सोमवार, 17 अप्रैल 2017

//पागा कलगी-32 के रूपरेखा//


बेरा-दूसर पखवाड़ा अप्रैल 2017
30 अप्रैल 2017 तक
विषय-‘‘ गर्मी मा स्कूल ‘‘
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मंच संचालक - हेमलाल साहू (सहा0 एडमिन)
निर्णायक - श्री डॉ. अजिज रफिक, वरिष्ठ साहित्यकार मुंगेली
विधा-विधा रहित
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निवेदन,
१)) मंच के वरिष्ठ रचनाकार संगी मन ले निवेदन हे ये आयोजन मा नवा रचनाकार भाई बहिनी मन ला जुड़े पर प्रेरित करंय ।
२))‘छत्तीसगढ़ साहित्य मंच के जम्मो रचनाकार भाई मन आप सब से निवेदन हे के कविता कोनो ना कोनो विधा-शिल्प मा निश्चित होथे, ये अलग बात हे के हम ओ विधा-शिल्प ला नई जानत होबो । कुछु विधा मा नई होही त तुकांत विधा मा जरूर होही । यदि आप मन अपन रचना के विधा के घला उल्लेख कर देहू त सोना म सुहागा हो जही ।
३)) रचना छत्तीसगढ़ी भासा मा ही होना चाही।
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जय जोहार....
जय छत्तीसगढ़....

पागा कलगी -31 //7//जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"

डॉक्टर झोला छाप(दोहा गीत)
देख घूम के गांव मा,पोटा जाही कॉप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
कहिके अँगठा छाप तैं,जेला दिये भगाय।
ओखर कोनो अउ नहीं,उही सहारा आय।
रहिके हमरे साथ मा,करथे हमर इलाज।
सहै उधारी ला घलो,होय सहुलियत काज।
कलपे रात बिकाल के,घर मा माई बाप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
जाने दवई देय बर,सूजी पानी आय।
ठीक करै बोखार ला,ओहर डॉक्टर ताय।
सर्दी जर बोखार मा,सहर जाय गा कोन।
बड़ मँहगा हाबय जहाँ,फीसे हा सिरतोन।
सोजबाय बतियाय नइ, बोले आने बोल।
तेहर पीरा ला हमर,कइसे लिही टटोल।
देखब हमला लोटथे,ओखर तन मा साँप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
झन कोनो ला लूट तैं,हरस तँहू भगवान।
राख मान पद के अपन,गाही सबझन गान।
चलथे टोना टोटका, बइगा हे बर छाँव।
जाही झोला छाप हा,डॉक्टर भेजव गाँव।
फँसे सहर के मोह मा,डॉक्टर नइ तो आय।
सुविधा सब खोजत फिरै,गाँव देख लुलवाय।
कौड़ी कौड़ी हे कीमती ,लूटे लगही पाप।
थेभा हवय गरीब के,डॉक्टर झोला छाप।
जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)

पागा कलगी -31 //6//लाला साहू .(विक्रमसिंह)

