,
मुरदा के पइसा लेथे।
झोला वाले डाँक्टर साहब,
घर-घर मा सेवा देथे।7
कहाँ गाँव मा बने ढ़ंग के,
रद्दा बिजली पानी हे।
अइसन अलकर अलहन मा जी
बस*"झोला"* जिनगानी हे।8
जिहाँ-जिहाँ सब सरकारी हे,
जिनगी तैं झखमारी जी।
झोला छाप गाँव के डाँक्टर,
अब हमर संगवारी जी।9
***********************************
कन्हैया साहू *"अमित"*
मोतीबाङी,परशुराम वार्ड-भाटापारा
संपर्क~9753322055
वाट्स.9200252055

पागा कलगी -31 //1//धनसाय यादव

// बेरा - पहिली पखवाडा अप्रैल 2017 //
// विषय - झोला छाप डाक्टर //
सृष्टि में जब जीव के होईस हे संचार ।
संगे संग विधाता दिस बीमारी के मार ।।
प्राण खातिर मनवा करिस लाख उदिम ।
पान पतउवा जड़ी बूटी करू कासा ल जिम ।।
परयोग करिस अउ परखिस अपनेच खातिर ।
धीरे धीरे सब ल सोधित अउ होगे माहिर ।।
नाम धराइस हथोई, हाकिम अउ बैद्यराज ।
बिन स्वारथ दुखिया मन के लगे करींन इलाज ।।
बिमरहा अपन्गहा रोवत आवय इनकर द्वार ।
कुलकत हांसत होके चन्गा जावय घरद्वार ।।
भुइयाँ के भगवान डाक्टर, आये जब मरीज ।
2 रुपिया के गोली बर लेवय 200 रू फीस ।।
गरीब मजदूर अतका मंहगा कैसे कराही इलाज ।
सस्ता इलाज खातिर मिले डाक्टर झोला छाप ।।
सच्चा डाक्टर सेवा भाव ले करही जब इलाज ।
तब काबर कोई जाही झोला छाप के पास ।।
दुसर बात हे डाक्टर के शहर में हे अस्पताल ।
बेरा कुबेरा दूर दराज के मरीज कैसे कराही इलाज ।।
सरी जग हे अजरहा, डाक्टर दू ले चार ।
जाऊन मिले तउने मेर कराथे उपचार ।।
झोला छाप नोहय कोनो छूत के बीमारी ।
पडत जेकर छाईहा फैले कोई महमारी ।।
अज्ञानी अधकचरा ज्ञानी झोला छाप के हे बाढ़ ।
धन के लालच म जान से करत हे खिलवाड़ ।।
बिस्तुर झोला छाप बंद हो, न ककरो जान से हो खिलवाड़ ।
लुके छिपे कहू करत इलाज मिले त पड़े जब्बर डॉढ़ ।।
खासी खोखी अपच उल्टी सर्दी हो या दस्त ।
अस्पताल पहुचे के पहिली झन हो पावय असक्त ।।
निरापद अउ असर कारी , 10 – 20 दवाई हो सरकारी ।
प्राथमिक ऊपचार के खातिर पारा मोहल्ला म एक ल दे दव जिम्मेदारी ।।
जैसे हर जन /चोर के पाछू नइ हो सकय पुलिस इंस्पेक्टर ।
वैसे हर मरीज के पाछू समय म नई हो सकय नर्स डाक्टर ।।
धनसाय यादव