**आखरी बेरा**
"""""""""""""""""""
काबर मति छरियाथच बबा
तोरगोठ कोनो नइ मानय जी
उमर खसलगे झीन गुन तैहा
बिगड़य चाहे बनय जी
दिन उंकरे हे मानले तय
संसो टार चुप देखव जी
करेनधक सियानी नवाजूग हे
कलेचुप किस्सा सुनव जी
तोर बनाए नइ बनय कछु
फेर का बात के मोह तोला
का बात के मया जी
का बात के गरभ हे सियान
मोला तय बताना जी......
.
कतेक रुपिया कतेक पईसा
कतेक साईकिल गाड़ा भईसा
ए जिनगी के ठुड़गा बमरी
एकदिन चुल्हा म जोराही
जाए के बेरा अकेल्ला जाबे
कोनो संग म नई जाही
जिनगी के आखरी बेरा
सब्बो दूरिहा हट जाही
दूई दिन रो-गा के ओमन
महानदि म तोला फेक आही
दसनहावन म जम्मो जुरके
तोर बरा सोहारी ल चाबही
फेर का बात....................
.
तय ह सिधवा गियानी बने
लईका होगे आने- ताने
चारो कोती तय मान कमाएँ
नाती-पोती सब धूम मचाएँ
बनी-भूति, कमा-कोड़ के
खेत बारी-भाठा ल सकेले
टूरा-टूरी फटफटी खातिर
छिनभर म ओला ढकेले
तोर खुन-पसीना के कमाई
किम्मत दूसर का जानय जी
फेर का बात....................
.
गाँव गाँव तोर गियान फइले
घरो-घर तोर बात म चले
अपन घर-छानही धूर्रा मईले
जइसे दिया तरी मुंधियार पेले
अब कब आही तोर घर अंजोर
बइठके डेहरी करत सोंच
अंगाकर रोटी ल टोर-टोर
चार कोरी बेरा जिनगी पहागे
नाती छंती के दिन आगे
अब बनावय चाहे बिगाड़य जी
फेर का बात....................
।
)
मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर
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काबर मति छरियाथच बबा
तोरगोठ कोनो नइ मानय जी
उमर खसलगे झीन गुन तैहा
बिगड़य चाहे बनय जी
दिन उंकरे हे मानले तय
संसो टार चुप देखव जी
करेनधक सियानी नवाजूग हे
कलेचुप किस्सा सुनव जी
तोर बनाए नइ बनय कछु
फेर का बात के मोह तोला
का बात के मया जी
का बात के गरभ हे सियान
मोला तय बताना जी......
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कतेक रुपिया कतेक पईसा
कतेक साईकिल गाड़ा भईसा
ए जिनगी के ठुड़गा बमरी
एकदिन चुल्हा म जोराही
जाए के बेरा अकेल्ला जाबे
कोनो संग म नई जाही
जिनगी के आखरी बेरा
सब्बो दूरिहा हट जाही
दूई दिन रो-गा के ओमन
महानदि म तोला फेक आही
दसनहावन म जम्मो जुरके
तोर बरा सोहारी ल चाबही
फेर का बात....................
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तय ह सिधवा गियानी बने
लईका होगे आने- ताने
चारो कोती तय मान कमाएँ
नाती-पोती सब धूम मचाएँ
बनी-भूति, कमा-कोड़ के
खेत बारी-भाठा ल सकेले
टूरा-टूरी फटफटी खातिर
छिनभर म ओला ढकेले
तोर खुन-पसीना के कमाई
किम्मत दूसर का जानय जी
फेर का बात....................
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गाँव गाँव तोर गियान फइले
घरो-घर तोर बात म चले
अपन घर-छानही धूर्रा मईले
जइसे दिया तरी मुंधियार पेले
अब कब आही तोर घर अंजोर
बइठके डेहरी करत सोंच
अंगाकर रोटी ल टोर-टोर
चार कोरी बेरा जिनगी पहागे
नाती छंती के दिन आगे
अब बनावय चाहे बिगाड़य जी
फेर का बात....................
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मिलन मलरिहा
मल्हार, बिलासपुर
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