बुधवार, 11 मई 2016

पागा कलगी 9//मिलन मलरिहा

**आखरी बेरा**
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काबर मति छरियाथच बबा
तोरगोठ कोनो नइ मानय जी
उमर खसलगे झीन गुन तैहा
बिगड़य चाहे बनय जी
दिन उंकरे हे मानले तय
संसो टार चुप देखव जी
करेनधक सियानी नवाजूग हे
कलेचुप किस्सा सुनव जी
तोर बनाए नइ बनय कछु
फेर का बात के मोह तोला
का बात के मया जी
का बात के गरभ हे सियान
मोला तय बताना जी......
.
कतेक रुपिया कतेक पईसा
कतेक साईकिल गाड़ा भईसा
ए जिनगी के ठुड़गा बमरी
एकदिन चुल्हा म जोराही
जाए के बेरा अकेल्ला जाबे
कोनो संग म नई जाही
जिनगी के आखरी बेरा
सब्बो दूरिहा हट जाही
दूई दिन रो-गा के ओमन
महानदि म तोला फेक आही
दसनहावन म जम्मो जुरके
तोर बरा सोहारी ल चाबही
फेर का बात....................
.
तय ह सिधवा गियानी बने
लईका होगे आने- ताने
चारो कोती तय मान कमाएँ
नाती-पोती सब धूम मचाएँ
बनी-भूति, कमा-कोड़ के
खेत बारी-भाठा ल सकेले
टूरा-टूरी फटफटी खातिर
छिनभर म ओला ढकेले
तोर खुन-पसीना के कमाई
किम्मत दूसर का जानय जी
फेर का बात....................
.
गाँव गाँव तोर गियान फइले
घरो-घर तोर बात म चले
अपन घर-छानही धूर्रा मईले
जइसे दिया तरी मुंधियार पेले
अब कब आही तोर घर अंजोर
बइठके डेहरी करत सोंच
अंगाकर रोटी ल टोर-टोर
चार कोरी बेरा जिनगी पहागे
नाती छंती के दिन आगे
अब बनावय चाहे बिगाड़य जी
फेर का बात....................

)
मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर

पागा कलगी 9//रामेश्वर शांडिल्य

नवा बहुरिया
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
छुटगे संग भाई बहिनी के.
दाई ददा के कोरा ऩ
छुटगे संग सखी सहेली के.
घर अंगना गाव के खोरा ऩ
ससुरार म मुड ढाके लजात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
मइके म फूल कस महमहावत रहे.
पारा पारा म तितली कस मडरावत रहे ऩ
ससुरार म आके समझदार होगे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
सास ननद करा मइके के.
गोठ गोठियात रहे.
अपन गांव के कुकूर ल.
सहरात रहे.
तेार गोठ ल सुन ननद खिसियात रहे ओ ऩ
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

पागा कलगी 9//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

--: परचे देवत रूख :--
...गीत....
मोर नाव हे बीरवा रुखवा ..
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे।
मोर संग पिरित के गठरी ल जोरके,
जिनगी के बछर बिताना हे,जिनगी के बछर बिताना हे।
मोर नांव हे बीरवा रूखवा ,
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे।
'१' उवत सूरुज संग भोजन बनाथव,
जीव जन्तु ल खवाथव...।
कुहरा धुआं ल पियत रहिथव,
सुघर हवा बगराथव...।
हरियर-हरियर गीत मै गाथव...
हरियर-हरियर गीत मै गाथव,
मोर संग सबो ल गाना हे,मोर संग सबो ल गाना हे।
मोर नांव हे .........
'२' मोर सुघ्घर फूल मोर गुरतुर फल,
लकड़ी घलो ल बउरत हव...।
कागज कपड़ा अवषधि तरकारी,
चटनी घलो ल संउरत हव...।
पर उपकार के मोर करतब ल..
पर उपकार के मोर करतब ल,
जम्मो झन ल बताना हे,जम्मो झन ल बताना हे।
मोर नांव हे........
'३' भुमि ल बांध अपरदन रोकव,
पानी घलो बलाथव...।
जल थल अउ वायु परदुषन ल,
दूर भगाथव...।
माटि म मिलके संगवारी...
माटि म मिलके संगवारी,
तुंहरेच काम मे आना हे,तुंहरेच काम मे आना हे।
मोर नांव हे बीरवा रूखवा,
गांव के उत्ती म मोर ठिकाना हे...।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर,कवर्धा
९६८५२१६६०२

शनिवार, 7 मई 2016

पागा कलगी 9//राजेश कुमार निषाद

मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
तै हावस ओ एति ओति
मैं तोला खोजंव कति कति।
नौ महीना ले अपन कोख म
रखे ओ मोला जतन के।
पांच बरस के होवत ले
दूध पिलाये अपन तन के।
कोख ले अपन जनम दे हस मोला
लाख लाख पीड़ा ल सहिके।
किसम किसम के मोला भोजन कराये हस
अपन लांघन भूखन रहिके।
कतेक तै दुख सहे ओ मोर सति
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
नान्हे पन ले मैं तोर दुलरवा रेहेंव
नई जानेंव तोर दुलार ओ।
कतेक मैं रोवंव चिल्लावंव
पर देवस तै भुलार ओ।
तोर मया के कतेक करंव बखान
पांव पखारंव तोर कोटि कोटि
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।
अंगरी धर के चले बर मोला
दाई तहीं हर सिखाये हस।
मैं तोर लईका दुलरवा दाई
गली खोर म घुमाये हस।
महिमा तोर निराली दाई
तोर गुण ल गावंव सबो कोति
मोर जनम देवईया दाई
तोला खोजंव कति कति।

