मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

पागा कलगी-30/4/कु. रेखा निर्मलकर

बिषय- गरमी के छुट्टी म ममा घर जाबो,
गरमी के छुट्टी म हम तो , ममा घर जाबो,
आमा अमली के दिन आए, मीठ चार तेंदू खाबो,
दिखथे कहा अब बैला गाडी़ शहर के रद्दा म,
बइठ बैला गाडी़ म बरातिया जाये के मजा पाबो,
बडे बिहनिया गांव म हवा निरमल बोहाथे
नदिया तरिया के नहावई म अडबड मजा आथे,
संझा बिहनिया होथे सुख दुःख के गोठ,
पांव परे ले बडे बुर्जुग के जिनगी हर संवरथे,
रतिहा के बोरे बासी गरमी म ठंडक देथे,
मामी के रांधे चिला रोटी अडबड मिठाथे,
निचट सिधवा गांव के लइका संग बाटी भांवरा खेलन,
हमला जीता के खुश हो जथे, अइसन संगी कहा होथे,
ममा दाई रोज सुनाथे राजा रानी के कहानी,
आजा बबा सिखाथे रामायण गीता के बानी,
आथे जब घर जाये के बेरा, मया अडबड बढ़ जथे,
ममा मामी के आंखी म आंसू के धार बोहाथे,,,
कु. रेखा निर्मलकर
ग्राम कन्नेवाडा
जिला बालोद छत्तीसगढ़

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