विषय - डाॅ झोला छाप
वाह रे सरकार तै
बंद कर देस डाक्टर झोला छाप । 
गांव के गरिब किसान मन
नई करे तोला माफ ।।
गांव मा झोला छाप डाक्टर रहे ले
जल्दी हो जाये ईलाज ।
अब तो सरकारी अस्पताल म
लाईन लगाबे तभो नई होये ईलाज ।।
हाँ ये बात सच हे
झोला छाप डाक्टर फिस ज्यादा लेवत रहीस हे ।
फेर ज्यादा फीस म
डाक्टर ह दवाई अच्छा देवत रहीस हे ।।
लइका ल जाँच करीस ना देखीस
का का दवाई लिख डारिस ।
सरकारी अस्पताल के डाक्टर ह निमोनिया हे
कहिके 3 साल के लइका ल मार डारिस ।।
दाई ह वोला श्राप देवत हे
देवत हावे गारी ।
लइका मोर बाच गे रतिस
कहूँ लाये नई रतेव आस्पताल सरकारी ।।
नानकुन सर्दी खासी बर
दू घंटा लाईन लगाये ल पडथे ।
कहूँ थोकन बीमारी बडे होगे
रोज अस्पताल के चक्कर लगाये ल पडथे ।।
फुके ल आय नहीं आके ल बइठे हे
झोला छाप डाक्टर बिना डिग्री के ।
छोटे छोटे बुखार मा देथे दवाई बड
कहिथे बुखार हे तोला 105 डिग्री के ।।
झोला छाप डाक्टर करत रहीस हे अपन मनमानी ।
साधारण सर्दी जुकाम म गोली देवय आनीबानी ।।
गोली देवय आनीबानी , लेवय मरत ले पईसा ।
छोटे मोटे बुखार म घलो , लगाथे सुजी बइसा ।।
लगाथे सुजी बइसा
पइसा लुटे बाटल ग्लुकोस मा ।
गरिब मन के मेहनत के पईसा
ल डाक्टर भरथे धन कोष मा ।।
डाक्टर भरथे धनकोष मा
बनाये बर पांच तल्ला मकान ।
झोला छाप डाक्टर पईसा पाये बर
जगह जगह खोले हे दुकान ।।
जगह जगह खोले हे दुकान
लुटे बर जनता ला ।
ये झोला छाप डाक्टर ह संगी
भोगा देथे मनता ला ।।
रचना - लाला साहू .(विक्रमसिंह)
ग्राम -मुरता , तहसील -नवागढ ,
जिला बेमेतरा , छत्तीसगढ़
वाट्सअप - 7697308413

पागा कलगी -31//5//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"

विषय:-झोला छाप डाँक्टर
विधा:-रोला छंद
डाँक्टर झोला छाप,दिनो दिन बाढ़त हावय।
शहर नगर अउ गाँव,समस्या ठाढ़त हावय।
कइसे होय इलाज,हवय गंभीर बिमारी।
करय निवारण जेन,दिखै ना जिम्मेवारी।
डिगरी धारी तीर,होय पहुँचे मा देरी।
आथे झोला छाप,गाँव मा घेरी बेरी।
डिगरी वाले खास,ऊँट के मुँह मा जीरा।
कइसे गा दुरिहाय,हमर जनता के पीरा।
कइसे करय मरीज,फीस के चक्कर मारै।
सस्ता महँगा बीच,जान जोखिम मा डारै।
हे बूता के जोर,करत हे लापरवाही।
उल्टा सीधा होय,तहाँ बइठे पछताही।
झोला वाले तीर,सुई पानी लगवावै।
तुक्का मार इलाज,जान के धोखा खावै।
करही कोन सचेत,कोन समझावै ओला।
सस्ता मा झन मार,तोर महँगा हे चोला।
डाँक्टर झोला छाप,कहाँ ले हिम्मत पाथे।
दिलउज्जर गा रोज,घूम के सुई लगाथे।
नइहे बूता काम,बताथे रोना रोथे।
मजबूरी के नाम,इही ला करना होथे।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602
11/04/2017

पागा कलगी -31//4//ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

विषय-झोला झाप डॉक्टर
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला छाप।
-थोड़ा बहुत महूँ हा पढ़े लिखे हँव्
एक दू साल बड़े अस्पताल मा काम सीखे हँव्।
धीरे धीरे सूजी पानी लगावत हँव्
अपन बुद्धि अनुसार करत हँव् ईलाज।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
-सर्दी खाँसी बुखार के करथवँ ईलाज
बीस तीस रुपिया मा करथवँ ईलाज।
उधारी बाढ़ही घला लगावत हँव्
भगवान के करत रहिथवँ जाप।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
मौका परे मा बड़े अस्पताल घला लेगथवँ
बरषा जाड़ा घाम मा कइसे रहिथे मनखे देखथवँ।
नइ आवय गुस्सा पैसा बर नइ तँगावव
मनखे के स्थिति ला लेथवँ गा मैं भाप।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
येला मोर गलती कहवँ या हुशियारी
जहाँ तक बन सके दूर करथवँ बिमारी।
देखत हे ऊपरवाले मोर नोहे कलाकारी
कतको देथे मोला गारी अनाप शनाप।
हा महीं ऑव् डॉक्टर झोला झाप।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी -31//3//कुलदीप कुमार यादव

वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
बिन डिग्री के इलाज करै,
लगा दवाखाना के पोस्टर ,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
गरीब मरीज के तहि हरस देवता,
बीमराह मन देथे घर आये के नेवता ।
मरत मईनखे ला तहि बचाथस,
झोला में दवई धर दउड़त आथस ।
तोर कर आथे इंजीनियर अउ मास्टर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
तोर बर नई लागे बेरा ना कुबेरा,
मरीज मन के लगे तोर कर डेरा ।
समारू के होवै जब पेट पिरई,
आधारतिया देवस तै ओला दवई ।
पकड़ाये के हावे अब तोला डर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
पढ़े नई हे कहिके डाक्टरी बंद करावत हे,
गंवहिया मन ला पीरा भोगवावत हे ।
उपर वाले भगवान हा तो नई दिए दरश,
फेर तहि हमर बर साक्षात् हरश ।।
बुखार धरे ले अब जाये बर परथे शहर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
रचना
कुलदीप कुमार यादव
ग्राम-खिसोरा,धमतरी
9685868975

पागा कलगी -31 //2//कन्हैया साहू *"अमित"*

🙏�*ताटंक छन्द* मा प्रयास🙏🙏
16-14 मात्रा,अंत मा 3 गुरु अनिवार्य
डाँक्टर भगवन रुप हे जग मा,
देव दूत कस लागे जी।
देख तीर मा डाँक्टर बाबू,
रोग दोस सब भागे जी।1
बिदिया बल ले पाके मउका,
करँय खूब रोगी सेवा।
मिले दुआ बङ सुग्घर सिरतो,
अउ पावँय पइसा मेवा।2
लिख पढ़ सिख के बनथें डाँक्टर,
बिकट पछीना बोहाथें।
जग मा कतको काम परे हे,
सेवा धरम ला जी भाथें।3
जतका जग मा हावय सुबिधा,
संगे संग बिमारी हे।
मानुस तन धर डाँक्टर आए,
दुनिया बर उपकारी हे।4
कोनो डिगरीधारी डाँक्टर,
कखरो छप्पा झोला जी।
डाँक्टर हा डाँक्टर होथे सब,
सब मा सेवा चोला जी।5
सबो सहर मा अस्पताल जी,
बेवसथा बङ चोखा हे।
डाँक्टर झोला छाप गाँव मा,
अब्बङ सुग्घर जोखा हे।6
अस्पताल के फीस जबर हे,
मुरदा के पइसा लेथे।
झोला वाले डाँक्टर साहब,
घर-घर मा सेवा देथे।7
कहाँ गाँव मा बने ढ़ंग के,
रद्दा बिजली पानी हे।
अइसन अलकर अलहन मा जी
बस*"झोला"* जिनगानी हे।8
जिहाँ-जिहाँ सब सरकारी हे,
जिनगी तैं झखमारी जी।
झोला छाप गाँव के डाँक्टर,
अब हमर संगवारी जी।9
***********************************
कन्हैया साहू *"अमित"*
मोतीबाङी,परशुराम वार्ड-भाटापारा
संपर्क~9753322055
वाट्स.9200252055

