बुधवार, 16 नवंबर 2016

पागा कलगी -21//9//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"

"छत्तीसगढ़ के पागा कलगी 21बर रचना"
विषय:---मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'रचना ल दोहा म लिखे के छोटकन प्रयास'
तोरे सुत उठ पैया लागव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
दक्षिण कौशल ओ दाई,तोरे जुन्ना नाव।
हमर कौशिल्या मां के,अंचरा सरिक छांव।।
दशरथ के ससुरार जे,राम के ममा गांव।
राम इही माटी तभे,आय हे कई घांव।।
बड़ भाग शबरी जेकर,बोइर खाये राम।
देख शिवरीनारायण,बनगे शबरी धाम।।
तोर पबरीत चरण मनावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
गुरू घासीदास लिये,गिरौदपुर अवतार।
सतनाम अलख जगाये,सत संदेश अपार।।
दामाखेड़ा ले बहे,कबीर बानी धार।
मनके मइल उजरा ले,भटकत हंसा तार।।
सतधरम के पालन कर,धर जीवन बर सार।
सत अहिंसा के रद्दा,खुश रइही संसार।।
मै घेरी बेरी गुन गावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
एक नवंबर दु हजार,पहिल पहर मुँधियार।
नवा छत्तीसगढ़ राज,बन होगिस तैयार।।
कोइला चुना टिन सोन,हीरा लोहा खान।
जमीन जरब दबे हवे,छत्तीसगढ़ खदान।।
साजा सरई साल हे, हे बीजा सैगोन।
तेंदू परसा पान हे,छोंड़ कहां जैबोन।।
मै कर जोरे माथ नवावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
'धान के कटोरा'हरे,भरे घरो घर अन्न।
रीति नीति संस्कृति धरे,हे धरती संपन्न।
सिरपुर राजिम रतनपुर,अद्भुत भोरमदेव।
श्रद्धा भक्ति भरे हिया,परम नाम जप लेव।।
घोख घोख लिखेव करहु,लेखनी म 'अंजोर'।
छत्तीसगढ़ महतारी,कृपाशिष मिलय तोर।।
संझा बिहिनिया गोहरावव,मोर छत्तीसगढ़ महतारी।
रचना:--सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अंजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
9685216602

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