रचनाकार÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद (समोदा )

शुक्रवार, 6 मई 2016

पागा कलगी 9//दिनेश देवांगन "दिव्य"

रोवत हे परियावरण, रोथँय नदी पहाड़ !
मनखें तज इंसानियत, करत हवय खिलवाड़!!
करत हवय खिलवाड़, काँटथें जंगल झाड़ी!
धुआँ करिस आकास, कारखाना अउ गाड़ी !!
सुनव दिव्य के गोंठ, मनखें जहर बोवत हे!
लेवन कइसे साँस, परानी सब रोवत हे !!


काॅटव रुख राई नहीं, हो जाही जंजाल !
शुद्ध हवा पाहव कहाँ, होही जी के काल !!
होही जी के काल, बरसही बादर कइसे !
उजर जही संसार,बिना जल मछरी जइसे !!
देत दिव्य संदेस, भलाई सबके छाॅटव !
सबो रही खुसहाल, नही रुख राई काॅटव !!

पेड़ लगावँव रोज गा, पेड़ हमर हे जान !
हाँसी जब परियावरण, संग हमूँ मुसकान !!
संग हमूँ मुसकान, नाचही चारों मउसम!
सावन अउ आषाढ़, बरसही पानी झमझम!!
सुनव दिव्य के गोंठ, प्रकृति ले मया बढावँव!
इही हमर वरदान, जतन के पेड़ लगावँव!

दिनेश देवांगन "दिव्य"
सारंगढ़ जिला - रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

मंगलवार, 3 मई 2016

पागा कलगी 9 //आचार्य तोषण

॥छत्तीसगढ़ के तिहार॥
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बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
झुमै नाचै सब नर नारी
मया के होवै बउछार गा।
हरेली मनाबो सावन मा
नांगर चढाबो रोटी चीला।
हरिहर दिखै धनहा भुंइया
झुमरय माई अउ पीला।।
बरखा रानी झिमिर झिमिर
पानी देवय फुहार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
बांधय राखी बहिनी हर
अपन भाई के कलाई मा।
भाई देवय बचन बहिनी ल
जान देहूं तोर भलाई मा।।
भाई बहिनी के मया देखे
उतारे नजर संसार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
आगे भादो जांता पोरा
समारू नंदिया दउडाय।
दाई बहिनी के तीज तिहार
गौरा शंखर ल मनाय।।
आनी बानी के रोटी पीठा
रांधे करे फरहार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
आगे नवरात कुंआर मा
चल ना जोत जलाबो।
दशेरा संग कातिक मा
घर-घर दीया जलाबो।
खाबो नवा जुरमिल संगी
पाबो मया दुलार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
पूस पुन्नी के बेरा सुघ्घर
छेरछेराय घर-घर जाबो।
बइठाबो टुकना म मिट्ठू
मिल गीत सुआ के गाबो।।
घर कुरिया सबके खुले
अन्नकुंवर के भंडार गा।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
फागून मस्त महीना संगी
उड़ावय रंग गुलाल जी।
लइका सियान जवान मितवा
दिखय सबे लाले लाल जी।।
भर पिचकारी मारत हावय
एक दुसर ला बउछार गा ।
बड़ नीक लागे संगी मोला
छत्तीसगढ़ के तिहार गा ।
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////जय छत्तीसगढ़////
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रचना:-आचार्य तोषण
गांव-धनगांव डौंडीलोहारा
जिला-बालोद, छत्तीसगढ़
पिन-४९१७७१
९६१७५८९६६७

सोमवार, 2 मई 2016

पागा कलगी 9 बर//सतोष फरिकार

मोला काही नई आय
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दाई कहे बेटी ला
चाऊर निमार दे बेटी
बेटी कहत हे दाई ला
नई आय मोला निमारे ला
बेटी के फेशन देख
दाई हर लजावत हे
काम बुता काही नई करय
दिन भर चेहरा सजावत हे
दाई बर गुर्रावत हे
अईसन दिन धलो आगे
बेटी कहत हे दाई ला
छेरकीन टुरी हर दाई
जिन्श अऊ टाप पहिन
छेरी चराय बर जावत हे
ओखर ले का कम हव दाई
मय तो करत हव पढ़ाई
पढ़े बर जात हे बेटी
आनी बानी किरीम लगात हे
मसमोटी देख बेटी के
दाई चिन्ता म दुबरावय हे
अईसन दिन धलो आगे
स्कुल ले आके टीवी ल देखत
अपन फेशन ल बढ़ावत हे
दिन रात दाई सोचत
स्कुल म जाके न जाने
बेटी का पढ़ाई करत हे
ददा हर दिन रात
कमाई भर करत हे
बेटी काय करत हवय
सुध घलो नई लेवत हे
अईसन दिन घलो आगे
कुछू काम सीखे ल कहिबे
मोला नई आय कहिके चिल्लावत हे
""""""""""""""""""""'""""'''
सतोष फरिकार
देवरी भाटापारा
जिला बलौदा बजार भाटापारा
‪#‎मयारू‬
9926113995