बुधवार, 23 नवंबर 2016

//पागा कलगी 21 के परिणाम//

पागा कलगी 21 जेखर विषय छत्तीसगढ़ के स्थापना पर्व के अवसर मा ‘मोर छत्तीसगढ़ महतारी‘ दे गे रहिस जेमा कुल 16 रचनाकार संगी मन के रचना आइस । ये आयोजन के निर्णायक आदरणीय अंजनी कुमार अंकुरजी रहिन । ये आयोजन के सबो रचनाकार मन के तारीफ करत, सबोण्न ला बधाई देत अंकंरजी अपन निर्णय दें हें जेखर अनुसार-
पहिली विजेता- श्री गुमान प्रसाद साहू
दूसर विजेता- श्री दुर्गेश सिन्हा
तीसर विजेता-श्री बी.के चतुर्वेदी अउ श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी
सबो विजेता संगी मन छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के तरफ ले अंतस ले बधाई

बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//16//चोवा राम " बादल"

मोर छत्तीसगढ़ महतारी
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जय हो जय हो तोर मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।
मैं अनाड़ी गावौ कतका,महिमा हे तोर भारी ।
गांव गांव मा गउरा चौंरा,
ठाकुर देंवता सांहड़ा देंवता ।
पीपर पेंड मं बिसनु बिराजे ,
बर पेंड मा ब्रम्हा देंवता ।
लीम तरी तरिया के पार महमाई देबी कारी ।
जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।1
अरपा पैरी महानदी ह, गंगा धार बोहाथे ।
शिवनाथ के अमरित पानी हमर पियास बुझाथे साग भाजी ह कछार के ,घातेच् जी मिठाथे ।
करिया माटी बड़ उपजाऊ चना गहूँ अर्राथे ।
परबत घाटी बसतर के जंगल सोभा हे गा न्यारी जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।2
रतनपुर महमाया मंदिर,डोंगरगढ़ बमलाई ।
तरेंगा के सीतला माता, सिंगारपुर मौली दाई ।
राँवां भांठा बंजारी धाम हे,रइपुर दुगधा धारी ।
सिरपुर अउ शिवरी नरायेन,तुरतुरिया खल्लारी
गिरौदधाम राजिम के दरसन तरथे गा नर नारी जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।3
ए धरती मं लोहा सोना हीरा के भरे खजाना
हिरमी रावन बैकुंठ मं हे सिरमिट के कारखाना
कोरबा के कोईला लोहा भेलाई बनाना
नामी कई ठन कालेज मा होथे पढ़ना पढाना ।
धान कटोरा छलकत रइथे नइये भुखमरी लचारी जय हो जय हो तोर ,मोर छत्तीसगढ़ महतारी 4
जिहाँ ददरिया दरद ल हरके मदुरस घोरै कान
करमा डंडा सुआ पंथी जग जाहिर पहिचान ।
चीला बोबरा ठेठरी खुरमी हाबय हमर पकवान
निच्चट सिधवा बड़ करमईता ईंहाँ के किसान ।
चोवा राम "बादल" के भइया खेती हे चिन्हारी ।
जय हो जय हो तोर, मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।
रचना --चोवा राम " बादल" हथबंद9926195747
07 -11-2016

