गुरुवार, 7 जुलाई 2016

पागा कलगी-13/7/संतोष फरिकार

माटी के मीतान
माटी के मीतान हरय किसान
माटी ले जुडे जिनगी संगवारी
जिनगी माटी के संग कट जाही
किसान अऊ माटी संग मीतान
जियत भरे ले जिनगी जुड़े हे माटी ले
किसान दीन भर मेहनत करय
कोदो कुटकी फसल उगावय
माटी ल किसान लगावय अपन छाती ले
अपन जिवन बिताईस माटी संग
पानी बरसात म चिखला बनके
मीतानी निभाईस ठंडा बन गरमी म
दुनिया ल छोड़ीस तभो संगी माटी संग
अपन जिनगी ल जोड़ लव माटी संग
छत्तीसगढ़ीया किसान बन के संगी
जान लव का होथे माटी के मीतानी
सबके अंग घलो जुड़े हे संगी माटी संग
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संतोष फरिकार
देवरी भाटापारा

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