बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//14//दिलीप कुमार वर्मा

विषय--मोर छत्तीसगढ़ महतारी
गीत
मोर छत्तीसगढ़ महतारी 
तोर महिमा हे बड़ भारी,
सब दुखियन के दुःख हरे 2
फेर हाबच बड़ दुखियारी
मोर.....
तोर कोरा ल खन के माता
बड़ गड्ढ़ा कर डारे हे,
हरियर -हरियर पेड़ काट के
तोरो मांग उजारे हे।
जम्मो झन मन पोट्ठा गे 2
फेर नइये तोर पुछारी
मोर.......
कतको तोला बेच-बेच के
करिस कमाई बड़ भारी,
उकर घर म हीरा चमके
तोर गली हे अंधियारी।
कइथे तोला धान कटोरा 2
फेर हाबय बहुत उधारी
मोर.........
तोरे देये खाके जम्मो
देख तो बड़ अटियावत हे,
तोर छाती म नाच-नाच
अंगरेजी गाना गावत हे।
अइसन मन ला ले जा जल्दी 2
करथे बड़ होसियारी
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
तोर महिमा हे बड़ भारी,
सब दुखियन के दुःख हरे 2
फेर हाबच बड़ दुखियारी
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार
9926170342

पागा कलगी -21//13//दुर्गेश सिन्हा " दुलरवा "

विषय - "मोर छत्तीसगढ़ महतारी'
महानदी शिवनाथ के बंदन
पावन पबरित मोर छत्तीसगढ़ महतारी के धुररा माटी हे बंदन
जिंहा नर अऊ नारी के रूप म बसे सीता राम हे
अईसन छत्तीसगढ़ महतारी ल मोर सादर परनाम हे .
मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म २७ जिला हे
२७ जिला म ३६ ठन गढ़ हे
झलमला के गंगा मईया अऊ आमागढ
अम्बेगढ़ हे
दंतेवाड़ा के दंतेस्वरी मईया अऊ बम्लेस्वरी डोंगरगढ़ हे
भोरमदेव के तीर म बसे मोर सुघ्घर खैरागढ
हे
सुवा अऊ करमा ददरिया के जिंहा संऊहत गंगा बोहावत हे
जिंहा के नाचा गम्मत भारत के धरोहर म गिनावत हे .
दल्लीराजहरा अऊ बईलाडिला के निकले लोहा पथरा भिलाई स्पात संयंत्र ले जापान तक म जावत हे
कोरबा के कोईला अऊ देवभोग के हीरा सरी दुनिया म अंजोर बगरावत हे .
धान के कटोरा ले ऊपजे चाऊंर ह जन - जन के भुख ल मिटावत हे
ये भुईयां के वीर बली जिंहा जनमिस वीर नरायन हे
राजिम लोचन अऊ बम्लाई जिंहा संऊहत देवता माढ़हे हे .
अइसन छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म रहईया अनेक जाति अऊ अनेक नाम हे
कुल मिला के मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कन - कन ल दुर्गेश सिन्हा दुलरवा के डाहर ले सादर परनाम हे ......
दुर्गेश सिन्हा " दुलरवा "
दुर्रे बंजारी ( छुरिया) राजनांदगाँव
मो. ९६३०७८०५१७

पागा कलगी -21//12//देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)

छत्तीसगढ़ महतारी....
ऐ छत्तीसगढ़ के भुईयॉ हमर महतारी हे,
सबो बर दया अऊ मया,ऐकर चिन्हारी हे
इही धरती मा रही के,कतको पुरखा तरगे
अऊ इही मा नवा जनम के किलकारी हे...
भागमानी हन,ऐ भुईयॉ मा जनम ला पायेन
अपन आँखी ले एकर सोभा देखे ला पायेन
जीयत ले जस गाबो,फेर इही मा मर जाबो
हमर जिनगी,इही भुईयॉ के दिये उधारी हे...
सबो मिलगे इहाँ सबला,रेहेबरअऊ खायेबर
संगे संग रहिके,अपन जिनगी ला बिताये बर
सबो ऊपर मया,अपन किरपा बरसावत हे
अइसे लागे पबरित माटी हमर संगवारी हे...
ऐ सोनहा धरती सबो तनी हरियाये हे
आसीस के अछरा सबो बर फरियाये हे
सुघ्घर खेत खलिहान,अऊ मेहनती किसान
साग पान उपजईयाँ,हरियर बखरी बारी हे..
कोनो जगा नइये अइसन दूसरा,दुनिया मा
घुम ले परदेस,लहुटबे अपने घर कुरिया मा
गुरतुर गोठ गोठियईया,आय छत्तीसगढ़िया
संघरे संगी मन ताहन,रोज होरी,देवारी हे..
इहाँ चलथे मीत मितानी,चले बात गियान के
जुरमिल आघू बढ़े,देखाये रद्दा मा सियान के
इहाँ तो सुख दुःख के दुखनियाँ मा अरझे
टँगाय हावय सबके जिनगी के झिपारी हे...
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)