पागा कलगी -21 //15//डोल नारायण पटेल

***मोर छत्तीसगढ़ महतारी***
कोरा बड़ सुघ्घर हवे, सब बर सुख के खान।
अइसन जइसन सरग हे, देख समझ पहिचान।
देख समझ पहिचान, माटी बड़ सुहावन हे।
फागुन के बरसात, झम झमाझम सावन हे।
कहिके डोल सुनाय, बुझ ले आना-सोरा।
मनवा ला हरसाय, छत्तीसगढ़ के कोरा ।।।।।
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सुघ्घर गांव शहर जुझे, सिरजे हे ये राज।
रजधानी रायपुर हर, मुकुट बने सिरआज।।
मुकुट बने सिरआज, देख के मन ला भाथे।
दुर्ग भिलाई जोड़, अड़बड़ नाम ला पाथे।।
देख एक ले एक, बसे हे गांव शहर हर।।
दाई छत्तीसगढ़ , महरानी सही सुघ्घर।।
-
महतारी छत्तीसगढ़, सब ला बहुत सुहाय।
हाथ विधाता के रचे ,रंगोली जस भाय।।
रंगोली जस भाय, भारत के अंगना मा।।
सुघ्घर लागे रूप , आवय नही कहना मा।।
मया पिरीत देवय, हवय सबोके दुलारी ।।
कलप रूख जस मोर, छत्तीसगढ़ महतारी।।
-
महतारी छत्तीसगढ़ , धान कटोरा जान।।
दाई मोर अनपूरना, सुघ्घर सुख के खान।।
सुघ्घर सुख के खान, कोरा उपर बोहाथे।।
महानदी शिवनाथ , गंगा जमुना कहाथे।।
झरना नदी पहाड़, हवय सबबर सुखकारी।।
सब संपद के खान, छत्तीसगढ़ महतारी।।
-
तोरे परथन पांव ला, दे हमला बरदान।।
सेवा हांथे ले करी, अउ मुख ले गुनगान ।।
अउ मुख ले गुनगान, जबतक जीव हे तन मा।।
कोरा तोर सुहाय, सबो ला जनम जनम मा।।
मइया तोरे पांव, परत हन हाथे जोरे।।
रहिबो सीस नवाय, पांव मा दाई तोरे।।
डोल नारायण पटेल
तारापुर(छ. ग.)
मो. - 7354190923

पागा कलगी -21//14//दिलीप कुमार वर्मा

विषय--मोर छत्तीसगढ़ महतारी
गीत
मोर छत्तीसगढ़ महतारी 
तोर महिमा हे बड़ भारी,
सब दुखियन के दुःख हरे 2
फेर हाबच बड़ दुखियारी
मोर.....
तोर कोरा ल खन के माता
बड़ गड्ढ़ा कर डारे हे,
हरियर -हरियर पेड़ काट के
तोरो मांग उजारे हे।
जम्मो झन मन पोट्ठा गे 2
फेर नइये तोर पुछारी
मोर.......
कतको तोला बेच-बेच के
करिस कमाई बड़ भारी,
उकर घर म हीरा चमके
तोर गली हे अंधियारी।
कइथे तोला धान कटोरा 2
फेर हाबय बहुत उधारी
मोर.........
तोरे देये खाके जम्मो
देख तो बड़ अटियावत हे,
तोर छाती म नाच-नाच
अंगरेजी गाना गावत हे।
अइसन मन ला ले जा जल्दी 2
करथे बड़ होसियारी
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
तोर महिमा हे बड़ भारी,
सब दुखियन के दुःख हरे 2
फेर हाबच बड़ दुखियारी
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार
9926170342

पागा कलगी -21//13//दुर्गेश सिन्हा " दुलरवा "

विषय - "मोर छत्तीसगढ़ महतारी'
महानदी शिवनाथ के बंदन
पावन पबरित मोर छत्तीसगढ़ महतारी के धुररा माटी हे बंदन
जिंहा नर अऊ नारी के रूप म बसे सीता राम हे
अईसन छत्तीसगढ़ महतारी ल मोर सादर परनाम हे .
मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म २७ जिला हे
२७ जिला म ३६ ठन गढ़ हे
झलमला के गंगा मईया अऊ आमागढ
अम्बेगढ़ हे
दंतेवाड़ा के दंतेस्वरी मईया अऊ बम्लेस्वरी डोंगरगढ़ हे
भोरमदेव के तीर म बसे मोर सुघ्घर खैरागढ
हे
सुवा अऊ करमा ददरिया के जिंहा संऊहत गंगा बोहावत हे
जिंहा के नाचा गम्मत भारत के धरोहर म गिनावत हे .
दल्लीराजहरा अऊ बईलाडिला के निकले लोहा पथरा भिलाई स्पात संयंत्र ले जापान तक म जावत हे
कोरबा के कोईला अऊ देवभोग के हीरा सरी दुनिया म अंजोर बगरावत हे .
धान के कटोरा ले ऊपजे चाऊंर ह जन - जन के भुख ल मिटावत हे
ये भुईयां के वीर बली जिंहा जनमिस वीर नरायन हे
राजिम लोचन अऊ बम्लाई जिंहा संऊहत देवता माढ़हे हे .
अइसन छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म रहईया अनेक जाति अऊ अनेक नाम हे
कुल मिला के मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कन - कन ल दुर्गेश सिन्हा दुलरवा के डाहर ले सादर परनाम हे ......
दुर्गेश सिन्हा " दुलरवा "
दुर्रे बंजारी ( छुरिया) राजनांदगाँव
मो. ९६३०७८०५१७