पागा कलगी -31 //1//धनसाय यादव

// बेरा - पहिली पखवाडा अप्रैल 2017 //
// विषय - झोला छाप डाक्टर //
सृष्टि में जब जीव के होईस हे संचार ।
संगे संग विधाता दिस बीमारी के मार ।।
प्राण खातिर मनवा करिस लाख उदिम ।
पान पतउवा जड़ी बूटी करू कासा ल जिम ।।
परयोग करिस अउ परखिस अपनेच खातिर ।
धीरे धीरे सब ल सोधित अउ होगे माहिर ।।
नाम धराइस हथोई, हाकिम अउ बैद्यराज ।
बिन स्वारथ दुखिया मन के लगे करींन इलाज ।।
बिमरहा अपन्गहा रोवत आवय इनकर द्वार ।
कुलकत हांसत होके चन्गा जावय घरद्वार ।।
भुइयाँ के भगवान डाक्टर, आये जब मरीज ।
2 रुपिया के गोली बर लेवय 200 रू फीस ।।
गरीब मजदूर अतका मंहगा कैसे कराही इलाज ।
सस्ता इलाज खातिर मिले डाक्टर झोला छाप ।।
सच्चा डाक्टर सेवा भाव ले करही जब इलाज ।
तब काबर कोई जाही झोला छाप के पास ।।
दुसर बात हे डाक्टर के शहर में हे अस्पताल ।
बेरा कुबेरा दूर दराज के मरीज कैसे कराही इलाज ।।
सरी जग हे अजरहा, डाक्टर दू ले चार ।
जाऊन मिले तउने मेर कराथे उपचार ।।
झोला छाप नोहय कोनो छूत के बीमारी ।
पडत जेकर छाईहा फैले कोई महमारी ।।
अज्ञानी अधकचरा ज्ञानी झोला छाप के हे बाढ़ ।
धन के लालच म जान से करत हे खिलवाड़ ।।
बिस्तुर झोला छाप बंद हो, न ककरो जान से हो खिलवाड़ ।
लुके छिपे कहू करत इलाज मिले त पड़े जब्बर डॉढ़ ।।
खासी खोखी अपच उल्टी सर्दी हो या दस्त ।
अस्पताल पहुचे के पहिली झन हो पावय असक्त ।।
निरापद अउ असर कारी , 10 – 20 दवाई हो सरकारी ।
प्राथमिक ऊपचार के खातिर पारा मोहल्ला म एक ल दे दव जिम्मेदारी ।।
जैसे हर जन /चोर के पाछू नइ हो सकय पुलिस इंस्पेक्टर ।
वैसे हर मरीज के पाछू समय म नई हो सकय नर्स डाक्टर ।।
धनसाय यादव

बुधवार, 5 अप्रैल 2017

//पागा कलगी 28 के परिणाम//

फरवरी 2017 के पहिली पखवाड़ा मा ‘लमसेना‘ विषय म प्रतियोगिता के आयोजन करे गेइस । येमा 6 रचना प्राप्त होइस । ये आयोजन के निर्णायक आदरणीया शंकुन्तला तरार रहिन । उन्खर निर्णय उन्खरे शब्छ म-
‘‘सब्बो झन के रचना बनई सुन्दर हावय । भावपक्ष, कलापक्ष अउ भाव अभिव्यक्ति ला आधार मान के मैं कविता/गीत के आंकलन करे हंव ।
मोर विचार ले .......
पहिली नं म श्री चोवाराम ‘बादल‘
दूसर नं. म श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी
के कविता हवय ।
दूनों विजेता ला गाड़ा-गाड़ा बधाई, मोला ये अवसर दे बर ‘छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के बहुत-बहुत धन्यवाद ।‘‘
छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के डहर ले सबो रचनाकार के संगे-संग विजेता मन ल अंतस ले बधाई


मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

पागा कलगी 30 के परिणाम

मार्च के दूसर पखवाड़ा म ‘गर्मी के छुट्टी मा, जाबो ममा गाँव‘‘ विषय म प्रतियोगिता होइस । जेमा कुल 6 रचना आइस । ‘‘हर प्रतिभागी के रचना ह सुघ्घर हे । नाममात्र सुधार के बाद श्रेष्ठ रचना बन जाही । उनकर सामान्य गलती लय टूटना, गलत तुकान्त, तुकान्तता के अभाव, शब्द के मात्रा बिगाड़ के लिखना हे ।‘‘ प्रतियोगिता म बिना गलती या सबसे कम गलती वाले रचना ल चुने जाथे । ये आधार म ये प्रतियोगिता के परिणाम ये प्रकार हे-
पहिली विजेता- श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी
दूसर विजेता- श्री ई.जी. गजानंद पात्रे ‘सत्यबोध‘