पागा कलगी -21 //11//ज्ञानु मानिकपुरी"दास"

"छत्तीसगढ़ महतारी"
________________
हमर "छतीसगढ़ महतारी" हे।
हम छत्तीसगढ़िया के चिनहारी हे।
छत्तीसगढ़ी गुरतुर सुघ्घर बोली हे
ऐहर साकक्षात् देवी के अवतारी हे।
ऐला कहिथें भैया 'धान के कटोरा'
संगे संग होथे घला ओनहारी हे।
हरियर हरियर सोनहा भुईया अंग हे
रुखराई,नदी नरवा सिंगार डोंगरी पहाड़ी हे।
जेखर बेटा मेहनती मजदूर अउ किसान हे
सेवा करत दिनरात बड़ भारी हे।
भाजी,सुकसा,रखियाबरी,कोंचई,जिमिकांदा
भाटा,खोईला,मुनगा,पताल चटनी तरकारी हे।
ईहा के पकवान ला का बतावव संगी
अईरसा,ठेठरी,खुरमी,बरा-सोहारी हे।
करमा,ददरिया,सुआ,जसगीत पहिचान हे
तिहार हरेली,तिजापोरा,होली,देवारी हे।
सुआ,मैना,कोयली सुघ्घर महिमा गावत हे
चरन् पखारत अरपा,पैरी,महानदी के अमरित धारी हे।
कोरबा के बिजली दुनिया भर बगरे हे
सोनाखान के सोना विकास मा हिस्सादारी हे।
कोइला,लोहा,अयस्क के भरे हे खदान
जड़ी-बूटी ,वनस्पत्ति के ईहा भरे भंडारी हे।
डोंगरगढ़ बमलाई अउ रतनपुर महामाई हे
दरसन पावत जम्मो सुघ्घर नरनारी हे।
राजिम परयाग जिहा खजुराहों भोरमदेव
कतेक ला बतावव संगी महिमा भारी हे।
गिरोदधाम ले बाबा घासीदास सत् के अलख जगईन
दामाखेड़ा मा सद्गुरु साहेब कबीर के अवतारी हे।
ये भुईया के पावन कोरा मा संगी
अवतरिन कतको रिषी मुनि ज्ञानी हे।
बिलासपुर मा सबले बड़े नियालय हे
सत्ताईस जिला हे अउ रयपुर राजधानी हे।
इही मया के मीत हे,इही मया के गीत हे
बन जाथे जिनगी भरके संग संगवारी हे।
हमर "छतीसगढ़ महतारी" हे।
हम छत्तीसगढ़िया के चीनहारी हे।
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी कवर्धा

पागा कलगी -21//10//गुमान प्रसाद साहू

विषय- मोर छत्तीसगढ़ महतारी
शिर्षक- मोर छत्तीसगढ़ महतारी, 
करँव तोर बखान ओ।
विधा- हरिगितीका छंद --------------------------
बोहावत हे अरपा पइरी,
महानदी ह साथ हे।
पाँव धोये सोंढूर हसदो ,
लिलाधर सिवनाथ हे।।
दक्षिण कोसल तैं ह कहाये,
माटी हे महान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।1।।
हरियर हरियर जंगल झाड़ी,
हरियर खेत खार हे।
बंजर में सोना उपजइया,
मजदुर खेतहार हे।।
सोन चिरईया तैं ह कहाये,
धान के खलिहान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।2।।
तोर कोरा म राजिम लोचन,
महामाया दाई हे।
दन्तेसरी,चण्डी,सीतला,
बम्लेसरी माई हे।।
जनम धरिन हे ऋषिमुनि गियानि,
अऊ मजदुर किसान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ ।।3।।
सुत उठके सब बड़े बिहनियाँ,
पग ल परथे तोर ओ।
दुख पीड़ा के हरईया हवस,
सबके दाई मोर ओ।।
बड़ मयारू मया के सबरी,
ममता के खदान ओ।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
करँव तोर बखान ओ।।4।।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा(महानदी)
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

