बुधवार, 11 मई 2016

पागा कलगी 9//रामेश्वर शांडिल्य

नवा बहुरिया
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
छुटगे संग भाई बहिनी के.
दाई ददा के कोरा ऩ
छुटगे संग सखी सहेली के.
घर अंगना गाव के खोरा ऩ
ससुरार म मुड ढाके लजात रहे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
मइके म फूल कस महमहावत रहे.
पारा पारा म तितली कस मडरावत रहे ऩ
ससुरार म आके समझदार होगे ओ ऩ
खेले कूदे के उमर म ससुरार आगे ओ ऩ
सास ननद करा मइके के.
गोठ गोठियात रहे.
अपन गांव के कुकूर ल.
सहरात रहे.
तेार गोठ ल सुन ननद खिसियात रहे ओ ऩ
दाई ददा के कोरा म इतरात रहे ओ ऩ
रामेश्वर शांडिल्य
हरदीबाजार कोरबा

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