******पानी******
जेकर रहे ले दुनिया मा,
सबके चलत हे सांस ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
जेकर रहे ले दुनिया मा,
सबके चलत हे सांस ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
पानी के कमी ले सुखावत तरिया-डबरी,
तरफत आनी-बानी जीव अउ मछरी ।
आवत बेंदरा भालू गांव डहर,
तरसत हे घलो अब गांव के नहर ।
तरफत आनी-बानी जीव अउ मछरी ।
आवत बेंदरा भालू गांव डहर,
तरसत हे घलो अब गांव के नहर ।
चिरई मन घलो मरत हे पियास,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
हरियर पेड़ घलो सुखावत हे,
पानी के दुकाल हा अब जनावत हे ।
गिल्ला भुइंया मा दर्रा परगे,
खेत के खड़े धान हा घलो जरगे ।
पानी के दुकाल हा अब जनावत हे ।
गिल्ला भुइंया मा दर्रा परगे,
खेत के खड़े धान हा घलो जरगे ।
ऐ सब ला देख के किसान हा होगे निराश,
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रुख-राई हा पानी के आकरशक हे,
भोगत देखत मनखे ला,
परकिति बने अब दरशक हे ।
काटे के कारण ऐ सब,
करे हबन जेन घात बिस्वास ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
भोगत देखत मनखे ला,
परकिति बने अब दरशक हे ।
काटे के कारण ऐ सब,
करे हबन जेन घात बिस्वास ।
पानी के एक एक बूँद ले,
हावै जीवन के आस ।।
रचना--कुलदीप कुमार यादव,खिसोरा
मो.न.--9685868975
मो.न.--9685868975
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