पागा कलगी -21//9//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

"छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 21बर रचना"
विषय:---मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'रचना ल दोहा म लिखे के छोटकन प्रयास'
तोरे सुत उठ पैया लागव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
दक्षिण कौशल ओ दाई,तोरे जुन्ना नाव।
हमर कौशिल्या मां के,अंचरा सरिक छांव।।
दशरथ के ससुरार जे,राम के ममा गांव।
राम इही माटी तभे,आय हे कई घांव।।
बड़ भाग शबरी जेकर,बोइर खाये राम।
देख शिवरीनारायण,बनगे शबरी धाम।।
तोर पबरीत चरण मनावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
गुरू घासीदास लिये,गिरौदपुर अवतार।
सतनाम अलख जगाये,सत संदेश अपार।।
दामाखेड़ा ले बहे,कबीर बानी धार।
मनके मइल उजरा ले,भटकत हंसा तार।।
सतधरम के पालन कर,धर जीवन बर सार।
सत अहिंसा के रद्दा,खुश रइही संसार।।
मै घेरी बेरी गुन गावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
एक नवंबर दु हजार,पहिल पहर मुँधियार।
नवा छत्तीसगढ़ राज,बन होगिस तैयार।।
कोइला चुना टिन सोन,हीरा लोहा खान।
जमीन जरब दबे हवे,छत्तीसगढ़ खदान।।
साजा सरई साल हे, हे बीजा सैगोन।
तेंदू परसा पान हे,छोंड़ कहां जैबोन।।
मै कर जोरे माथ नवावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'धान के कटोरा'हरे,भरे घरो घर अन्न।
रीति नीति संस्कृति धरे,हे धरती संपन्न।
सिरपुर राजिम रतनपुर,अद्भुत भोरमदेव।
श्रद्धा भक्ति भरे हिया,परम नाम जप लेव।।
घोख घोख लिखेव करहु,लेखनी म 'अंजोर'।
छत्तीसगढ़ महतारी,कृपाशिष मिलय तोर।।
संझा बिहिनिया गोहरावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//8//अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

मोर छत्तीसगढ़ महतारी....
रंग रंग के गोठ ल गड़थे 
जमो संगवारी मन बड़थे
छत्तीसगढ़ के रहिया बने रहथे,
अंगरा के रोटी पीठा खाते रहथे।
दुसर के दुख म ख़ुद ह जागथे,
मोर छत्तीसगढ़ बने दिखथे।।
मिलजुल के सबो काम ल करथे,
बारी कोती ल दिन मन निन्दथे।
गाय मन बर पैरा भुसा बोरथे,
बारी म जोंधरी खीरा सुघ्घर बोथे।।
'धान के कटोरा' बर बड़े प्रसिद्ध हवय,
हीरा के खान लदे हवय देवभोग म।
गन्ना लगाथे गुड़ शक्कर बनाये बर,
धान के 'अमित' किस्म पाथे ईहा।।
छत्तीसगढ़ म नदिया है अरपा पैरी,
तांदुला गंगरेल डेम हवय बड़े बड़े।
मोबाइल के जमाना आगे हवय ईहा,
कोनो नई रहय मोबाइल के बिना।।
भोरमदेव हवय खुजराहो बर प्रसिद्ध,
लक्ष्मण मन्दिर हवय एकठन सिरपुर म।
छत्तीसगढ़ के प्रयाग हवय राजिम म,
मोर छत्तीसगढ़ सुघ्घर दिखथे हवय।।
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा जिला-कबीरधाम
छत्तीसगढ़ मो.-8085686829