शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//6//संतोष फरिकार

मय किसान अव हा मय ही अन्नदाता अव,
सब के पेट भराइया मय पालन कराइया अव,
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
दुख पीरा के चिनहाइया
गरीबी के पहचान अव,
बनिहार के संगी मजदूर कि मितान अव.
मय किसान अव.
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
भूखे पेट मय सुत जाथव.
कोनो भूख म कलपन नई दव.
सब के थारी म रोटी के देवाइया अव,
अमीर गरीब सब बर मही तो अन्न उगाइया अव.
मय किसान अव.
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
घाम छइहा पानी बरसा जाड म कमाइया अव.
धरती के सिंगार कराइया अव.
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
सब के सुनथो मय मोर कोनो सुनाइया नई हे.
अपन पीरा ल आंसू म पी लेथव,
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
बेटी के बिहाव म अपन आप ल बेचत हव.
बेटा के पढाई म पेट ल कटात हव,
दाई ददा के सहारा अव
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
नून बासी मोला सुहाथे.
मीठ बोली छत्तीसगढी के बोलाइया अव.
धरती महतारी के मान कराइया अव
मय किसान अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
जागर तोड मेहनत कराइया अव,
सबे जीव के पालन कराइया अव,
मय किसान अव हा मय अन्नदाता अव,
मय छत्तीसगढ़ महतारी अव
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संतोष फरिकार

पागा कलगी -21 //5//आर्या प्रजापति

( "मोर छत्तीसगढ़ महतारी " )
जिहाँ बड़ सुघ्घर बिहनिया ले बजे बंसरी,
बच्छर भर बोथे धान अउ बारी।
रात कन घलो करत रईथे जी रखवारी,
बासी चटनी लाथे मंझनिया सुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
महिमा हे तोरेच भारी,
नारी के तैं अवतारी।
जिहाँ बोहाय शिवनाथ के धारी,
जेखर कोरा म रूख अउ जंगल झारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
किसान के ईहा मोल हे भारी,
जेन हा धरे बाँस के डंडा अउ तुतारी।
जिहा पुजथे हॅसिया, कलारी,
माटी हावय मटासी अउ कन्हारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
बित जाय जिनगी जम्मो सरी,
तोरेच पांव के तरी।
जिहाँ के मनखे राहय संग के संगवारी,
मया रईथे बनेच भारी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
जिहाँ तीज तिहारी,
हाॅवय इंहा मया के चिन्हारी।
वैसे अग्हन, पुस के जाड़ भारी,
गोबर म लिपाय घर-दुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
मनाथन खुश होके देवारी,
शंकर पारवती जी आथे बन के गौरा-गौरी।
जिहाँ के फटाका टिकली, अनार अउ सुरसुरी,
असनहे छाये रईथे गंजहा, दरुहा अउ जुआरी।
जय हो "मोर छत्तीसगढ़ महतारी"
आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
गांव - लमती ( सिंगारपुर )
जिला - बलोदाबजार ( भाटापारा )

पागा कलगी -21 //4//बी के चतुर्वेदी

"मोर छत्तीसगढ़ महतारी "
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"मोर छत्तीसगढ़ महतारी कहा
पन लुकवा आमा कस लुकागे
पता नही कोन वपहार हे ठीहा
कोन भीथिया भारा मा टंगागे"
महतारी के कोरा धान कटोरा
सगरो पेट भरे इतरावत हे
पांव के तरी मा नदिया उपका
तन मन सगरो फरियावत हे
भाठा भूर्रा के बात कहव का
धनहा --धनहा कस खेत बेचागे
सुवा , रहस ,गम्मत पंडवानी
सोहरबिहागीत ददरिया मरत हे
एठ मुरेरा कभु -कभार सुनाथे
लोक-- बाजा कहुं न बजत हे
अब लिखैया के बात कहौं का
छत्तीसगढ़ी भाखा कहां समागे
अंवतरगे कतका बोली बतरस
जौन चाहत बोली बोलत हे
कोनो नइ बोले इहां के भाखा
हजार के बीच अपने बोलत हे
तिहार उहार के बात कहौं का
भरे चउमास म तरीया सुखागे
जीये खाये बर आइन मनसे
अब उंखरे जमीदारी चलत हे
इहां के सीधवा सीधवा मनखे
बनिहारी बर दउड़ फिरत हे
बढ़िया के बात. कहौं का
जीयत उल्टा खटिया लटकागे
रयपुर तउलागे बनिया तराजू
बेलासपुर मींझरा मेछरावत हे
नांद गांव लगे गरबा के खेती
कैसनहा संसकार देखावत हे
रैगढ़ पखाल के बात कहौं का
कोरबा अंबिका छठ म बंधागे
आतंकी के रखवारी बरकस
बस्तर माटी म सेंध परत हे
कोन काय बिगाड़ही इंखर
चारो मुड़ा अंधियारी रेकत हे
गांवन गांव के बात कहौं का
जीयत मरत ले संग धरागे
ममहतारी कहे मा काय धरे
न बखान न आरती करत. हे
छींही बाती वअचरा के होवत
कहुं कारखाना अटारी बनत हे
अब नदिया के बात कहौं का
रेती निकलाई म पानी कहांगे
मोर महतारी के हरियर का्ति
सुरुज लाली गुलाल उडा़वत हे
चंदा अंजोरत फरहर फरहर
चिरइ चिरबुन तरीयाउडा़वत हे
अब बघवा के बात कहौं का
जम्मो जंगल गये फरियागे
सुनै न बोलै नही देखत कोनो
आज पीरा काला जनावत हे
देखे किसान बनिहार नौकरिहा
चांटी कस पाही रेंगत.जावत हे
ऐसनहा के का बात कहौ का
कोलिहा कस दिन मा डेरागे
बी के चतुर्वेदी
८८१५९६३३५

पागा कलगी -21//3//राजेश कुमार निषाद

।। मोर छत्तीसगढ़ महतारी ।।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
ये परदेशिया मन कतका राज करही अऊ कतेक जुलुम साहिबो येकर अत्याचारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
खाली हाथ आय रहिन बस हाथ में धर के झोरा।
लूट लूट के लेगत हे ये मन अब बोरा बोरा।
देखव परदेशिया के चाल कईसे हमन ल मुरख बनावत हे।
हमर महतारी के कोरा म आके हमी ल टुंहु देखावत हे।
अईसन मउका झन आवय सुध रखव राज दुलारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
छत्तीसगढ़ महतारी के लाज बचाये बर गोली खा लेबोन छाती म।
नवजवान लईका सियान सब हाँसत झूल जाबो फासी म।
अईसन लड़ाई लड़बो हमन जप के नाम बलिहारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
भाई चारा के पाठ ल मिलजुल के सब ल पढ़ाना हे।
मन म एक ही बात ठानव छत्तीसगढ़ महतारी के लाज बचाना हे।
मिलजुल के तुमन रहे बर सिखव फेर देखव का हाल होही ये मालगुजारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
कतेक सुघ्घर हावय छत्तीसगढ़िया मनखे मन
फेर देखव शासन हावय काकर ग।
दया मया येकर मन कस अऊ कहूँ नई मिलय
चाहे दुनिया म देखव तुमन जाकर ग।
दुरिहा राहव ये परदेशिया मन ले
नइये ये मन हमर चिन्हारी के।
चलव संगी चलव साथी लाज बचाबो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के।
रचनाकार ÷ राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद( समोदा )
9713872983

पागा कलगी -21 //2//मनीराम साहू 'मितान'

@@मोर छत्तीसगढ़ महतारी@@
सुत उठ के तोला जोहारवँ,
दिन-रात करवँ तोर चारी।
जय होवय तोर, जय होवय,
मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
भारत माँ के दुलौरिन अस तैं,
तोला कइथे कटोरा धान के।
तोर मया म दुलराइस दाई,
बीर नारायन सोना खान के।
धन भाग हमु जनम पायेन,
पायेन तोर दुलार वो भारी।
जय होवय....................
रुखराई,खेत-खार दिखे तैं,
जीव,चिरई-चिरगुन,चाँटी म।
तोर दरस ल रोजे पाथवँ,
मोर गाँव के धुर्रा-माटी म।
सुग्घर तोर रूप हवय वो,
दिखथस कोदो-साँवर कारी।
जय होवय....................
खरतरिहा हे तोर लइका मन,
कर देथे पथरा ल पिसान वो।
उवत-बुड़त कमावत रइथे,
जेन मन ल कइथे किसान वो।
संगी उँकर नाँगर-बइला,
'तुलसी दल' हे उँकर तुतारी।
जय होवय.....................
तोर सेवा म जिनगी बीतय,
दे सकन समे म सीस वो।
सच के रद्दा ल झन छोड़िन,
दे अइसन हमला असीस वो।
जुर-मिल सुनता म राहन,
अइसने पटय सबो के तारी।
जय होवय..................
मनीराम साहू 'मितान'
कचलोन(सिमगा)बलौदाबाजार
(छ.ग.)493101
मो. 9826154608

पागा कलगी -21//1//श्रवण साहू

।।जय मोर छत्तीसगढ़ महतारी।।
जय जय हे छत्तीसगढ़ महतारी।
तोर महिमा जग मा बड़ भारी।।
ऋषि मुनि अऊ तपसी के डेरा।
सबो जीव जंतु के तैंहा बसेरा।।
हरियर हावय मा तोर कोरा।
रूप तोर मोहय चंद्र चकोरा।।
तीरथ तंही, तंही चारो धाम।
पांव रखे जिंहा मोर प्रभु राम।।
बड़ निक लागे धनहा डोली।
हवे सुग्घर तोर गुरतुर बोली।।
धान पान के तैंहा उपजईया।
सबो प्राणी के प्रान बचईया।।
बड़े बिहना कोयली गुन गाये।
चिरई चिरगुन महिमा बताये।।
नाचय रूखवा झुमरय खेती।
भारत मां के तैं दूलौरिन बेटी।।
नरवा, डोंगरी मन ला भाये।
परबत मुकुट शोभा बढ़हाये।।
तोर चरण मा माथ नवांवय।
तोर 'दुलरवा',गुन तोर गावय।।
रचना- श्रवण साहू
गांव-बरगा जि. बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा. - +918085104647

गुरुवार, 10 नवंबर 2016

//पागा कलगी-20 के परिणाम //


पागा कलगी-20 जेखर विषय-‘मन के अंधियारी मेटव‘ रहिस, ये विषय मा कुल 8 रचना प्राप्त होइस । सबो रचनाकार संगी मन के रचना म देवारी के दीया जगमगावत हे, सबो झन ला अंतस ले बधाई । दे गे विषय म जेन रचना सबले लकठा लगीस ओही ल ये दरी पागा के भेट करे जात हे ।
भाई गुमान साहू के मुड़ मा ‘पागा कलगी-20‘ के पागा ला धरे जात हे ।

भाई गुमान साहू ला छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच डइर ले अंतस ले बधाई