रविवार, 15 जनवरी 2017

पागा कलगी -25 //4//मथुरा प्रसाद वर्मा 'प्रसाद'

छेरछेरा मांगे बर आये हन, पसर भर के दे दाई वो।
जम्मो छत्तीसगढ़िया ल छेरछेरा के बधाई वो।
हावे आशीष भरे रहे निसदिन कोठी डोली तोर,
तोरे अचरा ह होवय झन कभू मया ले खाली वो।
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छेरछेरा पुन्नी आये हे, चलो मांगे बर संगी हो।
गरब मांगे ले मिट जाथे, चलो मांगे बर संगी हो।
दे ये ले उन्ना नई होवय, ककरो कोठी डोली हर,
तिहार मांगे के आये हे, चलो मांगे बर संगी हो।
मथुरा प्रसाद वर्मा 'प्रसाद'
कोलिहा, बलौदाबाजार

पागा कलगी -25//3//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

छेरछेरा
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धान धरागे , कोठी म।
दान-पून के,ओखी म।
पूस पुन्नी के बेरा,
हे गाँव-गाँव म,छेरछेरा।
छोट - रोंठ सब जुरे हे।
मया गजब घुरे हे।
सबो के अंगना - दुवारी।
छेरछेरा मांगे ओरी-पारी।
नोनी मन सुवा नाचे,
बाबू मन डंडा नाचे।
मेटे ऊँच - नीच ल,
दया - मया ल बांचे।
नाचत हे मगन होके,
बनाके गोल घेरा।
पूस पुन्नी के बेरा,
हे गाँव-गाँव म,छेरछेरा।
सइमो- सइमो करत हे,
गाँव के गली खोर।
डंडा- ढोलक-मंजीरा म,
थिरकत हवे गोड़।
पारत कुहकी,
घूमे गाँव भर।
छेरछेरा के राग म,
झूमे गाँव भर।
गली - गली म सुनाय,
कोठी के धान ल हेरहेरा।
पूस पुन्नी के बेरा,
हे गाँव-गाँव म, छेरछेरा।
भरत हे झोरा - बोरा,
ठोमहा - ठोमहा धान म।
अड़बड़ पून भरे हवे,
छेरछेरा के दान म।
चुक ले अंगना लिपाय हे।
मड़ई - मेला भराय हे।
हूम - धूप - नरियर धरके,
देबी - देवता ल,मनाय हे।
रोटी - पिठा म ममहाय,
सबझन के डेरा।
पूस पुन्नी के बेरा,
हे गाँव-गाँव म,छेरछेरा।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

पागा कलगी -25//2//डोलनारायण पटेल

छेरछेरा
छेरछेरा तिहार ला,छत्तीसगढ़ मनाय।
महिना सुग्घर पूस के, पुन्नी दिन जब आय।।
पुन्नी दिन जब आय,केठी के धान हेरा।
सुग्घर सबद सनाय,निकरत सुरूज के बेरा।।
चहल पहल गलि खोल,किसानिन देवे छारा।
सबो निकाले धान, देवे बर छेरछेरा।।
लइका संग सियान मिल, टोली घर घर जाय।
छेरछेरा सबो कहय,सुनके मन हरसाय।।
सुनके मन हरसाय,रूख मा चहके चिराई।
सब दिन छलके हाथ, जय हो किसानिन दाई।।
कहय डोल कर दान, बेरा मिले हे ठउका।
खुशियाली हे छाय ,मगन सियान अउ लइका।।
होथे बड़खा दान गा, सुन तुलसी के गोठ।
बूझिन कहिन सियान गा, गोठ हवय बड़ पोठ।।
गोठ हवय बड़ पोठ,देवे जोन ओ दानी।
परथम गति धन पाय, संत गरन्थ के बानी।।
कहय डोल पढ़ पाठ,दान देवय्या पाथे।
दान धरम के ठान ,दान हर बड़खा होथे।।

मिलके हिरवां गूर मा,गुल्ला जब बन जाय।
फेर घोरे पिसान मा, बूड़ निकल के आय।।
बूड़ निकल के आय ,चूरय जा के कराही ।
कहय बनय के बात,तप जिनगी ला बनाही।।
मीठ चिखे हे डोल, पूरी छत्तीसगड़ के ।
मया पिरित के गोठ,गोठिया खावा मिलके।।
पूरी रोटी ले हमर, छत्तीसगढ़ ल जान।
चलना हमर सोज डगर, हवे अलग पहिचान।।
हवे अलग पहिचान , करथन खेती किसानी।
सबला देके खाय, छत्तीसगढ़िहा बानी।।
सु़़़़़़़़़़़़़़़नलव कहिथे डोल, नइ राखन हमन दूरी।
आके भाई देख, छत्तीसगडढ़ खा पूरी।।

छेरछेरा देत कवन, काकर हे ए काम।
साधु बोबा मन कहिन,सबके दाता राम।।
सबके दाता राम, लीला गजब देखाथे।ं
ले तिहार के आड़, आ किसान मा समाथे।।
बासी पसिया खाय,गांव म करे बसेरा।
ओही हिरदे खोल ,देत हवय छेरछेरा।।
डोलनारायण पटेल
तारापुर ,रायगढ़(छ.ग.)

