गुरुवार, 7 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/1/डी .पी .लहरे

माटी के मितान
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धर के नांगर बईला तैहा
धनहा डोली जाथस••
कभु बो देथस बीज ल तैहा
कभु परहा लगाथस••
सब कहिथें तोला किसान रे "मोर माटी के मितान"
दिन भर खेत म रहिके तैहा जांगर टोर कमाथस••
पानी, झडी म रहिके
तैहा बासी चटनी खाथस••
सब कहिथें तोला महान रे "मोर माटी के मितान"
जम्मो परानी के पेट भरथस
धरती के सेवा करथस••
का गरमी का बरसा म तैहा
हंकर हंकर कमाथस••
धरती दाई के कोरा म तैहा
रंग रंग अन उपजाथस••
तोला कहिथें भूईयाॅ के भगवान रे मोर"माटी के मितान"
रचना-डी .पी .लहरे
कबीरधाम छ .ग

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