गुरुवार, 7 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/5/जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

माटी के मितान
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खोंच मेहनत के भोजली,
माटी के मितान बन जा ग।
माटी ले मया करईया,
कमाईया किसान बन जा ग।
धरके माटी के तन,
उड़ियात हस अगास म।
देखावा के डेना ताने,
दू पईसा धरे हाथ म।
ओढ़ना बिछाऔना माटी के,
जादा झन इतरा, इंसान बन जा ग।
खोंच मेहनत के.................,
...............किसान बन जा ग।
कतिक दुरिहाबे,
माटी ल भुलाके।
माटी म मिला दिही,
गड़ाके,जलाके।
नाव चलत रहय तोर,
अईसन पहिचान बन जा ग।
खोंच मेहनत के भोजली......,
................किसान बन जा ग।
भूख भगाय बर जग के,
माटी ले जुड़ेल पड़ही।
मेहनत अऊ मया,
माटी म गुंड़ेल पड़ही।
संगे-संग चल माटी के,
माटी के सान बन जा ग।
खोंच मेहनत के.............,
..........किसान बन जा ग।
देके मोल माटी के,
कतको बनगे मालिक।
जतन करईया माटी के,
रोवत हे छाती पीट।
माटी म हे सकल पदारथ,
पहिचान माटी ल सुजान बन जा ग।
खोंच मेहनत ...........................,
..........................किसान बन जा ग।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

पागा कलगी-13/4/दिलीप वर्मा

माटी के मितान
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माटी के मितान रे संगी
माटी के तै मितान 
तेंहा नगरिहा छत्तीसगढ़िया
कईथे तोला किसान
माटी के --------------
सेवा बजाथस धरती दाई के
मया दुलार ल पाथस
जांगर टोर मेहनत करके
अन येमा उपजाथस
तेंहा पाछु कभू नई घुंचस
मेहनत तोर भगवान।
माटी के--------
का सरदी का गरमी कहिबे
या कहिबे बरसात
तोर मेहनत ले सबो पसिजथे
का दिन अउ का रात
तें धरती के दुलरवा बेटा
सब ले तें धनवान।
माटी के मितान रे संगी
माटी के तै मितान।
दिलीप वर्मा
बलौदा बाजार
9926170342

पागा कलगी-13/3/टीकाराम देशमुख " करिया"

""पागा कलगी-13" बर मोर परयास....
कतका तोर महिमा ल गावंव,कतका करंव बखान
तैं धरती के भाग जगैय्या अस,मोर मांटी के मितान
1.लहू-रकत ल मांटी म सान के,अन-धन तैँ उपजाथस
जुड़-घाम ल नई चिनहस तैं, जांगर टोर कमाथस
पथरा के तें नों हस देवता, तैँ सिरतों के भगवान
तैं धरती........ मोर मांटी........
2.मांटी के सेवा तोर जिनगानी,जियत किसानी मरत किसानी
काम बुता मं उमर पहागे,फेर नई सिरावय तोर जवानी
धरती दाई के तैँहा लाल अस, दुनिया बर तैँ सियान
तैँ धरती..........मोर मांटी...........
3.तोर परसादे जियत हवन सब, का बउरैय्या का बैपारी
काम-कमई मं जुग बीत गे,फेर नई छुटइस ग तोर उधारी
तोर असन नईहे कोई जग मेँ, गउकी,सिरतो,ईमान
तैँ धरती..............मोर मांटी के मितान
@ टीकाराम देशमुख " करिया"
स्टेशन चौक कुम्हारी (जिला-दुर्ग)
मो.-94063 24096

पागा कलगी-13/2/राजेश कुमार निषाद

।। माटी के मितान ।।
नागर बईला धर के निकलथस
कहलाथस तै किसान ग।
खाय पिये के सुरता नई राहय
निकलथस तै होवत बिहान ग।
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
नुन चटनी म तै खाथस बासी ग
गिरत पानी म करथस बियासी ग।
तोर मेहनत म परिया घलो हरीयागे
सुघ्घर दिखे खेत खलिहान ग।
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
खून पसीना ल तै ह एक करके
जांगर टोर कमाथस ग।
बंजर भुईयां म नागर चला के
अन्न तै उगाथस ग।
तोर मेहनत हावय तोर पहिचान ग
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
नागर बईला तोर संगवारी
सबके पालन पोषण करथस ग।
तोर ले बढ़ के दुनिया म कोनो नइये
सबके भाग तै जगाथस ग।
सरग बरोबर भुईयां के तै भगवान ग।
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )

पागा कलगी-13/1/डी .पी .लहरे

माटी के मितान
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धर के नांगर बईला तैहा
धनहा डोली जाथस••
कभु बो देथस बीज ल तैहा
कभु परहा लगाथस••
सब कहिथें तोला किसान रे "मोर माटी के मितान"
दिन भर खेत म रहिके तैहा जांगर टोर कमाथस••
पानी, झडी म रहिके
तैहा बासी चटनी खाथस••
सब कहिथें तोला महान रे "मोर माटी के मितान"
जम्मो परानी के पेट भरथस
धरती के सेवा करथस••
का गरमी का बरसा म तैहा
हंकर हंकर कमाथस••
धरती दाई के कोरा म तैहा
रंग रंग अन उपजाथस••
तोला कहिथें भूईयाॅ के भगवान रे मोर"माटी के मितान"
रचना-डी .पी .लहरे
कबीरधाम छ .ग

‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-13‘ के विषय

छत्तीसगढ़ी कविता के प्रतियोगिता ‘‘छत्तीसगढ़ के पागा कलगी-13‘ के विषय रूपरेखा ए प्रकार के हावय-
समय- दिनांक 1/7/16 से 15/7/16 तक
मंच संचालक- श्री हेमलाल साहू (छत्तीसगढ़ मंच संचालक समिति के अंग)
निर्णायक-
1.श्रीमति शकुन्तला शर्मा (वरिष्ठ साहि0 भिलाई) 
2. श्री अंजनी कुमार अंकुर, वरिष्ठ साहित्यकार व छ0ग0 राजभाषा आयोग समन्वयक जिला रायगढ़
विषय - ''माटी के मितान''।
विधा- विधा कोनो बंधन नई हे, फेर रचना संक्षिप्त अउ गंभीर होय अइसे निवेदन हे ।
परिणाम घोषण 17/7/16

//पागा कलगी 12के परिणाम //




विषय-‘दे गे चित्र के भाव के अनुसार‘
मंच संचालक- श्रीललित टिकरिहा (छत्तीसगढ़ पागा कलगगी 5 के विजेता)

निर्णायक-1.सुश्री सुधा वर्मा ;देशबंधु मंड़ई के संपादक, वरिष्ठ साहित्यकार, रायपुर
2. श्री रामेश्वर शर्माए वरिष्ठ गीतकार, रायपुर

संगी हो,
सबले पहिली आप सब ला ये आयोजन म हिस्सा ले बर आभार । आप सबके सहयोग ले हमर साहित्य निश्चित रूप ले आघू बढ़ही । सबो झन विजेता नइ हो सकन । लेकिन कोनो रचना बेकार नई होवय, कोनो मेहनत निरर्थक नई होवय । आप सबला अच्छा रचना लिखेबर बधाई ।
ये प्रतियोगिता के शिर्षक दे गे चित्र ले लेना रहिस, चित्र मा पेड़ काटे के दुष्परिणाम अउ चिरई मन के कलपना रहिस दूनों भाव मा सामंजस्य करना रचनाकार के योग्यता ला देखाथे। ये प्रतियोगिता के रचना के मूल्यांकन येही आधार मा करे गे हे ।
परिणाम घोषित करे के पहिली एक बात के निवेदन आप सब से करना चाहत हंव हमर देश म ‘पंच परमेश्वर‘ कहे गे हे । कोनो निर्णय करना आसान नई होवय । सबके अपन सोच अपन कसौटी होथे, निर्णायक ऊपर अविश्वास नई करना चाही ।
ये आयोजन के पहिली, दूसर अउ तीसर विजेता के संगे संग प्रशंसनीय रचना घोषित करे जात हे -
आदरणीया निर्णायक के अनुसार -
प्रशंसनीय रचना-
श्री आचार्य तोषण धनगांव डौंडीलोहारा बालोद छत्तीसगढ़
श्रीश्रवण साहू ग्राम.बरगा, जि- बेमेतरा
श्री देव साहू ‘गवंइहा संगवारी‘ कपसदा धरसीवा

तीसर विजेता-
श्री तरूण साहू ‘भाठीगढ़िया‘ ग्राम भाठीगढ़, मैनपुर,जिला गरियाबन्द ; छ.ग.
मो.न. 9755570644, 9754236521

दूसर विजेता-
श्री जीतेन्द्र वर्मा ‘खैरझिटिया‘ बाल्को, कोरबा 9981441795

पहिली विजेता-
श्री चोवाराम वर्मा ‘बादल‘ ग्राम पोस्ट हथबंध

सबो विजेता संगीमन ला छत्तीसगढ़ी मंच अउ छत्तीसगढ़ के पागा कलगी के संचालक समीति डहर ले बहुत-बहुत बधाई ।