पागा कलगी -25//1//सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"

विषय:-- छेरछेरा
विधा:-- छंद
पुस पुन्नी परब छेरछेरा,
कुलकत प्रानी अउ रुख हे।
झुम झुमके नाचे गाये बर,
सँघरा सजे दु:ख सुख हे।
दइयत देवे खातिर भुइँया,
सुनाईन अपन परन ला।
कहिन घोर्रीयाय झन बैठौ,
अबतो अरपौ अन धन ला।
महिनत के मुँह झन मुरझावै,
कभु बिछा जवै झन सपना।
मुँहु के बाना मार काकरो,
झोंकहु झन हाय कलपना।
मै महतारी जम्मो झन के,
सब मोरे संतान हरौ।
भाई बांटा बांट खोंट के,
सबके कोठी धान धरौ।
मनभावन माई के बोली,
सब झन ला सुहाईस हे।
कोठी के धान हेर हेरा,
छेरछेरा आईस हे।
भात पेज मा पेट भरे सब,
उछाह चँहु खुंट बगरगे।
मेला भरगे चगन-मगन मन,
अंग अंग अबड़ लहर गे।
पुस पुन्नी अँजोरी पाख मा,
अँजोर चहुँ ओर पसर थे।
समरसता धरे छेर-छेरा,
के पबरीत परब परथे।
रचना:-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
11/01/2017
9685216602

//पागा कलगी 24 के परिणाम //


पागा कलगी 24 जेखर विषय - ‘गुरू घासीदास के संदेश‘ अउ संचालक डॉ अशोक आकाश रहिस । ये आयोजन मा कुल 12  रचना प्राप्त होइस । सबो रचना सराहनीय रहिस ।  सबो प्रतिभागी संगी मन छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के तरफ ले धन्यवाद अउ बधाई । ये आयोजन के निर्णयक श्री श्मिगणेश साहित्य समिति नवागढ़, बेमेतरा रहिस । रचना के संख्या के अनुसार दू विजेता घोषित करे जात है । समिति के निर्णय अनुसार-
पहिली विजेता- श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर‘अंजोर‘
गोरखपुर, कवर्धा
दूसर विजेता- श्री चोवाराम बादल

दूनो विजेता श्री शमिगणेश साहित्य समिति अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के तरफ ले अंतस ले बधाई


मंगलवार, 3 जनवरी 2017

//पागा कलगी-25 के रूपरेखा//

//पागा कलगी-25 के रूपरेखा//
बेरा-पहिली पखवाड़ा जनवरी 2017 तक
1 जनवरी ले 15 जनवरी दिसम्बर तक
विषय-‘छेरछेरा‘‘
विधा-विधा रहित
मंच संचालक- श्री गुमान साहू (पागा कलगी-15 के उपविजेता)
निर्णायक-श्री अरूण निगम छंदविद, दूर्ग
निवेदन-‘छत्तीसगढ़ साहित्य मंच के जम्मो रचनाकार भाई मन आप सब से निवेदन हे के कविता कोनो ना कोनो विधा-शिल्प मा निश्चित होथे, ये अलग बात हे के हम ओ विधा-शिल्प ला नई जानत होबो । कुछु विधा मा नई होही त तुकांत विधा मा जरूर होही । यदि आप मन अपन रचना के विधा के घला उल्लेख कर देहू।

रविवार, 1 जनवरी 2017

पागा कलगी -24//12//आर्या प्रजापति

विषय - बाबा गुरुघासी दास बाबा के संदेश
****** पंथी गीत ******
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
1) तोर आय ले धन्य होइस जम्मो गिरौदपुरी,
जम्मो भगत मन दरस बर आये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
सब के मन म खुशी छाये,
18 दिसम्बर के पारी आये।
शवेत झंडा लहराये,
सुघ्घर पंथी गीत हर भाये।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
2) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
जाति अउ धरम ल समझाये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
जाति भेदभाव समझाये,
सत के पुजारी तै कहलाये।
नषा मुक्ति के गियान बताये,
छुआ छुत ल भगाये।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
3) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
तै ह दुनिया म अलख जगाये।
बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
छाये रिहीस छुआ छुत के षोर,
जमाना रिहीस नीच जात के घोर।
लाईस बाबा सत के अंजोर,
गुंजय सबो गली खोर।
तै हा गुरु बाबा मोर..।
4) बोल सतनाम जीवन म जपे बाबा।।
तै हर अमरौतिन के कोरा म आये।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
तोर आय ले धन्य होइस जम्मो गिरौदपुरी।।
ग बाबा जम्मो भक्तन दरस बर आये।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।।
कैसे करव मै बखान,
दिये सबो ल गियान।
ग बाबा दुनिया म सत् ल बगराये,
ओ गुरु मन के छुआ अउ छुत ल भगाये।
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आर्या प्रजापति
मो. नं. -9109933595
ग्राम - लमती (सिंगारपुर )
जिला - भाठापारा(बलोदाबजार)