दूनों विजेता ला मंच के तरफ ले  अंतस ले बधाई, सबो प्रतिभागी मन के आभार ।

संयोजक
छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच


पागा कलगी 29 के परिणाम

मार्च के पहिली पखवाड़ा म ‘होली हे‘ विषय म प्रतियोगिता होइस । जेमा कुल 11 रचना आइस । ये आयोजन के निर्णायक श्री तुकाराम कंसारी रहिन । कंसारीजी के अनुसार-‘‘हर प्रतिभागी के रचना ह सुघ्घर हे । नाममात्र सुधार के बाद श्रेष्ठ रचना बन जाही । उनकर सामान्य गलती लय टूटना, गलत तुकान्त, तुकान्तता के अभाव, शब्द के मात्रा बिगाड़ के लिखना हे ।‘‘ प्रतियोगिता म बिना गलती या सबसे कम गलती वाले रचना ल चुने जाथे । ये आधार म ये प्रतियोगिता के परिणाम ये प्रकार हे-
पहिली विजेता- श्री जीतेन्द्र वर्मा ‘खैरझिटिया‘
दूसर विजेता- श्री अनिल कुमार पाली

दूनों विजेता ला मंच के तरफ ले  अंतस ले बधाई, सबो प्रतिभागी मन के आभार ।

संयोजक
छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच


पागा कलगी-30/6/जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

दाई!जाहूँ ममा घर।
गरमी के छुट्टी लग गे,
होगे पढ़ई लिखई।
हर साल कस रद्दा,
देखत होही ममा दई।
तँउरे बर मंझनिया,
तरिया नरवा बलात हे।
ममा गाँव के सुरता,
तरवा मा छात हे।
झूलना झूलाही,
आमा बर पीपर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
ममा के पीठ मा,
चढ़हूँ पिठँइया ।
ममा दाउ के आघू,
नाचहूँ ताता थैया।
मामी खवाही,
बरा सोंहारी।
खाबोन पेउस,
जमने होही गाय कारी।
दू जोड़ी पेंट,
कुरथा ला धर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
हप्ता हप्ता हाट लगथे।
चना गुपचुप चाँट लगथे।
बड़ भाथे कोला बारी हा।
ममा दाऊ के खांसर गाड़ी हा।
थपट के सुताही ममा दई।
कहिनी किस्सा सुनाही ममा दई।
बिहना ले संझा ,
खेलबोन मन भर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
गड़गड़ी बॉटी ,
गिल्ली भसकोल।
बर पीपर पाना ला,
घुमाबोंन गोल गोल।
झिल्ली कागत के,
पतंग उड़ाबोंन।
खइरखा डाँड़ मा,
मजा मतंग उड़ाबोंन।
संगी सब मिल बाजा बजाबोंन।
भरे मंझनिया खूब नहाबोंन।
नइ धरे बोखर जर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
मामी संग पानी लान लगहूँ।
ममा दाऊ संग छानी छान लगहूँ।
ममा संग भईंस्सा धोहूँ।
ममा दाई मनाही,कतको रोहूँ।
जाके ममा गाँव,
बचपना ला लेतेंव गढ़।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी-30/5/ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

विषय-गरमी छुट्टी मा ममा गॉव जाबो
विधा-दोहा
________________________________
सुरता मोला आत हें,आमा अमली छाँव।
होंगे छुट्टी स्कूल मा,जाहुँ ममा के गाँव।।
आथे जी अड़बड़ मजा,करथन मस्ती रोज।
मंझनियाँ भर घूमना,मामी करथें खोज।।
भाई बहिनी जुरमिलें,करथन चिहूँर चोर।
काले चुप मामी ममा,हँसय देखके जोर।।
परछी फाँदे झूलना,मिलके झूलन झूल।
ईटा हा गाड़ी बनें,उड़े चलय ता धूल।।
कहाँ लुकागे चोर हा,करे सिपाही खोज।
चोर पुलिस के खेल ला,खेलन संगी रोज।।
गिल्ली डंडा मिल हमन,खेलन संगी साथ।
बाटी राहय जेब मा,भौरा डोरी हाथ।।
टीपा हा बाजा बनय,मिलके गावन फाग।
हँसी खुसी जिनगी बितय,द्वेष रहय ना राग।।
ज्यादा बदमाशी करन,मामी अइठे कान।
भड़के नानी जोर हा,मामी के मरे बिहान।।
गाड़ी बइला मा नना,लेगय मेला हाट।
चना चबेना संगमा,खावन भजिया चाट।।
लेवय अउ कुरता नवा,जूता मोंजा साथ।
खुश होके जी हमन,चरन नवावन माथ।।
सुरता आथे बचपना ,गॉव गली अउ खोर।
मनमौजी फक्कड़ रहन,ना तोरी ना मोर।।
काबर होंगे हन बड़े,चिंता गज़ब सताय।
पेट बिकाली मा सबो,जिनगी रंग उड़ाय।।
ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदेनी कवर्धा(छः ग)

