सोमवार, 2 मई 2016

छत्तीसगढ़ी मंच के चर्चा गोष्ठी

 1 मई 2016 के बेमेतरा जिला के थानखम्हरिया मा स्थानीय निराला साहित्य समिति के सहयोग ले एक चर्चा सह काव्य गोष्ठी के आयोजन करे गिस । आयोजन के मुख्य अतिथि रहिन हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग के अध्यक्ष डां संजय दानी, विशिष्ठ अतिथि गुरतुर गोठ के संपादक श्री संजीव तिवारी, निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया के अध्यक्ष श्री राजकमल राजपूत ।  कार्यक्रम के अध्यक्षता करिन स्थानीय विप्र समाज के प्रमुख श्री राजेन्द्र प्रसाद तिवारी । कार्यक्रम के भाई अनिल तिवारी के संचालन मा सबले पहिली मा षारद के पूजा अर्चन दीप प्रज्वलन के पश्चात अतिथि अउ कार्यक्रम मा पधारे सबो साहित्यकार भाई मन तिलक लगा के अउ श्रीफल भेट करके स्वागत करे गीस ।

स्वागत परम्परा के बाद उद्बोधन के पहिली कड़ी मा श्री योगेश्‍ा तिवारी जी अपन बात रखत कहिन के केवल हमर षब्द ला छत्तीसगढ़ी नई होना चाही बल्कि हमर व्यवहार ला घला छत्तीसगढि़या होना चाही । हमर साहित्य मा छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति-लोकव्यवहार ला श्‍ाामिल होना चाही ।

छत्तीसगढ़ी मंच के संयोजक मंच ले परिचय करात बताइन के अइसे तो छत्तीसगढ़ी मंच विगत 2 बछर ले अस्तित्व मा रहिस फेर ये बछर के देवारी के संग ‘छत्तीसगढ के पागा‘ नाम ले छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता षुरू करे गीस  । जेन मा नव रचनाकार मन संग दिन अउ आज ‘छत्तीसगढ़ के पागा‘ के 7 सफल आयोजन के बाद ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी के 8 सफल आयोजन के 9वां आयोजन आज ले श्‍ाुरू  होगे हे ।  वास्तव मा ये आयोजन के पाछू ये मंश्‍ाा रहिस जइसे बहुत अकन हिन्दी साहित्यिक समूह हा कई इन मा प्रतियोगता करवत हे, ओइसन छत्तीसगढ़ी मा नई रहिस ये कमी ला पूरा करे के नानकुन प्रयास चलत हे ।  छत्तीसगढ़ी मंच हा लगातार प्रयास करत हे के हमर छत्तीसगढि़या रचनाकार मन अपन रचना ला कोनो विधा मा बांधय ।  कविता के छिदिर-बिदिर बरे विधा तुकांत, गजल, हाइकू, छंद, ददरिया, कर्मा लोकगीत आदि के विधान ला जानय अउ विधान मा रचना करंय ।  ये प्रयास ले उम्मीद जागे हे नवा रचनाकार मन ये विधा ले परिचित होंही ये विधा मन मा लिखही ।

 अंतरजाल के छत्तीसगढि़या सिरमौर गुरतुर गोठ के संपादक श्री संजीव तिवारी अपन बात रखत इंटरनेट के महत्ता ला बतवत कहिन- हमर सियान वरिष्ठ साहित्यकार मन के जमाना अउ आज के जमाना बहुत अंतर आगे हे । पहिली रचनाकार के रचना कोनो पेपर मा छप जतीस ता लोगन मन जानतीन के ओखर पुस्तक छप जतीस ता लोगन मन जानतीन । कहू पुस्तके छप जय ता कतका पुस्तक छपही 1000, 2000, के 5000 ये पुस्तक ला कतका झन पढि़न ता 5000 के 10000 फेर आज के रचनाकार के रचना जब इंटरनेट मा पोष्ट करे जावत हे ता कतका झन पढ़त होही अंदाजा लगावव एके दिन मा अतका कन हो सकत हे । दूसर बात ये रचना मन ला कोनो भी, कोनो दिन, कतको जुहर, कहू ले पढ़ सकत हे । अब पुस्तक पढ़ईयां मन रोज के रोज कम होवत हें । जुन्ना साहित्यकार मन के बात रखत कहिन के हमर सियान मन कहिथे के नवा लइका मन छत्तीसगढ़ी मा केवल छत्तीसगढ़ी के वंदना, भाखा के गान जइसे कुछ एक विष्‍ाय मा सिमट गे हें ।  कोनो रचनात्मक काम नई होत हे । सियान मन के पिरा मा अपन पिरा जोरत आदरणीय संजीव भैया कहिन के हमर आज के साहित्यकार नवरचनाकार के सबले बड़े कमी ये हे के हम न आज के न पाछू काल के रचनाकार मन हम नई पढ़न केवल अपने ला देखत रहिथन येही पाय के हमर विचार हा प्रगतिवादी नई लगत हे ।  नवरचनाकार अख्खड़ गांव ले आथें जिहां प्रकृति के बिम्ब भरे पडे हे तभो ले नवारचनाकार मन अपन बात ला सोज-सोज कहत जात हे कोनो बिम्ब के कोनो प्रतिक के सहारा नई लेवत हे ।  सोज-सोज तो कोनो मनखे अपन बोल चाल मा अपन भाव ला बगरावत रहिथे फेर हमर कवि होय ले का फायदा । अपन रचना मा बिम्ब के प्रयोग करे बर हमला छत्तीसगढ़ी साहित्य के संगे-संग हिन्दी साहित्य ला घला खूब पढ़ना चाही, गुनना चाही फेर अपन रचना गढ़ना चाही ।
 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदरणीय डां संजय दानी, संजीवजी के बात के समर्थन करत कहिन के परम्परागत विष्‍ाय के अलावा हमला नवा विष्‍ाय मा कलम चलाना चाही । जेन विष्‍ाय मा हम आज लिखत हन ओ दूसर के विष्‍ाय हे जेमा ओखर पहिचान हे ।  हमला अपन पहिचान बनाये बर अपन विष्‍ाय देना होही ।  अपन बात ला प्रतिक मा बिम्ब मा व्यक्त करना चाही ।
 अंत अध्यक्षी बात कहत श्री राजेन्द्र प्रसाद तिवारीजी छत्तीसगढ़ी मा बाढ़त अश्लीलता के चिंता व्यक्त करत अनुरोध करिन के ये बिमारी ला केवल नव रचनाकार मन रोक सकत हे ।  आप मन आघू आव अउ येखर इलाज करव ।

 चर्चा गोष्ठी के बाद ‘छत्तीसगढ़ के पागा‘ अउ ‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी‘ के विजेता संगी मन ला प्रषस्ति पत्र अउ जम्मो प्रतियोगिता के विजेता रचना मन के संग्रह ‘अउवल‘ ले सम्मानित करे गीस ।

 येखर बाद काव्य गोष्ठी प्रारंभ होइस जेमा दूरिहा-दूरिहा ले आय संगी मन अपन कविता के पाठ करिन । भाई राजेष निशाद, भाई संतोष्‍ा फारिकर, भाई ज्ञानु, भाई हेमलाल साहू, भाई मिलन मलरिहा, भाई दिनेष देवांगन दिव्य, भैया सूर्यकांत गुप्ता, भैया नवीन तिवारी, डां अषोक आकाष बालोद, बेमेतरा, रायपुर ले पधारे संगी मन के संगे-संग स्थानीय राजकमल राजपूत, अनिल तिवारी चैतन्य जितेन्द्र, सुनिल शर्मा के काव्य पाठ के बाद दूनो अतिथि श्री संजीव तिवारी अउ डां संजय दानीजी के काव्य पाठ होइस । काव्य गोष्ठी के संचालन रमेश चौहान द्वारा करे गीस ।  भाई सुनिल शर्मा  के आभार के साथ कार्यक्रम संपन्न होइस ।

 कार्यक्रम मा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग बर सबो संगी मन ला छत्तीसगढ़ी मंच धन्यवाद सहित आभार कहत हे ।  कार्यक्रम के अतिथि डां संजय दानी, श्री संजीव तिवारी के मया अइसने मिलत रहय के कामना करत  हे ।  हम आभारी हंवन भैया अरूण निगम के जेन पारिवारिक दायित्व के कारण तन ले ना सही मन ले हमर संग जुड़े रहिन ।  छत्तीसगढ़ी मंच आभारी हे स्थनीय निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया के जेखर सहयोग ले ये कार्यक्रम संपन्न होइस ।

पागा कलगी 9 बर//एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'

