सोमवार, 17 अप्रैल 2017

पागा कलगी -31 //6//लाला साहू .(विक्रमसिंह)

विषय - डाॅ झोला छाप
वाह रे सरकार तै
बंद कर देस डाक्टर झोला छाप । 
गांव के गरिब किसान मन
नई करे तोला माफ ।।
गांव मा झोला छाप डाक्टर रहे ले
जल्दी हो जाये ईलाज ।
अब तो सरकारी अस्पताल म
लाईन लगाबे तभो नई होये ईलाज ।।
हाँ ये बात सच हे
झोला छाप डाक्टर फिस ज्यादा लेवत रहीस हे ।
फेर ज्यादा फीस म
डाक्टर ह दवाई अच्छा देवत रहीस हे ।।
लइका ल जाँच करीस ना देखीस
का का दवाई लिख डारिस ।
सरकारी अस्पताल के डाक्टर ह निमोनिया हे
कहिके 3 साल के लइका ल मार डारिस ।।
दाई ह वोला श्राप देवत हे
देवत हावे गारी ।
लइका मोर बाच गे रतिस
कहूँ लाये नई रतेव आस्पताल सरकारी ।।
नानकुन सर्दी खासी बर
दू घंटा लाईन लगाये ल पडथे ।
कहूँ थोकन बीमारी बडे होगे
रोज अस्पताल के चक्कर लगाये ल पडथे ।।
फुके ल आय नहीं आके ल बइठे हे
झोला छाप डाक्टर बिना डिग्री के ।
छोटे छोटे बुखार मा देथे दवाई बड
कहिथे बुखार हे तोला 105 डिग्री के ।।
झोला छाप डाक्टर करत रहीस हे अपन मनमानी ।
साधारण सर्दी जुकाम म गोली देवय आनीबानी ।।
गोली देवय आनीबानी , लेवय मरत ले पईसा ।
छोटे मोटे बुखार म घलो , लगाथे सुजी बइसा ।।
लगाथे सुजी बइसा
पइसा लुटे बाटल ग्लुकोस मा ।
गरिब मन के मेहनत के पईसा
ल डाक्टर भरथे धन कोष मा ।।
डाक्टर भरथे धनकोष मा
बनाये बर पांच तल्ला मकान ।
झोला छाप डाक्टर पईसा पाये बर
जगह जगह खोले हे दुकान ।।
जगह जगह खोले हे दुकान
लुटे बर जनता ला ।
ये झोला छाप डाक्टर ह संगी
भोगा देथे मनता ला ।।
रचना - लाला साहू .(विक्रमसिंह)
ग्राम -मुरता , तहसील -नवागढ ,
जिला बेमेतरा , छत्तीसगढ़
वाट्सअप - 7697308413

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