पागा कलगी-30/4/कु. रेखा निर्मलकर

बिषय- गरमी के छुट्टी म ममा घर जाबो,
गरमी के छुट्टी म हम तो , ममा घर जाबो,
आमा अमली के दिन आए, मीठ चार तेंदू खाबो,
दिखथे कहा अब बैला गाडी़ शहर के रद्दा म,
बइठ बैला गाडी़ म बरातिया जाये के मजा पाबो,
बडे बिहनिया गांव म हवा निरमल बोहाथे
नदिया तरिया के नहावई म अडबड मजा आथे,
संझा बिहनिया होथे सुख दुःख के गोठ,
पांव परे ले बडे बुर्जुग के जिनगी हर संवरथे,
रतिहा के बोरे बासी गरमी म ठंडक देथे,
मामी के रांधे चिला रोटी अडबड मिठाथे,
निचट सिधवा गांव के लइका संग बाटी भांवरा खेलन,
हमला जीता के खुश हो जथे, अइसन संगी कहा होथे,
ममा दाई रोज सुनाथे राजा रानी के कहानी,
आजा बबा सिखाथे रामायण गीता के बानी,
आथे जब घर जाये के बेरा, मया अडबड बढ़ जथे,
ममा मामी के आंखी म आंसू के धार बोहाथे,,,
कु. रेखा निर्मलकर
ग्राम कन्नेवाडा
जिला बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी-30/3/विक्रमसिंह

विषय - गर्मी के छुट्टी मा जाबो ममा गांव ..
फरवरी मा पेपर शुरू होईस
मार्च मा सिराईस हे । 
पेपर के बाद स्कूल के होगे छुट्टी
ममा गांव के सुरता आईस हे ।। 1।।
सम्बलपुर के ओ पार हावे
मोर ममा गांव खेड़ा ।
साइकिल धर के आईस मोर ममा
बईठेव नहीं मै बेड़ा ।।2।।
खेड़ा ले मुरता आय रहिस
मोर ममा लेगे बर मोला ।
जूता मोजा पहीरे रहीस
मोर ममा धरे रहीस झोला ।। 3।।
घर मा आके ममा ह
दाई के पांव परिस हे ।
संग मा लाय झोला ल
भीतरी कोती धरिस हे ।।4।।
ममा कहिस दाई ल
भेज दे भांचा ल घूम के आही ।
गर्मी के छुट्टी होगे हे
अपन ममा गांव देख आही ।। 5।।
दाई ह मोला हव जा
कहिके ममा गांव भेजीईस हे ।
ज्यादा झन घुमबे बेटा
कहिके मोला चेताईस हे ।। 6।।
मोला देख के ममा दाई ह
मुच ले मुस्काईस हे ।
बने अगेस बेटा कहिके
अपन तीर मा बलाईस हे।।7।।
ओतका मा लोटा मा
पानी धर के मामी निकगे ।
हमर आरो ल सुन के
मौसी अऊ नाना निकगे ।।8।।
आ बईठ भांचा कहिके
कुर्सी मा बईठारिस हे ।
बड दिन मा आय कहिके
मोर पांव ल पखारिस हे ।। 9।।
मोर भांचा आये हे कहिके
मोर मामी ह कुकरी रांध डारिस ।
मै ओला नई खाव कहेव त
आलू भाटा ल सुधार डारिस ।।10।।
बिक्कट मजा करेव ममा गांव मा
घूम घूम के खाय हव ।
गर्मी के दिन तो रहिस हे संगवारी
तरिया मा कुद कुद के नहाये हव ।।11।।
विक्रमसिंह #लाला
मुरता ,नवागढ , बेमेतरा
7697308413