शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

पागा कलगी -21 //4//बी के चतुर्वेदी

"मोर छत्तीसगढ़ महतारी "
------- - -------- --------
"मोर छत्तीसगढ़ महतारी कहा
पन लुकवा आमा कस लुकागे
पता नही कोन वपहार हे ठीहा
कोन भीथिया भारा मा टंगागे"
महतारी के कोरा धान कटोरा
सगरो पेट भरे इतरावत हे
पांव के तरी मा नदिया उपका
तन मन सगरो फरियावत हे
भाठा भूर्रा के बात कहव का
धनहा --धनहा कस खेत बेचागे
सुवा , रहस ,गम्मत पंडवानी
सोहरबिहागीत ददरिया मरत हे
एठ मुरेरा कभु -कभार सुनाथे
लोक-- बाजा कहुं न बजत हे
अब लिखैया के बात कहौं का
छत्तीसगढ़ी भाखा कहां समागे
अंवतरगे कतका बोली बतरस
जौन चाहत बोली बोलत हे
कोनो नइ बोले इहां के भाखा
हजार के बीच अपने बोलत हे
तिहार उहार के बात कहौं का
भरे चउमास म तरीया सुखागे
जीये खाये बर आइन मनसे
अब उंखरे जमीदारी चलत हे
इहां के सीधवा सीधवा मनखे
बनिहारी बर दउड़ फिरत हे
बढ़िया के बात. कहौं का
जीयत उल्टा खटिया लटकागे
रयपुर तउलागे बनिया तराजू
बेलासपुर मींझरा मेछरावत हे
नांद गांव लगे गरबा के खेती
कैसनहा संसकार देखावत हे
रैगढ़ पखाल के बात कहौं का
कोरबा अंबिका छठ म बंधागे
आतंकी के रखवारी बरकस
बस्तर माटी म सेंध परत हे
कोन काय बिगाड़ही इंखर
चारो मुड़ा अंधियारी रेकत हे
गांवन गांव के बात कहौं का
जीयत मरत ले संग धरागे
ममहतारी कहे मा काय धरे
न बखान न आरती करत. हे
छींही बाती वअचरा के होवत
कहुं कारखाना अटारी बनत हे
अब नदिया के बात कहौं का
रेती निकलाई म पानी कहांगे
मोर महतारी के हरियर का्ति
सुरुज लाली गुलाल उडा़वत हे
चंदा अंजोरत फरहर फरहर
चिरइ चिरबुन तरीयाउडा़वत हे
अब बघवा के बात कहौं का
जम्मो जंगल गये फरियागे
सुनै न बोलै नही देखत कोनो
आज पीरा काला जनावत हे
देखे किसान बनिहार नौकरिहा
चांटी कस पाही रेंगत.जावत हे
ऐसनहा के का बात कहौ का
कोलिहा कस दिन मा डेरागे
बी के चतुर्वेदी
८८१५९६३३५

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें