शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/8/जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

" हमर किसान माटी के मितान हे"
रोज बिहनिया सूत उठ के,
नांगर बइला फांदत हे,
धरती दाई के कोरा म,
हरियर चादर ओढ़ावत हे,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
किसान हमर अन्न दाता,
माटी ले निर्मल धान उपजावत हे,
माटी ल उपजाऊ बनाके,
अपन लइका के पेट भरावत हे,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
धरती दाई के पइयाँ लागंव,
रोज बिहनिया गावत हे,
इही माटी के मान बढ़ाके,
जम्मो किसान नाचत हे,
ते पाय के कहेंव आंगी,
हमर किसान माटी के मितान हे।
माँटी हमर जिन्दगानी संगी,
सबो जीव ला जीवन देवत हे,
इही माटी के रक्षा खातिर,
खड़े हन सिना तान के,
ते पाय के कहेंव संगी,
हमर किसान माटी के मितान हे

-जयवीर रात्रे बेनीपलिहा

गुरुवार, 7 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/7/संतोष फरिकार

माटी के मीतान
माटी के मीतान हरय किसान
माटी ले जुडे जिनगी संगवारी
जिनगी माटी के संग कट जाही
किसान अऊ माटी संग मीतान
जियत भरे ले जिनगी जुड़े हे माटी ले
किसान दीन भर मेहनत करय
कोदो कुटकी फसल उगावय
माटी ल किसान लगावय अपन छाती ले
अपन जिवन बिताईस माटी संग
पानी बरसात म चिखला बनके
मीतानी निभाईस ठंडा बन गरमी म
दुनिया ल छोड़ीस तभो संगी माटी संग
अपन जिनगी ल जोड़ लव माटी संग
छत्तीसगढ़ीया किसान बन के संगी
जान लव का होथे माटी के मीतानी
सबके अंग घलो जुड़े हे संगी माटी संग
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संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा

पागा कलगी-13/6/आचार्य तोषण

शीर्षक:-माटी के मितान
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जेन माटी के रकछा खातिर
होईन कतको बलिदान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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ऊवत सूरूज मा करंव आरती
दीया अगर कपूर जलाइके
दण्डाशरन पांव पंइंय्या लागंव
हांथ जोड़ दुनो लमाइके
सब जुरियाके हंस मुसकाके
माटी के जस ला गान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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आवय दिन जब खेती किसानी
नांगर बइला हे हमर संगवारी
अरातता के सुर ला लमावंव
मुडी मा खुम्हरी हांथ तुतारी
हरिहर करबोन धनहा डोली
बोंएंबर चलव सब धान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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मनटोरा भउजी हर बासी धरके
खेती डोली डहर गा आवय
मंगलू भइय्या मारय हरिया
चांच मा आंखी ल जमावय
होत मंझनिया लिमंऊ चटनी संन
बोरे बासी ल खान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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नांगर बइला ल धो मांज के
मनाबोन गा हरेली तिहार
घुमड़े बादर चलय पुरवइया
पानी के रिमझिम परे बउछार
हुम धूप अगरबत्तियां धरके
चीला के रोटी चढ़ान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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सरग ले सुघ्घर ए भुइंया ह
एखर माटी माथ के चंदन हे
सेवा बजावंव गुन ल गावंव
गोड़ ल घेरी बेरी बंदन हे
इहां धुर्रा लागे अइसन
संऊहत सोनहा समान गा
इही माटी के दुलरवा बेटा
हरंव माटी के मितान गा
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रचना:-आचार्य तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
पिन:-४९१७७१
मुहूबाइल:८६१७५८९६६७

