मंगलवार, 13 सितंबर 2016

पागा कलगी-17//8//लोकेन्द्र "आलोक"

गणपति तोर महिमा हवय बड़ भारी 
जय जय जय गणेशा कहत नर नारी 
लाडु भोग तोला सुहाथे भगवन
मुसवा के सवारी हवय गा भारी

बुद्धि सुद्धि सिरजईया तही गजानन
रिद्धि सिद्धि देवईया तही गजानन
हांथ जोर प्रार्थना “आलोक“ करत हे
काम-धाम अब बना दे तही गजानन
कवि - लोकेन्द्र "आलोक"
ग्राम - अरमरीकला
तहसील - गुरुर
जिला - बालोद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें