विषय:-झोला छाप डाँक्टर
विधा:-रोला छंद
डाँक्टर झोला छाप,दिनो दिन बाढ़त हावय।
शहर नगर अउ गाँव,समस्या ठाढ़त हावय।
कइसे होय इलाज,हवय गंभीर बिमारी।
करय निवारण जेन,दिखै ना जिम्मेवारी।
शहर नगर अउ गाँव,समस्या ठाढ़त हावय।
कइसे होय इलाज,हवय गंभीर बिमारी।
करय निवारण जेन,दिखै ना जिम्मेवारी।
डिगरी धारी तीर,होय पहुँचे मा देरी।
आथे झोला छाप,गाँव मा घेरी बेरी।
डिगरी वाले खास,ऊँट के मुँह मा जीरा।
कइसे गा दुरिहाय,हमर जनता के पीरा।
आथे झोला छाप,गाँव मा घेरी बेरी।
डिगरी वाले खास,ऊँट के मुँह मा जीरा।
कइसे गा दुरिहाय,हमर जनता के पीरा।
कइसे करय मरीज,फीस के चक्कर मारै।
सस्ता महँगा बीच,जान जोखिम मा डारै।
हे बूता के जोर,करत हे लापरवाही।
उल्टा सीधा होय,तहाँ बइठे पछताही।
सस्ता महँगा बीच,जान जोखिम मा डारै।
हे बूता के जोर,करत हे लापरवाही।
उल्टा सीधा होय,तहाँ बइठे पछताही।
झोला वाले तीर,सुई पानी लगवावै।
तुक्का मार इलाज,जान के धोखा खावै।
करही कोन सचेत,कोन समझावै ओला।
सस्ता मा झन मार,तोर महँगा हे चोला।
तुक्का मार इलाज,जान के धोखा खावै।
करही कोन सचेत,कोन समझावै ओला।
सस्ता मा झन मार,तोर महँगा हे चोला।
डाँक्टर झोला छाप,कहाँ ले हिम्मत पाथे।
दिलउज्जर गा रोज,घूम के सुई लगाथे।
नइहे बूता काम,बताथे रोना रोथे।
मजबूरी के नाम,इही ला करना होथे।
दिलउज्जर गा रोज,घूम के सुई लगाथे।
नइहे बूता काम,बताथे रोना रोथे।
मजबूरी के नाम,इही ला करना होथे।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602
11/04/2017
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602
11/04/2017