पागा कलगी-13/5/जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

माटी के मितान
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खोंच मेहनत के भोजली,
माटी के मितान बन जा ग।
माटी ले मया करईया,
कमाईया किसान बन जा ग।
धरके माटी के तन,
उड़ियात हस अगास म।
देखावा के डेना ताने,
दू पईसा धरे हाथ म।
ओढ़ना बिछाऔना माटी के,
जादा झन इतरा, इंसान बन जा ग।
खोंच मेहनत के.................,
...............किसान बन जा ग।
कतिक दुरिहाबे,
माटी ल भुलाके।
माटी म मिला दिही,
गड़ाके,जलाके।
नाव चलत रहय तोर,
अईसन पहिचान बन जा ग।
खोंच मेहनत के भोजली......,
................किसान बन जा ग।
भूख भगाय बर जग के,
माटी ले जुड़ेल पड़ही।
मेहनत अऊ मया,
माटी म गुंड़ेल पड़ही।
संगे-संग चल माटी के,
माटी के सान बन जा ग।
खोंच मेहनत के.............,
..........किसान बन जा ग।
देके मोल माटी के,
कतको बनगे मालिक।
जतन करईया माटी के,
रोवत हे छाती पीट।
माटी म हे सकल पदारथ,
पहिचान माटी ल सुजान बन जा ग।
खोंच मेहनत ...........................,
..........................किसान बन जा ग।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

पागा कलगी-13/4/दिलीप वर्मा

माटी के मितान
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माटी के मितान रे संगी
माटी के तै मितान 
तेंहा नगरिहा छत्तीसगढ़िया
कईथे तोला किसान
माटी के --------------
सेवा बजाथस धरती दाई के
मया दुलार ल पाथस
जांगर टोर मेहनत करके
अन येमा उपजाथस
तेंहा पाछु कभू नई घुंचस
मेहनत तोर भगवान।
माटी के--------
का सरदी का गरमी कहिबे
या कहिबे बरसात
तोर मेहनत ले सबो पसिजथे
का दिन अउ का रात
तें धरती के दुलरवा बेटा
सब ले तें धनवान।
माटी के मितान रे संगी
माटी के तै मितान।
दिलीप वर्मा
बलौदा बाजार
9926170342

पागा कलगी-13/3/टीकाराम देशमुख " करिया"

""पागा कलगी-13" बर मोर परयास....
कतका तोर महिमा ल गावंव,कतका करंव बखान
तैं धरती के भाग जगैय्या अस,मोर मांटी के मितान
1.लहू-रकत ल मांटी म सान के,अन-धन तैँ उपजाथस
जुड़-घाम ल नई चिनहस तैं, जांगर टोर कमाथस
पथरा के तें नों हस देवता, तैँ सिरतों के भगवान
तैं धरती........ मोर मांटी........
2.मांटी के सेवा तोर जिनगानी,जियत किसानी मरत किसानी
काम बुता मं उमर पहागे,फेर नई सिरावय तोर जवानी
धरती दाई के तैँहा लाल अस, दुनिया बर तैँ सियान
तैँ धरती..........मोर मांटी...........
3.तोर परसादे जियत हवन सब, का बउरैय्या का बैपारी
काम-कमई मं जुग बीत गे,फेर नई छुटइस ग तोर उधारी
तोर असन नईहे कोई जग मेँ, गउकी,सिरतो,ईमान
तैँ धरती..............मोर मांटी के मितान
@ टीकाराम देशमुख " करिया"
स्टेशन चौक कुम्हारी (जिला-दुर्ग)
मो.-94063 24096

पागा कलगी-13/2/राजेश कुमार निषाद

।। माटी के मितान ।।
नागर बईला धर के निकलथस
कहलाथस तै किसान ग।
खाय पिये के सुरता नई राहय
निकलथस तै होवत बिहान ग।
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
नुन चटनी म तै खाथस बासी ग
गिरत पानी म करथस बियासी ग।
तोर मेहनत म परिया घलो हरीयागे
सुघ्घर दिखे खेत खलिहान ग।
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
खून पसीना ल तै ह एक करके
जांगर टोर कमाथस ग।
बंजर भुईयां म नागर चला के
अन्न तै उगाथस ग।
तोर मेहनत हावय तोर पहिचान ग
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
नागर बईला तोर संगवारी
सबके पालन पोषण करथस ग।
तोर ले बढ़ के दुनिया म कोनो नइये
सबके भाग तै जगाथस ग।
सरग बरोबर भुईयां के तै भगवान ग।
तोला कहिथे माटी के मितान ग।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद ( समोदा )