बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//12//देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)

छत्तीसगढ़ महतारी....
ऐ छत्तीसगढ़ के भुईयॉ हमर महतारी हे,
सबो बर दया अऊ मया,ऐकर चिन्हारी हे
इही धरती मा रही के,कतको पुरखा तरगे
अऊ इही मा नवा जनम के किलकारी हे...
भागमानी हन,ऐ भुईयॉ मा जनम ला पायेन
अपन आँखी ले एकर सोभा देखे ला पायेन
जीयत ले जस गाबो,फेर इही मा मर जाबो
हमर जिनगी,इही भुईयॉ के दिये उधारी हे...
सबो मिलगे इहाँ सबला,रेहेबरअऊ खायेबर
संगे संग रहिके,अपन जिनगी ला बिताये बर
सबो ऊपर मया,अपन किरपा बरसावत हे
अइसे लागे पबरित माटी हमर संगवारी हे...
ऐ सोनहा धरती सबो तनी हरियाये हे
आसीस के अछरा सबो बर फरियाये हे
सुघ्घर खेत खलिहान,अऊ मेहनती किसान
साग पान उपजईयाँ,हरियर बखरी बारी हे..
कोनो जगा नइये अइसन दूसरा,दुनिया मा
घुम ले परदेस,लहुटबे अपने घर कुरिया मा
गुरतुर गोठ गोठियईया,आय छत्तीसगढ़िया
संघरे संगी मन ताहन,रोज होरी,देवारी हे..
इहाँ चलथे मीत मितानी,चले बात गियान के
जुरमिल आघू बढ़े,देखाये रद्दा मा सियान के
इहाँ तो सुख दुःख के दुखनियाँ मा अरझे
टँगाय हावय सबके जिनगी के झिपारी हे...
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)

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