मंगलवार, 13 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//11//महेश मलंग

अगियान मेटा के ते गियान हमला दे ।
हर त्रास औ संकट ले निदान हमला दे ।।
गणनाथ महराजा जीव जोर बिनती हे
बल बुद्धि बिद्या के बिधान हमला दे ।। 


महेश मलंग पंडरिया कबीरधाम

पागा कलगी-17//3//गुमान प्रसाद साहू


जय जय श्री गणेश जय होवय ग गजानन,
दिल में काकरो न भय होवय ग गजानन।
सबके तै गणेश कर अरदास ल पूरा,
मन सबके गणेश मय होवय ग गजानन।
करथस मूसवा ग तै सवारी गणेशा,
गणपति तै ग एकदन्त धारी गणेशा।
बिगड़ी काम तै हमार सबके बनाथस,
आथन जब ग तोर हम दआरी गणेशा।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी )
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी-17//10//आचार्य तोषण

जय जय श्री गणेशा शंकर सुतवारी
माता पार्वती तोरे तो महतारी
भगतन मन खड़े हे तोरे दर मा प्रभु
विनती सुन भगत के भगतन हितकारी ।

गणपति तोर देवा करथन गणेशा
सुमरन हाथ जोड़े करथन गणेशा
भगतन माथ टेके मांगय भीख गा
तोर पाव ला हम परथन गणेशा

आचार्य तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

पागा कलगी-17 //9//लक्ष्मी नारायण लहरे

हे गणेशा मोर अँगना म जबले आये, जनम मोरे सफल होगे ।
हे गणेशा मोर सपना म जबले आये, दरद मोरे सरल होगे ।
हे प्रभुजी मोर अरजी ल सुनके, तैहा सफल करदे मोर पूरा
हे गणेशा मोर भुवना म जबले आये, बिपति मोरे तरल होगे।
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दुखिया के तै दुख हरैया जय हो तोर गणराज।
सबके बिगड़ी के बनैया जय हो तोर गणराज।
भुवना मा बाजे नगाड़ा कस के होय जयकार।
पापी के नासे करैया जय हो तोर गणराज।

० लक्ष्मी नारायण लहरे,साहिल कोसीर सारंगढ़

पागा कलगी-17//8//लोकेन्द्र "आलोक"

गणपति तोर महिमा हवय बड़ भारी 
जय जय जय गणेशा कहत नर नारी 
लाडु भोग तोला सुहाथे भगवन
मुसवा के सवारी हवय गा भारी

बुद्धि सुद्धि सिरजईया तही गजानन
रिद्धि सिद्धि देवईया तही गजानन
हांथ जोर प्रार्थना “आलोक“ करत हे
काम-धाम अब बना दे तही गजानन
कवि - लोकेन्द्र "आलोक"
ग्राम - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद

पागा कलगी-17 //7//राजेश कुमार निषाद

पहिली पूजा के तै अधिकारी गणेशा
तोला भाथे लाड़ू हा भारी गणेशा
करथस सबके आशा ला पूरा गजानन
तोला कहिथे सब मंगलकारी गणेशा।।

मोरो पीरा ल तै हरबे गजानन
मोरो रक्षा ल तै करबे गजानन
सबले पहिली ग तोला गोहराथन
दुनिया मा सुख ल तै भरबे गजानन
रचनाकार - राजेश कुमार निषाद 
ग्राम चपरीद
(समोदा )

पागा कलगी-17 //6//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

मुक्तक
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जय हो जय हो गजानन पहली मनावव तोला।
लड्डू मेवा मिठाई भोगे चढ़ावव तोला।
आखर के देवता तय मेटव नदानी मोरो
किरपा के तोर आसा माथा नवावव तोला।
मुक्तक
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लूला के पार लगईया देवा।
रोगी के रोग मिटईया देवा।
बन जाथस तय अनधरा के आखी
सबके तय लाज बचईया देवा।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"
चंदेनी कवर्धा
9993240143