बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21 //15//डोल नारायण पटेल

***मोर छत्तीसगढ़ महतारी***
कोरा बड़ सुघ्घर हवे, सब बर सुख के खान।
अइसन जइसन सरग हे, देख समझ पहिचान।
देख समझ पहिचान, माटी बड़ सुहावन हे।
फागुन के बरसात, झम झमाझम सावन हे।
कहिके डोल सुनाय, बुझ ले आना-सोरा।
मनवा ला हरसाय, छत्तीसगढ़ के कोरा ।।।।।
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सुघ्घर गांव शहर जुझे, सिरजे हे ये राज।
रजधानी रायपुर हर, मुकुट बने सिरआज।।
मुकुट बने सिरआज, देख के मन ला भाथे।
दुर्ग भिलाई जोड़, अड़बड़ नाम ला पाथे।।
देख एक ले एक, बसे हे गांव शहर हर।।
दाई छत्तीसगढ़ , महरानी सही सुघ्घर।।
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महतारी छत्तीसगढ़, सब ला बहुत सुहाय।
हाथ विधाता के रचे ,रंगोली जस भाय।।
रंगोली जस भाय, भारत के अंगना मा।।
सुघ्घर लागे रूप , आवय नही कहना मा।।
मया पिरीत देवय, हवय सबोके दुलारी ।।
कलप रूख जस मोर, छत्तीसगढ़ महतारी।।
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महतारी छत्तीसगढ़ , धान कटोरा जान।।
दाई मोर अनपूरना, सुघ्घर सुख के खान।।
सुघ्घर सुख के खान, कोरा उपर बोहाथे।।
महानदी शिवनाथ , गंगा जमुना कहाथे।।
झरना नदी पहाड़, हवय सबबर सुखकारी।।
सब संपद के खान, छत्तीसगढ़ महतारी।।
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तोरे परथन पांव ला, दे हमला बरदान।।
सेवा हांथे ले करी, अउ मुख ले गुनगान ।।
अउ मुख ले गुनगान, जबतक जीव हे तन मा।।
कोरा तोर सुहाय, सबो ला जनम जनम मा।।
मइया तोरे पांव, परत हन हाथे जोरे।।
रहिबो सीस नवाय, पांव मा दाई तोरे।।
डोल नारायण पटेल
तारापुर(छ. ग.)
मो. - 7354190923

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