विषय/शिर्षक- 'कभू आही मोरो पारी'
विधा- गीत

बंदन के चंदन कनेर के फुल,
गुलैची के माला टोटा तरी झुल।

पर के भोभस बर बलिदान होगेंव,
हांसी होगे मोर मय चंडाल होगेंव।

मौत मयारूक मय मौत के दीवाना,
मौत मंजिल बर बिरथा हे बौराना।

पर खातिर जिये मरे उही जुझारू,
बिन खोजे दरस देहे तौने मयारू।

हिरदे के भितरी म कुलुप अंधियार,
कलप कलप खोजेंव देखेंव दिया बार।

अंतस म ठाह पायेंव बगरे अंजोर,
चुहत आंसू दरस पायेंव दुनों कर जोर।

बिन पानी तरिया सुरूज न चंदा,
भरम न भुत उंहा सुखे सुख म बंदा।

तैसे देस मोर जिहा ले मय आयेंव,
कबीर परेमी कबीर गीत गायेंव।

टारे नई टरे बाबू करम गति भारी,
छुट जाही दाग कभू आही मोरो पारी।

गीतकार 
एमन दास मानिकपुरी 'अंजोर'
औंरी, भिलाई—3, जिला—दुरूग
मो.7828953811

रविवार, 1 मई 2016

//‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-9‘ के विषय//

छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-8‘ के विषय प्रारूप ये प्रकार होही-
समय- दिनांक 1/5/16 से 15/5/16 तक

मंच संचालक-श्री देवेन्द्र ध्रुव (छत्तीसगढ़ पागा कलगगी 1 के विजेता)
निर्णायक-
1. श्री पुष्कर सिंह ‘राज‘, वरिष्ठ साहित्यकार, बालोद
2. श्री अंजनी कुमार अंकुर, रायगढ़

विषय - ये बार कोई विषय निर्धारित नई करे जात हे आप स्वतंत्र रूप से कोना भी विषय मा अपन रचना दे सकत हंव । ।

विधा- विधा कोनो बंधन नई हे, फेर रचना संक्षिप्त अउ गंभीर होय अइसे निवेदन हे ।
परिणाम घोषण 16/5/16

आप 
छत्तीसगढ़ के पागा कलगल 9 बर रचना-
विषय/शिर्षक-
विघा-
लिख के रचना पोष्ट करना हे ।

छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 8 के परिणाम


छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता् छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 8 के
विषय-चित्र ला ये दरी के प्रतियोगिता के संचालक भाई दिनेश देवांगन ‘दिव्य‘ हा दे रहिस । ये विषय मा हमर पूरा छत्तीसगढ़ ले रचना आहिस ये 15 दिन के आयोजन मा 19 रचना प्राप्त होहिसए इंखर रचनाकार हें-

1-ज्ञानु मानिकपुरी 9993240143
चंदेनी कवर्धा (छः ग)

2-महेश पांडेय मलंग
पंडरिया जिला कबीरधाम

3-ललित साहू "जख्मी"
ग्राम - छुरा
जिला - गरियाबंद (छ.ग.)
मो. नं. - 9144992879

4-सुनील साहू"निर्मोही"
ग्राम -सेलर
जिला-बिलासपुर
मो.न. 8085470039

5-सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
7828927284
रचना-18/04/2016

6-रामेशवर शांडिलय
हरदीबाजार कोरबा

7--हेमलाल साहू

8-राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद

9-हेमंतकुमार मानिकपुरी
भाटापारा
जिला
बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़

10-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
शिक्षक पंचायत
गांव-गोरखपुर,कवर्धा

11-मिलन मलरिहा
मल्हार-बिलासपुर
छत्तीसगढ़

12-महेन्द्र देवांगन माटी
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला - कबीरधाम ( छ. ग. )

13-लक्ष्मी नारायण लहरे ,
साहिल, कोसीर सारंगढ़ रायगढ़

14-आचार्य तोषण
गांव -धनगांव
डौंडीलोहारा
बालोद(छ. ग.)

