सोमवार, 17 अप्रैल 2017

पागा कलगी -31//3//कुलदीप कुमार यादव

वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
बिन डिग्री के इलाज करै,
लगा दवाखाना के पोस्टर ,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
गरीब मरीज के तहि हरस देवता,
बीमराह मन देथे घर आये के नेवता ।
मरत मईनखे ला तहि बचाथस,
झोला में दवई धर दउड़त आथस ।
तोर कर आथे इंजीनियर अउ मास्टर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
तोर बर नई लागे बेरा ना कुबेरा,
मरीज मन के लगे तोर कर डेरा ।
समारू के होवै जब पेट पिरई,
आधारतिया देवस तै ओला दवई ।
पकड़ाये के हावे अब तोला डर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
पढ़े नई हे कहिके डाक्टरी बंद करावत हे,
गंवहिया मन ला पीरा भोगवावत हे ।
उपर वाले भगवान हा तो नई दिए दरश,
फेर तहि हमर बर साक्षात् हरश ।।
बुखार धरे ले अब जाये बर परथे शहर,
वाह गा ! हमर झोलाछाप डॉक्टर ।।
रचना
कुलदीप कुमार यादव
ग्राम-खिसोरा,धमतरी
9685868975

पागा कलगी -31 //2//कन्हैया साहू *"अमित"*

🙏�*ताटंक छन्द* मा प्रयास🙏🙏
16-14 मात्रा,अंत मा 3 गुरु अनिवार्य
डाँक्टर भगवन रुप हे जग मा,
देव दूत कस लागे जी।
देख तीर मा डाँक्टर बाबू,
रोग दोस सब भागे जी।1
बिदिया बल ले पाके मउका,
करँय खूब रोगी सेवा।
मिले दुआ बङ सुग्घर सिरतो,
अउ पावँय पइसा मेवा।2
लिख पढ़ सिख के बनथें डाँक्टर,
बिकट पछीना बोहाथें।
जग मा कतको काम परे हे,
सेवा धरम ला जी भाथें।3
जतका जग मा हावय सुबिधा,
संगे संग बिमारी हे।
मानुस तन धर डाँक्टर आए,
दुनिया बर उपकारी हे।4
कोनो डिगरीधारी डाँक्टर,
कखरो छप्पा झोला जी।
डाँक्टर हा डाँक्टर होथे सब,
सब मा सेवा चोला जी।5
सबो सहर मा अस्पताल जी,
बेवसथा बङ चोखा हे।
डाँक्टर झोला छाप गाँव मा,
अब्बङ सुग्घर जोखा हे।6
अस्पताल के फीस जबर हे,
मुरदा के पइसा लेथे।
झोला वाले डाँक्टर साहब,
घर-घर मा सेवा देथे।7
कहाँ गाँव मा बने ढ़ंग के,
रद्दा बिजली पानी हे।
अइसन अलकर अलहन मा जी
बस*"झोला"* जिनगानी हे।8
जिहाँ-जिहाँ सब सरकारी हे,
जिनगी तैं झखमारी जी।
झोला छाप गाँव के डाँक्टर,
अब हमर संगवारी जी।9
***********************************
कन्हैया साहू *"अमित"*
मोतीबाङी,परशुराम वार्ड-भाटापारा
संपर्क~9753322055
वाट्स.9200252055

पागा कलगी -31 //1//धनसाय यादव

// बेरा - पहिली पखवाडा अप्रैल 2017 //
// विषय - झोला छाप डाक्टर //
सृष्टि में जब जीव के होईस हे संचार ।
संगे संग विधाता दिस बीमारी के मार ।।
प्राण खातिर मनवा करिस लाख उदिम ।
पान पतउवा जड़ी बूटी करू कासा ल जिम ।।
परयोग करिस अउ परखिस अपनेच खातिर ।
धीरे धीरे सब ल सोधित अउ होगे माहिर ।।
नाम धराइस हथोई, हाकिम अउ बैद्यराज ।
बिन स्वारथ दुखिया मन के लगे करींन इलाज ।।
बिमरहा अपन्गहा रोवत आवय इनकर द्वार ।
कुलकत हांसत होके चन्गा जावय घरद्वार ।।
भुइयाँ के भगवान डाक्टर, आये जब मरीज ।
2 रुपिया के गोली बर लेवय 200 रू फीस ।।
गरीब मजदूर अतका मंहगा कैसे कराही इलाज ।
सस्ता इलाज खातिर मिले डाक्टर झोला छाप ।।
सच्चा डाक्टर सेवा भाव ले करही जब इलाज ।
तब काबर कोई जाही झोला छाप के पास ।।
दुसर बात हे डाक्टर के शहर में हे अस्पताल ।
बेरा कुबेरा दूर दराज के मरीज कैसे कराही इलाज ।।
सरी जग हे अजरहा, डाक्टर दू ले चार ।
जाऊन मिले तउने मेर कराथे उपचार ।।
झोला छाप नोहय कोनो छूत के बीमारी ।
पडत जेकर छाईहा फैले कोई महमारी ।।
अज्ञानी अधकचरा ज्ञानी झोला छाप के हे बाढ़ ।
धन के लालच म जान से करत हे खिलवाड़ ।।
बिस्तुर झोला छाप बंद हो, न ककरो जान से हो खिलवाड़ ।
लुके छिपे कहू करत इलाज मिले त पड़े जब्बर डॉढ़ ।।
खासी खोखी अपच उल्टी सर्दी हो या दस्त ।
अस्पताल पहुचे के पहिली झन हो पावय असक्त ।।
निरापद अउ असर कारी , 10 – 20 दवाई हो सरकारी ।
प्राथमिक ऊपचार के खातिर पारा मोहल्ला म एक ल दे दव जिम्मेदारी ।।
जैसे हर जन /चोर के पाछू नइ हो सकय पुलिस इंस्पेक्टर ।
वैसे हर मरीज के पाछू समय म नई हो सकय नर्स डाक्टर ।।
धनसाय यादव

बुधवार, 5 अप्रैल 2017

//पागा कलगी 28 के परिणाम//

फरवरी 2017 के पहिली पखवाड़ा मा ‘लमसेना‘ विषय म प्रतियोगिता के आयोजन करे गेइस । येमा 6 रचना प्राप्त होइस । ये आयोजन के निर्णायक आदरणीया शंकुन्तला तरार रहिन । उन्खर निर्णय उन्खरे शब्छ म-
‘‘सब्बो झन के रचना बनई सुन्दर हावय । भावपक्ष, कलापक्ष अउ भाव अभिव्यक्ति ला आधार मान के मैं कविता/गीत के आंकलन करे हंव ।
मोर विचार ले .......
पहिली नं म श्री चोवाराम ‘बादल‘
दूसर नं. म श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी
के कविता हवय ।
दूनों विजेता ला गाड़ा-गाड़ा बधाई, मोला ये अवसर दे बर ‘छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के बहुत-बहुत धन्यवाद ।‘‘
छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के डहर ले सबो रचनाकार के संगे-संग विजेता मन ल अंतस ले बधाई


मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

पागा कलगी 30 के परिणाम

मार्च के दूसर पखवाड़ा म ‘गर्मी के छुट्टी मा, जाबो ममा गाँव‘‘ विषय म प्रतियोगिता होइस । जेमा कुल 6 रचना आइस । ‘‘हर प्रतिभागी के रचना ह सुघ्घर हे । नाममात्र सुधार के बाद श्रेष्ठ रचना बन जाही । उनकर सामान्य गलती लय टूटना, गलत तुकान्त, तुकान्तता के अभाव, शब्द के मात्रा बिगाड़ के लिखना हे ।‘‘ प्रतियोगिता म बिना गलती या सबसे कम गलती वाले रचना ल चुने जाथे । ये आधार म ये प्रतियोगिता के परिणाम ये प्रकार हे-
पहिली विजेता- श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी
दूसर विजेता- श्री ई.जी. गजानंद पात्रे ‘सत्यबोध‘

दूनों विजेता ला मंच के तरफ ले  अंतस ले बधाई, सबो प्रतिभागी मन के आभार ।

संयोजक
छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच


पागा कलगी 29 के परिणाम

मार्च के पहिली पखवाड़ा म ‘होली हे‘ विषय म प्रतियोगिता होइस । जेमा कुल 11 रचना आइस । ये आयोजन के निर्णायक श्री तुकाराम कंसारी रहिन । कंसारीजी के अनुसार-‘‘हर प्रतिभागी के रचना ह सुघ्घर हे । नाममात्र सुधार के बाद श्रेष्ठ रचना बन जाही । उनकर सामान्य गलती लय टूटना, गलत तुकान्त, तुकान्तता के अभाव, शब्द के मात्रा बिगाड़ के लिखना हे ।‘‘ प्रतियोगिता म बिना गलती या सबसे कम गलती वाले रचना ल चुने जाथे । ये आधार म ये प्रतियोगिता के परिणाम ये प्रकार हे-
पहिली विजेता- श्री जीतेन्द्र वर्मा ‘खैरझिटिया‘
दूसर विजेता- श्री अनिल कुमार पाली

दूनों विजेता ला मंच के तरफ ले  अंतस ले बधाई, सबो प्रतिभागी मन के आभार ।

संयोजक
छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच


पागा कलगी-30/6/जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

दाई!जाहूँ ममा घर।
गरमी के छुट्टी लग गे,
होगे पढ़ई लिखई।
हर साल कस रद्दा,
देखत होही ममा दई।
तँउरे बर मंझनिया,
तरिया नरवा बलात हे।
ममा गाँव के सुरता,
तरवा मा छात हे।
झूलना झूलाही,
आमा बर पीपर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
ममा के पीठ मा,
चढ़हूँ पिठँइया ।
ममा दाउ के आघू,
नाचहूँ ताता थैया।
मामी खवाही,
बरा सोंहारी।
खाबोन पेउस,
जमने होही गाय कारी।
दू जोड़ी पेंट,
कुरथा ला धर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
हप्ता हप्ता हाट लगथे।
चना गुपचुप चाँट लगथे।
बड़ भाथे कोला बारी हा।
ममा दाऊ के खांसर गाड़ी हा।
थपट के सुताही ममा दई।
कहिनी किस्सा सुनाही ममा दई।
बिहना ले संझा ,
खेलबोन मन भर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
गड़गड़ी बॉटी ,
गिल्ली भसकोल।
बर पीपर पाना ला,
घुमाबोंन गोल गोल।
झिल्ली कागत के,
पतंग उड़ाबोंन।
खइरखा डाँड़ मा,
मजा मतंग उड़ाबोंन।
संगी सब मिल बाजा बजाबोंन।
भरे मंझनिया खूब नहाबोंन।
नइ धरे बोखर जर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
मामी संग पानी लान लगहूँ।
ममा दाऊ संग छानी छान लगहूँ।
ममा संग भईंस्सा धोहूँ।
ममा दाई मनाही,कतको रोहूँ।
जाके ममा गाँव,
बचपना ला लेतेंव गढ़।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
दाई !जाहूँ ,ममा घर।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795