रविवार, 15 जनवरी 2017

पागा कलगी -25//2//डोलनारायण पटेल

छेरछेरा
छेरछेरा तिहार ला,छत्तीसगढ़ मनाय।
महिना सुग्घर पूस के, पुन्नी दिन जब आय।।
पुन्नी दिन जब आय,केठी के धान हेरा।
सुग्घर सबद सनाय,निकरत सुरूज के बेरा।।
चहल पहल गलि खोल,किसानिन देवे छारा।
सबो निकाले धान, देवे बर छेरछेरा।।
लइका संग सियान मिल, टोली घर घर जाय।
छेरछेरा सबो कहय,सुनके मन हरसाय।।
सुनके मन हरसाय,रूख मा चहके चिराई।
सब दिन छलके हाथ, जय हो किसानिन दाई।।
कहय डोल कर दान, बेरा मिले हे ठउका।
खुशियाली हे छाय ,मगन सियान अउ लइका।।
होथे बड़खा दान गा, सुन तुलसी के गोठ।
बूझिन कहिन सियान गा, गोठ हवय बड़ पोठ।।
गोठ हवय बड़ पोठ,देवे जोन ओ दानी।
परथम गति धन पाय, संत गरन्थ के बानी।।
कहय डोल पढ़ पाठ,दान देवय्या पाथे।
दान धरम के ठान ,दान हर बड़खा होथे।।

मिलके हिरवां गूर मा,गुल्ला जब बन जाय।
फेर घोरे पिसान मा, बूड़ निकल के आय।।
बूड़ निकल के आय ,चूरय जा के कराही ।
कहय बनय के बात,तप जिनगी ला बनाही।।
मीठ चिखे हे डोल, पूरी छत्तीसगड़ के ।
मया पिरित के गोठ,गोठिया खावा मिलके।।
पूरी रोटी ले हमर, छत्तीसगढ़ ल जान।
चलना हमर सोज डगर, हवे अलग पहिचान।।
हवे अलग पहिचान , करथन खेती किसानी।
सबला देके खाय, छत्तीसगढ़िहा बानी।।
सु़़़़़़़़़़़़़़़नलव कहिथे डोल, नइ राखन हमन दूरी।
आके भाई देख, छत्तीसगडढ़ खा पूरी।।

छेरछेरा देत कवन, काकर हे ए काम।
साधु बोबा मन कहिन,सबके दाता राम।।
सबके दाता राम, लीला गजब देखाथे।ं
ले तिहार के आड़, आ किसान मा समाथे।।
बासी पसिया खाय,गांव म करे बसेरा।
ओही हिरदे खोल ,देत हवय छेरछेरा।।
डोलनारायण पटेल
तारापुर ,रायगढ़(छ.ग.)

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