15--चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

16-नवीन कुमार तिवारी ,,,

17-कुलदीप कुमार यादव,खिसोरा
मो.न.--9685868975

18--आशा देशमुख

ये दरी निर्ण के जिम्मेदारी भइया सूर्यकांत गुप्ता अउ मोर (रमेश चैहान) ऊपर रहिस । हम अनुभ करे जइसे जइसे प्रतियोगिता आघू बढ़त जात प्रतियोगिता एकदम कड़़ होत जात सबके रचना 19-20 हे । अब कोनो निर्णायक होही ओखरे परीक्षा होय लग गे हे । 19ऋ20 रचना कोनो रचना अलग करना कोनो आसान काम नो हय । मैं सबले पलिी सबो प्रतिभागी भाई बहिनी ला ये प्रतियोगिता मा भाग ले बर बधाई अउ आाभार देवत हंव । हमार दूनों निर्णायक के विवेक ले ये दरी भाई रामेश्वर शांडिल्य अउ दीदी आशा देशमुख के रचना हा 20 रहिस । पागा कलगी-8 के पागा कलगी भाई रामेश्वर शंडिल्य अउ दीदी आशा देशमुख के मुड़ी मा बढ़ाय जात है ।

दूनो झन ला मंच के डहर ले गाड़ा-गाड़ा बधाई

शनिवार, 30 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8//संतोष फरिकार "मयारू"

"पानी ल बचाना हे"
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पानी ल बचाना हवय
सबो ल बताना हवय
पानी बर तरसत भुंईया
बुंद बुंद पानी बर भंईया
गरमी के दिन हर आगे
सबो पानी बर फिफियागे
सब बोर ल खोदवावत हे
पानी तरी कोती जावत हे
पानी ल बचाना हवय
सबो ल बताना हवय
नरवा नदिया हर सुखा गे
जीव जानवर पानी कहां ले पाय
गांव के तरीया हर अटावत हे
पानी ल सब चिखला मतावत हे
पानी ल बचाना हवय
सबो ल जगाना हवय
पानी पीए बर खोदीच झीरीया
नहाय बर आदमी कहां कहां जाय
गरमी के दिन हर आगे हवय
गांव के तरीया हसुखा गे हवय
पानी ल बचाना हवय
सबो ल जगाना हवय
गांव के कुआ अटावत हे
पानी बर दुरीया जात हे
पानी के मोल अब समझ म आवत हवय
गरमी के आतेच सब पानी बर फिफियावत हवय
पानी ल बचाना हवय
सबो ल समझाना हवय
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रचना - संतोष फरिकार "मयारू"
देवरी भाटापारा बलौदाबाजार
मोबा,- 09926113995
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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

पागा कलगी -8 //आशा देशमुख

बिन पानी नइ हे ज़िंदगानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी
तोर बिना सब सुक्खा परगे ,तड़फत हे परानी |
रुखवा राई ठाड़ सुखावय ,दहकत हावय परिया
नदिया नरवा सुख्खा रेती ,दर्रा उलगे तरिया
सूरूज घलो बरसे लागय ,जइसेआगी गोला
चिरई चुरगुन बोलत हावय ,कहाँ बचाबो चोला
बिकत हवय बाटल म पानी ,कतको करे दुकानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
जब ले आइस बोर जमाना ,पानी ह अउ अटागे
छेके नई पानी ल कउनो ,कती कती बोहागे
बून्द बून्द बस टपकत हावय ,जम्मों नल के टोटी
झगरा माते गली गली मा ,खींचे बेनी चोटी |
भसकत कुआँ ह सोचन लागय ,मोरो रिहिस जवानी
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
पानी के सब मोल समझही ,तभे कछू तो होही
एक बून्द पानी बर नइ तो ,ये दुनियाँ हा रोही ,
गाँव नगर शहर डगर मा ,चलिन ग हाँका पारी
छेड़े मुहीम सबो डहर मा ,मिल के नर अउ नारी |
पानी बिन नइ बाँचे जग मे ,कउनो के जिनगानी ,
पानी रे पानी रे पानी ,सब खोजत हे पानी |
-आशा देशमुख

पागा कलगी -8//कुलदीप कुमार यादव

******पानी******
जेकर रहे ले दुनिया मा,
सबके चलत हे सांस ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
पानी के कमी ले सुखावत तरिया-डबरी,
तरफत आनी-बानी जीव अउ मछरी ।
आवत बेंदरा भालू गांव डहर,
तरसत हे घलो अब गांव के नहर ।
चिरई मन घलो मरत हे पियास,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
हरियर पेड़ घलो सुखावत हे,
पानी के दुकाल हा अब जनावत हे ।
गिल्ला भुइंया मा दर्रा परगे,
खेत के खड़े धान हा घलो जरगे ।
ऐ सब ला देख के किसान हा होगे निराश,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रुख-राई हा पानी के आकरशक हे,
भोगत देखत मनखे ला,
परकिति बने अब दरशक हे ।
काटे के कारण ऐ सब,
करे हबन जेन घात बिस्वास ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रचना--कुलदीप कुमार यादव,खिसोरा
मो.न.--9685868975