पागा कलगी -21//12//देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)

छत्तीसगढ़ महतारी....
ऐ छत्तीसगढ़ के भुईयॉ हमर महतारी हे,
सबो बर दया अऊ मया,ऐकर चिन्हारी हे
इही धरती मा रही के,कतको पुरखा तरगे
अऊ इही मा नवा जनम के किलकारी हे...
भागमानी हन,ऐ भुईयॉ मा जनम ला पायेन
अपन आँखी ले एकर सोभा देखे ला पायेन
जीयत ले जस गाबो,फेर इही मा मर जाबो
हमर जिनगी,इही भुईयॉ के दिये उधारी हे...
सबो मिलगे इहाँ सबला,रेहेबरअऊ खायेबर
संगे संग रहिके,अपन जिनगी ला बिताये बर
सबो ऊपर मया,अपन किरपा बरसावत हे
अइसे लागे पबरित माटी हमर संगवारी हे...
ऐ सोनहा धरती सबो तनी हरियाये हे
आसीस के अछरा सबो बर फरियाये हे
सुघ्घर खेत खलिहान,अऊ मेहनती किसान
साग पान उपजईयाँ,हरियर बखरी बारी हे..
कोनो जगा नइये अइसन दूसरा,दुनिया मा
घुम ले परदेस,लहुटबे अपने घर कुरिया मा
गुरतुर गोठ गोठियईया,आय छत्तीसगढ़िया
संघरे संगी मन ताहन,रोज होरी,देवारी हे..
इहाँ चलथे मीत मितानी,चले बात गियान के
जुरमिल आघू बढ़े,देखाये रद्दा मा सियान के
इहाँ तो सुख दुःख के दुखनियाँ मा अरझे
टँगाय हावय सबके जिनगी के झिपारी हे...
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)

पागा कलगी -21 //11//ज्ञानु मानिकपुरी"दास"

"छत्तीसगढ़ महतारी"
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हमर "छतीसगढ़ महतारी" हे।
हम छत्तीसगढ़िया के चिनहारी हे।
छत्तीसगढ़ी गुरतुर सुघ्घर बोली हे
ऐहर साकक्षात् देवी के अवतारी हे।
ऐला कहिथें भैया 'धान के कटोरा'
संगे संग होथे घला ओनहारी हे।
हरियर हरियर सोनहा भुईया अंग हे
रुखराई,नदी नरवा सिंगार डोंगरी पहाड़ी हे।
जेखर बेटा मेहनती मजदूर अउ किसान हे
सेवा करत दिनरात बड़ भारी हे।
भाजी,सुकसा,रखियाबरी,कोंचई,जिमिकांदा
भाटा,खोईला,मुनगा,पताल चटनी तरकारी हे।
ईहा के पकवान ला का बतावव संगी
अईरसा,ठेठरी,खुरमी,बरा-सोहारी हे।
करमा,ददरिया,सुआ,जसगीत पहिचान हे
तिहार हरेली,तिजापोरा,होली,देवारी हे।
सुआ,मैना,कोयली सुघ्घर महिमा गावत हे
चरन् पखारत अरपा,पैरी,महानदी के अमरित धारी हे।
कोरबा के बिजली दुनिया भर बगरे हे
सोनाखान के सोना विकास मा हिस्सादारी हे।
कोइला,लोहा,अयस्क के भरे हे खदान
जड़ी-बूटी ,वनस्पत्ति के ईहा भरे भंडारी हे।
डोंगरगढ़ बमलाई अउ रतनपुर महामाई हे
दरसन पावत जम्मो सुघ्घर नरनारी हे।
राजिम परयाग जिहा खजुराहों भोरमदेव
कतेक ला बतावव संगी महिमा भारी हे।
गिरोदधाम ले बाबा घासीदास सत् के अलख जगईन
दामाखेड़ा मा सद्गुरु साहेब कबीर के अवतारी हे।
ये भुईया के पावन कोरा मा संगी
अवतरिन कतको रिषी मुनि ज्ञानी हे।
बिलासपुर मा सबले बड़े नियालय हे
सत्ताईस जिला हे अउ रयपुर राजधानी हे।
इही मया के मीत हे,इही मया के गीत हे
बन जाथे जिनगी भरके संग संगवारी हे।
हमर "छतीसगढ़ महतारी" हे।
हम छत्तीसगढ़िया के चीनहारी हे।
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी कवर्धा